ब्रूस शिन्यर: सुरक्षा का भुलावा
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0:00 - 0:02तो सुरक्षा दो अलग बातें हैं :
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0:02 - 0:04ये एक तरफ एहसास है और दूसरी तरफ सच्चाई
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0:04 - 0:06और वो अलग अलग हैं
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0:06 - 0:08आप सुरक्षित महसूस कर सकते हैं
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0:08 - 0:10भले ही आप ना हो
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0:10 - 0:12और आप सुरक्षित हो सकते हैं
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0:12 - 0:14भले ही आप ऐसा महसूस ना करें
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0:14 - 0:16सच में हमारे पास दो अलग धारणाये हैं
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0:16 - 0:18जो कि एक ही शब्द से जुड़े हैं
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0:18 - 0:20और मैं इस व्याख्यान में इन्हें
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0:20 - 0:22अलग अलग करना चाहता हूँ
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0:22 - 0:24ये पता लगाऊं कि वो कब अलग अलग होते हैं
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0:24 - 0:26और कैसे मिल जाते हैं
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0:26 - 0:28और भाषा यहाँ पे एक समस्या है|
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0:28 - 0:30बहुत सारे शब्द उपलब्ध नहीं हैं उन धारणाओ
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0:30 - 0:33के लिए जिनके बारे में हम बातें करने वाले है|
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0:33 - 0:35तो अगर आप सुरक्षा के बारे में सोचें
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0:35 - 0:37आर्थिक रूप में
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0:37 - 0:39यह चीज़ो को चुनने की दुविधा हैं
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0:39 - 0:41हर बार जब आपको सुरक्षा मिलेगी,
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0:41 - 0:43उसके बदले में आप कुछ और दे रहे होंगे
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0:43 - 0:45चाहे ये आपका व्यक्तिगत निर्णय हो
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0:45 - 0:47चाहे आप अपने घर में चोरी से बचने वाला अलार्म लगवाने वाले हो,
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0:47 - 0:50या फिर राष्ट्रीय फैसला जहाँ आप दुसरे देश पे आक्रमण करने वाले हो,
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0:50 - 0:52उसके बदले में आप कुछ न कुछ दे रहे होंगे |
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0:52 - 0:55चाहे पैसा हो, समय हो, सहूलियत हो या योग्यता हो
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0:55 - 0:58या शायद आधारभूत स्वतंत्रता
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0:58 - 1:01और जो सवाल हमे पूछना चाहिए जब हम सुरक्षा के बारे में सोचते हैं,
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1:01 - 1:04ये नहीं कि ये हमे सुरक्षित बनाएगा,
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1:04 - 1:07पर ये कि क्या ये इस लायक हैं कि हम इसके बदले किसी दूसरी चीज़ को दे दे |
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1:07 - 1:09आपने सुना होगा पिछले कई सालो में,
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1:09 - 1:11दुनिया सुरक्षित हो गई है क्यूंकि सद्दाम हुस्सेन सत्ता में नहीं हैं
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1:11 - 1:14ये सच हो सकता है लेकिन पूरी तरह से तर्क संगत नहीं है|
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1:14 - 1:17सवाल यह कि क्या यह इस योग्य था?
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1:17 - 1:20और आप खुद के निर्णय ले सकते हैं,
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1:20 - 1:22और उसके बाद फैसला कर सकते हैं कि क्या ये आक्रमण सही था
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1:22 - 1:24आप सुरक्षा के बारे में ऐसे सोचते हैं
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1:24 - 1:26व्यापारिक लेन देन के रूप में
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1:26 - 1:29अब यहाँ सामान्यत: कोई सही या गलत नहीं होता
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1:29 - 1:31हमसे कुछ लोगों के यहाँ चोर अलार्म होता हैं
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1:31 - 1:33कुछ के यहाँ पर नहीं|
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1:33 - 1:35और ये निर्भर करता है हम कहाँ रहते हैं,
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1:35 - 1:37क्या हम अकेले रहते हैं या फिर परिवार के साथ,
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1:37 - 1:39हमारे पास कितने अच्छे अच्छे सामान हैं,
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1:39 - 1:41हम किस हद तक तैयार हैं
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1:41 - 1:43चोरी का खतरा उठाने को
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1:43 - 1:45राजनीति में भी
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1:45 - 1:47अलग अलग विचार हैं,
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1:47 - 1:49ज्यादातर समय विनिमय की ये दुविधा
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1:49 - 1:51सुरक्षा के अलावा दुसरे कारणों से होते हैं,
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1:51 - 1:53और मैं ये सोचता हूँ कि ये बहुत जरुरी हैं|
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1:53 - 1:55अब लोगों के पास पाकृतिक ज्ञान हैं
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1:55 - 1:57इस विनिमय का,
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1:57 - 1:59हम ये हर दिन करते हैं जैसे कि,
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1:59 - 2:01कल रात जब मैंने अपने होटल रूम
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2:01 - 2:03के दरवाजे को दुबारा बंद किया,
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2:03 - 2:05या आपने अपनी कार में किया जब आप यहाँ पर पहुंचे,
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2:05 - 2:07या जब हम खाना खाने जाते हैं
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2:07 - 2:10और सोचते हैं की खाना अच्छा है तो हम खा लेंगे |
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2:10 - 2:12हम ये विनिमय बार बार करते हैं
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2:12 - 2:14दिन में कई बार|
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2:14 - 2:16हम कई बार इन पर ध्यान भी नहीं देते हैं|
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2:16 - 2:18ये तो बस एक हिस्सा है जीवित होने का, हम सब करते हैं|
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2:18 - 2:21हर प्रजाति करती हैं|
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2:21 - 2:23कल्पना कीजिये एक खरगोश मैदान में घास खा रहा हैं,
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2:23 - 2:26अब अगर खरगोश लोमड़ी को देखता है|
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2:26 - 2:28तो वो तुरंत एक सुरक्षा विनिमय करेगा,
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2:28 - 2:30"मैं यहाँ रुकूं?" या "मै यहाँ से भाग जाऊ?"
