मेरे अनुसार ये चीजे सामान्य रूप से होती हैं.. जिन्हें हम करियर संकट कह सकते हैं
और ये ज्यादातर,वास्तव में , रविवार के शाम से
ठीक सूर्य अस्त के शुरूआत के समय हॊते है ,
और मेरी खुद के लिए मेरी उम्मीदों का अंतर ,
और मेरे जीवन की सच्चाई ऐसे दर्दनाक तरीके से बिखरने लगती है कि
मैं अंत मे तकिया ले कर रो पड़ता हूँ ।
मैं इस सब का उल्लेख कर रहा हूँ ,
इस सब का उल्लेख कर रहा हूँ, क्योकि मुझे लगता है कि यह महज एक व्यक्तिगत समस्या नहीं है ।
. आप सोच सकते है की मैं इस बारे में गलत हूँ,
लेकिन मुझे लगता है कि हम एक ऐसे युग मे रहते है जहाँ हमारा जीवन नियिमत रूप से,
कैरियर संकट से घिरा रहता है
कितने पल जब हम सोचते थे की हम जानते हैं
हमारे जीवन के बारे मे .... अपने कैरियर के बारे मे
एक भयावह कर देने वाली सच्चाई हमारे सामने आ जाती है!
जबकि अगर देखा जाये तो पहले की तुलना में एक अच्छा जीवन पाना आज शायद ज्यादा आसान है।
लेकिन ये पहले की तुलना में शायद कहीं ज्यादा मुश्किल है की हम,
की हम शांत रह पायें और करियर की चिंताओं से खुद को मुक्त रख सकें
मैं देखना चाहता हूँ, अगर मैं कर सकता हूँ तो..
कि वो कौनसे कारण हैं ,
जिनकी वजह से हम अपने करियर (व्यवसाय) में चिंताएं महसूस कर रहे हैं ।
हम इन कैरियर संकटों के शिकार क्यों हो सकते है,
जबकि हम धीरे से तकिये में सर रख कर रो रहे हों...
हमारे दुखों के कारणों मे से एक हो सकता है कि..
हम मिथ्याभिमानी (झूठा अभिमान करने वाले) लोगों से घिरे हैं ।
अब...., एक तरह से, मेरे पास कुछ बुरी खबर है..
मुख्य रूप से उसके लिए जो बाहर से ऑक्सफोर्ड आ रहा है,
वहां पर लोगो को कम आंकना एक मुख्य समस्या है
क्योकि ब्रिटेन से बाहर के लोग कभी कभी..
कल्पना करते है कि दंभ मुख्य तौर पे ब्रिटेन में होने वाली एक घटना है
जो कि वहां के घरों और खिताबों पर छपी हुयी हैं
बुरी खबर यह है कि ये सच नहीं है
दंभ एक वैश्विक घटना है |
हम एक वैश्विक संगठन हैं | यह एक वैश्विक घटना है.
यह मौजूद है | एक मिथ्याभिमानी (झूठा अभिमानी ) क्या है?
एक मिथ्याभिमानी वो है जो आपका एक छोटा सा हिस्सा लेता है
और उसका प्रयोग करके आपकी पूरी छवि बना लेता है
ये दंभ है
और दंभ का प्रमुख प्रकार
जो आज कल मौजूद है , नौकरी की दंभ है
किसी भी पार्टी में आप इससे कुछ ही पलों में रूबरू हो जाते हैं
जब आपसे वो मशहूर और एकलौता प्रश्न पुछा जाता है
२१वी सदी कि शुरुवात का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न.."आप क्या करते हैं?"
और आप इस प्रश्न का किस प्रकार से उत्तर देते हैं उसी अनुसार
लोग या तो आप को देख कर अविश्वनीय रूप से खुश होते हैं
या फिर अपनी घडी में देख कर कुछ बहाना बनाना शुरू कर देते हैं..
(हँसी)
अब एक घमंडी/मिथ्याभिमानी का विपरीत है, आपकी माँ
(हँसी)
जरुरी नहीं है कि आप कि और कहने को मेरी माँ हो..
