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आलेन दे बत्तन :एक दयालु और कोमल सफलता की विचारधारा ।

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    मेरे अनुसार ये चीजे सामान्य रूप से होती हैं.. जिन्हें हम करियर संकट कह सकते हैं
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    और ये ज्यादातर,वास्तव में , रविवार के शाम से
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    ठीक सूर्य अस्त के शुरूआत के समय हॊते है ,
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    और मेरी खुद के लिए मेरी उम्मीदों का अंतर ,
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    और मेरे जीवन की सच्चाई ऐसे दर्दनाक तरीके से बिखरने लगती है कि
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    मैं अंत मे तकिया ले कर रो पड़ता हूँ ।
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    मैं इस सब का उल्लेख कर रहा हूँ ,
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    इस सब का उल्लेख कर रहा हूँ, क्योकि मुझे लगता है कि यह महज एक व्यक्तिगत समस्या नहीं है ।
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    . आप सोच सकते है की मैं इस बारे में गलत हूँ,
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    लेकिन मुझे लगता है कि हम एक ऐसे युग मे रहते है जहाँ हमारा जीवन नियिमत रूप से,
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    कैरियर संकट से घिरा रहता है
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    कितने पल जब हम सोचते थे की हम जानते हैं
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    हमारे जीवन के बारे मे .... अपने कैरियर के बारे मे
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    एक भयावह कर देने वाली सच्चाई हमारे सामने आ जाती है!
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    जबकि अगर देखा जाये तो पहले की तुलना में एक अच्छा जीवन पाना आज शायद ज्यादा आसान है।
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    लेकिन ये पहले की तुलना में शायद कहीं ज्यादा मुश्किल है की हम,
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    की हम शांत रह पायें और करियर की चिंताओं से खुद को मुक्त रख सकें
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    मैं देखना चाहता हूँ, अगर मैं कर सकता हूँ तो..
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    कि वो कौनसे कारण हैं ,
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    जिनकी वजह से हम अपने करियर (व्यवसाय) में चिंताएं महसूस कर रहे हैं ।
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    हम इन कैरियर संकटों के शिकार क्यों हो सकते है,
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    जबकि हम धीरे से तकिये में सर रख कर रो रहे हों...
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    हमारे दुखों के कारणों मे से एक हो सकता है कि..
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    हम मिथ्याभिमानी (झूठा अभिमान करने वाले) लोगों से घिरे हैं ।
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    अब...., एक तरह से, मेरे पास कुछ बुरी खबर है..
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    मुख्य रूप से उसके लिए जो बाहर से ऑक्सफोर्ड आ रहा है,
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    वहां पर लोगो को कम आंकना एक मुख्य समस्या है
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    क्योकि ब्रिटेन से बाहर के लोग कभी कभी..
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    कल्पना करते है कि दंभ मुख्य तौर पे ब्रिटेन में होने वाली एक घटना है
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    जो कि वहां के घरों और खिताबों पर छपी हुयी हैं
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    बुरी खबर यह है कि ये सच नहीं है
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    दंभ एक वैश्विक घटना है |
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    हम एक वैश्विक संगठन हैं | यह एक वैश्विक घटना है.
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    यह मौजूद है | एक मिथ्याभिमानी (झूठा अभिमानी ) क्या है?
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    एक मिथ्याभिमानी वो है जो आपका एक छोटा सा हिस्सा लेता है
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    और उसका प्रयोग करके आपकी पूरी छवि बना लेता है
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    ये दंभ है
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    और दंभ का प्रमुख प्रकार
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    जो आज कल मौजूद है , नौकरी की दंभ है
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    किसी भी पार्टी में आप इससे कुछ ही पलों में रूबरू हो जाते हैं
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    जब आपसे वो मशहूर और एकलौता प्रश्न पुछा जाता है
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    २१वी सदी कि शुरुवात का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न.."आप क्या करते हैं?"
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    और आप इस प्रश्न का किस प्रकार से उत्तर देते हैं उसी अनुसार
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    लोग या तो आप को देख कर अविश्वनीय रूप से खुश होते हैं
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    या फिर अपनी घडी में देख कर कुछ बहाना बनाना शुरू कर देते हैं..
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    (हँसी)
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    अब एक घमंडी/मिथ्याभिमानी का विपरीत है, आपकी माँ
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    (हँसी)
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    जरुरी नहीं है कि आप कि और कहने को मेरी माँ हो..
