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बेंजामिन जैनडर संगीत और दीवानेपन के बारे में

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    शायद आपमें से कई लोग दो विक्रेताओं (सेल्समेन) की कहानी जानते हैं
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    जो १९०० सदी में अफ्रीका गए.
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    उन्हें वहाँ संभावनाओं की तलाश में भेजा गया था
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    जूते बेचने की.
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    और उन्होंने वापस मैनचेस्टर तार भेजे.
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    और उनमें से एक ने लिखा: "हालत निराशाजनक है. विराम."
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    ये लोग जूते नहीं पहनते."
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    और दूसरे ने लिखा: "शानदार मौका.
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    इनके पास अब तक जूते नहीं हैं."
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    (हंसी)
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    अब शास्त्रीय संगीत की दुनिया में भी कुछ ऐसी ही परिस्थिति है,
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    क्योंकि यहाँ कुछ लोग हैं जो सोचते हैं
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    कि शास्त्रीय संगीत का अंत हो रहा है.
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    और कुछ हम जैसे लोग हैं जो सोचते हैं कि अभी तो बहुत कुछ होना बाकी है.
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    और बजाए इसके कि मैं आंकड़ों व नयी धाराओं में जाऊं
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    और आपको बताऊँ कि कितने सारे ऑर्केस्ट्रा बंद हो रहे हैं,
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    और कितनी रिकॉर्ड कंपनियों का अंत हो रहा है,
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    मैंने सोचा कि हमें आज रात एक प्रयोग करना चाहिए -- एक प्रयोग.
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    असलियत में तो यह सच्चा प्रयोग नहीं है क्योंकि मैं इसका परिणाम जानता हूँ.
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    पर है यह प्रयोग की तरह ही. अब, इससे पहले कि --
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    (हंसी)
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    - इससे पहले कि हम शुरू करें, मुझे दो चीज़ें करनी हैं.
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    एक, मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि एक सात-साल का बच्चा
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    कैसा सुनाई देता है जब वो पियानो बजाता है.
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    शायद यह बच्चा आप के घर में भी हो.
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    वो कुछ इस तरह से बजाता है.
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    (पियानो)
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    देख रहा हूँ कि आपमें से कुछ लोग इस बच्चे को पहचानते हैं.
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    अब, अगर ये एक साल अभ्यास करता है और सीखता है, तो आठ साल का हो गया
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    और अब इस तरह से बजाता है.
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    (पियानो)
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    फिर वो एक और साल अभ्यास करता है और सीखता है; अब वो नौ साल का है.
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    (पियानो)
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    फिर वो एक और साल तैय्यारी करता है और सीखता है; अब वो दस का हो गया.
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    (पियानो)
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    इस समय पर अक्सर बच्चे ये सब छोड़ देते हैं.
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    (हंसी)
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    (तालियाँ)
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    अब, अगर आपने इंतज़ार किया होता, अगर एक साल और इंतज़ार किया होता,
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    तो आप ये सुन पाते:
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    (पियानो)
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    अब, वास्तव में जो हुआ, वो वैसा नहीं है जैसा आप शायद सोच रहे हैं,
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    कि ये बच्चा अचानक जोश से भर गया, जुड़ गया,
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    भागीदार बन गया, उसे नया टीचर मिल गया, परिपक्वता आ गयी, या जो भी कहिये.
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    असलियत में ये हुआ कि गतियाँ कम हो गयीं.
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    खुद देखिये, जब वो पहली बार बजा रहा था
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    तो हर स्वर पर एक गति थी, एक स्पंदन था.
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    (पियानो)
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    और अगली बार हर दूसरे स्वर पर एक स्पंदन था.
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    (पियानो)
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    आप मेरे सर के हिलने से यह देख सकते हैं.
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    (हंसी)
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    नौ-साल का बच्चा, नौ-साल का बच्चा
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    हर चार स्वरों पर एक स्पंदन डालता था.
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    (पियानो)
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    और दस-साल का बच्चा हर आठ स्वरों पर.
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    (पियानो)
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    और ग्यारह-साल वाला, पूरी लाइन में सिर्फ एक स्पंदन डालता है.
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    (पियानो)
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    जानता हूँ -- पर यह नहीं जानता कि हम इस मुद्रा में कैसे पहुंचे.
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    (हंसी)
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    मैंने तो नहीं कहा था कि मैं अपने कंधे को हिलाऊँगा, अपने शरीर को हिलाऊँगा.
