नंगे पैरों के आंदोलन से मिली सीख
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0:00 - 0:04चलिये आपको एक दूसरी ही दुनिया में ले चलूँ।
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0:04 - 0:06और आपको सुनाऊँ एक
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0:06 - 0:10४५ साल पुरानी प्रेम-कथा
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0:10 - 0:13गरीब लोगों से प्रेम की कथा,
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0:13 - 0:16जो कि प्रतिदिन एक डॉलर से भी कम कमाते हैं।
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0:18 - 0:22मैं एक बेहद संभ्रांत, खडूस,
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0:22 - 0:26महँगे कॉलेज में पढा, भारत में,
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0:26 - 0:29और उसने मुझे लगभग पूर्णतः बरबाद कर ही दिया था।
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0:31 - 0:33सब फ़िक्स था -
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0:33 - 0:36मैं डिप्लोमेट, शिक्षक, या डॉक्टर बनता --
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0:36 - 0:40सब जैसे प्लेट में परोसा पडा था।
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0:40 - 0:43साथ ही, मुझे देख कर ऐसा नहीं लगेगा, मैं स्क्वैश के खेल में भारत का राष्ट्रीय चैंपियन था
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0:43 - 0:45तीन साल तक लगातार।
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0:45 - 0:47(हँसी)
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0:47 - 0:50सारी दुनिया के अवसर मेरे सामने थे।
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0:50 - 0:52सब जैसे मेरे कदमों में पडा हो।
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0:52 - 0:55मैं कुछ गडबड कर ही नहीं सकता था।
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0:55 - 0:57और तब, यूँही, जिज्ञासावश मैने सोचा कि
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0:57 - 0:59मैं गाँव जाकर, रहना और काम करना चाहता था
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0:59 - 1:01बस समझने के लिये कि गाँव कैसा होता है।
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1:01 - 1:03इसलिये १९६५ में,
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1:03 - 1:07मैं बिहार गया - वहाँ अब तक का सबसे भीषण अकाल पडा था,
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1:07 - 1:10और मैनें भूख और मौत का नंगा नाच देखा,
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1:10 - 1:13पहली बार ठीक मेरे सामने लोग भूख से मर रहे थे।
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1:13 - 1:16उस अनुभव ने मेरा जीवन बदल डाला।
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1:16 - 1:18मैं वापस आया,
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1:18 - 1:20और मैने अपनी माँ से कहा,
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1:20 - 1:23"मैं एक गाँव में रहना और काम करना चाहता हूँ।"
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1:23 - 1:25माँ कोमा में चली गयी।
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1:25 - 1:28(हँसी)
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1:28 - 1:30"ये क्या कह रहा है?
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1:30 - 1:33सारी दुनिया के अवसर तेरे सामने हैं, और भरी थाली में लात मार कर तू
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1:33 - 1:35एक गाँव में रहना और काम करना चाहता है?
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1:35 - 1:37मुझे समझ नहीं आ रहा है कि आखिर तुझे हुआ क्या है?"
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1:37 - 1:39मैनें कहा, "नहीं, मुझे सर्वश्रेष्ठ शिक्षा मिली है।
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1:39 - 1:41उसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया है।
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1:41 - 1:44और मैं कुछ वापस देना चाहता हूँ
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1:44 - 1:46अपने ही तरीके से।"
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1:46 - 1:48"पर तू आखिर एक गाँव में करेगा क्या?
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1:48 - 1:50न रोजगार है, न पैसा है,
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1:50 - 1:52न सुरक्षा, न ही कोई भविष्य।"
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1:52 - 1:54मैने कहा, "मै गाँव में रह कर
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1:54 - 1:57पाँच साल तक कुँए खोदना चाहता हूँ।"
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1:57 - 1:59"पाँच साल तक कुँए खोदेगा?
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1:59 - 2:02तू भारत के सबसे महँगे स्कूल और कॉलेज में पढा है,
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2:02 - 2:04और अब पाँच साल तक कुँए खोदना चाहता है?"
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2:04 - 2:08उन्होंने मुझसे बहुत लम्बे समय तक बात तक नही की,
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2:08 - 2:11क्योंकि उन्हें लगा कि मैंने अपने खानदान की नाक कटवा दी है।
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2:13 - 2:15लेकिन इसके साथ ही,
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2:15 - 2:18मुझे सीखने को मिला दुनिया के सबसे बेहतरीन ज्ञान और कौशल
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2:18 - 2:20जो बहुत गरीब लोगों के पास होते हैं,
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2:20 - 2:23मगर कभी भी हमारे सामने नहीं लाये जाते --
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2:23 - 2:25जो परिचय और सम्मान तक को मोहताज़ रहते हैं,
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2:25 - 2:27और जिन्हें कभी बडे रूप में इस्तेमाल ही नहीं किया जाता।
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2:27 - 2:29और मैनें सोचा कि मैं बेयरफ़ुट कॉलेज की शुरुवात करूँगा --
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2:29 - 2:31एक कॉलेज केवल गरीबों के लिये।
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2:31 - 2:33गरीब लोग क्या सोचते है, ये मुख्य मसला था,
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2:33 - 2:36यही इस कॉलेज की नीव भी थी।
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2:37 - 2:39इस गाँव में यह मेरा पहला दिन था।
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2:39 - 2:41बडे-बूढे मेरे पास आये
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2:41 - 2:43और पूछा, "क्या पुलिस से भाग कर छुपे हो?"