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    बल्कि यहाँ हम एक आदर्श माँ कि कल्पना कर रहे हैं
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    कोई ऐसा जो आपकी उपलब्धियों के बारे में कोई परवाह नहीं करता
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    लेकिन दुर्भाग्यवश , हर कोई इस दुनिया में माँ जैसा नहीं होता
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    ज्यादातर लोग एक खास सहसंबंध बनाते है की कितना समय
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    और यदि आपको पसंद हो , प्यार ,.. प्रसंगयुक्त प्यार नहीं,
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    हालाँकि वह कुछ भी हो सकता है
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    लेकिन सामान्य रूप से प्यार , आदर
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    जो कि वो लोग हमें खुद से दे सकते हैं, उसकी कड़ी परिभाषा
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    हमारी सामाजिक स्तर से निर्धारित होगी |
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    और यही एक सबसे बड़ा कारण है जिसकी वजह से हम अपने करियर के बारे में इतना अधिक सोचते हैं
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    और वास्तव में भौतिक वस्तुओं का इतना ज्यादा ख्याल रखने लगते हैं
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    आपको मालूम है , हमें अक्सर कहा जाता है की हम भौतिक समय में रह रहे हैं
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    जहाँ हम सब कि सब लालची हैं
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    पर मैं ऐसा नहीं सोचता कि हम सभी भौतिकवादी हैं,
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    बल्कि मुझे ऐसा लगता है कि हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहाँ
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    हमने अपने आप को कुछ ऐसे भावनात्मक सुखों से जोड़ रखा है
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    जिसे आप भौतिक वस्तुओं का संग्रह बोल सकते हैं
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    वास्तविकता में हम ये वस्तुएं नहीं चाहते, बल्कि हम इनके होने से मिलने वाले आदर को चाहते हैं
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    और ये एक नया तरीका है, विलासी (महंगी) वस्तुओं के हमारे पास होने को देखने का
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    तो अगली बार अगर आप किसी को फेर्रारी (एक बहुत महंगी कार) चलाते हुए देखें
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    तो ये न सोचें कि "ये व्यक्ति तो लालची लगता है"
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    बल्कि सोचें "ये वह व्यक्ति है जो कि अंदर से बहुत अकेला है और इसे प्यार कि बहुत ज्यादा जरुरत hai"
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    दुसरे शब्दों में --(हँसी)
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    हमदर्दी रखे , घृणा नहीं .
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    कुछ और कारण भी हैं
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    हँसी
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    कुछ और भी कारण हैं जिसकी वजह से शायद आज ये बहुत मुश्किल है
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    कि पहले कि तुलना में शांत महसूस कर पाना
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    इनमे से एक, देखा जाये तो भ्रमित करने वाला है, क्यूंकि यह कुछ अच्छी चीज के साथ जुड़ा हुआ है
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    और वह है हमारे करियर के लिए हमारी आशाएं
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    इससे पहले कभी ये आशाएं इतनी ऊँची नहीं रहीं
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    कि एक इंसान अपने जीवन कल में क्या क्या पा सकता है
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    हमें कहा जाता है, बहुत सारे स्थानों पर, कि कोई इंसान कुछ भी पा सकता है
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    हम जातिवाद का अंत कर चुके हैं
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    अब हम एक ऐसी सभ्यता में हैं जहाँ कोई भी ऊपर उठ सकता है
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    उस स्थान तक, जिसे वो पसंद करते हैं
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    और यह एक बहुत ही अच्छा विचार है
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    और इसके साथ साथ एक समानता का भाव भी है; हम सब वास्तव में एक समान हैं
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    जहाँ पर कोई भी कड़ाई से लिखा हुआ
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    पदों का क्रम नहीं है
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    पर इसके साथ जुडी हुयी एक बड़ी समस्या भी है
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    और वो समस्या है, ईर्ष्या
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    इर्ष्या , इर्ष्या की चर्चा करना प्रतिबंधित माना जाता है
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    परन्तु अगर आज के समाज में कोई प्रमुख भाव बचा है, तो वो भाव ईर्ष्या का है
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    और यह समानता की भावना से जुड़ा हुआ है , चलिए मैं आपको समझाता हूँ
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    मुझे लगता है कि यह किसी के भी लिए बहुत असामान्य होगा जो यहाँ पर उपस्तिथ है या इसे देख रहा है .
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    इंग्लैंड कि महारानी से इर्शयालु होना
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    हालाँकि वो आप में से किसी कि भी तुलना में बहुत अमीर है.
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    और उनके पास एक बहुत ही बड़ा घर है.
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    हम उनसे ईर्ष्या क्यों नहीं करते है ,इसका कारण है क्योंकि वह बहुत अजीब है.
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    वह बस बहुत अजीब है
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    हम अपने आप को उन से जोड़ कर नहीं देख पाते,वह बहुत अजीब तरीके से बोलती है.
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    वह एक विशिष्ट जगह से आयीं हैं
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    तो हम खुद को उनसे जोड़ कर नहीं देख पाते हैं और जब आप किसी से संबंधित नहीं हो सकते हो, तो आप उन्हें ईर्ष्या नहीं करते हो.
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    जितना लोग करीब होते हैं , उम्र में,प्रष्ठभूमि में,
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    पहचानने की प्रक्रिया में ,वहां पर ईर्ष्या का और अधिक खतरा होता है.
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    संयोग से भी, आप में से किसी को भी,कभी भी,एक स्कूल के छात्रों के पुनर्मिलन के लिए जाना नहीं चाहिए.
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    क्योंकि वहाँ कोई मजबूत सन्दर्भ बिंदु नहीं है.
