इकलौती कहानी के ख़तरे
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0:00 - 0:02मैं एक कथावाचक हूं.
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0:02 - 0:05और मैं आपको कुछ निजी कहानियां
सुनाना चाहती हूं -
0:05 - 0:10जिन्हें मैं "इकलौती कहानी के खतरे"
कहती हूं. -
0:10 - 0:14मैं पूर्वी नाइजीरिया के
एक यूनीवर्सिटी कैंपस में बड़ी हुई. -
0:14 - 0:17मेरी मां बताती हैं कि मैंने दो साल की
अवस्था में पढ़ना शुरु कर दिया था, -
0:17 - 0:22पर मुझे लगता है कि यह चार साल के आसपास हुआ होगा.
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0:22 - 0:24इस तरह मैंने जल्दी पढ़ना शुरु कर दिया.
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0:24 - 0:27और मैं ब्रिटिश व अमेरिकी बाल साहित्य पढ़ती थी.
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0:27 - 0:30मैंने लिखना भी जल्दी शुरु कर दिया.
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0:30 - 0:34जब मैं लगभग सात साल की थी तभी से मैं
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0:34 - 0:36पेंसिल और क्रेयॉन से चित्रित करके कहानियां लिखने लगी
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0:36 - 0:39जिन्हें मेरी बेचारी मां को ही पढ़ना पड़ता था.
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0:39 - 0:43मैं वैसी ही कहानियां लिख रही थी जैसी मैं उस समय पढ़ रही थी.
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0:43 - 0:48मेरी कहानियों के सारे चरित्र गोरे थे और उनकी आंखें नीली होती थीं.
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0:48 - 0:50वे बर्फ़ में खेलते थे.
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0:50 - 0:52वे सेब खाते थे.
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0:52 - 0:54(हंसी)
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0:54 - 0:56और वे मौसम के बारे में बहुत बातें करते थे,
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0:56 - 0:58जैसे सूरज निकलने पर कितना अच्छा लग रहा होता है.
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0:58 - 1:00(हंसी)
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1:00 - 1:03हांलाकि, मैं प्रारंभ से ही नाइजीरिया में ही रहती आई थी,
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1:03 - 1:07और वहां से बाहर कभी नहीं गई थी.
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1:07 - 1:10हमने बर्फ़ कभी नहीं देखी. हम आम खाते थे.
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1:10 - 1:12और हम मौसम के बारे में कभी बात नहीं करते थे,
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1:12 - 1:14क्योंकि उसकी कोई ज़रूरत नहीं थी.
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1:14 - 1:17मेरी कहानियों के चरित्र जिंजर बीयर बहुत पीते थे,
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1:17 - 1:19क्योंकि जो ब्रिटिश कहानियां मैं पढ़ती थी उनके चरित्र भी
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1:19 - 1:21जिंजर बीयर पीते थे.
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1:21 - 1:24जबकि मुझे पता भी नहीं था कि जिंजर बीयर क्या चीज थी.
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1:24 - 1:25(हंसी)
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1:25 - 1:28और आगे कई सालों तक मेरे भीतर जिंजर बीयर चखने की
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1:28 - 1:30बहुत गहरी इच्छा बनी रही.
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1:30 - 1:32पर वह दूसरी कहानी है.
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1:32 - 1:34मैं सोचती हूं कि इस सब से यह दिखाता है कि
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1:34 - 1:37कहानियाँ कैसे हम पर छाप छोड़ जाती हैं,
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1:37 - 1:39खासकर तब,
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1:39 - 1:41जब हम बच्चे हों.
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1:41 - 1:43चूंकि मैं वही पुस्तकें पढ़ा करती थी
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1:43 - 1:45जिनके चरित्र विदेशी थे,
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1:45 - 1:47इसलिए मैं आश्वस्त हो गई थी कि
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1:47 - 1:50पुस्तकों का मूल स्वभाव ही है कि उनमें विदेशी हों,
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1:50 - 1:52और ऎसे तत्व भी
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1:52 - 1:55जिनसे मैं खुद तादात्म्य का अनुभव नहीं करती थी.
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1:55 - 1:59लेकिन जब मैंने अफ़्रीकी पुस्तकें पढ़ना शुरु किया तो चीजें बदल गईं.
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1:59 - 2:01उस समय ये पुस्तकें बहुत कम उपलब्ध थीं. और जो थीं
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2:01 - 2:03वे भी विदेशी पुस्तकों जितनी आसानी से नहीं मिलतीं थीं.
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2:03 - 2:07लेकिन चिनुआ अचेबे और कमारा लाए जैसे लेखकों को पढ़ने पर
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2:07 - 2:09मेरे साहित्यबोध में सहसा बहुत बड़ा
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2:09 - 2:11परिवर्तन आया.
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2:11 - 2:13मुझे लगा कि मेरे जैसे लोग,
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2:13 - 2:15चाकलेटी कांति वाली लड़कियां
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2:15 - 2:18जिनके घुंघराले बालों से पोनीटेल नहीं बनती,
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2:18 - 2:20वे भी साहित्य का अंग हो सकते हैं.
