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अमन कैसे रखे ?ग़ुस्सा प्रकट करके

  • 0:01 - 0:06
    आज मैं आपसे क्रोध के बारे
    में बात करना चाहता हूँ
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    जब मैं ग्यारह साल का था
  • 0:11 - 0:14
    मेरे कुछ दोस्तों को स्कूल छोड़ना पड़ा
  • 0:14 - 0:19
    क्यूंकि उनके माँ-बाप स्कूल की किताबें
    नहीं खरीद सकते थे
  • 0:19 - 0:21
    मुझे ये देख के बहुत क्रोध आया
  • 0:23 - 0:26
    जब मैं २७ साल का था
  • 0:26 - 0:31
    एक बंधुआ मजदूर की दुर्दशा सुनकर,
  • 0:31 - 0:36
    जिसकी बेटी को वेश्यालय को बेचा जा रहा था,
  • 0:36 - 0:39
    मुझे बहुत क्रोध आया
  • 0:40 - 0:43
    ५० साल की उम्र में
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    जब मैं सड़क पर खून में लथपथ पड़ा था
  • 0:48 - 0:51
    अपने बेटे के साथ
  • 0:51 - 0:53
    तब मुझे बहुत क्रोध आया
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    दोस्तों, हमे सदियों से बताया गया है
    की क्रोध करना गलत है
  • 1:01 - 1:03
    हमारे माता पिता, गुरु और सज्जनों
  • 1:03 - 1:09
    सबने सिखाया है की अपने क्रोध को दबाओ
  • 1:12 - 1:14
    मैं पूछता हूँ आखिर क्यों ?
  • 1:16 - 1:21
    क्यों हम अपने क्रोध को समाज के
    भले के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते
  • 1:21 - 1:22
    क्यों हम अपने क्रोध का इस्तेमाल
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    सामाजिक बुराइयाँ मिटाने में नहीं कर सकते
  • 1:30 - 1:32
    मैंने ये करने की कोशिश की
  • 1:34 - 1:36
    दोस्तों,
  • 1:37 - 1:43
    मेरे सबसे प्रभावी विचार
    मेरे क्रोध में से निकल कर आये
  • 1:44 - 1:54
    उदाहरणार्थ, जब मैं ३५ साल का था,
    एक छोटी सी जेल में बंद रहा रात भर
  • 1:55 - 1:57
    मुझे सारी रात बहुत गुस्सा आया
  • 1:58 - 2:01
    मगर उससे एक नयी सोच मिली
  • 2:01 - 2:04
    उस पर मैं बाद में आऊंगा
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    आज मैं आपको मैंने मेरा नाम कैसे बनाया उसकी
    कहानी सुनना चाहता हूँ
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    मैं बचपन से ही गांधी जी का बड़ा आदर करता था
  • 2:19 - 2:24
    गांधी जी खड़े हुए और देश के स्वतंत्रता
    आंदोलन का नेतृत्व किया
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    मगर सबसे महत्वपूर्ण,
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    उन्होंने हमे समाज के कमज़ोर वर्ग से
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    आदर और प्रेम से व्यवहार करना सिखाया
  • 2:40 - 2:45
    तो जब भारत १९६९ में गांधी जी कि
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    जन्म शताब्दी मना रहा था,
  • 2:48 - 2:50
    मैं १५ साल का था,
  • 2:50 - 2:52
    और मेरे मन में एक विचार आया
  • 2:54 - 2:57
    हम इसे अलग तरह से क्यों नहीं मना सकते है
  • 2:57 - 3:03
    मैं जानता था, जैसा की आप सब भी जानते होंगे
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    की भारत की अधिकांश जनसंख्या समाज
    के निचले तबके में जन्म लेती है
  • 3:12 - 3:15
    और उन्हें अछूत माना जाता हैं
  • 3:15 - 3:17
    ये वो लोग है जिन्हें
  • 3:17 - 3:21
    मंदिर में जाना तो दूर की बात,
  • 3:21 - 3:28
    ऊची जाती के घर और दुकानो में भी जाना
    वर्जित हैं
  • 3:28 - 3:34
    तो मैं शहर के नेताओ से बहुत प्रभावित था
  • 3:34 - 3:38
    जो इस जाती प्रथा और अस्पृश्यता के खिलाफ
    खुल के बोल रहे थे
  • 3:38 - 3:40
    और गांधी जी के आदर्शों की बात कर रहे थे
  • 3:42 - 3:45
    तो इस से प्रेरित होकर, मैंने सोचा की
    एक उदाहरण स्थापित करते हैं
