बेंजामिन जैनडर संगीत और दीवानेपन के बारे में
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0:00 - 0:03शायद आपमें से कई लोग दो विक्रेताओं (सेल्समेन) की कहानी जानते हैं
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0:03 - 0:06जो १९०० सदी में अफ्रीका गए.
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0:06 - 0:08उन्हें वहाँ संभावनाओं की तलाश में भेजा गया था
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0:08 - 0:10जूते बेचने की.
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0:10 - 0:13और उन्होंने वापस मैनचेस्टर तार भेजे.
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0:13 - 0:17और उनमें से एक ने लिखा: "हालत निराशाजनक है. विराम."
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0:17 - 0:18ये लोग जूते नहीं पहनते."
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0:18 - 0:21और दूसरे ने लिखा: "शानदार मौका.
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0:21 - 0:23इनके पास अब तक जूते नहीं हैं."
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0:23 - 0:24(हंसी)
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0:24 - 0:27अब शास्त्रीय संगीत की दुनिया में भी कुछ ऐसी ही परिस्थिति है,
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0:28 - 0:29क्योंकि यहाँ कुछ लोग हैं जो सोचते हैं
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0:29 - 0:32कि शास्त्रीय संगीत का अंत हो रहा है.
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0:33 - 0:36और कुछ हम जैसे लोग हैं जो सोचते हैं कि अभी तो बहुत कुछ होना बाकी है.
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0:36 - 0:40और बजाए इसके कि मैं आंकड़ों व नयी धाराओं में जाऊं
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0:40 - 0:42और आपको बताऊँ कि कितने सारे ऑर्केस्ट्रा बंद हो रहे हैं,
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0:42 - 0:45और कितनी रिकॉर्ड कंपनियों का अंत हो रहा है,
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0:45 - 0:49मैंने सोचा कि हमें आज रात एक प्रयोग करना चाहिए -- एक प्रयोग.
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0:49 - 0:53असलियत में तो यह सच्चा प्रयोग नहीं है क्योंकि मैं इसका परिणाम जानता हूँ.
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0:54 - 0:56पर है यह प्रयोग की तरह ही. अब, इससे पहले कि --
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0:56 - 1:00(हंसी)
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1:00 - 1:02- इससे पहले कि हम शुरू करें, मुझे दो चीज़ें करनी हैं.
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1:02 - 1:06एक, मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि एक सात-साल का बच्चा
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1:07 - 1:08कैसा सुनाई देता है जब वो पियानो बजाता है.
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1:08 - 1:10शायद यह बच्चा आप के घर में भी हो.
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1:11 - 1:12वो कुछ इस तरह से बजाता है.
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1:12 - 1:32(पियानो)
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1:32 - 1:34देख रहा हूँ कि आपमें से कुछ लोग इस बच्चे को पहचानते हैं.
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1:34 - 1:39अब, अगर ये एक साल अभ्यास करता है और सीखता है, तो आठ साल का हो गया
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1:39 - 1:40और अब इस तरह से बजाता है.
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1:40 - 1:47(पियानो)
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1:47 - 1:50फिर वो एक और साल अभ्यास करता है और सीखता है; अब वो नौ साल का है.
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1:50 - 1:56(पियानो)
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1:56 - 1:59फिर वो एक और साल तैय्यारी करता है और सीखता है; अब वो दस का हो गया.
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1:59 - 2:06(पियानो)
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2:06 - 2:07इस समय पर अक्सर बच्चे ये सब छोड़ देते हैं.
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2:07 - 2:09(हंसी)
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2:09 - 2:11(तालियाँ)
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2:11 - 2:13अब, अगर आपने इंतज़ार किया होता, अगर एक साल और इंतज़ार किया होता,
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2:14 - 2:15तो आप ये सुन पाते:
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2:15 - 2:24(पियानो)
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2:24 - 2:27अब, वास्तव में जो हुआ, वो वैसा नहीं है जैसा आप शायद सोच रहे हैं,
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2:27 - 2:30कि ये बच्चा अचानक जोश से भर गया, जुड़ गया,
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2:30 - 2:33भागीदार बन गया, उसे नया टीचर मिल गया, परिपक्वता आ गयी, या जो भी कहिये.
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2:33 - 2:37असलियत में ये हुआ कि गतियाँ कम हो गयीं.
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2:38 - 2:39खुद देखिये, जब वो पहली बार बजा रहा था
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2:39 - 2:41तो हर स्वर पर एक गति थी, एक स्पंदन था.
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2:42 - 2:44(पियानो)
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2:44 - 2:46और अगली बार हर दूसरे स्वर पर एक स्पंदन था.
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2:47 - 2:49(पियानो)
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2:49 - 2:50आप मेरे सर के हिलने से यह देख सकते हैं.
