हैंस रोस्लिंग गरीबी की समस्या पर नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं
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0:00 - 0:02मैनें आपको पिछले साल तीन बातें बताई थीं।
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0:02 - 0:05मैने कहा था कि दुनिया के बारे में सांख्यिकीय जानकारी
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0:05 - 0:08सही ढंग से उपलब्ध नहीं कराई गयी है।
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0:08 - 0:10इस कारण से, हम अभी तक पुरानी सोच रखते हैं,
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0:10 - 0:13विकासशील और औद्योगिक देशों के बारे में, जो कि गलत है।
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0:14 - 0:18और यह कि जीवंत चित्रों के ज़रिये इन्हें बेहतर दिखाया जा सकता है।
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0:19 - 0:21चीजें बदल रही हैं।
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0:21 - 0:25और आज, संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी विभाग के होमपेज पर,
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0:25 - 0:28ये लिखा है कि, १ मई तक, सारी जानकारियाँ मुक्त रूप से उपलब्ध होंगी।
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0:30 - 0:33(अभिवादन)
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0:33 - 0:37अगर मैं आपको स्क्रीन पर तस्वीर दिखा सकता।
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0:38 - 0:39तो, तीन बातें होती ।
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0:39 - 0:42संयुक्त राष्ट्र ने अपने आंकडे साझा कर दिये हैं,
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0:42 - 0:46और इस साफ़्टवेयर का नया प्रारूप आ गया है
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0:46 - 0:48इंटरनेट पर, बीटा रूप में,
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0:48 - 0:50जिससे कि आप को इसे डाउनलोड भी नहीं करना पड़े।
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0:51 - 0:53और अब मैं दोहराता हूँ आपने जो पिछले साल देखा था।
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0:53 - 0:54ये गोले देशों को दर्शाते हैं।
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0:54 - 0:58यहाँ है इनकी - पैदावार दर - प्रति स्त्री बच्चों की संख्या --
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0:58 - 1:01और यहाँ है उम्र के वर्ष।
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1:02 - 1:05ये है १९५० का साल - और ये थे औद्योगिक देश,
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1:05 - 1:06ये थे विकासशील देश।
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1:06 - 1:08और उस समय 'हम' और 'वो' का फ़र्क था।
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1:08 - 1:10विश्व में बहुत असमानतायें थीं।
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1:10 - 1:14पर फ़िर वो बदल गया, और काफ़ी ठीक तरह से बदला।
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1:14 - 1:15और फ़िर ऐसा कुछ हुआ।
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1:16 - 1:19आप देख रहे हैं कैसे चीन एक बडा लाल गोला है;
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1:19 - 1:20और ये नीला वाला भारत है।
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1:20 - 1:23और ये सब हो रहा है .... इस साल मैं कोशिश करूँगा
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1:23 - 1:25थोडा संजीदा हो कर आपको दिखा सकूँ
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1:25 - 1:27कि असल में बदलाव आया कैसे।
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1:28 - 1:31और ये है अफ़्रीका, जो कि एक समस्या की तरह यहाँ नीचे पडा है, है न?
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1:31 - 1:34अभी भी बड़े परिवार, और एच.आई.वी. का प्रकोप
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1:34 - 1:36से नीचे जाते देश जैसे ये।
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1:36 - 1:39और पिछले साल हमने लगभग यही देखा था,
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1:39 - 1:41और आगे भविष्य में ये कुछ ऐसा दिखेगा।
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1:42 - 1:44और मैं ये बात करूँगा कि क्या ऐसा संभव है?
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1:44 - 1:47क्योंकि आप देखिये, यहाँ मैं वो आँकडे पेश कर रहा हूँ जो असली नहीं हैं।
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1:48 - 1:50क्योंकि ये है, जहाँ हम असल में हैं।
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1:50 - 1:53क्या ऐसा संभव है कि ये हो जाये?
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1:54 - 1:56मैं यहाँ अपने सारे जीवन की बात करूँगा।
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1:56 - 1:58और मैं सोचता हूँ कि मैं लगभग सौ साल जिऊँगा।
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1:58 - 2:00और हम यहाँ है अभी।
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2:00 - 2:07और आइये देखते हैं कि दुनिया की आर्थिक स्थिति कैसी है।
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2:08 - 2:13और इसे हम बच्चों की मृत्यु के अनुपात में देखेंगे।
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2:13 - 2:14आइये अब धुरियाँ बदलते हैं:
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2:15 - 2:19यहाँ है बच्चों की मृत्यु दर --- यानि --- जीवन ---
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2:19 - 2:21यहाँ चार बच्चे मरते हैं, यहाँ २०० मरते हैं।
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2:22 - 2:24और ये है प्रति व्यक्ति जी.डी.पी. (सकल घरेलू उत्पाद) इस धुरी पर।
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2:25 - 2:28और ये था सन २००७.
