मेलिंडा फ्रेंच गेट्स: गैर-लाभ संस्थाएं कोका-कोला से क्या सीख सकती हैं
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0:00 - 0:02एक बड़ा प्रिय भाग
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0:02 - 0:04गेट्स फ़ाउन्डेशन में मेरे काम का यह है
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0:04 - 0:06कि मुझे विकासशील दुनिया में जाने का मौका मिलता है,
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0:06 - 0:08और मैं यह अक्सर करती हूँ.
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0:08 - 0:10और जब मैं माँओं से मिलती हूँ
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0:10 - 0:12इतने सारे सुदूर इलाकों में,
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0:12 - 0:14तो मुझे इस बात का एहसास होता है
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0:14 - 0:16कि हममें कितनी समानताएं हैं.
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0:16 - 0:19वो भी अपने बच्चों के लिए वही चाहती हैं जो हम चाहते हैं,
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0:19 - 0:22और वह है कि उनके बच्चे कामयाब निकलें,
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0:22 - 0:25स्वस्थ हों, और एक सफल जीवन बिताएं.
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0:25 - 0:28पर मैं हद दर्जे की गरीबी भी देखती हूँ,
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0:28 - 0:31और वो बहुत हिला देती है,
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0:31 - 0:33अपने पैमाने और अपने विस्तार, दोनों से.
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0:33 - 0:36भारत में अपनी पहली यात्रा पर, मैं एक व्यक्ति के घर में थी
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0:36 - 0:38जहां मिट्टी का फर्श था, और बहता पानी नहीं था,
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0:38 - 0:40बिजली भी नहीं,
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0:40 - 0:43और यही सब मैं सारी दुनिया में देखती हूँ.
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0:43 - 0:46मूल बात यह है, कि मैं उन सब चीज़ों से भौंचक्की रह जाती हूँ
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0:46 - 0:49जो उनके पास नहीं हैं.
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0:49 - 0:52पर मैं उस एक चीज़ से चकित हो जाती हूँ जो उनके पास होती है:
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0:53 - 0:55कोका-कोला.
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0:55 - 0:57कोक हर जगह है.
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0:57 - 0:59बल्कि जब मैं विकासशील देशों में जाती हूँ,
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0:59 - 1:01तब कोक सर्वव्यापी लगता है.
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1:01 - 1:03और इसलिए जब मैं इन दौरों से वापस आती हूँ,
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1:03 - 1:05और विकास के बारे में सोच रही होती हूँ,
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1:05 - 1:07और घर जा रही होती हूँ, तब सोचती हूँ,
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1:07 - 1:10"हम लोगों को निरोध पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं, और तरह तरह के टीके भी."
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1:10 - 1:13आप जानते हैं न, कोक की सफलता आप को सोचने पर मजबूर करती है:
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1:13 - 1:15ऐसा कैसे है कि वे कोक पहुंचा सकते हैं
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1:15 - 1:17उन सब दूर-दराज़ जगहों पर?
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1:17 - 1:19अगर वो कर सकते हैं,
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1:19 - 1:22तो सरकारें और गैर-लाभ संस्थाएं ऐसा क्यों नहीं कर सकतीं?
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1:22 - 1:25और यह सवाल पूछने वाली मैं पहली नहीं हूँ.
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1:25 - 1:27पर मैं सोचती हूँ, एक समुदाय के तौर पर,
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1:27 - 1:30हमें अभी बहुत कुछ सीखना है.
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1:30 - 1:32अगर कोका-कोला के बारे में सोचें तो वाकई चौंका देने वाली बात है.
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1:32 - 1:35वे १.५ बिलियन यूनिट बेचते हैं
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1:35 - 1:38हर एक दिन.
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1:38 - 1:40यह कुछ ऐसा हुआ जैसे दुनिया का हर आदमी, औरत और बच्चा
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1:40 - 1:43हफ्ते में एक बार कोक की एक यूनिट पिए.
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1:43 - 1:46तो इस बात का क्या महत्त्व है?
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1:46 - 1:49भई, अगर हम उन्नति को और तेजी से बढ़ाना चाहते हैं
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1:49 - 1:51और जल्दी बढ़ना चाहते हैं
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1:51 - 1:54उन मिलेनियम डिवेलपमेंट गोल्ज़ (एम् डी जी) की तरफ जो हमने दुनिया के लिए तय किये हैं,
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1:54 - 1:56तो हमें अग्रणी लोगों से सीखना होगा,
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1:56 - 1:58और यह अग्रणी लोग
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1:58 - 2:01हर एक कार्यक्षेत्र से आते हैं.