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2:51 - 2:52(हंसी)
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2:52 - 2:54नौ-साल का बच्चा, नौ-साल का बच्चा
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2:54 - 2:55हर चार स्वरों पर एक स्पंदन डालता था.
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2:55 - 2:57(पियानो)
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2:58 - 2:59और दस-साल का बच्चा हर आठ स्वरों पर.
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2:59 - 3:02(पियानो)
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3:02 - 3:04और ग्यारह-साल वाला, पूरी लाइन में सिर्फ एक स्पंदन डालता है.
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3:04 - 3:07(पियानो)
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3:08 - 3:10जानता हूँ -- पर यह नहीं जानता कि हम इस मुद्रा में कैसे पहुंचे.
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3:10 - 3:12(हंसी)
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3:13 - 3:15मैंने तो नहीं कहा था कि मैं अपने कंधे को हिलाऊँगा, अपने शरीर को हिलाऊँगा.
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3:15 - 3:17नहीं, पर संगीत ने मुझे हिला दिया,
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3:17 - 3:19और यही कारण है कि मैं इसको एक-कूल्हे का वादन (बजाना) कहता हूँ.
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3:19 - 3:21(पियानो)
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3:21 - 3:22अब कूल्हा कोई भी हो सकता है.
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3:22 - 3:26(पियानो)
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3:26 - 3:29जानते हैं, एक बार एक सज्जन मेरे एक प्रदर्शन को देख रहे थे
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3:29 - 3:30जब मैं एक युवा पियानोवादक के साथ काम कर रहा था.
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3:31 - 3:33वे ओहायो की किसी कंपनी के अध्यक्ष थे.
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3:33 - 3:35और मैं इस युवा पियानोवादक के साथ काम कर रहा था
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3:36 - 3:38और मैंने कहा, "तुम्हारे साथ परेशानी यह है कि तुम दो-कूल्हे के कलाकार हो.
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3:38 - 3:40तुम्हें तो एक-कूल्हे का वादक होना चाहिए."
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3:40 - 3:42और जब वो बजा रहा था, तो मैंने उसके शरीर को इस तरह घुमाया.
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3:42 - 3:44और अचानक संगीत बदल गया. ऊंचे स्थान पर पहुँच गया.
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3:45 - 3:47श्रोताओं ने जब इस फर्क को महसूस किया तो वो धक् से रह गए.
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3:47 - 3:49और फिर उन सज्जन ने मुझे एक चिट्ठी लिखी.
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3:49 - 3:50उन्होंने कहा, " मैं बहुत प्रभावित हुआ.
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3:50 - 3:52मैंने वापस जा कर अपनी कंपनी पूरी तरह से बदल डाली
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3:53 - 3:54एक-कूल्हे वाली कंपनी में."
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3:54 - 3:57(हंसी)
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3:58 - 4:00अब जो दूसरी चीज़ जो मैं करना चाहता हूँ, वो है आपको आपके ही बारे में बताना.
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4:00 - 4:03मेरे ख़याल से यहाँ कोई १६०० लोग हैं.
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4:03 - 4:06मेरा अंदाज़ है कि आप में से करीब ४५ लोग
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4:06 - 4:08शास्त्रीय संगीत के बारे में एकदम दीवाने हैं.
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4:09 - 4:14आप शास्त्रीय संगीत से बेहद प्यार करते हैं. आपका रेडियो हमेशा शास्त्रीय स्टेशन पर ही लगा रहता है.
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4:14 - 4:17आपकी कार में उसके सीडी भरे रहते हैं, और आप संगीत के कार्यक्रमों में जाते हैं.
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4:17 - 4:18और आपके बच्चे कई तरह के साज़ बजाते हैं.
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4:18 - 4:20आप शास्त्रीय संगीत के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते.
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4:21 - 4:23यह पहला समूह है; काफी छोटा समूह है.
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4:23 - 4:25फिर एक और समूह है, बड़ा समूह.
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4:25 - 4:27ये वो लोग हैं जो शास्त्रीय संगीत को बर्दाश्त कर लेते हैं.
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4:27 - 4:28(हंसी)
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4:28 - 4:30जानते हैं न, आप लम्बे दिन के बाद घर आते हैं
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4:30 - 4:32और आप वाइन के एक गिलास के साथ आराम से अपने पैर ऊपर कर के बैठते हैं.
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4:33 - 4:35अब नेपथ्य में थोड़ा सा विवाल्डी कोई नुक्सान नहीं पहुँचाता.
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4:35 - 4:36(हंसी)
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4:36 - 4:37यह है दूसरा समूह.
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4:37 - 4:38अब नंबर आता है तीसरे समूह का.