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2:28 - 2:32और अगर हम समय में वापस चलें, मैने कुछ ऐतिहासिक आँकडे जोडे हैं --
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2:32 - 2:38यहाँ हम चलते है, चलते है, --- १०० साल पहले के ज्यादा आँकडे है नहीं।
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2:38 - 2:40कुछ देशों में तब भी थे आँकडे।
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2:40 - 2:42और हम गहरे जाते है,
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2:42 - 2:46और अब हम आ चुके है सन १८२० में,
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2:46 - 2:50केवल आस्ट्रिया और स्वीडन के पास ही आँकडे हैं।
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2:50 - 2:53(हँसी)
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2:53 - 2:57और ये लोग बहुत नीचे थे, प्रति व्यक्ति करीब १००० डॉलर प्रति वर्ष पर।
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2:57 - 3:00और लगभर एक-बटा-पाँच बच्चे अपनी पहली सालगिरह भी नहीं देख पाते थे।
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3:01 - 3:04तो ये है सारे विश्व में जो हो रहा है, एक साथ पूरे विश्व को चलाने पर।
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3:04 - 3:07कैसे धीरे धीरे उनकी समृद्धि बढती गयी,
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3:07 - 3:08और कैसे उन्होंने आँकडे जोडे।
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3:08 - 3:10क्या यह बढिया नहीं लगता जब आँकडे आ जाते है?
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3:10 - 3:12इसका महत्व देखा आपने?
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3:12 - 3:14और यहाँ, बच्चे लम्बे समय तक नहीं जीते।
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3:14 - 3:18पिछली शताब्दी, १८७०, बच्चों के लिये यूरोप में अच्छी नहीं थी,
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3:18 - 3:20क्योंकि ये आँकडे ज्यादातर यूरोप से ही हैं।
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3:20 - 3:23शताब्दी ख्त्म होने तक का समय लगा
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3:23 - 3:26९०% से ज्यादा बच्चों को एक साल से ज्यादा जीवित रख पाने में।
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3:26 - 3:29ये भारत उभर रहा है, पहले आँकडॆ आये हैं भारत से।
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3:29 - 3:34और ये है अमरीका, दूर जाते हुए, और पैसे कमाते हुए।
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3:34 - 3:39और अभी दिखेगा चीन बिलकुल सुदूर कोने में।
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3:39 - 3:41और ये माओ-त्से-संग के स्वास्थ के साथ ऊपर उठता है,
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3:41 - 3:42लेकिन रईस नहीं होता।
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3:42 - 3:45फ़िर उनकी मृत्यु होती है, और डेंग जिआओपिंग पैसे लाते हैं,
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3:45 - 3:46और ये यहाँ आ जाता है।
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3:47 - 3:49और गोले ऊपर वहाँ हिलते रहते हैं,
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3:49 - 3:51और ये है जैसा कि आज विश्व दिख रहा है।
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3:51 - 3:57(अभिवादन)
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3:57 - 4:00चलिये अमरीका पर एक नज़र डालते हैं।
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4:00 - 4:03मेरे पास एक तरीका है -- मै दुनिया से कह सकता हूँ, "यहीं रुक जाओ।"
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4:04 - 4:07और मैं अमरीका पर केंद्रित होता हूँ -- हम अभी भी इसका प्रारूप देखना चाहते हैं --
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4:07 - 4:10इन्हें मैं ऐसे लगा देता हूँ, और फ़िर हम समय में वापस जाते हैं।
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4:10 - 4:13और हम देख सकते हैं कि अमरीका
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4:13 - 4:16बिलकुल दाहिनी तरफ़ चला गया है।
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4:16 - 4:18और वो पूरे समय ज्यादा पैसे की तरफ़ हैं।
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4:19 - 4:24और १९१५ में, यहाँ अमरीका भारत का पडोसी था --
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4:25 - 4:27आज के भारत का।
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4:27 - 4:29और इसका मतलब है कि वो ज्यादा रईस था,
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4:29 - 4:33लेकिन वहाँ बच्चों की मौत आज के भारत के मुकाबले ज्यादा थी।
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4:34 - 4:37और ये देखिये -- आज के फ़िलिपींस के मुकाबले।
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4:37 - 4:40आज के फ़िलिपींस की वहीं स्थिति है
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4:41 - 4:43जो कि अमरीका की पहले विश्व-युद्ध के समय थी।
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4:43 - 4:47मगर हमें अमरीका को आगे लाना होगा
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4:47 - 4:50अमरीका के स्वास्थ को पहुँचाने के लिये,
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4:50 - 4:51फ़िलिपींस के स्वास्थ तक।
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4:52 - 4:55करीब १९५७ में, अमरीका का स्वास्थ
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4:55 - 4:57फ़िलिपींस के बराबर आ गया है।
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4:57 - 5:00और यही है इस दुनिया की करामात जिसे कई लोग वैश्वीकरण कहते है कि,
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5:00 - 5:03एशिया, अरब देश, लेटिन अमरीका
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5:03 - 5:08आगे हैं स्वस्थ और शिक्षित
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5:08 - 5:11मानव संसाधनों में, बजाय आर्थिक रूप के।
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5:11 - 5:13और एक गडबड सी है आज जो हो रहा है, उसमें
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5:13 - 5:15खासकर उभरती अर्थ-व्यवस्थाओं में।
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5:15 - 5:19वहाँ सामाजिक लाभ, और सामाजिक प्रगति,
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5:19 - 5:22वित्तीय प्रगति से आगे निकल रही है।
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5:22 - 5:28और १९५७ में -- अमरीका का वित्तीय स्वास्थ आज के चिली जैसा था।
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5:29 - 5:32और अमरीका को हमें कितना आगे लाना होगा
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5:32 - 5:34चिली के आज के स्वास्थ के बराबर आने के लिये?