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2:43 - 2:45मैने कहा, "नहीं।"
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2:45 - 2:48(हँसी)
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2:49 - 2:51"परीक्षा में फ़ेल हो गये हो?"
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2:51 - 2:53मैने कहा, "नहीं।"
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2:53 - 2:56"तो सरकारी नौकरी नहीं मिल पायी होगी?" मैनें कहा, "वो भी नहीं।"
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2:56 - 2:58"तब यहाँ क्या कर रहे हो?
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2:58 - 3:00यहाँ क्यों आये हो?
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3:00 - 3:02भारत की शिक्षा व्यवस्था
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3:02 - 3:05तो आपको पेरिस और नई-दिल्ली और ज़ुरिख़ के ख़्वाब दिखाती है;
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3:05 - 3:07तुम इस गाँव में क्या कर रहे हो?
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3:07 - 3:10तुम कुछ तो ज़रूर छिपा रहे हो हमसे?"
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3:10 - 3:13मैने कहा, "नहीं, मैं तो एक कॉलेज खोलने आया हूँ,
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3:13 - 3:15केवल गरीबों के लिये।
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3:15 - 3:18गरीब लोगों को जो ज़रूरी लगता है, वही इस कॉलेज में होगा।"
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3:18 - 3:22तो बुज़ुर्गों नें मुझे बहुत नेक और सार्थक सलाह दी।
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3:22 - 3:24उन्होंने कहा, "कृपा करके,
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3:24 - 3:27किसी भी डिग्री-होल्डर या मान्यता-प्राप्त प्रशिक्षित व्यक्ति को
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3:27 - 3:29अपने कॉलेज में मत लाना।"
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3:29 - 3:32लिहाज़ा, ये भारत का इकलौता कॉलेज है
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3:32 - 3:35जहाँ, यदि आप पी.एच.डी. या मास्टर हैं,
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3:35 - 3:37तो आपको नाकारा माना जायेगा।
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3:37 - 3:42आपको या तो पढाई-छोड, या भगोडा, या निलंबित होना होगा
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3:42 - 3:45हमारे कॉलेज में आने के लिये।
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3:45 - 3:47आपको अपने हाथों से काम करना होगा।
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3:47 - 3:49आप को मेहनत की इज़्जत सीखनी होगी।
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3:49 - 3:52आपको ये दिखाना होगा कि आपके पास ऐसा हुनर है जिस से कि लोगों का भला हो सकता है
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3:52 - 3:55और आप समाज को कोई सेवा प्रदान कर सकते हैं।
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3:55 - 3:58तो हमने बेयरफ़ुट कॉलेज की स्थापना की,
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3:58 - 4:00और हमने पेशेवर होने की नई परिभाषा गढी।
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4:00 - 4:02आख़िर पेशेवर किसको कहा जाये?