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2:01 - 2:03मुझे लगता है कि अगर हम समझ सकें
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2:03 - 2:06कि कोका-कोला जैसी चीज़ सर्वव्यापी कैसे बन सकती है ,
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2:06 - 2:09तो हम यह सबक जनता के भले के लिए काम में ला सकते हैं.
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2:11 - 2:13कोक की सफलता प्रासंगिक है,
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2:13 - 2:16क्योंकि अगर हम उसे समझ सकते हैं, उससे सीख सकते हैं,
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2:16 - 2:18तो हम कई जीवन बचा सकते हैं.
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2:18 - 2:21इसीलिए मैंने कोक को समझने में कुछ समय लगाया,
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2:22 - 2:24और मुझे लगता है कि असल में तीन चीज़ें हैं
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2:24 - 2:26जो हम कोका-कोला से सीख सकते हैं.
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2:26 - 2:28वो समकालीन आंकडें लेते हैं
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2:28 - 2:31और उन का तुरंत प्रयोग प्रोडक्ट बनाने में करते हैं.
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2:31 - 2:34वो लोकल उद्यमी प्रतिभा को पकड़ते हैं,
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2:34 - 2:37और वो असाधारण मार्केटिंग करते हैं.
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2:37 - 2:40तो हम आंकड़ों से शुरुआत करते हैं.
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2:40 - 2:42कोक की मुनाफेदारी बहुत स्पष्ट है.
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2:42 - 2:45वो शेयरधारकों के एक समूह के आगे जिम्मेवार हैं. उनके लिए लाभ दिखाना ज़रूरी है.
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2:45 - 2:47तो वो आंकड़े लेते हैं,
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2:47 - 2:49और उन्हें वृद्धि मापने के लिए इस्तेमाल करते हैं.
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2:49 - 2:51उनका फीडबैक का चक्र भी लगातार चलता रहता है.
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2:51 - 2:53वो कुछ भी सीखते हैं, तो उसे वापस अपने प्रोडक्ट में इस्तेमाल करते हैं,
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2:53 - 2:55वापस अपने बाजारों में इस्तेमाल करते हैं.
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2:55 - 2:57उनकी एक पूरी टीम है, जिसका नाम है "ज्ञान और बोध".
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2:57 - 2:59ऐसा कई उपभोक्ता उद्योगों में होता है.
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2:59 - 3:01तो अगर आप कोका-कला के लिए नामीबिया चला रहे हैं ,
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3:01 - 3:03और आपकी १०७ शाखाएं हैं,
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3:03 - 3:06तो आपको मालूम होता है कि कहाँ पर प्रत्येक कैन या बोतल बिके
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3:06 - 3:08स्प्राइट, फैंटा, या कोक के,
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3:08 - 3:10चाहे वो कोने की दुकान हो,
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3:10 - 3:12या सुपरमार्केट हो या फिर हाथगाढ़ी.
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3:12 - 3:14तो अगर बिक्री कम होने लगती है,
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3:14 - 3:16तब वह व्यक्ति समस्या को समझ सकता है
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3:16 - 3:18और कारण पर ध्यान दे सकता है.
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3:19 - 3:22अब हम एक मिनिट के लिए इसकी तुलना विकास के क्षेत्र से करें.
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3:23 - 3:26विकास में, मूल्यांकन होता है
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3:26 - 3:29प्रोजेक्ट के बिलकुल अंत में.
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3:29 - 3:31मैं ऐसी कई सभाओं में बैठी हूँ.
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3:31 - 3:33और तब तक,
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3:33 - 3:36उन आंकड़ों का इस्तेमाल करने में बहुत देर हो जाती है.
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3:36 - 3:38एक बार एक एनजीओ के किसी व्यक्ति ने
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3:38 - 3:40मुझसे इस की तुलना अँधेरे में बोलिंग करने के बराबर दी.
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3:40 - 3:43उन्होनें कहा, "तुम बॉल को लुढ़काते हो, कुछ पिनों के गिरने की आवाज़ सुनाई देती है.
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3:43 - 3:46अँधेरा है, इसलिए जब तक बत्तियां न जलें, तुम देख नहीं सकते कि कौन सी गिरी ,
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3:46 - 3:49और फिर तुम अपना असर देख सकते हो."
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3:49 - 3:51समकालीन आंकड़े
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3:51 - 3:54उन बत्तियों को जलाते हैं.
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3:55 - 3:57अब वह दूसरी चीज़ क्या है जिसमें कोक आगे है?
