पर्दों के पीछे: कौन तय करता है कि हम ऑनलाइन क्या देखते हैं?
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0:00 - 0:02♪ (संगीत) ♪
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0:04 - 0:07[पर्दे के पीछे:
कौन तय करता है कि मैं ऑनलाइन क्या देखूँ?] -
0:09 - 0:10नमस्ते, मेरा नाम टेलर है।
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0:10 - 0:12मैं इंटरनेट तथा पत्रकारिता
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0:12 - 0:16और हम नागरिक विश्व संबंधी जानकारी कैसे
प्राप्त करते हैं इसका अध्ययन करता हूँ। -
0:17 - 0:20पुराने दिनों में जब लोगों को
जानकारी मिलती थी, -
0:20 - 0:23वह अधिकतर लोगों द्वारा तय की जाती थी।
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0:23 - 0:26हमें क्या जानने की आवश्यकता है इसका निर्णय
मनुष्य करते थे। -
0:26 - 0:29तो जब हम समाचार पत्र खोलते थे
या सांयकालीन समाचार चलाते थे, -
0:29 - 0:33तो वह एक व्यक्ति था जो निर्णय करता था
कि हमने क्या सुना और देखा। -
0:33 - 0:37इसका परिणाम यह है कि हम सब को
एक जैसी बातें पता होती थीं। -
0:38 - 0:41अब इंटरनेट ने सब कुछ बदल दिया है।
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0:41 - 0:44जब आप ऑनलाइन जाते हैं,
जब आप कोई अनुप्रयोग खोलते हैं, -
0:44 - 0:47आप जो देखते हैं उसे कोई व्यक्ति नहीं
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0:47 - 0:49बल्कि एक यंत्र तय करता है।
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0:50 - 0:52और यह कई प्रकार से अद्भुत बात है:
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0:52 - 0:54इससे आप गूगल मैप्स का प्रयोग कर सकते हैं;
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0:54 - 0:57इससे आप ऑनलाइन भोजन मंगा सकते हैं;
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0:57 - 1:00इससे आप विश्व भर के मित्रों से
जुड़ सकते हैं -
1:00 - 1:02और जानकारी साझा कर सकते हैं...
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1:02 - 1:05किंतु इस यंत्र के कुछ पहलू हैं
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1:05 - 1:08जिनके संबंध में हमें सच में सावधानी से
सोचने की आवश्यकता है -
1:08 - 1:12क्योंकि ये वह जानकारी तय करते हैं जो हम सब
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1:12 - 1:15बतौर नागरिक एक समाज में और एक जनतंत्र में
प्राप्त करते हैं। -
1:15 - 1:17तो जब आप कोई अनुप्रयोग खोलते हैं
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1:17 - 1:21और आपको अपने स्नैपचैट फ़ीड में एक चित्र
दिखाया जाता है, -
1:21 - 1:24वह सब जानकारी एक यंत्र द्वारा
तय की जाती है, -
1:24 - 1:29और वह यंत्र उस कंपनी के
प्रोत्साहन द्वारा संचालित होता है -
1:29 - 1:32जिसकी वह वेबसाइट या अनुप्रयोग होता है।
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1:33 - 1:36और वह प्रोत्साहन आपके लिए होता है कि आप
उस अनुप्रयोग में अधिक से अधिक -
1:36 - 1:38समय व्यतीत करें।
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1:39 - 1:42तो वे कुछ ऐसा करते हैं
जिससे आपको वहाँ रहना बहुत अच्छा लगे। -
1:42 - 1:45वे लोगों को आपकी तस्वीरों को
पसंद करने देते हैं। -
1:45 - 1:48आपको वह सामग्री दिखाते हैं जो
उन्हें लगता है कि आप देखना चाहते हैं -
1:48 - 1:51जो आपको सच में खुश कर देगा
या सच में गुस्सा दिलाएगा -
1:51 - 1:54जिससे आपको वहाँ बनाये रखने के लिए
आपसे भावनात्मक प्रतिक्रिया मिलेगी। -