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2:30 - 2:32और अगर आप इस बारें में सोचे
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2:32 - 2:35तो वो खरगोश जो अच्छे होते हैं इस तरह के विनिमय में वो
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2:35 - 2:37ज्यादा समय तक जिन्दा रहते हैं और प्रजनन करते हैं|
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2:37 - 2:39और वो खरगोश जो अच्छे नहीं होते हैं वो
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2:39 - 2:41या तो शिकार बन जाते हैं या भूख से मर जाते हैं|
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2:41 - 2:43तो अब आप सोचेंगे,
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2:43 - 2:46कि हम, सफल प्रजाति होने के नाते,
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2:46 - 2:48आप, मैं, हम सब
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2:48 - 2:51इस तरह के विनिमय में बहुत अच्छे हैं |
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2:51 - 2:53ऐसा होने पर भी बार बार प्रतीत होता है,
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2:53 - 2:56कि हम लोग निराशापूर्ण रूप से अच्छे नहीं हैं|
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2:56 - 2:59और मैं ये सोचता हूँ कि ये एक आधारभूत रोचक सवाल है|
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2:59 - 3:01मैं आपको बहुत ही छोटा सा जवाब दूंगा|
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3:01 - 3:03जवाब यह है कि हम लोग प्रतिक्रिया करते है सुरक्षा की भावना पर
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3:03 - 3:06ना कि सुरक्षा की सच्चाई पर |
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3:06 - 3:09हाँ ज्यादातर समय ये काम करती हैं |
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3:10 - 3:12क्यूंकि ज्यादातर समय
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3:12 - 3:15सुरक्षा की भावना और सुरक्षा की सच्चाई एक सी ही होती हैं |
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3:15 - 3:17निश्चित तौर पे ये सच हैं
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3:17 - 3:20ज्यादातर प्रागतिहासिक मानव के लिए |
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3:20 - 3:23हमने ये योग्यता विकसित की हैं
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3:23 - 3:25क्यूंकि ये हमारे विकसित होने से जुड़ी हुई है |
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3:25 - 3:27एक तरीका ऐसे सोचने का हैं
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3:27 - 3:29कि हम लोग बहुत ही ज्यादा परिष्कृत हैं
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3:29 - 3:31ऐसे खतरों से भरे निर्णय लेने में
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3:31 - 3:34जो छोटे परिवारों में रहने वालो के लिए रोजमर्रा की बात होती थी
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3:34 - 3:37१०००० इ पूर्व, पूर्वी अफ्रीकन मैदोनो में --
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3:37 - 3:40२०१० में न्यू योर्क इस तरह का नहीं हैं |
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3:41 - 3:44अब खतरे को समझना बहुत तरह से पक्षपात पूर्ण है |
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3:44 - 3:46बहुत सारे अच्छे प्रयोग हुए हैं|
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3:46 - 3:49और आप देख सकते हैं इस पक्षपात ( झुकाव ) को बार बार आते हुए |
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3:49 - 3:51तो मैं आपको चार प्रयोग बताऊंगा |
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3:51 - 3:54हमारा झुकाव होता हैं असाधारण और विरले खतरों को बढ़ा चढ़ा कर बताने की ओर
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3:54 - 3:56और सामान्य खतरों की अहमियत कम करने की ओर,
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3:56 - 3:59जैसे हवाई जहाज की अपेक्षा कार का सफ़र |
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3:59 - 4:01अनजाने खतरों को हम परिचित खतरों से
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4:01 - 4:04ज्यादा खतरनाक समझते हैं
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4:05 - 4:07एक उदाहरण हो सकता है
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4:07 - 4:10कि लोग अनजान लोगो के द्वारा अपहरण से डरते हैं,
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4:10 - 4:13जबकि आंकड़े बतलाते हैं कि रिश्तेदारों के द्वारा अपहरण होना ज्यादा सामान्य है |
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4:13 - 4:15यह आंकड़े बच्चो के लिए हैं|
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4:15 - 4:18तीसरा, खतरे जिन्हें चेहरे दिए गए हो
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4:18 - 4:21गुमनाम खतरे की अपेक्षा ज्यादा खतरनाक लगते हैं
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4:21 - 4:24तो बिन लादेन डरावना है क्यूंकि उसका नाम है|
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4:24 - 4:26और चौथा,
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4:26 - 4:28लोग खतरों को कम कर के आंकते हैं
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4:28 - 4:30उन परिस्थितिओ में जिनको वो नियंत्रित कर सकते हैं
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4:30 - 4:34और बढ़ा चढ़ा कर आंकते है उन परिस्थितिओ में जिनको वो नियंत्रित नहीं कर सकते हैं |
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4:34 - 4:37तो जब आप स्काय डाइविंग या धुम्रपान के लिए जाते हैं
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4:37 - 4:39आप खतरों को कम कर के आंकते हैं |
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4:39 - 4:42अगर आप पर कोई खतरा थोपा जाता हैं जैसे कि आतंकवाद एक अच्छा उदहारण हैं
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4:42 - 4:45तो आप बढ़ा चढ़ा कर प्रतिक्रिया देते हैं, क्युकि आपको ये आपके नियंत्रण में नहीं लगता हैं |
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4:47 - 4:50ऐसे ही बहुत सारे पक्षपात करते हैं विशेषतः दिमागी पक्षपात
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4:50 - 4:53जो हमारे खतरों से जुड़े निर्णयों पर प्रभाव डालते हैं |
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4:53 - 4:55हमारे पास अपने अनुभव की उपलब्धता हैं
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4:55 - 4:57जिसका असल में मतलब हैं कि,
