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मानवता के भविष्य को परिवर्तित करने, या इस ग्रह को अस्थिर करने के 10 वर्ष

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    पृथ्वी पर हम मानवों के लिए
    दस साल एक लंबा वक्त होता है।
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    सूरज के दस चक्कर।
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    जब दस साल पहले मैं टेड मंच पर था,
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    तो मैंने उन भूमंडलीय सीमाओं
    के बारे में बात की थी
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    जो हमारे ग्रह वहां रखती
    हैं जहां मानवता फलफूल सकी।
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    मुख्य बात यह है कि एक
    बार आप एक से बाहर निकले,
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    तो जोख़िम कई गुना बढ़ जाता है।
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    सभी भूमंडलीय सीमाएं बहुत
    गहराई से आपस में जुड़ी हुई हैं
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    पर जलवायु और जैवविविधता मुख्य सीमाएं हैं।
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    वो बाक़ी सब को प्रभावित करते हैं।
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    पहले हमें लगता था कि हमारे पास और समय है।
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    चेतावनी की घंटियां ज़रूर बज रही थीं,
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    पर ऐसा कोई बदलाव नहीं हो
    रहा था जिसे रोका न जा सके।
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    मेरे भाषण के बाद से हमें
    बहुत से सबूत मिले हैं
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    जो दिखाते हैं कि हम बहुत तेज़ी से
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    पृथ्वी पर मानवता के सुरक्षित
    अस्तित्व से दूर जा रहे हैं।
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    जलवायु एक वैश्विक आपदा
    बिंदु पर पहुंच चुकी है।
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    अब हमारे पास 10 साल की
    रिकॉर्ड तोड़ जलवायु आपदाएं हैं,
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    ऑस्ट्रेलिया, साइबेरिया,
    कैलिफ़ोर्निया और ऐमज़ोन में आग,
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    चीन, बांगलादेश और भारत में बाढ़।
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    अब हम पूरे उत्तरी गोलार्ध में
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    गर्मी की लहर झेल रहे हैं।
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    हमारे सामने उस बिंदु को पार
    करने का ख़तरा है जो इस ग्रह को
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    हमारे असर को कम करने
    वाले सबसे अच्छे दोस्त से
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    हमारे खिलाफ़ करने वाला बना देगा।
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    पहली बार, हमें उन ख़तरों के
    बारे में सोचना पड़ रहा है
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    जो पूरे ग्रह को अस्थिर कर रहे हैं।
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    हमारे बच्चे यह देख सकते हैं।
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    वो कुछ करने की मांग लेकर
    स्कूलों से बाहर आ रहे हैं,
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    संभावित प्रलयंकारी ख़तरों को रोकने में
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    हमारी नाकामी को देखकर।
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    अगले 10 साल, साल 2030 तक,
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    में उतने बड़े बदलाव होने चाहिएं
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    जितने पहले कभी नहीं हुए।
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    यही हमारा लक्ष्य है।
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    यह उल्टी घड़ी है।
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    जब मेरे वैज्ञानिक
    सहकर्मियों ने दस साल पहले
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    जलवायु के ख़तरे के बिंदु के बारे में
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    बताया था तो सिर्फ़ एक जगह पर
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    इस गंभीर स्थिति के प्रमाण थे।
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    आर्कटिक समुद्र की बर्फ़
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    बाक़ी ख़तरे के बिंदु बहुत दूर थे।
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    क़रीब 50 से 100 साल दूर।
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    पिछले साल ही हमने इन्हें फिर देखा
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    और मुझे अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा धक्का लगा।
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    हम सिर्फ़ कुछ दशक दूर हैं
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    उस आर्कटिक से जिसमें
    गर्मियों में बर्फ़ नहीं होगी।
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    साइबेरिया में पर्माफ्रॉस्ट
