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ब्रूस शिन्यर: सुरक्षा का भुलावा

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    तो सुरक्षा दो अलग बातें हैं :
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    ये एक तरफ एहसास है और दूसरी तरफ सच्चाई
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    और वो अलग अलग हैं
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    आप सुरक्षित महसूस कर सकते हैं
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    भले ही आप ना हो
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    और आप सुरक्षित हो सकते हैं
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    भले ही आप ऐसा महसूस ना करें
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    सच में हमारे पास दो अलग धारणाये हैं
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    जो कि एक ही शब्द से जुड़े हैं
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    और मैं इस व्याख्यान में इन्हें
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    अलग अलग करना चाहता हूँ
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    ये पता लगाऊं कि वो कब अलग अलग होते हैं
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    और कैसे मिल जाते हैं
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    और भाषा यहाँ पे एक समस्या है|
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    बहुत सारे शब्द उपलब्ध नहीं हैं उन धारणाओ
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    के लिए जिनके बारे में हम बातें करने वाले है|
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    तो अगर आप सुरक्षा के बारे में सोचें
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    आर्थिक रूप में
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    यह चीज़ो को चुनने की दुविधा हैं
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    हर बार जब आपको सुरक्षा मिलेगी,
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    उसके बदले में आप कुछ और दे रहे होंगे
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    चाहे ये आपका व्यक्तिगत निर्णय हो
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    चाहे आप अपने घर में चोरी से बचने वाला अलार्म लगवाने वाले हो,
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    या फिर राष्ट्रीय फैसला जहाँ आप दुसरे देश पे आक्रमण करने वाले हो,
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    उसके बदले में आप कुछ न कुछ दे रहे होंगे |
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    चाहे पैसा हो, समय हो, सहूलियत हो या योग्यता हो
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    या शायद आधारभूत स्वतंत्रता
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    और जो सवाल हमे पूछना चाहिए जब हम सुरक्षा के बारे में सोचते हैं,
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    ये नहीं कि ये हमे सुरक्षित बनाएगा,
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    पर ये कि क्या ये इस लायक हैं कि हम इसके बदले किसी दूसरी चीज़ को दे दे |
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    आपने सुना होगा पिछले कई सालो में,
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    दुनिया सुरक्षित हो गई है क्यूंकि सद्दाम हुस्सेन सत्ता में नहीं हैं
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    ये सच हो सकता है लेकिन पूरी तरह से तर्क संगत नहीं है|
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    सवाल यह कि क्या यह इस योग्य था?
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    और आप खुद के निर्णय ले सकते हैं,
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    और उसके बाद फैसला कर सकते हैं कि क्या ये आक्रमण सही था
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    आप सुरक्षा के बारे में ऐसे सोचते हैं
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    व्यापारिक लेन देन के रूप में
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    अब यहाँ सामान्यत: कोई सही या गलत नहीं होता
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    हमसे कुछ लोगों के यहाँ चोर अलार्म होता हैं
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    कुछ के यहाँ पर नहीं|
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    और ये निर्भर करता है हम कहाँ रहते हैं,
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    क्या हम अकेले रहते हैं या फिर परिवार के साथ,
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    हमारे पास कितने अच्छे अच्छे सामान हैं,
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    हम किस हद तक तैयार हैं
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    चोरी का खतरा उठाने को
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    राजनीति में भी
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    अलग अलग विचार हैं,
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    ज्यादातर समय विनिमय की ये दुविधा
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    सुरक्षा के अलावा दुसरे कारणों से होते हैं,
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    और मैं ये सोचता हूँ कि ये बहुत जरुरी हैं|
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    अब लोगों के पास पाकृतिक ज्ञान हैं
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    इस विनिमय का,
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    हम ये हर दिन करते हैं जैसे कि,
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    कल रात जब मैंने अपने होटल रूम
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    के दरवाजे को दुबारा बंद किया,
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    या आपने अपनी कार में किया जब आप यहाँ पर पहुंचे,
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    या जब हम खाना खाने जाते हैं
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    और सोचते हैं की खाना अच्छा है तो हम खा लेंगे |
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    हम ये विनिमय बार बार करते हैं
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    दिन में कई बार|
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    हम कई बार इन पर ध्यान भी नहीं देते हैं|
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    ये तो बस एक हिस्सा है जीवित होने का, हम सब करते हैं|
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    हर प्रजाति करती हैं|
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    कल्पना कीजिये एक खरगोश मैदान में घास खा रहा हैं,
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    अब अगर खरगोश लोमड़ी को देखता है|
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    तो वो तुरंत एक सुरक्षा विनिमय करेगा,
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    "मैं यहाँ रुकूं?" या "मै यहाँ से भाग जाऊ?"