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5:35 - 5:40मेरे हिसाब से हमें वहाँ जाना होगा - २००१, २००२ ---
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5:40 - 5:42और अमरीका के पास वही स्वास्थ है जो चिली के पास है।
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5:42 - 5:43चिली आगे बढ रहा है।
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5:44 - 5:46कुछ दिनों मे चिली के पास बच्चों के जीने की बेहतर संभवनायें होंगी
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5:46 - 5:48अमरीका के मुकाबले।
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5:48 - 5:51ये बहुत बडा बदलाव है, कि आप के पास
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5:51 - 5:56तीस से चालीस साल का फ़र्क है स्वास्थ के मामले में।
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5:56 - 5:58और स्वास्थ के बाद है शिक्षा।
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5:58 - 6:00और बहुत सारी चीजें हैं मूलभूत सुविधाओं के बारे में,
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6:00 - 6:03और मानव संसाधनों के बारे में।
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6:03 - 6:06अब इसे हटा देते हैं---
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6:06 - 6:10और मैं आपको दिखाना चाहता हूँ
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6:10 - 6:13इस बदलाव की गति, इस की दर, कि कितना तेज सब हुआ है
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6:13 - 6:20हम वापस जाते हैं १९२० में, और मैं जापान को देखना चाहता हूँ।
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6:21 - 6:24और अमरीका और स्वीडन को।
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6:24 - 6:26यहाँ मैं एक दौड दिखाना चाहता हूँ
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6:26 - 6:29इस पीले सी फ़ोर्ड और
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6:29 - 6:31इस लाल टोयोटा के बीच,
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6:31 - 6:33और इस भूरी से वोल्वो के बीच।
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6:33 - 6:35(हँसी)
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6:35 - 6:37और ये हम चलते हैं,
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6:37 - 6:40टोयोटा ने शुरुवात अच्छी नहीं रखी है, आप देख सकते हैं,
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6:40 - 6:43और अमरीका की फ़ोर्ड रोड के बाहर आ रही है।
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6:43 - 6:44और वोल्वो अभी भी ठीक कर रही है।
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6:44 - 6:46ये लडाई का वक्त आ गया है। टोयोटा रास्ते से बाहर हो गयी है, और अब
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6:46 - 6:49टोयोटा फ़िर से स्वीडन के स्वास्थ की तरफ़ आ रही है ---
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6:49 - 6:50आप देख रहे हैं?
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6:50 - 6:51और वो स्वीडन से आगे निकल रहे हैं,
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6:51 - 6:53और अब वो स्वीडन से ज्यादा स्वस्थ हैं।
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6:53 - 6:55यहाँ पर वोल्वो को मैं बेच देता हूँ, और टोयोटा खरीद लेता हूँ।
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6:55 - 6:58(हँसी)
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6:58 - 7:02और अब हम देख सकते हैं कि किस महान गति से जापान आगे बढ रहा है।
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7:02 - 7:04और वो रेस में वापस आ चुके हैं।
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7:04 - 7:06और ये भी बदल रहा है।
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7:06 - 7:09हमें कई पीढियों पर नज़र डालनी होगी इसे समझने के लिये।
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7:09 - 7:14और मैं आपको अपने परिवार का ही इतिहास दिखाता हूँ ---
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7:14 - 7:16हमने ये कुछ ग्राफ़ बनाये हैं।
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7:16 - 7:20और फ़िर वही बात है, यहाँ नीचे पैसे, और वहाँ स्वास्थ, है न?