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2:20 - 2:24मैंने उन चीजों के बारे में लिखना शुरु किया जिन्हें मैं पहचानती थी.
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2:24 - 2:28वैसे, मुझे अमेरिकी और ब्रिटिश पुस्तकों से प्रेम था.
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2:28 - 2:32उन्होंने मुझे कल्पनाशील बनाया. मेरे लिए नई दुनिया का द्वार खोला.
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2:32 - 2:34लेकिन इसका अनभिप्रेत परिणाम यह हुआ
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2:34 - 2:36कि मुझे इस बात का ज्ञान नहीं हो सका
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2:36 - 2:38कि मेरे जैसे लोगो का भी साहित्य में कोई स्थान है.
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2:38 - 2:42इस प्रकार मुझे अफ़्रीकी लेखकों की जानकारी मिलने से यह हुआ कि
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2:42 - 2:45इसने मुझे केवल एक ही तरह की पुस्तकें होती है -
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2:45 - 2:47वाली राय से बचा लिया.
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2:47 - 2:50मेरा जन्म एक पारंपरिक मध्यवर्गीय नाइजीरियाई परिवार में हुआ था.
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2:50 - 2:52मेरे पिता प्रोफ़ेसर थे.
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2:52 - 2:55मेरी मां प्रशासक के पद पर थीं.
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2:55 - 2:58और इस प्रकार, जैसा वहां चलन था,
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2:58 - 3:03हमारे घर में नौकर-चाकर थे जो पास के गांव-देहात से आते थे.
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3:03 - 3:07जब मैं आठ साल की हुई, हमारे घर में काम करने एक लड़का आया.
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3:07 - 3:09उसका नाम फ़ीडे था.
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3:09 - 3:12मेरी मां ने उसके बारे में यही बताया
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3:12 - 3:15कि उसका परिवार बहुत गरीब था.
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3:15 - 3:17मेरी मां ने उसके घर जिमीकंद, चावल,
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3:17 - 3:20और हम लोगों के पुराने कपड़े भेजे.
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3:20 - 3:22और जब कभी मैं अपना खाना छोड़ देती, तो मेरी मां कहतीं,
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3:22 - 3:27"खाना मत छोड़ो, तुम जानती हो, फ़ीडे जैसे लोगों के पास खाने को भी नहीं है".
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3:27 - 3:31तब मुझे फ़ीडे के परिवार पर बहुत दया आती थी.
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3:31 - 3:34फिर एक शनिवार को मैं उसके गांव तक गई.
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3:34 - 3:38और उसकी मां ने मुझे खूबसूरत बुनाईवाली बास्केट दिखाई,
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3:38 - 3:41जो उसके भाई ने ताड़ के रंगे हुए पत्तों से बनाई थी.
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3:41 - 3:43वह देखकर मैं हैरान रह गई.
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3:43 - 3:46मैं सोच भी नहीं सकती थी कि उसके परिवार में वास्तव में
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3:46 - 3:49कोई कुछ बना सकता था.
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3:49 - 3:52मैं सिर्फ यही सुनती आई थी कि वे बहुत गरीब थे,
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3:52 - 3:54और इस तरह मैं उनके बारे में कुछ और नहीं जान सकी थी
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3:54 - 3:57इसके सिवाय कि वे बहुत गरीब थे.
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3:57 - 4:01मेरे पास एकमात्र कहानी उनकी गरीबी की थी.
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4:01 - 4:03सालों बाद, मैंने इस बारे में सोचा जब मैं नाइजीरिया छोड़कर
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4:03 - 4:06यूनाइटेड स्टेट्स के विश्वविद्यालय में पढ़ने गई.
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4:06 - 4:08उस समय मैं 19 साल की थी.
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4:08 - 4:12मेरी अमेरिकी रूम-मेट मुझसे मिलकर बहुत अचंभित हुई.
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4:12 - 4:15उसने मुझसे पूछा कि मैंने इतनी अच्छी अंग्रेजी कहां सीखी,
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4:15 - 4:17और मुझसे यह सुनकर वह चकरा गई
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4:17 - 4:22कि अंग्रेजी नाइजीरिया की राजकीय भाषा है.
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4:22 - 4:26उसने मुझसे कहा कि वह "मेरा आदिवासी संगीत" सुनना चाहती है,
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4:26 - 4:28और उसे तब और भी निराशा हुई
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4:28 - 4:30जब मैंने उसे मेरे मराइया कैरी के टेप दिखाए.
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4:30 - 4:33(हंसी)
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4:33 - 4:35उसे यह लगता था कि मुझे स्टोव इस्तेमाल करना
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4:35 - 4:38नहीं आता होगा.
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4:38 - 4:40और मुझे उससे मिलकर ऐसा लगा जैसे मुझसे मिलने के पहले ही
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4:40 - 4:42उसे मुझपर तरस आने लगा था.
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4:42 - 4:46मेरे अफ़्रीकी होने ने उसमें मेरे प्रति
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4:46 - 4:50कृ्पा, सदाशयता, और करूणा जगा दी थी.