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    उन लोगो के अलावा जो कि आपके साथ स्कूल में पढ़े थे
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    लेकिन समस्या, आमतौर पर, आधुनिक समाज की है, जो इस पूरी दुनिया को बदल देती है
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    एक स्कूल में, हर कोई जींस पहन रहा है, हर कोई एक सामान है
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    लेकिन फिर भी, वो नहीं हैं
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    तो वहां पर समानता के भाव के साथ एक गहरी असमानता जुडी हुयी है
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    जो एक बहुत ही तनावपूर्ण स्थिति को पैदा कर सकता है
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    आजकल के समय में ये शायद असम्भव है
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    कि कोई उतना ही अमीर और प्रसिद्ध हो पाए जितना कि बिल गेट्स हैं
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    ऐसा १७ वीं सदी में होने कि संभावना नहीं थी.
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    कि आप फ्रेंच अभिजात वर्ग के रेंक को स्वीकार करोगे.
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    लेकिन मुद्दा यह है, कि इसे उस तरह से महसूस नहीं करते हैं
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    इसे पत्रिकाओं और अन्य मीडिया आउटलेट के द्वारा महसूस कराया जाता है,
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    यदि आपके पास ऊर्जा और प्रोधोगिकी के बारे में कुछ उज्जवल विचार हैं ,
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    चाहे वो एक गेराज हो, आप भी कुछ बड़ा शुरू कर सकते हैं
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    (हँसी)
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    और इस समस्या के परिणाम स्वरुप खुद को किताबों कि दुकान में महसूस करा रहे हैं
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    जब आप एक बड़ी किताबों वाली दुकान में जाते हो और स्व-सहायता वाले वर्गों को देखते हो,
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    जैसा मैं भी कभी कभी करता हूँ,
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    यदि आप स्व-सहायता वाली उत्पादित कि गयी किताबों का विश्लेषण करते हो
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    आजकी दुनिया में मूलतः दो प्रकार हैं
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    पहला प्रकार आपको बताता है , "आप यह कर सकते हो! आप यह बन सकते हो! कुछ भी संभव है!"
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    दूसरा प्रकार आपको बताता है कि आप कैसे निपट सकते हैं
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    जिसे हम विनम्रता से कह सकते हैं "आत्म-सम्मान की कमी"
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    और अविनम्रता से से बोल सकते हैं "अपने बारे में बहुत बुरा महसूस करना"
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    यहाँ पर एक वास्तविक संबंध है,
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    एक वास्तविक संबंध एक समाज के बीच में जो कि लोगों को बताता है कि वे कुछ भी कर सकते है
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    और साथ में, कम आत्म सम्मान का अस्तित्व.
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    तो यह एक दूसरा तरीका है जिसमें कुछ है जो काफी सकारात्मक है
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    लेकिन जिसके नतीजे काफी ख़राब हो सकते हैं
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    कुछ और कारण हैं जिनकी वजह से हो सकता हैं हम बहुत उद्विघन महसूस कर रहे हों
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    पहले से बहुत ज्यादा , अपने करियर के बारे में, आज कि दुनिया में अपनी स्थिति के बारे में,
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    और यह, फिरसे किसी अच्छी चीज के साथ जुड़ा हुआ है
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    और यह अच्छी चीज है जिसे हम मेरिटॉक्रसी (ऐसी स्तिथि जहाँ बुद्धि को सम्मान दिया जाता है- प्रतिभाशाली) कह सकते हैं
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    सभी लोग, सभी राजनेता बाएँ और दाएँ पर
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    सहमत है कि meritocracy एक बड़ी बात है,
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    और हम सभी को अपने समाज को वास्तव में एक प्रतिभाशाली (meritocratic) समाज बनाने की कोशिश करनी चाहिए.
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    दूसरे शब्दों में, एक "meritocratic" समाज क्या है ?
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    प्रतिभाशाली (meritocratic) समाज वो है जिसमे
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    अगर आपके पास प्रतिभा और ऊर्जा और कौशल है,
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    तो आप बहुत ऊँचाइयों तक जायेंगे, कोई चीज आपको रोक नहीं सकती
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    यह एक सुंदर विचार है. समस्या यह है,
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    अगर आप सच में एक ऐसे समाज में विश्वास करते हो
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    जिसमें अगर किसी में प्रतिभा है, और उसे ऊपर जाना चाहिए, वही ऊपर जाता है
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    उसी तरीके से, आप को उस समाज में भी भरोसा करना चाहिए, हालाँकि ये काफी बुरा लग सकता है
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    जहाँ कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो हमेशा बिलकुल नीचे रहने के हकदार हैं
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    जो नीचे हैं और उन्हें वहीँ रहना चाहिए
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    दुसरे शब्दों में कहें तो आपका स्थान भी कोई अचंभित करने वाला नहीं है
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    बल्कि आपकी प्रतिभा के अनुसार है और आप इसके हकदार हैं
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    और इसी कारण से आपकी असफलता ज्यादा दुखदायी और दर्द देने वाली है
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    आप जानते हैं , कि मध्य युग में इंग्लैंड में,
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    जब आप किसी बहुत ही गरीब व्यक्ति से मिलते थे...