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4:57 - 5:00हम किसी चीज़ के होने की प्रायिकता का अनुमान
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5:00 - 5:04इस बात से लगाते हैं कि उससे जुड़ी घटनाओ को कितनी सरलता से हम सोच सकते हैं
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5:04 - 5:06तो आप ये कल्पना कर सकते हैं कि ये कैसे काम करती हैं,
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5:06 - 5:09जैसे कि अगर आपने बाघों के आक्रमण के बारे में बहुत सुना हैं तो बहुत सारे बाघ आस पास ही होंगे
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5:09 - 5:12अगर आपने शेरो के आक्रमण के बारे में नहीं सुना है तो बहुत सारे शेर आस पास नही होंगे |
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5:12 - 5:15यह काम करता हैं जब तक समाचार पत्र इजाद नहीं हुए थे |
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5:15 - 5:17क्यूंकि समाचार् पत्र जो करते हैं वो ये
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5:17 - 5:19कि वो बार बार दुहराते हैं
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5:19 - 5:21विरले खतरों को|
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5:21 - 5:23मैं लोगो से कहता हूँ कि अगर ये समाचार हैं तो इससे डरने की जरुरत नहीं
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5:23 - 5:25क्यूंकि परिभाषा से
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5:25 - 5:28समाचार वो हैं जो ज्यादातर कभी भी घटित नहीं होता|
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5:28 - 5:30( हंसी )
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5:30 - 5:33जब चीज़े इतनी सामान्य हो जाये तो वो समाचार नहीं रह जाती,
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5:33 - 5:35कार का टकराना, घरेलु हिंसा
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5:35 - 5:38ये सारे खतरें हैं जिनकी आपको चिंता करनी चाहिए |
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5:38 - 5:40हम भी कहानी बताने वालों की प्रजाति हैं,
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5:40 - 5:43हम आंकड़ो की अपेक्षा कहनियों पर ज्यादा प्रतिक्रिया देते हैं
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5:43 - 5:45और कुछ मूलभूत अज्ञानता अभी भी चल रही हैं |
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5:45 - 5:48मेरा मतलब हैं कि चुटकुला "एक, दो, तीन और कई" कुछ हद तक सही हैं
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5:48 - 5:51हम छोटे संख्याओ पर बहुत अच्छे हैं,
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5:51 - 5:53एक आम, दो आम, तीन आम,
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5:53 - 5:55१०००० आम, १००००० आम,
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5:55 - 5:58अभी भी बहुत से आम हैं जिन्हें ख़राब होने के पहले खाया जा सकता है
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5:58 - 6:01तो १/२ , १/४, १/५ हम इनमे अच्छे हैं |
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6:01 - 6:03लाखो में एक, करोड़ो में एक
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6:03 - 6:06ये दोनों लगभग कभी नहीं होते |
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6:06 - 6:08तो हमे उन खतरों से परेशानी होती हैं
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6:08 - 6:10जो इतने सामान्य नहीं हैं |
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6:10 - 6:12और ये दिमागी पक्षपात हमारे और सच्चाई के
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6:12 - 6:15बीच में छलनी की तरह कार्य करता हैं |
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6:15 - 6:17और परिणाम ये कि
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6:17 - 6:19जब अचानक अहसास और सच्चाई बाहर आते हैं
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6:19 - 6:22तो वो अलग अलग होते हैं|
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6:22 - 6:25तो अब पहले से ज्यादा सुरक्षित होने का अहसास हो सकता हैं
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6:25 - 6:27सुरक्षित होने का एक झूठा भाव
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6:27 - 6:29या फिर दूसरी तरफ
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6:29 - 6:31असुरक्षित होने का एक झूठा भाव
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6:31 - 6:34मैंने "सुरक्षित थेअटर" के बारे में बहुत लिखा है
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6:34 - 6:37जो ऐसे उत्पाद हैं जो लोगों को महसूस कराते हैं कि वो सुरक्षित हैं,
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6:37 - 6:39जबकि वास्तविकता में वो कुछ नहीं करते |
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6:39 - 6:41ऐसी चीज़ के लिए कोई भी शब्द नहीं हैं जो हमे सुरक्षित तो करे
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6:41 - 6:43लेकिन सुरक्षित होने का अहसास ना कराये |
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6:43 - 6:46शायद हमारे लिए सी. आई. ऐ. का यही काम हैं
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6:48 - 6:50तो वापस चलते हैं अर्थशास्त्र की तरफ
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6:50 - 6:54यदि अर्थशास्त्र, यदि बाज़ार, चलाते हैं सुरक्षा को
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6:54 - 6:56और यदि लोग विनिमय करते हैं
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6:56 - 6:59अपने सुरक्षित होने के अहसास के आधार पर,
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6:59 - 7:01तब जो समझदारी भरा काम जो कंपनियां कर सकती हैं,
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7:01 - 7:03आर्थिक फायदों के लिए
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7:03 - 7:06वो ये कि वो लोगों को सुरक्षित महसूस कराये |
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7:06 - 7:09और ये करने के दो तरीके हैं
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7:09 - 7:11पहला कि आप लोगों को असलियत में सुरक्षित रखे
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7:11 - 7:13और उम्मीद रखे कि उन्हें पता चले |
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7:13 - 7:16या दूसरा कि आप लोगों को बस सुरक्षित महसूस कराये
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7:16 - 7:19और ये उम्मीद रखे कि उन्हें पता नहीं चले |
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7:20 - 7:23तो ऐसा क्या हैं जिससे लोग को पता चलता हैं?
