क्या फ़ोटोग्राफ़ी आपसे लम्हे का अनुभव छीन लेती है?
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0:02 - 0:05कौन सी सबसे सुन्दर जगह
है जहां आप गए हैं? -
0:06 - 0:09और जब आप वहां थे,
क्या आपने तस्वीर ली थी? -
0:09 - 0:12ये जगह मेरी सूचि में सबके ऊपर है।
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0:12 - 0:15ये है कैन्यनलैंड्स राष्ट्रीय
उद्यान का मेसा आर्च -
0:15 - 0:16सूर्योदय के समय।
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0:16 - 0:19ये प्यूब्लो, यूट, पाइयूट
और नैवहो लोगों की -
0:19 - 0:21पारम्परिक मातृभूमि है,
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0:21 - 0:23और जब आप वहां होते हैं,
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0:23 - 0:24बिलकुल तेजस्वी लगता है।
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0:24 - 0:28सूर्योदय आर्च के निचले
भाग को नारंगी रंग देता, -
0:28 - 0:32और उसके पीछे आप ब्यूट्स,
बदल और चट्टानें देख सकते हैं। -
0:32 - 0:34पर जो आप इस तस्वीर में
नहीं देख पाएंगे, -
0:34 - 0:38वो है मेरे पीछे खड़े ३०
तस्वीर खींचते लोग। -
0:38 - 0:41और ये तो सिर्फ समर्पित,
सूर्योदय वाली जनता है ना? -
0:41 - 0:42अगर आप उसके बारे में सोचें,
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0:43 - 0:48मेसा आर्च की कईं सौ या हज़ार
तसवीरें हर सप्ताह ली जाती होंगी। -
0:48 - 0:51मै अपनी फ़ोटोग्राफ़ी इंस्टाग्राम
पे कई सालों से बात रही हूँ, -
0:51 - 0:56यह बहुत दिलचस्प और
हास्यमयी बनने लगा जब -
0:56 - 0:59मैं उन्ही जगाओं की
वैसी ही कईं सारी तसवीरें -
0:59 - 1:01ऑनलाइन देखने लगी।
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1:01 - 1:03और मै उसका हिस्सा थी।
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1:04 - 1:05इससे मैने सोचा:
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1:05 - 1:08हम तसवीरें खींचते ही क्यों है?
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1:08 - 1:11कभी कभी, मै मशहूर स्थल देखती हूँ--
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1:11 - 1:14ये एरिज़ोना का होर्सशू बेंड है --
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1:14 - 1:17और मैं सब ही लोगों को
अपने कैमरों और फ़ोनों से -
1:17 - 1:18तस्वीर खींचते देखकर
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1:18 - 1:21बस वापस मुड़कर गाड़ी या
त्रैलहैड की ओर चल देती हूँ। -
1:21 - 1:25और कुछ क्षणों में ऐसा
लगता है कि हम -
1:25 - 1:30स्थलों को स्वयं की आँखों
से देखने और अनुभव करने की -
1:30 - 1:32वजह नहीं समझते।
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1:33 - 1:34जब मै तस्वीर खींचती हूँ,
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1:34 - 1:37मुझे सक्षम चीज़ें दिखती हैं:
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1:37 - 1:40पहाड़ों में रौशनी की परतें
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1:40 - 1:42जब दिन के ढलने में उजाला
कम होता है; -
1:42 - 1:45वो आकृतियां जो कुदरत
विशेषकर बनती है, -
1:45 - 1:48उलझी हुईं फिर भी उत्तम।
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1:49 - 1:53मै इस गृह की बारीकियों
और उनके प्रति मेरे भावों पे -
1:53 - 1:54अधिक चर्चा कर सकती हूँ।
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1:56 - 1:59इस दुनिया की सुंदरता और