1:54 - 1:57क्योंकि जब तक आप वहाँ पर हैं
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1:57 - 1:58तब तक वे आपको अधिक से अधिक
विज्ञापन दिखाना चाहते हैं। -
1:58 - 2:00क्योंकि वही उनका व्यावसायिक प्रतिरूप है।
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2:01 - 2:04वे इसी अवसर का लाभ उनके ऐप में आपकी
मौजूदगी के जरिए -
2:04 - 2:06आपके बारे में आकड़ें एकत्रित करके भी
उठा रहे हैं। -
2:06 - 2:08और वे इन आकड़ों का उपयोग
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2:08 - 2:12आपके जीवन और व्यवहार के संबंध में
विस्तृत खाका बनाने के लिए करते हैं, -
2:12 - 2:14और इस खाके का उपयोग बाद में
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2:14 - 2:17आपकी ओर और अधिक विज्ञापन
लक्षित करने के लिए किया जा सकता है, -
2:17 - 2:20और तब वह भी तय करता है कि आखिर
आप क्या देखते हैं। -
2:21 - 2:25पर यह सब केवल उन कंपनियों के व्यावसायिक
प्रतिरूप के बारे में ही नहीं है, -
2:26 - 2:28दरअसल हमारे जनतंत्र पर भी इसका
प्रभाव पड़ता है -
2:29 - 2:35क्योंकि हम इंटरनेट पर जो कुछ भी देखते हैं
वह हमारी रुचि के बहुत अनुकूल बना होता है, -
2:35 - 2:36हम क्या पसंद करते हैं,
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2:36 - 2:38हम किस पर विश्वास करते हैं,
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2:38 - 2:41हम क्या देखना चाहते हैं
या किस पर विश्वास करना चाहते हैं। -
2:42 - 2:43और इसका अर्थ है कि बतौर एक समाज,
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2:44 - 2:48हमारे पास जानकारी का साझा समुच्चय
अब उपलब्ध नहीं है -
2:48 - 2:50जो एक जनतंत्र के लिए कठिन है जो हमसे
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2:50 - 2:53एक साथ मिल कर काम करने और एक जैसी
जानकारी रखने की अपेक्षा करता है -
2:53 - 2:55ताकि हम अपने जीवन के संबंध में मिलजुल कर
निर्णय ले सकें। -
2:55 - 2:57जब हम सभी अलग बातें जानते हैं
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2:57 - 3:01और हम सभी अपनी जानकारी के
छोटे-छोटे दायरों में कैद हो रहे हैं, -
3:02 - 3:05तब हमारे लिए एक दूसरे के साथ बनाकर रखना
अत्यंत कठिन हो जाता है। -
3:05 - 3:08हमारे पास न कोई साझा अनुभव होता है
न ही कोई साझा जानकारी। -
3:08 - 3:11मुझे लगता है कि यह बेहद महत्वपूर्ण है
कि हम ऑनलाइन मिलने वाली -
3:12 - 3:14जानकारी और उन कंपनियों
और संरचनाओं के बारे में -
3:14 - 3:17गंभीरता से सोचें, जो यह निर्धारित करती हैं
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3:17 - 3:19कि हम इंटरनेट पर क्या देखें।
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3:20 - 3:21♪ (संगीत) ♪
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3:22 - 3:25[न्यूज़वाइज़ CIVIX तथा कनाडियन जर्नलिज्म
फ़ाउंडेशन की एक परियोजना है] -
3:25 - 3:28उपशीर्षक: श्री राव
समीक्षा: अजय सिंह रावत
- Title:
- पर्दों के पीछे: कौन तय करता है कि हम ऑनलाइन क्या देखते हैं?
- Description:
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देखें http://newsliteracy.ca/ for more information and resources.
- Video Language:
- English
- Team:
Amplifying Voices
- Project:
- CIVIX
- Duration:
- 03:39
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Ajay Singh Rawat edited Hindi subtitles for Behind the Screens: Who decides what I see online? | |
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