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7:20 - 7:22और ये है मेरा परिवार।
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7:23 - 7:27ये स्वीडन है, १८३० मे, जब मेरे परदादा की दादी का जन्म हुआ था।
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7:28 - 7:30स्वीडन तब सियरा लियोन की तरह था।
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7:31 - 7:34और ये है जब मेरी परदादी पैदा हुई थी, १८६३।
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7:35 - 7:37और तब स्वीडन मोज़ाम्बिक की तरह था।
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7:37 - 7:39और ये है जब मेरी दादी पैदा हुयी, १८९१।
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7:39 - 7:41और उन्होंने मुझे बचपन में पाला था,
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7:41 - 7:43तो मैं अब सांख्यिकी के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ --
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7:43 - 7:45ये मेरे परिवार का मौखिक इतिहास है।
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7:46 - 7:47और मैं आँकडों में तभी विश्वास करता हूँ
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7:47 - 7:50जब मेरी दादी उन्हें सही करार देती हैं।
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7:50 - 7:53(हँसी)
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7:53 - 7:56मेरे ख्याल से इतिहास के आँकडों को प्रमाणित करने का यह सबसे बेहतर तरीका है।
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7:56 - 7:57स्वीडन घाना के जैसा था।
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7:57 - 8:00ये विशाल अनेकता बहुत ही रोचक है
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8:00 - 8:02सह-सहारन अफ़्रीका के अंदर।
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8:03 - 8:05मैनें आपको पिछले साल बताया था, और मैं अब फ़िर बता रहा हूँ,
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8:05 - 8:08मेरी माँ मिश्र में पैदा हुई थी, और मैं -- मैं क्या हू?
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8:08 - 8:09मैं अपने परिवार का मैक्सिकन हूँ।
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8:10 - 8:12और मेरी बेटी, वो तो चिली में पैदा हुई थी।
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8:12 - 8:14और मेरी पोती सिंगापुर में,
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8:14 - 8:16जो कि पृथ्वी की सबसे स्वस्थ जगह है।
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8:16 - 8:18इस ने स्वीडन को करीब तीन साल पहले पछाड दिया,
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8:18 - 8:20बच्चों के जीने की बेहतर संभावना के साथ।
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8:20 - 8:21मगर वो बहुत छोटी जगह है।
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8:21 - 8:23वो अस्पताल के इतने नज़दीक होते हैं कि
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8:23 - 8:24हम उनसे तेज इन जंगलों में नहीं जा सकते।
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8:24 - 8:27(हँसी)
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8:27 - 8:28मगर जो है सो है,
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8:28 - 8:30तो सिंगापुर ही बेहतर है, कम से कम इस वक्त।
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8:30 - 8:34ये बड़ी अच्छी कहानी जैसा लगता है।
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8:34 - 8:38मगर ये सच में उतना आसान नहीं है;
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8:38 - 8:41क्योंकि अब आपको एक और खासियत दिखाना चाहता हूँ।
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8:41 - 8:46हम किसी एक रंग को किसी खास बात से जोड सकते हैं --
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8:46 - 8:47देखिये मैं क्या चुन रहा हूँ?
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8:47 - 8:51कार्बन-डाई-आक्साइड का निकास, टनों मे, प्रति व्यक्ति।
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8:52 - 8:57ये है १९६२, और अमरीक करीब १६ टन प्रति व्यक्ति छोड रहा है।
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8:57 - 8:59और चीन ०.६,
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8:59 - 9:03और भारत ०.३२ टन प्रति व्यक्ति।
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9:03 - 9:06और अब क्या होगा जब हम आगे बढेंगे?