असरलताओं की तस्वीर लेना -
1:59 - 2:02मेरे लिए एक चहिते व्यक्ति का
चित्र बनाने समान होगा। -
2:02 - 2:04और तस्वीर खींचते हुए,
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2:04 - 2:06मुझे ध्यान रखना पड़ता है
कि तस्वीर क्या बोलती है। -
2:07 - 2:10मुझे खुद से पूछना पड़ता है
तस्वीर का भाव कैसा होगा। -
2:10 - 2:12तस्वीर द्वारा वार्तालाभ करते हुए,
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2:12 - 2:14हर रचनात्मक विकल्प ज़रूरी है।
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2:14 - 2:16कभी मै तस्वीरों को
बाटने की सोचती हूँ, -
2:16 - 2:18कभी मै उन्हें स्वयं के
लिए खींचती हूँ। -
2:18 - 2:21मै अभी बाह्यों के भविष्य
पे एक वीडियो सीरीज की -
2:21 - 2:24होस्ट हूँ, जिसके एक एपिसोड में हम
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2:24 - 2:28फ़ोटोग्राफ़ी और बाह्य जगहों
के बीच सम्बन्ध को जांचते हैं। -
2:28 - 2:30क्रिस्टीन दीहल और उनकी
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2:30 - 2:32यु.ऐस.सी की साथियों के
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2:32 - 2:35अनुसन्धान में उन्होंने फ़ोटोग्राफ़ी
का आनंद पे प्रभाव समझा। -
2:35 - 2:37उन्होंने खोजा कि जब हम
कैमरे के पीछे -
2:37 - 2:39तस्वीर ले रहे होते हैं,
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2:39 - 2:42हमें अनुभवों में अधिक
आनंद आता है, कम नहीं। -
2:42 - 2:43पर ये हर समय सच नहीं था।
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2:43 - 2:47अगर व्यक्ति ने तस्वीर बाटने
के उद्देश्य से ली थी, आनंद -
2:47 - 2:49में कोई बढ़ाव नहीं था,
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2:49 - 2:51क्योंकि वे खुद के लिए
नहीं कर रहे था। -
2:51 - 2:53ये एक ज़रूरी भेद
की ओर संकेत करता है: -
2:54 - 2:56फ़ोटोग्राफ़ी आपके अनुभवों को
सुधरता है -
2:56 - 2:58यदि जान बुझ के की जाए।
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2:58 - 3:00इरादा बहुत मायने रखता है।
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3:01 - 3:04बतौर फ़ोटोग्राफर, मुझे अपने इरादों
पे कई बार ध्यान देना पड़ा है। -
3:04 - 3:06कब मुझे कैमेरा निकलना चाहिए,
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3:06 - 3:09और कब मुझे बस रख देना चाहिए?
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3:09 - 3:13अलास्का की एक यात्रा मे मुझे अलास्की भूरे
भालुओं की तस्वीरें खींचने का मौका मिला। -
3:13 - 3:16मै एक नाव में चार और
फोटोग्राफरों के -
3:16 - 3:18साथ थी, और इन जानवरों
को इतने करीब से -
3:18 - 3:19देखकर एक ही साथ
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3:19 - 3:22हम सबके होश उड़ गए।
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3:22 - 3:24ये एक भावात्मक अनुभव था।
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3:24 - 3:28भालुओं के साथ आंख मिलाके
लगाव का ऐसा भाव महसूस किया -
3:28 - 3:29जिसके लिए शब्द कम हैं,
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3:29 - 3:33और कैमरे का साथ होना
सोने पे सुहागा था। -
3:34 - 3:37हम सब आज़ादी से तसवीरें खींच रहे थे,
पर हम प्रकृति और एक दुसरे -
3:37 - 3:39के साथ लम्हे में थे।
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3:39 - 3:41मुझे विस्तार से याद है
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3:41 - 3:44पानी की बूंदों की, भालुओं
