0:00:01.111,0:00:06.451 आज मैं आपसे क्रोध के बारे[br]में बात करना चाहता हूँ 0:00:09.128,0:00:11.130 जब मैं ग्यारह साल का था 0:00:11.130,0:00:14.462 मेरे कुछ दोस्तों को स्कूल छोड़ना पड़ा 0:00:14.462,0:00:18.684 क्यूंकि उनके माँ-बाप स्कूल की किताबें[br]नहीं खरीद सकते थे 0:00:18.684,0:00:21.186 मुझे ये देख के बहुत क्रोध आया 0:00:23.316,0:00:26.068 जब मैं २७ साल का था 0:00:26.068,0:00:31.280 एक बंधुआ मजदूर की दुर्दशा सुनकर, 0:00:31.280,0:00:36.292 जिसकी बेटी को वेश्यालय को बेचा जा रहा था, 0:00:36.302,0:00:38.683 मुझे बहुत क्रोध आया 0:00:40.423,0:00:42.763 ५० साल की उम्र में 0:00:42.763,0:00:47.586 जब मैं सड़क पर खून में लथपथ पड़ा था 0:00:47.586,0:00:50.532 अपने बेटे के साथ 0:00:50.532,0:00:52.999 तब मुझे बहुत क्रोध आया 0:00:55.299,0:01:00.484 दोस्तों, हमे सदियों से बताया गया है[br]की क्रोध करना गलत है 0:01:01.274,0:01:03.486 हमारे माता पिता, गुरु और सज्जनों 0:01:03.486,0:01:09.371 सबने सिखाया है की अपने क्रोध को दबाओ 0:01:12.241,0:01:14.146 मैं पूछता हूँ आखिर क्यों ? 0:01:15.596,0:01:20.513 क्यों हम अपने क्रोध को समाज के[br]भले के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते 0:01:20.513,0:01:22.109 क्यों हम अपने क्रोध का इस्तेमाल 0:01:22.109,0:01:25.615 सामाजिक बुराइयाँ मिटाने में नहीं कर सकते 0:01:29.705,0:01:32.176 मैंने ये करने की कोशिश की 0:01:34.036,0:01:35.847 दोस्तों, 0:01:37.367,0:01:43.370 मेरे सबसे प्रभावी विचार[br]मेरे क्रोध में से निकल कर आये 0:01:43.814,0:01:53.514 उदाहरणार्थ, जब मैं ३५ साल का था,[br]एक छोटी सी जेल में बंद रहा रात भर 0:01:54.564,0:01:57.067 मुझे सारी रात बहुत गुस्सा आया 0:01:57.957,0:02:01.017 मगर उससे एक नयी सोच मिली 0:02:01.017,0:02:04.176 उस पर मैं बाद में आऊंगा 0:02:04.176,0:02:11.041 आज मैं आपको मैंने मेरा नाम कैसे बनाया उसकी[br]कहानी सुनना चाहता हूँ 0:02:13.481,0:02:17.622 मैं बचपन से ही गांधी जी का बड़ा आदर करता था 0:02:19.032,0:02:24.321 गांधी जी खड़े हुए और देश के स्वतंत्रता[br]आंदोलन का नेतृत्व किया 0:02:25.261,0:02:27.299 मगर सबसे महत्वपूर्ण,[br] 0:02:27.299,0:02:34.034 उन्होंने हमे समाज के कमज़ोर वर्ग से[br] 0:02:34.034,0:02:38.305 आदर और प्रेम से व्यवहार करना सिखाया 0:02:39.595,0:02:44.562 तो जब भारत १९६९ में गांधी जी कि 0:02:44.562,0:02:47.829 जन्म शताब्दी मना रहा था, 0:02:47.829,0:02:50.117 मैं १५ साल का था, 0:02:50.117,0:02:52.474 और मेरे मन में एक विचार आया 