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    नहीं, पर संगीत ने मुझे हिला दिया,
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    और यही कारण है कि मैं इसको एक-कूल्हे का वादन (बजाना) कहता हूँ.
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    (पियानो)
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    अब कूल्हा कोई भी हो सकता है.
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    (पियानो)
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    जानते हैं, एक बार एक सज्जन मेरे एक प्रदर्शन को देख रहे थे
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    जब मैं एक युवा पियानोवादक के साथ काम कर रहा था.
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    वे ओहायो की किसी कंपनी के अध्यक्ष थे.
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    और मैं इस युवा पियानोवादक के साथ काम कर रहा था
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    और मैंने कहा, "तुम्हारे साथ परेशानी यह है कि तुम दो-कूल्हे के कलाकार हो.
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    तुम्हें तो एक-कूल्हे का वादक होना चाहिए."
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    और जब वो बजा रहा था, तो मैंने उसके शरीर को इस तरह घुमाया.
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    और अचानक संगीत बदल गया. ऊंचे स्थान पर पहुँच गया.
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    श्रोताओं ने जब इस फर्क को महसूस किया तो वो धक् से रह गए.
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    और फिर उन सज्जन ने मुझे एक चिट्ठी लिखी.
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    उन्होंने कहा, " मैं बहुत प्रभावित हुआ.
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    मैंने वापस जा कर अपनी कंपनी पूरी तरह से बदल डाली
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    एक-कूल्हे वाली कंपनी में."
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    (हंसी)
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    अब जो दूसरी चीज़ जो मैं करना चाहता हूँ, वो है आपको आपके ही बारे में बताना.
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    मेरे ख़याल से यहाँ कोई १६०० लोग हैं.
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    मेरा अंदाज़ है कि आप में से करीब ४५ लोग
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    शास्त्रीय संगीत के बारे में एकदम दीवाने हैं.
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    आप शास्त्रीय संगीत से बेहद प्यार करते हैं. आपका रेडियो हमेशा शास्त्रीय स्टेशन पर ही लगा रहता है.
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    आपकी कार में उसके सीडी भरे रहते हैं, और आप संगीत के कार्यक्रमों में जाते हैं.
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    और आपके बच्चे कई तरह के साज़ बजाते हैं.
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    आप शास्त्रीय संगीत के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते.
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    यह पहला समूह है; काफी छोटा समूह है.
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    फिर एक और समूह है, बड़ा समूह.
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    ये वो लोग हैं जो शास्त्रीय संगीत को बर्दाश्त कर लेते हैं.
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    (हंसी)
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    जानते हैं न, आप लम्बे दिन के बाद घर आते हैं
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    और आप वाइन के एक गिलास के साथ आराम से अपने पैर ऊपर कर के बैठते हैं.
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    अब नेपथ्य में थोड़ा सा विवाल्डी कोई नुक्सान नहीं पहुँचाता.
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    (हंसी)
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    यह है दूसरा समूह.
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    अब नंबर आता है तीसरे समूह का.
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    ये वो लोग हैं जो कभी शास्त्रीय संगीत नहीं सुनते.
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    वो आपकी दुनिया का हिस्सा है ही नहीं.
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    आप शायद कभी उसे एयरपोर्ट पर झेले गए बासी धुंए की तरह सुन लें, मगर --
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    (हंसी)
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    -- और शायद आईडा से लिया गया थोड़ा सा संगीत कानों में पड़ा हो
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    जब आप हॉल में आ रहे थे. पर अन्यथा आप कभी उसे नहीं सुनते हैं.
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    यह सबसे बड़ा समूह है इन सब में.
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    और फिर एक बहुत छोटा समूह है.
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    ये वो लोग हैं जो सोचते हैं कि उन्हें सुर की पहचान ही नहीं है.
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    बहुत सारे लोग सोचते हैं कि उन्हें सुर की पहचान नहीं है.
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    मैं अक्सर सुनता हूँ, "मेरे पति को सुर समझ नहीं आते."
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    (हंसी)
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    असलियत में आप सुर-हीन हो ही नहीं सकते. कोई भी सुर-रहित नहीं होता.
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    अगर आप सुर-रहित होते, तो आप कार के गियर भी नहीं बदल पाते
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    उन पुराने तरह की कारों पर जिन में हाथ से गियर बदलते हैं.
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    आप कोई फ़र्क नहीं बता पाते
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    टैकसस में रहने वाले और रोम में रहने वाले व्यक्तियों के बीच में.