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4:38 - 4:40ये वो लोग हैं जो कभी शास्त्रीय संगीत नहीं सुनते.
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4:40 - 4:42वो आपकी दुनिया का हिस्सा है ही नहीं.
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4:43 - 4:45आप शायद कभी उसे एयरपोर्ट पर झेले गए बासी धुंए की तरह सुन लें, मगर --
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4:45 - 4:47(हंसी)
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4:47 - 4:48-- और शायद आईडा से लिया गया थोड़ा सा संगीत कानों में पड़ा हो
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4:48 - 4:51जब आप हॉल में आ रहे थे. पर अन्यथा आप कभी उसे नहीं सुनते हैं.
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4:52 - 4:53यह सबसे बड़ा समूह है इन सब में.
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4:53 - 4:55और फिर एक बहुत छोटा समूह है.
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4:55 - 4:58ये वो लोग हैं जो सोचते हैं कि उन्हें सुर की पहचान ही नहीं है.
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4:58 - 5:00बहुत सारे लोग सोचते हैं कि उन्हें सुर की पहचान नहीं है.
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5:01 - 5:03मैं अक्सर सुनता हूँ, "मेरे पति को सुर समझ नहीं आते."
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5:03 - 5:04(हंसी)
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5:04 - 5:07असलियत में आप सुर-हीन हो ही नहीं सकते. कोई भी सुर-रहित नहीं होता.
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5:07 - 5:10अगर आप सुर-रहित होते, तो आप कार के गियर भी नहीं बदल पाते
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5:10 - 5:12उन पुराने तरह की कारों पर जिन में हाथ से गियर बदलते हैं.
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5:12 - 5:14आप कोई फ़र्क नहीं बता पाते
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5:14 - 5:16टैकसस में रहने वाले और रोम में रहने वाले व्यक्तियों के बीच में.
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5:16 - 5:20और टेलिफोन. टेलिफोन. अगर आपकी माँ का फोन आता है
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5:21 - 5:23उस निकम्मे फोन पर, वो आपको फोन करती हैं और कहती हैं, "हलो,"
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5:23 - 5:26तो आप न केवल यह जान जाते हैं कि कौन है, बल्कि यह भी जान जाते हैं कि वो किस मूड में हैं.
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5:27 - 5:30आपका कान बहुत शानदार है. हरेक व्यक्ति का कान बहुत शानदार है.
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5:30 - 5:32कोई भी सुर-हीन नहीं होता.
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5:32 - 5:36पर मैं आपसे एक बात कहूँगा. कोई तुक ही नहीं है कि मैं बोलता जाऊं
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5:36 - 5:39उस इतनी बड़ी खाई के बारे में, जिसके एक तरफ वो लोग हैं
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5:40 - 5:42जो शास्त्रीय संगीत के प्रति प्रेम और लगाव रखते हैं,
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5:42 - 5:45और दूसरी तरफ वो जिनका उस के साथ कोई रिश्ता ही नहीं है.
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5:45 - 5:47क्योंकि वे सुर-रहित लोग, वे तो यहाँ हैं ही नहीं.
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5:47 - 5:51पर इन तीन समूहों के बीच, वाकई में बहुत बड़ी खाई है.
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5:51 - 5:55तो मैं तब तक आगे नहीं बढ़ने वाला, जब तक यहाँ पर उपस्थित हर व्यक्ति,
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5:55 - 6:00नीचे भी और पूरे ऐस्पें में, और जो कोई भी इसे देख रहा हो,
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6:01 - 6:04वो हरेक व्यक्ति शास्त्रीय संगीत को समझने और उससे प्यार न करने लगे.
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6:04 - 6:06तो अब हम यही करने वाले हैं.
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6:07 - 6:12अब, क्या आपने ध्यान दिया कि मेरे दिमाग में रत्ती भर भी संदेह नहीं है
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6:12 - 6:15कि यह संभव हो पायेगा, अगर आप मेरे चेहरे को देखें, है न?
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6:15 - 6:19एक सफल नेता का ख़ास गुण यही है कि वो संदेह न करे,
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6:19 - 6:22एक मिनट के लिए भी नहीं कि जिन लोगों का वो नेतृत्व कर रहा है,
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6:23 - 6:25उनमें उसके सपने साकार करने की क्षमता नहीं है.
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6:25 - 6:28ज़रा कल्पना कीजिये अगर मार्टिन लूथर किंग ने कहा होता, " मेरे पास एक सपना है.
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6:28 - 6:30पर हाँ, मुझे पक्का नहीं पता कि ये सब उसे पूरा कर पायेंगे."
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6:30 - 6:33(हंसी)
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6:34 - 6:36अच्छा. तो अब मैं शोपैं की एक रचना ले रहा हूँ.