  • 3:45 - 3:51
    इन लोगो को दवात का बुलावा देकर
  • 3:51 - 3:55
    जो अछूतों के हाथों परोसी और पकायी जाएगी
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    मैं कुछ अछूत कहे जाने वाले नीची जाती के
    पास गया
  • 4:01 - 4:06
    उन्हें राज़ी करने की कोशिश की, मगर उनके लिए
    ये असंभव सा था
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    वो बोले "नहीं ये असंभव है, ऐसा कभी
    नहीं हुआ"
  • 4:11 - 4:13
    मैंने कहा "इन नेताओं की ओर देखिये,
  • 4:13 - 4:15
    ये बहुत महान है, ये अस्पृश्यता के खिलाफ है
  • 4:15 - 4:18
    अगर कोई नहीं आया तो भी ये लोग
    तो आएंगे और हम एक उदहारण बनेंगे"
  • 4:21 - 4:27
    उन्हें लगा मैं नासमझ हूँ
  • 4:28 - 4:31
    अंततः वो मान ही गए
  • 4:31 - 4:36
    मैं और मेरे दोस्त अपनी साइकिल पर नेताओं को
    निमंत्रण देने निकल पड़े
  • 4:38 - 4:41
    मैं बहुत उत्साहित था, बल्कि सशक्त
  • 4:41 - 4:46
    ये देख के उन में से एक आने को राज़ी था
  • 4:47 - 4:50
    मैंने कहा "चलो अब हम एक उदहारण पेश करेंगे
  • 4:50 - 4:54
    हम समाज में बदलाव लाएंगे "
  • 4:55 - 4:57
    दावत का दिन आया
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    सभी अछूत, तीन औरत और दो आदमी
  • 5:03 - 5:07
    वो आने को राज़ी हुए
  • 5:07 - 5:13
    मुझे याद है वो अच्छे से सज-धज के आये थे
  • 5:14 - 5:17
    साथ में नये बर्तन भी थे
  • 5:18 - 5:20
    कइयों बार स्नान किया था
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    क्यूंकि ये उनके लिए अभूतपूर्व था
  • 5:23 - 5:26
    ये बदलाव का समय था
  • 5:27 - 5:30
    वो इक्कठा हुए
    भोजन पकाया गया
  • 5:30 - 5:33
    शाम के सात बज रहे थे
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    आठ बजे तक, हम इंतज़ार करते रहे
  • 5:36 - 5:41
    नेताओं के लिए देर से आना कोई नयी बात
    नहीं थी
  • 5:41 - 5:43
    एक घंटे इंतज़ार किया
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    फिर आठ बजे हम अपनी साइकिल से नेताओं
    के घर गए
  • 5:50 - 5:52
    उन्हें याद दिलाने मात्र के लिए
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    एक नेता की पत्नी ने हमे बताया की
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    "माफ़ कीजिये, उनके सर में दर्द है तो वो
    नहीं आ पाएंगे"
  • 6:04 - 6:06
    तो मैं दूसरे नेता के पास गया
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    और उनकी पत्नी ने कहा " आप चलिए हम ज़रूर
    आएंगे"
  • 6:11 - 6:15
    तो मैंने सोचा की चलो दावत तो होगी
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    भले ही छोटे स्तर पर ही सही
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    मैं वापिस दावत स्थल वापिस आया, जो की
    नया बना महात्मा गांधी पार्क था
  • 6:29 - 6:30
    अभी दस बज रहा था
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    कोई भी नेता नहीं आया
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    मुझे इस बात पर बहुत क्रोध आया
  • 6:40 - 6:47
    मैं गांधी जी की प्रतिमा से टिक कर खड़ा था
  • 6:50 - 6:54
    मैं काफी भावुक और थका हुआ था
  • 6:57 - 7:02
    फेर मैं जहाँ खाना रखा था वहाँ
    जा कर बैठ गया
  • 7:06 - 7:08
    मैंने अपनी भावनाओ को बंधे रखा
  • 7:08 - 7:12
    मगर जैसे ही मैंने पहला निवाला लिया
  • 7:12 - 7:15
    मेरे आंसूं बह पड़े
  • 7:15 - 7:20
    और अचानक मैंने अपने कंधे पर एक
    हाथ महसूस किया
  • 7:20 - 7:26
    और वो एक अछूत औरत का हिम्मत भर देने
    वाला मातृत्व स्पर्श था
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    और उसने मुझसे कहा
    " कैलाश, तुम रो क्यों रहे हो ?