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7:23 - 7:25कई चीज़ों से :
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7:25 - 7:27सुरक्षा की समझ,
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7:27 - 7:29खतरों की समझ, आतंक की समझ,
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7:29 - 7:32और उपायों की, वो कैसे काम करते हैं|
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7:32 - 7:34लेकिन अगर आप चीज़ों को समझते हैं
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7:34 - 7:37तब ज्यादा सम्भावना हैं कि आपके अहसास सच्चाई के जैसे ही होंगे |
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7:37 - 7:40पर्याप्त वास्तविक उदहारण मदद करेंगे|
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7:40 - 7:43अभी हम सब अपने आस पड़ोस में जुर्म की दर जानते हैं,
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7:43 - 7:46क्यूंकि हम वहां रहते हैं और हमे वहां का अहसास है
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7:46 - 7:49जो सच्चाई के साथ बिलकुल सही बैठता है |
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7:49 - 7:52तो सुरक्षा के थेअटर का तब पर्दाफाश हो जाता हैं
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7:52 - 7:55जब ये साफ़ हो जाये कि ये ठीक से काम नहीं कर रहा |
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7:55 - 7:59अच्छा तो ऐसा क्या हैं जिससे लोगों को पता नहीं चलता,
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7:59 - 8:01तंत्र की कम समझ
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8:01 - 8:04यदि आप खतरों को नहीं समझेंगे तो आप कीमत नहीं समझेंगे
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8:04 - 8:06और संभवत: गलत विनिमय करेंगे |
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8:06 - 8:09और आपका अहसास सच्चाई के जैसा नहीं होगा |
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8:09 - 8:11ज्यादा पर्याप्त उदहारण नहीं हैं |
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8:11 - 8:13ये कम प्रायिकता वाली घटनायो के साथ
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8:13 - 8:15एक अंदरूनी समस्या हैं |
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8:15 - 8:17उदहारण के लिए,
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8:17 - 8:19आतंकवाद लग भग नहीं के बराबर ही घटित होता है,
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8:19 - 8:21तो आतंकवाद विरोधी उपायों
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8:21 - 8:24के प्रभाविकता का आंकलन करना बहुत ही कठिन है |
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8:25 - 8:28इसीलिए तो आप virgins का बलिदान देते आ रहे हैं
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8:28 - 8:31और इसीलिए तो आपका unicorn पे आधारित बचाव बहुत अच्छा काम कर रहा है |
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8:31 - 8:34यहाँ असफलता के बहुत पर्याप्त उदहारण नहीं हैं|
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8:35 - 8:38साथ ही साथ भावनाए जो धुंधला कर रही हैं, जैसे की ,
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8:38 - 8:40दिमागी पक्षपात, जिसके बारे में मैंने पहले बात की,
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8:40 - 8:43डर, स्थानीय विश्वास,
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8:43 - 8:46वो असल में सच्चाई का एक अपर्याप्त नमूना है |
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8:47 - 8:50तो मुझे चीज़ों को जटिल बनाने दे |
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8:50 - 8:52मेरे पास अहसास और सच्चाई हैं |
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8:52 - 8:55अब मैं एक तीसरा अवयव जोड़ना चाहता हूँ | मैं "नमूना" जोड़ना चाहूँगा |
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8:55 - 8:57अहसास और नमूना हमारे दिमाग में और
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8:57 - 8:59सच्चाई बाहर दुनिया में |
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8:59 - 9:02ये नहीं बदलती हैं, ये सच हैं |
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9:02 - 9:04तो अहसास हमारे सहज ज्ञान पर आधारित हैं|
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9:04 - 9:06नमूना तर्क पर आधारित हैं |
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9:06 - 9:09इन दोनों के बीच में यही मूल भिन्नता हैं |
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9:09 - 9:11आदिम और सरल दुनिया में
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9:11 - 9:14नमूने के लिए वास्तविकता में कोई तर्क नहीं है |
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9:14 - 9:17क्यूंकि अहसास सच्चाई के बहुत करीब है |
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9:17 - 9:19तो आपको नमूने की जरुरत नहीं है |
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9:19 - 9:21लेकिन एक नए और जटिल दुनिया में
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9:21 - 9:23आपको नमूनों की जरुरत हैं -
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9:23 - 9:26उन खतरों को समझने के लिए जिनका हम सामना करते हैं |
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9:27 - 9:29जीवाणुओं के लिए हममे कोई अहसास नहीं होता |
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9:29 - 9:32आपको एक नमूने की जरुरत होगी उन्हें समझने के लिए |
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9:32 - 9:34तो ये नमूना
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9:34 - 9:37सच्चाई का एक समझदारी भरा प्रस्तुतीकरण है |
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9:37 - 9:40ये, बिलकुल बंधा हुआ है विज्ञान से,
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9:40 - 9:42तकनीक से |
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9:42 - 9:45जीवाणुओं को देखने के लिए, माइक्रोस्कोप का इजाद होने से पहले
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9:45 - 9:48हमारे पास बीमारियों के लिए जीवाणु का सिद्धांत नहीं हो सकता था
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9:49 - 9:52ये बंधा हुआ है हमारे दिमागी पक्षपात से |
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9:52 - 9:54लेकिन इसके पास योग्यता है कि
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9:54 - 9:56ये हमारे अहसासों को रद्द कर सकता है |
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9:56 - 9:59तो ये नमूने हमको कहाँ से मिलेंगे? हमको ये दूसरो से मिलते हैं |
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9:59 - 10:02हमे धर्मं, संस्कृति, शिक्षक और बड़े बुजुर्गो
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10:02 - 10:04से ये नमूने मिलते हैं |
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10:04 - 10:06कुछ साल पहले
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10:06 - 10:08मैं द. अफ्रीका में जंगल की सैर पर था,
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10:08 - 10:11मैं जिस शिकारी के साथ था वो क्रूगर राष्ट्रीय पार्क में बड़ा हुआ था,
