0:00:00.000,0:00:03.000 शायद आपमें से कई लोग दो विक्रेताओं (सेल्समेन) की कहानी जानते हैं 0:00:03.000,0:00:06.000 जो १९०० सदी में अफ्रीका गए. 0:00:06.000,0:00:08.000 उन्हें वहाँ संभावनाओं की तलाश में भेजा गया था 0:00:08.000,0:00:10.000 जूते बेचने की. 0:00:10.000,0:00:13.000 और उन्होंने वापस मैनचेस्टर तार भेजे. 0:00:13.000,0:00:17.000 और उनमें से एक ने लिखा: "हालत निराशाजनक है. विराम." 0:00:17.000,0:00:18.000 ये लोग जूते नहीं पहनते." 0:00:18.000,0:00:21.000 और दूसरे ने लिखा: "शानदार मौका. 0:00:21.000,0:00:23.000 इनके पास अब तक जूते नहीं हैं." 0:00:23.000,0:00:24.000 (हंसी) 0:00:24.000,0:00:27.000 अब शास्त्रीय संगीत की दुनिया में भी कुछ ऐसी ही परिस्थिति है, 0:00:28.000,0:00:29.000 क्योंकि यहाँ कुछ लोग हैं जो सोचते हैं 0:00:29.000,0:00:32.000 कि शास्त्रीय संगीत का अंत हो रहा है. 0:00:33.000,0:00:36.000 और कुछ हम जैसे लोग हैं जो सोचते हैं कि अभी तो बहुत कुछ होना बाकी है. 0:00:36.000,0:00:40.000 और बजाए इसके कि मैं आंकड़ों व नयी धाराओं में जाऊं 0:00:40.000,0:00:42.000 और आपको बताऊँ कि कितने सारे ऑर्केस्ट्रा बंद हो रहे हैं, 0:00:42.000,0:00:45.000 और कितनी रिकॉर्ड कंपनियों का अंत हो रहा है, 0:00:45.000,0:00:49.000 मैंने सोचा कि हमें आज रात एक प्रयोग करना चाहिए -- एक प्रयोग. 0:00:49.000,0:00:53.000 असलियत में तो यह सच्चा प्रयोग नहीं है क्योंकि मैं इसका परिणाम जानता हूँ. 0:00:54.000,0:00:56.000 पर है यह प्रयोग की तरह ही. अब, इससे पहले कि -- 0:00:56.000,0:01:00.000 (हंसी) 0:01:00.000,0:01:02.000 - इससे पहले कि हम शुरू करें, मुझे दो चीज़ें करनी हैं. 0:01:02.000,0:01:06.000 एक, मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि एक सात-साल का बच्चा 0:01:07.000,0:01:08.000 कैसा सुनाई देता है जब वो पियानो बजाता है. 0:01:08.000,0:01:10.000 शायद यह बच्चा आप के घर में भी हो. 0:01:11.000,0:01:12.000 वो कुछ इस तरह से बजाता है. 0:01:12.000,0:01:32.000 (पियानो) 0:01:32.000,0:01:34.000 देख रहा हूँ कि आपमें से कुछ लोग इस बच्चे को पहचानते हैं. 0:01:34.000,0:01:39.000 अब, अगर ये एक साल अभ्यास करता है और सीखता है, तो आठ साल का हो गया 0:01:39.000,0:01:40.000 और अब इस तरह से बजाता है. 0:01:40.000,0:01:47.000 (पियानो) 0:01:47.000,0:01:50.000 फिर वो एक और साल अभ्यास करता है और सीखता है; अब वो नौ साल का है. 0:01:50.000,0:01:56.000 (पियानो) 0:01:56.000,0:01:59.000 फिर वो एक और साल तैय्यारी करता है और सीखता है; अब वो दस का हो गया. 0:01:59.000,0:02:06.000 (पियानो) 0:02:06.000,0:02:07.000 इस समय पर अक्सर बच्चे ये सब छोड़ देते हैं. 0:02:07.000,0:02:09.000 (हंसी) 0:02:09.000,0:02:11.000 (तालियाँ) 0:02:11.000,0:02:13.000 अब, अगर आपने इंतज़ार किया होता, अगर एक साल और इंतज़ार किया होता, 0:02:14.000,0:02:15.000 तो आप ये सुन पाते: 0:02:15.000,0:02:24.000 (पियानो) 0:02:24.000,0:02:27.000 अब, वास्तव में जो हुआ, वो वैसा नहीं है जैसा आप शायद सोच रहे हैं, 0:02:27.000,0:02:30.000 कि ये बच्चा अचानक जोश से भर गया, जुड़ गया, 0:02:30.000,0:02:33.000 भागीदार बन गया, उसे नया टीचर मिल गया, परिपक्वता आ गयी, या जो भी कहिये. 0:02:33.000,0:02:37.000 असलियत में ये हुआ कि गतियाँ कम हो गयीं. 0:02:38.000,0:02:39.000 खुद देखिये, जब वो पहली बार बजा रहा था 0:02:39.000,0:02:41.000 तो हर स्वर पर एक गति थी, एक स्पंदन था. 0:02:42.000,0:02:44.000 (पियानो) 0:02:44.000,0:02:46.000 और अगली बार हर दूसरे स्वर पर एक स्पंदन था. 