1 00:00:01,666 --> 00:00:05,181 कौन सी सबसे सुन्दर जगह है जहां आप गए हैं? 2 00:00:05,778 --> 00:00:08,624 और जब आप वहां थे, क्या आपने तस्वीर ली थी? 3 00:00:09,359 --> 00:00:11,761 ये जगह मेरी सूचि में सबके ऊपर है। 4 00:00:11,785 --> 00:00:15,252 ये है कैन्यनलैंड्स राष्ट्रीय उद्यान का मेसा आर्च 5 00:00:15,276 --> 00:00:16,431 सूर्योदय के समय। 6 00:00:16,455 --> 00:00:19,090 ये प्यूब्लो, यूट, पाइयूट और नैवहो लोगों की 7 00:00:19,114 --> 00:00:21,005 पारम्परिक मातृभूमि है, 8 00:00:21,029 --> 00:00:22,643 और जब आप वहां होते हैं, 9 00:00:22,667 --> 00:00:24,452 बिलकुल तेजस्वी लगता है। 10 00:00:24,476 --> 00:00:27,573 सूर्योदय आर्च के निचले भाग को नारंगी रंग देता, 11 00:00:27,597 --> 00:00:31,798 और उसके पीछे आप ब्यूट्स, बदल और चट्टानें देख सकते हैं। 12 00:00:31,822 --> 00:00:34,009 पर जो आप इस तस्वीर में नहीं देख पाएंगे, 13 00:00:34,033 --> 00:00:37,587 वो है मेरे पीछे खड़े ३० तस्वीर खींचते लोग। 14 00:00:37,611 --> 00:00:40,842 और ये तो सिर्फ समर्पित, सूर्योदय वाली जनता है ना? 15 00:00:40,866 --> 00:00:42,477 अगर आप उसके बारे में सोचें, 16 00:00:42,501 --> 00:00:47,852 मेसा आर्च की कईं सौ या हज़ार तसवीरें हर सप्ताह ली जाती होंगी। 17 00:00:47,876 --> 00:00:51,138 मै अपनी फ़ोटोग्राफ़ी इंस्टाग्राम पे कई सालों से बात रही हूँ, 18 00:00:51,162 --> 00:00:55,745 यह बहुत दिलचस्प और हास्यमयी बनने लगा जब 19 00:00:55,769 --> 00:00:59,347 मैं उन्ही जगाओं की वैसी ही कईं सारी तसवीरें 20 00:00:59,371 --> 00:01:01,101 ऑनलाइन देखने लगी। 21 00:01:01,125 --> 00:01:02,872 और मै उसका हिस्सा थी। 22 00:01:03,784 --> 00:01:05,090 इससे मैने सोचा: 23 00:01:05,114 --> 00:01:08,215 हम तसवीरें खींचते ही क्यों है? 24 00:01:08,239 --> 00:01:11,021 कभी कभी, मै मशहूर स्थल देखती हूँ-- 25 00:01:11,045 --> 00:01:14,088 ये एरिज़ोना का होर्सशू बेंड है -- 26 00:01:14,112 --> 00:01:16,862 और मैं सब ही लोगों को अपने कैमरों और फ़ोनों से 27 00:01:16,886 --> 00:01:18,054 तस्वीर खींचते देखकर 28 00:01:18,078 --> 00:01:21,335 बस वापस मुड़कर गाड़ी या त्रैलहैड की ओर चल देती हूँ। 29 00:01:21,359 --> 00:01:25,187 और कुछ क्षणों में ऐसा लगता है कि हम 30 00:01:25,211 --> 00:01:29,582 स्थलों को स्वयं की आँखों से देखने और अनुभव करने की 31 00:01:29,606 --> 00:01:32,194 वजह नहीं समझते। 32 00:01:32,858 --> 00:01:34,361 जब मै तस्वीर खींचती हूँ, 33 00:01:34,385 --> 00:01:36,987 मुझे सक्षम चीज़ें दिखती हैं: 34 00:01:37,011 --> 00:01:39,719 पहाड़ों में रौशनी की परतें 35 00:01:39,743 --> 00:01:42,193 जब दिन के ढलने में उजाला कम होता है; 36 00:01:42,217 --> 00:01:45,471 वो आकृतियां जो कुदरत विशेषकर बनती है, 37 00:01:45,495 --> 00:01:48,141 उलझी हुईं फिर भी उत्तम। 