बल्कि यहाँ हम एक आदर्श माँ कि कल्पना कर रहे हैं
कोई ऐसा जो आपकी उपलब्धियों के बारे में कोई परवाह नहीं करता
लेकिन दुर्भाग्यवश , हर कोई इस दुनिया में माँ जैसा नहीं होता
ज्यादातर लोग एक खास सहसंबंध बनाते है की कितना समय
और यदि आपको पसंद हो , प्यार ,.. प्रसंगयुक्त प्यार नहीं,
हालाँकि वह कुछ भी हो सकता है
लेकिन सामान्य रूप से प्यार , आदर
जो कि वो लोग हमें खुद से दे सकते हैं, उसकी कड़ी परिभाषा
हमारी सामाजिक स्तर से निर्धारित होगी |
और यही एक सबसे बड़ा कारण है जिसकी वजह से हम अपने करियर के बारे में इतना अधिक सोचते हैं
और वास्तव में भौतिक वस्तुओं का इतना ज्यादा ख्याल रखने लगते हैं
आपको मालूम है , हमें अक्सर कहा जाता है की हम भौतिक समय में रह रहे हैं
जहाँ हम सब कि सब लालची हैं
पर मैं ऐसा नहीं सोचता कि हम सभी भौतिकवादी हैं,
बल्कि मुझे ऐसा लगता है कि हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहाँ
हमने अपने आप को कुछ ऐसे भावनात्मक सुखों से जोड़ रखा है
जिसे आप भौतिक वस्तुओं का संग्रह बोल सकते हैं
वास्तविकता में हम ये वस्तुएं नहीं चाहते, बल्कि हम इनके होने से मिलने वाले आदर को चाहते हैं
और ये एक नया तरीका है, विलासी (महंगी) वस्तुओं के हमारे पास होने को देखने का
तो अगली बार अगर आप किसी को फेर्रारी (एक बहुत महंगी कार) चलाते हुए देखें
तो ये न सोचें कि "ये व्यक्ति तो लालची लगता है"
बल्कि सोचें "ये वह व्यक्ति है जो कि अंदर से बहुत अकेला है और इसे प्यार कि बहुत ज्यादा जरुरत hai"
दुसरे शब्दों में --(हँसी)
हमदर्दी रखे , घृणा नहीं .
कुछ और कारण भी हैं
हँसी
कुछ और भी कारण हैं जिसकी वजह से शायद आज ये बहुत मुश्किल है
कि पहले कि तुलना में शांत महसूस कर पाना
इनमे से एक, देखा जाये तो भ्रमित करने वाला है, क्यूंकि यह कुछ अच्छी चीज के साथ जुड़ा हुआ है
और वह है हमारे करियर के लिए हमारी आशाएं
इससे पहले कभी ये आशाएं इतनी ऊँची नहीं रहीं
कि एक इंसान अपने जीवन कल में क्या क्या पा सकता है
हमें कहा जाता है, बहुत सारे स्थानों पर, कि कोई इंसान कुछ भी पा सकता है
हम जातिवाद का अंत कर चुके हैं
अब हम एक ऐसी सभ्यता में हैं जहाँ कोई भी ऊपर उठ सकता है
उस स्थान तक, जिसे वो पसंद करते हैं
और यह एक बहुत ही अच्छा विचार है
और इसके साथ साथ एक समानता का भाव भी है; हम सब वास्तव में एक समान हैं
जहाँ पर कोई भी कड़ाई से लिखा हुआ
पदों का क्रम नहीं है
पर इसके साथ जुडी हुयी एक बड़ी समस्या भी है
और वो समस्या है, ईर्ष्या
इर्ष्या , इर्ष्या की चर्चा करना प्रतिबंधित माना जाता है
परन्तु अगर आज के समाज में कोई प्रमुख भाव बचा है, तो वो भाव ईर्ष्या का है
और यह समानता की भावना से जुड़ा हुआ है , चलिए मैं आपको समझाता हूँ
मुझे लगता है कि यह किसी के भी लिए बहुत असामान्य होगा जो यहाँ पर उपस्तिथ है या इसे देख रहा है .
इंग्लैंड कि महारानी से इर्शयालु होना
हालाँकि वो आप में से किसी कि भी तुलना में बहुत अमीर है.
और उनके पास एक बहुत ही बड़ा घर है.
हम उनसे ईर्ष्या क्यों नहीं करते है ,इसका कारण है क्योंकि वह बहुत अजीब है.
