जीवन में प्रसन्नता के अतिरिक्त कुछ और भी है
-
0:01 - 0:03मैं सोचा करती थी
-
0:03 - 0:07जीवन का पूर्ण उद्देश्य
प्रसन्नता का पीछा करना था। -
0:07 - 0:10सभी ने कहा सफलता प्रसन्नता की राह थी,
-
0:10 - 0:13इसलिए मैंने ऐसी आदर्श नौकरी की खोज की,
-
0:13 - 0:16ऐसे सही प्रेमी की,
ऐसे सुंदर अपार्टमेंट की। -
0:17 - 0:20लेकिन कभी भी पूरी संतुष्ट
महसूस करने की बजाय, -
0:20 - 0:23मैं चिंतित और डाँवाँडोल रही।
-
0:23 - 0:27और मैं अकेली नहीं थी ; मेरे मित्र --
वे भी इसी से संघर्ष गुज़रे। -
0:29 - 0:33आखिर, मैंने सकारात्मक मनोविज्ञान के
लिए स्नातक स्कूल जाने का निर्णय लिया -
0:33 - 0:36यह जानने के लिए कि वास्तव में लोगों को
क्या खुश करता है? -
0:37 - 0:40लेकिन मुझे वहां जो पता चला
मेरी उसने जिंदगी बदल दी। -
0:40 - 0:45आंकड़े बताते हैं कि खुशी का पीछा करना
लोगों को दुखी कर सकता है। -
0:46 - 0:48और वास्तव में जो मुझे सूझा वह यह था:
-
0:49 - 0:52दुनिया भर में आत्महत्या की दर बढ़ रही है,
-
0:52 - 0:55और हाल ही यह अमेरिका में 30 साल की
उच्चतम दर तक पहुंची। -
0:56 - 0:59हालांकि भौतिक परिपेक्ष में जीवन
अच्छा हो रहा है -
0:59 - 1:01लगभग हर कल्पनीय मानक द्वारा,
-
1:01 - 1:03अधिक लोगों को निराशा है,
-
1:03 - 1:06वे उदास और अकेले हैं।
-
1:06 - 1:09लोगों के लिए एक कष्टमय खालीपन है,
-
1:09 - 1:12लाक्षणिक दृष्टि से उदास महसूस
करना जरूरी नहीं है। -
1:12 - 1:15मुझे लगता है कि देर सवेर हम सभी
को आश्चर्य होता है: -
1:16 - 1:18क्या बस इतना ही है?
-
1:19 - 1:22और शोध अनुसार,
इस निराशा का कारण -
1:22 - 1:24प्रसन्नता का अभाव नहीं है।
-
1:24 - 1:26यह किसी और बात की कमी है,
-
1:27 - 1:30जीवन में अर्थ होने की कमी।
-
1:31 - 1:33इसने मेरे मन में कुछ प्रश्न
पैदा कर दिए। -
1:34 - 1:36क्या जीवन में प्रसन्न रहने से बढ़ कर
कुछ और भी है? -
1:37 - 1:40और अंतर क्या है प्रसन्न होने में
-
1:40 - 1:42और जीवन अर्थपूर्ण होने में ?