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    उस व्यक्ति को "बदकिस्मत" कहा जाता था
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    सच में, कोई भी जिसके साथ भाग्य नहीं है, बदकिस्मत है
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    आजकल, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में,
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    अगर आप सामाजिक तौर पर किसी निचले तबके के व्यक्ति से मिलते हो
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    अविनम्र तरीके से उन्हें "लूज़र" (हरा हुआ इन्सान) के नाम से बुलाया जाता है
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    एक बदकिस्मत और लूज़र में एक बहुत ही प्रमुख अंतर है
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    और वो अंतर समाज में 400 वर्षों के विकास को दर्शाता है
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    और हमारा विश्वास कि कौन हमारे ऐसे जीवन के लिए जिम्मेदार है
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    इसका कारण इश्वर नहीं बल्कि हम खुद हैं, और हम ही इसे आगे बढ़ा रहे हैं
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    यह सब बहुत ही अच्छा महसूस करने वाला है, अगर आप खुद बहुत अच्छा कर रहे हों
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    और बहुत ही कुचला हुआ अगर आप बहुत अच्छा नहीं कर रहे हैं, (अपने काम में)
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    एक समाजशास्त्री के विश्लेषण में, यह सबसे ख़राब मामलों में से एक होता है
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    Emil Durkheim की तरह, यह आत्महत्या के दर को बढ़ जाने का एक कारण भी होता है
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    वहाँ विकसित व्यक्तिपरक (अकेले रहना पसंद करने वाले समुदाय) देशों में अधिक लोग आत्महत्या कर रहे है
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    दुनिया के किसी अन्य भाग में की तुलना में
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    और इसके कुछ कारण ये भी हैं की लोग जो कुछ भी होता है
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    उन्हें बहुत ही व्यक्तिगत रूप से अपने ऊपर लेते हैं
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    वे अपनी सफलता के मालिक है. लेकिन अपनी असफलता के भी वही मालिक है.
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    क्या इनमे से कुछ दवाबों से कोई राहत मिल सकती है?
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    जिनकी रूपरेखा मैं यहाँ तैयार कर रहा हूँ?
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    मुझे लगता है हाँ, और मैं उनमें से कुछ की तरफ जाना चाहता हूं
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    चलो प्रतिभा (meritocracy) को लेते हैं.
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    यह विचार जो कहता है, की हर किसी को वो पाना चाहिए जिसका वो हकदार है
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    मुझे लगता है यह एक पागल विचार है, पूरी तरह से पागल
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    मैं बाएँ और दाएँ के किसी भी राजनैतिक दल का समर्थन करूँगा,
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    जिनके पास आधे अधूरे ही सही, पर सभ्य प्रतिभावान विचार हैं
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    मैं उस अर्थ में एक प्रतिभावान व्यक्ति हूँ
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    लेकिन मुझे लगता है की ये पागलपन ही होगा की हम कभी भी
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    एक ऐसा समाज बनाने की कल्पना करें जो सही मायने में प्रतिभाशाली है. यह एक असंभव सपना है
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    यह विचार है कि हम एक समाज बनायेंगे
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    जहाँ सचमुच सभी लोग वर्गीकृत है,
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    अच्छा शीर्ष पर है, और बुरा नीचे है,
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    और ये बिलकुल ऐसे ही हो, जैसा की इसे होना चाहिए, यह असंभव है
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    वहां और भी कई आकस्मिक कारक है :
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    दुर्घटनाएं, जन्म की दुर्घटनाएं,
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    लोगो के सिर पर गिरने वाली चीजों से दुर्घटनाएं, बीमारियाँ, आदि.
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    हम उन्हें कभी वर्गीकृत नहीं करेंगे,
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    और ना ही कभी इंसानों को, जैसा की उन्हें होना चाहिए
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    मैंने St. Augustine के द्वारा कही कही गयी एक कहावत से बहुत प्रभावित हुआ; "परमेश्वर का शहर "
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    जहाँ वे कहते है," कि किसी भी आदमी को उसके पद के कारण आंकना , यह एक पाप है "
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    आधुनिक अंग्रेजी में उसका मतलब होगा
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    किसी से बात करके उसके बारे में दृष्टिकोण बनाना एक पाप है,
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    जो कि केवल उनके बिज़नस (व्यावसायिक) कार्ड्स देख कर बनाया जाये
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    यह पद नहीं है जिसकी गिनती करना चाहिए
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    St. Augustine के अनुसार,
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    यह केवल परमेश्वर है जो वास्तव में सभी लोगो को उनकी जगह पर रख सकते है.
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    और वो ही न्याय के दिन वह करने वाला है
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    जब ढोल नगाडो और स्वर्ग से आये दूतों के साथ, ये आकाश खुल जायेगा
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    उन्मुक्त विचार है, अगर तुम एक धर्मनिरपेक्षतावादी व्यक्ति हो, मेरी तरह ,
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    लेकिन फिर भी, उस विचार में कुछ बहुत ही मूल्यवान है.
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    अपने आप को थोडा रोकिये जब आप किसी को आंकने का प्रयास करते हैं
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    हो सकता है आप नहीं जानते हो कि किसी की सच्ची कीमत क्या है
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    ये उनका एक अज्ञात हिस्सा हो सकता है
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    और हमें ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए कि हम ये जानते है.