0:02:53.774,0:02:57.244 हम इसे अलग तरह से क्यों नहीं मना सकते है 0:02:57.244,0:03:02.672 मैं जानता था, जैसा की आप सब भी जानते होंगे 0:03:02.672,0:03:10.665 की भारत की अधिकांश जनसंख्या समाज[br]के निचले तबके में जन्म लेती है 0:03:12.185,0:03:15.324 और उन्हें अछूत माना जाता हैं 0:03:15.324,0:03:16.656 ये वो लोग है जिन्हें 0:03:16.656,0:03:21.066 मंदिर में जाना तो दूर की बात, 0:03:21.066,0:03:28.250 ऊची जाती के घर और दुकानो में भी जाना[br]वर्जित हैं 0:03:28.250,0:03:33.564 तो मैं शहर के नेताओ से बहुत प्रभावित था 0:03:33.564,0:03:38.102 जो इस जाती प्रथा और अस्पृश्यता के खिलाफ [br]खुल के बोल रहे थे 0:03:38.102,0:03:40.274 और गांधी जी के आदर्शों की बात कर रहे थे 0:03:41.774,0:03:44.944 तो इस से प्रेरित होकर, मैंने सोचा की[br]एक उदाहरण स्थापित करते हैं 0:03:44.944,0:03:51.389 इन लोगो को दवात का बुलावा देकर 0:03:51.389,0:03:54.619 जो अछूतों के हाथों परोसी और पकायी जाएगी 0:03:54.619,0:03:59.551 मैं कुछ अछूत कहे जाने वाले नीची जाती के [br]पास गया 0:04:01.421,0:04:05.807 उन्हें राज़ी करने की कोशिश की, मगर उनके लिए[br]ये असंभव सा था 0:04:05.807,0:04:09.760 वो बोले "नहीं ये असंभव है, ऐसा कभी[br]नहीं हुआ" 0:04:11.070,0:04:12.784 मैंने कहा "इन नेताओं की ओर देखिये, 0:04:12.784,0:04:15.221 ये बहुत महान है, ये अस्पृश्यता के खिलाफ है 0:04:15.221,0:04:17.911 अगर कोई नहीं आया तो भी ये लोग[br]तो आएंगे और हम एक उदहारण बनेंगे" 0:04:20.891,0:04:26.751 उन्हें लगा मैं नासमझ हूँ 0:04:28.161,0:04:30.651 अंततः वो मान ही गए 0:04:30.651,0:04:36.352 मैं और मेरे दोस्त अपनी साइकिल पर नेताओं को[br]निमंत्रण देने निकल पड़े 0:04:37.982,0:04:41.126 मैं बहुत उत्साहित था, बल्कि सशक्त 0:04:41.126,0:04:45.722 ये देख के उन में से एक आने को राज़ी था 0:04:47.192,0:04:50.083 मैंने कहा "चलो अब हम एक उदहारण पेश करेंगे 0:04:50.083,0:04:53.711 हम समाज में बदलाव लाएंगे " 0:04:55.451,0:04:57.004 दावत का दिन आया 0:04:57.724,0:05:03.467 सभी अछूत, तीन औरत और दो आदमी 0:05:03.467,0:05:06.816 वो आने को राज़ी हुए 0:05:07.436,0:05:13.075 मुझे याद है वो अच्छे से सज-धज के आये थे 0:05:14.475,0:05:16.740 साथ में नये बर्तन भी थे 0:05:18.000,0:05:20.339 कइयों बार स्नान किया था 0:05:20.339,0:05:23.300 क्यूंकि ये उनके लिए अभूतपूर्व था 0:05:23.300,0:05:25.944 ये बदलाव का समय था 0:05:27.254,0:05:29.702 वो इक्कठा हुए[br]भोजन पकाया गया 0:05:30.402,0:05:33.000 शाम के सात बज रहे थे 0:05:33.000,0:05:35.876 