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अलिसा मिलर ख़बरों के बारे में खबर दे रही हैं.

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    खबरें किस तरह हमारे दुनिया देखने के तरीके को आकार देती हैं?
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    यह है दुनिया, आकार पर आधारित -- भूमि फल पर आधारित.
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    और यह है अमरीकी कैसे देखते हैं ख़बरों के आधार पर.
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    यह नक्षा -- (तालियाँ) -- दिखाता है की, कितने सेकंड
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    अमरीकी चॅनल और केबल समाचार संगठनों ने ख़बरों को समर्पित करे,
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    देशों के आधार पर, फ़रवरी २००७ में -- केवल एक साल पहले
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    अब, यह वह महिना था जब उत्तरी कोरिया ने अपनी परमाणु इकाइयों को नष्ट करने का निर्णय लिया.
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    इंडोनेशिया में भयंकर बाढ़ आई.
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    और पेरिस में, आईपीसीसी ने भूमंदालिया उष्मीकरण पर मानव प्रभाव की पुष्टि करने वाली अपनी रिपोर्ट जारी की.
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    अमेरिका का हिस्सा कुल ख़बरों का ७९ प्रतिशत था.
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    और अगर हम अमेरिका को हटा दें और बाकि २१ प्रतिशत ख़बरों को देखें, तो
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    हम काफी बड़ा भाग इराक का देखते हैं -- वह बड़ा सा हरा भाग है उस तरफ -- और थोडा बहुत कुछ और
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    उदाहरण के लिए रूस, चीन और भारत का संयुक्त कवरेज, केवल एक प्रतिशत तक पहुंचा.
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    जब हमने सब ख़बरों का विश्लेषण किया और सिर्फ एक खबर हटाई,
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    तो विश्व ऐसा दिखने लगा
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    अन्ना निकोल स्मिथ की मृत्यु की खबर.
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    इस खबर ने इराक के अलावा सब को पीछे छोड़ दिया
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    और इसे आईपीसीसी रिपोर्ट के मुकाबले दस गुना कवरेज मिला
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    और चक्र जारी है;
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    जैसा की हम सभी जानते, हैं ब्रिटनी आजकल काफी सुर्खियों में है.
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    तो क्यों हमने दुनिया के बारे में और कुछ नहीं सुना है?
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    एक कारण यह है कि समाचार संगठनों ने अपने विदेशी ब्यूरो की संख्या आधी कर दी है.
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    इसके अकेले अपवाद हैं एबीसी के नैरोबी, नई दिल्ली और मुंबई के एक व्यक्ति वाले छोटे ब्यूरो.
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    तमाम अफ्रीका, भारत और दक्षिण अमेरिका में कोई भी समाचार संगठन ब्यूरो नहीं है.
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    -- वह हिस्से जो दो अरब से ज्यादा लोगों का घर हैं.
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    वास्तविक्ता यह है की ब्रिटनी पर खबर लिखना सस्ता है.
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    और वैश्विक ख़बरों की यह कमी और भी चिंताजनक है
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    जब हम यह देखते हैं की लोग ख़बरों के लिए कहाँ जाते हैं.
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    स्थानीय टीवी बड़ा अंश है,
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    और दुर्भाग्य से केवल १२ प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय समाचारों को समर्पित करता है.
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    और वेब का क्या?
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    सबसे लोकप्रिय समाचार साइटें ज्यादा बेहतर नहीं है.
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    पिछले वर्ष, पियु और कोलम्बिया जे-स्कूल ने १४,००० ख़बरों का विश्लेषण किया
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    जो गूगल समाचार के मुख्य प्रुष्ट पर थी.
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    और उन्होंने दरअसल उन्ही २४ घटनाओं पर खबर दी थी.
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    इसी प्रकार, एक वेब-सामग्री के अध्ययन से पता चला की अमरीकी समाचार रचनाकारों की ज्यादातर वैश्विक खबरें
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    एपी समाचार संगठन और रॉयटर्स की ख़बरों का पुनर्नवीनीकरण हैं
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    और ऐसा कोई सन्दर्भ नहीं देती है की लोगों को उनका संबंध समझ में आये.
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    तो अगर हम सब कुछ एक साथ रख कर देखें तो समझ सकते हैं की क्यों आजकल के कॉलेज स्नातक
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    और कम पड़े लिखे अमरीकी, , दोनों ही,
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    दुनिया के बारे में अपने २० साल पुराने समकक्षों से कम जानते हैं.
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    और अगर आपको यह लगता है की हमें कोई दिलचस्पी नहीं है,
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    तो आप गलत होंगे.
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    हाल के वर्षों में, विश्व समाचारों पर अधिक रूप से गौर करने वाले अमरीकी लोगों
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    की संख्या में ५० प्रतिशत से ज्यादा वृध्ही हुई है
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    असली सवाल: क्या हम अमरीकियों के लिए दुनिया देखने का विकृत तरीका
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    हमारे इस अत्यधिक जुड़े हुए विश्व में चाहते हैं?
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    मुझे पता है कि हम बेहतर कर सकते हैं
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    और क्या ऐसा ना करने की हमारे पास गुंजाइश है? धन्यवाद.
Title:
अलिसा मिलर ख़बरों के बारे में खबर दे रही हैं.
Speaker:
Alisa Miller
Description:

अलिसा मिलर, सार्वजनिक रेडियो इंटरनेशनल की अध्यक्ष, बता रही है की क्यों, हालाँकि हम दुनिया के बारे में अब इतना कुछ जानना चाहते हैं, फिर भी, अमरिकी मीडिया दरअसल हमें कम बता रही है. आँखें खोल देने वाले आंकड़े और ग्राफ.

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
04:06
Bhavya Rawal added a translation

Hindi subtitles

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