मैं एक आतंकी हमले में जीवित बची हूँ । मैंने जो सीखा वह साझा कर रही हूँ ।
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0:01 - 0:04मैं कल्पना भी नहीं कर सकती थी कि
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0:04 - 0:07वो 19 वर्ष का आत्मघाती हमलावर
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0:08 - 0:11मुझे एक महत्वपूर्ण सबक दे कर जायेगा।
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0:13 - 0:14परन्तु उसने ऐसा किया।
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0:15 - 0:19उसने मुझे सिखाया कि
जिस व्यक्ति के विषय में आप कुछ नहीं जानते -
0:19 - 0:22उसके विषय में कुछ भी धारणा मत बनाईये।
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0:24 - 0:29जुलाई २००५ के एक गुरुवार की सुबह
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0:29 - 0:32वह हमलावर और मैं, जाने अनजाने
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0:32 - 0:36एक ही ट्रेन में एक ही समय पर सवार हुए,
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0:36 - 0:41हम एक दूसरे से कुछ फीट की दूरी पर खड़े थे।
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0:42 - 0:43मैंने उसे नहीं देखा।
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0:44 - 0:46वास्तव में मैंने किसी को भी नहीं देखा।
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0:46 - 0:49आप जानते हैं कि ट्यूब में
आप को किसी को नहीं देखना है, -
0:49 - 0:52पर मेरा ख्याल है कि उसने मुझे देखा।
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0:53 - 0:56मेरा ख्याल है कि उसने हम सबकी ओर देखा,
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0:57 - 1:01और फिर विस्फोट करने के लिए बटन को दबाया।
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1:02 - 1:07मैं कई बार ये सोच का हैरान होती हूँ कि
वह क्या सोच रहा था ? -
1:07 - 1:10विशेषत: इन अंतिम क्षणों में।
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1:13 - 1:14मुझे पता है कि यह निजी नहीं था।
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1:15 - 1:19वह मुझे जिल हिक्स को
मारने या विकलांग करने नहीं आया था। -
1:19 - 1:21मेरा मतलब, वो मुझे जानता तक नहीं था।
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1:22 - 1:23नहीं।
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1:24 - 1:27बल्कि उसने मुझे
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1:27 - 1:31एक अनुचित और अवांछित नाम दे दिया।
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1:32 - 1:36मैं उसकी दुश्मन बन गई।
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1:37 - 1:41उसके लिए मैं 'कोई दूसरी' थी ,
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1:41 - 1:44'हम' के स्थान पर ' वो' थी।
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1:46 - 1:51वह नाम 'दुश्मन' उसे
हमें मारने के लिए पर्याप्त था। -
1:52 - 1:54यह उसे वह बटन दबाने के लिए पर्याप्त था।
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1:55 - 1:58और वह चयनात्मक नहीं था।
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1:59 - 2:04अकेले मेरे ही डिब्बे में
छब्बीस अमूल्य जाने गई, -
2:05 - 2:07और मैं लगभग उनमें से एक थी।
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2:09 - 2:12श्वास लेने में जितना समय लगता है
उतने समय में -
2:12 - 2:15हम लोग गहरे अंधकार में गोते लगा रहे थे
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2:15 - 2:18कि वह लगभग वास्तविक था,
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2:18 - 2:22जिसकी कल्पना मैं टार पर चलते समय
कर रही थी। -
2:23 - 2:25हम नहीं जानते थे कि हम दुश्मन हैं ।
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2:26 - 2:30हम बस रोज के आने जाने वाले यात्री थे
जो कुछ मिनिटों पहले -
2:30 - 2:33ट्यूब के शिष्टाचारों का पालन कर रहे थे:
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2:33 - 2:35कोई आँखों का संपर्क नहीं,
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2:35 - 2:36कुछ बोलना नहीं
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2:37 - 2:40और कोई बातचीत नहीं।
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2:42 - 2:45परन्तु अन्धकार बढ़ने के साथ
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2:46 - 2:47हम एक दूसरे तक पहुँच रहे थे।
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2:48 - 2:50हम एक दूसरे की मदद कर रहे थे।
