1 00:00:00,000 --> 00:00:04,000 खबरें किस तरह हमारे दुनिया देखने के तरीके को आकार देती हैं? 2 00:00:04,000 --> 00:00:10,000 यह है दुनिया, आकार पर आधारित -- भूमि फल पर आधारित. 3 00:00:10,000 --> 00:00:16,000 और यह है अमरीकी कैसे देखते हैं ख़बरों के आधार पर. 4 00:00:17,000 --> 00:00:31,000 यह नक्षा -- (तालियाँ) -- दिखाता है की, कितने सेकंड 5 00:00:31,000 --> 00:00:36,000 अमरीकी चॅनल और केबल समाचार संगठनों ने ख़बरों को समर्पित करे, 6 00:00:36,000 --> 00:00:41,000 देशों के आधार पर, फ़रवरी २००७ में -- केवल एक साल पहले 7 00:00:41,000 --> 00:00:47,000 अब, यह वह महिना था जब उत्तरी कोरिया ने अपनी परमाणु इकाइयों को नष्ट करने का निर्णय लिया. 8 00:00:47,000 --> 00:00:51,000 इंडोनेशिया में भयंकर बाढ़ आई. 9 00:00:51,000 --> 00:00:59,000 और पेरिस में, आईपीसीसी ने भूमंदालिया उष्मीकरण पर मानव प्रभाव की पुष्टि करने वाली अपनी रिपोर्ट जारी की. 10 00:00:59,000 --> 00:01:04,000 अमेरिका का हिस्सा कुल ख़बरों का ७९ प्रतिशत था. 11 00:01:04,000 --> 00:01:09,000 और अगर हम अमेरिका को हटा दें और बाकि २१ प्रतिशत ख़बरों को देखें, तो 12 00:01:09,000 --> 00:01:16,000 हम काफी बड़ा भाग इराक का देखते हैं -- वह बड़ा सा हरा भाग है उस तरफ -- और थोडा बहुत कुछ और 13 00:01:16,000 --> 00:01:24,000 उदाहरण के लिए रूस, चीन और भारत का संयुक्त कवरेज, केवल एक प्रतिशत तक पहुंचा. 14 00:01:24,000 --> 00:01:30,000 जब हमने सब ख़बरों का विश्लेषण किया और सिर्फ एक खबर हटाई, 15 00:01:30,000 --> 00:01:32,000 तो विश्व ऐसा दिखने लगा 16 00:01:32,000 --> 00:01:38,000 अन्ना निकोल स्मिथ की मृत्यु की खबर. 17 00:01:39,000 --> 00:01:42,000 इस खबर ने इराक के अलावा सब को पीछे छोड़ दिया 18 00:01:42,000 --> 00:01:47,000 और इसे आईपीसीसी रिपोर्ट के मुकाबले दस गुना कवरेज मिला 19 00:01:48,000 --> 00:01:50,000 और चक्र जारी है; 20 00:01:50,000 --> 00:01:53,000 जैसा की हम सभी जानते, हैं ब्रिटनी आजकल काफी सुर्खियों में है. 21 00:01:53,000 --> 00:01:56,000 तो क्यों हमने दुनिया के बारे में और कुछ नहीं सुना है? 22 00:01:56,000 --> 00:02:02,000 एक कारण यह है कि समाचार संगठनों ने अपने विदेशी ब्यूरो की संख्या आधी कर दी है. 23 00:02:02,000 --> 00:02:11,000 इसके अकेले अपवाद हैं एबीसी के नैरोबी, नई दिल्ली और मुंबई के एक व्यक्ति वाले छोटे ब्यूरो. 24 00:02:11,000 --> 00:02:19,000 तमाम अफ्रीका, भारत और दक्षिण अमेरिका में कोई भी समाचार संगठन ब्यूरो नहीं है. 25 00:02:19,000 --> 00:02:24,000 -- वह हिस्से जो दो अरब से ज्यादा लोगों का घर हैं. 26 00:02:25,000 --> 00:02:30,000 वास्तविक्ता यह है की ब्रिटनी पर खबर लिखना सस्ता है. 27 00:02:30,000 --> 00:02:33,000 और वैश्विक ख़बरों की यह कमी और भी चिंताजनक है 28 00:02:33,000 --> 00:02:35,000 जब हम यह देखते हैं की लोग ख़बरों के लिए कहाँ जाते हैं. 29 00:02:36,000 --> 00:02:40,000 स्थानीय टीवी बड़ा अंश है, 30 00:02:40,000 --> 00:02:44,000 और दुर्भाग्य से केवल १२ प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय समाचारों को समर्पित करता है. 31 00:02:45,000 --> 00:02:47,000 और वेब का क्या? 32 00:02:47,000 --> 00:02:51,000 सबसे लोकप्रिय समाचार साइटें ज्यादा बेहतर नहीं है. 33 00:02:51,000 --> 00:02:56,000 पिछले वर्ष, पियु और कोलम्बिया जे-स्कूल ने १४,००० ख़बरों का विश्लेषण किया 34 00:02:56,000 --> 00:02:59,000 जो गूगल समाचार के मुख्य प्रुष्ट पर थी. 35 00:02:59,000 --> 00:03:03,000 और उन्होंने दरअसल उन्ही २४ घटनाओं पर खबर दी थी. 36 00:03:03,000 --> 00:03:08,000 इसी प्रकार, एक वेब-सामग्री के अध्ययन से पता चला की अमरीकी समाचार रचनाकारों की ज्यादातर वैश्विक खबरें 37 00:03:08,000 --> 00:03:12,000 एपी समाचार संगठन और रॉयटर्स की ख़बरों का पुनर्नवीनीकरण हैं 38 00:03:12,000 --> 00:03:16,000 और ऐसा कोई सन्दर्भ नहीं देती है की लोगों को उनका संबंध समझ में आये. 39 00:03:16,000 --> 00:03:21,000 तो अगर हम सब कुछ एक साथ रख कर देखें तो समझ सकते हैं की क्यों आजकल के कॉलेज स्नातक 40 00:03:21,000 --> 00:03:23,000 और कम पड़े लिखे अमरीकी, , दोनों ही, 41 00:03:23,000 --> 00:03:26,000 दुनिया के बारे में अपने २० साल पुराने समकक्षों से कम जानते हैं. 42 00:03:26,000 --> 00:03:32,000 और अगर आपको यह लगता है की हमें कोई दिलचस्पी नहीं है, 43 00:03:32,000 --> 00:03:34,000 तो आप गलत होंगे. 44 00:03:34,000 --> 00:03:41,000 हाल के वर्षों में, विश्व समाचारों पर अधिक रूप से गौर करने वाले अमरीकी लोगों 45 00:03:41,000 --> 00:03:43,000 की संख्या में ५० प्रतिशत से ज्यादा वृध्ही हुई है 46 00:03:43,000 --> 00:03:51,000 असली सवाल: क्या हम अमरीकियों के लिए दुनिया देखने का विकृत तरीका 47 00:03:51,000 --> 00:03:54,000 हमारे इस अत्यधिक जुड़े हुए विश्व में चाहते हैं? 48 00:03:54,000 --> 00:03:57,000 मुझे पता है कि हम बेहतर कर सकते हैं 49 00:03:57,000 --> 00:04:00,000 और क्या ऐसा ना करने की हमारे पास गुंजाइश है? धन्यवाद.