पहले प्रभाव की कला - रचना और जीवन में
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0:04 - 0:06बक बक बक ...
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0:06 - 0:08बक बक बक ...
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0:08 - 0:11बक बक बक बक बक बक बक ...
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0:11 - 0:14बक बक बक
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0:15 - 0:17तो क्या बकवास थी ये ?
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0:17 - 0:21खैर, आपको पता नहीं क्यूँकि
आप इसे समझ नहीं सके -
0:21 - 0:24यह स्पष्ट नहीं था
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0:25 - 0:28उम्मीद है कि ये इतने विश्वास से कहा गया था
[टेड@२५० में रिकार्डेड] -
0:28 - 0:31कि वो आकर्षक और रहस्यमयी प्रतीत हुआ
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0:33 - 0:36स्पष्टता या रहस्य ?
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0:36 - 0:40एक ग्राफ़िक डिज़ाइनर की भूमिका में
प्रतिदिन मैं इन दोनों का संतुलन करता हूँ -
0:40 - 0:45और दिनचर्या में एक न्यूयॉर्कवासी के तौर पर
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0:45 - 0:47प्रतिदिन I
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0:47 - 0:51और ये दो तत्व मुझे पूर्णतः मोहित करते हैं
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0:51 - 0:53उदाहरण के लिए
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0:53 - 0:57कितने लोग जानते हैं कि ये क्या है ?
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1:00 - 1:05अच्छा अब कितने लोग जानते हैं
कि ये क्या है ? -
1:05 - 1:12और अब प्रतिभावान चार्ल्स एम्. शुल्ज़
की दो निपुण रेखाओं के फलस्वरूप -
1:12 - 1:15अब हमारे पास सात निपुण रेखाएं हैं
जो अपने आप में -
1:15 - 1:19एक भावपूर्ण जीवन को जन्म देती हैं,
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1:19 - 1:22वो जिसने हजारों लाखों प्रशंसकों को
मंत्रमुग्ध किया है -
1:22 - 1:24करीब पचास सालों से |
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1:24 - 1:26वास्तव में यह एक किताब का मुख्यपृष्ट है
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1:26 - 1:30जो मैंने डिजाईन किया है, जो स्चुल्ज़ के
कार्य और कला के बारे में है -
1:30 - 1:32जो कि इस शरद ऋतू से उपलब्ध होगी
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1:32 - 1:34और यह ही पूरा मुखपृष्ट है
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1:34 - 1:39इस मुखपृष्ट पर कोई और जानकारी
मुद्रण या दृश्य के रूप में नहीं है -
1:39 - 1:43और इस किताब का नाम है
"ओनली व्हाट्स नेसेसरी" | -
1:43 - 1:49तो ये प्रतीक है उन निर्णयों का,
जो मैं रोज लेता हूँ -
1:49 - 1:53डिजाईन बूझने के सन्दर्भ में
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1:53 - 1:55और मैं जिन डिजाईन की रचना कर रहा हूँ |
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1:56 - 1:57तो स्पष्टता
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1:57 - 1:59स्पष्टता तर्क दर्शाती है
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1:59 - 2:03वो सहज, सत्यवादी और निष्कपट होती है
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2:04 - 2:07हम अपने आप से यह सवाल करते हैं
["हमें कब स्पष्ट होना चाहिए?"] -
2:07 - 2:13अब इस तरह की कोई चीज़
चाहे हम इसे पढ़ पायें या नहीं -
2:13 - 2:16बिलकुल, साफ़ तौर पर स्पष्ट होनी चाहिए
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2:16 - 2:18क्या वाकई ?