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3:57 - 3:59वे बहुत आगे हैं
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3:59 - 4:01लोकल उद्यमी प्रतिभा का इस्तेमाल करने में.
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4:01 - 4:03कोक अफ्रीका में १९२८ से है,
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4:03 - 4:06पर ज़्यादातर वे दूर-दराज़ के बाजारों में नहीं जा पाते थे,
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4:06 - 4:09क्योंकि उनका तरीका विकसित देशों से बहुत मिलता-जुलता था,
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4:09 - 4:12यानि एक भरी हुई ट्रक ले कर गलियों में निकलना.
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4:12 - 4:14और अफ्रीका के दूर-दराज़ इलाकों में,
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4:14 - 4:16अच्छी सड़कें मिलना बहुत मुश्किल है.
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4:16 - 4:18पर कोक ने एक बात नोट की.
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4:18 - 4:21उन्होंने देखा कि लोकल व्यक्ति सामान खरीद रहे थे, और वो भी थोक में,
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4:21 - 4:24और फिर वो उसे दूर-दराज़ इलाकों में जा कर दोबारा बेच रहे थे.
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4:25 - 4:27उन्हें यह सब देखने-समझने में थोड़ा समय ज़रूर लगा.
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4:27 - 4:29और उन्होंने १९९० में निर्णय लिया
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4:29 - 4:31कि वो लोकल उद्यमियों को प्रशिक्षण देना शुरू करना चाहते थे,
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4:31 - 4:33उन्हें छोटे ऋण दे कर.
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4:33 - 4:36उन्होंने यह सब शुरू किया माइक्रो-डिस्ट्रीब्यूशन केंद्र चला कर.
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4:36 - 4:39जिसमें वही लोकल उद्यमी सेल्समेन रखते हैं,
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4:39 - 4:42जो फिर साइकिल, हाथगाड़ी या ठेला ले कर निकलते हैं
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4:42 - 4:44सामान बेचने के लिए.
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4:44 - 4:46अब अफ्रीका में करीब ३००० ऐसे केंद्र हैं
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4:46 - 4:49जिनमें १५००० लोग काम कर रहे हैं.
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4:50 - 4:52तंज़ानिया और युगांडा में,
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4:52 - 4:54वे ९०% भाग सँभालते हैं
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4:54 - 4:56कोक की बिक्री का.
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4:58 - 5:00अब विकास के क्षेत्र की तरफ देखें.
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5:00 - 5:02ऐसा क्या है जो सरकारें और एनजीओ
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5:02 - 5:04कोक से सीख सकते हैं?
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5:04 - 5:06सरकारें और एनजीओ
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5:06 - 5:09उस स्थानीय (लोकल) प्रतिभा के कोष का अपने काम के लिए उपयोग कर सकती हैं,
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5:09 - 5:11क्योंकि स्थानीय लोग जानते हैं कि कैसे पहुंचना है
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5:11 - 5:14दूर-दराज़ इलाकों में, उनके पड़ोसियों तक,
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5:14 - 5:17वो यह भी जानते हैं कि उन्हें बदलाव लाने के लिए कैसे प्रेरित करना है.
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5:18 - 5:20मैं सोचती हूँ कि इसका एक बढ़िया उदाहरण है
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5:20 - 5:23इथियोपिया का नया स्वास्थ्य विस्तार प्रोग्राम.
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5:23 - 5:25इथियोपिया में सरकार ने देखा
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5:25 - 5:28कि बहुत सारे लोग किसी भी स्वास्थ्य-केंद्र से इतने दूर थे,
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5:28 - 5:31कि उन्हें स्वास्थ्य केंद्र पहुँचने के लिए एक दिन से भी ज्यादा सफ़र करना पड़ता.
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5:31 - 5:34तो अगर आप आपातकालीन अवस्था में हों, या बच्चा पैदा करने के लिए बिलकुल तैयार माँ हों,
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5:34 - 5:37तो भूल जायें, स्वास्थ्य-केंद्र पहुंचना तो मुमकिन ही नहीं.
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5:37 - 5:39सरकार ने तय किया कि यह ठीक नहीं था,
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5:39 - 5:41तो वे भारत गए और वहाँ के केरल प्रदेश का अध्ययन किया
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5:41 - 5:43जहाँ ऐसा ही सिस्टम था,
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5:43 - 5:45और उन्होनें उसे इथियोपिया के हिसाब से अपना लिया.