  • 7:32 - 7:34
    तुमने अपने हिस्से का काम कर दिया है
  • 7:34 - 7:37
    तुमने अछूत द्वारा पकाया खाना खाया है
  • 7:37 - 7:40
    जो मैंने आज तक कभी नहीं होते देखा है"
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    उसने कहा,"आज तुम्हरी जीत हुई है"
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    और दोस्तों, वो सही थी
  • 7:52 - 7:56
    मैं घर वापिस आया आधी रात के करीब
  • 7:56 - 8:00
    तो देखा की ऊची जाती के कई बुजुर्ग मेरे
  • 8:00 - 8:03
    घर के आँगन में बैठे हुए थे
  • 8:03 - 8:06
    मेरी माँ और एक बुजुर्ग औरत रो रहे थे
  • 8:06 - 8:10
    और वो इन बुजुर्ग लोगो से माफ़ी मांग रहे थे
    क्यूंकि
  • 8:10 - 8:13
    उन्होंने मेरे पूरे परिवार को
    जाति बहिष्कृत की धमकी दी थी
  • 8:14 - 8:19
    और आप जानते है ये बहिष्कार सबसे बड़ा
    सामाजिक दंड है
  • 8:19 - 8:22
    जो किसी को दिया जा सकता है
  • 8:24 - 8:29
    किसी तरह वो सिर्फ मुझे दण्डित करने पर राज़ी
    हुए, सजा थी विशुद्धकरण
  • 8:29 - 8:33
    इसका मतलब मुझे घर से ६०० मील दूर जाना होगा
  • 8:33 - 8:37
    गंगा नदी में डुबकी लगाने
  • 8:37 - 8:42
    और उसके बाद मुझे १०१ पंडितो को भोजन
    करवाना होगा
  • 8:42 - 8:45
    और इनके पैर धो कर पीने पड़ेंगे
  • 8:47 - 8:50
    ये बिलकुल बकवास था
  • 8:50 - 8:52
    और मैंने दंड मानने से मन कर दिया
  • 8:53 - 8:55
    उन्होंने मुझे कैसे सजा दी फिर ?
  • 8:55 - 9:01
    मुझे अपनी ही रसोई और खाने के कमरे में
    आने से मन कर दिया
  • 9:01 - 9:04
    मेरे बर्तन अलग कर दिए
  • 9:04 - 9:09
    मगर जिस रात मैं गुस्सा था वो मुझे
    जाति बहिष्कृत करना चाहते थे
  • 9:11 - 9:15
    मगर मैंने इस जाती प्रथा का ही भहिष्कार
    करने का फैसला कर लिया
  • 9:16 - 9:20
    (तालियां)
  • 9:21 - 9:26
    और ये मुमकिन था, क्यूंकि शुरुआत खानदानी
  • 9:26 - 9:28
    नाम या उपनाम बदल कर होगी
  • 9:28 - 9:32
    क्यूंकि भारत में अधिकतर खानदानी नाम
    जाती सूचक होते है
  • 9:32 - 9:34
    तो मैंने मेरा नाम छोड़ने का फैसला किया
  • 9:34 - 9:41
    और आगे चलके मैंने खुद को सत्यार्थी
    का नाम दिया
  • 9:41 - 9:44
    जिसका मतलब ह "सच की तलाश करने वाला"
  • 9:45 - 9:49
    (तालियां)
  • 9:49 - 9:53
    और यहाँ से शुरुआत हुई मेरे परिवर्तनकारी
    क्रोध की
  • 9:54 - 9:57
    दोस्तों, शायद आप में से कोई मुझे बता सके
  • 9:57 - 10:02
    की बाल अधिकार के लिए लड़ने से पहले मैं क्या
    कर रहा था
  • 10:02 - 10:04
    क्या कोई जानता है ?