    नाटकीय दर से खत्म हो रही है।
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    ग्रीनलैंड ट्रिलियन टन बर्फ़ खो रहा है
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    और शायद ख़तरे के बिंदु पर पहुंचने वाला है।
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    उत्तर के महान जंगल
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    जलकर यूरोप के आकार के
    धुएं के बादल बना रहे हैं।
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    एटलान्टिक महासमुद्र का
    प्रवाह कमज़ोर पड़ रहा है।
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    एमेज़ोन वर्षावन कमज़ोर हो रहे हैं
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    और 15 साल में कार्बन
    छोड़ना शुरु कर सकते हैं।
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    ग्रेट बैरियर रीफ़ क्र आधे कोरल मर चुके हैं।
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    संभव है कि पश्चिमी एंटार्कटिका
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    ख़तरे का निशान पार कर चुका हो।
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    और अब पृथ्वी के सबसे ठोस ग्लेशियर,
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    पूर्वी एंटार्कटिका के
    भाग अस्थिर हो रहे हैं।
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    पन्द्रह में से नौ बड़ी जैवभौतिक प्रणालियां
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    जो जलवायु को नियंत्रित
    करती हैं, अब बदल रही हैं।
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    पतन के चिंताजनक चिन्ह
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    और ख़तरे के बिंदु पर पहुंचने
    के निशान दिखा रही हैं।
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    ख़तरे के बिंदु, तीन ख़तरे लाती हैं।
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    पहला, समुद्र का स्तर बढ़ना।
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    हमें इसी सदी में उनके एक
    मीटर तक बढ़ने की उम्मीद है।
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    यह 200 मिलियन लोगों के घरों
    को ख़तरे में डाल सकता हैं।
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    पर जब हम एंटार्कटिका और
    ग्रीनलैंड से पिघली हुई बर्फ़
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    को इस हिसाब में जोड़ते हैं,
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    तो स्टार दो मीटर तक बढ़ सकता है,
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    पर यह वहां नहीं रुकेगा,
    और ख़राब होता जाएगा।
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    दूसरा, अगर पर्माफ्रॉस्ट और जंगल में
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    दबा कार्बन बाहर निकलने लगा,
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    तो इससे तापमान को स्थिर रखने का काम
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    और भी मुश्किल हो जाएगा।
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    और तीसरा, ये प्रणालियां
    डोमिनोस की तरह जुड़ी हुई है।
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    एक ख़तरे के बिंदु पर पहुंचते
    ही, आप दूसरे पर पहुंच जाते हैं।
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    एक मिनट रुकें और देखें कि हम कहां खड़े हैं।
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    एक स्थिर जलवायु और जीवन की विविधता
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    हमारी सभ्यता का आधार हैं।
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    सब कुछ, मेरा मतलब, सब कुछ इसी पर खड़ा है।
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    सभ्यताएं गोल्डीलॉक्स क्षेत्र में पनपी है,
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    न बहुत गर्मी, न बहुत सर्दी।
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    यही पिछले 10,000 साल से हो रहा है
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    पिछले हिम युग के बाद से।
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    आइए इस पर गौर करते हैं।
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    तीन मिलियन साल तक,
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    तापमान दो डिग्री सेल्सियस
    से आगे नहीं बढ़ा है।
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    पृथ्वी ने गर्म अंतरहिमानी
    में दो डिग्री अधिक,
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    हिम युग में माइनस चार डिग्री की
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    बहुत तंग सीमा में ख़ुद
    को नियमित कर लिया है।
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    अब, हम जिस रास्ते पर जा रहे हैं वह हमें
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    सिर्फ़ तीन पीढ़ियों में तीन से
    चार डिग्री की ओर ले जाएगा।
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    हम जलवायु की घड़ी को 1 मिलियन नहीं,
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    दो मिलियन नहीं, पर 5 से
    10 मिलियन पीछे ले जाएंगे।
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    हम एक बहुत गर्म पृथ्वी की तरफ़ जा रहे हैं।