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10:11 - 10:14उसके पास जंगल में जीवन को बचाने के बहुत ही जटिल नमूने थे
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10:14 - 10:16और ये निर्भर करते हैं कि अगर आप पर हमला
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10:16 - 10:18किसी शेर ने या तेंदुआ ने या गेंडे ने या एक हाथी ने किया हैं --
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10:18 - 10:21और कब आपको भागना होगा और कब आपको किसी पेड़ पे चढ़ना होगा |
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10:21 - 10:23जब आप पेड़ पर कभी चढ़ ही नहीं सकते
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10:23 - 10:26तो मैं वहां एक दिन में मर गया होता,
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10:26 - 10:28लेकिन वो वहां पैदा हुआ था
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10:28 - 10:30और वो समझता था कि कैसे जीवित रहा जाए
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10:30 - 10:32मै न्यू योर्क शहर में पैदा हुआ था,
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10:32 - 10:35अगर मै उसे अपने साथ यहाँ ले आया होता और वो यहाँ एक दिन में मर गया होता |
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10:35 - 10:37(हंसी)
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10:37 - 10:39क्यूंकि हमारे नमूने अलग अलग हैं,
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10:39 - 10:42जो हमारे अलग अलग अनुभवों पर आधारित है |
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10:43 - 10:45नमूने संचार के माध्यम से आ सकते हैं
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10:45 - 10:48हमारे चुने हुए अधिकारीयों से |
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10:48 - 10:51सोचें जरा आतंकवाद के नमूने को,
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10:51 - 10:54बच्चो के अपहरण के नमूने को,
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10:54 - 10:56हवाई जहाज सुरक्षा, कार सुरक्षा,
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10:56 - 10:59नमूने आ सकते हैं उद्योग से |
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10:59 - 11:01जो दो मै सोच रहा हूँ वो हैं निगरानी कैमरा
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11:01 - 11:03और आई. डी. कार्ड्स ,
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11:03 - 11:06बहुत सारे कंप्यूटर सुरक्षा के नमूने यही से आये हुए हैं |
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11:06 - 11:09कई नमूने विज्ञान से आये हुए हैं |
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11:09 - 11:11स्वास्थ्य के नमूने अच्छे उदाहरण हैं |
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11:11 - 11:14कैंसर, बर्ड फ्लू, स्वीन फ्लू, स.अ.र.स. के बारे में सोचिए |
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11:14 - 11:17इन बीमारियों के बारे में हमारे
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11:17 - 11:19सुरक्षा के सारे अहसास
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11:19 - 11:21उन नमूनों से आते हैं,
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11:21 - 11:24जो हमे दिए जाते हैं, असल में संचार माध्यम के द्वारा छान हुए विज्ञान से |
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11:25 - 11:28तो नमूने बदल सकते हैं |
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11:28 - 11:30नमूने स्थायी नहीं है
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11:30 - 11:33जैसे जैसे हम अपने वातावरण में ज्यादा आरामदायक महसूस करते हैं,
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11:33 - 11:37हमारा नमूना हमारे अहसासों के और करीब होता जाता है |
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11:38 - 11:40तो एक उदहारण हो सकता है,
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11:40 - 11:42अगर आप १०० साल पीछे जाएँ
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11:42 - 11:45जब पहली बार बिजली सामान्य हो रही थी,
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11:45 - 11:47तब इसके बारे में कई डर थे |
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11:47 - 11:49मेरा मतलब, कई लोग डरते थे दरवाजे की घंटी बजाने से
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11:49 - 11:52क्यूंकि उसमे बिजली थी और उनके लिए वो खतरनाक थी
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11:52 - 11:55हमारे लिए बिजली से जुड़ी चीजे बहुत आसान हैं
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11:55 - 11:57हम बिजली के बल्ब बदलते हैं
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11:57 - 11:59बिजली के बारे में बिना सोचे हुए |
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11:59 - 12:03बिजली के लिए हमारा सुरक्षा नमूना
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12:03 - 12:06कुछ ऐसा है जिसमे हम पैदा हुए हैं |
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12:06 - 12:09हमारे बड़े होने के साथ यह बदला नहीं है
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12:09 - 12:12और हम इसमें अच्छे हैं|
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12:12 - 12:14या सोचिये इन्टरनेट के
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12:14 - 12:16विभिन्न पीढियों के लिए खतरे के बारे में --
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12:16 - 12:18आपके परेंट्स इन्टरनेट सुरक्षा के बारे में कैसे सोचते हैं,
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12:18 - 12:20और आप कैसे सोचते हैं
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12:20 - 12:23और आपके बच्चे कैसे सोचेंगे |
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12:23 - 12:26पृष्टभूमि में नमूने आख़िरकार गायब हो जायंगे
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12:27 - 12:30सहज ज्ञान का दूसरा नाम परिचित होना है|
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12:30 - 12:32तो अगर नमूना सच्चाई के करीब है
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12:32 - 12:34और ये हमारे अहसासों से मिल जायेंगे,
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12:34 - 12:37और जयादातर समय आपको पता भी नहीं चलेगा |
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12:37 - 12:39तो एक अच्छा उदहारण इसका आता है
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12:39 - 12:42पिछले साल स्वीन फ्लू से |
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12:42 - 12:44जब स्वेन फ्लू पहली बार आया
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12:44 - 12:48तब पहले पहले समाचार ने जरुरत से ज्यादा प्रतिक्रिया पैदा की |
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12:48 - 12:50अब इसका नाम है
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12:50 - 12:52जिसने इसको और डरावना बना दिया
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12:52 - 12:54सामान्य फ्लू से भले ही ये ज्यादा घातक था |