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    और टेलिफोन. टेलिफोन. अगर आपकी माँ का फोन आता है
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    उस निकम्मे फोन पर, वो आपको फोन करती हैं और कहती हैं, "हलो,"
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    तो आप न केवल यह जान जाते हैं कि कौन है, बल्कि यह भी जान जाते हैं कि वो किस मूड में हैं.
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    आपका कान बहुत शानदार है. हरेक व्यक्ति का कान बहुत शानदार है.
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    कोई भी सुर-हीन नहीं होता.
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    पर मैं आपसे एक बात कहूँगा. कोई तुक ही नहीं है कि मैं बोलता जाऊं
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    उस इतनी बड़ी खाई के बारे में, जिसके एक तरफ वो लोग हैं
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    जो शास्त्रीय संगीत के प्रति प्रेम और लगाव रखते हैं,
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    और दूसरी तरफ वो जिनका उस के साथ कोई रिश्ता ही नहीं है.
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    क्योंकि वे सुर-रहित लोग, वे तो यहाँ हैं ही नहीं.
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    पर इन तीन समूहों के बीच, वाकई में बहुत बड़ी खाई है.
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    तो मैं तब तक आगे नहीं बढ़ने वाला, जब तक यहाँ पर उपस्थित हर व्यक्ति,
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    नीचे भी और पूरे ऐस्पें में, और जो कोई भी इसे देख रहा हो,
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    वो हरेक व्यक्ति शास्त्रीय संगीत को समझने और उससे प्यार न करने लगे.
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    तो अब हम यही करने वाले हैं.
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    अब, क्या आपने ध्यान दिया कि मेरे दिमाग में रत्ती भर भी संदेह नहीं है
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    कि यह संभव हो पायेगा, अगर आप मेरे चेहरे को देखें, है न?
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    एक सफल नेता का ख़ास गुण यही है कि वो संदेह न करे,
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    एक मिनट के लिए भी नहीं कि जिन लोगों का वो नेतृत्व कर रहा है,
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    उनमें उसके सपने साकार करने की क्षमता नहीं है.
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    ज़रा कल्पना कीजिये अगर मार्टिन लूथर किंग ने कहा होता, " मेरे पास एक सपना है.
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    पर हाँ, मुझे पक्का नहीं पता कि ये सब उसे पूरा कर पायेंगे."
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    (हंसी)
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    अच्छा. तो अब मैं शोपैं की एक रचना ले रहा हूँ.
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    यह शोपैं की एक बेहद सुन्दर संगीतात्मक भूमिका है. आप में से कुछ इसे जानते होंगे.
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    (संगीत)
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    आप जानते हैं कि मेरे हिसाब से अभी इस कमरे में क्या हुआ?
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    जब मैंने बजाना शुरू किया, तो आपने सोचा, "कितना सुन्दर संगीत है."
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    (संगीत)
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    "मुझे नहीं लगता हमें उसी जगह वापस जाना चाहिए
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    अगली गर्मी की छुट्टियों में."
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    (हंसी)
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    मजेदार है न? कितनी मजेदार बात है कि यह विचार कैसे
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    हमारे दिमाग में तैरते रहते हैं.
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    और वाकई --
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    (तालियाँ)
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    -- और वाकई, अगर रचना बहुत लम्बी है और आपका दिन भी लम्बा रहा हो,
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    तो आप शायद झपकी भी ले सकते हैं.
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    फिर आपका साथी आपको कोहनी मार कर
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    कहेगा, "उठो! यह संस्कृति है!"!" और फिर आप को और भी बुरा लगेगा.
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    पर क्या आपने कभी यह सोचा है कि आपको अगर झपकी आती है
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    शास्त्रीय संगीत में, तो उसका कारण आप नहीं हैं, बल्कि हम हैं?
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    जब मैं बजा रहा था तो क्या किसी ने सोचा,
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    "ये इतने स्पंदन क्यों लगा रहे हैं?"
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    अगर मैं अपना सर इस तरह हिलाता तो आप ज़रूर ऐसा सोचते.
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    (संगीत)
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    और अपने बाकी जीवन में, हर बार जब आप शास्त्रीय संगीत सुनें
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    तो आप हमेशा जान पायेंगे कि ये स्पंदन कब आ रहे हैं.
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    तो चलिए देखते हैं कि यहाँ वाकई क्या हो रहा है.