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    एक और स्त्रोत है जहाँ इन सब से सांत्वना और आराममिल सकता है
  • 8:58 - 9:01
    जब हम जीवन में असफल होने के बारे में सोचते है, जब हम विफलता के बारे में सोचते है,
  • 9:01 - 9:03
    इसका एक कारण है की हमें इस बात कर डर नहीं है कि
  • 9:03 - 9:05
    हमारी कोई आय नहीं रहेगी या कोई स्तिथि नहीं रहेगी
  • 9:05 - 9:09
    हमें दूसरों के निर्णय और उपहास का डर है, और ये वास्तविकता में है
  • 9:09 - 9:11
    आप जानते होंगे, उपहास उड़ने का पहली वस्तु
  • 9:11 - 9:13
    आजकल के समय में , समाचार पत्र है.
  • 9:13 - 9:15
    और अगर आप सप्ताह के किसी भी दिन अख़बार खोलते है,
  • 9:15 - 9:17
    यह उन लोगों से भरा है, जो अपने जीवन को ख़राब कर चुके है.
  • 9:17 - 9:20
    वे गलत व्यक्ति के साथ सोये है. उन्होंने गलत पदार्थ लिया है.
  • 9:20 - 9:22
    उन्होंने कानून का गलत हिस्सा पारित किया है. यह जो भी है.
  • 9:22 - 9:25
    पर उपहास उड़ाने के लिए फिट (ठीक) है
  • 9:25 - 9:28
    दूसरे शब्दों में, वे हार चुके है. और उन्हें" हारे हुए" के रूप में वर्णित किया गया है.
  • 9:28 - 9:30
    अब, क्या हमारे पास इसके लिए कोई विकल्प है?
  • 9:30 - 9:32
    मुझे लगता है कि पश्चिमी परंपरा हमें एक शानदार विकल्प दिखाती है.
  • 9:32 - 9:35
    और वह है..दुर्घटना
  • 9:35 - 9:38
    दुखद कला, के रूप में, यह प्राचीन यूनान के थिएटरों में विकसित की गयी है.
  • 9:38 - 9:40
    पांचवी शताब्दी ई. पू. में, अनिवार्य रूप से एक कला
  • 9:40 - 9:43
    केवल इस बात के लिए समर्पित थी की लोग विफल क्यूं होते हैं
  • 9:43 - 9:47
    और उनके अनुसार सहानभूति का एक स्तर भी
  • 9:47 - 9:51
    जो की उन्हें साधारण ज़िन्दगी से शायद नहीं मिल पायेगी
  • 9:51 - 9:52
    मुझे याद है, कुछ साल पहले मैं इन सब के बारे में सोच रहा था,
  • 9:52 - 9:54
    और मैं "रविवार खेल" देखने गया था
  • 9:54 - 9:57
    एक tabloid (खबरों को बड़ा चढ़ा कर लिखने वाले) समाचार पत्र में, जिसे पड़ने को मैं आपको नहीं बोलूँगा
  • 9:57 - 9:59
    यदि आप पहले से इससे परिचित नहीं रहे है.
  • 9:59 - 10:01
    मैं उनसे बात करने गया था
  • 10:01 - 10:04
    पश्चिमी कला कि महान त्रासदियों में से कुछ के बारे में.
  • 10:04 - 10:06
    मैं देखना चाहता था कि कैसे वे नंगे हड्डियों को जब्त करेंगे
  • 10:06 - 10:09
    उन कुछ कहानियों की जो समाचार की तरह सामने आएँगी
  • 10:09 - 10:12
    शनिवार की दोपहर newsdesk पर.
  • 10:12 - 10:14
    तो उन्हें मैंने ओथेलो (एक प्रसिद्द उपन्यास) के बारे में बताया, उन्होंने इसके बारे में सुना नहीं था, पर वे काफी प्रभावित हुए
  • 10:14 - 10:15
    (हंसी )
  • 10:15 - 10:18
    और मैंने उन्हें ओथेलो की कहानी के लिए शीर्षक लिखने को कहा
  • 10:18 - 10:21
    और उन्होंने लिखा "प्यार में पागल अप्रवासी ने सीनेटर की बेटी को मारा"
  • 10:21 - 10:23
    पूरा शीर्षक जलते बुझते हुए
  • 10:23 - 10:25
    मैंने उन्हें महोदया Bovary की कथावस्तु (plotline) दी.
  • 10:25 - 10:27
    फिर से एक और किताब जिसे खोज कर वे बहुत खुश हुए
  • 10:27 - 10:32
    और उन्होंने लिखा "धोखाधड़ी के कारण खरीदारी के लिए पागल एक लड़की ने आर्सेनिक (एक प्रकार जा ज़हर) निगला"
  • 10:32 - 10:33
    हँसी
  • 10:33 - 10:35
    और अब मेरा पसंदीदा
  • 10:35 - 10:37
    ये लोग अपने आप में एक तरह से महान लोग होते हैं
  • 10:37 - 10:39
    मेरा पसंदीदा है "Sophocles ईडिपस राजा"
  • 10:39 - 10:42
    "Sex With Mum Was Blinding"
  • 10:42 - 10:45
    हँसी
  • 10:45 - 10:47
    तालियां
  • 10:47 - 10:50
    एक तरह से, अगर आपको पसंद हो, सहानभूति के इन रंगों के एक तरफ
  • 10:50 - 10:52
    आपको tabloid (ख़बरों को बड़ा चढ़ा कर लिखने वाला) अख़बार मिल गया है
  • 10:52 - 10:55
    और स्पेक्ट्रम के दूसरे छोर पर आपको त्रासदी और दुखद कला मिल गयी है,
  • 10:55 - 10:57
    और मुझे लगता है, मैं यही बहस कर रहा हूँ, की इनसे हमें कुछ सीखना चाहिए
  • 10:57 - 10:59
    दुखद कला में क्या हो रहा है, के बारे में.