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12:54 - 12:58और लोगों ने सोचा डाक्टर्स इस लायक है कि वो इसका उपाय ढूंढ़ लेंगे|
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12:58 - 13:00तो यहाँ पे एक अहसास था की स्थिति नियंत्रण से बाहर है |
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13:00 - 13:02और इन दोनों चीज़ों
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13:02 - 13:04ने खतरों को वास्तविकता से बड़ा बना दिया |
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13:04 - 13:07जैसे जैसे अनूठापन गया, महीने बीतें,
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13:07 - 13:09सहन करने की क्षमता बढ़ी,
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13:09 - 13:11और लोगों को इसकी आदत हो गयी
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13:11 - 13:14अब कोई नए आंकड़े नहीं थे, लेकिन फिर भी डर कम था |
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13:14 - 13:16शरद ऋतू के आते
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13:16 - 13:18तक लोंगो ने सोचा कि
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13:18 - 13:20डाक्टर्स ने इसे सुलझा लिया होगा |
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13:20 - 13:22और यहाँ एक प्रकार का द्वि विभाजन है,
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13:22 - 13:24लोगों को चुनना था
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13:24 - 13:28डर और सच को स्वीकार करने में
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13:28 - 13:30असल में डर और उदासीनता के बीच में,
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13:30 - 13:33उन्होंने एक प्रकार से संदेह चुना |
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13:33 - 13:36और जब पिछले ठण्ड में टीका आया,
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13:36 - 13:39बहुत से लोग ऐसे थे - बहुत ज्यादा -
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13:39 - 13:42जिन्होंने टीका लेने से मना कर दिया --
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13:43 - 13:45एक अच्छा उदहारण
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13:45 - 13:48लोगों के अहसास कैसे बदलते हैं, नमूने कैसे बदलते हैं,
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13:48 - 13:50अजीबोगरीब रूप से,
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13:50 - 13:52कोई नयी सूचना ना होने के बाद भी,
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13:52 - 13:54कोई नयी सूचना नहीं,
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13:54 - 13:57ये अक्सर होता है |
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13:57 - 14:00मैं एक नयी जटिलता देने वाला हूँ,
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14:00 - 14:03हमारे पास अहसास है, नमूने हैं, सच्चाई हैं |
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14:03 - 14:05मेरे पास सुरक्षा का परस्पर दृश्य है |
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14:05 - 14:08मैं सोचता हूँ ये देखने वाले पर निर्भर करता है |
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14:08 - 14:10और जयादा सुरक्षा निर्णयों में
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14:10 - 14:14बहुत से लोग शामिल रहते हैं |
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14:14 - 14:16और भागीदार
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14:16 - 14:19जिनकी अपनी विनिमय शर्ते हैं
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14:19 - 14:21निर्णय को प्रभावित करने की कोशिश करते है |
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14:21 - 14:23और मैं इसके उनका अजेंडा कहता हूँ |
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14:23 - 14:25और आप देख सकते हैं कि उनका अजेंडा ,
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14:25 - 14:28ये दुकानदारी, ये राजनीति
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14:28 - 14:31कोशिश करती रहती है कि आप एक नमूने के ऊपर दुसरे को चुने |
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14:31 - 14:33कोशिश करते है कि आप एक नमूने को नजर अंदाज करें
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14:33 - 14:36और अपनी भावनाओं का भरोसा करें,
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14:36 - 14:39उन लोगों प्रभावहीन करना जो उस नमूने का समर्थन करते हैं जिनको आप नहीं पसंद करते |
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14:39 - 14:42ये बहुत अनोखा नहीं है |
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14:42 - 14:45एक उदाहरण, एक बहुत बढ़िया उदाहरण है, धुम्रपान का खतरा |
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14:46 - 14:49पिछले ५० सालों के इतिहास में, धुम्रपान का खतरा
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14:49 - 14:51बतलाता है एक नमूना कैसे बदलता है ,
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14:51 - 14:54और ये भी कि एक उद्योग कैसे लड़ता है
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14:54 - 14:56एक नमूने से जिसको वो पसंद नहीं करता |
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14:56 - 14:59उसी पुरानी धूम्रपान की बहस की तुलना में --
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14:59 - 15:02शायद लगभग २० साल पहले |
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15:02 - 15:04सीट बेल्ट के बारे में सोचें |
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15:04 - 15:06जब मैं बच्चा था तब कोई भी सीट बेल्ट नहीं पहनता था |
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15:06 - 15:08आज कल कोई बच्चा आपको गाडी चलाने नहीं देगा
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15:08 - 15:10अगर आपने सीट बेल्ट ना लगायी हो तो |
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15:11 - 15:13एयर बैग की बहस की तुलना में --
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15:13 - 15:16शायद लग भग ३० साल पहले |
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15:16 - 15:19सारे उदाहरण नमूनों के बदल रहे है |
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15:21 - 15:24हमने ये सीखा कि नमूनों को बदलना कठिन है |
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15:24 - 15:26नमूनों को शक्ति से हटाना कठिन है |
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15:26 - 15:28अगर वो आपकी भावनाओं के करीब है तो
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15:28 - 15:31आपको पता भी नहीं चलेगा की आपके पास एक नमूना है|
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15:31 - 15:33और यहाँ पे एक और दिमागी पक्षपात है,
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15:33 - 15:35जिसे मैं कहूँगा " सुनिश्चित पक्षपात "
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15:35 - 15:38जहाँ हम उन आंकड़ो को स्वीकार करते हैं
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15:38 - 15:40जो हमारे विशवास से मिलते हैं
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15:40 - 15:43और उन आंकड़ों को अस्वीकार कर देते हैं