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6:36 - 6:41यह शोपैं की एक बेहद सुन्दर संगीतात्मक भूमिका है. आप में से कुछ इसे जानते होंगे.
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6:42 - 7:10(संगीत)
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7:10 - 7:12आप जानते हैं कि मेरे हिसाब से अभी इस कमरे में क्या हुआ?
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7:13 - 7:15जब मैंने बजाना शुरू किया, तो आपने सोचा, "कितना सुन्दर संगीत है."
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7:15 - 7:28(संगीत)
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7:29 - 7:30"मुझे नहीं लगता हमें उसी जगह वापस जाना चाहिए
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7:30 - 7:32अगली गर्मी की छुट्टियों में."
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7:32 - 7:35(हंसी)
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7:35 - 7:38मजेदार है न? कितनी मजेदार बात है कि यह विचार कैसे
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7:38 - 7:41हमारे दिमाग में तैरते रहते हैं.
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7:41 - 7:42और वाकई --
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7:42 - 7:45(तालियाँ)
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7:45 - 7:47-- और वाकई, अगर रचना बहुत लम्बी है और आपका दिन भी लम्बा रहा हो,
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7:48 - 7:49तो आप शायद झपकी भी ले सकते हैं.
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7:49 - 7:51फिर आपका साथी आपको कोहनी मार कर
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7:51 - 7:55कहेगा, "उठो! यह संस्कृति है!"!" और फिर आप को और भी बुरा लगेगा.
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7:55 - 7:58पर क्या आपने कभी यह सोचा है कि आपको अगर झपकी आती है
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7:59 - 8:01शास्त्रीय संगीत में, तो उसका कारण आप नहीं हैं, बल्कि हम हैं?
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8:01 - 8:03जब मैं बजा रहा था तो क्या किसी ने सोचा,
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8:03 - 8:05"ये इतने स्पंदन क्यों लगा रहे हैं?"
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8:05 - 8:08अगर मैं अपना सर इस तरह हिलाता तो आप ज़रूर ऐसा सोचते.
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8:09 - 8:14(संगीत)
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8:14 - 8:18और अपने बाकी जीवन में, हर बार जब आप शास्त्रीय संगीत सुनें
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8:18 - 8:22तो आप हमेशा जान पायेंगे कि ये स्पंदन कब आ रहे हैं.
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8:22 - 8:24तो चलिए देखते हैं कि यहाँ वाकई क्या हो रहा है.
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8:24 - 8:29यह है बी का सुर. यह भी है बी. अगला सुर है सी.
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8:29 - 8:32और सी का काम है बी को उदास बनाना. और वो बनाता है, है न?
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8:32 - 8:35(हंसी)
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8:35 - 8:37संगीतकार यह जानते हैं. अगर उन्हें उदास संगीत चाहिए हो
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8:37 - 8:38तो वो बस यह दो सुर बजाते हैं.
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8:38 - 8:43(संगीत)
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8:43 - 8:45असलियत में यह अकेला बी है, चार दुखी स्वरों के साथ.
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8:45 - 8:47(हंसी)
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8:48 - 8:53अब, यह नीचे जाता है ए तक. अब जी तक, और फिर एफ़ तक.
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8:53 - 8:57तो अब हमारे पास हैं बी, ए, जी, एफ़. और अगर हमारे पास हों बी, ए, जी, एफ़,
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8:58 - 9:04तो हम क्या अपेक्षा कर सकते हैं? ओह, यह शायद अचानक हो गया.
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9:04 - 9:10चलो फिर देखते हैं. वाह, यह तो है टेड का समूहगान.
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9:10 - 9:13(हंसी)
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9:13 - 9:17और आपने देखा कोई भी सुर-हीन नहीं है, देखा? कोई भी नहीं.
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9:17 - 9:19आप जानते हैं, बांगलादेश के हर गाँव में
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9:19 - 9:24और चीन के हर मोहल्ले में . सब जानते हैं:
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9:25 - 9:28डा, डा, डा, डा -- डा. हर व्यक्ति जानता है कि उस ई के स्वर की कौन राह देख रहा है.
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9:28 - 9:31अब शौपें नहीं चाहते थे कि ई वहाँ तक पहुंचे,
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9:32 - 9:34क्योंकि फिर क्या हो जाता? सब समाप्त हो जाता, हैमलेट की तरह.
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9:34 - 9:36आपको ध्यान है हैमलेट? पहला ऐक्ट, तीसरा सीन:
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9:37 - 9:38जब उसे पता चलता है कि उसके चाचा ने उसके पिता को मार डाला.
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9:38 - 9:40आपको ध्यान होगा कि वो अपने चाचा के पास बार बार जाता है
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9:40 - 9:41और मारने वाला होता है. और फिर वो पीछे हट जाता है
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9:41 - 9:44और फिर उनके पास जाता है और मारने वाला ही होता है.