0:02:47.000,0:02:49.000 (पियानो) 0:02:49.000,0:02:50.000 आप मेरे सर के हिलने से यह देख सकते हैं. 0:02:51.000,0:02:52.000 (हंसी) 0:02:52.000,0:02:54.000 नौ-साल का बच्चा, नौ-साल का बच्चा 0:02:54.000,0:02:55.000 हर चार स्वरों पर एक स्पंदन डालता था. 0:02:55.000,0:02:57.000 (पियानो) 0:02:58.000,0:02:59.000 और दस-साल का बच्चा हर आठ स्वरों पर. 0:02:59.000,0:03:02.000 (पियानो) 0:03:02.000,0:03:04.000 और ग्यारह-साल वाला, पूरी लाइन में सिर्फ एक स्पंदन डालता है. 0:03:04.000,0:03:07.000 (पियानो) 0:03:08.000,0:03:10.000 जानता हूँ -- पर यह नहीं जानता कि हम इस मुद्रा में कैसे पहुंचे. 0:03:10.000,0:03:12.000 (हंसी) 0:03:13.000,0:03:15.000 मैंने तो नहीं कहा था कि मैं अपने कंधे को हिलाऊँगा, अपने शरीर को हिलाऊँगा. 0:03:15.000,0:03:17.000 नहीं, पर संगीत ने मुझे हिला दिया, 0:03:17.000,0:03:19.000 और यही कारण है कि मैं इसको एक-कूल्हे का वादन (बजाना) कहता हूँ. 0:03:19.000,0:03:21.000 (पियानो) 0:03:21.000,0:03:22.000 अब कूल्हा कोई भी हो सकता है. 0:03:22.000,0:03:26.000 (पियानो) 0:03:26.000,0:03:29.000 जानते हैं, एक बार एक सज्जन मेरे एक प्रदर्शन को देख रहे थे 0:03:29.000,0:03:30.000 जब मैं एक युवा पियानोवादक के साथ काम कर रहा था. 0:03:31.000,0:03:33.000 वे ओहायो की किसी कंपनी के अध्यक्ष थे. 0:03:33.000,0:03:35.000 और मैं इस युवा पियानोवादक के साथ काम कर रहा था 0:03:36.000,0:03:38.000 और मैंने कहा, "तुम्हारे साथ परेशानी यह है कि तुम दो-कूल्हे के कलाकार हो. 0:03:38.000,0:03:40.000 तुम्हें तो एक-कूल्हे का वादक होना चाहिए." 0:03:40.000,0:03:42.000 और जब वो बजा रहा था, तो मैंने उसके शरीर को इस तरह घुमाया. 0:03:42.000,0:03:44.000 और अचानक संगीत बदल गया. ऊंचे स्थान पर पहुँच गया. 0:03:45.000,0:03:47.000 श्रोताओं ने जब इस फर्क को महसूस किया तो वो धक् से रह गए. 0:03:47.000,0:03:49.000 और फिर उन सज्जन ने मुझे एक चिट्ठी लिखी. 0:03:49.000,0:03:50.000 उन्होंने कहा, " मैं बहुत प्रभावित हुआ. 0:03:50.000,0:03:52.000 मैंने वापस जा कर अपनी कंपनी पूरी तरह से बदल डाली 0:03:53.000,0:03:54.000 एक-कूल्हे वाली कंपनी में." 0:03:54.000,0:03:57.000 (हंसी) 0:03:58.000,0:04:00.000 अब जो दूसरी चीज़ जो मैं करना चाहता हूँ, वो है आपको आपके ही बारे में बताना. 0:04:00.000,0:04:03.000 मेरे ख़याल से यहाँ कोई १६०० लोग हैं. 0:04:03.000,0:04:06.000 मेरा अंदाज़ है कि आप में से करीब ४५ लोग 0:04:06.000,0:04:08.000 शास्त्रीय संगीत के बारे में एकदम दीवाने हैं. 0:04:09.000,0:04:14.000 आप शास्त्रीय संगीत से बेहद प्यार करते हैं. आपका रेडियो हमेशा शास्त्रीय स्टेशन पर ही लगा रहता है. 0:04:14.000,0:04:17.000 आपकी कार में उसके सीडी भरे रहते हैं, और आप संगीत के कार्यक्रमों में जाते हैं. 0:04:17.000,0:04:18.000 और आपके बच्चे कई तरह के साज़ बजाते हैं. 0:04:18.000,0:04:20.000 आप शास्त्रीय संगीत के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते. 0:04:21.000,0:04:23.000 यह पहला समूह है; काफी छोटा समूह है. 0:04:23.000,0:04:25.000 फिर एक और समूह है, बड़ा समूह. 0:04:25.000,0:04:27.000 ये वो लोग हैं जो शास्त्रीय संगीत को बर्दाश्त कर लेते हैं. 0:04:27.000,0:04:28.000 (हंसी) 0:04:28.000,0:04:30.000 जानते हैं न, आप लम्बे दिन के बाद घर आते हैं 0:04:30.000,0:04:32.000 और आप वाइन के एक गिलास के साथ आराम से अपने पैर ऊपर कर के बैठते हैं. 0:04:33.000,0:04:35.000 अब नेपथ्य में थोड़ा सा विवाल्डी कोई नुक्सान नहीं पहुँचाता. 