के पानी में तेहेरने की, और माओं के -
3:44 - 3:47पीछे प्यारे बच्चों की तसवीरें खींचना।
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3:48 - 3:50उस समूह और मेरा यह
इकठ्ठा अनुभव रहेगा -
3:51 - 3:52और इन तस्वीरों
को समय-समय से -
3:52 - 3:54देखा जायेगा,
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3:54 - 3:57और फ़ोटोग्राफ़ी ने हमें ऐसा
करने की अनुमति दी। -
3:59 - 4:01कुछ समय, मै अपना
कैमरा पीछे छोड़ने लगी, -
4:01 - 4:05और मुझे लगता है यह निर्णय
दोनों मेरे काम और अनुभव -
4:05 - 4:06को सुधरता है।
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4:07 - 4:10मै हाल ही में टौंगा के
दक्षिण पसिफ़िक टापू हंपबैक -
4:10 - 4:11व्हेलों के साथ
तेहेर्ने गयी थी। -
4:12 - 4:14मैने खुद पे एक दबाव पर
ध्यान दिया -
4:14 - 4:17कि मेरा कैमरा ले जाने का
कोई दाइत्व है, -
4:17 - 4:20जब कभी कभी मुझे सिर्फ
अनुभव चाहिए था। -
4:20 - 4:23और अनुभव वास्तव में बढ़िया है।
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4:23 - 4:25आप पानी में एक जिज्ञासु,
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4:25 - 4:27स्टेशन वैगन की माप के शिशु जानवर
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4:28 - 4:31के साथ लहक-से
कणों से घिरे हुए हों, और माँ व्हेल -
4:31 - 4:34इनायत से आपके नीचे तेहेर रहीं हों।
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4:34 - 4:37कुछ क्षण थे, ज़ाहिर है,
जब मई अपना कैमरा साथ लेकर, -
4:37 - 4:40बेहतरीन तसवीरें ले रही थी।
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4:40 - 4:42पर व्यवस्था काफी बड़ी है,
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4:42 - 4:45इस बड़े डब्बे की तरह।
ये ऐसा लगता है। -
4:45 - 4:47ये मेरे और व्हेलों के बीच में हैं
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4:47 - 4:50और कुछ समय ये आपके और
वास्तविकता के बीच एक बाधा लगती है। -
4:50 - 4:53क्या सिर्फ आपके फ़ोन होने से अंतर है?
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4:53 - 4:56पिछले साल मै मध्य ऑस्ट्रेलिया
के उलुरु गयी थी, -
4:56 - 4:59एक महान पत्थर जो
रेगिस्तान के ऊपर उभरता है। -
5:00 - 5:03ये आनंयु के लिए धार्मिक भूमि है,
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5:03 - 5:05जो यहां के मूल निवासी
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5:05 - 5:07और भूमि के पारम्परिक मालिक हैं।
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5:07 - 5:12उलुरु की कुछ जगहें ऐसी है
जिनकी आप पेशेवर तस्वीर नहीं खींच सकते, -
5:12 - 5:14क्योंकि वे संवेदनशील हैं
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5:15 - 5:17और सांस्कृतिक रूप से धार्मिक लेखन समान है,
आनंयु के लिए। -
5:17 - 5:22इस वजह से, मेरी ज्यादातर तसवीरें
दूर की हैं, जैसे की ये, -
5:22 - 5:25या उद्यान के विशेष कोनों की हैं।
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5:25 - 5:29आप कह सकते हैं कि उलुरु
के सबसे दिलचस्प और सुन्दर द्रिश्य -
5:30 - 5:32इन संवेदनशील जगहों में हैं,
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5:32 - 5:38पर उनकी तस्वीर ना खींचने की विनती
सीधी है और लोगों को उस भूमि, -
5:38 - 5:42उसका महत्व और लोगों के बारे में
सीखने का सीधा निमंत्रण है। -
5:42 - 5:44क्या यही नहीं हमे वैसे भी करना चाहिए?