-
1:43 - 1:47कई मनोवैज्ञानिक प्रसन्नता को आराम और
आसान परिस्थिति से परिभाषित करते हैं, -
1:48 - 1:49उस पल अच्छा महसूस करने को।
-
1:50 - 1:52मतलब, हालांकि, गहरा है।
-
1:52 - 1:55प्रसिद्ध मनोविज्ञानी
मार्टिन सेलिग्मन कहते हैं -
1:55 - 2:00अर्थ लगाव होने से आता हैऔर अपने
स्वार्थ से हट के कुछ सेवा कार्य करने से -
2:00 - 2:02और आप के भीतर सर्वश्रेष्ठता लाने से।
-
2:04 - 2:06हमारी संस्कृति खुशी से ग्रस्त है,
-
2:06 - 2:10लेकिन मुझे पता चला कि अर्थ की चाह
अधिक परिपूर्ण पथ है। -
2:10 - 2:13और अध्ययनों से पता चलता है कि वे लोग
जिनका जीवन अर्थपूर्ण है, -
2:13 - 2:15वे अधिक लचीले होते हैं,
-
2:15 - 2:17वे स्कूल में और काम पर अच्छे होते हैं,
-
2:17 - 2:19और वे दीर्घायु भी होते हैं।
-
2:20 - 2:22तो इस सब ने मुझे आश्चर्यचकित किया :
-
2:22 - 2:25कैसे हम में से प्रत्येक अधिक
अर्थपूर्ण रह सकता है ? -
2:26 - 2:30पता लगाने के लिए, मैंने पांच साल सैकड़ों
लोगों का साक्षात्कार करने में बिताए -
2:30 - 2:33और हजारों पन्नों को पढ़ने में
मनोविज्ञान के, -
2:33 - 2:35तंत्रिका विज्ञान और दर्शन शास्त्र के
-
2:35 - 2:37इन सब को एकत्रित करके,
-
2:37 - 2:43मैंने पाया कि एक अर्थपूर्ण जीवन के
चार स्तम्भ हैं। -
2:43 - 2:45और हम सब अर्थपूर्ण जीवन निर्मित
कर सकते हैं -
2:45 - 2:48हमारे जीवन में इन स्तंभों में से
कुछ या सभी का निर्माण करके। -
2:49 - 2:52पहला स्तंभ संबंधित होना है।
-
2:52 - 2:55संबंध बनाने से लगाव होता है
-
2:55 - 2:57जहां आपका अपनी आंतरिक विशेषता के
कारण मूल्याकन होता है -
2:57 - 3:00और वहां आप दूसरों को भी महत्व देते हैं।
-
3:00 - 3:05लेकिन कुछ समूह और रिश्ते
सस्तेपन का एहसास कराते हैं ; -
3:05 - 3:07आपके विचारों से आप का मूल्याकन होता है,
-
3:07 - 3:08आप किससे नफरत करते हैं,
-
3:08 - 3:10इसलिए नहीं कि आप कौन हैं।
-
3:10 - 3:13सत्य लगाव प्रेम से हिलोरे लेता है।
-
3:13 - 3:16यह व्यक्तियों के बीच हर पल रहता है,
-
3:16 - 3:20और यह एक विकल्प है - आप चुन सकते हैं
दूसरों के साथ संबंध बढ़ाने के लिए। -
3:21 - 3:22यहाँ एक उदाहरण है
-
3:22 - 3:26हर सुबह, मेरा दोस्त जोनाथन
एक समाचार पत्र खरीदता है -
3:26 - 3:28न्यूयॉर्क में एक ही सड़क विक्रेता से।
-
3:29 - 3:31यद्यपि वे सिर्फ एक लेनदेन
ही नहीं करते हैं। -
3:31 - 3:33वे धीमे, बात करने के लिए
एक क्षण लेते हैं, -
3:34 - 3:35और मनुष्यों की तरह एक-दूसरे
के साथ व्यवहार करते हैं। -
3:36 - 3:39लेकिन एक बार, जोनाथन
के पास खुले पैसे नहीं थे, -
3:39 - 3:41और विक्रेता ने कहा,
-
3:41 - 3:42"इस बारे चिंता मत करो।"
-
3:42 - 3:45लेकिन जोनाथन ने भुगतान पर जोर दिया,
-
3:45 - 3:48तो वह दुकान में गया और उसने
कुछ खरीदा जिसकी उसे ज़रूरत नहीं थी -
3:48 - 3:49खुले पैसों के लिए।
-
3:50 - 3:53लेकिन जब उसने विक्रेता को पैसा दिया,
-
3:53 - 3:54विक्रेता ने इंकार किया ।
-