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4:02 - 4:04एक पेशेवर व्यक्ति वो है
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4:04 - 4:06जिसके पास हुनर हो,
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4:06 - 4:09आत्म-विश्वास हो, और भरोसा हो।
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4:09 - 4:12ज़मीन-तले पानी का पता लगाने वाला पेशेवर है।
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4:12 - 4:14एक पारंपरिक दाई
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4:14 - 4:16एक पेशेवर है।
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4:16 - 4:19एक कढाई गढने वाला पेशेवर है।
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4:19 - 4:21सारी दुनिया में ऐसे पेशेवर भरे पडे हैं।
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4:21 - 4:25ये आपको दुनिया के किसी भी दूर-दराज़ गाँव में मिल जायेंगे।
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4:25 - 4:28और हमें लगा कि इन लोगों को मुख्यधारा में आना चाहिये
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4:28 - 4:31और दिखाना चाहिये कि इनका ज्ञान और इनकी दक्षता
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4:31 - 4:33विश्व-स्तर की है।
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4:33 - 4:35इसका इस्तेमाल किया जाना ज़रूरी है,
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4:35 - 4:37और इसे बाहरी दुनिया के सामने लाना ज़रूरी है --
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4:37 - 4:39कि ये ज्ञान और कारीगरी
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4:39 - 4:43आज भी काम की है।
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4:43 - 4:45तो कॉलेज में
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4:45 - 4:49महात्मा गाँधी की जीवन-शैली और काम के तरीके का पालन होता है।
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4:49 - 4:53आप ज़मीन पर खाते हैं, ज़मीन पर सोते हैं, ज़मीन पर ही चलते हैं।
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4:53 - 4:55कोई समझौता, लिखित दस्तावेज़ नहीं है।
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4:55 - 4:58आप मेरे साथ २० साल रह सकते है, और कल जा भी सकते हैं।
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4:58 - 5:01और किसी को भी $१०० महीने से ज्यादा नहीं मिलता है।
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5:01 - 5:04यदि आप पैसा चाहते हैं, आप बेयरफ़ुट कॉलेज मत आइये।
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5:04 - 5:06आप काम और चुनौती के लिये आना चाहते हैं,
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5:06 - 5:08आप बेयरफ़ुट आ सकते हैं।
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5:08 - 5:11यहाँ हम चाहते हैं कि आप आयें और अपने आइडिया पर काम करें।
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5:11 - 5:13चाहे जो भी आपका आइडिया हो, आ कर उस पर काम कीजिये।
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5:13 - 5:15कोई फ़र्क नहीं पडता यदि आप फ़ेल हो गये तो।
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5:15 - 5:18गिर कर, चोट खा कर, आप फ़िर शुरुवात कीजिये।
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5:18 - 5:21ये शायद अकेला ऐसा कॉलेज हैं जहाँ गुरु शिष्य है
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5:21 - 5:24और शिष्य गुरु है।
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5:24 - 5:27और अकेला ऐसा कॉलेज जहाँ हम सर्टिफ़िकेट नहीं देते हैं।
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5:27 - 5:30जिस समुदाय की आप सेवा करते हैं, वो ही आपको मान्यता देता है।
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5:30 - 5:32आपको दीवार पर काग़ज़ का टुकडा लटकाने की ज़रूरत नहीं है,
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5:32 - 5:35ये दिखाने के लिये कि आप इंजीनियर हैं।
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5:37 - 5:39तो जब मैंने ये सब कहा,
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5:39 - 5:42तो उन्होंने पूछा, "ठीक है, बताओ क्या संभव है. तुम क्या कर रहे हो?
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5:42 - 5:46ये सिर्फ़ बतकही है जब तक तुम कुछ कर के नहीं दिखाते।"
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5:46 - 5:49तो हमने पहला बेयरफ़ुट कॉलेज बनाया
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5:49 - 5:52सन १९८६ में।
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5:52 - 5:54इसे १२ बेयरफ़ुट आर्किटेक्टों ने बनाया था,
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5:54 - 5:56जो कि अनपढ थे,
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5:56 - 5:59$1.5 प्रति वर्ग फ़ुट की कीमत में।
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5:59 - 6:03१५० लोग यहाँ रहते थे, और काम करते थे।
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6:03 - 6:06उन्हें २००२ में आर्किटेक्चर का आगा ख़ान पुरस्कार मिला।
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6:06 - 6:09पर उन्हें लगता था, कि इस के पीछे किसे मान्यता प्राप्त आर्किटेक्ट का हाथ ज़रूर होगा।
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6:09 - 6:11मैने कहा, "हाँ, उन्होंने नक्शे बनाये थे,
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6:11 - 6:15मगर बेयरफ़ुट आर्किटेक्टों ने असल में कॉलेज का निर्माण किया।"
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6:16 - 6:19शायद हम ही ऐसे लोग होंगे जिन्होंने $50,000 का पुरस्कार लौटा दिया,
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6:19 - 6:21क्योंकि उन्हें हम पर विश्वास नहीं हुआ,
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6:21 - 6:25और हमें लगा जैसे वो लोग कलंक लगा रहे हैं,
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6:25 - 6:28तिलोनिया के बेयरफ़ुट आर्किटेक्टों के नाम पर।
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6:28 - 6:30मैनें एक जंगल-अफ़सर से पूछा --
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6:30 - 6:33मान्यता प्राप्त, पढे-लिखे अफ़सर से --
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6:33 - 6:36मैने कहा, "इस जगह पर क्या बनाया जा सकता है?
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6:36 - 6:38उसने मिट्टी पर एक नज़र डाली और कहा, "यहाँ कुछ नहीं हो सकता।
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6:38 - 6:40जगह इस लायक नहीं है।
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6:40 - 6:42न पानी है, मिट्टी पथरीली है।"
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6:42 - 6:44मैं कठिन परिस्थिति में था।
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6:44 - 6:46और मैने कहा, "ठीक है, मैं गाँव के बूढे के पास जा कर
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6:46 - 6:49पूछूँगा कि, 'यहाँ क्या उगाना चाहिये?'"