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9:44 - 9:46और सारे आलोचक, जो सब वहाँ पीछे की लाइन में बैठे हैं,
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9:46 - 9:49उनको तो अपनी राय देनी ही होती है, तो वो कहते हैं, " हैमलेट टालमटोल करता है."
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9:49 - 9:50(हंसी)
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9:50 - 9:52या फिर वो कहते हैं, " हैमलेट में ईडीपस कॉम्प्लेक्स है."
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9:53 - 9:56नहीं, वरना नाटक समाप्त हो जाता, मूर्ख.
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9:56 - 9:58इसीलिए तो शेक्सपियर ने वो सब कुछ हैमलेट में डाला.
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9:59 - 10:01आप जानते हैं, ओफीलिया का पागल होना और वो सब नाटक में नाटक,
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10:01 - 10:02और योरिक की खोपड़ी, और वो सब कब्र खोदने वाले.
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10:03 - 10:06वो सब उन्होनें डाला लम्बा खींचने के लिए -- ऐक्ट ५ में उसके मरने तक.
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10:06 - 10:11बिलकुल यही शोपैं के साथ है. वो ई तक करीब करीब पहुँचने ही वाले हैं,
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10:11 - 10:13और फिर उनके दिमाग में आता है, "अरे, चलो वापस जा कर दुबारा शुरू करते हैं."
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10:13 - 10:16तो वो फिर से उसे करते हैं.
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10:17 - 10:20फिर वो जोश में आ जाते हैं -- यह जोशीलापन है,
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10:20 - 10:21इस के बारे में आपको चिंता नहीं करनी चाहिए.
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10:22 - 10:24अब वो तीव्र एफ़ पर पहुँचते हैं और अंत में ई पर उतर आते हैं,
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10:24 - 10:27पर यह गलत सुर है. क्योंकि जिस सुर की वो तलाश कर रहे हैं
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10:28 - 10:31वह ये है, और इसकी जगह वो बजाते हैं ..
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10:31 - 10:35अब, हम लोग इसे कहते हैं भ्रमकारी आरोह-अवरोह, क्योंकि यह हमें भ्रम में डालता है.
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10:36 - 10:38मैं हमेशा अपने छात्रों से कहता हूँ, "अगर तुम्हारे पास भ्रमकारी आरोह-अवरोह है,
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10:38 - 10:40तो अपनी भंवें चढ़ाना मत भूलना, फिर सब समझ जायेंगे."
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10:40 - 10:43(हंसी)
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10:43 - 10:46(तालियाँ)
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10:47 - 10:49बराबर. तो वो ई तक आते हैं, पर यह गलत सुर है.
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10:49 - 10:52अब वो फिर ई लगाते हैं. यह स्वर काम नहीं करता.
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10:52 - 10:55एक बार फिर वो ई लगाते हैं. यह स्वर काम नहीं करता.
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10:55 - 10:57अब वो फिर ई लगाते हैं, और वह काम नहीं करता.
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10:58 - 11:01और फिर अंत में....
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11:01 - 11:05आगे की कतार में एक सज्जन थे जो बोले, "हम्म्म."
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11:06 - 11:08यह वही भाव है जो वो तब दिखाते हैं जब घर पहुँचते हैं
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11:08 - 11:11एक लम्बे दिन के बाद, जब वो कार की चाबी बंद कर के कहते हैं,
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11:12 - 11:15"भई वाह, मैं घर आ गया हूँ." क्योंकि हम सब पहचानते हैं कि घर कहाँ है.
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11:15 - 11:18तो यह वो रचना है जो बाहर से आ कर घर पहुँचती है.
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11:18 - 11:20और अब मैं इसे बिना रुके लगातार बजाऊँगा
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11:20 - 11:23और आप इसे ध्यान से सुनेंगे -- बी, सी, बी, सी, बी, सी, बी --
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11:23 - 11:25नीचे ए तक, नीचे जी तक, नीचे एफ़ तक.
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11:25 - 11:27रचना करीब करीब ई तक जाती है, मगर तब तो नाटक ख़त्म हो जाएगा.
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11:28 - 11:30वो वापस ऊपर बी तक जाते हैं. बहुत जोश में आते हैं. तीव्र एफ़ तक जाते हैं. ई तक जाते हैं.
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11:30 - 11:32वह गलत स्वर है. वह गलत स्वर है. वह गलत स्वर है.
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11:33 - 11:35और अंत में ई पर जाते हैं, और रचना घर आ जाती है.
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11:35 - 11:38और जो आप देखने वाले हैं वो एक-कूल्हे का वादन है.