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2:21 - 2:27यह एक हालिया नमूना है शहरी स्पष्टता का
जो मुझे बेहद पसंद है, -
2:27 - 2:32मुख्यतः क्यूँकि मुझे हमेशा देर हो जाती है
और मैं हमेशा जल्दी में रहता हूँ -
2:33 - 2:39तो कुछ साल पहले जब सडकों के नुककड़
पर जब इस तरह के सूचक लगने लगे, -
2:39 - 2:43मैं रोमांचित हो गया, क्यूँकि
अब मैं आखिरकार जानता था -
2:43 - 2:46कि मेरे पास सड़क पार करने के लिए
कितने सेकंड हैं -
2:46 - 2:49किसी कार से कुचले जाने से पहले
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2:49 - 2:53छह ? मैं कर सकता हूँ
(दर्शक हँसते हुए) -
2:53 - 2:57अगर स्पष्टता यिन है तो
अब देखते हैं यांग को -
2:57 - 3:01और वो है रहस्य
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3:01 - 3:06रहस्य परिभाषा से ही काफी जटिल है
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3:06 - 3:10रहस्य के मांग होती है सुलझाना
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3:10 - 3:13और जब सही तरह से किया जाए
तो हम वाकई उसे करना चाहते हैं -
3:13 - 3:14["हमें कब रहस्यमयी होना चाहिए?"]
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3:14 - 3:20द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, जर्मन
किसी भी तरह इसे सुलझाना चाहते थे -
3:20 - 3:23पर वो ऐसा कर नहीं पाए |
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3:23 - 3:26यह एक उदाहारण उस डिजाईन का
जो मैंने अभी हाल ही में किया है -
3:26 - 3:28हारुकी मुराकामी के उपन्यास के लिए,
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3:28 - 3:31जिनके के लिए मैंने पिछले बीस सालों से
डिजाईन बनाये हैं -
3:31 - 3:37और यह उपन्यास एक युवक के बारे में है
जिसके चार करीबी दोस्त हैं -
3:37 - 3:41जो महाविद्यालय के पहले वर्ष के बाद अचानक
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3:41 - 3:44बिना कुछ बताये उसका पूर्ण बहिष्कार कर देते हैं
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3:44 - 3:46और वो विनष्ट हो जाता है
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3:46 - 3:51जापानी भाषा में प्रत्येक दोस्त के नाम का
संकेतार्थ एक रंग से है -
3:51 - 3:56सो हैं श्री लाल, श्री नील,
सुश्री श्वेता और सुश्री काली -
3:57 - 4:00सुकुरु तज़ाकि, उसका नाम किसी रंग
की ओर संकेत नहीं करता है -
4:00 - 4:05इसीलिए उसका उपनाम बैरंग है और,
जब वो अपनी मित्रता की समीक्षा करता है -
4:05 - 4:08तो वो याद करता है की कैसे वो
एक हाथ की पांच उँगलियों की तरह थे -
4:08 - 4:12इसलिए मैंने एक संशिप्त वर्णन किया है
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4:12 - 4:16पर कहानी में सतह के नीचे
बहुत कुछ चल रहा है -
4:16 - 4:21और पुस्तकाव्रण के तले भी कुछ चल रहा है
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4:21 - 4:26वो चार उँगलियाँ अब चार रेल पटरियां हैं
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4:26 - 4:28टोक्यो सबवे प्राणाली में
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4:28 - 4:30जिसका कहानी में महत्व है
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4:31 - 4:34और फिर है एक बैरंग सबवे पटरी
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4:34 - 4:36बाकी रंगों को काटती है
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4:36 - 4:39जो मूलतः वो करता कहानी में आगे |
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4:39 - 4:41वो प्रत्येक से पुनः संपर्क करता है
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4:41 - 4:44ये जानने के लिए कि उन्होंने उसके
साथ ऐसा बर्ताव क्यों किया -
4:44 - 4:49और इसलिए यह तीन आयामी मुख्यपृष्ट
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4:49 - 4:51मेरे कार्यालय की मेज़ पर रखा हुआ है,
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4:51 - 4:56और इधर मैं उम्मीद कर रहा हूँ कि आप
सरलता से आकर्षित हो जायेंगे -
4:56 - 4:59इसके रहस्यमयी रूप से,
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4:59 - 5:02और इसको पढने की इच्छा रखेंगे
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5:02 - 5:07इसको सुलझाने और समझने के लिए
कि यह ऐसा क्यूँ दिखता है | -
5:08 - 5:10["दृश्यों की भाषा"]
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5:10 - 5:14यह परिचित रहस्य के प्रयोग
करने का एक तरीका है -
5:14 - 5:16इसका क्या मतलब है ?