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15:44 - 15:46जो हमारे विश्वासों के खिलाफ होते हैं |
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15:46 - 15:49संभवत: हम इन्हें नज़र अंदाज़ कर देंगे भले ही वो बहुत सही हो
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15:49 - 15:52इसको बहुत ही जयादा अकाट्य होना पड़ेगा इसके पहले की हम ध्यान देना शुरू करें |
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15:53 - 15:55नए नमूने जो इतने लम्बे समय तक चलते हैं वो कठिन होते हैं |
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15:55 - 15:57ग्लोबल वार्मिंग एक अच्छा उदाहरण है |
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15:57 - 15:59हम लोग बहुत ही भयानक है
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15:59 - 16:01ऐसे नमूने में जो ८० साल का है |
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16:01 - 16:03हम लोग अगली फसल तक ये कर सकते है |
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16:03 - 16:06हम तब तक ये कर सकते है जब तक हमारे बच्चे बड़े नहीं होते |
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16:06 - 16:09लेकिन फिर भी ८० सालों के बाद भी हम लोग इसमें अच्छे नहीं है |
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16:09 - 16:12तो स्वीकार करने के लिए ये एक बहुत ही कठिन नमूना है |
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16:12 - 16:16हम दोनों नमूनों को अपने दिमाग में एक साथ रख सकते हैं,
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16:16 - 16:19या उस समस्या को
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16:19 - 16:22जहाँ हम अपने विश्वास या दिमागी असंगति को
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16:22 - 16:24एक साथ रख रहे हैं,
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16:24 - 16:26आखिरकार,
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16:26 - 16:29नया नमूना पुराने की जगह ले लेगा |
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16:29 - 16:32मजबूत अहसास एक नमूना बना सकते है |
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16:32 - 16:35सितम्बर ११ ने एक सुरक्षा नमूना बनाया
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16:35 - 16:37बहुत सारे लोगों के दिमाग में |
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16:37 - 16:40जुर्म के साथ खुद के अनुभव भी ये काम कर सकते हैं |
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16:40 - 16:42खुद के स्वास्थ्य का डर ,
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16:42 - 16:44समाचारों में स्वास्थ्य का डर |
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16:44 - 16:46आप देखेंगे की ये "फ्लेश बल्ब " घटनाये कहलाती हैं
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16:46 - 16:48मनोचिक्त्सिक की भाषा में |
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16:48 - 16:51वे तुरंत नमूने बना सकते है
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16:51 - 16:54क्यूंकि वे बहुत ही भावोत्तेजक होते है
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16:54 - 16:56तो इन तकनिकी दुनिया में
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16:56 - 16:58हमारे पास अनुभव नहीं होते
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16:58 - 17:00ताकि हम नमूनों का आंकलन कर सके |
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17:00 - 17:02और हम दूसरों पे निर्भर रहते हैं | हम प्रतिनिधि पे भरोसा करते हैं |
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17:02 - 17:06मेरा मतलब ये तब तक काम करता है जब तक ये दूसरो को ठीक करे |
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17:06 - 17:08हम शासकीय संस्थाओ पे भरोसा करते हैं
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17:08 - 17:13ये बताने के लिए कि pharmaceuticals सुरक्षित है |
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17:13 - 17:15मैं कल ही यहाँ हवाई जहाज से आया,
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17:15 - 17:17मैंने हवाई अड्डे पे जांच नहीं की,
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17:17 - 17:19मैंने दुसरे समूह पे भरोसा किया,
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17:19 - 17:22ये पता लगाने के लिए की क्या मेरा जहाज उड़ने के लिए सुरक्षित है |
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17:22 - 17:25हम लोग यहाँ है, हम में से किसी को भी डर नहीं है कि ये छत हमपे गिर सकती है |
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17:25 - 17:28इसलिए नहीं की हमने जांच की है
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17:28 - 17:30लेकिन हम लोग बिलकुल ये जानते है
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17:30 - 17:33की इमारतों के मानक यहाँ अच्छे है
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17:33 - 17:35ये एक नमूना है जो हम स्वीकार करते हैं
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17:35 - 17:37बहुत कुछ बस अपने विश्वास से |
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17:37 - 17:40और ये सही है |
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17:42 - 17:44अब हम जो चाहते है
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17:44 - 17:46वो ये की लोग परिचित हो जाए
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17:46 - 17:48अच्छे नमूनों से
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17:48 - 17:50और ऐसे की वो प्रतिबिम्बित हो उनके अहसासों में
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17:50 - 17:54ताकि वो सुरक्षा के विनिमय कर सके |
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17:54 - 17:56और जब ऐसा होता है
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17:56 - 17:58तब आपके पास दो विकल्प होते हैं
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17:58 - 18:00पहला, आप लोगों के अहसासों को ठीक करें ,
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18:00 - 18:02सीधे उनके अहसासों पर काम करें |
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18:02 - 18:05ये हेराफेरी है लेकिन ये काम करती है
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18:05 - 18:07दूसरी, ज्यादा इमानदार तरीका,
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18:07 - 18:10ये की आप अपना नमूना ठीक करें |
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18:11 - 18:13बदलाव धीरे धीरे होता है |
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18:13 - 18:16धुम्रपान की बहस ने ४० साल लिए
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18:16 - 18:19और जबकि वो आसान थी |
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18:19 - 18:21इसमें से कुछ चीज़ें कठिन हैं,
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18:21 - 18:23मेरा मतलब सच में कठिन,
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18:23 - 18:25ऐसा लगता है कि सूचना हमारी सबसे बढ़िया उम्मीद है |
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18:25 - 18:27और मैंने झूठ बोला |