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4:50 - 4:53मेरी रूम-मेट के पास अफ़्रीका की एक ही कहानी थी.
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4:53 - 4:56घोर दुर्गति की कहानी.
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4:56 - 4:58इस इकलौती कहानी में कोई संभावना नहीं थी कि
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4:58 - 5:02उसमें अफ़्रीकावासी किसी तरह भी उसके समान हों.
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5:02 - 5:05उसमें दयाभाव से इतर अनुभूति की कोई संभावना नहीं थी.
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5:05 - 5:09समानता के संबंध की कोई गुंजाईश नहीं थी.
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5:09 - 5:11मैं यहाँ ये कहना कहूंगी कि अमेरिका जाने के पहले मैं खुद को
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5:11 - 5:14सचेतन रूप से एक अफ़्रीकी के रूप में नहीं देखती थी.
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5:14 - 5:17लेकिन अमेरिका में जब अफ़्रीका का ज़िक्र चलता तो सारी आंखें मुझपर टिक जातीं थीं.
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5:17 - 5:21इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि मैं नामिबिया जैसी जगहों के बारे में कुछ नहीं जानती थी.
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5:21 - 5:23लेकिन मैं अपनी इस नई पहचान से बहुत अच्छे से जुड़ गई.
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5:23 - 5:26और अब कई अर्थों में मैं स्वयं को अफ़्रीकी ही मानती हूं.
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5:26 - 5:28हांलांकि मुझे तब बहुत खीझ होती है जब
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5:28 - 5:30अफ़्रीका को एक बड़े देश के रूप में देखा जाता है.
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5:30 - 5:34इसका ताजा उदाहरण ये है कि मेरी लगभग शानदार यात्रा में
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5:34 - 5:36लागोस से दो दिन पहलेवाली उड़ान में
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5:36 - 5:38वर्जिन एयरवेज़ के विमान में उन्होंने
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5:38 - 5:43"भारत, अफ़्रीका, व अन्य देशों में" जारी परोपकारी कार्यों की जानकारी दी.
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5:43 - 5:44(हंसी)
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5:44 - 5:48एक अफ़्रीकी के रूप में अमेरिका में कुछ साल बिताने के बाद
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5:48 - 5:52मैं मेरे प्रति मेरी रूम-मेट की प्रतिक्रियाओं को समझने लगी.
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5:52 - 5:55यदि मैं नाइजीरिया में पलती-बढ़ती नहीं तो मेरे मन में भी अफ़्रीका की
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5:55 - 5:57प्रचलित छवियां ही रहतीं,
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5:57 - 6:00मुझे भी यही लगता कि अफ़्रीका एक स्थान है,
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6:00 - 6:04जहां रमणीय परिदृश्य, सुंदर जानवर,
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6:04 - 6:06और अबूझ लोग रहते हैं,
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6:06 - 6:09जो फ़िजूल में लड़ते रहते हैं, गरीबी और एड्स से मरते हैं,
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6:09 - 6:12जो अपने अधिकारों के लिए कुछ नहीं कर पाते,
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6:12 - 6:14और इस इंतजार में रहते हैं कि उन्हें
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6:14 - 6:17कोई दयालु गोरा विदेशी आकर बचाएंगे.
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6:17 - 6:19मैं अफ़्रीका को उसी प्रकार से देखती जिस तरह से मैंने
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6:19 - 6:23बचपन में फ़ीडे के परिवार को देखा था.
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6:23 - 6:27मेरे विचार से, अफ़्रीका की बेचारगी की यह इकलौती कहानी पश्चिमी साहित्य से आती है.
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6:27 - 6:29मेरे पास यहां एक उद्धरण है
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6:29 - 6:32लंदन के व्यापारी जॉन लोक ने क लिखा,
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6:32 - 6:35जो 1561 मे पश्चिमी अफ़्रीका आया,
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6:35 - 6:40और उसने अपनी यात्रा के रोचक विवरण लिखे.
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6:40 - 6:42अश्वेत अफ़्रीकावासियों के लिए वह लिखता है
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6:42 - 6:44"जंगली जानवर जो घरों में नहीं रहते",
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6:44 - 6:48वह लिखता है, "यहां ऐसे लोग भी हैं जिनके सिर नहीं हैं,
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6:48 - 6:53और जिनके मुंह और आंखें उनके वक्षस्थल में हैं".
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6:53 - 6:55इसे पढ़ते समय मैं हर बार हंस पड़ती हूं.
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6:55 - 6:59जॉन लॉक की कल्पनाशक्ति की तो दाद देनी होगी.
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6:59 - 7:01लेकिन उसकी कहानी की खास बात यह है कि
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7:01 - 7:03यह पश्चिम को अफ़्रीका की कहानियाँ बताने की
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7:03 - 7:06परंपरा की शुरुवात का निरूपण करती है.