3:55 - 3:56उसे दुःख हुआ।
-
3:57 - 3:59वह कुछ दयालु होने की कोशिश कर रहा था,
-
3:59 - 4:01लेकिन जोनाथन ने उसे अस्वीकार कर दिया था।
-
4:02 - 4:06मुझे लगता है हम सभी ऐसे ही छोटे
तरीके से लोगों को मना करते हैं । -
4:06 - 4:07मैं करती हूँ।
-
4:08 - 4:11मैं किसी परिचित के पास से बिना
अभिवादन गुज़र जाती हूँ। -
4:11 - 4:13मैं अपना फोन देखती हूँ
जब कोई मेरे साथ बात कर रहा है। -
4:14 - 4:16ये कार्य दूसरों को कम समझते हैं।
-
4:16 - 4:18वे उन्हें अदृश्य और अयोग्य
महसूस कराते हैं। -
4:19 - 4:22लेकिन जब आप प्यार से बढ़ते हो,
आप एक सम्बन्ध बनाते हैं -
4:22 - 4:24जो आप सब का मनोबल बढ़ाता है।
-
4:25 - 4:29कई लोगों के लिए अर्थ का
सबसे आवश्यक स्रोत लगाव है, -
4:29 - 4:31परिवार व दोस्तों के लिए
रिश्तों का बंधन। -
4:31 - 4:35दूसरों के लिए, अर्थ की कुंजी
दूसरा स्तंभ है: उद्देश्य -
4:36 - 4:39अब, अपना उद्देश्य ढूंढना
वही बात नहीं है -
4:39 - 4:41जैसे ऐसी नौकरी की तलाश
जिससे आपको खुशी होती है। -
4:42 - 4:45उद्देश्य आप जो पाना चाहते हैं
उसके मुकाबले आप जो देते हैं -
4:45 - 4:49एक अस्पताल संरक्षक ने बिमारों को
ठीक करना उद्देश्य बताया। -
4:50 - 4:51कई माता-पिता मुझे बताते हैं,
-
4:51 - 4:53"मेरा उद्देश्य मेरे
बच्चों को पालन है।" -
4:54 - 4:58उद्देश्य की कुंजी अपनी शक्तियों का
उपयोग कर अन्य सेवा करना है। -
4:58 - 5:02बेशक, हम में से कईयों के लिए,
यह काम के माध्यम से होता है। -
5:02 - 5:05इसी तरह हम योगदान करते हैं
और ज़रूरत महसूस करते हैं। -
5:05 - 5:09लेकिन इसका अर्थ यह भी है
काम से हटाए जाना जैसे मुद्दे, -
5:09 - 5:10बेरोज़गारी,
-
5:10 - 5:12कम श्रम बल भागीदारी -
-
5:12 - 5:16ये सिर्फ आर्थिक समस्याएं नहीं हैं,
वे अस्तित्व की भी हैं। -
5:17 - 5:19कुछ सार्थक करने के बिना,
-
5:19 - 5:20लोग अस्थिर होते हैं।
-
5:21 - 5:24बेशक, आपको काम पर उद्देश्य
खोजने की जरूरत नहीं है, -
5:24 - 5:27लेकिन उद्देश्य आपको जीने
के लिए कुछ देता है, -
5:27 - 5:29कुछ "क्यों" जो आपको अग्रेषित करता है
-
5:31 - 5:34अर्थ का तीसरा स्तंभ अपने स्वार्थ से
परे आगे कदम के बारे में भी है, -
5:34 - 5:36लेकिन पूरी तरह से अलग तरीके से:
-
5:36 - 5:38श्रेष्ठता।
-
5:38 - 5:40श्रेष्ठ परिस्थितियां वे दुर्लभ क्षण हैं
-
5:40 - 5:44जब आप दैनिक जीवन की हलचल
से ऊपर उठे होते हैं, -
5:44 - 5:45स्वयं का अस्तित्व ओझल हो जाता है,
-
5:46 - 5:48और आप एक उच्च वास्तविकता से
जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। -
5:49 - 5:53एक व्यक्ति की श्रेष्ठ परिस्थिती
अत्याधुनिक कला देखने से बनी -
5:53 - 5:55दूसरे व्यक्ति के लिए, यह चर्च में था।
-
5:55 - 5:59मेरे लिए, मैं एक लेखिका हूं,
यह लेखन के माध्यम से होता है। -
5:59 - 6:04कभी-कभी मुझे देश काल का आभास तक नहीं रहता।
-
6:05 - 6:08ये उत्कृष्ट अनुभव आपको बदल सकते हैं।
-
6:08 - 6:12एक अध्ययन में छात्रों ने 200 फुट