0:04:35.000,0:04:36.000 (हंसी) 0:04:36.000,0:04:37.000 यह है दूसरा समूह. 0:04:37.000,0:04:38.000 अब नंबर आता है तीसरे समूह का. 0:04:38.000,0:04:40.000 ये वो लोग हैं जो कभी शास्त्रीय संगीत नहीं सुनते. 0:04:40.000,0:04:42.000 वो आपकी दुनिया का हिस्सा है ही नहीं. 0:04:43.000,0:04:45.000 आप शायद कभी उसे एयरपोर्ट पर झेले गए बासी धुंए की तरह सुन लें, मगर -- 0:04:45.000,0:04:47.000 (हंसी) 0:04:47.000,0:04:48.000 -- और शायद आईडा से लिया गया थोड़ा सा संगीत कानों में पड़ा हो 0:04:48.000,0:04:51.000 जब आप हॉल में आ रहे थे. पर अन्यथा आप कभी उसे नहीं सुनते हैं. 0:04:52.000,0:04:53.000 यह सबसे बड़ा समूह है इन सब में. 0:04:53.000,0:04:55.000 और फिर एक बहुत छोटा समूह है. 0:04:55.000,0:04:58.000 ये वो लोग हैं जो सोचते हैं कि उन्हें सुर की पहचान ही नहीं है. 0:04:58.000,0:05:00.000 बहुत सारे लोग सोचते हैं कि उन्हें सुर की पहचान नहीं है. 0:05:01.000,0:05:03.000 मैं अक्सर सुनता हूँ, "मेरे पति को सुर समझ नहीं आते." 0:05:03.000,0:05:04.000 (हंसी) 0:05:04.000,0:05:07.000 असलियत में आप सुर-हीन हो ही नहीं सकते. कोई भी सुर-रहित नहीं होता. 0:05:07.000,0:05:10.000 अगर आप सुर-रहित होते, तो आप कार के गियर भी नहीं बदल पाते 0:05:10.000,0:05:12.000 उन पुराने तरह की कारों पर जिन में हाथ से गियर बदलते हैं. 0:05:12.000,0:05:14.000 आप कोई फ़र्क नहीं बता पाते 0:05:14.000,0:05:16.000 टैकसस में रहने वाले और रोम में रहने वाले व्यक्तियों के बीच में. 0:05:16.000,0:05:20.000 और टेलिफोन. टेलिफोन. अगर आपकी माँ का फोन आता है 0:05:21.000,0:05:23.000 उस निकम्मे फोन पर, वो आपको फोन करती हैं और कहती हैं, "हलो," 0:05:23.000,0:05:26.000 तो आप न केवल यह जान जाते हैं कि कौन है, बल्कि यह भी जान जाते हैं कि वो किस मूड में हैं. 0:05:27.000,0:05:30.000 आपका कान बहुत शानदार है. हरेक व्यक्ति का कान बहुत शानदार है. 0:05:30.000,0:05:32.000 कोई भी सुर-हीन नहीं होता. 0:05:32.000,0:05:36.000 पर मैं आपसे एक बात कहूँगा. कोई तुक ही नहीं है कि मैं बोलता जाऊं 0:05:36.000,0:05:39.000 उस इतनी बड़ी खाई के बारे में, जिसके एक तरफ वो लोग हैं 0:05:40.000,0:05:42.000 जो शास्त्रीय संगीत के प्रति प्रेम और लगाव रखते हैं, 0:05:42.000,0:05:45.000 और दूसरी तरफ वो जिनका उस के साथ कोई रिश्ता ही नहीं है. 0:05:45.000,0:05:47.000 क्योंकि वे सुर-रहित लोग, वे तो यहाँ हैं ही नहीं. 0:05:47.000,0:05:51.000 पर इन तीन समूहों के बीच, वाकई में बहुत बड़ी खाई है. 0:05:51.000,0:05:55.000 तो मैं तब तक आगे नहीं बढ़ने वाला, जब तक यहाँ पर उपस्थित हर व्यक्ति, 0:05:55.000,0:06:00.000 नीचे भी और पूरे ऐस्पें में, और जो कोई भी इसे देख रहा हो, 0:06:01.000,0:06:04.000 वो हरेक व्यक्ति शास्त्रीय संगीत को समझने और उससे प्यार न करने लगे. 0:06:04.000,0:06:06.000 तो अब हम यही करने वाले हैं. 0:06:07.000,0:06:12.000 अब, क्या आपने ध्यान दिया कि मेरे दिमाग में रत्ती भर भी संदेह नहीं है 0:06:12.000,0:06:15.000 कि यह संभव हो पायेगा, अगर आप मेरे चेहरे को देखें, है न? 0:06:15.000,0:06:19.000 एक सफल नेता का ख़ास गुण यही है कि वो संदेह न करे, 0:06:19.000,0:06:22.000 एक मिनट के लिए भी नहीं कि जिन लोगों का वो नेतृत्व कर रहा है, 0:06:23.000,0:06:25.000 उनमें उसके सपने साकार करने की क्षमता नहीं है. 0:06:25.000,0:06:28.000 ज़रा कल्पना कीजिये अगर मार्टिन लूथर किंग ने कहा होता, " मेरे पास एक सपना है. 