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    हर एक डिग्री की बढ़ोत्तरी से,
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    एक बिलियन लोग उन स्थितियों
    में रहने को मजबूर हो जाएंगे
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    जिन्हें हम आज दुर्गम कहते हैं।
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    यह एक जलवायु आपदा नहीं है।
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    यह एक भौगोलिक आपदा है।
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    मुझे यह डर नहीं है कि
    पृथ्वी एक जनवरी, 2030 जो
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    खत्म हो जाएगी।
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    मुझे डर है कि हम पृथ्वी की प्रणाली को
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    वहां ले जाएंगे जहां से
    उसे रोक नहीं पाएंगे।
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    अगले 10 साल में जो होगा
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    वह उस स्थिति को तय करेगा जिसमें हम यह ग्रह
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    अगली पीढ़ी को देंगे।
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    हमारे बच्चों को चौकन्ना होन ही चाहिए।
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    हमें हमारे ग्रह को स्थिर करने
    के प्रति गंभीर होना पड़ेगा।
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    इस बदलाव में दो क्षेत्र मुख्य होंगे।
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    पहला विज्ञान में है।
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    वहनीय ग्रह के लिए यह एक नया समीकरण है,
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    भौगोलिक सीमाएं, जमा वैश्विक कॉमन्स,
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    बराबर भौगोलिक स्टुअर्डशिप।
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    हमें मानवता के लिए एक
    सुरक्षित कॉरिडोर की ज़रूरत है
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    ताकि हम पूरे ग्रह के प्रबन्धक बन सकें,
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    ग्रह को बचाने के लिए नहीं पर सब लोगों को
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    एक बेहतर भविष्य देने के लिए।
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    और दूसरा क्षेत्र है समाज में।
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    हमें स्वास्थ्य के आधार
    पर एक आर्थिक तर्क चाहिए।
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    अब हम दुनिया में सभी
    कंपनियों और शहरों के लिए
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    सारे वैश्विक अर्थव्यवस्था के लक्ष्य
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    देने की स्थिति में हैं।
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    पहला काम, हमें 2030 तक वैश्विक
    प्रदूषण को आधा करना होगा
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    और 2050 तक या उससे पहले शून्य
    प्रदूषण तक पहुंचना होगा।
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    इसका मतलब है उन प्रणालियों से कार्बन हटाना
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    जो हमारा जीवन, ऊर्जा, उद्योग,
    परिवहन, इमारतें चलाती हैं।
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    जीवाश्म ईंधन का ज़माना ख़त्म हो चुका है।
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    हमें कृषि को एक प्रदूषण के स्त्रोत से
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    कार्बन के स्त्रोत में बदलना होगा और
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    हमें हमारे महासमुद्र और ज़मीन बचानी होगी।
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    प्राकृतिक पारिस्थितिकतन्त्र जो
    आधे प्रदूषण को सोख लेते हैं।
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    अच्छी ख़बर यह है कि हम ये कर सकते हैं।
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    हमारे पास ज्ञान है, हमारे पास तकनीक है।
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    हमें पता है कि यह सामाजिक
    और आर्थिक रूप से जरूरी है।
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    और सफल होने के बाद हम
    ताज़ी हवा में सांस लेंगे।
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    हम एक स्वस्थ जीवनशैली
    और रहने लायक शहरों में
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    बेहतर अर्थव्यवस्था का स्वागत करेंगे।
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    हम सब सूरज के चारों ओर
    इस यात्रा में साथ हैं।
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    यह हमारा एकमात्र घर है।
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    यह हमारे बच्चों का भविष्य
    बचाने के लिए हमारा मिशन है।
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    शुक्रिया।
Title:
मानवता के भविष्य को परिवर्तित करने, या इस ग्रह को अस्थिर करने के 10 वर्ष
Speaker:
Johan Rockström
Description:

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
07:34

Hindi subtitles

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