आठ बजे तक, हम इंतज़ार करते रहे 0:05:35.876,0:05:40.857 नेताओं के लिए देर से आना कोई नयी बात[br]नहीं थी 0:05:40.857,0:05:42.539 एक घंटे इंतज़ार किया 0:05:43.239,0:05:49.922 फिर आठ बजे हम अपनी साइकिल से नेताओं[br]के घर गए 0:05:49.922,0:05:52.278 उन्हें याद दिलाने मात्र के लिए 0:05:54.248,0:05:58.945 एक नेता की पत्नी ने हमे बताया की 0:05:58.945,0:06:03.960 "माफ़ कीजिये, उनके सर में दर्द है तो वो[br]नहीं आ पाएंगे" 0:06:03.960,0:06:06.037 तो मैं दूसरे नेता के पास गया 0:06:06.037,0:06:10.097 और उनकी पत्नी ने कहा " आप चलिए हम ज़रूर[br]आएंगे" 0:06:11.357,0:06:15.469 तो मैंने सोचा की चलो दावत तो होगी 0:06:15.469,0:06:19.952 भले ही छोटे स्तर पर ही सही 0:06:21.352,0:06:27.319 मैं वापिस दावत स्थल वापिस आया, जो की[br]नया बना महात्मा गांधी पार्क था 0:06:28.559,0:06:30.053 अभी दस बज रहा था 0:06:31.483,0:06:34.822 कोई भी नेता नहीं आया 0:06:36.132,0:06:38.835 मुझे इस बात पर बहुत क्रोध आया 0:06:40.275,0:06:46.679 मैं गांधी जी की प्रतिमा से टिक कर खड़ा था 0:06:49.839,0:06:54.310 मैं काफी भावुक और थका हुआ था 0:06:56.890,0:07:02.375 फेर मैं जहाँ खाना रखा था वहाँ[br]जा कर बैठ गया 0:07:05.695,0:07:07.785 मैंने अपनी भावनाओ को बंधे रखा 0:07:07.785,0:07:12.279 मगर जैसे ही मैंने पहला निवाला लिया 0:07:12.279,0:07:15.210 मेरे आंसूं बह पड़े 0:07:15.210,0:07:20.149 और अचानक मैंने अपने कंधे पर एक[br]हाथ महसूस किया 0:07:20.149,0:07:26.047 और वो एक अछूत औरत का हिम्मत भर देने[br]वाला मातृत्व स्पर्श था 0:07:26.047,0:07:30.278 और उसने मुझसे कहा[br]" कैलाश, तुम रो क्यों रहे हो ? 0:07:31.598,0:07:34.011 तुमने अपने हिस्से का काम कर दिया है 0:07:34.011,0:07:37.136 तुमने अछूत द्वारा पकाया खाना खाया है 0:07:37.136,0:07:40.127 जो मैंने आज तक कभी नहीं होते देखा है" 0:07:41.207,0:07:45.789 उसने कहा,"आज तुम्हरी जीत हुई है" 0:07:45.789,0:07:50.759 और दोस्तों, वो सही थी 0:07:52.059,0:07:55.789 मैं घर वापिस आया आधी रात के करीब 0:07:55.789,0:08:00.363 तो देखा की ऊची जाती के कई बुजुर्ग मेरे 0:08:00.363,0:08:02.517 घर के आँगन में बैठे हुए थे 0:08:02.517,0:08:05.613 मेरी माँ और एक बुजुर्ग औरत रो रहे थे 0:08:05.613,0:08:10.071 और वो इन बुजुर्ग लोगो से माफ़ी मांग रहे थे[br]क्यूंकि 0:08:10.071,0:08:13.005 उन्होंने मेरे पूरे परिवार को[br]जाति बहिष्कृत की धमकी दी थी 0:08:14.345,0:08:19.477 और आप जानते है ये बहिष्कार सबसे बड़ा[br]सामाजिक दंड है 0:08:19.477,0:08:22.031 जो