वह बस बहुत अजीब है
हम अपने आप को उन से जोड़ कर नहीं देख पाते,वह बहुत अजीब तरीके से बोलती है.
वह एक विशिष्ट जगह से आयीं हैं
तो हम खुद को उनसे जोड़ कर नहीं देख पाते हैं और जब आप किसी से संबंधित नहीं हो सकते हो, तो आप उन्हें ईर्ष्या नहीं करते हो.
जितना लोग करीब होते हैं , उम्र में,प्रष्ठभूमि में,
पहचानने की प्रक्रिया में ,वहां पर ईर्ष्या का और अधिक खतरा होता है.
संयोग से भी, आप में से किसी को भी,कभी भी,एक स्कूल के छात्रों के पुनर्मिलन के लिए जाना नहीं चाहिए.
क्योंकि वहाँ कोई मजबूत सन्दर्भ बिंदु नहीं है.
उन लोगो के अलावा जो कि आपके साथ स्कूल में पढ़े थे
लेकिन समस्या, आमतौर पर, आधुनिक समाज की है, जो इस पूरी दुनिया को बदल देती है
एक स्कूल में, हर कोई जींस पहन रहा है, हर कोई एक सामान है
लेकिन फिर भी, वो नहीं हैं
तो वहां पर समानता के भाव के साथ एक गहरी असमानता जुडी हुयी है
जो एक बहुत ही तनावपूर्ण स्थिति को पैदा कर सकता है
आजकल के समय में ये शायद असम्भव है
कि कोई उतना ही अमीर और प्रसिद्ध हो पाए जितना कि बिल गेट्स हैं
ऐसा १७ वीं सदी में होने कि संभावना नहीं थी.
कि आप फ्रेंच अभिजात वर्ग के रेंक को स्वीकार करोगे.
लेकिन मुद्दा यह है, कि इसे उस तरह से महसूस नहीं करते हैं
इसे पत्रिकाओं और अन्य मीडिया आउटलेट के द्वारा महसूस कराया जाता है,
यदि आपके पास ऊर्जा और प्रोधोगिकी के बारे में कुछ उज्जवल विचार हैं ,
चाहे वो एक गेराज हो, आप भी कुछ बड़ा शुरू कर सकते हैं
(हँसी)
और इस समस्या के परिणाम स्वरुप खुद को किताबों कि दुकान में महसूस करा रहे हैं
जब आप एक बड़ी किताबों वाली दुकान में जाते हो और स्व-सहायता वाले वर्गों को देखते हो,
जैसा मैं भी कभी कभी करता हूँ,
यदि आप स्व-सहायता वाली उत्पादित कि गयी किताबों का विश्लेषण करते हो
आजकी दुनिया में मूलतः दो प्रकार हैं
पहला प्रकार आपको बताता है , "आप यह कर सकते हो! आप यह बन सकते हो! कुछ भी संभव है!"
दूसरा प्रकार आपको बताता है कि आप कैसे निपट सकते हैं
जिसे हम विनम्रता से कह सकते हैं "आत्म-सम्मान की कमी"
और अविनम्रता से से बोल सकते हैं "अपने बारे में बहुत बुरा महसूस करना"
यहाँ पर एक वास्तविक संबंध है,
एक वास्तविक संबंध एक समाज के बीच में जो कि लोगों को बताता है कि वे कुछ भी कर सकते है
और साथ में, कम आत्म सम्मान का अस्तित्व.
तो यह एक दूसरा तरीका है जिसमें कुछ है जो काफी सकारात्मक है
लेकिन जिसके नतीजे काफी ख़राब हो सकते हैं
कुछ और कारण हैं जिनकी वजह से हो सकता हैं हम बहुत उद्विघन महसूस कर रहे हों
पहले से बहुत ज्यादा , अपने करियर के बारे में, आज कि दुनिया में अपनी स्थिति के बारे में,
और यह, फिरसे किसी अच्छी चीज के साथ जुड़ा हुआ है
और यह अच्छी चीज है जिसे हम मेरिटॉक्रसी (ऐसी स्तिथि जहाँ बुद्धि को सम्मान दिया जाता है- प्रतिभाशाली) कह सकते हैं
सभी लोग, सभी राजनेता बाएँ और दाएँ पर
सहमत है कि meritocracy एक बड़ी बात है,
और हम सभी को अपने समाज को वास्तव में एक प्रतिभाशाली (meritocratic) समाज बनाने की कोशिश करनी चाहिए.