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7:06 - 7:09ऎसी परंपरा, जो अधो-सहारा अफ़्रीका को नकारात्मक बातों से भरी,
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7:09 - 7:11असमानताओं की, अंधेकार की,
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7:11 - 7:15और इसके निवासियों को शानदार कवि
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7:15 - 7:17रुडयार्ड किपलिंग के शब्दों में
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7:17 - 7:20"आधे दैत्य, आधे शिशु" कहने की रही है.
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7:20 - 7:23और तब मुझे यह समझ में आने लगा कि कि मेरी अमेरिकी रूम-मेट ने
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7:23 - 7:25उसके पूरे जीवनकाल में
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7:25 - 7:27ऐसी ही एकतरफा कहानी के विभिन्न
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7:27 - 7:29रूप देखे-सुने होंगे,
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7:29 - 7:31जिस प्रकार मेरे एक प्रोफेसर ने
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7:31 - 7:36एक बार मुझसे कहा था कि मेरे उपन्यास "प्रामाणिक रूप से अफ़्रीकी" नही लगते थे.
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7:36 - 7:38देखिए, मैं यह स्वीकार कर लेती हूं कि मेरे उपन्यास में कुछ
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7:38 - 7:40गड़बड़ियां रही होंगी,
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7:40 - 7:44और कुछ स्थानों पर मैंने गलतियां भी की थीं.
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7:44 - 7:46लेकिन मैं यह नहीं मान सकती कि मैं
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7:46 - 7:49अफ़्रीकी प्रामाणिकता को प्राप्त करने में असफल रही थी.
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7:49 - 7:51असल में मैं यह जानती ही नहीं थी
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7:51 - 7:54कि अफ़्रीकी प्रामाणिकता का अर्थ क्या है.
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7:54 - 7:56मेरे प्रोफेसर ने मुझे बताया कि मेरे चरित्र
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7:56 - 7:58बहुत हद तक उनकी ही तरह पढ़े-लिखे
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7:58 - 8:00और मिडिल-क्लास से संबंधित थे.
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8:00 - 8:02मेरे चरित्र कार चलाते थे.
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8:02 - 8:05वे भूखे नहीं मर रहे थे.
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8:05 - 8:09इसलिए उन्हें प्रामाणिक तौर पर अफ़्रीकी नहीं कहा जा सकता था.
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8:09 - 8:12लेकिन मुझे यह भी जल्द स्वीकार कर लेना चाहिए कि मैं भी
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8:12 - 8:15ऐसी ही एक एकतरफा कहानी को मानने की दोषी हूं.
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8:15 - 8:19कुछ सालों पहले मैं अमेरिका से मैक्सिको की यात्रा पर गई थी.
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8:19 - 8:21उन दिनों अमेरिका में राजनीतिक वातावरण तनावपूर्ण था.
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8:21 - 8:25और आप्रवासन पर बहुत वाद-विवाद हो रहा था.
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8:25 - 8:27और जैसे कि अमेरिका में अक्सर होता है,
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8:27 - 8:30आप्रवासन के विषय को मैक्सिकोवासियों से जोड़ दिया गया.
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8:30 - 8:32वहां मैक्सिकोवासियों के बारे में बहुतेरी कहानियां कही जा रही थीं
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8:32 - 8:34जैसे कि ये लोग
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8:34 - 8:36स्वास्थ्य सुविधाओं को चौपट कर रहे थे,
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8:36 - 8:38सीमाओं पर सेंध लगा रहे थे,
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8:38 - 8:42उनकी गिरफ़्तारियां हो रहीं थी, ऐसी ही बातें.
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8:42 - 8:46मुझे गुआडालाहारा में पहले दिन पैदल घूमना याद है,
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8:46 - 8:48जब मैंने लोगों को काम पर जाते,
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8:48 - 8:50बाजार में टॉर्टिला बनाते, सिगरेट पीते,
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8:50 - 8:53हंसते हुए देखा.
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8:53 - 8:56यह सब देखकर मुझे हुआ आश्चर्य मुझे याद आ रहा है.
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8:56 - 8:59और फिर मैंने बहुत शर्मिंदगी भी महसूस की.
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8:59 - 9:02मुझे लगने लगा कि मैं भी मीडियावालों द्वारा
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9:02 - 9:04मैक्सिकोवासियों की रची गई छवि को सच मान बैठी थी,
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9:04 - 9:06और यह कि मैं भी मन-ही-मन उन्हें अधम आप्रवासी
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9:06 - 9:09मान चुकी थी.
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9:09 - 9:11मैंने अपने भीतर मैक्सिकोवासियों की एकतरफा कहानी घर कर ली थी
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9:11 - 9:14और ऐसा करने पर मैं बहुत लज्जित अनुभव कर रही थी.
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9:14 - 9:16तो ऐसे ही एकतरफा कहानियां बनती रहतीं हैं,
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9:16 - 9:19जो व्यक्तियों को वस्तु की तरह दिखाती हैं,
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9:19 - 9:21केवल एक वस्तु की तरह
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9:21 - 9:23बार-बार दिखातीं हैं,
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9:23 - 9:26और वही वे अंततः बन जाते हैं.