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11:38 - 11:41(हंसी)
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11:41 - 11:43क्योंकि मेरे लिए, बी को ई से जोड़ने के लिए,
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11:44 - 11:49मुझे रास्ते के हर स्वर के बारे में सोचना बंद करना पड़ता है
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11:49 - 11:54और सोचना होता है उस लम्बी, लम्बी रेखा के बारे में जो बी से ई तक जाती है.
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11:55 - 11:59आप जानते हैं, हम अभी हाल में दक्षिण अफ्रीका में थे, और आप दक्षिण अफ्रीका नहीं जा सकते
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11:59 - 12:02मंडेला के २७ साल के कारावास के बारे में सोचे बिना.
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12:03 - 12:05वो किस विषय में सोचा करते होंगे? खाना?
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12:05 - 12:08नहीं, वो तो दक्षिण अफ्रीका के लिए अपने सपने के बारे में सोचते थे
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12:09 - 12:10देश के और मानवजाति के सपने के बारे में. इसीने तो उन्हें संभाला --
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12:10 - 12:13यह सपने के बारे में है; यह लम्बी रेखा के बारे में है.
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12:13 - 12:15उस चिड़िया की तरह जो खेतों के ऊपर उड़ती है
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12:15 - 12:19और नीचे की चाहरदीवारी की परवाह नहीं करती, है न सही?
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12:19 - 12:22तो अब आप पूरी तरह उस रेखा के पीछे चलेंगे जो बी से ई तक जाती है.
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12:22 - 12:26और मेरा एक अंतिम अनुरोध है, इस से पहले कि मैं यह रचना शुरू से अंत तक बिना रुके बजाऊँ.
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12:26 - 12:31क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को याद करेंगे जो आपका अतिप्रिय हो, और अब आपके साथ नहीं है?
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12:31 - 12:34एक परमप्रिय नानी, कोई प्रेमी,
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12:35 - 12:38आपके जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति जिसे आप पूरे दिल से प्यार करते हैं,
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12:38 - 12:41पर वो व्यक्ति अब आपके साथ नहीं है.
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12:42 - 12:45उस व्यक्ति को अपने मन में लाइए, और इस के साथ ही
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12:45 - 12:49बी से ई तक की रेखा के पीछे पूरे रास्ते चलिए,
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12:49 - 12:57और आपको वो सब सुनाई दे जाएगा जो शोपैं कहना चाहते थे.
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12:57 - 14:48(संगीत)
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14:48 - 14:55(तालियाँ)
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14:55 - 15:00अब आपको अचरज हो रहा होगा,
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15:00 - 15:06अचरज हो रहा होगा कि मैं ताली क्यों बजा रहा हूँ.
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15:06 - 15:08तो मैंने बौस्टन के एक स्कूल में ये सब किया
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15:08 - 15:12करीब ७० सातवीं-कक्षा वालों के साथ -- १२ साल के बच्चे.
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15:12 - 15:14और मैंने बिलकुल वही किया जो आपके साथ किया है, और उन्हें बताया
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15:14 - 15:15और समझाया और सारा कुछ किया.
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15:15 - 15:17और अंत में वो पागलों की तरह तालियाँ बजाने लगे. वो तालियाँ बजा रहे थे.
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15:18 - 15:19मैं ताली बजा रहा था. वो बजा रहे थे.
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15:19 - 15:21आखिर मैंने कहा, "मैं क्यों ताली बजा रहा हूँ?"
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15:21 - 15:22और एक छोटे बच्चे ने कहा, "क्योंकि हम सुन रहे हैं."
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15:22 - 15:27(हंसी)
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15:28 - 15:30आप खुद सोचिये. १६०० लोग, व्यस्त लोग,
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15:30 - 15:32तरह तरह के कामों में लगे हुए लोग.
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15:33 - 15:39शौपैं की एक रचना को सुनें, समझें और दिल में उतारें, उस से जुड़ जाएँ.
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15:39 - 15:40अब ये हुई न कोई बात.
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15:40 - 15:43अब मुझे विश्वास है कि हरेक व्यक्ति ने उसे सुना,
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15:43 - 15:45समझा, उससे जुड़ा, प्रभावित हुआ. हालांकि मैं पक्के तौर से तो नहीं कह सकता.
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15:46 - 15:47पर मैं इतना कह सकता हूँ जो मेरे साथ हुआ.
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15:47 - 15:50मैं १० साल पहले के दंगों के समय आयरलैंड में था,
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15:50 - 15:53और मैं कुछ कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट बच्चों के साथ काम कर रहा था
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15:53 - 15:57झगड़ों के समाधान के बारे में. और मैंने यह उनके साथ किया.
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15:58 - 16:00जोखिम का काम था क्योंकि वे सड़कों पर रहने वाले बच्चे थे.