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6:49 - 6:51उसने मेरी ओर देखा और कहा,
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6:51 - 6:53"तुम ये बनाओ, वो बनाओ, ये लगाओ, और काम हो जायेगा।"
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6:53 - 6:56और वो जगह आज ऐसी दिखती है।
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6:57 - 6:59मैं छत पर गया,
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6:59 - 7:01और सारी औरतों ने कहा, "यहाँ से जाओ।
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7:01 - 7:04आदमी नहीं चाहिये क्योंकि हम इस तरकीब को आदमियों को नहीं बताना चाहते।
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7:04 - 7:06ये छत को वाटरप्रूफ़ करने की तकनीक है।"
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7:06 - 7:08(हँसी)
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7:08 - 7:11इसमें थोडा गुड है, थोडी पेशाब है
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7:11 - 7:13और ऐसी कई चीजें जो मुझे नहीं पता है।
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7:13 - 7:15लेकिन इसमें पानी नहीं चूता है।
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7:15 - 7:18१९८६ से आज तक, पानी नहीं चुआ है।
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7:18 - 7:21इस तकनीक को, औरतें मर्दों को नहीं बताती हैं।
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7:21 - 7:24(हँसी)
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7:24 - 7:26ये अकेला ऐसा कॉलेज है
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7:26 - 7:30जो पूर्णतः सौर-ऊर्जा पर चलता है।
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7:30 - 7:32सूरज से ही सारी बिजली आती है।
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7:32 - 7:34छत पर ४५ किलोवाट के पैनल लगे हैं।
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7:34 - 7:36और सब कुछ अगले २५ सालों तक सिर्फ़ सौर-ऊर्जा से चल सकता है।
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7:36 - 7:38तो जब तक दुनिया में सूरज है,
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7:38 - 7:40हमें बिजली की कोई समस्या नहीं होगी।
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7:40 - 7:42मगर सबसे बढिया बात ये है कि
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7:42 - 7:45इसे स्थापित किया था
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7:45 - 7:48एक पुजारी ने, एक हिंदु पुजारी ने,
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7:48 - 7:51जो सिर्फ़ आठवीं कक्षा तक पढे हैं --
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7:51 - 7:54कभी स्कूल नहीं गये, कभी कॉलेज नहीं गये।
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7:54 - 7:56इन्हें सौर-तकनीकों के बारे में ज्यादा जानकारी है
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7:56 - 8:00विश्व के किसी भी और व्यक्ति के मुकाबले, ये मेरी गारंटी है।
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8:02 - 8:04भोजन, यदि आप बेयरफ़ुट कॉलेज में आयेंगे,
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8:04 - 8:07आपको सौर-ऊर्जा से बना मिलेगा।
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8:07 - 8:10मगर जिन लोगों ने उस सौर-चूल्हे को बनाया है,
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8:10 - 8:13वो स्त्रियाँ हैं,
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8:13 - 8:15अनपढ स्त्रियाँ,
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8:15 - 8:17जो अपने हाथ से
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8:17 - 8:19अत्यंत जटिल सौर-चूल्हा बनाती हैं।
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8:19 - 8:22ये परवलय (पैराबोला) आकारा का बिना रसोइये का चूल्हा है।
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8:25 - 8:29दुर्भाग्य से, ये आधी जरमन हैं,
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8:29 - 8:31वो इतनी सूक्ष्मता से नाप-झोक करती हैं।
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8:31 - 8:33(हँसी)
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8:33 - 8:36आपको भारतीय महिलायें इतनी सूक्ष्म नाप-तोल करती नहीं मिलेंगी।
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8:37 - 8:39बिलकुल आखिरी इंच तक,
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8:39 - 8:41वो उस चूल्हे को बना सकती हैं।
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8:41 - 8:43और यहाँ साठ व्यक्ति दिन में दो बार
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8:43 - 8:45सौर-चूल्हे का खाना खाते हैं।
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8:45 - 8:47हमारे यहाँ एक दंत-चिकित्सक हैं --
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8:47 - 8:50वो दादी-माँ है, अनपढ है, और दाँतों की डाक्टर हैं।
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8:50 - 8:52वो दाँतों की देखभाल करती हैं
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8:52 - 8:55करीब ७००० बच्चों के।
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8:56 - 8:58बेयरफ़ुट टेक्नॉलाजी:
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8:58 - 9:01ये १९८६ है - किसी इंजीनियर, या आर्किटेक्ट इस बारें में नहीं सोचा --
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9:01 - 9:04मगर हम बारिश के पानी को छत से इकट्ठा कर रहे थे।
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9:04 - 9:06बहुत ही कम पानी बर्बाद होता है।
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9:06 - 9:08सारी छतों को ज़मीन के नीचे बने
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9:08 - 9:10४००,००० लीटर के टैंक से जोडा हुआ है।
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9:10 - 9:12और पानी बर्बाद नहीं होता।
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9:12 - 9:15यदि हमें चार साल लगातार भी सूखे का सामना करना पडे, तो भी हमारे पास पानी होगा,
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9:15 - 9:17क्योंकि हम बारिश के पानी को इकट्ठा करते हैं।
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9:17 - 9:20६० % बच्चे स्कूल इसलिये नहीं जा पाते,
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9:20 - 9:22क्योंकि उन्हें जानवरों की देखभाल करनी होती है --
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9:22 - 9:24भेड, बकरी --
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9:24 - 9:26घर के काम।
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9:26 - 9:29तो हमने सोचा कि एक स्कूल खोला जाये
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9:29 - 9:31रात में, बच्चो को पढाने के लिये।
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9:31 - 9:33क्योंकि तिलोनिया के रात के स्कूलों में
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9:33 - 9:36७५,००० बच्चों से ज्यादा रात को पढ चुके है,
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9:36 - 9:38क्योंकि ये बच्चों की सहूलियत के लिये है;
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9:38 - 9:40ये शिक्षकों की सहूलियत के लिये नही है।
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9:40 - 9:42और हम यहाँ क्या पढाते हैं?