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9:06 - 9:08देखिये, अब आप देख रहे है अच्छी कहानी रईस होने की
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9:08 - 9:09और स्वस्थ होने की --
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9:09 - 9:14सबने इसे अपना कार्बन डाई आक्साइड रिसाव बढा कर पूरा किया है।
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9:14 - 9:17आज तक ये किसी ने किया है।
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9:17 - 9:20और हमारे पास ताजा आँकडे भी नही है
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9:20 - 9:23क्योंकि ये आजकल काफ़ी कीमती जानकारी है।
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9:23 - 9:25और ये है , सन २००१।
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9:26 - 9:30और एक विचार-गोष्ठी जो मैनें संसार के प्रख्यात नेताओं के साथ की थी,
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9:30 - 9:34उसमें सबने कहा, कि समस्या है उभरती हुई अर्थ-व्यवस्थायें,
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9:34 - 9:37वो बहुत ज्यादा कार्बन डाई आक्साइड छोड रही हैं।
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9:37 - 9:39भारत के पर्यावरण मंत्री ने कहा,
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9:39 - 9:42"असल मे, आप लोगों ने ही समस्या को जन्म दिया है।"
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9:42 - 9:45ओ.ई.सी.डी. देश -- मतलब ऊँची कमाई वाले देश ---
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9:45 - 9:47उन्होंने ने ही पर्यावरण में बदलाव किया है।
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9:48 - 9:50"मगर हम आप को क्षमा करते है, क्योंकि आपको नहीं पता था।
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9:50 - 9:53अब से हम प्रति व्यक्ति गणना करेंगे।
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9:53 - 9:55अब से हम प्रति व्यक्ति ही गणना करेंगे।
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9:55 - 9:58और हर कोई इस प्रति व्यक्ति रिसाव के लिये जिम्मेदार होगा।"
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9:58 - 10:01ये आपको दिखाता है, कि हमने ढंग की आर्थिक तरक्की
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10:01 - 10:03और स्वास्थ तरक्की नहीं की है, दुनिया में कहीं भी
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10:03 - 10:07पर्यावरण को दूषित किये बिना।
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10:08 - 10:10और यही है जिसे बदलना होगा।
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10:11 - 10:14मेरी आलोचना हो सकती है आपको दुनिया का सकारात्मक रूप दिखाने के लिये,
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10:14 - 10:16मगर मुझे लगता है कि मैं सही हूँ।
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10:16 - 10:18विश्व असल में काफ़ी गडबड जगह है।
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10:18 - 10:20इसे हम कहते है डॉलर स्ट्रीट।
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10:20 - 10:22हर कोई इसे गली में रहता है।
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10:22 - 10:25ये यहाँ जो कमाते हैं -- किस नंबर में वो रहते हैं --
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10:25 - 10:26और वो कितना प्रति दिन कमाते हैं।
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10:26 - 10:29ये परिवार प्रति दिन करीब एक डॉलर कमाई करते हैं।
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10:30 - 10:31हम इस गली में आगे बढते हैं,
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10:31 - 10:35यहाँ हमें एक परिवार मिलता है जो करीब ३ डॉलर प्रतिदिन कमाता है।
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10:35 - 10:38और फ़िर हम यहाँ आते है -- हमें गली का पहला बगीचा दिखता है,
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10:38 - 10:40और वो करीब १० से ५० डॉलर प्रतिदिन कमाते हैं।
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10:40 - 10:42और वो रहते कैसे हैं?
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10:42 - 10:45अगर हम बिस्तरों को देखें, तो पायेंगे
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10:45 - 10:48कि ये फ़र्श पर पडी दरी पर सोते हैं।
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10:48 - 10:50ये है गरीबी की रेखा --
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10:50 - 10:53८० प्रतिशत पारिवारिक कमाई केवल बिजली और
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10:53 - 10:55खाने की समस्या निपटाने में चली जाती है।
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10:55 - 10:58ये है दो से पाँच डॉलर की स्थिति, जहाँ आपके पास बिस्तर है।
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10:58 - 11:00और यहाँ एक बेहतर बेडरूम है, आप देख सकते हैं।
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11:01 - 11:03मैनें आइकिया में इस पर लेक्चर दिया था, और वो इसे देखना चाहते थे
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11:03 - 11:05ये सोफ़ा जल्दी से लग जाये।
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11:05 - 11:07(हँसी)
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11:07 - 11:11और ये सोफ़ा, अब ये यहाँ से कैसे आगे बढेगा।
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11:11 - 11:14और रोचक बात ये है , कि जब आप इसमें आगे बढेंगे,