  • 10:59 - 11:02
    हेमलेट को हरा हुआ इंसान बोलना पागलपन होगा
  • 11:02 - 11:05
    वह एक हारा हुआ नहीं है, हालाँकि वह खो चुका है.
  • 11:05 - 11:07
    और मुझे लगता है कि यह हमारे लिए त्रासदी का सन्देश है,
  • 11:07 - 11:10
    और क्यों, मुझे लगता है यह तो बहुत, बहुत महत्तवपूर्ण है.
  • 11:10 - 11:12
    आधुनिक समाज के बारे में अन्य बात
  • 11:12 - 11:14
    और क्यों यह चिंता का कारण है
  • 11:14 - 11:17
    यह है कि हमारे पास गैर मानव (मनुष्य से हटकर) के केंद्र में कुछ भी नहीं है
  • 11:17 - 11:19
    हम ऐसी दुनिया के पहले समाज में रह रहे है
  • 11:19 - 11:22
    जहाँ हम खुद के अलावा और किसी की भी पूजा नहीं करते है.
  • 11:22 - 11:24
    हम खुद के लिए बहुत ज्यादा सोचते है और ऐसा करना चाहिए.
  • 11:24 - 11:27
    हमने लोगों को चाँद पर रखा है. हमने सभी प्रकार के असाधारण काम किये है.
  • 11:27 - 11:29
    और इसलिए हम खुद को पूजा करते है
  • 11:29 - 11:31
    मानव हीरो हमारा हीरो है.
  • 11:31 - 11:33
    यह एक बहुत ही नई स्थिति है.
  • 11:33 - 11:35
    बहुत से अन्य समाजों के बिलकुल मध्य में
  • 11:35 - 11:37
    कुछ उत्कृष्ट वस्तुओं की पूजा थी, इश्वर थे
  • 11:37 - 11:39
    एक भावना थी , एक प्राकृतिक बल था , ब्रहमांड था,
  • 11:39 - 11:42
    जो कुछ भी ये था, पर कुछ हमेशा ऐसा था जिसकी पूजा होती थी
  • 11:42 - 11:44
    हम इस आदत को थोडा सा खो चुके है,
  • 11:44 - 11:46
    जो की, मुझे लगता है, हमने प्रकृति से लिया है
  • 11:46 - 11:49
    अपने स्वास्थ्य के लिए नहीं, जैसा अधिकतर इसे दिखाया जाता है
  • 11:49 - 11:53
    पर इसलिए, की ये इंसानों द्वारा बनाये गए परिवेश से भागने का एक रास्ता है
  • 11:53 - 11:55
    यह हमारे खुद के बीच की प्रतियोगिता से भागने का एक रास्ता है
  • 11:55 - 11:57
    और हमारे अपने खुद के नाटकों से भी भागने का
  • 11:57 - 11:59
    और इसलिए हम ग्लेशियरो और महासागरों को देखकर आनंद लेते है
  • 11:59 - 12:03
    और प्रथ्वी को इसकी परिधि के बाहर देखने के लिए सोचकर, इत्यादि
  • 12:03 - 12:07
    हम उन वस्तुओ के संपर्क में रहना पसंद करते है जो मानवीय नहीं है,
  • 12:07 - 12:11
    और वह हमारे लिए बहुत ज्यादा महत्तवपूर्ण है.
  • 12:11 - 12:14
    मुझे क्या लगता है कि मैं वास्तव में सफलता और विफलता के बारे में बात कर रहा हूँ.
  • 12:14 - 12:17
    और सफलता के बारे में एक सबसे दिलचस्प (आकर्षित) करने वाली बात है
  • 12:17 - 12:19
    की हमें लगता है, की ये हम जानते हैं, की इसका मतलब क्या है
  • 12:19 - 12:21
    यदि मैंने आपसे ये कहा कि वहाँ परदे के पीछे कोई है
  • 12:21 - 12:24
    जो की बहुत बहुत अधिक सफल है, ये सुनकर कुछ ऐसे विचार तुरंत आपके दिमाग में आयेंगे
  • 12:24 - 12:26
    जैसे की, उस व्यक्ति ने बहुत पैसा कमाया होगा
  • 12:26 - 12:29
    या किसी क्षेत्र में बहुत नाम कमाया होगा
  • 12:29 - 12:31
    मेरी सफलता का अपना सिद्धांत है- और मैं कुछ हूँ
  • 12:31 - 12:34
    जो सफलता में बहुत रूचि लेते है. मैं वास्तव में सफल बनना चाहता हूँ.
  • 12:34 - 12:36
    मैं हमेशा सोचता हूँ कि" मैं कैसे और अधिक सफल हो सकता हूँ".