किसी को दिया जा सकता है 0:08:23.981,0:08:28.821 किसी तरह वो सिर्फ मुझे दण्डित करने पर राज़ी[br]हुए, सजा थी विशुद्धकरण 0:08:28.821,0:08:33.336 इसका मतलब मुझे घर से ६०० मील दूर जाना होगा 0:08:33.336,0:08:37.267 गंगा नदी में डुबकी लगाने 0:08:37.267,0:08:41.691 और उसके बाद मुझे १०१ पंडितो को भोजन[br]करवाना होगा 0:08:41.691,0:08:45.239 और इनके पैर धो कर पीने पड़ेंगे 0:08:46.529,0:08:49.528 ये बिलकुल बकवास था 0:08:49.528,0:08:52.417 और मैंने दंड मानने से मन कर दिया 0:08:53.267,0:08:55.397 उन्होंने मुझे कैसे सजा दी फिर ? 0:08:55.397,0:09:01.194 मुझे अपनी ही रसोई और खाने के कमरे में[br]आने से मन कर दिया 0:09:01.194,0:09:04.246 मेरे बर्तन अलग कर दिए 0:09:04.246,0:09:09.300 मगर जिस रात मैं गुस्सा था वो मुझे[br]जाति बहिष्कृत करना चाहते थे 0:09:10.600,0:09:14.633 मगर मैंने इस जाती प्रथा का ही भहिष्कार [br]करने का फैसला कर लिया 0:09:15.503,0:09:20.228 (तालियां) 0:09:20.988,0:09:26.003 और ये मुमकिन था, क्यूंकि शुरुआत खानदानी[br] 0:09:26.003,0:09:28.119 नाम या उपनाम बदल कर होगी 0:09:28.119,0:09:31.784 क्यूंकि भारत में अधिकतर खानदानी नाम[br]जाती सूचक होते है 0:09:31.784,0:09:34.306 तो मैंने मेरा नाम छोड़ने का फैसला किया 0:09:34.306,0:09:40.810 और आगे चलके मैंने खुद को सत्यार्थी[br]का नाम दिया 0:09:40.810,0:09:43.776 जिसका मतलब ह "सच की तलाश करने वाला" 0:09:45.216,0:09:49.248 (तालियां) 0:09:49.248,0:09:52.585 और यहाँ से शुरुआत हुई मेरे परिवर्तनकारी[br]क्रोध की 0:09:54.095,0:09:56.704 दोस्तों, शायद आप में से कोई मुझे बता सके 0:09:56.704,0:10:01.530 की बाल अधिकार के लिए लड़ने से पहले मैं क्या[br]कर रहा था 0:10:02.410,0:10:03.788 क्या कोई जानता है ? 0:10:04.898,0:10:06.169 नहीं। 0:10:06.169,0:10:12.558 मैं इंजीनियर था, इलेक्ट्रिकल इंजीनियर 0:10:12.558,0:10:17.662 और तब मैंने ये समझा की कैसे 0:10:17.662,0:10:22.146 आग जलने की, कोयला जलने की 0:10:22.146,0:10:26.250 कक्षों के अंदर होते परमाणु विस्फोट की 0:10:26.250,0:10:29.442 नदी की उग्र धाराओं की 0:10:29.442,0:10:33.066 तूफानी हवाओं की 0:10:33.066,0:10:38.083 ऊर्जा को प्रकाश में बदल कर लाखो ज़िंदगियाँ[br]को बचाया जा सकता है 0:10:38.963,0:10:43.495 मैंने सीखा की कैसे सबसे उग्र ऊर्जा स्त्रोत[br] 0:10:43.495,0:10:47.970 को समाज के भले के लिए उपयोग किया जा सकता है 0:10:52.925,0:10:59.692 अब मैं वापिस आता हूँ उस जेल वाली[br]रात के किस्से पर 0:10:59.692,0:11:03.919 मैं बहुत खुश था एक दर्जन बच्चो