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    यह है बी का सुर. यह भी है बी. अगला सुर है सी.
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    और सी का काम है बी को उदास बनाना. और वो बनाता है, है न?
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    (हंसी)
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    संगीतकार यह जानते हैं. अगर उन्हें उदास संगीत चाहिए हो
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    तो वो बस यह दो सुर बजाते हैं.
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    (संगीत)
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    असलियत में यह अकेला बी है, चार दुखी स्वरों के साथ.
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    (हंसी)
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    अब, यह नीचे जाता है ए तक. अब जी तक, और फिर एफ़ तक.
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    तो अब हमारे पास हैं बी, ए, जी, एफ़. और अगर हमारे पास हों बी, ए, जी, एफ़,
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    तो हम क्या अपेक्षा कर सकते हैं? ओह, यह शायद अचानक हो गया.
  • 9:04 - 9:10
    चलो फिर देखते हैं. वाह, यह तो है टेड का समूहगान.
  • 9:10 - 9:13
    (हंसी)
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    और आपने देखा कोई भी सुर-हीन नहीं है, देखा? कोई भी नहीं.
  • 9:17 - 9:19
    आप जानते हैं, बांगलादेश के हर गाँव में
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    और चीन के हर मोहल्ले में . सब जानते हैं:
  • 9:25 - 9:28
    डा, डा, डा, डा -- डा. हर व्यक्ति जानता है कि उस ई के स्वर की कौन राह देख रहा है.
  • 9:28 - 9:31
    अब शौपें नहीं चाहते थे कि ई वहाँ तक पहुंचे,
  • 9:32 - 9:34
    क्योंकि फिर क्या हो जाता? सब समाप्त हो जाता, हैमलेट की तरह.
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    आपको ध्यान है हैमलेट? पहला ऐक्ट, तीसरा सीन:
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    जब उसे पता चलता है कि उसके चाचा ने उसके पिता को मार डाला.
  • 9:38 - 9:40
    आपको ध्यान होगा कि वो अपने चाचा के पास बार बार जाता है
  • 9:40 - 9:41
    और मारने वाला होता है. और फिर वो पीछे हट जाता है
  • 9:41 - 9:44
    और फिर उनके पास जाता है और मारने वाला ही होता है.
  • 9:44 - 9:46
    और सारे आलोचक, जो सब वहाँ पीछे की लाइन में बैठे हैं,
  • 9:46 - 9:49
    उनको तो अपनी राय देनी ही होती है, तो वो कहते हैं, " हैमलेट टालमटोल करता है."
  • 9:49 - 9:50
    (हंसी)
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    या फिर वो कहते हैं, " हैमलेट में ईडीपस कॉम्प्लेक्स है."
  • 9:53 - 9:56
    नहीं, वरना नाटक समाप्त हो जाता, मूर्ख.
  • 9:56 - 9:58
    इसीलिए तो शेक्सपियर ने वो सब कुछ हैमलेट में डाला.
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    आप जानते हैं, ओफीलिया का पागल होना और वो सब नाटक में नाटक,
  • 10:01 - 10:02
    और योरिक की खोपड़ी, और वो सब कब्र खोदने वाले.
  • 10:03 - 10:06
    वो सब उन्होनें डाला लम्बा खींचने के लिए -- ऐक्ट ५ में उसके मरने तक.
  • 10:06 - 10:11
    बिलकुल यही शोपैं के साथ है. वो ई तक करीब करीब पहुँचने ही वाले हैं,
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    और फिर उनके दिमाग में आता है, "अरे, चलो वापस जा कर दुबारा शुरू करते हैं."
  • 10:13 - 10:16
    तो वो फिर से उसे करते हैं.
  • 10:17 - 10:20
    फिर वो जोश में आ जाते हैं -- यह जोशीलापन है,
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    इस के बारे में आपको चिंता नहीं करनी चाहिए.
  • 10:22 - 10:24
    अब वो तीव्र एफ़ पर पहुँचते हैं और अंत में ई पर उतर आते हैं,
  • 10:24 - 10:27
    पर यह गलत सुर है. क्योंकि जिस सुर की वो तलाश कर रहे हैं
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    वह ये है, और इसकी जगह वो बजाते हैं ..
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    अब, हम लोग इसे कहते हैं भ्रमकारी आरोह-अवरोह, क्योंकि यह हमें भ्रम में डालता है.