दूसरे शब्दों में, एक "meritocratic" समाज क्या है ?
प्रतिभाशाली (meritocratic) समाज वो है जिसमे
अगर आपके पास प्रतिभा और ऊर्जा और कौशल है,
तो आप बहुत ऊँचाइयों तक जायेंगे, कोई चीज आपको रोक नहीं सकती
यह एक सुंदर विचार है. समस्या यह है,
अगर आप सच में एक ऐसे समाज में विश्वास करते हो
जिसमें अगर किसी में प्रतिभा है, और उसे ऊपर जाना चाहिए, वही ऊपर जाता है
उसी तरीके से, आप को उस समाज में भी भरोसा करना चाहिए, हालाँकि ये काफी बुरा लग सकता है
जहाँ कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो हमेशा बिलकुल नीचे रहने के हकदार हैं
जो नीचे हैं और उन्हें वहीँ रहना चाहिए
दुसरे शब्दों में कहें तो आपका स्थान भी कोई अचंभित करने वाला नहीं है
बल्कि आपकी प्रतिभा के अनुसार है और आप इसके हकदार हैं
और इसी कारण से आपकी असफलता ज्यादा दुखदायी और दर्द देने वाली है
आप जानते हैं , कि मध्य युग में इंग्लैंड में,
जब आप किसी बहुत ही गरीब व्यक्ति से मिलते थे...
उस व्यक्ति को "बदकिस्मत" कहा जाता था
सच में, कोई भी जिसके साथ भाग्य नहीं है, बदकिस्मत है
आजकल, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में,
अगर आप सामाजिक तौर पर किसी निचले तबके के व्यक्ति से मिलते हो
अविनम्र तरीके से उन्हें "लूज़र" (हरा हुआ इन्सान) के नाम से बुलाया जाता है
एक बदकिस्मत और लूज़र में एक बहुत ही प्रमुख अंतर है
और वो अंतर समाज में 400 वर्षों के विकास को दर्शाता है
और हमारा विश्वास कि कौन हमारे ऐसे जीवन के लिए जिम्मेदार है
इसका कारण इश्वर नहीं बल्कि हम खुद हैं, और हम ही इसे आगे बढ़ा रहे हैं
यह सब बहुत ही अच्छा महसूस करने वाला है, अगर आप खुद बहुत अच्छा कर रहे हों
और बहुत ही कुचला हुआ अगर आप बहुत अच्छा नहीं कर रहे हैं, (अपने काम में)
एक समाजशास्त्री के विश्लेषण में, यह सबसे ख़राब मामलों में से एक होता है
Emil Durkheim की तरह, यह आत्महत्या के दर को बढ़ जाने का एक कारण भी होता है
वहाँ विकसित व्यक्तिपरक (अकेले रहना पसंद करने वाले समुदाय) देशों में अधिक लोग आत्महत्या कर रहे है
दुनिया के किसी अन्य भाग में की तुलना में
और इसके कुछ कारण ये भी हैं की लोग जो कुछ भी होता है
उन्हें बहुत ही व्यक्तिगत रूप से अपने ऊपर लेते हैं
वे अपनी सफलता के मालिक है. लेकिन अपनी असफलता के भी वही मालिक है.
क्या इनमे से कुछ दवाबों से कोई राहत मिल सकती है?
जिनकी रूपरेखा मैं यहाँ तैयार कर रहा हूँ?
मुझे लगता है हाँ, और मैं उनमें से कुछ की तरफ जाना चाहता हूं
चलो प्रतिभा (meritocracy) को लेते हैं.