  • 10:05 - 10:06
    नहीं।
  • 10:06 - 10:13
    मैं इंजीनियर था, इलेक्ट्रिकल इंजीनियर
  • 10:13 - 10:18
    और तब मैंने ये समझा की कैसे
  • 10:18 - 10:22
    आग जलने की, कोयला जलने की
  • 10:22 - 10:26
    कक्षों के अंदर होते परमाणु विस्फोट की
  • 10:26 - 10:29
    नदी की उग्र धाराओं की
  • 10:29 - 10:33
    तूफानी हवाओं की
  • 10:33 - 10:38
    ऊर्जा को प्रकाश में बदल कर लाखो ज़िंदगियाँ
    को बचाया जा सकता है
  • 10:39 - 10:43
    मैंने सीखा की कैसे सबसे उग्र ऊर्जा स्त्रोत
  • 10:43 - 10:48
    को समाज के भले के लिए उपयोग किया जा सकता है
  • 10:53 - 11:00
    अब मैं वापिस आता हूँ उस जेल वाली
    रात के किस्से पर
  • 11:00 - 11:04
    मैं बहुत खुश था एक दर्जन बच्चो को गुलामी
    आज़ाद करा कर
  • 11:04 - 11:07
    उन्हें उनके माँ-बाप के हवाले कर
  • 11:07 - 11:10
    मैं बता नहीं सकता की एक बच्चे को आज़ाद करा
    कर मुझे कितनी ख़ुशी होती है
  • 11:11 - 11:12
    मैं बहुत खुश था
  • 11:13 - 11:19
    लेकिन जब मैं अपने घर, दिल्ली जाने वाली
    ट्रैन का इंतज़ार कर रहा था
  • 11:19 - 11:22
    मैंने ढेर सारे बच्चो को आते देखा
  • 11:22 - 11:26
    उनकी तस्करी की जा रही थी
  • 11:26 - 11:28
    मैंने उन लोगो को रोका
  • 11:28 - 11:31
    मैंने पुलिस को शिकायत करी
  • 11:31 - 11:35
    तो पुलिस, मेरी मदद करने की बजाये
  • 11:35 - 11:41
    मुझे ही, एक जानवर की तरह छोटे से पिंजरे
    में फेक दिया
  • 11:42 - 11:43
    और वो रात क्रोध की रात थी
  • 11:43 - 11:47
    जब मेरे सबसे बेहतर और क्रांतिकारी विचार
    का जन्म हुआ
  • 11:48 - 11:53
    मैंने सोचा की मैं अगर ऐसे १० बच्चो को आज़ाद
    कराऊंगा तो वो ५० और ले आएंगे
  • 11:53 - 11:55
    ये बेमतलब था
  • 11:55 - 11:57
    और मैं ग्राहकों की ताकत में
    विश्वास करता था
  • 11:57 - 12:01
    और मैं आपको बता दूँ ये पहली बार था जब
  • 12:01 - 12:06
    मेरे या दुनिया में किसी और के द्वारा
    कोई अभियान शुरू किया
  • 12:06 - 12:10
    जो ग्राहकों को समझदार और संवेदनशील
    बनाने पर आधारित था
  • 12:10 - 12:15
    बालश्रम मुक्त गलीचों की मांग बढ़ने पर था
  • 12:16 - 12:19
    यूरोप और अमरीका मैं सफल हुए
  • 12:19 - 12:24
    और इससे दक्षिण एशियाई देशों में
  • 12:24 - 12:27
    बाल मज़दूरी ८०% में कमी आयी
  • 12:27 - 12:30
    (तालियाँ)
  • 12:33 - 12:39
    इतना ही नहीं, पहली बार ग्राहकों की ताकत और
    ग्राहकों की अभियान
  • 12:39 - 12:44
    दूसरें देशों और दूसरें व्यवसायों
    में भी बढे है
  • 12:44 - 12:49
    चॉक्लेट हो या कपडे हो या फिर जूते हो,
    ये बहुत आगे निकल गया है
  • 12:51 - 12:53
    ११ साल की उम्र पर मेरा गुस्सा
  • 12:53 - 12:58
    जब मैंने ये समझा की बच्चों के लिए
    पढाई कितनी आवशयक है
  • 12:58 - 13:06
    मुझे एक तरकीब आई की क्यों न इस्तेमाल हो