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    और अगर आप इस बारें में सोचे
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    तो वो खरगोश जो अच्छे होते हैं इस तरह के विनिमय में वो
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    ज्यादा समय तक जिन्दा रहते हैं और प्रजनन करते हैं|
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    और वो खरगोश जो अच्छे नहीं होते हैं वो
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    या तो शिकार बन जाते हैं या भूख से मर जाते हैं|
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    तो अब आप सोचेंगे,
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    कि हम, सफल प्रजाति होने के नाते,
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    आप, मैं, हम सब
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    इस तरह के विनिमय में बहुत अच्छे हैं |
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    ऐसा होने पर भी बार बार प्रतीत होता है,
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    कि हम लोग निराशापूर्ण रूप से अच्छे नहीं हैं|
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    और मैं ये सोचता हूँ कि ये एक आधारभूत रोचक सवाल है|
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    मैं आपको बहुत ही छोटा सा जवाब दूंगा|
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    जवाब यह है कि हम लोग प्रतिक्रिया करते है सुरक्षा की भावना पर
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    ना कि सुरक्षा की सच्चाई पर |
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    हाँ ज्यादातर समय ये काम करती हैं |
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    क्यूंकि ज्यादातर समय
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    सुरक्षा की भावना और सुरक्षा की सच्चाई एक सी ही होती हैं |
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    निश्चित तौर पे ये सच हैं
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    ज्यादातर प्रागतिहासिक मानव के लिए |
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    हमने ये योग्यता विकसित की हैं
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    क्यूंकि ये हमारे विकसित होने से जुड़ी हुई है |
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    एक तरीका ऐसे सोचने का हैं
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    कि हम लोग बहुत ही ज्यादा परिष्कृत हैं
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    ऐसे खतरों से भरे निर्णय लेने में
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    जो छोटे परिवारों में रहने वालो के लिए रोजमर्रा की बात होती थी
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    १०००० इ पूर्व, पूर्वी अफ्रीकन मैदोनो में --
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    २०१० में न्यू योर्क इस तरह का नहीं हैं |
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    अब खतरे को समझना बहुत तरह से पक्षपात पूर्ण है |
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    बहुत सारे अच्छे प्रयोग हुए हैं|
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    और आप देख सकते हैं इस पक्षपात ( झुकाव ) को बार बार आते हुए |
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    तो मैं आपको चार प्रयोग बताऊंगा |
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    हमारा झुकाव होता हैं असाधारण और विरले खतरों को बढ़ा चढ़ा कर बताने की ओर
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    और सामान्य खतरों की अहमियत कम करने की ओर,
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    जैसे हवाई जहाज की अपेक्षा कार का सफ़र |
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    अनजाने खतरों को हम परिचित खतरों से
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    ज्यादा खतरनाक समझते हैं
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    एक उदाहरण हो सकता है
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    कि लोग अनजान लोगो के द्वारा अपहरण से डरते हैं,
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    जबकि आंकड़े बतलाते हैं कि रिश्तेदारों के द्वारा अपहरण होना ज्यादा सामान्य है |
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    यह आंकड़े बच्चो के लिए हैं|
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    तीसरा, खतरे जिन्हें चेहरे दिए गए हो
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    गुमनाम खतरे की अपेक्षा ज्यादा खतरनाक लगते हैं
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    तो बिन लादेन डरावना है क्यूंकि उसका नाम है|
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    और चौथा,
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    लोग खतरों को कम कर के आंकते हैं
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    उन परिस्थितिओ में जिनको वो नियंत्रित कर सकते हैं
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    और बढ़ा चढ़ा कर आंकते है उन परिस्थितिओ में जिनको वो नियंत्रित नहीं कर सकते हैं |