0:06:28.000,0:06:30.000 पर हाँ, मुझे पक्का नहीं पता कि ये सब उसे पूरा कर पायेंगे." 0:06:30.000,0:06:33.000 (हंसी) 0:06:34.000,0:06:36.000 अच्छा. तो अब मैं शोपैं की एक रचना ले रहा हूँ. 0:06:36.000,0:06:41.000 यह शोपैं की एक बेहद सुन्दर संगीतात्मक भूमिका है. आप में से कुछ इसे जानते होंगे. 0:06:42.000,0:07:10.000 (संगीत) 0:07:10.000,0:07:12.000 आप जानते हैं कि मेरे हिसाब से अभी इस कमरे में क्या हुआ? 0:07:13.000,0:07:15.000 जब मैंने बजाना शुरू किया, तो आपने सोचा, "कितना सुन्दर संगीत है." 0:07:15.000,0:07:28.000 (संगीत) 0:07:29.000,0:07:30.000 "मुझे नहीं लगता हमें उसी जगह वापस जाना चाहिए 0:07:30.000,0:07:32.000 अगली गर्मी की छुट्टियों में." 0:07:32.000,0:07:35.000 (हंसी) 0:07:35.000,0:07:38.000 मजेदार है न? कितनी मजेदार बात है कि यह विचार कैसे 0:07:38.000,0:07:41.000 हमारे दिमाग में तैरते रहते हैं. 0:07:41.000,0:07:42.000 और वाकई -- 0:07:42.000,0:07:45.000 (तालियाँ) 0:07:45.000,0:07:47.000 -- और वाकई, अगर रचना बहुत लम्बी है और आपका दिन भी लम्बा रहा हो, 0:07:48.000,0:07:49.000 तो आप शायद झपकी भी ले सकते हैं. 0:07:49.000,0:07:51.000 फिर आपका साथी आपको कोहनी मार कर 0:07:51.000,0:07:55.000 कहेगा, "उठो! यह संस्कृति है!"!" और फिर आप को और भी बुरा लगेगा. 0:07:55.000,0:07:58.000 पर क्या आपने कभी यह सोचा है कि आपको अगर झपकी आती है 0:07:59.000,0:08:01.000 शास्त्रीय संगीत में, तो उसका कारण आप नहीं हैं, बल्कि हम हैं? 0:08:01.000,0:08:03.000 जब मैं बजा रहा था तो क्या किसी ने सोचा, 0:08:03.000,0:08:05.000 "ये इतने स्पंदन क्यों लगा रहे हैं?" 0:08:05.000,0:08:08.000 अगर मैं अपना सर इस तरह हिलाता तो आप ज़रूर ऐसा सोचते. 0:08:09.000,0:08:14.000 (संगीत) 0:08:14.000,0:08:18.000 और अपने बाकी जीवन में, हर बार जब आप शास्त्रीय संगीत सुनें 0:08:18.000,0:08:22.000 तो आप हमेशा जान पायेंगे कि ये स्पंदन कब आ रहे हैं. 0:08:22.000,0:08:24.000 तो चलिए देखते हैं कि यहाँ वाकई क्या हो रहा है. 0:08:24.000,0:08:29.000 यह है बी का सुर. यह भी है बी. अगला सुर है सी. 0:08:29.000,0:08:32.000 और सी का काम है बी को उदास बनाना. और वो बनाता है, है न? 0:08:32.000,0:08:35.000 (हंसी) 0:08:35.000,0:08:37.000 संगीतकार यह जानते हैं. अगर उन्हें उदास संगीत चाहिए हो 0:08:37.000,0:08:38.000 तो वो बस यह दो सुर बजाते हैं. 0:08:38.000,0:08:43.000 (संगीत) 0:08:43.000,0:08:45.000 असलियत में यह अकेला बी है, चार दुखी स्वरों के साथ. 0:08:45.000,0:08:47.000 (हंसी) 0:08:48.000,0:08:53.000 अब, यह नीचे जाता है ए तक. अब जी तक, और फिर एफ़ तक. 0:08:53.000,0:08:57.000 तो अब हमारे पास हैं बी, ए, जी, एफ़. और अगर हमारे पास हों बी, ए, जी, एफ़, 0:08:58.000,0:09:04.000 तो हम क्या अपेक्षा कर सकते हैं? ओह, यह शायद अचानक हो गया. 0:09:04.000,0:09:10.000 चलो फिर देखते हैं. वाह, यह तो है टेड का समूहगान. 0:09:10.000,0:09:13.000 (हंसी) 0:09:13.000,0:09:17.000 और आपने देखा कोई भी सुर-हीन नहीं है, देखा? कोई भी नहीं. 0:09:17.000,0:09:19.000 आप जानते हैं, बांगलादेश के हर गाँव में 0:09:19.000,0:09:24.000 और चीन के हर मोहल्ले में . सब जानते हैं: 0:09:25.000,0:09:28.000 डा, डा, डा, डा -- डा. हर व्यक्ति जानता है कि उस ई के स्वर की कौन राह देख रहा है. 0:09:28.000,0:09:31.000 अब शौपें नहीं चाहते थे कि ई वहाँ तक पहुंचे, 0:09:32.000,0:09:34.000 क्योंकि फिर क्या हो जाता? सब समाप्त हो जाता, हैमलेट की तरह. 0:09:34.000,0:09:36.000 आपको ध्यान है हैमलेट? पहला ऐक्ट, तीसरा सीन: 0:09:37.000,0:09:38.000 जब उसे पता चलता है कि उसके चाचा ने उसके पिता को मार डाला. 