लम्बे नीलगिरि पेड़ो के ऊपर देखा -
6:12 - 6:14एक मिनट के लिए।
-
6:14 - 6:16लेकिन बाद में उन्होंने
आत्म-केंद्रित महसूस किया, -
6:16 - 6:18और उन्होंने व्यवहार भी अधिक उदारता से किया
-
6:18 - 6:20जब उन्हें किसी की
मदद करने का मौका दिया । -
6:22 - 6:25लगाव, उद्देश्य, उत्कृष्टता
-
6:26 - 6:29अब, चौथा अर्थपूर्ण स्तंभ,
मैंने पाया है, -
6:29 - 6:31लोगों को आश्चर्यचकित करता है
-
6:31 - 6:34चौथा स्तंभ कहानी सुनाना है,
-
6:34 - 6:37आपकी अपनी कहानी जो आप स्वयं को सुनाते हो।
-
6:38 - 6:42अपने जीवन की घटनाओं से एक
कथा बनाना स्पष्टता लाता है। -
6:42 - 6:45यह आपको समझने में मदद करता
है आप जो हो वह कैसे बने। -
6:46 - 6:49पर हमें सदा एहसास नहीं होता कि
हम हमारी कहानियों के लेखक हैं -
6:49 - 6:51और हम अपने सुनाने के ढंग से
बदल सकते हैं। -
6:51 - 6:53आपका जीवन केवल घटनाओं की एक सूची नहीं है
-
6:53 - 6:57आप संपादन व व्याख्या कर सकते
हैं व अपनी कथा पुनः सुना सकते हैं, -
6:57 - 6:59भले ही आप तथ्यों से विवश हो।
-
7:00 - 7:04मैं एमेका नामक युवक से मिला जो
फुटबॉल खेलते हुए अपंग हो गया था। -
7:05 - 7:07अपनी चोट के बाद,
एमेका ने खुद से कहा, -
7:07 - 7:10"मेरा जीवन फुटबॉल खेलते
हुए महान था, -
7:10 - 7:12लेकिन अब मुझे देखो। "
-
7:14 - 7:16जो लोग इस तरह से कहानियां सुनाते हैं -
-
7:16 - 7:19"मेरा जीवन अच्छा था।
अब यह बुरा है।" -- -
7:19 - 7:22अधिक उत्सुक और उदास
हो जाते हैं -
7:22 - 7:24और कुछ समय के लिए
एमेका ऐसा था। -
7:25 - 7:28लेकिन समय के साथ, उसने एक
अलग कहानी बनानी शुरू कर दी। -
7:28 - 7:30उसकी नई कहानी थी,
-
7:30 - 7:33"चोट से पहले मेरी,
मेरी ज़िंदगी निरुद्देश्य थी। -
7:33 - 7:37मैंने बहुत कुछ किया और
एक बहुत स्वार्थी आदमी था। -
7:37 - 7:40पर मेरी चोट से मुझे लगा कि
मैं एक बेहतर आदमी हो सकता था।" -
7:41 - 7:45उसकी कहानी को उस संपादन ने
एमेका के जीवन को बदल दिया। -
7:45 - 7:47खुद को नई कहानी सुनाने उपरांत,
-
7:48 - 7:49एमेका ने बच्चों का मार्गदर्शन
शुरू किया, -
7:49 - 7:52और उसने पाया कि उसका उद्देश्य था:
-
7:52 - 7:53दूसरों की सेवा।
-
7:54 - 7:57मनोवैज्ञानिक दान मैकआडम
इसे "मुक्ति कहानी" कहते हैं -
7:58 - 8:00जहां अच्छाई द्वारा बुराई से मुक्ति
मिल जाती है। -
8:01 - 8:03उसे पता लगा है कि सार्थक जीवन
जीने वाले लोग -
8:03 - 8:05अपने जीवन बारे कहानियां सुनाते हैं
-
8:05 - 8:08मुक्ति, विकास और प्रेम से परिभाषित।
-
8:09 - 8:11लेकिन लोग अपनी कहानियों को
कैसे बदलते हैं? -
8:12 - 8:14कुछ लोग चिकित्सक से
सहायता लेते हैं, -
8:14 - 8:15लेकिन आप इसे स्वयं पर भी
कर सकते हैं, -
8:16 - 8:18सिर्फ अपने जीवन पर विचारपूर्वक
प्रतिबिंबित करके, -
8:18 - 8:20कैसे आपके परिभाषित अनुभवों ने आपको ढाला,
-
8:20 - 8:22तुमने क्या खोया, क्या पाया।
-
8:23 - 8:24एमेका ने यही किया।
-
8:25 - 8:27आप रातो रात अपनी