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    तो जब आप स्काय डाइविंग या धुम्रपान के लिए जाते हैं
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    आप खतरों को कम कर के आंकते हैं |
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    अगर आप पर कोई खतरा थोपा जाता हैं जैसे कि आतंकवाद एक अच्छा उदहारण हैं
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    तो आप बढ़ा चढ़ा कर प्रतिक्रिया देते हैं, क्युकि आपको ये आपके नियंत्रण में नहीं लगता हैं |
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    ऐसे ही बहुत सारे पक्षपात करते हैं विशेषतः दिमागी पक्षपात
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    जो हमारे खतरों से जुड़े निर्णयों पर प्रभाव डालते हैं |
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    हमारे पास अपने अनुभव की उपलब्धता हैं
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    जिसका असल में मतलब हैं कि,
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    हम किसी चीज़ के होने की प्रायिकता का अनुमान
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    इस बात से लगाते हैं कि उससे जुड़ी घटनाओ को कितनी सरलता से हम सोच सकते हैं
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    तो आप ये कल्पना कर सकते हैं कि ये कैसे काम करती हैं,
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    जैसे कि अगर आपने बाघों के आक्रमण के बारे में बहुत सुना हैं तो बहुत सारे बाघ आस पास ही होंगे
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    अगर आपने शेरो के आक्रमण के बारे में नहीं सुना है तो बहुत सारे शेर आस पास नही होंगे |
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    यह काम करता हैं जब तक समाचार पत्र इजाद नहीं हुए थे |
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    क्यूंकि समाचार् पत्र जो करते हैं वो ये
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    कि वो बार बार दुहराते हैं
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    विरले खतरों को|
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    मैं लोगो से कहता हूँ कि अगर ये समाचार हैं तो इससे डरने की जरुरत नहीं
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    क्यूंकि परिभाषा से
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    समाचार वो हैं जो ज्यादातर कभी भी घटित नहीं होता|
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    ( हंसी )
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    जब चीज़े इतनी सामान्य हो जाये तो वो समाचार नहीं रह जाती,
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    कार का टकराना, घरेलु हिंसा
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    ये सारे खतरें हैं जिनकी आपको चिंता करनी चाहिए |
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    हम भी कहानी बताने वालों की प्रजाति हैं,
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    हम आंकड़ो की अपेक्षा कहनियों पर ज्यादा प्रतिक्रिया देते हैं
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    और कुछ मूलभूत अज्ञानता अभी भी चल रही हैं |
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    मेरा मतलब हैं कि चुटकुला "एक, दो, तीन और कई" कुछ हद तक सही हैं
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    हम छोटे संख्याओ पर बहुत अच्छे हैं,
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    एक आम, दो आम, तीन आम,
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    १०००० आम, १००००० आम,
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    अभी भी बहुत से आम हैं जिन्हें ख़राब होने के पहले खाया जा सकता है
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    तो १/२ , १/४, १/५ हम इनमे अच्छे हैं |
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    लाखो में एक, करोड़ो में एक
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    ये दोनों लगभग कभी नहीं होते |
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    तो हमे उन खतरों से परेशानी होती हैं
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    जो इतने सामान्य नहीं हैं |
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    और ये दिमागी पक्षपात हमारे और सच्चाई के
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    बीच में छलनी की तरह कार्य करता हैं |
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    और परिणाम ये कि
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    जब अचानक अहसास और सच्चाई बाहर आते हैं
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    तो वो अलग अलग होते हैं|
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    तो अब पहले से ज्यादा सुरक्षित होने का अहसास हो सकता हैं
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    सुरक्षित होने का एक झूठा भाव
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    या फिर दूसरी तरफ
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    असुरक्षित होने का एक झूठा भाव