0:09:38.000,0:09:40.000 आपको ध्यान होगा कि वो अपने चाचा के पास बार बार जाता है 0:09:40.000,0:09:41.000 और मारने वाला होता है. और फिर वो पीछे हट जाता है 0:09:41.000,0:09:44.000 और फिर उनके पास जाता है और मारने वाला ही होता है. 0:09:44.000,0:09:46.000 और सारे आलोचक, जो सब वहाँ पीछे की लाइन में बैठे हैं, 0:09:46.000,0:09:49.000 उनको तो अपनी राय देनी ही होती है, तो वो कहते हैं, " हैमलेट टालमटोल करता है." 0:09:49.000,0:09:50.000 (हंसी) 0:09:50.000,0:09:52.000 या फिर वो कहते हैं, " हैमलेट में ईडीपस कॉम्प्लेक्स है." 0:09:53.000,0:09:56.000 नहीं, वरना नाटक समाप्त हो जाता, मूर्ख. 0:09:56.000,0:09:58.000 इसीलिए तो शेक्सपियर ने वो सब कुछ हैमलेट में डाला. 0:09:59.000,0:10:01.000 आप जानते हैं, ओफीलिया का पागल होना और वो सब नाटक में नाटक, 0:10:01.000,0:10:02.000 और योरिक की खोपड़ी, और वो सब कब्र खोदने वाले. 0:10:03.000,0:10:06.000 वो सब उन्होनें डाला लम्बा खींचने के लिए -- ऐक्ट ५ में उसके मरने तक. 0:10:06.000,0:10:11.000 बिलकुल यही शोपैं के साथ है. वो ई तक करीब करीब पहुँचने ही वाले हैं, 0:10:11.000,0:10:13.000 और फिर उनके दिमाग में आता है, "अरे, चलो वापस जा कर दुबारा शुरू करते हैं." 0:10:13.000,0:10:16.000 तो वो फिर से उसे करते हैं. 0:10:17.000,0:10:20.000 फिर वो जोश में आ जाते हैं -- यह जोशीलापन है, 0:10:20.000,0:10:21.000 इस के बारे में आपको चिंता नहीं करनी चाहिए. 0:10:22.000,0:10:24.000 अब वो तीव्र एफ़ पर पहुँचते हैं और अंत में ई पर उतर आते हैं, 0:10:24.000,0:10:27.000 पर यह गलत सुर है. क्योंकि जिस सुर की वो तलाश कर रहे हैं 0:10:28.000,0:10:31.000 वह ये है, और इसकी जगह वो बजाते हैं .. 0:10:31.000,0:10:35.000 अब, हम लोग इसे कहते हैं भ्रमकारी आरोह-अवरोह, क्योंकि यह हमें भ्रम में डालता है. 0:10:36.000,0:10:38.000 मैं हमेशा अपने छात्रों से कहता हूँ, "अगर तुम्हारे पास भ्रमकारी आरोह-अवरोह है, 0:10:38.000,0:10:40.000 तो अपनी भंवें चढ़ाना मत भूलना, फिर सब समझ जायेंगे." 0:10:40.000,0:10:43.000 (हंसी) 0:10:43.000,0:10:46.000 (तालियाँ) 0:10:47.000,0:10:49.000 बराबर. तो वो ई तक आते हैं, पर यह गलत सुर है. 0:10:49.000,0:10:52.000 अब वो फिर ई लगाते हैं. यह स्वर काम नहीं करता. 0:10:52.000,0:10:55.000 एक बार फिर वो ई लगाते हैं. यह स्वर काम नहीं करता. 0:10:55.000,0:10:57.000 अब वो फिर ई लगाते हैं, और वह काम नहीं करता. 0:10:58.000,0:11:01.000 और फिर अंत में.... 0:11:01.000,0:11:05.000 आगे की कतार में एक सज्जन थे जो बोले, "हम्म्म." 0:11:06.000,0:11:08.000 यह वही भाव है जो वो तब दिखाते हैं जब घर पहुँचते हैं 0:11:08.000,0:11:11.000 एक लम्बे दिन के बाद, जब वो कार की चाबी बंद कर के कहते हैं, 0:11:12.000,0:11:15.000 "भई वाह, मैं घर आ गया हूँ." क्योंकि हम सब पहचानते हैं कि घर कहाँ है. 0:11:15.000,0:11:18.000 तो यह वो रचना है जो बाहर से आ कर घर पहुँचती है. 0:11:18.000,0:11:20.000 और अब मैं इसे बिना रुके लगातार बजाऊँगा 0:11:20.000,0:11:23.000 और आप इसे ध्यान से सुनेंगे -- बी, सी, बी, सी, बी, सी, बी -- 0:11:23.000,0:11:25.000 नीचे ए तक, नीचे जी तक, नीचे एफ़ तक. 0:11:25.000,0:11:27.000 रचना करीब करीब ई तक जाती है, मगर तब तो नाटक ख़त्म हो जाएगा. 0:11:28.000,0:11:30.000 वो वापस ऊपर बी तक जाते हैं. बहुत जोश में आते हैं. तीव्र एफ़ तक जाते हैं. ई तक जाते हैं. 