यह विचार जो कहता है, की हर किसी को वो पाना चाहिए जिसका वो हकदार है
मुझे लगता है यह एक पागल विचार है, पूरी तरह से पागल
मैं बाएँ और दाएँ के किसी भी राजनैतिक दल का समर्थन करूँगा,
जिनके पास आधे अधूरे ही सही, पर सभ्य प्रतिभावान विचार हैं
मैं उस अर्थ में एक प्रतिभावान व्यक्ति हूँ
लेकिन मुझे लगता है की ये पागलपन ही होगा की हम कभी भी
एक ऐसा समाज बनाने की कल्पना करें जो सही मायने में प्रतिभाशाली है. यह एक असंभव सपना है
यह विचार है कि हम एक समाज बनायेंगे
जहाँ सचमुच सभी लोग वर्गीकृत है,
अच्छा शीर्ष पर है, और बुरा नीचे है,
और ये बिलकुल ऐसे ही हो, जैसा की इसे होना चाहिए, यह असंभव है
वहां और भी कई आकस्मिक कारक है :
दुर्घटनाएं, जन्म की दुर्घटनाएं,
लोगो के सिर पर गिरने वाली चीजों से दुर्घटनाएं, बीमारियाँ, आदि.
हम उन्हें कभी वर्गीकृत नहीं करेंगे,
और ना ही कभी इंसानों को, जैसा की उन्हें होना चाहिए
मैंने St. Augustine के द्वारा कही कही गयी एक कहावत से बहुत प्रभावित हुआ; "परमेश्वर का शहर "
जहाँ वे कहते है," कि किसी भी आदमी को उसके पद के कारण आंकना , यह एक पाप है "
आधुनिक अंग्रेजी में उसका मतलब होगा
किसी से बात करके उसके बारे में दृष्टिकोण बनाना एक पाप है,
जो कि केवल उनके बिज़नस (व्यावसायिक) कार्ड्स देख कर बनाया जाये
यह पद नहीं है जिसकी गिनती करना चाहिए
St. Augustine के अनुसार,
यह केवल परमेश्वर है जो वास्तव में सभी लोगो को उनकी जगह पर रख सकते है.
और वो ही न्याय के दिन वह करने वाला है
जब ढोल नगाडो और स्वर्ग से आये दूतों के साथ, ये आकाश खुल जायेगा
उन्मुक्त विचार है, अगर तुम एक धर्मनिरपेक्षतावादी व्यक्ति हो, मेरी तरह ,
लेकिन फिर भी, उस विचार में कुछ बहुत ही मूल्यवान है.
अपने आप को थोडा रोकिये जब आप किसी को आंकने का प्रयास करते हैं
हो सकता है आप नहीं जानते हो कि किसी की सच्ची कीमत क्या है
ये उनका एक अज्ञात हिस्सा हो सकता है
और हमें ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए कि हम ये जानते है.
एक और स्त्रोत है जहाँ इन सब से सांत्वना और आराममिल सकता है
जब हम जीवन में असफल होने के बारे में सोचते है, जब हम विफलता के बारे में सोचते है,
इसका एक कारण है की हमें इस बात कर डर नहीं है कि
हमारी कोई आय नहीं रहेगी या कोई स्तिथि नहीं रहेगी
हमें दूसरों के निर्णय और उपहास का डर है, और ये वास्तविकता में है
आप जानते होंगे, उपहास उड़ने का पहली वस्तु
आजकल के समय में , समाचार पत्र है.
और अगर आप सप्ताह के किसी भी दिन अख़बार खोलते है,
यह उन लोगों से भरा है, जो अपने जीवन को ख़राब कर चुके है.
वे गलत व्यक्ति के साथ सोये है. उन्होंने गलत पदार्थ लिया है.
उन्होंने कानून का गलत हिस्सा पारित किया है. यह जो भी है.
पर उपहास उड़ाने के लिए फिट (ठीक) है
दूसरे शब्दों में, वे हार चुके है. और उन्हें" हारे हुए" के रूप में वर्णित किया गया है.
अब, क्या हमारे पास इसके लिए कोई विकल्प है?
मुझे लगता है कि पश्चिमी परंपरा हमें एक शानदार विकल्प दिखाती है.
और वह है..दुर्घटना
दुखद कला, के रूप में, यह प्राचीन यूनान के थिएटरों में विकसित की गयी है.