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    मैं हमेशा अपने छात्रों से कहता हूँ, "अगर तुम्हारे पास भ्रमकारी आरोह-अवरोह है,
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    तो अपनी भंवें चढ़ाना मत भूलना, फिर सब समझ जायेंगे."
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    (हंसी)
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    (तालियाँ)
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    बराबर. तो वो ई तक आते हैं, पर यह गलत सुर है.
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    अब वो फिर ई लगाते हैं. यह स्वर काम नहीं करता.
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    एक बार फिर वो ई लगाते हैं. यह स्वर काम नहीं करता.
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    अब वो फिर ई लगाते हैं, और वह काम नहीं करता.
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    और फिर अंत में....
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    आगे की कतार में एक सज्जन थे जो बोले, "हम्म्म."
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    यह वही भाव है जो वो तब दिखाते हैं जब घर पहुँचते हैं
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    एक लम्बे दिन के बाद, जब वो कार की चाबी बंद कर के कहते हैं,
  • 11:12 - 11:15
    "भई वाह, मैं घर आ गया हूँ." क्योंकि हम सब पहचानते हैं कि घर कहाँ है.
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    तो यह वो रचना है जो बाहर से आ कर घर पहुँचती है.
  • 11:18 - 11:20
    और अब मैं इसे बिना रुके लगातार बजाऊँगा
  • 11:20 - 11:23
    और आप इसे ध्यान से सुनेंगे -- बी, सी, बी, सी, बी, सी, बी --
  • 11:23 - 11:25
    नीचे ए तक, नीचे जी तक, नीचे एफ़ तक.
  • 11:25 - 11:27
    रचना करीब करीब ई तक जाती है, मगर तब तो नाटक ख़त्म हो जाएगा.
  • 11:28 - 11:30
    वो वापस ऊपर बी तक जाते हैं. बहुत जोश में आते हैं. तीव्र एफ़ तक जाते हैं. ई तक जाते हैं.
  • 11:30 - 11:32
    वह गलत स्वर है. वह गलत स्वर है. वह गलत स्वर है.
  • 11:33 - 11:35
    और अंत में ई पर जाते हैं, और रचना घर आ जाती है.
  • 11:35 - 11:38
    और जो आप देखने वाले हैं वो एक-कूल्हे का वादन है.
  • 11:38 - 11:41
    (हंसी)
  • 11:41 - 11:43
    क्योंकि मेरे लिए, बी को ई से जोड़ने के लिए,
  • 11:44 - 11:49
    मुझे रास्ते के हर स्वर के बारे में सोचना बंद करना पड़ता है
  • 11:49 - 11:54
    और सोचना होता है उस लम्बी, लम्बी रेखा के बारे में जो बी से ई तक जाती है.
  • 11:55 - 11:59
    आप जानते हैं, हम अभी हाल में दक्षिण अफ्रीका में थे, और आप दक्षिण अफ्रीका नहीं जा सकते
  • 11:59 - 12:02
    मंडेला के २७ साल के कारावास के बारे में सोचे बिना.
  • 12:03 - 12:05
    वो किस विषय में सोचा करते होंगे? खाना?
  • 12:05 - 12:08
    नहीं, वो तो दक्षिण अफ्रीका के लिए अपने सपने के बारे में सोचते थे
  • 12:09 - 12:10
    देश के और मानवजाति के सपने के बारे में. इसीने तो उन्हें संभाला --
  • 12:10 - 12:13
    यह सपने के बारे में है; यह लम्बी रेखा के बारे में है.
  • 12:13 - 12:15
    उस चिड़िया की तरह जो खेतों के ऊपर उड़ती है
  • 12:15 - 12:19
    और नीचे की चाहरदीवारी की परवाह नहीं करती, है न सही?
  • 12:19 - 12:22
    तो अब आप पूरी तरह उस रेखा के पीछे चलेंगे जो बी से ई तक जाती है.
  • 12:22 - 12:26
    और मेरा एक अंतिम अनुरोध है, इस से पहले कि मैं यह रचना शुरू से अंत तक बिना रुके बजाऊँ.
  • 12:26 - 12:31
    क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को याद करेंगे जो आपका अतिप्रिय हो, और अब आपके साथ नहीं है?
  • 12:31 - 12:34
    एक परमप्रिय नानी, कोई प्रेमी,
  • 12:35 - 12:38
    आपके जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति जिसे आप पूरे दिल से प्यार करते हैं,
  • 12:38 - 12:41
    पर वो व्यक्ति अब आपके साथ नहीं है.