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9:26 - 9:28शक्ति की चर्चा किए बिना एकतरफा कहानी की बात करना
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9:28 - 9:31नामुमकिन है.
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9:31 - 9:33इग्बो (पश्चिमी अफ़्रीकी भाषा) में एक शब्द है,
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9:33 - 9:35और जब भी मैं शक्ति के स्वरूप के बारे में सोचती हूं,
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9:35 - 9:38तब यह शब्द "नकाली" मुझे ध्यान में आता है.
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9:38 - 9:40ये संज्ञा शब्द है जिसका कुछ-कुछ अनुवाद है
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9:40 - 9:43"दूसरों से अधिक बड़ा या महत्वपूर्ण होना".
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9:43 - 9:46हमारे आर्थिक व राजनीतिक जगत के सदृश
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9:46 - 9:48कहानियों की व्याख्या भी
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9:48 - 9:51नकाली के सिद्धांत द्वारा की जाती है.
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9:51 - 9:53वे कैसे कही जाती हैं, उन्हें कौन कहता है,
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9:53 - 9:56और जब वे कही जातीं हैं तो कितनी कही जाती हैं,
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9:56 - 10:00इस सबका निर्धारण शक्ति द्वारा ही होता है.
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10:00 - 10:03शक्ति संपन्न होना केवल किसी व्यक्ति की कहानी कहने की क्षमता तक सीमित नहीं है,
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10:03 - 10:07बल्कि उसे उस व्यक्ति की निर्णायक कहानी बनाना भी है.
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10:07 - 10:09फ़िलिस्तीनी कवि मौरीद बरघूती ने लिखा है
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10:09 - 10:12कि यदि तुम किन्ही व्यक्तियों का स्वत्व हरना चाहते हो तो
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10:12 - 10:15इसका सबसे आसान तरीका है उनकी कहानी कहो,
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10:15 - 10:18और इसे "दूसरी तरफ" कहकर शुरु करो.
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10:18 - 10:22अमेरिकी मूल निवासियों के तीरों की बात से कहानी शुरु करो,
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10:22 - 10:25ब्रिटिश दस्तों के आगमन से नहीं,
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10:25 - 10:28और तुम्हारे पास एक बिल्कुल अलग कहानी होगी.
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10:28 - 10:30कहानी की शुरुआत करो
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10:30 - 10:32अफ़्रीकी राज्यों की विफलताओं से,
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10:32 - 10:36और अफ़्रीकी राज्यों के औपनिवेशीकरण को दरकिनार कर दो
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10:36 - 10:40और तुम्हारे पास एक बिल्कुल अलग कहानी होगी.
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10:40 - 10:42मैंने हाल में ही एक विश्वविद्यालय में व्याख्यान दिया
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10:42 - 10:44जहां एक विद्यार्थी ने मुझसे कहा
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10:44 - 10:46कि यह बहुत शर्म की बात है कि
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10:46 - 10:49नाइजीरियाई पुरुष स्त्रियों का उसी प्रकार शारीरिक शोषण करते हैं
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10:49 - 10:52जिस तरह मेरे एक उपन्यास में एक पिता का चित्रण है.
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10:52 - 10:54मैंने उसे कहा कि हाल में ही मैंने एक उपन्यास पढ़ा है
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10:54 - 10:56जिसका नाम है "अमेरिकन साइको" --
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10:56 - 10:58(हंसी)
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10:58 - 11:00-- और यह बड़े शर्म की बात है कि
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11:00 - 11:03युवा अमेरिकी क्रमिक हत्यारे होते हैं.
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11:03 - 11:07(हंसी)
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11:07 - 11:13(तालियां)
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11:13 - 11:16देखिए, मैंने यह थोड़ा चिढ़कर कहा था.
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11:16 - 11:18(हंसी)
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11:18 - 11:20मैं इस तरह की बात नहीं सोच सकती थी
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11:20 - 11:22कि चुंकि मैंने ऎसा उपन्यास पढ़ा जिसका
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11:22 - 11:24एक पात्र क्रमिक हत्यारा है,
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11:24 - 11:26वह किसी भी तरह सारे अमेरिकियों का
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11:26 - 11:28चित्रण हो सकता है.
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11:28 - 11:31और ऐसा इसलिए नहीं है कि मैं उस विद्यार्थी से बेहतर व्यक्ति हूं,
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11:31 - 11:34बल्कि इसलिए कि मैं अमेरिका की सांस्कृतिक और आर्थिक शक्ति की
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11:34 - 11:36बहुत सारी कहानियां सुन चुकी थी.
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11:36 - 11:40मैं टाइलर, अपडाइक, स्टाइनबैक, और गैट्सकिल को पढ़ चुकी थी.
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11:40 - 11:43मेरे पास अमेरिका की बस एक ही कहानी नहीं थी.
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11:43 - 11:46सालों पहले जब मैंने यह सुना कि लोग यह सोचते थे कि
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11:46 - 11:50सफल लेखक वे होते हैं जिनका बचपन
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11:50 - 11:52बहुत बुरा बीता हो,
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11:52 - 11:54तो मैं सोचने लगी कि मैं किस तरह उन बुरी बातों की
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11:54 - 11:56खोज करूं जो मेरे माता-पिता ने मेरे साथ की हों.