38 00:01:48,978 --> 00:01:52,588 मै इस गृह की बारीकियों और उनके प्रति मेरे भावों पे 39 00:01:52,612 --> 00:01:54,462 अधिक चर्चा कर सकती हूँ। 40 00:01:55,544 --> 00:01:58,722 इस दुनिया की सुंदरता और असरलताओं की तस्वीर लेना 41 00:01:58,746 --> 00:02:01,544 मेरे लिए एक चहिते व्यक्ति का चित्र बनाने समान होगा। 42 00:02:02,164 --> 00:02:03,574 और तस्वीर खींचते हुए, 43 00:02:03,598 --> 00:02:06,321 मुझे ध्यान रखना पड़ता है कि तस्वीर क्या बोलती है। 44 00:02:06,888 --> 00:02:09,903 मुझे खुद से पूछना पड़ता है तस्वीर का भाव कैसा होगा। 45 00:02:09,927 --> 00:02:12,033 तस्वीर द्वारा वार्तालाभ करते हुए, 46 00:02:12,057 --> 00:02:13,872 हर रचनात्मक विकल्प ज़रूरी है। 47 00:02:13,896 --> 00:02:15,893 कभी मै तस्वीरों को बाटने की सोचती हूँ, 48 00:02:15,917 --> 00:02:18,022 कभी मै उन्हें स्वयं के लिए खींचती हूँ। 49 00:02:18,480 --> 00:02:21,421 मै अभी बाह्यों के भविष्य पे एक वीडियो सीरीज की 50 00:02:21,445 --> 00:02:24,287 होस्ट हूँ, जिसके एक एपिसोड में हम 51 00:02:24,311 --> 00:02:27,864 फ़ोटोग्राफ़ी और बाह्य जगहों के बीच सम्बन्ध को जांचते हैं। 52 00:02:27,888 --> 00:02:30,019 क्रिस्टीन दीहल और उनकी 53 00:02:30,043 --> 00:02:31,529 यु.ऐस.सी की साथियों के 54 00:02:31,553 --> 00:02:34,701 अनुसन्धान में उन्होंने फ़ोटोग्राफ़ी का आनंद पे प्रभाव समझा। 55 00:02:34,725 --> 00:02:37,135 उन्होंने खोजा कि जब हम कैमरे के पीछे 56 00:02:37,159 --> 00:02:39,055 तस्वीर ले रहे होते हैं, 57 00:02:39,079 --> 00:02:41,656 हमें अनुभवों में अधिक आनंद आता है, कम नहीं। 58 00:02:41,680 --> 00:02:43,224 पर ये हर समय सच नहीं था। 59 00:02:43,248 --> 00:02:47,059 अगर व्यक्ति ने तस्वीर बाटने के उद्देश्य से ली थी, आनंद 60 00:02:47,083 --> 00:02:48,784 में कोई बढ़ाव नहीं था, 61 00:02:48,808 --> 00:02:51,038 क्योंकि वे खुद के लिए नहीं कर रहे था। 62 00:02:51,062 --> 00:02:53,480 ये एक ज़रूरी भेद की ओर संकेत करता है: 63 00:02:53,504 --> 00:02:55,913 फ़ोटोग्राफ़ी आपके अनुभवों को सुधरता है 64 00:02:55,937 --> 00:02:57,745 यदि जान बुझ के की जाए। 65 00:02:57,769 --> 00:03:00,242 इरादा बहुत मायने रखता है। 66 00:03:00,691 --> 00:03:03,806 बतौर फ़ोटोग्राफर, मुझे अपने इरादों पे कई बार ध्यान देना पड़ा है। 67 00:03:03,830 --> 00:03:06,371 कब मुझे कैमेरा निकलना चाहिए, 68 00:03:06,395 --> 00:03:08,639 और कब मुझे बस रख देना चाहिए? 69 00:03:08,663 --> 00:03:13,298 अलास्का की एक यात्रा मे मुझे अलास्की भूरे भालुओं की तस्वीरें खींचने का मौका मिला। 