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5:16 - 5:19इसका मतलब यह है
["इसे किसी और चीज़ की तरह दर्शायिये"] -
5:19 - 5:23दृश्यों की भाषा वो तरीका है जिसमे हम
किसी प्रचलित दृष्टिकोण का -
5:23 - 5:28प्रयोग किसी और वस्तु को अलग तरीके
से दिखाने के लिए करते हैं -
5:28 - 5:32मैं इस पद्धति का उपयोग डेविड सेडारिस की
कहानियों की किताब के लिए करना चाहता हूँ -
5:32 - 5:35जिसका शीर्षक है
["आल द ब्यूटी यू विल एवर नीड"] -
5:35 - 5:39अब चुनौती यह थी की इस शीर्षक का
कोई भावार्थ नहीं है -
5:39 - 5:43यह कितान की किसी कहानी से
सम्बंधित नहीं है -
5:43 - 5:48ये लेखक की पुरुष मित्र के सपने में आया था
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5:48 - 5:54बहुत शुक्रिया, (हंसी)
तो आम तौर पे, मैं डिजाईन बनाता हूँ -
5:54 - 5:58जो किसी रूप में विषय पर आधारित होता है,
पर इधर यही पूरा विषय है -
5:58 - 6:02सो हमारे पास ये रहस्यमयी शीर्षक है
जिसका कोई भावार्थ नहीं है -
6:02 - 6:05तो मैं सोचने की कोशिश कर रहा था कि
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6:05 - 6:11मैं कहाँ रहस्यमयी पाठ्य देख सकता हूँ
जिसका भावार्थ लगे पर हो ना -
6:11 - 6:13और जाहिर तौर पर, थोड़े समय बाद
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6:13 - 6:17एक शाम चाईनीज़ खाने के बाद
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6:17 - 6:23इसका आगमन हुआ और मैंने सोचा
"आह, बिंग आईडियागैस्म !" (हंसी) -
6:23 - 6:29मुझे फौरच्यून कूकी के रहस्यमयी इशारे
बहुत पसंद हैं -
6:29 - 6:32जिनके के बारे लगता है की उनका गहन अर्थ है
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6:32 - 6:36लेकिन जब आप इनके बारे में सोचते हैं -
अगर आप सोचते हैं - तो वाकई नहीं होता -
6:36 - 6:42इसका कहना है "भविष्य की चिंता ना करने से
कितना लाभ होता है यह किसी को नहीं पता" -
6:43 - 6:45शुक्रिया
(हंसी) -
6:45 - 6:51पर हम दृश्यों की भाषा का प्रयोग
श्रीमान सेडारिस के लिए कर सकते हैं -
6:51 - 6:57चूँकि हम फौरच्यून कूकी की आकृति से
भलीभांति परिचित हैं -
6:57 - 6:59हमें इनके खोल की जरुरत भी नहीं है
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6:59 - 7:02हम सिर्फ इस अनोखी चीज़ को देख रहे हैं
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7:02 - 7:04और हमें डेविड सेडारिस से प्यार है
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7:04 - 7:07और हमें उम्मीद है कि आगे वक़्त सुहाना है
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7:08 - 7:11[" "फ्रौड" एसेज बी डेविड राकोफ्फ़"]
डेविड राकोफ्फ़ एक अद्भुत लेखक थे -
7:11 - 7:14और उन्होंने अपनी पहली किताब का
नाम रखा "फ्रौड" -
7:14 - 7:18क्यूँकि उन्हें पत्रिकाओं के द्वारा
ऐसे कार्यों पे भेजा जा रहा था -
7:18 - 7:21जिसे करने के लिए वो सुसज्जित नहीं थे
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7:21 - 7:23सो वो एक नाटे, पतले शहरी आदमी थे
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7:23 - 7:27और "जी क्यू" पत्रिका उन्हें कोलराडो नदी
पर भेज देते थे -