    चुकी किताबों को गरीबों तक पहुचाये
  • 13:06 - 13:09
    ११ साल की उम्र पर मैंने एक किताबों का बैंक
    बनाया
  • 13:11 - 13:12
    मगर मैं रुका नहीं
  • 13:12 - 13:14
    आगे मैंने मेरे साथी के साथ शिक्षा के लिए
  • 13:14 - 13:19
    दुनिया के अकेली सबसे बड़े नागरिक समाज
    अभियान की स्थापना की
  • 13:19 - 13:22
    जिसका नाम है शिक्षा के लिए वैश्विक अभियान
  • 13:22 - 13:27
    इसने शिक्षा के तरफ समाज के
    नज़रिये को बदल दिया
  • 13:27 - 13:29
    शिक्षा के परोपकार के बदले जन्मसिद्ध
    अधिकार बताया जाने लगा
  • 13:29 - 13:34
    इससे स्कूल न जा सकने वाले बच्चो
    की गिनती को
  • 13:34 - 13:38
    १५ साल में आधा कम कर दिया
  • 13:38 - 13:42
    (तालिया)
  • 13:44 - 13:47
    २७ साल की उम्र में मेरा गुस्सा,
  • 13:47 - 13:52
    वेश्यालय को बेचीं जाने जा रही
    लड़कियों को आज़ाद करने के लिए,
  • 13:52 - 13:57
    मुझे एक तरकीब दे गया
  • 13:57 - 14:01
    एक नयी रणनीति ,छापे मार के बाल मजदूरों
  • 14:01 - 14:04
    को बाल शर्म से मुक्त करवाना
  • 14:05 - 14:11
    और मैं काफी खुशनसीब और गर्व महसूस करता हूँ
    ये बताते हुए के १ या १० या २० नहीं
  • 14:11 - 14:17
    बल्कि मैं और मेरे साथियों ने मिल कर अभी तक
    कुल ८३००० बल शर्म से मुक्त करवाया है
  • 14:17 - 14:20
    और उन्हें उनके परिवार
    और उनकी माँ के पास पहुंचायें है
  • 14:20 - 14:23
    (तालियां)
  • 14:26 - 14:28
    मैं जानता था की हमे विश्वस्तरीय नीतियों
    की ज़रूरत थी
  • 14:28 - 14:31
    हमने बाल मज़दूरी के खिलाफ विश्वस्तरीय
    पैदल यात्राओं का आयोजन किया
  • 14:31 - 14:37
    और इसके फलस्वरूप अत्यंत बुरे हालातों में
    मौजूद बच्चो की रक्षा करने
  • 14:37 - 14:41
    हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
    की शुरुवात हुई
  • 14:42 - 14:46
    और इसका सीधा असर ये हुआ
    के विश्वस्तर पर बल श्रम
  • 14:46 - 14:52
    पिछले १५ साल में एक तिहाई काम हो गया है।
  • 14:52 - 14:56
    (तालियां)
  • 14:56 - 15:00
    तो हर किस्से में
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    शुरुवात क्रोध से हुई
  • 15:04 - 15:06
    जो बाद में तरकीबों में बदला
  • 15:06 - 15:10
    और अंततः बदलाव में
  • 15:10 - 15:12
    तो गुस्सा आये, तो आगे क्या ?
  • 15:12 - 15:15
    तरकीब, और फिर
  • 15:15 - 15:16
    दर्शक : बदलाव
  • 15:16 - 15:21
    कैलाश सत्यार्थी : गुस्सा, तरकीबें, बदलाव
    जो मैंने कोशिश करी
  • 15:22 - 15:25
    क्रोध ताकत है, क्रोध ऊर्जा है
  • 15:25 - 15:28
    और प्रकर्ति के नियमानुसार ऊर्जा को
  • 15:28 - 15:33
    न बना सकते है न मिटा सकते है
    न खत्म कर सकते है
  • 15:33 - 15:40
    तो फिर क्रोध की ताकत को तब्दील करके एक
  • 15:40 - 15:44
    बेहतर और सुन्दर और न्यायसंगतसमाज की समाज
    की संरचना क्यों नहीं करे ?