70 00:03:13,322 --> 00:03:15,632 मै एक नाव में चार और फोटोग्राफरों के 71 00:03:15,656 --> 00:03:18,129 साथ थी, और इन जानवरों को इतने करीब से 72 00:03:18,153 --> 00:03:19,396 देखकर एक ही साथ 73 00:03:19,420 --> 00:03:21,980 हम सबके होश उड़ गए। 74 00:03:22,004 --> 00:03:24,184 ये एक भावात्मक अनुभव था। 75 00:03:24,208 --> 00:03:27,545 भालुओं के साथ आंख मिलाके लगाव का ऐसा भाव महसूस किया 76 00:03:27,569 --> 00:03:29,109 जिसके लिए शब्द कम हैं, 77 00:03:29,133 --> 00:03:33,288 और कैमरे का साथ होना सोने पे सुहागा था। 78 00:03:33,698 --> 00:03:37,338 हम सब आज़ादी से तसवीरें खींच रहे थे, पर हम प्रकृति और एक दुसरे 79 00:03:37,362 --> 00:03:39,350 के साथ लम्हे में थे। 80 00:03:39,374 --> 00:03:40,840 मुझे विस्तार से याद है 81 00:03:40,864 --> 00:03:44,431 पानी की बूंदों की, भालुओं के पानी में तेहेरने की, और माओं के 82 00:03:44,455 --> 00:03:47,048 पीछे प्यारे बच्चों की तसवीरें खींचना। 83 00:03:47,793 --> 00:03:50,482 उस समूह और मेरा यह इकठ्ठा अनुभव रहेगा 84 00:03:50,506 --> 00:03:52,393 और इन तस्वीरों को समय-समय से 85 00:03:52,417 --> 00:03:53,589 देखा जायेगा, 86 00:03:53,613 --> 00:03:57,414 और फ़ोटोग्राफ़ी ने हमें ऐसा करने की अनुमति दी। 87 00:03:58,518 --> 00:04:00,935 कुछ समय, मै अपना कैमरा पीछे छोड़ने लगी, 88 00:04:00,959 --> 00:04:04,797 और मुझे लगता है यह निर्णय दोनों मेरे काम और अनुभव 89 00:04:04,821 --> 00:04:06,097 को सुधरता है। 90 00:04:06,672 --> 00:04:09,752 मै हाल ही में टौंगा के दक्षिण पसिफ़िक टापू हंपबैक 91 00:04:09,776 --> 00:04:11,413 व्हेलों के साथ तेहेर्ने गयी थी। 92 00:04:11,887 --> 00:04:14,264 मैने खुद पे एक दबाव पर ध्यान दिया 93 00:04:14,288 --> 00:04:17,146 कि मेरा कैमरा ले जाने का कोई दाइत्व है, 94 00:04:17,170 --> 00:04:20,346 जब कभी कभी मुझे सिर्फ अनुभव चाहिए था। 95 00:04:20,370 --> 00:04:22,796 और अनुभव वास्तव में बढ़िया है। 96 00:04:22,820 --> 00:04:24,705 आप पानी में एक जिज्ञासु, 97 00:04:24,729 --> 00:04:27,493 स्टेशन वैगन की माप के शिशु जानवर 98 00:04:27,517 --> 00:04:31,272 के साथ लहक-से कणों से घिरे हुए हों, और माँ व्हेल 99 00:04:31,296 --> 00:04:34,044 इनायत से आपके नीचे तेहेर रहीं हों। 100 00:04:34,068 --> 00:04:37,093 कुछ क्षण थे, ज़ाहिर है, जब मई अपना कैमरा साथ लेकर, 101 00:04:37,117 --> 00:04:40,080 बेहतरीन तसवीरें ले रही थी। 102 00:04:40,104 --> 00:04:41,976 पर व्यवस्था काफी बड़ी है, 103 00:04:42,000 --> 00:04:44,503 इस बड़े डब्बे की तरह। ये ऐसा लगता है। 104 00:04:44,527 --> 00:04:46,583 ये मेरे और व्हेलों के बीच में हैं 105 00:04:46,607 --> 00:04:50,270 और कुछ समय ये आपके और वास्तविकता के बीच एक बाधा लगती है। 