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16:00 - 16:03और उनमें से एक मेरे पास अगली सुबह आया और बोला,
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16:04 - 16:07"आप जानते हैं, मैंने अपनी ज़िन्दगी में कभी शास्त्रीय संगीत नहीं सुना,
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16:07 - 16:08पर जब आपने वो शौपिंग वाला टुकड़ा बजाया ..."
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16:08 - 16:11(हंसी)
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16:11 - 16:15उसने कहा, "मेरे भाई को पिछले साल गोली लगी थी और मैं उसके लिए नहीं रोया.
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16:16 - 16:17पर कल रात जब आप वोह टुकड़ा बजा रहे थे,
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16:17 - 16:20तो मैं उसके बारे में सोच रहा था.
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16:20 - 16:22और मुझे अपनी आँखों से आंसू बहते महसूस हुए.
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16:22 - 16:25और आप जानते हैं, अपने भाई के लिए रोने से मुझे बहुत अच्छा लगा."
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16:25 - 16:27तो मैंने उसी पल में निश्चय कर लिया
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16:27 - 16:34कि शास्त्रीय संगीत सब के लिए है. सब के लिए.
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16:35 - 16:37अब यह मैं कैसे चलाता -- क्योंकि आप जानते हैं,
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16:37 - 16:41मेरा व्यवसाय, संगीत का व्यवसाय इसे इस तरह नहीं देखता है.
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16:41 - 16:44वो कहते हैं कि केवल ३ प्रतिशत जनसँख्या शास्त्रीय संगीत पसंद करती है.
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16:44 - 16:48अगर हम इसे ४ प्रतिशत तक ले आयें तो हमारी सारी परेशानियां दूर हो जायेंगी.
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16:49 - 16:52मैं कहता हूँ, "आप कैसे चलेंगे? कैसे बात करेंगे? कैसे रहेंगे
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16:52 - 16:55अगर आप सोचें कि केवल ३ प्रतिशत जनसँख्या शास्त्रीय संगीत पसंद करती है?
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16:56 - 16:58अगर हम इसे ४ प्रतिशत तक ले आयें. आप कैसे चलेंगे?
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16:58 - 17:00कैसे बात करेंगे? कैसे रहेंगे
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17:00 - 17:02अगर आप सोचें कि हर व्यक्ति शास्त्रीय संगीत पसंद करता है --
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17:02 - 17:04बस उन्हें अभी तक यह पता नहीं चला है."
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17:04 - 17:05(हंसी)
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17:05 - 17:07देखा, ये दोनों एकदम अलग-अलग दुनियाएं हैं.
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17:08 - 17:11अब मुझे एक अदभुत अनुभव हुआ. मैं ४५ साल का था,
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17:11 - 17:16मैं २० साल से संगीत निर्देशक था, और अचानक मुझे एक अनुभूति हुई.
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17:17 - 17:20एक ऑर्केस्ट्रा का निर्देशक कोई आवाज़ नहीं करता.
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17:20 - 17:22मेरी तस्वीर सीडी के ऊपर लगती है --
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17:22 - 17:25(हंसी)
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17:25 - 17:27-- पर निर्देशक कोई आवाज़ नहीं करता.
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17:28 - 17:32वो अपनी शक्ति के लिए दूसरे लोगों को शक्तिशाली बनाने की अपनी क्षमता पर निर्भर होता है.
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17:32 - 17:36और इस बात ने मेरी दुनिया बदल दी. यह वाकई कायापलट करने वाली बात थी.
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17:37 - 17:38मेरे ऑर्केस्ट्रा के लोग मेरे पास आ कर बोले,
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17:38 - 17:40"बेन, क्या हुआ?" यह हुआ था.
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17:40 - 17:45मैंने यह जाना कि मेरा असली काम था लोगों में छुपी संभावनाएं जगाना.
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17:45 - 17:48और हाँ, मैं जानना चाहता था कि मैं यह कर भी पा रहा हूँ कि नहीं.
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17:48 - 17:51आपको पता है कि कैसे मालूम होता है? आप उनकी आँखों में देखते हैं.
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17:51 - 17:55अगर उनकी आँखें चमक रही हों, तो आपको पता चल जाता है कि आप सही काम कर रहे हैं.
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17:56 - 17:57देखिये, इस बन्दे की आँखों से आप पूरे गाँव में उजाला कर सकते हैं.
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17:57 - 17:59(हंसी)
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17:59 - 18:01ठीक. तो अगर आँखें चमक रही हैं, तो आप काम सही कर रहे हैं.
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18:01 - 18:04अगर आँखें नहीं चमक रही हैं, तो आप एक सवाल पूछ सकते हैं.