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11:56 - 11:58(हंसी)
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11:58 - 12:02लेकिन सच्चाई यह है कि मेरा बचपन बहुत सुखद था,
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12:02 - 12:05हमारा परिवार बहुत प्रेम और आनंद के साथ एकजुट रहता था.
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12:05 - 12:09लेकिन मेरे पितामह आदि भी थे जिनकी मृत्यु शरणार्थी कैंप में हुई थी.
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12:09 - 12:13मेरा कज़िन पोल मर गया क्योंकि उसे समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलीं.
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12:13 - 12:16मेरी बहुत करीबी दोस्त ओकोलोमा विमान दुर्घटना में जलकर मर गई
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12:16 - 12:19क्योंकि हमारी अग्निशमन गाड़ियों में पानी नहीं था.
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12:19 - 12:22मैं दमनकारी सैनिक शासन के बीच बड़ी हुई
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12:22 - 12:24जिसने शिक्षा का अवमूल्यन कर दिया,
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12:24 - 12:27जिसके कारण कभी-कभी मेरे माता-पिता को वेतन नहीं मिलता था.
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12:27 - 12:31फिर मैंने बचपन में अपने नाश्ते की टेबल से जैम की बोतल गायब होते देखी,
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12:31 - 12:33उसके बाद मारजारिन भी गायब हो गया,
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12:33 - 12:36फिर ब्रैड बहुत महंगी हो गई,
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12:36 - 12:39और दूध राशन से मिलने लगा.
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12:39 - 12:42और इससे भी अधिक, एक सामान्यीकृत राजनीतिक भय ने
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12:42 - 12:46हमारे जीवन को घेर लिया.
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12:46 - 12:48इन सभी कहानियों ने ही मुझे वह बनाया है जो मैं आज हूं.
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12:48 - 12:52लेकिन इन नकारात्मक कहानियों को ही महत्व देना
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12:52 - 12:55मेरे अनुभवों को कम करके आंकना होगा
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12:55 - 12:57और इससे वे दूसरी कहानियां अनदेखी रह जाएंगीं
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12:57 - 12:59जिन्होंने मुझे आकार दिया है.
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12:59 - 13:02इकलौती कहानी रूढ़ियों का निर्माण करती है.
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13:02 - 13:05और रूढ़ियों के साथ समस्या यह नहीं है कि
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13:05 - 13:07वे सत्य नहीं होतीं, बल्कि यह है
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13:07 - 13:09कि वे अपूर्ण होतीं हैं.
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13:09 - 13:13वे एक कहानी को एकमात्र कहानी बना देतीं हैं.
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13:13 - 13:15बेशक, अफ़्रीका दुःख और दुर्गति की महागाथा है.
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13:15 - 13:19कुछ अत्यंत भयंकर हैं, जैसे कांगो के विभत्स बलात्कार.
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13:19 - 13:21और कुछ अवसादपूर्ण हैं, जैसे नाइजीरिया में
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13:21 - 13:26एक भर्ती के लिए 5,000 लोग आवेदन करते हैं.
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13:26 - 13:29लेकिन वहां कुछ ऐसी कहानियां भी हैं जो दर्दनाक नहीं हैं,
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13:29 - 13:33और यह कहना ज़रूरी है कि वे भी इतनी महत्वपूर्ण हैं कि उनकी चर्चा हो.
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13:33 - 13:35मैं हमेशा से यह मानती आई हूं कि
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13:35 - 13:38किसी परिवेश या व्यक्ति से भली-भांति जुड़े बिना
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13:38 - 13:42उस स्थान या व्यक्ति की सभी कहानियों से संबद्ध हो पाना संभव नहीं है.
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13:42 - 13:45इकलौती बयान की कहानी की परिणति यह होती है
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13:45 - 13:48कि यह मनुष्य को उसकी गरिमा से वंचित कर देती है.
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13:48 - 13:52यह हमारी इन्सानों में समानता की पहचान को कठिन बना देती है.
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13:52 - 13:55यह दर्शाने की जगह कि हम कितने समान हैं,
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13:55 - 13:57वो ये दिखाती है कि हम कैसे अलग हैं.
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13:57 - 13:59क्या होता अगर मैक्सिको जाने से पहले
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13:59 - 14:03मैंने आप्रवासन पर हुए वाद-विवादों में सं. रा. अमेरिका और मैक्सिको
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14:03 - 14:05दोनों ही पक्षों को सुना होता?
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14:05 - 14:09क्या होता अगर मेरी मां ने मुझे बताया होता कि फ़ीडे का परिवार बहुत गरीब
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14:09 - 14:11पर मेहनती है?
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14:11 - 14:13और क्या होता यदि हमारे पास अफ़्रीकी टीवी नेटवर्क होता
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14:13 - 14:17जो विविध अफ़्रीकी कहानियों को दुनिया भर में प्रसारित करता?