7:27 - 7:30यह देखने के लिए कि उथले, झागदार पानी में
बेडा चलाते हुए वो बचते हैं कि नहीं -
7:31 - 7:35और फिर वो इसके बारे में लिखते थे,
और वो स्वंय को धोखेबाज़ महसूस करते थे -
7:35 - 7:37और वो स्वंय को धोखा दे रहे थे
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7:37 - 7:42और मैं चाहता था कि मुख्यपृष्ट
भी मिथ्या लगे -
7:42 - 7:47और किसी पाठक की प्रतिक्रिया दर्शाओ
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7:47 - 7:50ये मुझे ग्राफीटी की ओर ले गया
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7:50 - 7:52मैं ग्राफीटी से मुग्ध हूँ
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7:52 - 7:55मेरे विचार से कोई भी जो
शहरी वातावरण में रहता है -
7:55 - 7:59हर समय ग्राफीटी से टकराता रहता है,
और वो भी हर प्रकार के -
7:59 - 8:03यह छवि मैंने निचले पूर्व तरफ खिंची थी
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8:03 - 8:05फूटपाथ पे किसी ट्रांसफार्मर बक्से की
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8:05 - 8:07और इस पर उन्मादी चिन्ह बने हुए हैं
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8:07 - 8:13अब चाहे आप इसे देखे और सोचे,
"वह यह एक रोमांचक शहरी स्वांग है" -
8:13 - 8:17या आप इसको देख कर बोल सकते हैं,
"यह गैरकानूनी दुष्प्रयोग है संपत्ति का" -
8:17 - 8:20पर हम सब एकमत हो सकते हैं कि
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8:20 - 8:23आप इसको पढ़ नहीं सकते
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8:23 - 8:26है ना? यहाँ कोई स्पष्ट सन्देश नहीं है
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8:26 - 8:32एक और प्रकार के ग्राफीटी हैं जो मुझे
कहीं ज्यादा रोचक लगते हैं -
8:32 - 8:35जिन्हें मैं बोलता हूँ सम्पादिक्य ग्राफीटी
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8:35 - 8:39ये छवि मैंने हाल ही में सबवे में खींची
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8:39 - 8:43और कभी कभार आप देखते हैं
कामुक, मूर्खतापूर्ण चीज़ें -
8:43 - 8:48पर मुझे यह रोचक लगा
और यह पोस्टर कह रहा है कि -
8:48 - 8:50बक बक "एयरबीएनबी"
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8:50 - 8:53और किसी ने कलम ली
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8:53 - 8:56और अपने विचारों का संपादन कर दिया है
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8:56 - 8:59और इसने मेरा ध्यान खींचा
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8:59 - 9:03फिर मैंने सोचा कि इसका प्रयोग किताब
के लिए कैसे किया जाये -
9:03 - 9:08सो मैंने इस व्यक्ति की कितान लाकर पढने लगा
और मैंने सोचा -
9:08 - 9:13यह आदमी वो नहीं है जो यह कहता है
ये, ये एक धोखेबाज़ है -
9:13 - 9:17और मैंने लाल कलम निकाली
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9:17 - 9:21और अपनी झुन्झुलाहट में
मुख्यपृष्ट पर यह अंकित कर दिया -
9:21 - 9:25डिजाईन ख़तम
(हंसी) -
9:26 - 9:30और उन्हें यह पसंद भी आया
(हंसी) -
9:30 - 9:32लेखक को पसंद आया,
प्रकाशक को पसंद आया -