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5:45 - 5:47और २००३ में इथियोपिया की सरकार ने
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5:47 - 5:50इस नए सिस्टम को अपने देश के लिए शुरू किया.
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5:50 - 5:53उन्होनें ३५००० स्वास्थ्य-विस्तार कर्मचारियों को ट्रेन किया
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5:53 - 5:56ताकि वे देख-रेख सीधे लोगों तक पहुंचा सकें.
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5:56 - 5:58सिर्फ पांच सालों में,
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5:58 - 6:02उनका अनुपात ३०००० लोगों के लिए १ कर्मचारी से बढ़ कर
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6:02 - 6:05२५०० लोगों के लिए १ कर्मचारी हो गया.
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6:07 - 6:09अब ज़रा सोचिये,
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6:09 - 6:12इससे लोगों की ज़िन्दगी कितनी बदल सकती है.
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6:12 - 6:15स्वास्थ्य विस्तार कर्मचारी कितनी चीज़ों में मदद कर सकते हैं,
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6:15 - 6:18चाहे वह परिवार नियोजन हो, या प्रसव से पहले की देखभाल,
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6:18 - 6:20या फिर बच्चों के लिए टीके,
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6:20 - 6:23या किसी औरत को यह बताना कि वह समय से केंद्र पहुँच जाए
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6:23 - 6:25समयपूर्वक प्रसव के लिए.
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6:26 - 6:28यह होता है असली प्रभाव
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6:28 - 6:30इथियोपिया जैसे देश के लिए,
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6:30 - 6:33और इसीलिए आप देख सकते हैं कि उनके शिशु-मृत्यु आंकड़े
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6:33 - 6:35२५% नीचे आ रहे हैं
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6:35 - 6:38२००० से २००८ के बीच में.
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6:38 - 6:41इथियोपिया में कई सौ हज़ार बच्चे जीवित हैं
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6:41 - 6:44इसी स्वास्थ्य विस्तार कर्मचारी प्रोग्राम के कारण.
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6:45 - 6:47तो इथियोपिया के लिए अगला कदम क्या है?
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6:47 - 6:49भई, वो तो अभी से उसके बारे में बात शुरू कर रहे हैं.
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6:49 - 6:52उनकी बातें शुरू हो रही हैं, "हम कैसे पक्का करें कि स्वास्थ्य समुदाय कर्मचारी
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6:52 - 6:54नए विचार खुद उत्पन्न करें?"
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6:54 - 6:56हम उन्हें उस असर के आधार पर कैसे बढ़ावा दें, जो वो दिखा रहे हैं
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6:56 - 6:59उन दूर-दराज़ गांवों में?"
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6:59 - 7:02इसी तरह से आप स्थानीय उद्यमी प्रतिभा का उपयोग कर सकते हैं
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7:02 - 7:05और लोगों की क्षमताओं को बढ़ा सकते हैं.
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7:07 - 7:09कोक की सफलता का तीसरा भाग है
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7:09 - 7:11उनकी मार्केटिंग.
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7:11 - 7:13आखिरकार, कोक की सफलता
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7:13 - 7:15एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण बात पर निर्भर करती है,
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7:15 - 7:17और वह यह है कि लोग चाहते हैं
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7:17 - 7:19एक कोका-कोला.
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7:19 - 7:21अब वह कारण जिससे यह छोटे उद्यमी
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7:21 - 7:23बिक्री कर सकते हैं या मुनाफा कमा सकते हैं,
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7:23 - 7:26यह है कि उन्हें अपनी ठेलागाड़ी या हाथगाड़ी में रखी हर एक बोतल बेचनी होती है.
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7:26 - 7:29तो वे कोका-कोला पर भरोसा करते हैं --
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7:29 - 7:31यानि उसकी मार्केटिंग पर.
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7:31 - 7:34और उसकी मार्केटिंग का रहस्य क्या है?
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7:34 - 7:36अरे,वह आकांक्षापूर्ण है.
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7:36 - 7:38वह उस प्रोडक्ट को जोड़ती है
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7:38 - 7:41उस तरह के जीवन के साथ जो लोग जीना चाहते हैं.
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7:41 - 7:43तो हालांकि यह एक विश्वव्यापी कम्पनी है,
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7:43 - 7:46पर उनका तरीका बहुत स्थानीय है.
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7:46 - 7:48कोक के विश्वव्यापी अभियान का नारा है
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7:48 - 7:50"उन्मुक्त आनंद".
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7:50 - 7:52पर वो इसे स्थानीय बनाते हैं.