0:11:30.000,0:11:32.000 वह गलत स्वर है. वह गलत स्वर है. वह गलत स्वर है. 0:11:33.000,0:11:35.000 और अंत में ई पर जाते हैं, और रचना घर आ जाती है. 0:11:35.000,0:11:38.000 और जो आप देखने वाले हैं वो एक-कूल्हे का वादन है. 0:11:38.000,0:11:41.000 (हंसी) 0:11:41.000,0:11:43.000 क्योंकि मेरे लिए, बी को ई से जोड़ने के लिए, 0:11:44.000,0:11:49.000 मुझे रास्ते के हर स्वर के बारे में सोचना बंद करना पड़ता है 0:11:49.000,0:11:54.000 और सोचना होता है उस लम्बी, लम्बी रेखा के बारे में जो बी से ई तक जाती है. 0:11:55.000,0:11:59.000 आप जानते हैं, हम अभी हाल में दक्षिण अफ्रीका में थे, और आप दक्षिण अफ्रीका नहीं जा सकते 0:11:59.000,0:12:02.000 मंडेला के २७ साल के कारावास के बारे में सोचे बिना. 0:12:03.000,0:12:05.000 वो किस विषय में सोचा करते होंगे? खाना? 0:12:05.000,0:12:08.000 नहीं, वो तो दक्षिण अफ्रीका के लिए अपने सपने के बारे में सोचते थे 0:12:09.000,0:12:10.000 देश के और मानवजाति के सपने के बारे में. इसीने तो उन्हें संभाला -- 0:12:10.000,0:12:13.000 यह सपने के बारे में है; यह लम्बी रेखा के बारे में है. 0:12:13.000,0:12:15.000 उस चिड़िया की तरह जो खेतों के ऊपर उड़ती है 0:12:15.000,0:12:19.000 और नीचे की चाहरदीवारी की परवाह नहीं करती, है न सही? 0:12:19.000,0:12:22.000 तो अब आप पूरी तरह उस रेखा के पीछे चलेंगे जो बी से ई तक जाती है. 0:12:22.000,0:12:26.000 और मेरा एक अंतिम अनुरोध है, इस से पहले कि मैं यह रचना शुरू से अंत तक बिना रुके बजाऊँ. 0:12:26.000,0:12:31.000 क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को याद करेंगे जो आपका अतिप्रिय हो, और अब आपके साथ नहीं है? 0:12:31.000,0:12:34.000 एक परमप्रिय नानी, कोई प्रेमी, 0:12:35.000,0:12:38.000 आपके जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति जिसे आप पूरे दिल से प्यार करते हैं, 0:12:38.000,0:12:41.000 पर वो व्यक्ति अब आपके साथ नहीं है. 0:12:42.000,0:12:45.000 उस व्यक्ति को अपने मन में लाइए, और इस के साथ ही 0:12:45.000,0:12:49.000 बी से ई तक की रेखा के पीछे पूरे रास्ते चलिए, 0:12:49.000,0:12:57.000 और आपको वो सब सुनाई दे जाएगा जो शोपैं कहना चाहते थे. 0:12:57.000,0:14:48.000 (संगीत) 0:14:48.000,0:14:55.000 (तालियाँ) 0:14:55.000,0:15:00.000 अब आपको अचरज हो रहा होगा, 0:15:00.000,0:15:06.000 अचरज हो रहा होगा कि मैं ताली क्यों बजा रहा हूँ. 0:15:06.000,0:15:08.000 तो मैंने बौस्टन के एक स्कूल में ये सब किया 0:15:08.000,0:15:12.000 करीब ७० सातवीं-कक्षा वालों के साथ -- १२ साल के बच्चे. 0:15:12.000,0:15:14.000 और मैंने बिलकुल वही किया जो आपके साथ किया है, और उन्हें बताया 0:15:14.000,0:15:15.000 और समझाया और सारा कुछ किया. 0:15:15.000,0:15:17.000 और अंत में वो पागलों की तरह तालियाँ बजाने लगे. वो तालियाँ बजा रहे थे. 0:15:18.000,0:15:19.000 मैं ताली बजा रहा था. वो बजा रहे थे. 0:15:19.000,0:15:21.000 आखिर मैंने कहा, "मैं क्यों ताली बजा रहा हूँ?" 0:15:21.000,0:15:22.000 और एक छोटे बच्चे ने कहा, "क्योंकि हम सुन रहे हैं." 0:15:22.000,0:15:27.000 (हंसी) 0:15:28.000,0:15:30.000 आप खुद सोचिये. १६०० लोग, व्यस्त लोग, 0:15:30.000,0:15:32.000 तरह तरह के कामों में लगे हुए लोग. 0:15:33.000,0:15:39.000 शौपैं की एक रचना को सुनें, समझें और दिल में उतारें, उस से जुड़ जाएँ. 0:15:39.000,0:15:40.000 अब ये हुई न कोई बात. 0:15:40.000,0:15:43.000 अब मुझे विश्वास है कि हरेक व्यक्ति ने उसे सुना, 0:15:43.000,0:15:45.000 समझा, उससे जुड़ा, प्रभावित हुआ. हालांकि मैं पक्के तौर से तो नहीं कह सकता. 