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11:14 - 11:16तो आप देखेंगे कि ये परिवार अभी भी फ़र्श पर ही बैठा है,
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11:16 - 11:18जब कि यहाँ सोफ़ा है।
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11:18 - 11:20अगर आप रसोई देखेंगे, तो आप पायेंगे कि
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11:20 - 11:25औरतों के जीवन में बदलाव महज दस डॉलर में नहीं आता।
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11:25 - 11:27वो आता है इस से आगे, जब आप
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11:27 - 11:30परिवार के लिये अच्छी कार्य-स्थितियाँ पैदा कर सकें।
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11:30 - 11:32और अगर सच में फ़र्क देखना है,
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11:32 - 11:34तो आप टायलट देखें।
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11:34 - 11:36ये बदल सकता है।
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11:36 - 11:39ये तस्वीरें अफ़्रीका की हैं,
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11:39 - 11:41और ये बेहतर हो सकती हैं।
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11:42 - 11:44हम गरीबी से बाहर निकल सकते हैं।
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11:44 - 11:47मेरा अपना शोध आई.टी. या इस से जुडी विधा में नहीं है।
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11:47 - 11:50मैने २० साल बिताये हैं अफ़्रीकन किसानों से बातचीत करते हुये,
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11:50 - 11:53जो कि भुखमरी के कगार पर हैं।
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11:53 - 11:55और ये परिणाम है किसानों की ज़रूरत पर किये गये शोध का।
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11:55 - 11:57इस में आप को ये नहीं पता लगेगा कि
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11:57 - 11:59आखिर शोधकर्ता कौन हैं।
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11:59 - 12:02तब ही जा कर शोध वास्तव में समाज में काम कर सकता है --
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12:02 - 12:04आप को सच में लोगों के साथ रहना होता है।
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12:06 - 12:10जब आप गरीबी से जूझ रहे होते है, बात जिंदगी-मौत की होती है।
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12:10 - 12:12खाना खा पाने का सवाल होता है।
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12:12 - 12:14और ये युवा किसान, अब ये लड़कियाँ हैं --
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12:14 - 12:18क्योंकि माता-पिता एच.आई.वी और एड्स के शिकार हो चुके हैं --
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12:18 - 12:20वो एक प्रशिक्षित कृषि-अर्थ-शास्त्री से विमर्श कर रही हैं।
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12:20 - 12:24ये मालावी से सबसे माने हुए विद हैं, जनताम्बे कुम्बिरा
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12:24 - 12:26और ये विमर्श कर रहे है, कि किस तरह के कसावा इन्हें लगाने चाहिये --
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12:26 - 12:30धूप को भोजन में बदलने में माहिर पौधे।
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12:30 - 12:33और वो बहुत ही ज्यादा उत्सुक हैं सलाह पाने के लिये,
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12:33 - 12:36और गरीबी में भी जिंदा रह पाने में।
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12:36 - 12:37ये एक संदर्भ है।
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12:37 - 12:39गरीबी से बाहर आना।
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12:39 - 12:42एक औरत ने हम से कहा, "हमें तकनीकों की ज़रूरत है।
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12:42 - 12:45हमें इस कंक्रीट से घृणा है, घंटों खडे रहना पसंद नहीं।
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12:45 - 12:48हमें एक चक्की दें जिस से कि हम अपना आटा पीस सकें,
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12:48 - 12:51इस से हम अपने खर्चे उठा सकेंगे।"
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12:51 - 12:54तकनीक आपको गरीबी से बाहर निकाल सकती है,
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12:54 - 12:58मगर गरीबी से बाहर आने के लिये एक बाज़ार की ज़रूरत है।
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12:58 - 13:01ये औरत बहुत खुश है, क्योंकि ये अपने उत्पाद को मार्केट तक पहुँचा सकती है।
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13:01 - 13:03मगर ये धन्यवाद देती है स्कूलों में खर्च हुये सरकारी धन का
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13:03 - 13:06जिस से इसने गिनती सीखी, और इसे अब बाज़ार में कोई धोखा नहीं दे सकता।
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13:06 - 13:09ये चाहती है कि इस का बच्चा स्वस्थ रहे, जिस से कि ये बाजार जा सके
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13:09 - 13:11और इसे घर पर न रहना पडे।
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13:11 - 13:14और उसे एक ढाँचा चाहिये -- पक्की सड़क तो चाहिये ही
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13:14 - 13:16साथ ही ऋण भी चाहिये।
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13:16 - 13:19लघु-ऋण से उसे साइकिल मिली, पता है आपको?