पांचवी शताब्दी ई. पू. में, अनिवार्य रूप से एक कला
केवल इस बात के लिए समर्पित थी की लोग विफल क्यूं होते हैं
और उनके अनुसार सहानभूति का एक स्तर भी
जो की उन्हें साधारण ज़िन्दगी से शायद नहीं मिल पायेगी
मुझे याद है, कुछ साल पहले मैं इन सब के बारे में सोच रहा था,
और मैं "रविवार खेल" देखने गया था
एक tabloid (खबरों को बड़ा चढ़ा कर लिखने वाले) समाचार पत्र में, जिसे पड़ने को मैं आपको नहीं बोलूँगा
यदि आप पहले से इससे परिचित नहीं रहे है.
मैं उनसे बात करने गया था
पश्चिमी कला कि महान त्रासदियों में से कुछ के बारे में.
मैं देखना चाहता था कि कैसे वे नंगे हड्डियों को जब्त करेंगे
उन कुछ कहानियों की जो समाचार की तरह सामने आएँगी
शनिवार की दोपहर newsdesk पर.
तो उन्हें मैंने ओथेलो (एक प्रसिद्द उपन्यास) के बारे में बताया, उन्होंने इसके बारे में सुना नहीं था, पर वे काफी प्रभावित हुए
(हंसी )
और मैंने उन्हें ओथेलो की कहानी के लिए शीर्षक लिखने को कहा
और उन्होंने लिखा "प्यार में पागल अप्रवासी ने सीनेटर की बेटी को मारा"
पूरा शीर्षक जलते बुझते हुए
मैंने उन्हें महोदया Bovary की कथावस्तु (plotline) दी.
फिर से एक और किताब जिसे खोज कर वे बहुत खुश हुए
और उन्होंने लिखा "धोखाधड़ी के कारण खरीदारी के लिए पागल एक लड़की ने आर्सेनिक (एक प्रकार जा ज़हर) निगला"
हँसी
और अब मेरा पसंदीदा
ये लोग अपने आप में एक तरह से महान लोग होते हैं
मेरा पसंदीदा है "Sophocles ईडिपस राजा"
"Sex With Mum Was Blinding"
हँसी
तालियां
एक तरह से, अगर आपको पसंद हो, सहानभूति के इन रंगों के एक तरफ
आपको tabloid (ख़बरों को बड़ा चढ़ा कर लिखने वाला) अख़बार मिल गया है
और स्पेक्ट्रम के दूसरे छोर पर आपको त्रासदी और दुखद कला मिल गयी है,
और मुझे लगता है, मैं यही बहस कर रहा हूँ, की इनसे हमें कुछ सीखना चाहिए
दुखद कला में क्या हो रहा है, के बारे में.
हेमलेट को हरा हुआ इंसान बोलना पागलपन होगा
वह एक हारा हुआ नहीं है, हालाँकि वह खो चुका है.
और मुझे लगता है कि यह हमारे लिए त्रासदी का सन्देश है,
और क्यों, मुझे लगता है यह तो बहुत, बहुत महत्तवपूर्ण है.
आधुनिक समाज के बारे में अन्य बात
और क्यों यह चिंता का कारण है
यह है कि हमारे पास गैर मानव (मनुष्य से हटकर) के केंद्र में कुछ भी नहीं है
हम ऐसी दुनिया के पहले समाज में रह रहे है
जहाँ हम खुद के अलावा और किसी की भी पूजा नहीं करते है.
हम खुद के लिए बहुत ज्यादा सोचते है और ऐसा करना चाहिए.
हमने लोगों को चाँद पर रखा है. हमने सभी प्रकार के असाधारण काम किये है.
और इसलिए हम खुद को पूजा करते है
मानव हीरो हमारा हीरो है.
यह एक बहुत ही नई स्थिति है.
बहुत से अन्य समाजों के बिलकुल मध्य में
कुछ उत्कृष्ट वस्तुओं की पूजा थी, इश्वर थे
एक भावना थी , एक प्राकृतिक बल था , ब्रहमांड था,
जो कुछ भी ये था, पर कुछ हमेशा ऐसा था जिसकी पूजा होती थी
हम इस आदत को थोडा सा खो चुके है,
जो की, मुझे लगता है, हमने प्रकृति से लिया है
अपने स्वास्थ्य के लिए नहीं, जैसा अधिकतर इसे दिखाया जाता है
पर इसलिए, की ये इंसानों द्वारा बनाये गए परिवेश से भागने का एक रास्ता है
यह हमारे खुद के बीच की प्रतियोगिता से भागने का एक रास्ता है
और हमारे अपने खुद के नाटकों से भी भागने का
और इसलिए हम ग्लेशियरो और महासागरों को देखकर आनंद लेते है
और प्रथ्वी को इसकी परिधि के बाहर देखने के लिए सोचकर, इत्यादि
हम उन वस्तुओ के संपर्क में रहना पसंद करते है जो मानवीय नहीं है,
और वह हमारे लिए बहुत ज्यादा महत्तवपूर्ण है.