9:32 - 9:35और ये किताब इस तरह दुनिया में गई,
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9:35 - 9:40और लोगों को सबवे में पढता देख
वाकई मनोरंजक था -
9:40 - 9:42और इसको लेकर चलते हुए,
और आप क्या कर सकते हैं -
9:42 - 9:46और वे सभी एक प्रकार से उन्मादित लग रहे थे
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9:46 - 9:48(ठहाका)
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9:49 - 9:53[" 'पर्फिडिया' ए नोवेल बाई जेम्स एलरॉय"]
हाँ तो, जेम्स एलराय, कमाल के अपराध लेखक -
9:53 - 9:55एक अच्छे दोस्त, जिनके साथ
मैंने कई साल काम किया -
9:55 - 9:57वो लेखक के तौर पर शायद सबसे प्रसिध्द हुए
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9:57 - 10:00"द ब्लैक डेहलिया" और "एल. ऐ. कोन्फ़िडेन्शिअल" के लिए
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10:00 - 10:05उनके नवीनतम उपन्यास का नाम है,
जो कि बहुत रहस्यपूर्ण है -
10:05 - 10:09मुझे विश्वास है कि बहुत सारे लोगों को इसका
अर्थ पता है, लेकिन बहुतों को नहीं -
10:09 - 10:16और यह कहानी सन १९४१ में लास एंजेल्स में
एक जापानी-अमरीकी जासूस की है -
10:16 - 10:18जो एक हत्या की पड़ताल कर रहा है
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10:18 - 10:20और तभी पर्ल हार्बर घटित हो जाता है
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10:20 - 10:23और जैसे की उसका जीवन कम कठिन था
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10:23 - 10:28अब नस्ल संबंध जोर मारने लगते हैं
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10:28 - 10:33और फिर जल्द ही जापानी-अमरीकी
नजरबंदी शुरू हो जाती है -
10:33 - 10:35और बहुत तनाव बन जाता है
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10:35 - 10:39और भीषण माहौल में वो हत्या की गुत्थी
सुलझाने की कोशिश कर रहा होता है -
10:39 - 10:45तो पहले मैंने इसके बारे में वस्तुतः सोचा
-
10:45 - 10:49कि पर्ल हार्बर के साथ लास एंजेल्स
को जोड़ देंगे -
10:49 - 10:56और हम शहर के क्षितिज पर
प्रलय दर्शित करेंगे -
10:56 - 10:59और इसिलए यह छवि है पर्ल हार्बर की
-
10:59 - 11:02जो लास एंजेल्स पृष्ठभूमि पर है
-
11:02 - 11:05मेरे प्रधान संपादक में कहा
"जानते हो, ये दिलचस्प है -
11:05 - 11:10लेकिन मुझे लगता है कि तुम इसे
सरल और बेहतर बना सकते हो" -
11:10 - 11:15तो हमेशा की तरह मैं इसे फिर से
पहले सिरे से सोचने लगा -
11:15 - 11:19पर अपने वातावरण के बारे में सचेत रह कर
-
11:19 - 11:23मैं शहर के बीच में
एक गगन-चुम्बी ईमारत में काम करता हूँ -
11:23 - 11:26और हर रात कार्यालय से निकलने से पहले
-
11:26 - 11:29मुझे ये लाल बटन दबाब होता है
बाहर जाने के लिए -
11:29 - 11:32इससे बड़ा भारी-भरकम कांच का दरवाज़ा
खुलता है और मैं एलीवेटर तक जा पाता हूँ -
11:32 - 11:36और अचानक एक रात
-
11:36 - 11:42मैंने इसे देखा और ऐसे गौर किया जैसे
पहले कभी नहीं किया था -
11:42 - 11:44बड़ा लाल गोला, खतरा
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11:44 - 11:47और मैंने सोचा यह तो इतना स्वाभाविक था