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2:51 - 2:53हम हमारे नाम पुकार रहे थे,
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2:53 - 2:55एक प्रकार की उपस्थिति दर्ज करने की तरह,
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2:56 - 2:59प्रतिउत्तर की प्रतीक्षा में।
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3:01 - 3:03" मैं जिल हूँ। मैं यहाँ हूँ।
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3:05 - 3:06मैं जिंदा हूँ।
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3:08 - 3:09ठीक है।"
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3:12 - 3:13" मैं जिल हूँ।
-
3:14 - 3:15यहाँ
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3:16 - 3:18जिंदा
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3:19 - 3:21ठीक है।"
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3:23 - 3:26मैं एलिसन को नहीं जानती थी।
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3:26 - 3:31पर मैं प्रत्येक कुछ मिनिटों में
उसकी उपस्थिति को सुनती थी । -
3:31 - 3:33मैं रिचर्ड को नहीं जानती थी ।
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3:34 - 3:37पर वो जिंदा है यह बात
मेरे लिए मायने रखती थी । -
3:39 - 3:41मैं जो उनके साथ साझा किया
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3:41 - 3:42वो था मेरा नाम ।
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3:43 - 3:44वो नहीं जानते थे कि
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3:44 - 3:48मैं डिजाईन काउंसिल की विभागाध्यक्ष हूँ ।
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3:49 - 3:53और यहाँ मेरा प्रिय ब्रीफ़केस है,
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3:53 - 3:55जिसे भी उस सुबह बचाया गया।
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3:56 - 4:00वो नहीं जानते थे कि मैं आर्किटेक्चर और
डिजाईन पत्रिकाएं प्रकाशित करती हूँ, -
4:00 - 4:04और मैं रॉयल सोसाइटी ऑफ़ आर्ट की सदस्य हूँ ,
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4:04 - 4:05और मैंने काला परिधान पहना है
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4:07 - 4:08अभी भी --
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4:09 - 4:11और मैं सिगारिलो पीती हूँ।
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4:12 - 4:14अब मैं सिगारिलो नहीं पीती।
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4:14 - 4:18अब मैं जिन पीती हूँ और TED टॉक्स देखती हूँ
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4:18 - 4:25नि:संदेह मैंने कभी सोचा नहीं था कि
मैं यहाँ खडी रहूंगी -
4:26 - 4:28कृत्रिम पैरों पर संतुलन बनाती हुई,
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4:29 - 4:30व्याख्यान देती हुई।
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4:31 - 4:36मैं एक तरुण ऑस्ट्रेलियाई महिला थी
जो लन्दन में असाधारण कार्य कर रही थी। -
4:36 - 4:39और मैं उस सब के लिए
अंत तक तैयार नहीं थी। -
4:41 - 4:44मैंने जीवित रहने का दृढ़ निश्चय कर लिया था
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4:44 - 4:49कि मैंने अपने स्कार्फ से पैरों को हर तरफ से
रक्त बहाव रोकने के लिए बांध लिया था, -
4:49 - 4:55और मैंने खुद को आत्मकेंद्रित कर लिया था
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4:55 - 4:59खुद की आवाज़ सुनने के लिए
-
4:59 - 5:02केवल अंत: प्रेरणा से मार्ग दर्शन
प्राप्त करने के लिए। -
5:03 - 5:05मैंने अपनी श्वास गति कम की।
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5:06 - 5:08अपनी जांघों को ऊपर किया
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5:08 - 5:09खुद को सीधा खड़ा किया
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5:09 - 5:13और अपनी आँखे बंद करने की
तीव्र इच्छा पर नियंत्रण किया । -
5:15 - 5:18मैं ऐसी स्थिति में लगभग एक घंटा थी,
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5:19 - 5:23एक घंटा
अपनी पूरी जिंदगी को ध्यान से देखने के लिए -
5:23 - 5:25उस क्षण तक।
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5:27 - 5:30शायद मुझे इससे ज्यादा करना चाहिए था।
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5:31 - 5:34शायद मुझे और अधिक जीना था,
और अधिक देखना था। -
5:34 - 5:39शायद मुझे दौड़ने जाना चाहिए था,
नृत्य करना चाहिए था और योगाभ्यास भी। -
5:40 - 5:45पर मेरी प्राथमिकता और
केंद्र बिंदु हमेशा से मेरा काम था। -
5:45 - 5:47मैं काम करने के लिए जीती थी।