मुझे क्या लगता है कि मैं वास्तव में सफलता और विफलता के बारे में बात कर रहा हूँ.
और सफलता के बारे में एक सबसे दिलचस्प (आकर्षित) करने वाली बात है
की हमें लगता है, की ये हम जानते हैं, की इसका मतलब क्या है
यदि मैंने आपसे ये कहा कि वहाँ परदे के पीछे कोई है
जो की बहुत बहुत अधिक सफल है, ये सुनकर कुछ ऐसे विचार तुरंत आपके दिमाग में आयेंगे
जैसे की, उस व्यक्ति ने बहुत पैसा कमाया होगा
या किसी क्षेत्र में बहुत नाम कमाया होगा
मेरी सफलता का अपना सिद्धांत है- और मैं कुछ हूँ
जो सफलता में बहुत रूचि लेते है. मैं वास्तव में सफल बनना चाहता हूँ.
मैं हमेशा सोचता हूँ कि" मैं कैसे और अधिक सफल हो सकता हूँ".
लेकिन जैसे जैसे मैं बड़ा हुआ, मैं उतना ही छोटा रहा
इस बात को समझने में की "सफलता" आखिर में क्या है
यहाँ एक सूक्ष्म बात है सफलता के बारे में, जो की मैंने महसूस की है
आप हर चीज़ में सफल नहीं हो सकते हो.
हम कार्य और जीवन के बीच संतुलन बनाने के लिए कई बातें सुनते हैं
सब बकवास है, तुम सब नहीं पा सकते हो, बस नहीं पा सकते हो!
तो सफलता के लिए चाहे कोई भी दृष्टिकोण हो
उसे यह समझना ही पड़ेगा की खोना क्या है
जहाँ नुकसान होने के तत्व रहते हैं
मुझे लगता है कोई भी बुद्धिमान जीवन इस बात को मानेगा कि
जैसा कि मैं कह रहा हूँ, हमेशा कोई न कोई ऐसी जगह रहेगी, जहाँ सफलता ना मिले
एक सफल जीवन के बारे में जो बात है
वो है, कि बहुत सारा समय, हमारे विचार
इस बारे में कि हम सफलतापूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे हैं या नहीं, हमारे अपने विचार नहीं हैं
वो अन्य लोगो से (को देखकर) लिए गए हैं
मुख्यतः अगर तुम एक आदमी हो,तो तुम्हारे पिता,
और अगर तुम एक औरत हो,तो तुम्हारी माँ,
मनोविश्लेषण से ये बात अस्सी वर्षों में कई बार सामने आ चुकी है
चाहे कोई भी ध्यान से इसे सुन ना रहा हो, पर मुझे लगता है ये वाकई में बिलकुल सच है
और हम बहुत सारी अन्य जगहों से भी सन्देश लेते हैं
टेलीविजन से, लेकर विज्ञापन,
विपणन आदि,
ये सब बहुत ही शक्तिशाली ताकतें हैं
जो यह स्पष्ट करती है कि हम क्या चाहते है और हम खुद को कैसे देखते है.
जब हमें यह बताया गया कि बैंकिंग एक बहुत ही सम्मानित पेशा है
हममे से बहुत से लोग बैंकिंग में जाना चाहते है.
लेकिन जब बैंकिंग इतना सम्मानजनक पेशा नहीं रह गया है, तो हमने बैंकिंग में अपनी रूचि खो दी है.
हम सुझाव के लिए अत्यधिक खुले है.
तो मैं इसके लिए आपसे बहस नहीं करना चाहता हूँ कि हमें यह छोड़ देना चाहिए
सफलता के लिए हमारे खुद के विचार
लेकिन हमें ये पक्का करना होगा कि ये विचार हमारे खुद के हैं
हमें अपने विचारों पर ध्यान देना चाहिए.
