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चीन की एक-बच्चा नीति के तहत बड़ा होना

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    मेरा नाम नानफ़ू है.
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    चीनी भाषा में,
    " नान " का अर्थ है " आदमी "
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    और " फ़ू " का अर्थ है " स्तंभ "
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    मेरे परिवार को लड़के की उम्मीद थी,
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    जो बड़ा होकर
    परिवार का सहारा बनेगा
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    और जब मैं लड़की निकली,
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    तो फिर भी उन्होंने मेरा नाम नानफ़ू रखा
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    ( हंसी )
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    मैं 1985 में पैदा हुई थी,
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    चीन की एक-बच्चे की नीति
    घोषित होने से 6 साल पहले
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    मेरे पैदा होने के ठीक बाद,
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    स्थानीय अधिकारी आए और मेरी माँ का
    बंध्यकरण करवाने के हुक्म दे गए
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    मेरे दादाजी ने अधिकारियों से मुखालफत की,
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    क्योंकि वह एक पोता चाहते थे,
    खानदान का नाम आगे ले जाने के लिए
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    आखिरकार, मेरे माँ-बाप को
    दूसरी औलाद के लिए इजाज़त दी गई,
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    लेकिन उन्हें पांच साल तक इंतज़ार करना पड़ा
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    और भारी जुर्माना देना पड़ा.
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    बचपन में, मैं और मेरा भाई
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    एक-संतान वाले परिवारों से घिरे थे.
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    मुझे अपना एक छोटे भाई
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    होने की शर्मिंदगी याद है,
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    मुझे लगा जैसे हमारे परिवार ने
    दो बच्चे पैदा करके कुछ गलत किया
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    उस वक्त मैंने सवाल नहीं किए
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    कि ये शर्मिंदगी और जुर्म के
    एहसास कहाँ से आ रहे थे.
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    डेढ़ साल पहले,
    मुझे अपना पहला बच्चा हुआ
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    वह मेरी ज़िंददी में होने वाली
    सबसे बेहतरीन बात था
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    माँ बनने के बाद
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    मुझे अपने बचपन को देखने का
    बिल्कुल नया नज़रिया मिला,
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    और मुझे चीन में गुज़रे अपने बचपन की याद आई
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    पिछले तीन दशकों के लिए,
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    मेरे सभी घरवालों को अर्ज़ी भरकर
    सरकार से इजाज़त माँगनी पड़ी है
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    बच्चा होने के लिए
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    और मैंने सोचा कि
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    एक-बच्चे की नीति के तहत रहने वालों
    के लिए कैसा होता होगा
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    तो मैंने इस पर वृत्तचित्र बनाने का
    निर्णय लिया
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    जिन लोगों का मैंने इंटरव्यू लिया था
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    उनमें हमारे मेरे सहित गाँव के
    सब बच्चों का जन्म करवाने वाली
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    दाई भी शामिल थी
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    जब मैंने उनका इंटरव्यू लिया
    तब वह 84 वर्ष की थी
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    मैंने उससे पूछा,
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    " क्या आपको याद कि आपने अब तक
    कितने बच्चों का जन्म करवाया है ? "
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    उन्हे जन्मों की संख्या याद नही थी
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    उन्होंने कहा कि उन्होंने
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    60,000 आदेशात्मक गर्भपात व
    बंध्यकरण कराए हैं
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    कभी-कभी, उन्होंने कहा,
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    देर से गर्भपात कराने पर भ्रूण बच जाता,
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    और फिर वह उस बच्चे का
    जन्म होने पर उसे मार डालती
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    उन्हें याद था कि वह काम करते वक्त
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    उनके हाथ किस तरह काँपते थे
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    उनकी कहानी ने मुझे हैरान किया
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    जब मैं फिल्म बनाने नकली थी,
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    मुझे लगा था कि यह अपराधियों और पीड़ितों की
    एक साधारण कहानी होगी -
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    उन लोगों की जो इस नीति को अंजाम देते
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    और उन लोगों की जो
    इसके नतीजों के साथ रह रहे हैं