0:15:46.000,0:15:47.000 पर मैं इतना कह सकता हूँ जो मेरे साथ हुआ. 0:15:47.000,0:15:50.000 मैं १० साल पहले के दंगों के समय आयरलैंड में था, 0:15:50.000,0:15:53.000 और मैं कुछ कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट बच्चों के साथ काम कर रहा था 0:15:53.000,0:15:57.000 झगड़ों के समाधान के बारे में. और मैंने यह उनके साथ किया. 0:15:58.000,0:16:00.000 जोखिम का काम था क्योंकि वे सड़कों पर रहने वाले बच्चे थे. 0:16:00.000,0:16:03.000 और उनमें से एक मेरे पास अगली सुबह आया और बोला, 0:16:04.000,0:16:07.000 "आप जानते हैं, मैंने अपनी ज़िन्दगी में कभी शास्त्रीय संगीत नहीं सुना, 0:16:07.000,0:16:08.000 पर जब आपने वो शौपिंग वाला टुकड़ा बजाया ..." 0:16:08.000,0:16:11.000 (हंसी) 0:16:11.000,0:16:15.000 उसने कहा, "मेरे भाई को पिछले साल गोली लगी थी और मैं उसके लिए नहीं रोया. 0:16:16.000,0:16:17.000 पर कल रात जब आप वोह टुकड़ा बजा रहे थे, 0:16:17.000,0:16:20.000 तो मैं उसके बारे में सोच रहा था. 0:16:20.000,0:16:22.000 और मुझे अपनी आँखों से आंसू बहते महसूस हुए. 0:16:22.000,0:16:25.000 और आप जानते हैं, अपने भाई के लिए रोने से मुझे बहुत अच्छा लगा." 0:16:25.000,0:16:27.000 तो मैंने उसी पल में निश्चय कर लिया 0:16:27.000,0:16:34.000 कि शास्त्रीय संगीत सब के लिए है. सब के लिए. 0:16:35.000,0:16:37.000 अब यह मैं कैसे चलाता -- क्योंकि आप जानते हैं, 0:16:37.000,0:16:41.000 मेरा व्यवसाय, संगीत का व्यवसाय इसे इस तरह नहीं देखता है. 0:16:41.000,0:16:44.000 वो कहते हैं कि केवल ३ प्रतिशत जनसँख्या शास्त्रीय संगीत पसंद करती है. 0:16:44.000,0:16:48.000 अगर हम इसे ४ प्रतिशत तक ले आयें तो हमारी सारी परेशानियां दूर हो जायेंगी. 0:16:49.000,0:16:52.000 मैं कहता हूँ, "आप कैसे चलेंगे? कैसे बात करेंगे? कैसे रहेंगे 0:16:52.000,0:16:55.000 अगर आप सोचें कि केवल ३ प्रतिशत जनसँख्या शास्त्रीय संगीत पसंद करती है? 0:16:56.000,0:16:58.000 अगर हम इसे ४ प्रतिशत तक ले आयें. आप कैसे चलेंगे? 0:16:58.000,0:17:00.000 कैसे बात करेंगे? कैसे रहेंगे 0:17:00.000,0:17:02.000 अगर आप सोचें कि हर व्यक्ति शास्त्रीय संगीत पसंद करता है -- 0:17:02.000,0:17:04.000 बस उन्हें अभी तक यह पता नहीं चला है." 0:17:04.000,0:17:05.000 (हंसी) 0:17:05.000,0:17:07.000 देखा, ये दोनों एकदम अलग-अलग दुनियाएं हैं. 0:17:08.000,0:17:11.000 अब मुझे एक अदभुत अनुभव हुआ. मैं ४५ साल का था, 0:17:11.000,0:17:16.000 मैं २० साल से संगीत निर्देशक था, और अचानक मुझे एक अनुभूति हुई. 0:17:17.000,0:17:20.000 एक ऑर्केस्ट्रा का निर्देशक कोई आवाज़ नहीं करता. 0:17:20.000,0:17:22.000 मेरी तस्वीर सीडी के ऊपर लगती है -- 0:17:22.000,0:17:25.000 (हंसी) 0:17:25.000,0:17:27.000 -- पर निर्देशक कोई आवाज़ नहीं करता. 0:17:28.000,0:17:32.000 वो अपनी शक्ति के लिए दूसरे लोगों को शक्तिशाली बनाने की अपनी क्षमता पर निर्भर होता है. 0:17:32.000,0:17:36.000 और इस बात ने मेरी दुनिया बदल दी. यह वाकई कायापलट करने वाली बात थी. 0:17:37.000,0:17:38.000 मेरे ऑर्केस्ट्रा के लोग मेरे पास आ कर बोले, 0:17:38.000,0:17:40.000 "बेन, क्या हुआ?" यह हुआ था. 0:17:40.000,0:17:45.000 मैंने यह जाना कि मेरा असली काम था लोगों में छुपी संभावनाएं जगाना. 0:17:45.000,0:17:48.000 और हाँ, मैं जानना चाहता था कि मैं यह कर भी पा रहा हूँ कि नहीं. 0:17:48.000,0:17:51.000 आपको पता है कि कैसे मालूम होता है? आप उनकी आँखों में देखते हैं. 