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9:42 - 9:44प्रजातंत्र, नागरिकता,
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9:44 - 9:47अपनी ज़मीनों की नाप कैसे करें,
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9:47 - 9:49अगर आपको पुलिस पकड ले, तो क्या करें,
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9:49 - 9:53यदि आपका जानवर बीमार हो जाये, तो क्या करें।
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9:53 - 9:55यही हम रात के स्कूलों में पढाते हैं।
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9:55 - 9:58क्योंकि सारे स्कूल मे सौर-ऊर्जा है।
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9:58 - 10:00हर पाँच साल में,
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10:00 - 10:02हम चुनाव करते हैं।
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10:02 - 10:06६ से ले कर १४ साल तक के बच्चे
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10:06 - 10:09इस प्रजातांत्रिक प्रणाली में हिस्सा लेते हैं,
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10:09 - 10:13और वो एक प्रधानमंत्री चुनते हैं।
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10:13 - 10:16प्रधानमंत्री की उम्र है १२ वर्ष।
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10:17 - 10:19वो सुबह २० बकरियों की देखभाल करती है,
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10:19 - 10:22मगर शाम को वो प्रधानमंत्री हो जाती है।
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10:22 - 10:24उसका अपना मंत्रिमंडल है,
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10:24 - 10:27शिक्षा मंत्री, बिजली मंत्री, स्वास्थ-मंत्री।
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10:27 - 10:29और वो असल में देखभाल करते है
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10:29 - 10:32करीब १५० स्कूलों के ७००० बच्चों की।
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10:34 - 10:36पाँच साल पहले उसे विश्व बालक पुरस्कार से नवाजा गया था,
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10:36 - 10:38और वो स्वीडन गयी थी।
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10:38 - 10:40पहली बार गाँव से बाहर निकली थी।
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10:40 - 10:43कभी स्वीडन देखा नहीं।
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10:43 - 10:45लेकिन आसपास की चीज़ों से ज़रा भी प्रभावित नहीं।
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10:45 - 10:47और स्वीडन की रानी, जो वहीं थीं,
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10:47 - 10:50मेरी ओर मुडी, और कहा, "क्या आप इस बच्ची से पूछेंगे कि इतना आत्म-विश्वास कहाँ से आता है?