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    मैंने "सुरक्षित थेअटर" के बारे में बहुत लिखा है
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    जो ऐसे उत्पाद हैं जो लोगों को महसूस कराते हैं कि वो सुरक्षित हैं,
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    जबकि वास्तविकता में वो कुछ नहीं करते |
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    ऐसी चीज़ के लिए कोई भी शब्द नहीं हैं जो हमे सुरक्षित तो करे
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    लेकिन सुरक्षित होने का अहसास ना कराये |
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    शायद हमारे लिए सी. आई. ऐ. का यही काम हैं
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    तो वापस चलते हैं अर्थशास्त्र की तरफ
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    यदि अर्थशास्त्र, यदि बाज़ार, चलाते हैं सुरक्षा को
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    और यदि लोग विनिमय करते हैं
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    अपने सुरक्षित होने के अहसास के आधार पर,
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    तब जो समझदारी भरा काम जो कंपनियां कर सकती हैं,
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    आर्थिक फायदों के लिए
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    वो ये कि वो लोगों को सुरक्षित महसूस कराये |
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    और ये करने के दो तरीके हैं
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    पहला कि आप लोगों को असलियत में सुरक्षित रखे
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    और उम्मीद रखे कि उन्हें पता चले |
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    या दूसरा कि आप लोगों को बस सुरक्षित महसूस कराये
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    और ये उम्मीद रखे कि उन्हें पता नहीं चले |
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    तो ऐसा क्या हैं जिससे लोग को पता चलता हैं?
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    कई चीज़ों से :
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    सुरक्षा की समझ,
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    खतरों की समझ, आतंक की समझ,
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    और उपायों की, वो कैसे काम करते हैं|
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    लेकिन अगर आप चीज़ों को समझते हैं
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    तब ज्यादा सम्भावना हैं कि आपके अहसास सच्चाई के जैसे ही होंगे |
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    पर्याप्त वास्तविक उदहारण मदद करेंगे|
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    अभी हम सब अपने आस पड़ोस में जुर्म की दर जानते हैं,
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    क्यूंकि हम वहां रहते हैं और हमे वहां का अहसास है
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    जो सच्चाई के साथ बिलकुल सही बैठता है |
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    तो सुरक्षा के थेअटर का तब पर्दाफाश हो जाता हैं
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    जब ये साफ़ हो जाये कि ये ठीक से काम नहीं कर रहा |
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    अच्छा तो ऐसा क्या हैं जिससे लोगों को पता नहीं चलता,
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    तंत्र की कम समझ
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    यदि आप खतरों को नहीं समझेंगे तो आप कीमत नहीं समझेंगे
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    और संभवत: गलत विनिमय करेंगे |
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    और आपका अहसास सच्चाई के जैसा नहीं होगा |
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    ज्यादा पर्याप्त उदहारण नहीं हैं |
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    ये कम प्रायिकता वाली घटनायो के साथ
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    एक अंदरूनी समस्या हैं |
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    उदहारण के लिए,
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    आतंकवाद लग भग नहीं के बराबर ही घटित होता है,
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    तो आतंकवाद विरोधी उपायों
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    के प्रभाविकता का आंकलन करना बहुत ही कठिन है |
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    इसीलिए तो आप virgins का बलिदान देते आ रहे हैं
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    और इसीलिए तो आपका unicorn पे आधारित बचाव बहुत अच्छा काम कर रहा है |
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    यहाँ असफलता के बहुत पर्याप्त उदहारण नहीं हैं|
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    साथ ही साथ भावनाए जो धुंधला कर रही हैं, जैसे की ,
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    दिमागी पक्षपात, जिसके बारे में मैंने पहले बात की,