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14:17 - 14:19यह वही होता जिसे नाइजीरियाई लेखक चिनुआ अचेबे ने
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14:19 - 14:22"कहानियों का संतुलन" कहा है.
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14:22 - 14:25क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को नाइजीरियाई प्रकाशक
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14:25 - 14:27मुक्ता बकारे के बारे में पता होता,
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14:27 - 14:29एक असाधारण आदमी जिसने बैंक की नौकरी छोड़कर
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14:29 - 14:32अपने सपनों की राह पर चलकर प्रकाशनगृह की स्थापना की?
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14:32 - 14:36लेकिन आम धारणा तो यह थी कि नाइजीरियाइ लोग साहित्य नहीं पढ़ते.
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14:36 - 14:38उन्होने इसका विरोध किया. उन्हे लगा
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14:38 - 14:40कि जो लोग पढ़ना जानते हैं, वे ज़रूर पढ़ेंगे
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14:40 - 14:44यदि हम खरीद पाने लायक मूल्य में उन्हें साहित्य उपलब्ध कराएं.
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14:44 - 14:47जब उन्होने मेरा पहला उपन्यास छापा उसके कुछ ही समय बाद
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14:47 - 14:50मैं लागोस में एक टीवी स्टेशन में साक्षात्कार देने गई.
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14:50 - 14:53और वहां मैसेंजर का काम करनेवाली एक महिला मेरे पास आई और मुझसे बोली,
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14:53 - 14:56"मुझे आपका उपन्यास अच्छा लगा, पर मुझे उसका अंत पसंद नहीं आया.
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14:56 - 14:59अब आप उसका सिक्वेल ज़रूर लिखें, और उसमें ऐसा होना चाहिए कि..."
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14:59 - 15:02(हंसी)
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15:02 - 15:05और वह मुझे बताने लगी कि सिक्वेल में क्या लिखना चाहिए.
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15:05 - 15:08उसकी बातों ने मुझे न सिर्फ़ मोहित किया बल्कि भीतर तक छू दिया.
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15:08 - 15:11वह तो एक साधारण औरत थी, नाइजीरियाई जनता का एक अंशमात्र
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15:11 - 15:14जिसे हम अपने पाठकवर्ग में नहीं गिनते थे.
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15:14 - 15:16उसने न सिर्फ़ वह पुस्तक पढ़ी, बल्कि उसे वह उसकी पुस्तक जैसी लगी
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15:16 - 15:19और मुझे यह बताना उसे तर्कसंगत लगा
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15:19 - 15:21कि मुझे पुस्तक का सिक्वेल लिखना चाहिए.
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15:21 - 15:25क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को मेरी निडर मित्र फूमी ओंडा के बारे में पता होता,
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15:25 - 15:28जो लागोस में एक टीवी कार्यक्रम में मेजबान है,
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15:28 - 15:31और उन कहानियों को सामने लाना चाहती है जिन्हें हम भूलना ठीक समझते हैं?
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15:31 - 15:35क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को हृदय के उस ऑपरेशन के बारे में पता होता
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15:35 - 15:38जिसे लागोस के अस्पताल में पिछले सप्ताह अंजाम दिया गया?
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15:38 - 15:42क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को समकालीन नाइजीरियन संगीत के बारे में पता होता?
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15:42 - 15:45जिसमें प्रतिभाशाली गायक अंग्रेजी और पिजिन में,
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15:45 - 15:47इग्बो में, योरूबा में, और इजो में,
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15:47 - 15:51जे-ज़ी से लेकर फ़ेला, और बॉब मार्ली से लेकर
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15:51 - 15:54अपने पितामहों के सुमेलित प्रभाव में गाते हैं.
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15:54 - 15:56क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को उन महिला वकीलों के बारे में पता होता
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15:56 - 15:58जो हाल में ही नाइजीरिया की अदालत में
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15:58 - 16:00एक हास्यास्पद कानून को चुनौती देने गईं
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16:00 - 16:03जिसके अनुसार किसी स्त्री को अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण के लिए
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16:03 - 16:06अपने पति की स्वीकृति लेना आवश्यक किया गया था?
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16:06 - 16:09क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को नॉलीवुड के बारे में पता होता,
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16:09 - 16:13जहां विशाल तकनीकी कठिनाइयों के बाद भी मौलिकता से तर लोग फ़िल्म बना रहे हैं?
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16:13 - 16:15इतनी चलने वाली फ़िल्में
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16:15 - 16:17जो इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है
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16:17 - 16:20कि नाइजीरियाई लोग अपने ज़रूरत के मुताबिक चीज़ें बना सकते हैं.
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16:20 - 16:23क्या होता यदि मेरी रूम-मेट को मेरी चोटी बनानेवाली उस ज़बर्दस्त महत्वाकांक्षी लड़की के बारे में पता होता,
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16:23 - 16:27जिसने हाल में ही बालों के एक्सटेन्शन का व्यापार शुरु किया है?