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10:50 - 10:52ये केवल १२ साल की है,
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10:52 - 10:55और किसी से प्रभावित नहीं होती।"
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10:55 - 10:58और वो लडकी, जो उनके बायें ओर है,
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10:58 - 11:01मेरी ओर मुडी, और रानी की आँखों में आँखे डाल कर
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11:01 - 11:04बोली, "कृप्या इन्हें बता दीजिये कि मैं प्रधानमंत्री हूँ।"
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11:04 - 11:06(हँसी)
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11:06 - 11:14(अभिवादन)
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11:14 - 11:18जहाँ साक्षरता बहुत कम है,
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11:18 - 11:21हम कठपुतलियों का इस्तेमाल करते हैं।
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11:21 - 11:24कठपुतिलियों के सहारे हम अपनी बात रखते हैं।
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11:30 - 11:33हमारे पास जोखिम चाचा है,
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11:33 - 11:37जो करीब ३०० साल के हैं।
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11:37 - 11:40ये मेरे मनोवैज्ञानिक हैं। ये ही मेरे शिक्षक हैं।
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11:40 - 11:42यही मेरे चिकित्सक हैं। यही मेरे वकील हैं।
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11:42 - 11:44यही मुझे दान देते हैं।
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11:44 - 11:46यही धन भी जुटाते हैं,
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11:46 - 11:49मेरे झगडे भी सुलझाते हैं।
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11:49 - 11:52ये मेरे गाँव की समस्या का समाधान करते हैं।
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11:52 - 11:54यदि गाँव में तनाव हो,
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11:54 - 11:56या फ़िर स्कूलों में हाज़िरी कम हो रही हो
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11:56 - 11:58और अध्यापकों और अभिभावकों के बीच मनमुटाव हो,
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11:58 - 12:01तो ये कठपुतली अध्यापकों और अभिभावकों को सारे गाँव के सामने बुलाती है
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12:01 - 12:03और कहती है, "हाथ मिलाइये।
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12:03 - 12:05हाज़िरी कम नहीं होनी चाहिये।"
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12:07 - 12:09ये कठपुतलियाँ
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12:09 - 12:11विश्व-बैंक की बेकार पडी रिपोर्टों से बनी हैं।
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12:11 - 12:13(हँसी)
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12:13 - 12:20(अभिवादन)
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12:20 - 12:24तो इस विकेंद्रित, और पारदर्शी तरीके से,
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12:24 - 12:26गाँवों को सौर-ऊर्जा देने के तरीके से,
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12:26 - 12:28हमने सारे भारत में काम किया है
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12:28 - 12:31लद्दाख से ले कर भूटान तक --
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12:33 - 12:35सब जगहों पर सौर-ऊर्जा
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12:35 - 12:38उन लोगों द्वारा लायी जिन्हें प्रशिक्षण दिया गया।
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12:39 - 12:41और हम लद्दाख गये,
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12:41 - 12:43और हमने एक महिला से पूछा --
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12:43 - 12:46कि आप, -४० डिग्री सेंटिग्रेट पर, छत से बाहर आयी हैं,
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12:46 - 12:49क्योंकि बर्फ़ से आजू-बाजू के रास्ते बंद है --
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12:49 - 12:51और हमने इस से पूछा,
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12:51 - 12:53"आपको क्या लाभ हुआ
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12:53 - 12:55सौर ऊर्जा से?"
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12:55 - 12:57और एक मिनट तक सोचने के बाद, उसने कहा,
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12:57 - 13:01"ये पहली बार है कि मैं सर्दियों में अपने पति का चेहरा देख पायी।"
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13:01 - 13:04(हँसी)
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13:04 - 13:06हम अफ़्गानिस्तान गये।
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13:06 - 13:11भारत में हमेने एक बात ये सीखी कि
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13:11 - 13:15मर्दों को आप कुछ नही सिखा सकते।
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13:15 - 13:19(हँसी)
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13:19 - 13:21आदमी उछ्छंखल होते हैं,
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13:21 - 13:23आदमी महत्वाकांक्षी होते हैं,
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13:23 - 13:26वो एक जगह टिक कर बैठना नहीं पाते,
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13:26 - 13:28और उन सबको एक प्रमाण-पत्र चाहिये होता है।
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13:28 - 13:30(हँसी)
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13:30 - 13:33दुनिया भर में, यही चाहत है
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13:33 - 13:35आदमियों की, एक प्रमाण-पत्र चाहिये।
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13:35 - 13:38क्यों? क्योंकि वो गाँव छोडना चाहते हैं,
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13:38 - 13:41और शहर जाना चाहते हैं, नौकरी करने के लिये।
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13:41 - 13:44तो हमने इस का एक बेहतरीन तरीका निकाला"
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13:44 - 13:46बूढी दादियों को प्रशिक्षण देने का।
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13:48 - 13:50अपनी बात दूर दूर तक फ़ैलाने का
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13:50 - 13:52आज की दुनिया में क्या तरीका है?
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13:52 - 13:54टेलीविजन? नहीं।
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13:54 - 13:56टेलीग्राफ़? नहीं।
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13:56 - 13:58टेलीफ़ोन? नहीं।
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13:58 - 14:00एक स्त्री को बता दीजिये बस!
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14:00 - 14:03(हँसी)
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14:03 - 14:07(अभिवादन)
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14:07 - 14:09तो हम पहली बार अफ़्गानिस्तान गयी,
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14:09 - 14:11और हमने तीन स्त्रियों को चुना
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14:11 - 14:13और कहा, "हम इन्हें भारत ले जाना चाहते हैं।"
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14:13 - 14:15उन्होंने कहा, "असंभव। ये तो अपने कमरे तक से बाहर नही निकलती हैं,
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14:15 - 14:17और तुम भारत ले जाने की बात करते हो।"
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14:17 - 14:19मैने कहा, "मैं एक छूट दे सकता हूँ। मैं उनके पतियों को भी साथ ले जाऊँगा।"
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14:19 - 14:21तो मैं उनके पतियों को भी ली आया।
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14:21 - 14:24ज़ाहिर है, औरतें आदमियों से कहीं ज्यादा बुद्धिमान होती हैं।
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14:24 - 14:26छः महीने के भीतर,
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14:26 - 14:29हम इन औरतों को कैसे बदल दें?