106 00:04:50,294 --> 00:04:52,605 क्या सिर्फ आपके फ़ोन होने से अंतर है? 107 00:04:53,135 --> 00:04:55,658 पिछले साल मै मध्य ऑस्ट्रेलिया के उलुरु गयी थी, 108 00:04:55,682 --> 00:04:59,087 एक महान पत्थर जो रेगिस्तान के ऊपर उभरता है। 109 00:04:59,666 --> 00:05:02,521 ये आनंयु के लिए धार्मिक भूमि है, 110 00:05:02,545 --> 00:05:04,633 जो यहां के मूल निवासी 111 00:05:04,657 --> 00:05:06,933 और भूमि के पारम्परिक मालिक हैं। 112 00:05:07,455 --> 00:05:11,903 उलुरु की कुछ जगहें ऐसी है जिनकी आप पेशेवर तस्वीर नहीं खींच सकते, 113 00:05:11,927 --> 00:05:14,484 क्योंकि वे संवेदनशील हैं 114 00:05:14,508 --> 00:05:17,470 और सांस्कृतिक रूप से धार्मिक लेखन समान है, आनंयु के लिए। 115 00:05:17,494 --> 00:05:22,032 इस वजह से, मेरी ज्यादातर तसवीरें दूर की हैं, जैसे की ये, 116 00:05:22,056 --> 00:05:24,961 या उद्यान के विशेष कोनों की हैं। 117 00:05:24,985 --> 00:05:29,490 आप कह सकते हैं कि उलुरु के सबसे दिलचस्प और सुन्दर द्रिश्य 118 00:05:29,514 --> 00:05:31,926 इन संवेदनशील जगहों में हैं, 119 00:05:31,950 --> 00:05:37,511 पर उनकी तस्वीर ना खींचने की विनती सीधी है और लोगों को उस भूमि, 120 00:05:37,535 --> 00:05:41,624 उसका महत्व और लोगों के बारे में सीखने का सीधा निमंत्रण है। 121 00:05:41,648 --> 00:05:43,913 क्या यही नहीं हमे वैसे भी करना चाहिए? 122 00:05:43,937 --> 00:05:46,963 उलुरु की यात्रा बहुत जल्द अब मेरे बारे में नहीं 123 00:05:46,987 --> 00:05:50,171 बल्कि लोगों से सम्बन्ध बनाने के बारे में थी। 124 00:05:50,983 --> 00:05:52,465 विडम्बना और अनाश्चर्यजनकता से, 125 00:05:52,489 --> 00:05:54,622 मैने समझा है कि उपस्थिति और सम्बन्ध 126 00:05:54,646 --> 00:05:57,849 सम्मोहक तस्वीरों का एहम हिस्सा है। 127 00:05:58,413 --> 00:06:00,775 हम सब सोशल मीडिया को अपनी यात्राओं 128 00:06:00,799 --> 00:06:04,728 और ज़िन्दगियों की तस्वीरें बाटने की एक उचित जगह मानते हैं। 129 00:06:05,255 --> 00:06:08,144 हम सिर्फ दुनिया के देखे हुए टुकड़ों को ही नहीं बल्कि 130 00:06:08,168 --> 00:06:10,640 दिन-प्रतिदिन होने वाले अनुभवों को भी बांटते हैं। 131 00:06:10,664 --> 00:06:14,507 और अगर हम तसवीरें खींचते हुए कारण ढूंढते हैं, 132 00:06:14,531 --> 00:06:17,631 उम्मीद है उन्हें बाटने में भी हम कारण ढूंढे। 133 00:06:18,380 --> 00:06:23,466 लोगों को अपनी कहानी और द्रिष्टिकोण के टुकड़े दिखाने की अनुमति देने से 134 00:06:23,490 --> 00:06:26,228 सूनेपन का एहसास नहीं होता। 135 00:06:26,252 --> 00:06:28,475 इसने मुझे दूसरों के लिए यही करने का समर्थन 136 00:06:28,499 --> 00:06:30,252 और साझे के भाव दिया है। 