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11:47 - 11:50कि इसका खरबों बार प्रयोग हो चूका होगा
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11:50 - 11:54तो मैंने "गूगल इमेज सर्च" करी,
लेकिन ऐसा एक भी मुखपृष्ट नहीं मिला -
11:54 - 11:57जो कि ऐसा दिखता हो
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11:57 - 11:59और इस प्रकार यह समस्या सुलझ गई
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11:59 - 12:02और चित्रवत यह ज्यादा दिलचस्प है
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12:02 - 12:06और ज्यादा बड़ा तनाव पैदा करता है
इस ख्याल से -
12:06 - 12:11कि एक ख़ास प्रकार का सूर्योदय हो
रहा है एल. ए. और अमरीका पर -
12:12 - 12:14[" 'गल्प' ए टूर ऑफ़ द ह्यूमन डाईजेस्टीव
सिस्टम बाई मेरी रोच."] -
12:14 - 12:17मेरी रोच एक अद्भुत लेखक हैं
-
12:17 - 12:20जो एक साधारण से वैज्ञानिक विषय को
-
12:20 - 12:24बहुत ही असाधारण बना देती हैं;
वो उन्हें मनोरंजक बना देती हैं -
12:24 - 12:25तो इस ख़ास प्रकरण में
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12:25 - 12:28ये मानवीय पाचक प्राणाली के बारे में है
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12:28 - 12:33तो मैं बूझने की कोशिश कर रहा हूँ कि इसका
मुख्यपृष्ट कैसा होना चाहिए -
12:34 - 12:38यह एक सेल्फी है
(हंसी) -
12:38 - 12:44रोज सुबह मैं अपने आप को देखता हूँ
अपनी दवाई की अलमारी के शीशे में -
12:44 - 12:47यह देखने के लिए कि कहीं मेरी
जीभ काली तो नहीं पड़ गई है -
12:47 - 12:50और अगर नहीं, तो में जाने के लिए तैयार हूँ
-
12:50 - 12:53(हंसी)
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12:55 - 12:58मैं आप सब को ऐसा करने की सिफारिश करता हूँ
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12:58 - 13:02परन्तु मैंने सोचा यह हमारा परिचय है
पाचक प्राणाली से -
13:02 - 13:05है ना ? मानवीय पाचक प्राणाली के बारे में
-
13:06 - 13:08पर मैं यह सोचता हूँ कि हम सब एकमत हैं कि
-
13:08 - 13:12मानवीय मुख के असली छायाचित्र,
कम से कम इस तरह के -
13:12 - 13:16विकर्षक हैं
(ठहाका) -
13:16 - 13:20इसीलए मुख्यपृष्ट के लिए मैंने ये चित्रण बनवाया
-
13:20 - 13:22जो की वास्तव में खुशगवार है
-
13:22 - 13:27और याद दिलाता है बेहतर है कि
पाचक प्राणाली के बारे में -
13:27 - 13:29इस सिरे से ही बात की जाए
-
13:29 - 13:32(ठहाका)
-
13:32 - 13:35मुझे यह वाक्य ख़तम करने की जरुरत भी
नहीं है | ठीक है | -
13:36 - 13:37["अनयूसफुल मिस्ट्री"]
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13:37 - 13:41जब स्पष्टता और रहस्य मिल जाते हैं
तो क्या होता है ? -
13:42 - 13:43और हम ऐसा अक्सर देखते हैं
-
13:43 - 13:46मैं इसे अनुपयोगी रहस्य कहता हूँ
-
13:46 - 13:49मैं सबवे में गया हूँ, -
मैं सबवे का काफी प्रयोग करता हूँ -
13:49 - 13:53यह कागज़ का टुकड़ा एक खम्बे पर चिपका हुआ था
-
13:55 - 13:58ठीक ? अब मैं सोच रहा हूँ, ओह्हो,
-
13:58 - 14:02रेलगाड़ी आने वाली है और मैं इसका मतलब
समझने की कोशिश कर रहा हूँ -
14:02 - 14:05बहुत बहुत शुक्रिया
-
14:05 - 14:09इधर समस्या यह है कि उन्होंने जानकारी को