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    डर, स्थानीय विश्वास,
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    वो असल में सच्चाई का एक अपर्याप्त नमूना है |
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    तो मुझे चीज़ों को जटिल बनाने दे |
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    मेरे पास अहसास और सच्चाई हैं |
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    अब मैं एक तीसरा अवयव जोड़ना चाहता हूँ | मैं "नमूना" जोड़ना चाहूँगा |
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    अहसास और नमूना हमारे दिमाग में और
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    सच्चाई बाहर दुनिया में |
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    ये नहीं बदलती हैं, ये सच हैं |
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    तो अहसास हमारे सहज ज्ञान पर आधारित हैं|
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    नमूना तर्क पर आधारित हैं |
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    इन दोनों के बीच में यही मूल भिन्नता हैं |
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    आदिम और सरल दुनिया में
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    नमूने के लिए वास्तविकता में कोई तर्क नहीं है |
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    क्यूंकि अहसास सच्चाई के बहुत करीब है |
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    तो आपको नमूने की जरुरत नहीं है |
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    लेकिन एक नए और जटिल दुनिया में
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    आपको नमूनों की जरुरत हैं -
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    उन खतरों को समझने के लिए जिनका हम सामना करते हैं |
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    जीवाणुओं के लिए हममे कोई अहसास नहीं होता |
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    आपको एक नमूने की जरुरत होगी उन्हें समझने के लिए |
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    तो ये नमूना
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    सच्चाई का एक समझदारी भरा प्रस्तुतीकरण है |
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    ये, बिलकुल बंधा हुआ है विज्ञान से,
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    तकनीक से |
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    जीवाणुओं को देखने के लिए, माइक्रोस्कोप का इजाद होने से पहले
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    हमारे पास बीमारियों के लिए जीवाणु का सिद्धांत नहीं हो सकता था
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    ये बंधा हुआ है हमारे दिमागी पक्षपात से |
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    लेकिन इसके पास योग्यता है कि
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    ये हमारे अहसासों को रद्द कर सकता है |
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    तो ये नमूने हमको कहाँ से मिलेंगे? हमको ये दूसरो से मिलते हैं |
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    हमे धर्मं, संस्कृति, शिक्षक और बड़े बुजुर्गो
  • 10:02 - 10:04
    से ये नमूने मिलते हैं |
  • 10:04 - 10:06
    कुछ साल पहले
  • 10:06 - 10:08
    मैं द. अफ्रीका में जंगल की सैर पर था,
  • 10:08 - 10:11
    मैं जिस शिकारी के साथ था वो क्रूगर राष्ट्रीय पार्क में बड़ा हुआ था,
  • 10:11 - 10:14
    उसके पास जंगल में जीवन को बचाने के बहुत ही जटिल नमूने थे
  • 10:14 - 10:16
    और ये निर्भर करते हैं कि अगर आप पर हमला
  • 10:16 - 10:18
    किसी शेर ने या तेंदुआ ने या गेंडे ने या एक हाथी ने किया हैं --
  • 10:18 - 10:21
    और कब आपको भागना होगा और कब आपको किसी पेड़ पे चढ़ना होगा |
  • 10:21 - 10:23
    जब आप पेड़ पर कभी चढ़ ही नहीं सकते
  • 10:23 - 10:26
    तो मैं वहां एक दिन में मर गया होता,
  • 10:26 - 10:28
    लेकिन वो वहां पैदा हुआ था
  • 10:28 - 10:30
    और वो समझता था कि कैसे जीवित रहा जाए
  • 10:30 - 10:32
    मै न्यू योर्क शहर में पैदा हुआ था,
  • 10:32 - 10:35
    अगर मै उसे अपने साथ यहाँ ले आया होता और वो यहाँ एक दिन में मर गया होता |
  • 10:35 - 10:37
    (हंसी)
  • 10:37 - 10:39
    क्यूंकि हमारे नमूने अलग अलग हैं,
  • 10:39 - 10:42
    जो हमारे अलग अलग अनुभवों पर आधारित है |
  • 10:43 - 10:45
    नमूने संचार के माध्यम से आ सकते हैं
  • 10:45 - 10:48
    हमारे चुने हुए अधिकारीयों से |
  • 10:48 - 10:51
    सोचें जरा आतंकवाद के नमूने को,
  • 10:51 - 10:54
    बच्चो के अपहरण के नमूने को,
  • 10:54 - 10:56
    हवाई जहाज सुरक्षा, कार सुरक्षा,
  • 10:56 - 10:59
    नमूने आ सकते हैं उद्योग से |
  • 10:59 - 11:01
    जो दो मै सोच रहा हूँ वो हैं निगरानी कैमरा
  • 11:01 - 11:03
    और आई. डी. कार्ड्स ,
  • 11:03 - 11:06
    बहुत सारे कंप्यूटर सुरक्षा के नमूने यही से आये हुए हैं |
  • 11:06 - 11:09
    कई नमूने विज्ञान से आये हुए हैं |
  • 11:09 - 11:11
    स्वास्थ्य के नमूने अच्छे उदाहरण हैं |
  • 11:11 - 11:14