  • 12:42 - 12:45
    उस व्यक्ति को अपने मन में लाइए, और इस के साथ ही
  • 12:45 - 12:49
    बी से ई तक की रेखा के पीछे पूरे रास्ते चलिए,
  • 12:49 - 12:57
    और आपको वो सब सुनाई दे जाएगा जो शोपैं कहना चाहते थे.
  • 12:57 - 14:48
    (संगीत)
  • 14:48 - 14:55
    (तालियाँ)
  • 14:55 - 15:00
    अब आपको अचरज हो रहा होगा,
  • 15:00 - 15:06
    अचरज हो रहा होगा कि मैं ताली क्यों बजा रहा हूँ.
  • 15:06 - 15:08
    तो मैंने बौस्टन के एक स्कूल में ये सब किया
  • 15:08 - 15:12
    करीब ७० सातवीं-कक्षा वालों के साथ -- १२ साल के बच्चे.
  • 15:12 - 15:14
    और मैंने बिलकुल वही किया जो आपके साथ किया है, और उन्हें बताया
  • 15:14 - 15:15
    और समझाया और सारा कुछ किया.
  • 15:15 - 15:17
    और अंत में वो पागलों की तरह तालियाँ बजाने लगे. वो तालियाँ बजा रहे थे.
  • 15:18 - 15:19
    मैं ताली बजा रहा था. वो बजा रहे थे.
  • 15:19 - 15:21
    आखिर मैंने कहा, "मैं क्यों ताली बजा रहा हूँ?"
  • 15:21 - 15:22
    और एक छोटे बच्चे ने कहा, "क्योंकि हम सुन रहे हैं."
  • 15:22 - 15:27
    (हंसी)
  • 15:28 - 15:30
    आप खुद सोचिये. १६०० लोग, व्यस्त लोग,
  • 15:30 - 15:32
    तरह तरह के कामों में लगे हुए लोग.
  • 15:33 - 15:39
    शौपैं की एक रचना को सुनें, समझें और दिल में उतारें, उस से जुड़ जाएँ.
  • 15:39 - 15:40
    अब ये हुई न कोई बात.
  • 15:40 - 15:43
    अब मुझे विश्वास है कि हरेक व्यक्ति ने उसे सुना,
  • 15:43 - 15:45
    समझा, उससे जुड़ा, प्रभावित हुआ. हालांकि मैं पक्के तौर से तो नहीं कह सकता.
  • 15:46 - 15:47
    पर मैं इतना कह सकता हूँ जो मेरे साथ हुआ.
  • 15:47 - 15:50
    मैं १० साल पहले के दंगों के समय आयरलैंड में था,
  • 15:50 - 15:53
    और मैं कुछ कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट बच्चों के साथ काम कर रहा था
  • 15:53 - 15:57
    झगड़ों के समाधान के बारे में. और मैंने यह उनके साथ किया.
  • 15:58 - 16:00
    जोखिम का काम था क्योंकि वे सड़कों पर रहने वाले बच्चे थे.
  • 16:00 - 16:03
    और उनमें से एक मेरे पास अगली सुबह आया और बोला,
  • 16:04 - 16:07
    "आप जानते हैं, मैंने अपनी ज़िन्दगी में कभी शास्त्रीय संगीत नहीं सुना,
  • 16:07 - 16:08
    पर जब आपने वो शौपिंग वाला टुकड़ा बजाया ..."
  • 16:08 - 16:11
    (हंसी)
  • 16:11 - 16:15
    उसने कहा, "मेरे भाई को पिछले साल गोली लगी थी और मैं उसके लिए नहीं रोया.
  • 16:16 - 16:17
    पर कल रात जब आप वोह टुकड़ा बजा रहे थे,
  • 16:17 - 16:20
    तो मैं उसके बारे में सोच रहा था.
  • 16:20 - 16:22
    और मुझे अपनी आँखों से आंसू बहते महसूस हुए.
  • 16:22 - 16:25
    और आप जानते हैं, अपने भाई के लिए रोने से मुझे बहुत अच्छा लगा."
  • 16:25 - 16:27
    तो मैंने उसी पल में निश्चय कर लिया
  • 16:27 - 16:34
    कि शास्त्रीय संगीत सब के लिए है. सब के लिए.
  • 16:35 - 16:37
    अब यह मैं कैसे चलाता -- क्योंकि आप जानते हैं,
  • 16:37 - 16:41
    मेरा व्यवसाय, संगीत का व्यवसाय इसे इस तरह नहीं देखता है.