खानों में बाँट दिया है यह सोचकर कि वो -
14:09 - 14:12मदद्गार होगा और साफ़ बात है कि मुझे
ऐसा बिलकुल नहीं लगता -
14:12 - 14:16सो ये वो रहस्य हैं जिनकी
हमें जरुरत नहीं है -
14:16 - 14:24हमें जरुरत है उपयोगी स्पष्टता की, इसीलिए
बस मज़े के लिए मैंने इसे रिडिजाइन किया -
14:24 - 14:26ये उन्ही समस्त तत्वों का उपयोग कर के
-
14:26 - 14:29(तालियाँ)
-
14:30 - 14:34धन्यवाद, मैं अभी भी एम्टीए के काल
का इंतज़ार कर रहा हूँ (हंसी) -
14:34 - 14:38क्या आप जानते हैं कि मैंने उनके रंगों से
अधिक भी नहीं प्रयोग किए -
14:38 - 14:41उन्होंने ४ और ५ को हरे में दर्शाने
का सोचा भी नहीं -
14:41 - 14:44वो मूर्ख |
(हंसी) -
14:45 - 14:48तो सुबह सबसे पहले ये पता चलता है
कि सेवा में बदलाव है -
14:48 - 14:52और फिर दो पूर्ण वाक्यों में जिनका
मुखड़ा, मध्य और अन्तरा है -
14:52 - 14:56हमें पता चल जाता है कि क्या बदलाव है
और किस समय होने वाला हैI -
14:56 - 15:00मुझे पागल बोलो !
(हंसी) -
15:02 - 15:04[" यूस्फुल मिस्ट्री"]
ठीक है -
15:04 - 15:10अब, यह वो रहस्य है जो मुझे पसंद है:
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15:10 - 15:11पैकेजिंगI
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15:11 - 15:15डाइट कोक के कैन का ये रीडिजाईन
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15:15 - 15:20मेरे दृष्टीकोण से टर्नर डकवर्थ की
उत्कृष्ट कलाकारी है -
15:20 - 15:24यह कलात्मक है, यह सुन्दर हैI
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15:24 - 15:27पर डिज़ाइनर के तौर पर जो चीज़
दिल को खुश करती है -
15:27 - 15:31वो यह है कि उन्होंने डाइट कोक की चित्र
शब्दावली को लिया -
15:31 - 15:35उसकी अक्षराकृति, रंग, रजत पृष्टाधार
-
15:35 - 15:40और उनको मौलिक रूप में रखा
-
15:40 - 15:43तो यह परिचित वस्तु की तरफ वापस जाना हुआ,
-
15:43 - 15:47ठीक वैसे ही जैसे कुछ पहचानने के लिए
जितनी जरुरत हो उतनी जानकारी ही देना -
15:47 - 15:51लेकिन जो उन्हें पहले से ज्ञात है उसको
श्रेय भी देना -
15:51 - 15:52इस वस्तु के बारे में ?
-
15:52 - 15:56ये बहुत अच्छा दिखता है और जब आप
किसी दूकान के जायेंगे -
15:56 - 16:01और अचानक इस पर नज़र पड़ेगी,
ये अद्भुत है I -
16:01 - 16:04जो अगली बात बनाता है --
-
16:04 - 16:07[" अनयूस्फुल क्लारिटी" ] --
जो बेहद निराशाजनक है, -
16:07 - 16:09कम से कम मेरे लिए I
-
16:09 - 16:12अच्छा फिर से सबवे में वापस जाते हुए,
-
16:12 - 16:14जब यह प्रकाशित हुए,
-
16:14 - 16:16यह वो चित्र हैं जो मैंने खींचे,
-
16:16 - 16:19टाइम्स स्क्वायर सबवे स्टेशन:
-
16:19 - 16:24कोका-कोला ने पूरी जगह विज्ञापन
के लिए खरीद ली| ठीक ? -
16:24 - 16:28और शायद कुछ लोग जानते है
कि यह किस ओर जा रहा है I -
16:29 - 16:30उम्म I
-
16:30 - 16:33"आप न्यूयॉर्क आये अपने कपड़े
अपनी पीठ पे लाद कर, -
16:33 - 16:36जेब में पैसे लिए, नज़र इनाम पर
-
16:36 - 16:39आप कोक पर हैं"
(हंसी) -
16:45 - 16:48"आप न्यूयॉर्क आये एक एमबीए के साथ,
एक साफ़ सूट ले कर -
16:48 - 16:50और बहुत मज़बूत हैंडशेक
-
16:50 - 16:53आप कोक पर हैं"
(हंसी) -
16:54 - 16:58यह असली हैं !