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13:19 - 13:22और ताजा जानकारी से पता लगेगा कि उसे कब बाजार जाना चाहिये और क्या ले कर।
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13:22 - 13:24आप ये कर सकते हैं
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13:24 - 13:27मेरा अफ़्रीका का २० साल का अनुभव ये कहता है कि
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13:27 - 13:30जो असंभव सा लगता है, वो संभव है।
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13:30 - 13:32अफ़्रीका ने कुछ गलती नहीं की है।
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13:32 - 13:35पचास सालों में वो पुरातन स्थितियों से आगे आ कर
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13:35 - 13:38करीब १०० साल पहले के यूरोप जितनी तरक्की कर चुके हैं,
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13:38 - 13:41सही रूप से कार्य कर रहे राष्ट्र सरकार के साथ|
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13:41 - 13:44मेरे ख्याल से सह-सहारन अफ़्रीका ने विश्व में सबसे ज्यादा तरक्की की है,
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13:44 - 13:45पिछले पचास सालों में।
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13:45 - 13:47क्योंकि हम ये भूल जाते हैं कि इन्होंने यात्रा शुरु कहाँ से की।
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13:47 - 13:50ये जो वेवकूफ़ाना तर्क है विकासशील देश नाम का,
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13:50 - 13:53जो कि हमें, और अर्जेंटीना और मोजाम्बिक को पचास साल पहले एक ही जगह रख देता है,
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13:53 - 13:55और कहता है कि मोजाम्बिक नें उतनी तरक्की नहीं की।
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13:56 - 13:58हमें दुनिया के बारे में और समझना पडेगा।
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13:58 - 14:01मेरा एक पडोसी है जो कि २०० तरह की वाइन के बारे में जानता है।
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14:01 - 14:02उसे सब पता है।
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14:02 - 14:04उसे हर अंगूर का नाम, तापमान, और बाकी सब पता है।
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14:04 - 14:07और मुझे दो ही तरह की वाइन पता है - रेड वाइन, और वाइट वाइन।
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14:07 - 14:09(हँसी)
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14:09 - 14:11मगर मेरे पडोसी को सिर्फ़ दो तरह के देशों के बारे में पता है --
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14:11 - 14:13औद्योगिक और विकासशील।
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14:13 - 14:16और मुझे करीब २०० तरह के देश पता है, और मुझे आंकड़े पता हैं।
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14:16 - 14:17मगर आप ऐसा कर सकते हैं।
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14:17 - 14:22(अभिवादन)
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14:22 - 14:24मगर अब संजीदा होना पडेगा। और संजीदा कैसे हों?
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14:24 - 14:26ज़ाहिर है, पावर-पाइंट बना कर, है न?
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14:26 - 14:31(हँसी)
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14:31 - 14:33ऑफ़िस पैकेज को धन्यवाद, है न?
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14:35 - 14:37ये क्या है, मैं आखिर बता क्या रहा हूँ?
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14:37 - 14:40मैं ये बता रहा हूँ कि विकास के कई पहलू हैं।
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14:40 - 14:42हर कोई आपकी प्यारी चीज चाहता है।
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14:42 - 14:45अगर आप कार्पोरेट सेक्टर में है, तो आपको लघु-ऋण पसंद आयेंगे।
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14:45 - 14:47अगर आप गैर-सरकारी संस्था में लड़ाई लड़ रहे हैं,
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14:47 - 14:50तो आपको स्त्री-पुरुष की बराबरी पसंद होगी।
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14:50 - 14:52और अगर आप शिक्षक है, तो आप को यूनेक्सो पसंद होगा, वगैरह।
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14:52 - 14:54पूरे विश्व के हिसाब से, हमें हमारी पसंदीदा चीज से आगे जाना होगा।
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14:54 - 14:56हमें असल में सब कुछ चाहिये।
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14:56 - 14:58ये सारी चीजें विकास के लिये जरूरी हैं,
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14:58 - 15:00खासकर जब आप गरीबी से लडाई की बात करती हैं,
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15:00 - 15:03और आपको सर्व-कल्याण की तरफ़ जाना है।
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15:03 - 15:05अब हमें क्या सोचने की ज़रूरत है
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15:05 - 15:08कि विकास का लक्ष्य आखिर है क्या,
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15:08 - 15:09और विकास का अर्थ क्या है?
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15:09 - 15:12मुझे बताने दीजिये कि 'सबसे ज़रूरी' का क्या अर्थ है?
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15:13 - 15:15पब्लिक-स्वास्थ का प्रोफ़ेसर होने के नाते, आर्थिक सुधार मेरे लिये
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15:15 - 15:19सबसे महत्वपूर्ण है विकास के लिये,
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15:19 - 15:21क्योंकि इस से ८०% प्रतिशत लोगों के जीने के बारे में है।
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15:22 - 15:25शासन प्रणाली. सरकार के चलने के लिये --
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15:25 - 15:29इसी ने कैलीफ़ोर्निया को १८५० से संकट से बाहर निकाला था।
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15:29 - 15:32कानून का राज आखिर कार सरकार ने ही लागू किया था।
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15:33 - 15:35शिक्षा, मानव-संसाधन भी ज़रूरी है।
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15:35 - 15:39स्वास्थ जरूरी है, मगर एक ज़रिये के रूप में शायद नहीं।
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15:39 - 15:41पर्यावरण महत्वपूर्ण है।
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15:41 - 15:43मानवाधिकार भी ज़रूरी है, मगर उसे थोडे कम नंबर मिले हैं।
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15:43 - 15:46लेकिन लक्ष्य क्या है? हम कहाँ जा रहे हैं?