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    लेकिन ये वो नही था जो मैंने देखा
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    जब मैं उस दाई का इंटरव्यू खत्म कर रही थी
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    मैंने उनके घर के एक क्षेत्र को देखा
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    जो बहुत बारीकियों से बनाए गए
    घरेलू झंडों से सजा था
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    और हर झंडे पर एक बच्चे की तस्वीर थी
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    ये झंडे उन परिवारों ने भेजे थे
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    जिनके बांझपन की समस्याओं के
    इलाज में इन्होंने मदद की थी
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    उन्होंने समझाया कि
    गर्भपात व बंध्यकरण कराना
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    उनके लिए बहुत हो चुका था --
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    कि अब वह केवल परिवारों को बच्चे पैदा
    करने में मदद करने काम करती थी
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    उन्होंने कहा कि वह एक-बच्चे की नीति को
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    अमल करने के कारण अपराधबोध से भरी थी,
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    और उन्हें उम्मीद थी कि बच्चे होने में
    परिवारों की मदद करके
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    वह अपने अतीत के दुष्कर्मों को रद्द कर सकती
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    मुझे एहसास हुआ कि वह भी
    इस नीति का शिकार थी
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    हर आवाज़ उनसे कह रही थी
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    कि उन्होंने जो किया वह सही था और
    चीन के ज़िंदा रहने के लिए ज़रूरी था
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    और उन्होंने वही किया जो उन्हें
    अपने मुल्क के लिए सही लगा
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    मैं जानती हूँ उस पैग़ाम में कितनी ताकत थी
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    जब मैं बड़ी हो रही थी
    तब वह मेरे हर तरफ़ था
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    माचिस पर,
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    ताश के पत्तों पर,
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    पाठ्यपुस्तकों पर और
    इश्तेहारों पर वह छपा था
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    एक बच्चे की नीति को
    बढ़ावा देने वाला प्रचार
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    हमारे आसपास हर जगह था.
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    ( बंध्यकरण न कराने वालों को
    गिरफ्तार किया जाएगा )
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    इसकी नाफ़र्मानी के खतरों
    का प्रचार भी हर तरफ़ था.
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    यह पैग़ाम हमारे ज़ेहन में इस कदर बस गया
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    कि मैं अपने छोटे भाई के होने पर शर्मिंदगी
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    महसूस करते हुए बड़ी हुई हूँ.
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    हर इंसान का इंटरव्यू लेने पर
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    मैंने देखा कि इस प्रचार से उनके
    दिल और दिमाग कैसे प्रभावित हो सकते हैं,
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    और कैसे उनकी बेहतरी के लिए
    कुर्बानी देने की रज़ामंदी को
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    एक संजीदा और दर्दनाक
    चीज़ में मरोड़ा जा सकता है.
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    चीन वह इकलौती जगह नहीं है जहाँ यह होता
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    पृथ्वी पर ऐसा कोई देश नहीं है
    जहाँ प्रचार प्रसार मौजूद नहीं है
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    और उन समाजों में, जो चीन से ज़्यादा
    खुले और आज़ाद माने जाते हैं,
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    प्रचार को पहचानना
    और भी मुश्किल हो सकता है.
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    वह हमारी नज़रों के सामने छुपा रहता है,
    समाचारों के रिपोर्ट के रूप में,
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    टी.वी के विज्ञापनों, राजनीतिक अभियानों
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    व हमारे सोशल मीडिया के फ़ीड के रूप में
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    यह हमारे बगैर जाने हमारा मन
    बदलने का काम करता है
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    हर समाज की यह कमज़ोरी है कि
    वह प्रचार को सच्चाई मान सकता है,
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    और ऐसा समाज, जहाँ प्रचार
    सच्चाई का स्थान लेता है,
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    सही मायने में स्वतंत्र नही हो सकता
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    शुक्रिया
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    ( तालियाँ )
Title:
चीन की एक-बच्चा नीति के तहत बड़ा होना
Speaker:
नानफ़ू वैंग
Description:

टेड फेलो और वृत्तचित्र फिल्म की निर्माता नानफ़ू वैंग बताती है कि चीन की एक-बच्चे की नीती तो 2015 में समाप्त हुई, पर हम अब ही समझने लगे हैं कि इस योजना के तहत रहना कैसा था । उनकी फिल्म " वन चाइल्ड नेशन " के फुटेज के साथ, वह ऐसे अनकहे किस्से बाँटती है जो इस नीति के जटिल नतीजों का खुलासा करते हैं और प्रचार की खौफ़नाक ताकत को बेपर्दा करते हैं ।

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
05:56

Hindi subtitles

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