(हंसी) -
16:58 - 17:02यहाँ तक कि सहारा देने वाले खम्बों
को भी नहीं बक्शा गया -
17:02 - 17:06सिवाय इसके कि वो "योडा" बन गए
(हंसी) -
17:08 - 17:11कोक पर आप हैं"
(हंसी) -
17:11 - 17:14["माफ़ कीजिये, मैं किस पर हूँ ???"]
-
17:14 - 17:18ये अभियान एक बड़ा गलत कदम था
-
17:18 - 17:22इसे फ़ौरन वापस ले लिया गया
ग्राहकों की नकारात्मक प्रतिक्रिया के कारण -
17:22 - 17:27और इन्टरनेट पर उपहास करते व्यंग्यों के बाद
-
17:27 - 17:29(ठहाका)
-
17:29 - 17:34और हाँ "आप हैं" के बाद लगा बिंदु पूरण विराम
नहीं, वो व्यापार-चिन्ह है -
17:35 - 17:36सो बहुत शुक्रिया
-
17:36 - 17:40मेरे लिए यह सब इतना बेतुका था
-
17:40 - 17:46ये समझना कि उन्होंने इतनी उत्तम
रहस्यमयी सुन्दर पैकेजिंग -
17:46 - 17:51का विज्ञापन इतना असहनीय और ज़ाहिर
तौर पर गलत कैसे बनाया -
17:51 - 17:54यह मेरे लिए अविश्वसनीय था
-
17:54 - 18:00तो मुझे उम्मीद है कि मैं आप से
थोड़े गुर बाँट पाया -
18:00 - 18:04अपने काम में स्पष्टता और रहस्य
के प्रयोग के बारे में -
18:04 - 18:09और क्या पता आप जीवन और स्पष्ट होने का
निर्णय कर ले -
18:09 - 18:15या फिर ज्यादा रहस्यमयी बन जाए
बजाय ज्यादा व्यक्त करने के -
18:15 - 18:18(हंसी)
-
18:19 - 18:24अगर इस चर्चा से कोई एक चीज़ मैं छोड़ना
चाहूँगा तो -
18:24 - 18:26तो मेरे ख्याल से वो है
-
18:26 - 18:29बक बक बक बक ...
[" जज दिस, चिप किड्ड] -
18:29 - 18:32बक बक बक ...
-
18:32 - 18:34बक बक
-
18:34 - 18:38(तालियाँ)
- Title:
- पहले प्रभाव की कला - रचना और जीवन में
- Speaker:
- चिप किड्ड
- Description:
-
किताब डिज़ाइनर चिप किड्ड भलीभांति जानते हैं कि कैसे हम अक्सर दिखावट से राय बना लेते हैं| इस मजेदार, तेज़ गति की चर्चा में उन दो तरीकों को समझाते हैं जो डिज़ाइनरस व्याख्या के लिए उपयोग करते हैं - स्पष्टता और रहस्य - एक साथ कब, कहाँ और कैसे काम करते हैं. वो सुन्दर और उपयोगी डिजाईनस की सराहना करते हैं, कम सफल डिजाईन से सीख लेते हुए अपने कुछ प्रतिष्ठित मुखपृष्ठों से जुडी कहानियों सुनाते हैं|
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 18:57
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