  • 12:36 - 12:38
    लेकिन जैसे जैसे मैं बड़ा हुआ, मैं उतना ही छोटा रहा
  • 12:38 - 12:40
    इस बात को समझने में की "सफलता" आखिर में क्या है
  • 12:40 - 12:42
    यहाँ एक सूक्ष्म बात है सफलता के बारे में, जो की मैंने महसूस की है
  • 12:42 - 12:45
    आप हर चीज़ में सफल नहीं हो सकते हो.
  • 12:45 - 12:47
    हम कार्य और जीवन के बीच संतुलन बनाने के लिए कई बातें सुनते हैं
  • 12:47 - 12:50
    सब बकवास है, तुम सब नहीं पा सकते हो, बस नहीं पा सकते हो!
  • 12:50 - 12:52
    तो सफलता के लिए चाहे कोई भी दृष्टिकोण हो
  • 12:52 - 12:54
    उसे यह समझना ही पड़ेगा की खोना क्या है
  • 12:54 - 12:56
    जहाँ नुकसान होने के तत्व रहते हैं
  • 12:56 - 12:59
    मुझे लगता है कोई भी बुद्धिमान जीवन इस बात को मानेगा कि
  • 12:59 - 13:02
    जैसा कि मैं कह रहा हूँ, हमेशा कोई न कोई ऐसी जगह रहेगी, जहाँ सफलता ना मिले
  • 13:02 - 13:04
    एक सफल जीवन के बारे में जो बात है
  • 13:04 - 13:06
    वो है, कि बहुत सारा समय, हमारे विचार
  • 13:06 - 13:09
    इस बारे में कि हम सफलतापूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे हैं या नहीं, हमारे अपने विचार नहीं हैं
  • 13:09 - 13:11
    वो अन्य लोगो से (को देखकर) लिए गए हैं
  • 13:11 - 13:13
    मुख्यतः अगर तुम एक आदमी हो,तो तुम्हारे पिता,
  • 13:13 - 13:15
    और अगर तुम एक औरत हो,तो तुम्हारी माँ,
  • 13:15 - 13:18
    मनोविश्लेषण से ये बात अस्सी वर्षों में कई बार सामने आ चुकी है
  • 13:18 - 13:21
    चाहे कोई भी ध्यान से इसे सुन ना रहा हो, पर मुझे लगता है ये वाकई में बिलकुल सच है
  • 13:21 - 13:23
    और हम बहुत सारी अन्य जगहों से भी सन्देश लेते हैं
  • 13:23 - 13:25
    टेलीविजन से, लेकर विज्ञापन,
  • 13:25 - 13:27
    विपणन आदि,
  • 13:27 - 13:29
    ये सब बहुत ही शक्तिशाली ताकतें हैं
  • 13:29 - 13:33
    जो यह स्पष्ट करती है कि हम क्या चाहते है और हम खुद को कैसे देखते है.
  • 13:33 - 13:36
    जब हमें यह बताया गया कि बैंकिंग एक बहुत ही सम्मानित पेशा है
  • 13:36 - 13:38
    हममे से बहुत से लोग बैंकिंग में जाना चाहते है.
  • 13:38 - 13:41
    लेकिन जब बैंकिंग इतना सम्मानजनक पेशा नहीं रह गया है, तो हमने बैंकिंग में अपनी रूचि खो दी है.
  • 13:41 - 13:44
    हम सुझाव के लिए अत्यधिक खुले है.
  • 13:44 - 13:47
    तो मैं इसके लिए आपसे बहस नहीं करना चाहता हूँ कि हमें यह छोड़ देना चाहिए
  • 13:47 - 13:49
    सफलता के लिए हमारे खुद के विचार
  • 13:49 - 13:51
    लेकिन हमें ये पक्का करना होगा कि ये विचार हमारे खुद के हैं
  • 13:51 - 13:53
    हमें अपने विचारों पर ध्यान देना चाहिए.
  • 13:53 - 13:56
    और पक्का करना होगा इ हम उनके मालिक हैं
  • 13:56 - 13:58
    कि हम वास्तव में अपनी महत्वकांक्षाओं के लेखक है.
  • 13:58 - 14:00
    क्योंकि ये काफी बुरा है,वह ना पाना जो कि आप चाहते हो ,
  • 14:00 - 14:03
    लेकिन उससे भी अधिक बुरा होना ये है कि
  • 14:03 - 14:06
    कि आप अपनी यात्रा के अंत में ये पायें
  • 14:06 - 14:09
    कि ये भी वह सब कुछ नहीं है, जो कि आप चाहते थे
  • 14:09 - 14:11
    तो अब यहीं पर मैं इसका अंत करने जा रहा हूँ
  • 14:11 - 14:14
    पर मैं अभी भी जो बात जोर डालके कहना चाहता हूँ
  • 14:14 - 14:16
    हाँ, सफलता, हर तरह से है .
  • 14:16 - 14:18
    लेकिन उसके लिए हमें अपने विचारों में से कुछ की विचित्रिता को अपनाना होगा
  • 14:18 - 14:21
    चलिए, अपने खुद के सफलता के विचारों का विश्लेषण करते हैं
  • 14:21 - 14:25
    चलिए ये पक्का करते हैं की सफलता के लिए जो विचार हैं, वो हमारे खुद के हैं
  • 14:25 - 14:27
    बहुत, बहुत धन्यवाद.