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18:27 - 18:29याद है जब मैंने कहा भावनाएं, नमूने, सच्चाई |
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18:29 - 18:32और मैंने कहा था सच्चाई नहीं बदलती है| असल में ये बदलती है |
-
18:32 - 18:34हम तकनिकी दुनिया में रहते हैं ;
-
18:34 - 18:37सच्चाई हर समय बदलती रहती है |
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18:37 - 18:40तो हम शायद -- पहली बार इस प्रजाति में --
-
18:40 - 18:43भावनाए पीछा करती हैं नमूने का, नमूने पीछा करते हैं सच्चाई का, और सच्चाई भाग रही है --
-
18:43 - 18:46तो वो कभी ना मिल पायें |
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18:47 - 18:49हम नहीं जानते |
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18:49 - 18:51लेकिन लम्बे समय में
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18:51 - 18:54दोनों अहसास और सच्चाई महत्वपूर्ण है |
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18:54 - 18:57और मैं दो छोटी कहानियों के साथ इसे समाप्त करना चाहूँगा |
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18:57 - 18:59१९८२ - मैं नहीं जनता लोगों को ये याद भी है या नहीं --
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18:59 - 19:02एक tylenol विष की छोटी महामारी
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19:02 - 19:04अमेरिका में फैली थी
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19:04 - 19:07ये एक भयानक कहानी है| किसी ने एक बोतल ली tylenol
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19:07 - 19:10की उसमे विष भर दिया, उसे बंद किया, और उसे दराज में वापस रख दिया |
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19:10 - 19:12किसी और ने उसे खरीदा और मर गया |
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19:12 - 19:14इसने लोगों को डरा दिया |
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19:14 - 19:16उसके बाद कई नक़ल हमले हुए |
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19:16 - 19:19उसमे कोई भी असली खतरा नहीं था लेकिन लोग डरे हुए थे
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19:19 - 19:21और इस तरह
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19:21 - 19:23छेड़ छाड़ सुरक्षित drug उद्योग इजाद हुई |
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19:23 - 19:25छेड़ छाड़ सुरक्षित ढक्कन इसी से आये |
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19:25 - 19:27ये एक सम्पूर्ण सुरक्षा थेअटर है |
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19:27 - 19:29गृहकार्य के रूप में इसको हराने के १० तरीके सोचिये |
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19:29 - 19:32मैंने आपको एक बताता हूँ, एक सुई
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19:32 - 19:35लेकिन इसने लोगों को सुरक्षित महसूस कराया |
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19:35 - 19:37इसने उनके सुरक्षित होने के अहसास को
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19:37 - 19:39और करीब लाया सच्चाई के |
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19:39 - 19:42आखिरी कहानी, कुछ साल पहले, मेरी एक दोस्त ने बच्चे को जन्म दिया |
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19:42 - 19:44मैं उससे मिलने हॉस्पिटल गया,
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19:44 - 19:46मुझे पता चला कि जब बच्ची का जन्म हो गया है तो,
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19:46 - 19:48उन्होंने एक आर. अफ. आई. दी. कंगन पहना दिया बच्ची को,
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19:48 - 19:50और एक वैसा ही बच्ची की माँ को
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19:50 - 19:52ताकि उसको माँ को छोड़कर और कोई बच्ची को बाहर ले जाये तो
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19:52 - 19:54एक अलार्म बज जायेगा |
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19:54 - 19:56मैंने कहा अच्छा, ये बढ़िया है |
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19:56 - 19:58मैं सोचा बच्ची को चुराना नियंत्रण से कितना बाहर है
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19:58 - 20:00हास्पिटल के बाहर ?
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20:00 - 20:02मैं घर गया और देखा इसके बारे में |
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20:02 - 20:04ये असल में कभी हुआ ही नहीं |
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20:04 - 20:06लेकिन अगर आप इसके बारे में सोचें ,
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20:06 - 20:08आप हास्पिटल में हैं
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20:08 - 20:10और आपको बच्ची को माँ से दूर ले जाना हैं
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20:10 - 20:12दुसरे कमरे में ताकि आप कोई परिक्षण कर सके तो
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20:12 - 20:14या तो आपके पास कोई अच्छा बेहतर सुरक्षा थेअटर होना चाहिए
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20:14 - 20:16नहीं तो उसे आपका हाथ काटना पड़ेगा |
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20:16 - 20:18(हंसी )
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20:18 - 20:20तो ये हमारे लिए जरुरी हैं,
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20:20 - 20:22उन लोगों के लिए जो सुरक्षा की रचना करते हैं,
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20:22 - 20:25जो सुरक्षा के नियमो को देखते हैं ,
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20:25 - 20:27या बल्कि जो जनता के नियमो को देखते हैं
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20:27 - 20:29उन तरीको से जिससे ये सुरक्षा पर प्रभाव डालते हैं |
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20:29 - 20:32ये केवल सच्चाई नहीं हैं ये अहसास और सच्चाई हैं |
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20:32 - 20:34जो जरुरी हैं वो ये
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20:34 - 20:36वे एक से रहे |
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20:36 - 20:38ये जरुरी है अगर हमारे अहसास सच्चाई से मिले
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20:38 - 20:40तो हम अच्छे सुरक्षा विनिमय कर सकते हैं |
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20:40 - 20:42धन्यवाद
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20:42 - 20:44(अभिवादन)
- Title:
- ब्रूस शिन्यर: सुरक्षा का भुलावा
- Speaker:
- Bruce Schneier
- Description:
-
सुरक्षा का एहसास और सुरक्षा की हकीकत हमेशा एक सी नहीं होती हैं, ये कहना हैं कंप्यूटर सुरक्षा के विशेषज्ञ ब्रुसे शिन्यर का | TEDxPSU में ये बता रहे हैं की क्यूँ हम करोड़ो खर्चा कर रहे हैं ऐसे समाचारों, कहानियों में जैसे की "सुरक्षा थिअटर" जो कि आज कल स्थानीय हवाई अड्डो में दिखाए जा रहे हैं जबकि हम नजर अंदाज कर रहे हैं ज्यादा संभावित खतरों को जैसे कि "हम इन सुरक्षा के तरीको को कैसे तोड़ सकते हैं |
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 20:44