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5:48 - 5:51मैं अपने बिज़नस कार्ड पर क्या थी
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5:51 - 5:52वो मेरे लिए मायने रखता था।
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5:54 - 5:57पर उस सुरंग में इसके कोई मायने नहीं थे।
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5:59 - 6:04जब तक मैंने पहला स्पर्श महसूस किया
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6:04 - 6:06मुझे बचाने वाले का
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6:06 - 6:09मैं बोलने में असमर्थ थी
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6:09 - 6:14एक छोटा सा शब्द 'जिल' कहने में भी।
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6:15 - 6:18मैंने अपने शरीर को उन्हें समर्पित कर दिया।
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6:18 - 6:21मैं जो कुछ कर सकती थी सब किया
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6:21 - 6:25और अब मैं उनके हाथों में थी।
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6:27 - 6:28मैंने समझा
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6:29 - 6:35कि मानवता कौन और क्या है,
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6:36 - 6:39जब पहली बार मैंने अपना ID टैग देखा
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6:39 - 6:42जो मुझे अस्पताल में भर्ती करते समय
दिया गया था । -
6:42 - 6:44और उस पर लिखा था:
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6:44 - 6:49"एक अज्ञात अनुमानित महिला"
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6:51 - 6:55एक अज्ञात अनुमानित महिला
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6:57 - 7:00वो चार शब्द मेरे लिए उपहार थे।
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7:01 - 7:04जिन्होंने मुझे स्पष्ट कहा
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7:04 - 7:07कि मेरी जिंदगी बचाई गई है,
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7:07 - 7:10केवल इसलिए कि मैं एक मनुष्य हूँ।
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7:11 - 7:15किसी भी प्रकार के अंतर से अंतर नहीं पड़ता
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7:15 - 7:19उन असाधारण कार्यो पर जो
मेरे बचावकर्ता करने को तैयार थे -
7:20 - 7:22मुझे बचाने के लिए,
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7:22 - 7:25उन अज्ञात लोगों को बचाने के लिए
जिन्हें वो बचा सकते थे -
7:25 - 7:28और खुद की जिंदगी दांव पर लगाते हुए।
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7:28 - 7:33उनके लिए मेरा धनी या निर्धन होना
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7:33 - 7:35मेरी त्वचा का रंग
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7:35 - 7:37मेरा महिला या पुरुष होना
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7:37 - 7:39मेरी यौन उन्मुखता
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7:40 - 7:41मैंने किसे मत दिया
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7:41 - 7:43मैं पढ़ी लिखी हूँ या नहीं
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7:43 - 7:46मुझमें विश्वास है या नहीं
मायने नहीं रखता था। -
7:47 - 7:49कुछ भी मायने नहीं रखता था
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7:49 - 7:54सिवाय इसके कि मैं अमूल्य मनुष्य जीवन हूँ।
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7:56 - 7:59मैं खुद को एक जीवित तथ्य की तरह देखती हूँ
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8:00 - 8:02मैं प्रमाण हूँ
-
8:02 - 8:09कि बिना शर्त के प्रेम और आदर से
ना केवल जीवन बचाया जा सकता है -
8:09 - 8:12बल्कि इससे जीवन बदला भी जा सकता है।
-
8:13 - 8:18यह मेरा और मेरे बचावकर्ता का
एक शानदार चित्र है -
8:18 - 8:20पिछले साल लिया हुआ।
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8:20 - 8:23उस घटना के १० वर्ष बाद
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8:23 - 8:25हम लोग एक साथ हैं हाथों में हाथ लिए हुए।
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8:28 - 8:30इस सारी उथल-पुथल के बीच
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8:30 - 8:33मेरा हाथ घनिष्ठता से पकड़ा हुआ था।
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8:33 - 8:36मेरा चेहरा हल्के से सहलाया गया।
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8:37 - 8:39मुझे क्या महसूस हुआ?