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14:29 - 14:31इशारों की भाषा से।
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14:31 - 14:34तब आपक लिखित चीज़ों पर भरोसा नहीं करते।
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14:34 - 14:36बोलचाल की भाषा से भी काम नहीं बनता।
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14:36 - 14:39आप इशारों की भाषा इस्तेमाल करते हैं।
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14:39 - 14:41और छः महीनों में,
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14:41 - 14:45वो सौर-इंजीनियर बन गयीं।
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14:45 - 14:48वो वापस जा कर अपने गाँव में सौर-बिजली ले आयीं।
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14:48 - 14:50इस स्त्री ने वापस जा कर,
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14:50 - 14:53पहली बार किसी गाँव में सौर-बिजली लगायी,
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14:53 - 14:55एक कारखाना लगाया --
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14:55 - 14:58अफ़्गानिस्तान का पहला गाँव जहाँ सौर-बिजली आयी
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14:58 - 15:01तीन औरतों द्वारा किया गया था।
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15:01 - 15:03ये स्त्री
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15:03 - 15:05एक महान दादी माँ है।
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15:05 - 15:10५५ साल की उम्र में इसने अफ़गानिस्तान में २०० घरों को सौर-बिजली दी है।
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15:10 - 15:13और ये खराब भी नहीं हुई है।
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15:13 - 15:16ये असल में अफ़्गानिस्तान के इंजीनियरिंग विभाग गयी,
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15:16 - 15:18और वहाँ के मुख्य-अधिकारी को बता कर आयी
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15:18 - 15:20कि ए.सी. और डी.सी. में फ़र्क क्या होता है।
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15:20 - 15:22उसे नहीं पता था।
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15:22 - 15:25इन तीन औरतो ने २७ और औरतों को प्रशिक्षण दिया है,
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15:25 - 15:28और अफ़्गानिस्तान के १०० गाँवों में सौर-बिजली लगवा दी है।
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15:28 - 15:31हम अफ़्रीका गये,
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15:31 - 15:33और हमने यहे किया।
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15:33 - 15:36ये सारी औरतें जो एक मेज पर बैठी हैं, अलग अलग आठ देशों की हैं,
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15:36 - 15:39सब बतिया रही हैं, मगर बिना एक भी शब्द समझे,
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15:39 - 15:41क्योंकि वो सब अलग अलग भाषा बोल रही हैं।
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15:41 - 15:43मगर इनकी भाव-भंगिमायें गजब की हैं।
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15:43 - 15:45ये एक दूसरे से बतिया भी रही है,
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15:45 - 15:47और सौर-इंजीनियर बन रही हैं।
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15:47 - 15:50मैं सियरा ल्योन ग्याअ,
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15:50 - 15:53और वहाँ एक मंत्री से मिला जो रात के घनघोर अँधेरे में ड्राइविंग कर रहे थे --
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15:53 - 15:55एक गाँव पहुँचा।
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15:55 - 15:58वापस आया, गाँव पहुँचा, और कहा, "इस की क्या कहानी है?"
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15:58 - 16:00उन्होंने कहा, "इन दो दादी-मांओं ने..."
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16:00 - 16:03"दादियों ने?" मंत्री साहब को भरोसा ही नहीं हुआ।
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16:03 - 16:06"वो कहाँ गयी थी?" " भारत से लौट कर आयी हैं।"
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16:06 - 16:08वो सीखे राष्ट्रपति के पास गया।
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16:08 - 16:10उसने कहा, "आपको पता है कि सियरा ल्योन में एक सौर-बिजली युक्त गाँव है?"
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16:10 - 16:13जवाब मिला, "नहीं।" अगले दिन आधे से ज्यादा मंत्रिमंडल इन औरतों से मिलने आ गया।
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16:13 - 16:15"कहानी क्या है?"
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16:15 - 16:19तो उन्होंने मुझे बुलाया और कहा, "क्या आप मेरे लिये १५० दादियों को प्रशिक्षण दे सकते हैं?"