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7:52 - 7:54और वो सिर्फ अनुमान नहीं लगाते कि लोग किस बात से खुश होते हैं,
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7:54 - 7:56बल्कि वो लैटिन अमेरिका जैसी जगहों पर जाते हैं,
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7:56 - 7:58और समझते हैं कि वहाँ पर आनंद
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7:58 - 8:00पारिवारिक जीवन से जुड़ा हुआ है.
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8:00 - 8:02और दक्षिणी अफ्रीका में,
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8:02 - 8:04आनंद का ताल्लुक
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8:04 - 8:07(अस्पष्ट) या समुदाय में इज्ज़त से है.
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8:08 - 8:11अब यह तो हमें नज़र आया वर्ल्ड कप के अभियान में.
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8:11 - 8:13चलिए इस गाने को सुनें जो कोक ने उसके लिए रचा,
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8:13 - 8:16"लहराता झंडा" -- एक सोमाली रैप संगीतकार के द्वारा.
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8:17 - 8:20(वीडिओ) के'नान 'ओह ओह ओह ओह ओह ओ-ओह'
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8:20 - 8:24ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह
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8:24 - 8:26ओह ओह ओह ओह ओह ओ-ओह
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8:26 - 8:30ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओ-ओह
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8:30 - 8:33तुम्हें मुक्ति दें, तुम्हें जोश दें,
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8:33 - 8:36तुम्हें ज्ञान दें, ऊंचे ले चलें,
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8:36 - 8:39देखो मैदान में विजेता उतर आये
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8:39 - 8:43तुम अर्थ देते हो, गर्वित करते हो हमें
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8:43 - 8:46गलियों में सर हमारे ऊंचे हो जाते हैं
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8:46 - 8:49भूल जाते हैं हम प्रतिबन्ध
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8:49 - 8:52बस आनंद ही आनंद, चारों ओर हमारे
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8:52 - 8:55हर देश, चारों ओर हमारे
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8:56 - 8:58मेलिंडा फ्रेंच गेट्स: मजेदार है, है न?
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8:58 - 9:00मगर वो यहीं तक नहीं रुके.
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9:00 - 9:02उन्होनें इसे १८ स्थानीय भाषाओँ में रूपांतरित किया.
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9:02 - 9:04और वह लोकप्रिय चार्ट्स का एक नंबर गाना बना
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9:04 - 9:07१७ देशों में.
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9:07 - 9:10यह मुझे अपने बचपन के एक लोकप्रिय गाने की याद दिलाता है,
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9:10 - 9:13"मैं दुनिया को गाना सिखाना चाहूं".
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9:13 - 9:16वो भी लोकप्रिय चार्ट्स का नंबर एक गाना था.
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9:16 - 9:19दोनों गानों में एक समानता है:
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9:19 - 9:21एक जैसा आग्रह
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9:21 - 9:24आनंद और एकता के लिए.
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9:25 - 9:28तो स्वास्थ्य और विकास कैसे अपनी मार्केटिंग करते हैं?
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9:28 - 9:31उनकी मार्केटिंग टाल-मटोल पर आधारित है,
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9:31 - 9:33महत्त्वाकांक्षाओं पर नहीं.
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9:33 - 9:35मुझे विश्वास है कि आपने इनमें से कुछ सन्देश अवश्य सुने होंगे.
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9:35 - 9:38"निरोध इस्तेमाल करिए, एड्स से बचिए."
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9:38 - 9:41"हाथों को धोइए, आपको दस्त नहीं होंगे."
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9:41 - 9:44मुझे ये सब कहीं से भी "लहराता झंडा" जैसे नहीं लगते.
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9:46 - 9:48और मुझे लगता है हम एक बुनियादी गलती करते हैं,
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9:48 - 9:50हम पहले से ही एक धारणा बना लेते हैं,
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9:50 - 9:52हम सोचते हैं कि अगर लोगों को किसी चीज़ की ज़रुरत है,
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9:52 - 9:55तो हमें उनके अन्दर उस चीज़ की कामना नहीं उत्पन्न करनी चाहिए.
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9:55 - 9:57और मुझे लगता है कि यह हमारी भूल है.
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9:57 - 10:00और दुनिया भर में यह संकेत मिल रहे हैं कि इस में बदलाव आ रहा है.
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10:00 - 10:03एक उदाहरण है सफाई-व्यवस्था.
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10:03 - 10:05हमें पता है कि करीब १५ लाख बच्चे
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10:05 - 10:07हर साल दस्त के रोग से मरते हैं,
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10:07 - 10:10और इस का मुख्य कारण है खुले स्थान में शौच करना.