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5:44 - 5:47उलुरु की यात्रा बहुत जल्द
अब मेरे बारे में नहीं -
5:47 - 5:50बल्कि लोगों से सम्बन्ध बनाने के
बारे में थी। -
5:51 - 5:52विडम्बना और अनाश्चर्यजनकता से,
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5:52 - 5:55मैने समझा है कि उपस्थिति और सम्बन्ध
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5:55 - 5:58सम्मोहक तस्वीरों का एहम हिस्सा है।
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5:58 - 6:01हम सब सोशल मीडिया को अपनी यात्राओं
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6:01 - 6:05और ज़िन्दगियों की तस्वीरें बाटने
की एक उचित जगह मानते हैं। -
6:05 - 6:08हम सिर्फ दुनिया के देखे हुए टुकड़ों
को ही नहीं बल्कि -
6:08 - 6:11दिन-प्रतिदिन होने वाले अनुभवों को भी
बांटते हैं। -
6:11 - 6:15और अगर हम तसवीरें खींचते हुए
कारण ढूंढते हैं, -
6:15 - 6:18उम्मीद है उन्हें बाटने में भी
हम कारण ढूंढे। -
6:18 - 6:23लोगों को अपनी कहानी और द्रिष्टिकोण
के टुकड़े दिखाने की अनुमति देने से -
6:23 - 6:26सूनेपन का एहसास नहीं होता।
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6:26 - 6:28इसने मुझे दूसरों के लिए यही करने का
समर्थन -
6:28 - 6:30और साझे के भाव दिया है।
-
6:31 - 6:32मै स्पष्ट करती हूँ:
-
6:32 - 6:36मै आपको तसवीरें खींचने को
हतोत्साहित नहीं कर रही। -
6:37 - 6:40चाहें हज़ारों लोग
उस एक सी जगह पर -
6:40 - 6:43एक सी तसवीरें खीचें,
-
6:43 - 6:45मै आपको तसवीरें खीचने को
प्रोत्साहित करती हूँ। -
6:45 - 6:47दुनिया को हर एक की आवाज़ और द्रिष्टिकोण
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6:47 - 6:49की ज़रूरत है, आपकी भी।
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6:50 - 6:53पर मै समझाना चाहती हूँ
की फ़ोन और कैमरे की -
6:53 - 6:55हरदम आवश्यकता नहीं होती।
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6:55 - 6:57मै प्रोत्साहित कर रही हूँ कि
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6:57 - 7:00आप उन्हें एक पल के लिए हटाएँ --
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7:00 - 7:01पल को जीने के लिए।
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7:02 - 7:03मेसा आर्च वापस चलते हैं,
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7:03 - 7:06जहां पत्थर नारंगी चमकता है
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7:06 - 7:09और पार्श्व में नील की खूबसूरत परतें हैं।
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7:10 - 7:13क्या पता अगली बार आप
किसी अद्भुत जगह में हों, -
7:13 - 7:15और आप अपने कैमरे या फ़ोन को ना ले पाएं?
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7:16 - 7:18क्या अगर तसवीरें खींचने की अनुमति ना हो?
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7:19 - 7:21क्या वे सीमाबंध लगेगा?
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7:22 - 7:24या एक आराम?
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7:25 - 7:26हम क्या कर सकते हैं?
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7:26 - 7:30जब आपको अगली बार फ़ोन या कैमरा निकलने
की तलाभ मचे, -
7:30 - 7:33या, जैसे मेरे साथ, एहसास हो कि आपने निकल
लिया हो -- -
7:33 - 7:34(हसीं)
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7:34 - 7:36पहले: रुकिए।
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7:37 - 7:38ठहरिये।
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7:38 - 7:39गहरी सांस लीजिये।
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7:40 - 7:42आस पास देखिये। आप क्या देख रहे हैं?
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7:44 - 7:47क्या आप किसी और के साथ लम्हे को
जी रहे हैं? -
7:47 - 7:50याद रखिये की ये लम्हा दोबारा नहीं आता।
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7:50 - 7:53फ़ोटोग्राफी एक सुन्दर लम्हे का भाग
हो सकता है। -
7:53 - 7:57उसको अपने और वास्तविकता के बीच
की बाधा ना बनने दें। -
7:57 - 7:58समझदारी से खीचें,
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7:58 - 8:02और एक खूबसूरत, बेबादल लम्हे को ना खोएं,
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8:02 - 8:04क्योंकि आप तस्वीर लेने में बहुत
व्यस्त थे। -
8:05 - 8:06धन्यवाद।
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8:06 - 8:09(तालियां)
- Title:
- क्या फ़ोटोग्राफ़ी आपसे लम्हे का अनुभव छीन लेती है?
- Speaker:
- ऐरिन सुल्लिवन
- Description:
-
जब हम कुछ अद्भुत देखते हैं, हमें फ़ोन निकालकर तस्वीर लेने की तलाभ मचती है। क्या हमारे फोटोग्राफी की इस लत का प्रभाव हमारे अनुभवों पे पढ़ रहा है? एक ध्येय भाषण में ऐरिन सुल्लिवन
विचरती हैं, कैसे वे अपने लैन्स का समझदारी से उपयोग करके एक लम्हे का अधिक आनंद ले पाती हैं -- और आपको ऐसा करने में मदद करतीं हैं। - Video Language:
- English
- Team:
closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 08:23
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