को गुलामी[br]आज़ाद करा कर 0:11:03.919,0:11:06.890 उन्हें उनके माँ-बाप के हवाले कर 0:11:06.890,0:11:10.078 मैं बता नहीं सकता की एक बच्चे को आज़ाद करा[br]कर मुझे कितनी ख़ुशी होती है 0:11:11.238,0:11:12.428 मैं बहुत खुश था 0:11:13.458,0:11:19.021 लेकिन जब मैं अपने घर, दिल्ली जाने वाली[br]ट्रैन का इंतज़ार कर रहा था 0:11:19.021,0:11:22.264 मैंने ढेर सारे बच्चो को आते देखा 0:11:22.264,0:11:25.562 उनकी तस्करी की जा रही थी 0:11:25.562,0:11:28.415 मैंने उन लोगो को रोका 0:11:28.415,0:11:30.517 मैंने पुलिस को शिकायत करी 0:11:30.517,0:11:35.071 तो पुलिस, मेरी मदद करने की बजाये 0:11:35.071,0:11:40.773 मुझे ही, एक जानवर की तरह छोटे से पिंजरे[br]में फेक दिया 0:11:41.573,0:11:43.121 और वो रात क्रोध की रात थी 0:11:43.121,0:11:46.972 जब मेरे सबसे बेहतर और क्रांतिकारी विचार[br]का जन्म हुआ 0:11:47.632,0:11:53.100 मैंने सोचा की मैं अगर ऐसे १० बच्चो को आज़ाद[br]कराऊंगा तो वो ५० और ले आएंगे 0:11:53.100,0:11:54.560 ये बेमतलब था 0:11:54.560,0:11:57.368 और मैं ग्राहकों की ताकत में [br]विश्वास करता था 0:11:57.368,0:12:00.852 और मैं आपको बता दूँ ये पहली बार था जब 0:12:00.852,0:12:05.968 मेरे या दुनिया में किसी और के द्वारा[br]कोई अभियान शुरू किया 0:12:05.968,0:12:10.041 जो ग्राहकों को समझदार और संवेदनशील[br]बनाने पर आधारित था 0:12:10.041,0:12:14.501 बालश्रम मुक्त गलीचों की मांग बढ़ने पर था 0:12:15.691,0:12:19.083 यूरोप और अमरीका मैं सफल हुए 0:12:19.083,0:12:23.768 और इससे दक्षिण एशियाई देशों में 0:12:23.768,0:12:27.024 बाल मज़दूरी ८०% में कमी आयी 0:12:27.024,0:12:30.406 (तालियाँ) 0:12:32.736,0:12:39.397 इतना ही नहीं, पहली बार ग्राहकों की ताकत और[br]ग्राहकों की अभियान 0:12:39.397,0:12:43.505 दूसरें देशों और दूसरें व्यवसायों[br]में भी बढे है 0:12:43.505,0:12:48.931 चॉक्लेट हो या कपडे हो या फिर जूते हो,[br]ये बहुत आगे निकल गया है 0:12:51.271,0:12:52.823 ११ साल की उम्र पर मेरा गुस्सा 0:12:52.823,0:12:58.176 जब मैंने ये समझा की बच्चों के लिए[br]पढाई कितनी आवशयक है 0:12:58.176,0:13:05.821 मुझे एक तरकीब आई की क्यों न इस्तेमाल हो[br]चुकी किताबों को गरीबों तक पहुचाये 0:13:05.821,0:13:09.270 ११ साल की उम्र पर मैंने एक किताबों का बैंक[br]बनाया 0:13:10.570,0:13:11.813 मगर मैं रुका नहीं 0:13:11.813,0:13:14.046 आगे मैंने मेरे साथी के साथ शिक्षा के लिए 0:13:14.046,0:13:18.580 दुनिया के अकेली सबसे बड़े नागरिक समाज[br]अभियान की स्थापना की 0:13:18.580,0:13:21.571 