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18:04 - 18:05और वो सवाल यह है:
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18:05 - 18:11मैं क्या होता जा रहा हूँ कि मेरे खिलाड़ियों की आँखें चमक नहीं रहीं?
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18:12 - 18:13यह सवाल हम अपने बच्चों के साथ भी कर सकते हैं.
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18:13 - 18:18मैं क्या होता जा रहा हूँ कि मेरे बच्चों की आँखें चमक नहीं रहीं?
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18:19 - 18:21वो बिलकुल ही अलग दुनिया है.
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18:21 - 18:26अब, हम सब इस जादुई, ऊंचाइयों-से-भरे हफ्ते को समाप्त करने वाले हैं,
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18:27 - 18:28और वापस असली दुनिया में जा रहे हैं.
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18:28 - 18:32और इसलिए मैं कहूँगा, हमारे लिए उचित है यह प्रश्न पूछना:
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18:32 - 18:37हम क्या होते जा रहे हैं, जब हम वापस असली दुनिया में जा रहे हैं?
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18:37 - 18:39और आप जानते हैं, मेरे पास सफलता की क्या परिभाषा है.
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18:40 - 18:42मेरे लिए यह बहुत सरल है. सफलता पैसे और यश और शक्ति के बारे में नहीं है.
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18:42 - 18:45यह इस बारे में है कि मैं कितनी चमकती आँखें अपने चारों ओर देखता हूँ.
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18:46 - 18:49तो अब मेरे दिमाग में बस एक अंतिम विचार यह है कि
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18:49 - 18:52जो हम बोलते हैं उससे वाकई फ़र्क पड़ता है.
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18:52 - 18:54जो शब्द हमारे मुंह से निकलते हैं.
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18:54 - 18:58यह मैंने एक औरत से सीखा जो आउशविट्ज़ (जर्मन कैम्प) से बच कर निकली थी.
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18:58 - 18:59उन दुर्लभ लोगों में से एक जो वहाँ से बच निकले.
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18:59 - 19:03वो आउशविट्ज़ तब गयी थी जब वो १५ साल की थी,
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19:04 - 19:11और उसका भाई ८ साल का था, और उनके माँ-बाप खो चुके थे.
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19:11 - 19:16और उसने मुझे यह बताया, उसने कहा,
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19:16 - 19:19"हम आउशविट्ज़ जाने वाली ट्रेन में थे और मैंने नीचे देखा
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19:19 - 19:21और देखा कि मेरे भाई के पैरों में जूते नहीं थे.
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19:22 - 19:25और मैंने कहा, "तुम इतने बेवक़ूफ़ क्यों हो, क्या अपनी चीज़ें भी नहीं संभाल सकते
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19:25 - 19:26भगवान् के लिए?" -- जैसे एक बड़ी बहिन
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19:26 - 19:30अक्सर अपने छोटे भाई से बोलती है.
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19:30 - 19:33दुर्भाग्यवश, वो अंतिम शब्द थे जो उसने कभी भी उससे कहे
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19:33 - 19:37क्योंकि वो फिर कभी उसे नहीं दिखा. वो नहीं बच पाया.
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19:37 - 19:39और इसीलिए जब वो आउशविट्ज़ से बाहर आयी, तो उसने एक कसम खाई.
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19:40 - 19:44यह उसीने मुझे बताया. उसने कहा, " मैं आउशविट्ज़ से बाहर आ कर ज़िंदगी की ओर निकली
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19:44 - 19:49और मैंने एक कसम खाई. और वो कसम थी, मैं कभी भी ऐसा कुछ नहीं कहूंगी
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19:50 - 19:53जो मेरे मुंह से निकले आख़िरी शब्द की कसौटी पर पूरा न उतरे."
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19:53 - 19:57तो, क्या हम ऐसा कर सकते हैं? और शायद हम अपने आपको गलत साबित कर दें
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19:58 - 20:05और दूसरों को भी. पर यह एक संभावना तो है जिसको हम सच कर सकते हैं. धन्यवाद.
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20:05 - 20:10(तालियाँ)
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20:11 - 20:22चमकती आँखें, चमकती आँखें.
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20:22 - 20:25धन्यवाद, धन्यवाद.
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20:26 - 20:31(संगीत)
- Title:
- बेंजामिन जैनडर संगीत और दीवानेपन के बारे में
- Speaker:
- Benjamin Zander
- Description:
-
बेंजामिन जैनडर के दो संक्रामक दीवानेपन हैं: शास्त्रीय संगीत, और उसके लिए हम सब में छुपा अनजाना प्यार जगाना -- और इसी का विस्तार करते हुए, हमारे अन्दर नयी संभावनाओं, नए अनुभवों, नए संबंधों के लिए छुपा अनजाना प्यार जगाना.
- Video Language:
- English
- Team:
closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 20:26