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8:40 - 8:41मुझे प्रेम महसूस हुआ।
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8:42 - 8:47वह क्या था जिसने मुझे
घृणा और प्रतिकार से बचाया, -
8:47 - 8:50किस ने मुझे यह कहने की शक्ति दी:
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8:50 - 8:52यह मेरे साथ समाप्त होता है
-
8:54 - 8:55प्रेम ने।
-
8:57 - 8:59मुझे प्रेम महसूस हुआ।
-
9:01 - 9:07मैं एक सकारात्मक बदलाव की
ताकत में विश्वास रखती हूँ -
9:08 - 9:09जो बहुत बड़ा है
-
9:09 - 9:12क्योंकि मैं जानती हूँ कि
हम क्या कर सकते हैं । -
9:12 - 9:15मैं जानती हूँ कि मानवता की चमक
क्या होती है। -
9:16 - 9:20यह मुझे कुछ बड़ी वस्तुओं पर विचार करने
-
9:20 - 9:23और हम लोगों को कुछ प्रश्नों पर
गौर करने के लिए छोड़ देती है : -
9:25 - 9:30क्या जो हम सब को एक करता है वो
उससे बड़ा नहीं है जो हमें विभाजित करता है ? -
9:32 - 9:35क्या हमें किसी त्रासदी अथवा
दुर्घटना की आवश्यकता है -
9:35 - 9:40'मनुष्य' नाम की प्रजाति के रूप में
-
9:41 - 9:43एक दूसरे से गहराई से जुड़ने के लिए?
-
9:44 - 9:49और कब हम अपने युग की बुद्धिमत्ता का
आलिंगन करेंगे -
9:50 - 9:53मात्र सहिष्णुता से ऊपर उठ कर
-
9:54 - 9:57स्वीकार्यता की ओर चलने के लिए
-
9:57 - 10:02उन सब के लिए जो सिर्फ एक नाम हैं
तब तक जब तक हम उन्हें नहीं जानते हैं ? -
10:04 - 10:05धन्यवाद
-
10:05 - 10:12(तालियाँ )
- Title:
- मैं एक आतंकी हमले में जीवित बची हूँ । मैंने जो सीखा वह साझा कर रही हूँ ।
- Speaker:
- जिल हिक्स
- Description:
-
जिल हिक्स की कहानी करुणा और मानवता की कहानी है, जो उथल-पुथल और घृणा में से बाहर निकल के आयी है । जुलाई २००५ में लन्दन में हुए आतंकी हमले में वो बच गई और आज वह उस दिन की घटनाओं और उनसे मिले महत्वपूर्ण सबक को साझा कर रही हैं क्योंकि वो जानती हैं कि जीवन कैसे जिया जाता है ।
- Video Language:
- English
- Team:
closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 10:37
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Abhinav Garule edited Hindi subtitles for I survived a terrorist attack. Here's what I learned | |
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Omprakash Bisen approved Hindi subtitles for I survived a terrorist attack. Here's what I learned | |
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Omprakash Bisen accepted Hindi subtitles for I survived a terrorist attack. Here's what I learned | |
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Omprakash Bisen edited Hindi subtitles for I survived a terrorist attack. Here's what I learned | |
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anima palshikar edited Hindi subtitles for I survived a terrorist attack. Here's what I learned | |
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anima palshikar edited Hindi subtitles for I survived a terrorist attack. Here's what I learned | |
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anima palshikar edited Hindi subtitles for I survived a terrorist attack. Here's what I learned | |
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anima palshikar edited Hindi subtitles for I survived a terrorist attack. Here's what I learned |