  • 16:41 - 16:44
    वो कहते हैं कि केवल ३ प्रतिशत जनसँख्या शास्त्रीय संगीत पसंद करती है.
  • 16:44 - 16:48
    अगर हम इसे ४ प्रतिशत तक ले आयें तो हमारी सारी परेशानियां दूर हो जायेंगी.
  • 16:49 - 16:52
    मैं कहता हूँ, "आप कैसे चलेंगे? कैसे बात करेंगे? कैसे रहेंगे
  • 16:52 - 16:55
    अगर आप सोचें कि केवल ३ प्रतिशत जनसँख्या शास्त्रीय संगीत पसंद करती है?
  • 16:56 - 16:58
    अगर हम इसे ४ प्रतिशत तक ले आयें. आप कैसे चलेंगे?
  • 16:58 - 17:00
    कैसे बात करेंगे? कैसे रहेंगे
  • 17:00 - 17:02
    अगर आप सोचें कि हर व्यक्ति शास्त्रीय संगीत पसंद करता है --
  • 17:02 - 17:04
    बस उन्हें अभी तक यह पता नहीं चला है."
  • 17:04 - 17:05
    (हंसी)
  • 17:05 - 17:07
    देखा, ये दोनों एकदम अलग-अलग दुनियाएं हैं.
  • 17:08 - 17:11
    अब मुझे एक अदभुत अनुभव हुआ. मैं ४५ साल का था,
  • 17:11 - 17:16
    मैं २० साल से संगीत निर्देशक था, और अचानक मुझे एक अनुभूति हुई.
  • 17:17 - 17:20
    एक ऑर्केस्ट्रा का निर्देशक कोई आवाज़ नहीं करता.
  • 17:20 - 17:22
    मेरी तस्वीर सीडी के ऊपर लगती है --
  • 17:22 - 17:25
    (हंसी)
  • 17:25 - 17:27
    -- पर निर्देशक कोई आवाज़ नहीं करता.
  • 17:28 - 17:32
    वो अपनी शक्ति के लिए दूसरे लोगों को शक्तिशाली बनाने की अपनी क्षमता पर निर्भर होता है.
  • 17:32 - 17:36
    और इस बात ने मेरी दुनिया बदल दी. यह वाकई कायापलट करने वाली बात थी.
  • 17:37 - 17:38
    मेरे ऑर्केस्ट्रा के लोग मेरे पास आ कर बोले,
  • 17:38 - 17:40
    "बेन, क्या हुआ?" यह हुआ था.
  • 17:40 - 17:45
    मैंने यह जाना कि मेरा असली काम था लोगों में छुपी संभावनाएं जगाना.
  • 17:45 - 17:48
    और हाँ, मैं जानना चाहता था कि मैं यह कर भी पा रहा हूँ कि नहीं.
  • 17:48 - 17:51
    आपको पता है कि कैसे मालूम होता है? आप उनकी आँखों में देखते हैं.
  • 17:51 - 17:55
    अगर उनकी आँखें चमक रही हों, तो आपको पता चल जाता है कि आप सही काम कर रहे हैं.
  • 17:56 - 17:57
    देखिये, इस बन्दे की आँखों से आप पूरे गाँव में उजाला कर सकते हैं.
  • 17:57 - 17:59
    (हंसी)
  • 17:59 - 18:01
    ठीक. तो अगर आँखें चमक रही हैं, तो आप काम सही कर रहे हैं.
  • 18:01 - 18:04
    अगर आँखें नहीं चमक रही हैं, तो आप एक सवाल पूछ सकते हैं.
  • 18:04 - 18:05
    और वो सवाल यह है:
  • 18:05 - 18:11
    मैं क्या होता जा रहा हूँ कि मेरे खिलाड़ियों की आँखें चमक नहीं रहीं?
  • 18:12 - 18:13
    यह सवाल हम अपने बच्चों के साथ भी कर सकते हैं.
  • 18:13 - 18:18
    मैं क्या होता जा रहा हूँ कि मेरे बच्चों की आँखें चमक नहीं रहीं?
  • 18:19 - 18:21
    वो बिलकुल ही अलग दुनिया है.
  • 18:21 - 18:26
    अब, हम सब इस जादुई, ऊंचाइयों-से-भरे हफ्ते को समाप्त करने वाले हैं,
  • 18:27 - 18:28
    और वापस असली दुनिया में जा रहे हैं.