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15:46 - 15:48हम पैसे में रुचि नहीं रखते।
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15:48 - 15:49पैसा लक्ष्य नहीं है।
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15:49 - 15:52वो बहुत बढिया साधन है, मगर लक्ष्य के रूप में उसे जीरो मिलता है।
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15:53 - 15:56शासन-प्रणाली, ठीक है, वोट देना थोडा सा मजेदार है,
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15:56 - 15:58मगर ये भी लक्ष्य नहीं है।
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15:58 - 16:02और स्कूल जाना, नहीं वो भी लक्ष्य नहीं, बल्कि एक साधन है।
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16:02 - 16:04स्वास्थ को मैं दो नंबर दूँगा। स्वस्थ होना तो अच्छा है न।
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16:04 - 16:06खासकर मेरी उम्र में -- अगर आप यहाँ खडे रह सकते है, तो आप स्वस्थ हैं।
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16:06 - 16:08और ये बढिया बात है, तो इसे मिलते हैं दो नंबर।
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16:08 - 16:10पर्यावरण बहुत ही ज्यादा ज़रूरी है।
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16:10 - 16:12आपके पोते-पोतियों के लिये कुछ नहीं बचेगा अगर आप नही कुछ करेंगे।
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16:12 - 16:14मगर ज़रूरी लक्ष्य क्या हैं?
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16:14 - 16:16मानवाधिकार, बेशक।
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16:16 - 16:18मानवाधिकार ही लक्ष्य है,
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16:18 - 16:21मगर ये उतना बडा साधन नहीं है विकास प्राप्त करने का।
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16:22 - 16:26और संस्कृति? संस्कृति सबसे ही ज्यादा जरूरी है, मैं कहूँगा,
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16:26 - 16:28क्योंकि उस से ही तो जीवन में प्रसन्नता आती है।
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16:28 - 16:30जीवन की पूँजी तो वही है न।
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16:30 - 16:33तो देखिये, जो असंभव लगता है, वो संभव है।
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16:33 - 16:35जी हाँ, अफ़्रीकी देश भी इसे पा सकते हैं।
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16:36 - 16:42और मैने आपको दिखाया है कि उन्होंने असंभव को संभव किया है।
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16:42 - 16:46और याद रखियेगा, मेरा मुख्य संदेश,
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16:46 - 16:49जो कि ये है: कि असंभव सा लगने वाला बिलकुल ही संभव है।
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16:49 - 16:51और हम एक अच्छे विश्व की कामना कर सकते हैं।
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16:51 - 16:54मैने आपको दिखाया है, बिल्कुल पावर-पाइंट इस्तेमाल करके,
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16:54 - 17:00और मुझे लगता है कि मैं आपको संस्कृति से भी मनवा लूँगा।
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17:00 - 17:04(हँसी)
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17:04 - 17:05(अभिवादन)
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17:05 - 17:07मेरी तलवार लाइये!
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17:11 - 17:16तलवार निगलने का ये तरीका प्राचीन भारत का है।
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17:16 - 17:21संस्कृति की इस पहचान ने हज़ारों साल तक
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17:21 - 17:27मनुष्य को सहज से आगे सोचने पर मजबूर किया है।
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17:27 - 17:29(हँसी)
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17:29 - 17:34और अब मैं प्रमाण दूँगा कि असंभव को संभव किया जा सकता है
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17:34 - 17:37इस लोहे की तलवार को --- असली लोहे की तलवार को ---
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17:38 - 17:41ये स्वीडन आर्मी की तलवार है, १८५० से,
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17:41 - 17:43जब आखिरी बार हमने युद्ध किया था।
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17:44 - 17:47और ये खालिस लोहा -- सुनिये ध्यान से।
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17:47 - 17:53और मैं इस तलवार को लूँगा
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17:53 - 17:58अपने शरीर के अंदर, माँस और खून से भरे शरीर के अंदर,
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17:58 - 18:02और दिखा दूँगा कि असंभव को भी पाया जा सकता है।
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18:03 - 18:07क्या एक मिनट के लिये सन्नाटा कर सकते हैं?
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18:18 - 18:40(अभिवादन)
- Title:
- हैंस रोस्लिंग गरीबी की समस्या पर नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं
- Speaker:
- Hans Rosling
- Description:
-
शोधकर्ता हैंस रोस्लिंग अपनी विशिष्ट सांख्यिकी तकनीकों द्वारा दिखाते हैं कि कैसे राष्ट्र गरीबी से लड़ रहे हैं। वो डॉलर-स्ट्रीट का नमूना दिखाते हैं, और दुनिया भर की पारिवारिक आमदनी की तुलना करते हैं। और फ़िर वो करते हैं कुछ खास...
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