    कैंसर, बर्ड फ्लू, स्वीन फ्लू, स.अ.र.स. के बारे में सोचिए |
  • 11:14 - 11:17
    इन बीमारियों के बारे में हमारे
  • 11:17 - 11:19
    सुरक्षा के सारे अहसास
  • 11:19 - 11:21
    उन नमूनों से आते हैं,
  • 11:21 - 11:24
    जो हमे दिए जाते हैं, असल में संचार माध्यम के द्वारा छान हुए विज्ञान से |
  • 11:25 - 11:28
    तो नमूने बदल सकते हैं |
  • 11:28 - 11:30
    नमूने स्थायी नहीं है
  • 11:30 - 11:33
    जैसे जैसे हम अपने वातावरण में ज्यादा आरामदायक महसूस करते हैं,
  • 11:33 - 11:37
    हमारा नमूना हमारे अहसासों के और करीब होता जाता है |
  • 11:38 - 11:40
    तो एक उदहारण हो सकता है,
  • 11:40 - 11:42
    अगर आप १०० साल पीछे जाएँ
  • 11:42 - 11:45
    जब पहली बार बिजली सामान्य हो रही थी,
  • 11:45 - 11:47
    तब इसके बारे में कई डर थे |
  • 11:47 - 11:49
    मेरा मतलब, कई लोग डरते थे दरवाजे की घंटी बजाने से
  • 11:49 - 11:52
    क्यूंकि उसमे बिजली थी और उनके लिए वो खतरनाक थी
  • 11:52 - 11:55
    हमारे लिए बिजली से जुड़ी चीजे बहुत आसान हैं
  • 11:55 - 11:57
    हम बिजली के बल्ब बदलते हैं
  • 11:57 - 11:59
    बिजली के बारे में बिना सोचे हुए |
  • 11:59 - 12:03
    बिजली के लिए हमारा सुरक्षा नमूना
  • 12:03 - 12:06
    कुछ ऐसा है जिसमे हम पैदा हुए हैं |
  • 12:06 - 12:09
    हमारे बड़े होने के साथ यह बदला नहीं है
  • 12:09 - 12:12
    और हम इसमें अच्छे हैं|
  • 12:12 - 12:14
    या सोचिये इन्टरनेट के
  • 12:14 - 12:16
    विभिन्न पीढियों के लिए खतरे के बारे में --
  • 12:16 - 12:18
    आपके परेंट्स इन्टरनेट सुरक्षा के बारे में कैसे सोचते हैं,
  • 12:18 - 12:20
    और आप कैसे सोचते हैं
  • 12:20 - 12:23
    और आपके बच्चे कैसे सोचेंगे |
  • 12:23 - 12:26
    पृष्टभूमि में नमूने आख़िरकार गायब हो जायंगे
  • 12:27 - 12:30
    सहज ज्ञान का दूसरा नाम परिचित होना है|
  • 12:30 - 12:32
    तो अगर नमूना सच्चाई के करीब है
  • 12:32 - 12:34
    और ये हमारे अहसासों से मिल जायेंगे,
  • 12:34 - 12:37
    और जयादातर समय आपको पता भी नहीं चलेगा |
  • 12:37 - 12:39
    तो एक अच्छा उदहारण इसका आता है
  • 12:39 - 12:42
    पिछले साल स्वीन फ्लू से |
  • 12:42 - 12:44
    जब स्वेन फ्लू पहली बार आया
  • 12:44 - 12:48
    तब पहले पहले समाचार ने जरुरत से ज्यादा प्रतिक्रिया पैदा की |
  • 12:48 - 12:50
    अब इसका नाम है
  • 12:50 - 12:52
    जिसने इसको और डरावना बना दिया
  • 12:52 - 12:54
    सामान्य फ्लू से भले ही ये ज्यादा घातक था |
  • 12:54 - 12:58
    और लोगों ने सोचा डाक्टर्स इस लायक है कि वो इसका उपाय ढूंढ़ लेंगे|
  • 12:58 - 13:00
    तो यहाँ पे एक अहसास था की स्थिति नियंत्रण से बाहर है |
  • 13:00 - 13:02
    और इन दोनों चीज़ों
  • 13:02 - 13:04
    ने खतरों को वास्तविकता से बड़ा बना दिया |
  • 13:04 - 13:07
    जैसे जैसे अनूठापन गया, महीने बीतें,
  • 13:07 - 13:09
    सहन करने की क्षमता बढ़ी,
  • 13:09 - 13:11
    और लोगों को इसकी आदत हो गयी
  • 13:11 - 13:14
    अब कोई नए आंकड़े नहीं थे, लेकिन फिर भी डर कम था |
  • 13:14 - 13:16
    शरद ऋतू के आते
  • 13:16 - 13:18
    तक लोंगो ने सोचा कि
  • 13:18 - 13:20
    डाक्टर्स ने इसे सुलझा लिया होगा |
  • 13:20 - 13:22
    और यहाँ एक प्रकार का द्वि विभाजन है,
  • 13:22 - 13:24
    लोगों को चुनना था
  • 13:24 - 13:28
    डर और सच को स्वीकार करने में
  • 13:28 - 13:30
    असल में डर और उदासीनता के बीच में,
  • 13:30 - 13:33
    उन्होंने एक प्रकार से संदेह चुना |
  • 13:33 - 13:36
    और जब पिछले ठण्ड में टीका आया,
  • 13:36 - 13:39
    बहुत से लोग ऐसे थे - बहुत ज्यादा -
  • 13:39 - 13:42
    जिन्होंने टीका लेने से मना कर दिया --
  • 13:43 - 13:45
    एक अच्छा उदहारण
  • 13:45 - 13:48
    लोगों के अहसास कैसे बदलते हैं, नमूने कैसे बदलते हैं,
  • 13:48 - 13:50
    अजीबोगरीब रूप से,
  • 13:50 - 13:52
    कोई नयी सूचना ना होने के बाद भी,
  • 13:52 - 13:54
    कोई नयी सूचना नहीं,
  • 13:54 - 13:57
    ये अक्सर होता है |
  • 13:57 - 14:00
    मैं एक नयी जटिलता देने वाला हूँ,
  • 14:00 - 14:03
    हमारे पास अहसास है, नमूने हैं, सच्चाई हैं |
  • 14:03 - 14:05
    मेरे पास सुरक्षा का परस्पर दृश्य है |
  • 14:05 - 14:08
    मैं सोचता हूँ ये देखने वाले पर निर्भर करता है |
  • 14:08 - 14:10
    और जयादा सुरक्षा निर्णयों में
  • 14:10 - 14:14
    बहुत से लोग शामिल रहते हैं |
  • 14:14 - 14:16
    और भागीदार
  • 14:16 - 14:19
    जिनकी अपनी विनिमय शर्ते हैं
  • 14:19 - 14:21
    निर्णय को प्रभावित करने की कोशिश करते है |
  • 14:21 - 14:23
    और मैं इसके उनका अजेंडा कहता हूँ |
  • 14:23 - 14:25
    और आप देख सकते हैं कि उनका अजेंडा ,
  • 14:25 - 14:28
    ये दुकानदारी, ये राजनीति
  • 14:28 - 14:31
    कोशिश करती रहती है कि आप एक नमूने के ऊपर दुसरे को चुने |
  • 14:31 - 14:33
    कोशिश करते है कि आप एक नमूने को नजर अंदाज करें
  • 14:33 - 14:36
    और अपनी भावनाओं का भरोसा करें,
  • 14:36 - 14:39
    उन लोगों प्रभावहीन करना जो उस नमूने का समर्थन करते हैं जिनको आप नहीं पसंद करते |
  • 14:39 - 14:42
    ये बहुत अनोखा नहीं है |
  • 14:42 - 14:45
    एक उदाहरण, एक बहुत बढ़िया उदाहरण है, धुम्रपान का खतरा |