  • 15:45 - 15:47
    क्रोध आप सबके अंदर है
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    और मैं अब आपको एक राज़ बताऊंगा
  • 15:53 - 16:01
    की अगर हम अपने घमंड की छोटी कोठारी में
  • 16:01 - 16:05
    और स्वार्थ के घेरो के अंदर बंधे रहे
  • 16:05 - 16:13
    तो ये क्रोध बदला,उग्रता,
    विनाश,नफरत में बदलेगा
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    मगर अगर हम इन घेरो से बहार आये तो
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    तो यही क्रोध अध्भुत ताकत में बदलेगा
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    हम इन घेरो को अपनी निहित करुणा से तोड़
    सकते है
  • 16:27 - 16:31
    और सहानुभूति के साथ समाज से जुड़कर उसे
    बेहतर बना सकते है
  • 16:31 - 16:34
    इसी क्रोध को बदला जा सकता है
  • 16:34 - 16:39
    तो प्यारे दोस्तों,बहनो और भाइयो,
    एक नोबल पुरुस्कार विजेता के तौर पर
  • 16:40 - 16:43
    मैं आपसे आग्रह करता हूँ क्रोधित होइये
  • 16:44 - 16:47
    मैं आपसे आग्रह करता हूँ क्रोधित होइये
  • 16:48 - 16:52
    और जो सबसे ज़्यादा क्रोधित है हमारे बीच
  • 16:52 - 17:00
    वो अपने क्रोध को तरकीबों
    और बदलाव में बदल लेगा।
  • 17:00 - 17:02
    धन्यवाद
  • 17:02 - 17:06
    (तालियां)
  • 17:15 - 17:19
    क्रिस एंडरसन : आप कितने सालों से दूसरों को
    प्रेरणा दे रहे है
  • 17:19 - 17:22
    आपको कौन और क्या प्रेरणा देता है ?
  • 17:23 - 17:24
    कैलाश: बहुत अच्छा सवाल है
  • 17:24 - 17:28
    क्रिस, मैं आपको सत्य बताना चाहता हूँ
  • 17:28 - 17:33
    मैं जब भी एक बच्चे को आज़ाद करवाता हूँ
  • 17:33 - 17:37
    एक बच्चा जिसने अपनी माँ से
    वापिस मिलने की साड़ी उमीदें खो दी है
  • 17:37 - 17:41
    तो उसके चहरे पर आज़ादी की पहली मुस्कान
  • 17:41 - 17:44
    और एक माँ जिसने अपने बच्चे के
  • 17:44 - 17:51
    वापिस उसकी गोद में बैठने की
    उमीदें खो दी हो
  • 17:51 - 17:53
    तो वो बहुत भावुक हो जाते है
  • 17:53 - 17:58
    और जब ख़ुशी का वो पहला आंसू उसकी
    आँखों से गिरता है
  • 17:58 - 18:01
    तो उसमे मुझे ईश्वर की छवि दिखती है
    और ये मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा होती है।
  • 18:01 - 18:06
    और मैं बहुत खुशनसीब हूँ की मैंने एक नहीं,
    बल्कि जैसा मैंने बताया, हज़ारों बार
  • 18:06 - 18:10
    ईश्वर के दर्शन किये है
    इन बच्चो के चेहरे में
  • 18:10 - 18:12
    और वे मेरी प्रेरणा के सबसे
    बड़े स्त्रोत है
  • 18:12 - 18:14
    आप सब का धन्यवाद
  • 18:14 - 18:16
    (तालियां)
Title:
अमन कैसे रखे ?ग़ुस्सा प्रकट करके
Speaker:
कैंलास सत्याग्रही
Description:

भारतमे एक जन्मसे उच्च वर्णीय नौजवान कैसे ८३०० बच्चोको गुलामीसे मुक्ती दिलाता है.नोबल
प्राईज से सन्मानित कैलाश सत्याग्रही हरेकको एक अनोखा विस्मित करनेवाला संदेश दे रहे है .उन्हे विश्व मी बदलाव लाना है अन्याय के प्रती घुस्सा प्रकट करके .जीवन के दुष्कर स्थितीसे निकलकर अमन भारी जिंदगी कैसे जिये इसका पाठ पढाते है.

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
18:29
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