0:17:51.000,0:17:55.000 अगर उनकी आँखें चमक रही हों, तो आपको पता चल जाता है कि आप सही काम कर रहे हैं. 0:17:56.000,0:17:57.000 देखिये, इस बन्दे की आँखों से आप पूरे गाँव में उजाला कर सकते हैं. 0:17:57.000,0:17:59.000 (हंसी) 0:17:59.000,0:18:01.000 ठीक. तो अगर आँखें चमक रही हैं, तो आप काम सही कर रहे हैं. 0:18:01.000,0:18:04.000 अगर आँखें नहीं चमक रही हैं, तो आप एक सवाल पूछ सकते हैं. 0:18:04.000,0:18:05.000 और वो सवाल यह है: 0:18:05.000,0:18:11.000 मैं क्या होता जा रहा हूँ कि मेरे खिलाड़ियों की आँखें चमक नहीं रहीं? 0:18:12.000,0:18:13.000 यह सवाल हम अपने बच्चों के साथ भी कर सकते हैं. 0:18:13.000,0:18:18.000 मैं क्या होता जा रहा हूँ कि मेरे बच्चों की आँखें चमक नहीं रहीं? 0:18:19.000,0:18:21.000 वो बिलकुल ही अलग दुनिया है. 0:18:21.000,0:18:26.000 अब, हम सब इस जादुई, ऊंचाइयों-से-भरे हफ्ते को समाप्त करने वाले हैं, 0:18:27.000,0:18:28.000 और वापस असली दुनिया में जा रहे हैं. 0:18:28.000,0:18:32.000 और इसलिए मैं कहूँगा, हमारे लिए उचित है यह प्रश्न पूछना: 0:18:32.000,0:18:37.000 हम क्या होते जा रहे हैं, जब हम वापस असली दुनिया में जा रहे हैं? 0:18:37.000,0:18:39.000 और आप जानते हैं, मेरे पास सफलता की क्या परिभाषा है. 0:18:40.000,0:18:42.000 मेरे लिए यह बहुत सरल है. सफलता पैसे और यश और शक्ति के बारे में नहीं है. 0:18:42.000,0:18:45.000 यह इस बारे में है कि मैं कितनी चमकती आँखें अपने चारों ओर देखता हूँ. 0:18:46.000,0:18:49.000 तो अब मेरे दिमाग में बस एक अंतिम विचार यह है कि 0:18:49.000,0:18:52.000 जो हम बोलते हैं उससे वाकई फ़र्क पड़ता है. 0:18:52.000,0:18:54.000 जो शब्द हमारे मुंह से निकलते हैं. 0:18:54.000,0:18:58.000 यह मैंने एक औरत से सीखा जो आउशविट्ज़ (जर्मन कैम्प) से बच कर निकली थी. 0:18:58.000,0:18:59.000 उन दुर्लभ लोगों में से एक जो वहाँ से बच निकले. 0:18:59.000,0:19:03.000 वो आउशविट्ज़ तब गयी थी जब वो १५ साल की थी, 0:19:04.000,0:19:11.000 और उसका भाई ८ साल का था, और उनके माँ-बाप खो चुके थे. 0:19:11.000,0:19:16.000 और उसने मुझे यह बताया, उसने कहा, 0:19:16.000,0:19:19.000 "हम आउशविट्ज़ जाने वाली ट्रेन में थे और मैंने नीचे देखा 0:19:19.000,0:19:21.000 और देखा कि मेरे भाई के पैरों में जूते नहीं थे. 0:19:22.000,0:19:25.000 और मैंने कहा, "तुम इतने बेवक़ूफ़ क्यों हो, क्या अपनी चीज़ें भी नहीं संभाल सकते 0:19:25.000,0:19:26.000 भगवान् के लिए?" -- जैसे एक बड़ी बहिन 0:19:26.000,0:19:30.000 अक्सर अपने छोटे भाई से बोलती है. 0:19:30.000,0:19:33.000 दुर्भाग्यवश, वो अंतिम शब्द थे जो उसने कभी भी उससे कहे 0:19:33.000,0:19:37.000 क्योंकि वो फिर कभी उसे नहीं दिखा. वो नहीं बच पाया. 0:19:37.000,0:19:39.000 और इसीलिए जब वो आउशविट्ज़ से बाहर आयी, तो उसने एक कसम खाई. 0:19:40.000,0:19:44.000 यह उसीने मुझे बताया. उसने कहा, " मैं आउशविट्ज़ से बाहर आ कर ज़िंदगी की ओर निकली 0:19:44.000,0:19:49.000 और मैंने एक कसम खाई. और वो कसम थी, मैं कभी भी ऐसा कुछ नहीं कहूंगी 0:19:50.000,0:19:53.000 जो मेरे मुंह से निकले आख़िरी शब्द की कसौटी पर पूरा न उतरे." 0:19:53.000,0:19:57.000 तो, क्या हम ऐसा कर सकते हैं? और शायद हम अपने आपको गलत साबित कर दें 0:19:58.000,0:20:05.000 और दूसरों को भी. पर यह एक संभावना तो है जिसको हम सच कर सकते हैं. धन्यवाद. 0:20:05.000,0:20:10.000 (तालियाँ) 0:20:11.000,0:20:22.000 चमकती आँखें, चमकती आँखें. 0:20:22.000,0:20:25.000 धन्यवाद, धन्यवाद. 0:20:26.000,0:20:31.000 (संगीत)