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16:19 - 16:21मैने कहा, "जी नहीं, महामहिम।
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16:21 - 16:23मगर ये दे सकती हैं। ये दादियाँ।"
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16:23 - 16:26तो उन्होंने सियरा ल्योन में मेरे लिये पहला बेयरफ़ुट ट्रेनिंग सेंटर बनवाया।
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16:26 - 16:30और १५० दादियं को सियरा ल्योन में प्रशिक्षण मिल चुका है।
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16:30 - 16:32गाम्बिया:
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16:32 - 16:35हम गाम्बिया में एक दादी माँ को चुनने के लिये गये।
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16:35 - 16:37एक गाँव में पहुँचे।
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16:37 - 16:39मुझे पता था कि मैं किस स्त्री को चुनना चाहता हूँ।
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16:39 - 16:42सब लोग साथ जुटे और उन्होंने कहा, " इन दो स्त्रियों को ले जायें।"
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16:42 - 16:44मैने कहा, "नहीं, मैं तो उसे ले जाना चाहता हूँ।"
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16:44 - 16:46उन्होंने कहा, "क्यों? उसे तो भाषा भी नहीं आती। आप उसे जानते नहीं हैं।"
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16:46 - 16:49मैने कहा, "मुझे उसकी भाव-भंगिमायें और बात करने का तरीका अच्छा लगता है।"
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16:49 - 16:51"उसका पति नहीं मानेगा: नहीं होगा।"
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16:51 - 16:53तो पति को बुलाया गया, वो आया,
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16:53 - 16:56अकड से चलता हुआ, नेताओं की तरह, मोबाइल लहराता हुआ। "नही होगा।"
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16:56 - 16:59"क्यों नहीं? "उसे देखो, वो कितनी सुंदर है।"
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16:59 - 17:01मैने कहा, "हाँ, बहुत सुंदर है।"
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17:01 - 17:03"अगर किसी भारतीय आदमी के साथ भाग गयी तो?"
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17:03 - 17:05ये उसका सबसे बडा डर था।
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17:05 - 17:08मैने कहा, "वो खुश रहेगी, और तुम्हें मोबाइल पर कॉल करेगी।"
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17:08 - 17:11वो दादी माँ की तरह गयी
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17:11 - 17:13और एक शेरनी बन कर वापस लौटी।
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17:13 - 17:15वो हवाई-जहाज से बाहर निकली और
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17:15 - 17:18प्रेस से ऐसे बतियाने लगी जैसे सदा से यही करती रही हो।
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17:18 - 17:21उसने राष्ट्रीय प्रेस को सम्हाला,
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17:21 - 17:23और वो प्रसिद्ध हो गयी।
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17:23 - 17:26और जब मैं छः महीने बाद उस से मिला, मैने कहा, "तुम्हारा पति कहाँ है?"
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17:26 - 17:28"अरे, कहीं होगा, उस से क्या फ़र्क पडता है।"
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17:28 - 17:30(हँसी)
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17:30 - 17:32सफ़लता की कहानी।
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17:32 - 17:34(हँसी)
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17:34 - 17:37(अभिवादन)
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17:37 - 17:43मैं अपनी बात ये कह कर ख्त्म करना चाहूँगा
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17:43 - 17:47कि मुझे लगता है कि समाधान आपके अंदर ही होता है।
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17:47 - 17:49समस्या का हल अपने अंदर ढूँढिये।
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17:49 - 17:52और उन लोगों की बात सुनिये जो आप से पहले समाधान कर चुके हैं
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17:52 - 17:54सारी दुनिया में ऐसे लोग मौजूद हैं।
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17:54 - 17:56चिंता ही मत करिये।
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17:56 - 17:59विश्व बैंक की बात सुनने से बेहतर है कि आप ज़मीनी लोगों की बातें सुनें।
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17:59 - 18:02उनके पास दुनिया भर के हल हैं।
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18:02 - 18:05मैं अंत में महात्मा गाँधी की कही बात दोहराना चाहता हूँ।
-
18:05 - 18:07"पहली वो आपको अनसुना कर देते हैं,
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18:07 - 18:09फ़िर वो आप पर हँसते हैं,
-
18:09 - 18:11फ़िर वो आपसे लडते हैं,
-
18:11 - 18:13और फ़िर आप जीते जाते हैं।"
-
18:13 - 18:15धन्यवाद।
-
18:15 - 18:46(अभिवादन)
- Title:
- नंगे पैरों के आंदोलन से मिली सीख
- Speaker:
- बंकर रॉय
- Description:
-
भारत के राजस्थान में, एक ख़ास-ओ-ख़ास विद्यालय है जो ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों को शिक्षित करता है -- ज्यादातर अपढ लोगों को -- और उन्हे बदलता है सोलर इंजिनियरों, कलाकारों, दाँत के डॉक्टरों, मेडिकल डॉक्टरों में, और उनके ख़ुद के गाँवों में. इसे बेयरफ़ुट कॉलेज के नाम से जाना जाता है, और इसके स्थापक, बंकर रॉय, समझा रहे हैं ये कैसे काम करता है।
- Video Language:
- English
- Team:
closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 18:47
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Helene Batt edited Hindi subtitles for Learning from a barefoot movement | |
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Helene Batt edited Hindi subtitles for Learning from a barefoot movement | |
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Mohammad Tofighi edited Hindi subtitles for Learning from a barefoot movement | |
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Swapnil Dixit added a translation |