  • 14:46 - 14:49
    पिछले ५० सालों के इतिहास में, धुम्रपान का खतरा
  • 14:49 - 14:51
    बतलाता है एक नमूना कैसे बदलता है ,
  • 14:51 - 14:54
    और ये भी कि एक उद्योग कैसे लड़ता है
  • 14:54 - 14:56
    एक नमूने से जिसको वो पसंद नहीं करता |
  • 14:56 - 14:59
    उसी पुरानी धूम्रपान की बहस की तुलना में --
  • 14:59 - 15:02
    शायद लगभग २० साल पहले |
  • 15:02 - 15:04
    सीट बेल्ट के बारे में सोचें |
  • 15:04 - 15:06
    जब मैं बच्चा था तब कोई भी सीट बेल्ट नहीं पहनता था |
  • 15:06 - 15:08
    आज कल कोई बच्चा आपको गाडी चलाने नहीं देगा
  • 15:08 - 15:10
    अगर आपने सीट बेल्ट ना लगायी हो तो |
  • 15:11 - 15:13
    एयर बैग की बहस की तुलना में --
  • 15:13 - 15:16
    शायद लग भग ३० साल पहले |
  • 15:16 - 15:19
    सारे उदाहरण नमूनों के बदल रहे है |
  • 15:21 - 15:24
    हमने ये सीखा कि नमूनों को बदलना कठिन है |
  • 15:24 - 15:26
    नमूनों को शक्ति से हटाना कठिन है |
  • 15:26 - 15:28
    अगर वो आपकी भावनाओं के करीब है तो
  • 15:28 - 15:31
    आपको पता भी नहीं चलेगा की आपके पास एक नमूना है|
  • 15:31 - 15:33
    और यहाँ पे एक और दिमागी पक्षपात है,
  • 15:33 - 15:35
    जिसे मैं कहूँगा " सुनिश्चित पक्षपात "
  • 15:35 - 15:38
    जहाँ हम उन आंकड़ो को स्वीकार करते हैं
  • 15:38 - 15:40
    जो हमारे विशवास से मिलते हैं
  • 15:40 - 15:43
    और उन आंकड़ों को अस्वीकार कर देते हैं
  • 15:44 - 15:46
    जो हमारे विश्वासों के खिलाफ होते हैं |
  • 15:46 - 15:49
    संभवत: हम इन्हें नज़र अंदाज़ कर देंगे भले ही वो बहुत सही हो
  • 15:49 - 15:52
    इसको बहुत ही जयादा अकाट्य होना पड़ेगा इसके पहले की हम ध्यान देना शुरू करें |
  • 15:53 - 15:55
    नए नमूने जो इतने लम्बे समय तक चलते हैं वो कठिन होते हैं |
  • 15:55 - 15:57
    ग्लोबल वार्मिंग एक अच्छा उदाहरण है |
  • 15:57 - 15:59
    हम लोग बहुत ही भयानक है
  • 15:59 - 16:01
    ऐसे नमूने में जो ८० साल का है |
  • 16:01 - 16:03
    हम लोग अगली फसल तक ये कर सकते है |
  • 16:03 - 16:06
    हम तब तक ये कर सकते है जब तक हमारे बच्चे बड़े नहीं होते |
  • 16:06 - 16:09
    लेकिन फिर भी ८० सालों के बाद भी हम लोग इसमें अच्छे नहीं है |
  • 16:09 - 16:12
    तो स्वीकार करने के लिए ये एक बहुत ही कठिन नमूना है |
  • 16:12 - 16:16
    हम दोनों नमूनों को अपने दिमाग में एक साथ रख सकते हैं,
  • 16:16 - 16:19
    या उस समस्या को
  • 16:19 - 16:22
    जहाँ हम अपने विश्वास या दिमागी असंगति को
  • 16:22 - 16:24
    एक साथ रख रहे हैं,
  • 16:24 - 16:26
    आखिरकार,
  • 16:26 - 16:29
    नया नमूना पुराने की जगह ले लेगा |
  • 16:29 - 16:32
    मजबूत अहसास एक नमूना बना सकते है |
  • 16:32 - 16:35
    सितम्बर ११ ने एक सुरक्षा नमूना बनाया
  • 16:35 - 16:37
    बहुत सारे लोगों के दिमाग में |
  • 16:37 - 16:40
    जुर्म के साथ खुद के अनुभव भी ये काम कर सकते हैं |
  • 16:40 - 16:42
    खुद के स्वास्थ्य का डर ,
  • 16:42 - 16:44
    समाचारों में स्वास्थ्य का डर |
  • 16:44 - 16:46
    आप देखेंगे की ये "फ्लेश बल्ब " घटनाये कहलाती हैं
  • 16:46 - 16:48
    मनोचिक्त्सिक की भाषा में |
  • 16:48 - 16:51
    वे तुरंत नमूने बना सकते है
  • 16:51 - 16:54
    क्यूंकि वे बहुत ही भावोत्तेजक होते है
  • 16:54 - 16:56
    तो इन तकनिकी दुनिया में
  • 16:56 - 16:58
    हमारे पास अनुभव नहीं होते
  • 16:58 - 17:00
    ताकि हम नमूनों का आंकलन कर सके |
  • 17:00 - 17:02
    और हम दूसरों पे निर्भर रहते हैं | हम प्रतिनिधि पे भरोसा करते हैं |
  • 17:02 - 17:06
    मेरा मतलब ये तब तक काम करता है जब तक ये दूसरो को ठीक करे |
  • 17:06 - 17:08
    हम शासकीय संस्थाओ पे भरोसा करते हैं
  • 17:08 - 17:13
    ये बताने के लिए कि pharmaceuticals सुरक्षित है |
  • 17:13 - 17:15
    मैं कल ही यहाँ हवाई जहाज से आया,
  • 17:15 - 17:17
    मैंने हवाई अड्डे पे जांच नहीं की,
  • 17:17 - 17:19
    मैंने दुसरे समूह पे भरोसा किया,
  • 17:19 - 17:22
    ये पता लगाने के लिए की क्या मेरा जहाज उड़ने के लिए सुरक्षित है |
  • 17:22 - 17:25
    हम लोग यहाँ है, हम में से किसी को भी डर नहीं है कि ये छत हमपे गिर सकती है |
  • 17:25 - 17:28
    इसलिए नहीं की हमने जांच की है
  • 17:28 - 17:30
    लेकिन हम लोग बिलकुल ये जानते है
  • 17:30 - 17:33
    की इमारतों के मानक यहाँ अच्छे है
  • 17:33 - 17:35
    ये एक नमूना है जो हम स्वीकार करते हैं
  • 17:35 - 17:37
    बहुत कुछ बस अपने विश्वास से |
  • 17:37 - 17:40
    और ये सही है |
  • 17:42 - 17:44
    अब हम जो चाहते है
  • 17:44 - 17:46
    वो ये की लोग परिचित हो जाए
  • 17:46 - 17:48
    अच्छे नमूनों से
  • 17:48 - 17:50
    और ऐसे की वो प्रतिबिम्बित हो उनके अहसासों में
  • 17:50 - 17:54
    ताकि वो सुरक्षा के विनिमय कर सके |
  • 17:54 - 17:56
    और जब ऐसा होता है
  • 17:56 - 17:58
    तब आपके पास दो विकल्प होते हैं
  • 17:58 - 18:00
    पहला, आप लोगों के अहसासों को ठीक करें ,
  • 18:00 - 18:02
    सीधे उनके अहसासों पर काम करें |
  • 18:02 - 18:05
    ये हेराफेरी है लेकिन ये काम करती है
  • 18:05 - 18:07
    दूसरी, ज्यादा इमानदार तरीका,