  • 14:27 - 14:43
    (तालियां).
  • 14:43 - 14:45
    क्रिस एंडरसन: यह बहुत आकर्षक था. आप कैसे सामंजस्य करते है
  • 14:45 - 14:50
    किसी के होने का यह विचार-
  • 14:50 - 14:53
    एक हारे हुए आदमी की तरह किसी के बारे में सोचना, यह बुरा है
  • 14:53 - 14:57
    इस विचार के साथ की बहुत से लोग आपके जीवन का नियंत्रण खुद लेना चाहते हैं
  • 14:57 - 15:00
    और वह एक समाज है जो उसे प्रोत्साहित करता है
  • 15:00 - 15:03
    शायद उसमें कुछ सफल और असफल लोगो को होना ही चाहिए
  • 15:03 - 15:06
    Alain de Botton: हाँ मुझे लगता है कि यह केवल आकस्मिकता है
  • 15:06 - 15:08
    जीतना और हारना एक प्रक्रिया है जिस पर मैं प्रभाव डालना चाहता था.
  • 15:08 - 15:10
    क्योंकि आजकल बातों को जोर डालकर कहना बहुत जरुरी है
  • 15:10 - 15:12
    सब के न्याय पर,
  • 15:12 - 15:14
    और नेता हमेशा न्याय के बारे में बात करते है.
  • 15:14 - 15:17
    अब मैं न्याय में एक कठोर आस्तिक हूँ, मुझे बस यही लगता है कि यह असंभव है.
  • 15:17 - 15:19
    तो हमें वो सब करना चाहिए, जो हम कर सकते है
  • 15:19 - 15:21
    हमें वो सब करना चाहिए जिसे हम आगे बढ़ा सकते है
  • 15:21 - 15:23
    लेकिन दिन के अंत में हमें हमेशा याद रखना चाहिए
  • 15:23 - 15:26
    बाधा जो भी हमारे सामने है और जो कुछ भी उनकी जिंदगियों में हुआ है
  • 15:26 - 15:29
    जहाँ भाग्य का होना एक बहुत ही मजबूत कारण होगा
  • 15:29 - 15:31
    और उसी के लिए मैं जगह बनाने की कोशिश कर रहा हूँ
  • 15:31 - 15:33
    अन्यथा ये काफी छोटा भी हो सकता है
  • 15:33 - 15:35
    सीए;मेरा मतलब है, कि क्या आपको विश्वास है कि आप संयोजित कर सकते है
  • 15:35 - 15:37
    आपकी एक दयालु और कोमल सफलता की विचारधारा
  • 15:37 - 15:41
    एक सफल अर्थव्यवस्था के साथ?
  • 15:41 - 15:43
    क्या आपको लगता है कि आप नहीं कर सकते हो?
  • 15:43 - 15:45
    लेकिन इससे उतना फर्क नहीं पड़ता है कि हम उस पर बहुत अधिक जोर डाल रहे है.
  • 15:45 - 15:48
    AB एक बुरा सपना ही होगा
  • 15:48 - 15:52
    ये सोचना की लोगो को डरा के काम निकलना सबसे बेहतर तरीका है
  • 15:52 - 15:55
    और एक तरीके से पर्यावरण भी बहुत कठोर हो जायेगा
  • 15:55 - 15:57
    जब चुनोतियों का सामना करने के लिए अधिक से अधिक लोग खड़े हो जायेंगे
  • 15:57 - 16:01
    आप सोचना चाहेंगे, की किसको आप अपने आदर्श पिता की तरह देखते हैं ?
  • 16:01 - 16:04
    और अगर आपके आदर्श पिता कोई हैं, तो वो बहुत कठोर हैं पर कोमल भी
  • 16:04 - 16:06
    और ये बहुत ही कठिन परिस्तिथि है बनाने के लिए
  • 16:06 - 16:10
    हमें पिताजी चाहिए, लेकिन वैसे ही पिताजी जैसे समाज में थे ,जिन्हें दोहराया जा सके
  • 16:10 - 16:12
    केवल दो चरम संभावनाओं को छोड़कर
  • 16:12 - 16:16
    जो की एक तरफ सत्तावादी और अनुशासक हो
  • 16:16 - 16:20
    और दूसरी तरफ, न वह कठोर हो और ना जिनके कोई नियम हो
  • 16:20 - 16:22
    सीए:Alain de Botton.
  • 16:22 - 16:24
    AB: आपको बहुत बहुत धन्यवाद्.
  • 16:24 - 16:34
    (तालियां)
Title:
आलेन दे बत्तन :एक दयालु और कोमल सफलता की विचारधारा ।
Speaker:
Alain de Botton
Description:

आलेन दे बत्तन हमारे सफलता और विफलता के विचारों की जाँच करते है - और इन दो निर्णयों के अंतर्निहित मान्यताओं पर सवाल उठाते है । क्या सफलता हमेशा अर्जित की जाती है? क्या असफलता ? वे दंभ से परे होकर अपने काम में सच्चा सुख तराषने के लिए एक भाषण ,हल्के तरीके से प्रस्तुत करते हैं

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
16:39
Vivek Trivedi added a translation

Hindi subtitles

Revisions