कहानी नहीं बदलोगे; -
8:27 - 8:29सालों साल लग सकते हैं और यह
दर्दनाक हो सकता है। -
8:29 - 8:32आख़िर, हम सब ने कष्ट झेला है,
और हम सब संघर्ष करते हैं। -
8:33 - 8:37पर उन दर्दनाक यादों को गले लगा
हमें नई अंतर्दृष्टि व ज्ञान हो सकता है -
8:37 - 8:40उस अच्छाई को ढूंढ़ने का जो
हमें संभालता है। -
8:43 - 8:47संबंध लगाव, उद्देश्य,
श्रेष्टता, कहानी सुनाना: -
8:48 - 8:51ये सार्थकता के चार स्तंभ हैं।
-
8:52 - 8:53जब मैं छोटी थी,
-
8:53 - 8:57चारों ओर से सभी स्तंभों द्वारा घिरी मैं
बहुत भाग्यशाली थी। -
8:57 - 9:02मेरे माता-पिता ने मॉन्ट्रियल में हमारे
घर से सूफी सभा गृह चलाया। -
9:03 - 9:07सूफीवाद एक आध्यात्मिक अभ्यास
है जो झूमने से संबंधित है -
9:07 - 9:09और कवि रूमी से।
-
9:09 - 9:12सप्ताह में दो बार, सूफ़ी
हमारे घर आते -
9:12 - 9:16ध्यान के लिए, फ़ारसी चाय पीने,
और कहानियों को साझा करने। -
9:16 - 9:19उनके अभ्यास में सभी सृजन की
सेवा भी शामिल थी -
9:19 - 9:21प्यार के छोटे कृत्यों के माध्यम से,
-
9:21 - 9:24अर्थ यह था दयालु होना चाहे जब
लोगों ने आपसे गलत किया हो। -
9:24 - 9:28लेकिन इसने उन्हें एक उद्देश्य दिया:
अहंकार पर संयम के लिए। -
9:29 - 9:32अंततः, मैंने कॉलेज के लिए
घर छोड़ दिया -
9:32 - 9:35और मेरे जीवन में सुफीवाद की
दैनिक मूल-सिद्धांतों के बिना, -
9:35 - 9:37मैं बेलगाम हो गई।
-
9:37 - 9:40और मैंने उन चीजों को खोजना शुरू किया
जो जीवन को जीने योग्य बनाते हैं। -
9:41 - 9:43इसी ने मुझे इस यात्रा पर लगा दिया।
-
9:43 - 9:45पीछे देख कर मुझे अब अहसास होता है
-
9:45 - 9:48कि सूफी गृह में अर्थपूर्ण
वास्तविक संस्कृति थी। -
9:48 - 9:51स्तम्भ वास्तुकला के हिस्से थे,
-
9:51 - 9:54और स्तम्भ उपस्थिति ने हम सब की
अधिक गहराई से जीने में मदद की। -
9:54 - 9:57बेशक, वही सिद्धांत लागू होता है
-
9:57 - 9:59अन्य मजबूत समुदायों में भी - -
-
9:59 - 10:01अच्छे और बुरे समुदायों में।
-
10:02 - 10:04गिरोह, संप्रदाय:
-
10:04 - 10:07ये अर्थपूर्ण संस्कृतियां हैं
जो स्तंभों का उपयोग करती हैं -
10:07 - 10:10और लोगों को कुछ जीने और मरने
के लिए देती हैं। -
10:10 - 10:13इसलिए हमें एक समाज के नाते
-
10:13 - 10:15बेहतर विकल्प प्रदान करने चाहियें।
-
10:15 - 10:19हमें इन स्तंभों को बनाने की ज़रूरत है
हमारे परिवारों व संस्थानों में -
10:19 - 10:21लोगों को स्वयं में सर्वश्रेष्ट बनने
में मदद हेतु। -
10:23 - 10:25लेकिन एक सार्थक जीवन जीने के लिए
काम करना होता है। -
10:25 - 10:27यह एक सतत प्रक्रिया है।
-
10:27 - 10:31जैसे-जैसे हर दिन बीतता है,
हम सतत अपना जीवन निर्मित करते है, -
10:31 - 10:32अपनी कहानी में जोड़ते हुए।
-
10:33 - 10:36और कभी-कभी हम पटरी से
उतर सकते हैं। -
10:36 - 10:38जब भी मेरे साथ ऐसा होता है,
-
10:38 - 10:42मैं अपने पिता संग घटित
उस शक्तिशाली अनुभव को याद करती हूँ। -
10:44 - 10:46मेरे कॉलेज से स्नातक करने के