जिसका नाम है शिक्षा के लिए वैश्विक अभियान 0:13:22.221,0:13:26.536 इसने शिक्षा के तरफ समाज के[br]नज़रिये को बदल दिया 0:13:26.536,0:13:29.257 शिक्षा के परोपकार के बदले जन्मसिद्ध[br]अधिकार बताया जाने लगा 0:13:29.257,0:13:34.026 इससे स्कूल न जा सकने वाले बच्चो[br]की गिनती को 0:13:34.026,0:13:37.614 १५ साल में आधा कम कर दिया 0:13:37.614,0:13:41.693 (तालिया) 0:13:43.753,0:13:46.867 २७ साल की उम्र में मेरा गुस्सा, 0:13:46.867,0:13:52.235 वेश्यालय को बेचीं जाने जा रही[br]लड़कियों को आज़ाद करने के लिए, 0:13:52.235,0:13:57.018 मुझे एक तरकीब दे गया 0:13:57.018,0:14:01.271 एक नयी रणनीति ,छापे मार के बाल मजदूरों 0:14:01.271,0:14:04.188 को बाल शर्म से मुक्त करवाना 0:14:04.758,0:14:10.614 और मैं काफी खुशनसीब और गर्व महसूस करता हूँ[br]ये बताते हुए के १ या १० या २० नहीं 0:14:10.614,0:14:16.957 बल्कि मैं और मेरे साथियों ने मिल कर अभी तक[br]कुल ८३००० बल शर्म से मुक्त करवाया है 0:14:16.962,0:14:20.093 और उन्हें उनके परिवार [br]और उनकी माँ के पास पहुंचायें है 0:14:20.093,0:14:23.452 (तालियां) 0:14:25.552,0:14:27.979 मैं जानता था की हमे विश्वस्तरीय नीतियों[br]की ज़रूरत थी 0:14:27.979,0:14:31.011 हमने बाल मज़दूरी के खिलाफ विश्वस्तरीय[br]पैदल यात्राओं का आयोजन किया 0:14:31.011,0:14:37.073 और इसके फलस्वरूप अत्यंत बुरे हालातों में[br]मौजूद बच्चो की रक्षा करने 0:14:37.073,0:14:41.172 हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन[br]की शुरुवात हुई 0:14:42.262,0:14:46.351 और इसका सीधा असर ये हुआ[br]के विश्वस्तर पर बल श्रम 0:14:46.351,0:14:51.891 पिछले १५ साल में एक तिहाई काम हो गया है। 0:14:51.891,0:14:56.311 (तालियां) 0:14:56.311,0:14:59.721 तो हर किस्से में 0:14:59.721,0:15:03.510 शुरुवात क्रोध से हुई 0:15:03.510,0:15:06.159 जो बाद में तरकीबों में बदला 0:15:06.159,0:15:09.565 और अंततः बदलाव में 0:15:09.565,0:15:12.441 तो गुस्सा आये, तो आगे क्या ? 0:15:12.441,0:15:14.920 तरकीब, और फिर 0:15:14.920,0:15:16.278 दर्शक : बदलाव 0:15:16.278,0:15:20.835 कैलाश सत्यार्थी : गुस्सा, तरकीबें, बदलाव[br]जो मैंने कोशिश करी 0:15:22.254,0:15:24.751 क्रोध ताकत है, क्रोध ऊर्जा है 0:15:24.751,0:15:27.552 और प्रकर्ति के नियमानुसार ऊर्जा को[br] 0:15:27.552,0:15:32.795 न बना सकते है न मिटा सकते है[br]न खत्म कर सकते है 0:15:32.795,0:15:39.685 तो फिर क्रोध की ताकत को तब्दील करके एक 0:15:39.685,0:15:44.221 बेहतर और सुन्दर और न्यायसंगतसमाज की समाज[br]की संरचना क्यों नहीं करे ? 