  • 18:28 - 18:32
    और इसलिए मैं कहूँगा, हमारे लिए उचित है यह प्रश्न पूछना:
  • 18:32 - 18:37
    हम क्या होते जा रहे हैं, जब हम वापस असली दुनिया में जा रहे हैं?
  • 18:37 - 18:39
    और आप जानते हैं, मेरे पास सफलता की क्या परिभाषा है.
  • 18:40 - 18:42
    मेरे लिए यह बहुत सरल है. सफलता पैसे और यश और शक्ति के बारे में नहीं है.
  • 18:42 - 18:45
    यह इस बारे में है कि मैं कितनी चमकती आँखें अपने चारों ओर देखता हूँ.
  • 18:46 - 18:49
    तो अब मेरे दिमाग में बस एक अंतिम विचार यह है कि
  • 18:49 - 18:52
    जो हम बोलते हैं उससे वाकई फ़र्क पड़ता है.
  • 18:52 - 18:54
    जो शब्द हमारे मुंह से निकलते हैं.
  • 18:54 - 18:58
    यह मैंने एक औरत से सीखा जो आउशविट्ज़ (जर्मन कैम्प) से बच कर निकली थी.
  • 18:58 - 18:59
    उन दुर्लभ लोगों में से एक जो वहाँ से बच निकले.
  • 18:59 - 19:03
    वो आउशविट्ज़ तब गयी थी जब वो १५ साल की थी,
  • 19:04 - 19:11
    और उसका भाई ८ साल का था, और उनके माँ-बाप खो चुके थे.
  • 19:11 - 19:16
    और उसने मुझे यह बताया, उसने कहा,
  • 19:16 - 19:19
    "हम आउशविट्ज़ जाने वाली ट्रेन में थे और मैंने नीचे देखा
  • 19:19 - 19:21
    और देखा कि मेरे भाई के पैरों में जूते नहीं थे.
  • 19:22 - 19:25
    और मैंने कहा, "तुम इतने बेवक़ूफ़ क्यों हो, क्या अपनी चीज़ें भी नहीं संभाल सकते
  • 19:25 - 19:26
    भगवान् के लिए?" -- जैसे एक बड़ी बहिन
  • 19:26 - 19:30
    अक्सर अपने छोटे भाई से बोलती है.
  • 19:30 - 19:33
    दुर्भाग्यवश, वो अंतिम शब्द थे जो उसने कभी भी उससे कहे
  • 19:33 - 19:37
    क्योंकि वो फिर कभी उसे नहीं दिखा. वो नहीं बच पाया.
  • 19:37 - 19:39
    और इसीलिए जब वो आउशविट्ज़ से बाहर आयी, तो उसने एक कसम खाई.
  • 19:40 - 19:44
    यह उसीने मुझे बताया. उसने कहा, " मैं आउशविट्ज़ से बाहर आ कर ज़िंदगी की ओर निकली
  • 19:44 - 19:49
    और मैंने एक कसम खाई. और वो कसम थी, मैं कभी भी ऐसा कुछ नहीं कहूंगी
  • 19:50 - 19:53
    जो मेरे मुंह से निकले आख़िरी शब्द की कसौटी पर पूरा न उतरे."
  • 19:53 - 19:57
    तो, क्या हम ऐसा कर सकते हैं? और शायद हम अपने आपको गलत साबित कर दें
  • 19:58 - 20:05
    और दूसरों को भी. पर यह एक संभावना तो है जिसको हम सच कर सकते हैं. धन्यवाद.
  • 20:05 - 20:10
    (तालियाँ)
  • 20:11 - 20:22
    चमकती आँखें, चमकती आँखें.
  • 20:22 - 20:25
    धन्यवाद, धन्यवाद.
  • 20:26 - 20:31
    (संगीत)
Title:
बेंजामिन जैनडर संगीत और दीवानेपन के बारे में
Speaker:
Benjamin Zander
Description:

बेंजामिन जैनडर के दो संक्रामक दीवानेपन हैं: शास्त्रीय संगीत, और उसके लिए हम सब में छुपा अनजाना प्यार जगाना -- और इसी का विस्तार करते हुए, हमारे अन्दर नयी संभावनाओं, नए अनुभवों, नए संबंधों के लिए छुपा अनजाना प्यार जगाना.

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English
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Project:
TEDTalks
Duration:
20:26
alka puri added a translation

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