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10:10 - 10:13और इसका समाधान है: शौचालय बनाना.
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10:13 - 10:16पर हमें सारी दुनिया में पता चल रहा है, बार बार,
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10:16 - 10:19कि अगर आप सिर्फ शौचालय बना कर छोड़ देते हैं,
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10:19 - 10:21तो उसका प्रयोग नहीं होता.
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10:21 - 10:23लोग अपने घर में उसके पत्थर का उपयोग कर लेते हैं.
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10:23 - 10:25कभी वो उसका अनाज भरने के लिए उपयोग करते हैं.
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10:25 - 10:27मैंने उसका मुर्गियों के दड़बे के लिए उपयोग होते भी देखा है.
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10:27 - 10:29(हंसी)
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10:29 - 10:31तो मार्केटिंग ऐसा क्या कर सकती है,
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10:31 - 10:34जिससे सफाई के समाधान दस्त के रोग में अपना प्रभाव दिखा सकें?
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10:34 - 10:36एक तो, आप समुदायों के साथ काम कर सकते हैं.
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10:36 - 10:38आप लोगों को समझा सकते हैं कि खुले मैं शौच करना
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10:38 - 10:40एक ऐसी चीज़ है जो गाँव में नहीं होनी चाहिए,
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10:40 - 10:42और वो सहमत होते हैं.
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10:42 - 10:45और फिर आप शौचालय को ले कर दिखा सकते हैं
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10:45 - 10:48कि वो एक आधुनिक, नयी सहूलियत की चीज़ है.
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10:48 - 10:50उत्तर भारत के एक प्रदेश में तो उन्होनें यहाँ तक किया है
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10:50 - 10:53कि शौचालयों को शादी के लिए ज़रूरी बना दिया है.
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10:53 - 10:56और इसका असर होता है. इन सुर्ख़ियों को देखिये.
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10:56 - 11:00(हंसी)
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11:00 - 11:02मैं मजाक नहीं कर रही हूँ.
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11:02 - 11:04लड़कियाँ अब बिना शौचालय वाले आदमियों से शादी करने से इंकार कर रही हैं.
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11:04 - 11:07शौचालय नहीं, तो शादी नहीं.
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11:07 - 11:09(हंसी)
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11:09 - 11:12अब यह सिर्फ मजाकिया सुर्खी नहीं है.
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11:12 - 11:15यह नया है, मौलिक है. यह एक प्रगतिशील मार्केटिंग अभियान है.
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11:15 - 11:17पर सबसे बढ़ कर,
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11:17 - 11:19यह जीवन बचाता है.
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11:20 - 11:22जरा इसे देखिये.
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11:22 - 11:24यह कमरा कई युवा पुरुषों से भरा हुआ है,
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11:24 - 11:26जिन के साथ हैं मेरे पति, बिल.
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11:26 - 11:29और क्या आप अंदाज़ लगा सकते हैं कि ये युवक किसलिए इकट्ठे हुए हैं?
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11:30 - 11:33ये सब खतने के इंतज़ार में रुके हैं.
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11:33 - 11:35क्या आप विश्वास कर सकते हैं?
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11:35 - 11:38हम जानते हैं कि खतने से एच आई वी संक्रमण
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11:38 - 11:40आदमियों में करीब ६०% कम हो जाता है.
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11:40 - 11:43और जब हमने फाउंडेशन में पहली बार इस परिणाम को सुना,
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11:43 - 11:45तो मुझे स्वीकार करना पड़ेगा, बिल और मैं अपने सर खुजा रहे थे,
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11:45 - 11:48और कह रहे थे, "पर कौन इस तरीके के लिए अपनी मर्ज़ी से आगे आएगा?"
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11:48 - 11:50पर आदमी आगे आये,
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11:50 - 11:52क्योंकि वो अपनी औरतों से सुनते हैं
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11:52 - 11:54कि उन्हें यह चाहिए,
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11:54 - 11:57और आदमियों को यह भी भरोसा है कि इससे उनकी यौन-क्षमता बेहतर होगी.
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11:58 - 12:01तो अगर हम यह समझना शुरू करें
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12:01 - 12:03कि लोग वाकई में क्या चाहते हैं
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12:03 - 12:05स्वास्थ्य और विकास में,
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12:05 - 12:07तो हम समुदायों को बदल सकते हैं
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12:07 - 12:10और हम समूचे देशों को बदल सकते हैं.
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12:11 - 12:14तो यह सब इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है?