0:15:44.861,0:15:47.341 क्रोध आप सबके अंदर है 0:15:47.341,0:15:53.241 और मैं अब आपको एक राज़ बताऊंगा 0:15:53.241,0:16:00.795 की अगर हम अपने घमंड की छोटी कोठारी में 0:16:00.795,0:16:05.225 और स्वार्थ के घेरो के अंदर बंधे रहे 0:16:05.225,0:16:12.709 तो ये क्रोध बदला,उग्रता,[br]विनाश,नफरत में बदलेगा 0:16:13.539,0:16:16.595 मगर अगर हम इन घेरो से बहार आये तो 0:16:16.595,0:16:22.481 तो यही क्रोध अध्भुत ताकत में बदलेगा 0:16:22.481,0:16:26.828 हम इन घेरो को अपनी निहित करुणा से तोड़[br]सकते है 0:16:26.828,0:16:30.678 और सहानुभूति के साथ समाज से जुड़कर उसे[br]बेहतर बना सकते है 0:16:30.678,0:16:34.351 इसी क्रोध को बदला जा सकता है 0:16:34.351,0:16:38.936 तो प्यारे दोस्तों,बहनो और भाइयो, [br]एक नोबल पुरुस्कार विजेता के तौर पर 0:16:39.956,0:16:42.711 मैं आपसे आग्रह करता हूँ क्रोधित होइये 0:16:43.841,0:16:46.983 मैं आपसे आग्रह करता हूँ क्रोधित होइये 0:16:48.003,0:16:52.299 और जो सबसे ज़्यादा क्रोधित है हमारे बीच 0:16:52.299,0:16:59.510 वो अपने क्रोध को तरकीबों [br]और बदलाव में बदल लेगा। 0:17:00.440,0:17:02.275 धन्यवाद 0:17:02.275,0:17:06.245 (तालियां) 0:17:15.115,0:17:18.924 क्रिस एंडरसन : आप कितने सालों से दूसरों को[br]प्रेरणा दे रहे है 0:17:18.924,0:17:22.109 आपको कौन और क्या प्रेरणा देता है ? 0:17:22.629,0:17:24.341 कैलाश: बहुत अच्छा सवाल है 0:17:24.341,0:17:28.335 क्रिस, मैं आपको सत्य बताना चाहता हूँ 0:17:28.335,0:17:32.849 मैं जब भी एक बच्चे को आज़ाद करवाता हूँ 0:17:32.849,0:17:37.028 एक बच्चा जिसने अपनी माँ से [br]वापिस मिलने की साड़ी उमीदें खो दी है 0:17:37.028,0:17:41.335 तो उसके चहरे पर आज़ादी की पहली मुस्कान 0:17:41.335,0:17:43.890 और एक माँ जिसने अपने बच्चे के 0:17:43.890,0:17:50.501 वापिस उसकी गोद में बैठने की[br]उमीदें खो दी हो 0:17:50.501,0:17:52.656 तो वो बहुत भावुक हो जाते है 0:17:52.656,0:17:57.809 और जब ख़ुशी का वो पहला आंसू उसकी[br]आँखों से गिरता है 0:17:57.809,0:18:01.154 तो उसमे मुझे ईश्वर की छवि दिखती है[br]और ये मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा होती है। 0:18:01.154,0:18:06.032 और मैं बहुत खुशनसीब हूँ की मैंने एक नहीं,[br]बल्कि जैसा मैंने बताया, हज़ारों बार 0:18:06.032,0:18:09.628 ईश्वर के दर्शन किये है[br]इन बच्चो के चेहरे में 0:18:09.628,0:18:11.640 और वे मेरी प्रेरणा के सबसे[br]बड़े स्त्रोत है 0:18:11.640,0:18:13.652 आप सब का धन्यवाद 0:18:13.652,0:18:15.665 (तालियां)