  • 18:07 - 18:10
    ये की आप अपना नमूना ठीक करें |
  • 18:11 - 18:13
    बदलाव धीरे धीरे होता है |
  • 18:13 - 18:16
    धुम्रपान की बहस ने ४० साल लिए
  • 18:16 - 18:19
    और जबकि वो आसान थी |
  • 18:19 - 18:21
    इसमें से कुछ चीज़ें कठिन हैं,
  • 18:21 - 18:23
    मेरा मतलब सच में कठिन,
  • 18:23 - 18:25
    ऐसा लगता है कि सूचना हमारी सबसे बढ़िया उम्मीद है |
  • 18:25 - 18:27
    और मैंने झूठ बोला |
  • 18:27 - 18:29
    याद है जब मैंने कहा भावनाएं, नमूने, सच्चाई |
  • 18:29 - 18:32
    और मैंने कहा था सच्चाई नहीं बदलती है| असल में ये बदलती है |
  • 18:32 - 18:34
    हम तकनिकी दुनिया में रहते हैं ;
  • 18:34 - 18:37
    सच्चाई हर समय बदलती रहती है |
  • 18:37 - 18:40
    तो हम शायद -- पहली बार इस प्रजाति में --
  • 18:40 - 18:43
    भावनाए पीछा करती हैं नमूने का, नमूने पीछा करते हैं सच्चाई का, और सच्चाई भाग रही है --
  • 18:43 - 18:46
    तो वो कभी ना मिल पायें |
  • 18:47 - 18:49
    हम नहीं जानते |
  • 18:49 - 18:51
    लेकिन लम्बे समय में
  • 18:51 - 18:54
    दोनों अहसास और सच्चाई महत्वपूर्ण है |
  • 18:54 - 18:57
    और मैं दो छोटी कहानियों के साथ इसे समाप्त करना चाहूँगा |
  • 18:57 - 18:59
    १९८२ - मैं नहीं जनता लोगों को ये याद भी है या नहीं --
  • 18:59 - 19:02
    एक tylenol विष की छोटी महामारी
  • 19:02 - 19:04
    अमेरिका में फैली थी
  • 19:04 - 19:07
    ये एक भयानक कहानी है| किसी ने एक बोतल ली tylenol
  • 19:07 - 19:10
    की उसमे विष भर दिया, उसे बंद किया, और उसे दराज में वापस रख दिया |
  • 19:10 - 19:12
    किसी और ने उसे खरीदा और मर गया |
  • 19:12 - 19:14
    इसने लोगों को डरा दिया |
  • 19:14 - 19:16
    उसके बाद कई नक़ल हमले हुए |
  • 19:16 - 19:19
    उसमे कोई भी असली खतरा नहीं था लेकिन लोग डरे हुए थे
  • 19:19 - 19:21
    और इस तरह
  • 19:21 - 19:23
    छेड़ छाड़ सुरक्षित drug उद्योग इजाद हुई |
  • 19:23 - 19:25
    छेड़ छाड़ सुरक्षित ढक्कन इसी से आये |
  • 19:25 - 19:27
    ये एक सम्पूर्ण सुरक्षा थेअटर है |
  • 19:27 - 19:29
    गृहकार्य के रूप में इसको हराने के १० तरीके सोचिये |
  • 19:29 - 19:32
    मैंने आपको एक बताता हूँ, एक सुई
  • 19:32 - 19:35
    लेकिन इसने लोगों को सुरक्षित महसूस कराया |
  • 19:35 - 19:37
    इसने उनके सुरक्षित होने के अहसास को
  • 19:37 - 19:39
    और करीब लाया सच्चाई के |
  • 19:39 - 19:42
    आखिरी कहानी, कुछ साल पहले, मेरी एक दोस्त ने बच्चे को जन्म दिया |
  • 19:42 - 19:44
    मैं उससे मिलने हॉस्पिटल गया,
  • 19:44 - 19:46
    मुझे पता चला कि जब बच्ची का जन्म हो गया है तो,
  • 19:46 - 19:48
    उन्होंने एक आर. अफ. आई. दी. कंगन पहना दिया बच्ची को,
  • 19:48 - 19:50
    और एक वैसा ही बच्ची की माँ को
  • 19:50 - 19:52
    ताकि उसको माँ को छोड़कर और कोई बच्ची को बाहर ले जाये तो
  • 19:52 - 19:54
    एक अलार्म बज जायेगा |
  • 19:54 - 19:56
    मैंने कहा अच्छा, ये बढ़िया है |
  • 19:56 - 19:58
    मैं सोचा बच्ची को चुराना नियंत्रण से कितना बाहर है
  • 19:58 - 20:00
    हास्पिटल के बाहर ?
  • 20:00 - 20:02
    मैं घर गया और देखा इसके बारे में |
  • 20:02 - 20:04
    ये असल में कभी हुआ ही नहीं |
  • 20:04 - 20:06
    लेकिन अगर आप इसके बारे में सोचें ,
  • 20:06 - 20:08
    आप हास्पिटल में हैं
  • 20:08 - 20:10
    और आपको बच्ची को माँ से दूर ले जाना हैं
  • 20:10 - 20:12
    दुसरे कमरे में ताकि आप कोई परिक्षण कर सके तो
  • 20:12 - 20:14
    या तो आपके पास कोई अच्छा बेहतर सुरक्षा थेअटर होना चाहिए
  • 20:14 - 20:16
    नहीं तो उसे आपका हाथ काटना पड़ेगा |
  • 20:16 - 20:18
    (हंसी )
  • 20:18 - 20:20
    तो ये हमारे लिए जरुरी हैं,
  • 20:20 - 20:22
    उन लोगों के लिए जो सुरक्षा की रचना करते हैं,
  • 20:22 - 20:25
    जो सुरक्षा के नियमो को देखते हैं ,
  • 20:25 - 20:27
    या बल्कि जो जनता के नियमो को देखते हैं
  • 20:27 - 20:29
    उन तरीको से जिससे ये सुरक्षा पर प्रभाव डालते हैं |
  • 20:29 - 20:32
    ये केवल सच्चाई नहीं हैं ये अहसास और सच्चाई हैं |
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    जो जरुरी हैं वो ये
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    वे एक से रहे |
  • 20:36 - 20:38
    ये जरुरी है अगर हमारे अहसास सच्चाई से मिले
  • 20:38 - 20:40
    तो हम अच्छे सुरक्षा विनिमय कर सकते हैं |
  • 20:40 - 20:42
    धन्यवाद
  • 20:42 - 20:44
    (अभिवादन)
Title:
ब्रूस शिन्यर: सुरक्षा का भुलावा
Speaker:
Bruce Schneier
Description:

सुरक्षा का एहसास और सुरक्षा की हकीकत हमेशा एक सी नहीं होती हैं, ये कहना हैं कंप्यूटर सुरक्षा के विशेषज्ञ ब्रुसे शिन्यर का | TEDxPSU में ये बता रहे हैं की क्यूँ हम करोड़ो खर्चा कर रहे हैं ऐसे समाचारों, कहानियों में जैसे की "सुरक्षा थिअटर" जो कि आज कल स्थानीय हवाई अड्डो में दिखाए जा रहे हैं जबकि हम नजर अंदाज कर रहे हैं ज्यादा संभावित खतरों को जैसे कि "हम इन सुरक्षा के तरीको को कैसे तोड़ सकते हैं |

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
20:44
Gaurav Techlife added a translation

Hindi subtitles

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