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12:14 - 12:17चलिए उस समय की बात करें जब यह सब होने लगेगा,
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12:17 - 12:19जब यह तीनों चीज़ें एक साथ जुड़ जायेंगी.
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12:19 - 12:22और मेरे ख़याल से पोलियो इसका सबसे प्रभावशाली उदाहरण है.
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12:23 - 12:27हमने २० सालों में पोलियो में ९९% कमी देखी है.
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12:27 - 12:29तो अगर आप १९८८ की ओर नज़र डालें,
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12:29 - 12:32तो पोलिओ के करीब ३,५०,००० उदाहरण
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12:32 - 12:34उस साल विश्व में थे.
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12:34 - 12:37२००९ में, केवल १६०० ऐसे उदाहरण हैं.
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12:37 - 12:40तो ऐसा कैसे संभव हुआ?
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12:40 - 12:42चलिए भारत जैसे देश को देखें.
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12:42 - 12:45इस देश में १ अरब से अधिक लोग हैं,
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12:45 - 12:48पर केवल ३५.००० स्थानीय डॉकटर हैं
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12:48 - 12:50जो लकवे की रिपोर्ट करते हैं,
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12:50 - 12:53और चिकित्सक, औषध विक्रेताओं का एक बड़ा रिपोर्टिंग-सिस्टम.
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12:53 - 12:56उनके पास २५ लाख टीका लगाने वाले हैं.
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12:57 - 12:59पर मैं इस कहानी को आपके लिए और साकार बनाती हूँ.
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12:59 - 13:01मैं आपको श्रीराम की कहानी सुनाती हूँ,
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13:01 - 13:03जो एक १८ महीने का लड़का है,
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13:03 - 13:05भारत के एक उत्तरी भाग, बिहार से.
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13:05 - 13:08इस साल, ८ अगस्त को, उसे लकवा मार गया,
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13:08 - 13:11और १३ तारीख को उसके माँ-बाप उसे डॉक्टर के पास ले गए.
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13:12 - 13:14अगस्त १४ और १५ को उसके मल की जांच हुई,
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13:14 - 13:16और २५ अगस्त तक,
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13:16 - 13:19यह साबित हो चुका था कि उसे टाइप १ पोलिओ है.
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13:19 - 13:22३० अगस्त तक, एक आनुवंशिक टेस्ट किया गया,
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13:22 - 13:25जिससे हमें पता चला कि श्रीराम के पोलिओ की नस्ल क्या है.
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13:25 - 13:27अब यह नस्ल दो में से एक जगह से आ सकती थी.
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13:27 - 13:30यह थोड़े उत्तर में, सीमा के पार, नेपाल से आ सकती थी,
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13:30 - 13:33या फिर कुछ दक्षिण में, झारखंड से भी आ सकती थी.
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13:33 - 13:36भाग्य से, आनुवंशिक टेस्ट ने साबित किया
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13:36 - 13:38कि असल में यह नस्ल उत्तर से ही आई थी,
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13:38 - 13:40क्योंकि अगर यह दक्षिण से आती,
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13:40 - 13:42तो इसके प्रसार का असर कहीं अधिक होता.
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13:42 - 13:44कहीं ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ जाते.
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13:44 - 13:46तो निष्कर्ष क्या है?
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13:46 - 13:49आखिर ४ सितम्बर को, एक बड़ा सफ़ाया-अभियान हुआ,
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13:49 - 13:51जो पोलिओ में अक्सर किया जाता है.
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13:51 - 13:53वो सब गए, और जहाँ श्रीराम रहता है,
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13:53 - 13:55वहाँ २० लाख लोगों को टीका लगाया.
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13:55 - 13:57तो एक महीने से कम समय में,
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13:57 - 13:59तो लकवे के एक मामले से हम पहुँच गए
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13:59 - 14:02एक उद्देश्यपूर्ण टीका-अभियान तक.
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14:02 - 14:05और मुझे यह बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि उस इलाके में सिर्फ एक और व्यक्ति को पोलिओ हुआ.
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14:05 - 14:07इसी तरह से आप रोक सकते हैं
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14:07 - 14:09एक बड़े प्रकोप को फैलने से,
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14:09 - 14:11और इससे पता चलता है कि क्या हो सकता है
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14:11 - 14:14जब स्थानीय लोगों के हाथ में आंकड़े आते हैं;
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14:14 - 14:17वो जानें बचा सकते हैं.
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14:17 - 14:20तो पोलियो की सबसे बड़ी चुनौती अभी भी है -- मार्केटिंग,
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14:20 - 14:22पर वो नहीं जो आप शायद सोच रहे होंगे.