और पक्का करना होगा इ हम उनके मालिक हैं
कि हम वास्तव में अपनी महत्वकांक्षाओं के लेखक है.
क्योंकि ये काफी बुरा है,वह ना पाना जो कि आप चाहते हो ,
लेकिन उससे भी अधिक बुरा होना ये है कि
कि आप अपनी यात्रा के अंत में ये पायें
कि ये भी वह सब कुछ नहीं है, जो कि आप चाहते थे
तो अब यहीं पर मैं इसका अंत करने जा रहा हूँ
पर मैं अभी भी जो बात जोर डालके कहना चाहता हूँ
हाँ, सफलता, हर तरह से है .
लेकिन उसके लिए हमें अपने विचारों में से कुछ की विचित्रिता को अपनाना होगा
चलिए, अपने खुद के सफलता के विचारों का विश्लेषण करते हैं
चलिए ये पक्का करते हैं की सफलता के लिए जो विचार हैं, वो हमारे खुद के हैं
बहुत, बहुत धन्यवाद.
(तालियां).
क्रिस एंडरसन: यह बहुत आकर्षक था. आप कैसे सामंजस्य करते है
किसी के होने का यह विचार-
एक हारे हुए आदमी की तरह किसी के बारे में सोचना, यह बुरा है
इस विचार के साथ की बहुत से लोग आपके जीवन का नियंत्रण खुद लेना चाहते हैं
और वह एक समाज है जो उसे प्रोत्साहित करता है
शायद उसमें कुछ सफल और असफल लोगो को होना ही चाहिए
Alain de Botton: हाँ मुझे लगता है कि यह केवल आकस्मिकता है
जीतना और हारना एक प्रक्रिया है जिस पर मैं प्रभाव डालना चाहता था.
क्योंकि आजकल बातों को जोर डालकर कहना बहुत जरुरी है
सब के न्याय पर,
और नेता हमेशा न्याय के बारे में बात करते है.
अब मैं न्याय में एक कठोर आस्तिक हूँ, मुझे बस यही लगता है कि यह असंभव है.
तो हमें वो सब करना चाहिए, जो हम कर सकते है
हमें वो सब करना चाहिए जिसे हम आगे बढ़ा सकते है
लेकिन दिन के अंत में हमें हमेशा याद रखना चाहिए
बाधा जो भी हमारे सामने है और जो कुछ भी उनकी जिंदगियों में हुआ है
जहाँ भाग्य का होना एक बहुत ही मजबूत कारण होगा
और उसी के लिए मैं जगह बनाने की कोशिश कर रहा हूँ
अन्यथा ये काफी छोटा भी हो सकता है
सीए;मेरा मतलब है, कि क्या आपको विश्वास है कि आप संयोजित कर सकते है
आपकी एक दयालु और कोमल सफलता की विचारधारा
एक सफल अर्थव्यवस्था के साथ?
क्या आपको लगता है कि आप नहीं कर सकते हो?
लेकिन इससे उतना फर्क नहीं पड़ता है कि हम उस पर बहुत अधिक जोर डाल रहे है.
AB एक बुरा सपना ही होगा
ये सोचना की लोगो को डरा के काम निकलना सबसे बेहतर तरीका है
और एक तरीके से पर्यावरण भी बहुत कठोर हो जायेगा
जब चुनोतियों का सामना करने के लिए अधिक से अधिक लोग खड़े हो जायेंगे
आप सोचना चाहेंगे, की किसको आप अपने आदर्श पिता की तरह देखते हैं ?
और अगर आपके आदर्श पिता कोई हैं, तो वो बहुत कठोर हैं पर कोमल भी
और ये बहुत ही कठिन परिस्तिथि है बनाने के लिए
हमें पिताजी चाहिए, लेकिन वैसे ही पिताजी जैसे समाज में थे ,जिन्हें दोहराया जा सके
केवल दो चरम संभावनाओं को छोड़कर
जो की एक तरफ सत्तावादी और अनुशासक हो
और दूसरी तरफ, न वह कठोर हो और ना जिनके कोई नियम हो
सीए:Alain de Botton.
AB: आपको बहुत बहुत धन्यवाद्.
(तालियां)