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16:27 - 16:29या उन लाखों नाइजीरियाई लोगों के बारे में
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16:29 - 16:31जो कामधंधा शुरु करते हैं पर कभी-कभी असफल हो जाते हैं,
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16:31 - 16:35लेकिन अपनी महत्वाकांक्षाओं का पोषण करते रहते हैं?
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16:35 - 16:37हर बार जब मैं घर जाती हूं तो मेरा सामना होता है
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16:37 - 16:40नाइजीरियाई लोगों की आम शिकायतों से, जैसेः
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16:40 - 16:43हमारा बुनियादी ढांचा खराब है, हमारी सरकार नाकारा है.
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16:43 - 16:46लेकिन मैं उनके अविश्वसनीय जुझारूपन को भी देखती हूं
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16:46 - 16:49जो शासन व्यवस्था के साए में नहीं
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16:49 - 16:51बल्कि उसके अभाव में पनपते हैं.
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16:51 - 16:54मैं हर गरमियों में लागोस में लेखन कार्यशाला में पढ़ाती हूं.
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16:54 - 16:57और यह देखकर हैरत होती है कि कितने लोग आवेदन करते हैं,
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16:57 - 17:00कितने सारे लोग लिखने के लिए व्यग्र हैं,
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17:00 - 17:02अपनी कहानियां कहना चाहते हैं.
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17:02 - 17:05मैंने अपने नाइजीरियाई प्रकाशक के साथ हाल में ही एक नॉन-प्रॉफ़िट ट्रस्ट बनाया है
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17:05 - 17:07जिसका नाम फ़ाराफ़िना ट्रस्ट है.
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17:07 - 17:10और हमारा बड़ा सपना यह है कि हम पुस्तकालय बनाएं
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17:10 - 17:12और पुराने पुस्तकालयों का नवीनीकरण करें,
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17:12 - 17:15और उन शासकीय विद्यालयों को पुस्तकें उपलब्ध कराएं
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17:15 - 17:17जिनके पुस्तकालयों में कुछ भी नहीं है,
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17:17 - 17:19और पठन-पाठन से संबंधित अनेकानेक
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17:19 - 17:21कार्यशालाओं का आयोजन करें,
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17:21 - 17:24ताकि अपनी कहानियां कहना चाहनेवाले व्यक्तियों को अवसर मिलें.
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17:24 - 17:26कहानियां महत्वपूर्ण हैं.
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17:26 - 17:28कहानियों के ज़्यादा होने का महत्व है.
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17:28 - 17:32कहानियों का उपयोग वंचित करने व मलिन करने के लिए होता आया है.
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17:32 - 17:36लेकिन कहानियां सामर्थ्यवान बनातीं हैं, और मानवीकरण करतीं हैं.
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17:36 - 17:39कहानियां लोगों की गरिमा को भंग कर सकतीं हैं.
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17:39 - 17:44पर वे उनकी खंडित गरिमा का उपचार भी कर सकतीं हैं.
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17:44 - 17:46अमेरिकी लेखिका ऐलिस वॉकर ने उनके
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17:46 - 17:48दक्षिणी संबंधियों के बारे में लिखा है
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17:48 - 17:50जो उत्तर में जाकर बस गए थे.
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17:50 - 17:52उन्होंने अपने संबंधियों को एक पुस्तक सुझाई
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17:52 - 17:55जिसमें पीछे छूट गए उनके दक्षिणी जीवन का वर्णन था.
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17:55 - 17:59"वे मेरे इर्द-गिर्द बैठे, खुद उस पुस्तक को पढ़ते हुए,
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17:59 - 18:05और मुझसे उस पुस्तक को सुनते समय, लगा जैसे स्वर्ग की पुनःप्राप्ति हो गई".
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18:05 - 18:08मैं इस विचार के साथ समापन करना चाहूंगीः
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18:08 - 18:11कि जब हम किसी एकलौती कहानी को ठुकरा देते हैं,
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18:11 - 18:14और जब हम यह जान जाते हैं कि किसी स्थानविशेष की
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18:14 - 18:16कभी कोई एकलौती कहानी नही होती,
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18:16 - 18:18तो हम भी अपने स्वर्ग की पुनःप्राप्ति कर लेते हैं.
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18:18 - 18:20धन्यवाद.
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18:20 - 18:28(तालियां)
- Title:
- इकलौती कहानी के ख़तरे
- Speaker:
- चिमामांडा नगोज़ी अडीची
- Description:
-
हमारा जीवन और हमारी संस्कृतियां एक-दूसरे में घुलती-मिलती कहानियों से बने हैं. उपन्यासकार चिमामांडा अडीची बता रहीं हैं कि उन्हें अपनी संस्कृ्ति का सच्चा पक्ष कैसे मिला -- वे हमें यह चेतावनी भी देतीं हैं कि यदि हम किसी व्यक्ति या देश के बारे में मात्र एक तरह की कहानी ही सुनते रहेंगे तो हमारी आलोचनात्मक दृष्टि धूमिल पड़ जाएगी.
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 18:29
Abhinav Garule edited Hindi subtitles for The danger of a single story | ||
Nishant Mishra added a translation |