137 00:06:31,212 --> 00:06:32,382 मै स्पष्ट करती हूँ: 138 00:06:32,406 --> 00:06:36,017 मै आपको तसवीरें खींचने को हतोत्साहित नहीं कर रही। 139 00:06:36,688 --> 00:06:40,431 चाहें हज़ारों लोग उस एक सी जगह पर 140 00:06:40,455 --> 00:06:42,583 एक सी तसवीरें खीचें, 141 00:06:42,607 --> 00:06:44,936 मै आपको तसवीरें खीचने को प्रोत्साहित करती हूँ। 142 00:06:44,960 --> 00:06:47,286 दुनिया को हर एक की आवाज़ और द्रिष्टिकोण 143 00:06:47,310 --> 00:06:48,862 की ज़रूरत है, आपकी भी। 144 00:06:49,640 --> 00:06:52,858 पर मै समझाना चाहती हूँ की फ़ोन और कैमरे की 145 00:06:52,882 --> 00:06:54,799 हरदम आवश्यकता नहीं होती। 146 00:06:55,376 --> 00:06:57,221 मै प्रोत्साहित कर रही हूँ कि 147 00:06:57,245 --> 00:06:59,782 आप उन्हें एक पल के लिए हटाएँ -- 148 00:06:59,806 --> 00:07:01,238 पल को जीने के लिए। 149 00:07:01,670 --> 00:07:03,351 मेसा आर्च वापस चलते हैं, 150 00:07:03,375 --> 00:07:05,694 जहां पत्थर नारंगी चमकता है 151 00:07:05,718 --> 00:07:09,140 और पार्श्व में नील की खूबसूरत परतें हैं। 152 00:07:09,846 --> 00:07:12,624 क्या पता अगली बार आप किसी अद्भुत जगह में हों, 153 00:07:12,648 --> 00:07:15,005 और आप अपने कैमरे या फ़ोन को ना ले पाएं? 154 00:07:15,601 --> 00:07:18,487 क्या अगर तसवीरें खींचने की अनुमति ना हो? 155 00:07:19,035 --> 00:07:20,859 क्या वे सीमाबंध लगेगा? 156 00:07:21,618 --> 00:07:23,888 या एक आराम? 157 00:07:24,983 --> 00:07:26,159 हम क्या कर सकते हैं? 158 00:07:26,183 --> 00:07:30,017 जब आपको अगली बार फ़ोन या कैमरा निकलने की तलाभ मचे, 159 00:07:30,041 --> 00:07:33,342 या, जैसे मेरे साथ, एहसास हो कि आपने निकल लिया हो -- 160 00:07:33,366 --> 00:07:34,446 (हसीं) 161 00:07:34,470 --> 00:07:35,875 पहले: रुकिए। 162 00:07:36,567 --> 00:07:37,879 ठहरिये। 163 00:07:37,903 --> 00:07:39,236 गहरी सांस लीजिये। 164 00:07:40,148 --> 00:07:42,187 आस पास देखिये। आप क्या देख रहे हैं? 165 00:07:44,045 --> 00:07:46,716 क्या आप किसी और के साथ लम्हे को जी रहे हैं? 166 00:07:47,191 --> 00:07:49,867 याद रखिये की ये लम्हा दोबारा नहीं आता। 167 00:07:50,267 --> 00:07:53,280 फ़ोटोग्राफी एक सुन्दर लम्हे का भाग हो सकता है। 168 00:07:53,304 --> 00:07:56,503 उसको अपने और वास्तविकता के बीच की बाधा ना बनने दें। 169 00:07:56,527 --> 00:07:57,940 समझदारी से खीचें, 170 00:07:57,964 --> 00:08:01,594 और एक खूबसूरत, बेबादल लम्हे को ना खोएं, 171 00:08:01,618 --> 00:08:04,198 क्योंकि आप तस्वीर लेने में बहुत व्यस्त थे। 172 00:08:04,677 --> 00:08:05,911 धन्यवाद। 173 00:08:05,935 --> 00:08:08,758 (तालियां)