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14:22 - 14:24यह रोज़मर्रा की मार्केटिंग नहीं है.
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14:24 - 14:26यह माँ-बाप को बताने वाली मार्केटिंग नहीं है --
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14:26 - 14:28"अगर लकवा देखें, तो अपने बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाइए
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14:28 - 14:30या फिर उसे टीका लगवाइये."
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14:30 - 14:33हमारी मार्केटिंग की समस्या है पैसा देने वाले समुदाय के साथ.
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14:33 - 14:35जी ८ देश पोलिओ के लिए हमेशा बहुत ही उदार रहे हैं
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14:35 - 14:37पिछले २० सालों से,
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14:37 - 14:40पर अब हमें पोलियो-से-थकान जैसी कुछ चीज़ महसूस हो रही है,
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14:40 - 14:42और वो यह कि पैसा देने वाले देश
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14:42 - 14:44अब पोलियो पर और पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं हैं.
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14:44 - 14:47इसलिए अगली गर्मियों तक, हमारे पास पोलियो के लिए पैसा नहीं रहेगा.
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14:47 - 14:50तो अब हम ९९%
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14:50 - 14:52इस लक्ष्य की ओर पहुँच चुके हैं,
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14:52 - 14:55और जल्द ही हमारे पैसे कम पड़ने वाले हैं.
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14:55 - 14:58और मैं सोचती हूँ कि अगर मार्केटिंग महत्त्वाकांक्षा पर आधारित हो,
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14:58 - 15:00अगर हम एक समुदाय के तौर पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकें
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15:00 - 15:02इस बात पर कि हम कितने आगे आ गए हैं
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15:02 - 15:04और कितना अभूतपूर्व होगा
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15:04 - 15:06इस बीमारी को जड़ से मिटा देना,
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15:06 - 15:08तभी हम पोलियो-से-थकान को
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15:08 - 15:10और पोलियो को अपने पीछे छोड़ सकेंगे.
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15:10 - 15:12और अगर हम यह कर पाए,
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15:12 - 15:14तो हम दुनिया भर में हरेक को टीका लगाना बंद कर देंगे,
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15:14 - 15:17सारे देशों में, पोलियो के लिए.
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15:17 - 15:19और यह बस वो दूसरी बीमारी बन जाएगा
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15:19 - 15:22जिसे इस ग्रह से पूर्णतयः नष्ट कर दिया गया.
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15:22 - 15:24और हम इसके इतने करीब हैं.
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15:24 - 15:27और यह जीत इतनी मुमकिन है.
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15:28 - 15:31तो अगर कोक के मार्केटिंग वाले मेरे पास आते
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15:31 - 15:34और मुझसे ख़ुशी की परिभाषा पूछते,
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15:35 - 15:37तो मैं कहती कि मेरे लिए ख़ुशी की झलक है
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15:37 - 15:40वो माँ जो एक स्वस्थ बच्चे को लिए है
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15:40 - 15:42अपनी गोद में.
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15:42 - 15:45मेरे लिए, यही गहरी खुशी है.
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15:47 - 15:50तो अगर हम हर क्षेत्र के पथ-प्रदर्शकों से कुछ सबक सीखना चाहते हैं,
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15:50 - 15:53तो उस आने वाले कल में, जो हम मिल कर बना रहे हैं,
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15:53 - 15:55वह ख़ुशी
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15:55 - 15:57उतनी ही सर्वव्यापी हो सकती है
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15:57 - 15:59जितना कोका-कोला.
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15:59 - 16:01धन्यवाद.
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16:01 - 16:07(तालियाँ)
- Title:
- मेलिंडा फ्रेंच गेट्स: गैर-लाभ संस्थाएं कोका-कोला से क्या सीख सकती हैं
- Speaker:
- Melinda Gates
- Description:
-
टेड X चेंज (परिवर्तन) में बोलते हुए, मेलिंडा गेट्स गैर-लाभ संस्थाओं के लिए एक चुनौती भरा प्रश्न उठाती हैं कि वे कोका-कोला जैसी कंपनियों से क्या सीख सकती हैं, जिनके विक्रेताओं और वितरकों का विस्तृत, विश्व-व्यापी नेटवर्क पक्का कर देता है कि हर दूर का गाँव चाहता है -- और पा सकता है -- एक कोक. तो यही सब निरोध, सफाई व्यवस्था, और टीकों के लिए क्यों नहीं का
- Video Language:
- English
- Team:
closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 16:08