कई महीनों बाद, -
10:46 - 10:50मेरे पिता को दिल का भयंकर दौरा पड़ा
जिससे वह मर सकते था । -
10:51 - 10:54वो बच गये, और जब मैंने उससे पूछा
उनके दिमाग में क्या चल रहा था -
10:54 - 10:56जब उसे मौत का सामना करना पड़ा,
-
10:56 - 10:59उन्होंने कहा कि वे जो सोच सके वो यह था कि
वे जीना चाहते थे -
10:59 - 11:01ताकि वे मेरे भाई के और
मेरे पास हो सकें, -
11:01 - 11:03और इसने उसे जीवन के लिए
लड़ने हेतु इच्छाशक्ति दी। -
11:04 - 11:07जब वो आपातकालीन सर्जरी के लिए बेहोश हुए,
-
11:07 - 11:1010 से पीछे की गिनती के बजाय,
-
11:10 - 11:13उसने हमारे नामों को एक मंत्र की
तरह दोहराया। -
11:14 - 11:18उन्होंने चाहा कि पृथ्वी पर बोले उसके
अंतिम शब्द हमारे नाम हों -
11:18 - 11:19अगर वह मर जाये।
-
11:21 - 11:25मेरे पिता एक बढ़ई और सूफी हैं
-
11:25 - 11:27यह एक विनम्र जीवन है,
-
11:27 - 11:28लेकिन एक अच्छा जीवन।
-
11:29 - 11:32मौत का सामना करते लेटे हुए,
उसके पास जीने का कारण था: -
11:32 - 11:34मोहब्बत।
-
11:34 - 11:36अपने परिवार में उसकी लगाव भावना,
-
11:36 - 11:38एक पिता के रूप में उनका उद्देश्य,
-
11:38 - 11:41उनका उत्कृष्ट ध्यान,
हमारे नाम दोहराना - -
11:41 - 11:44ये, वह कहते है,
ये कारण हैं कि वो क्यों बच गये। -
11:44 - 11:46यह वह कहानी है
जो वो स्वयं बताते है। -
11:48 - 11:50यह अर्थ की शक्ति है
-
11:51 - 11:53खुशी आती और जाती है
-
11:53 - 11:55लेकिन जब जीवन वास्तव में अच्छा है
-
11:55 - 11:57और जब चीजें सचमुच खराब होती हैं,
-
11:57 - 12:00कुछ अर्थपूर्ण होने से उससे चिपके
रहने का कारण बनता है। -
12:00 - 12:02धन्यवाद।
-
12:02 - 12:05(तालियां)
- Title:
- जीवन में प्रसन्नता के अतिरिक्त कुछ और भी है
- Speaker:
- वक्ता : एमिली एस्फाहानी स्मिथ
- Description:
-
विवरण : हमारी संस्कृति प्रसन्नता ग्रस्त है, लेकिन यदि इससे भी अधिक कोई परिपूर्ण संतुष्ट राह हो तो ? प्रसन्नता आती और जाती है, लेखिका एमिली एस्फाहानी स्मिथ कहती है, लेकिन जीवन का अर्थपूर्ण होना - अपने स्वार्थ से हट के कुछ सेवा कार्य करना और स्वयं में सर्वोत्तम गुण विकसित करना -- तुम्हारे भीतर - आपको कुछ करते रहने के लिए देता है। प्रसन्न होना और अर्थ रखने के अंतर् को समझे जिसके बारे एस्फाहानी स्मिथ अर्थपूर्ण जीवन के चार स्तम्भों का प्रस्ताव पेश करती है।
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 12:18
Omprakash Bisen approved Hindi subtitles for There's more to life than being happy | ||
Omprakash Bisen accepted Hindi subtitles for There's more to life than being happy | ||
Omprakash Bisen edited Hindi subtitles for There's more to life than being happy | ||
Dr Prem P. Atreja edited Hindi subtitles for There's more to life than being happy | ||
Dr Prem P. Atreja edited Hindi subtitles for There's more to life than being happy |