क्ले शर्की: सोपा में गडबड क्या है
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0:00 - 0:02मैं यहाँ से शुरु करूँगा।
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0:02 - 0:04ये हाथ से बनाया गया एक चिन्ह है
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0:04 - 0:06जो एक छोटी सी बेकरी मे लगा था
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0:06 - 0:09कुछ साल पहले ब्रुकलिन में मेरे पडोस के इलाके में।
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0:09 - 0:11इस बेकरी में एक छोटी से मशीन लगी थी
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0:11 - 0:13जो कि शुगर-प्लेट पर छपाई कर सकती थी।
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0:13 - 0:15और बच्चे अपनी अपनी ड्राइंग लाते थे,
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0:15 - 0:18और दुकान में एक शुगर-प्लेट पर छपवा कर
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0:18 - 0:20अपने बर्थ-डे केक के ऊपर लगाते थे।
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0:20 - 0:23मगर दुर्भाग्यवश, एक चीज़ जो बच्चे ख़ूब बनाते हैं,
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0:23 - 0:25वो है कार्टून चरित्रों की ड्राइंग।
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0:25 - 0:27उन्हें मज़ा आता है लिटल मर्मेड बना कर,
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0:27 - 0:30स्मर्फ़ बना कर, मिकी माउस बना कर।
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0:30 - 0:32मगर असल में ये ग़ैर-कानूनी है
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0:32 - 0:35कि मिकी माउस का चित्र जो एक बच्चे ने बनाया है,
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0:35 - 0:38एक शुगर-प्लेट पर छापा जाये।
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0:38 - 0:40और ये कॉपी-राइट का हनन है।
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0:40 - 0:42और ऐसे कॉपी-राइट को
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0:42 - 0:44बच्चों के केक से बचाना
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0:44 - 0:46इतना उलझा हुआ काम था
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0:46 - 0:48कि कॉलेज बेकरी ने कहा,
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0:48 - 0:50"ऐसा है, हम ये काम ही बंद कर रहे हैं।
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0:50 - 0:52अगर आप शौकिया कलाकार हैं,
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0:52 - 0:54तो आप हमारी मशीन का इस्तेमाल नही कर सकते।
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0:54 - 0:56अगर आपको अपने बर्थ-डे केक पर छपाई चाहिये,
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0:56 - 1:00तो आपको हमारे पास पहले से उपलब्ध चित्रों में से एक लेना होगा --
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1:00 - 1:02केवल पेशेवर कलाकारों द्वारा बनाये गये चित्रों से।"
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1:02 - 1:05तो कांग्रेस में इस वक्त दो विधेयक पेश हो चुके हैं।
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1:05 - 1:07एक है सोपा (SOPA) और दूसरा है पिपा (PIPA)।
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1:07 - 1:09सोपा (SOPA) का अर्थ है स्टॉप ऑनलाइन पायरेसी एक्ट।
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1:09 - 1:11ये सेनेट से आया है।
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1:11 - 1:14पिपा (PIPA) लघु रूप है PROTECTIP का
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1:14 - 1:16जो कि स्वयं लघुरूप है
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1:16 - 1:18प्रिवेंटिंग रियल ऑनलाइन थ्रेट्स
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1:18 - 1:20टू इकॉनामिक क्रिएटिविटी
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1:20 - 1:22एन्ड थेफ़्ट ऑफ़ इन्टेलेक्चुअल प्रोपर्टी --
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1:22 - 1:24इन चीज़ों को नाम देने वाले कांग्रेस के नुमाइंदों के पास
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1:24 - 1:26बहुत ढेर सारा फ़ालतू समय होता है।
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1:26 - 1:28और सोपा और पिपा नाम की बलायें
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1:28 - 1:30आख़िरकार करना ये चाहती हैं।
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1:30 - 1:32वो इतना महँगा बना देना चाहती हैं
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1:32 - 1:35कॉपी-राइट के दायरे में रह कर काम करने को,
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1:35 - 1:38कि लोग उन काम-धंधों को छोड ही दें
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1:38 - 1:41जिनमें शौकिया रचना करने वाले शामिल होते हैं।
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1:41 - 1:44अब, ऐसा करने के लिये उनका सुझाव ये है कि
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1:44 - 1:46उन वेबसाइटों को पहचान लिया जाये
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1:46 - 1:48जो कॉपी-राइट हनन कर रहे हैं --
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1:48 - 1:50हालांकि ये साइट कैसे कॉपी-राइट हनन कर रहे हैं,
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1:50 - 1:52विधेयक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे बैठा है --
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1:52 - 1:55और फ़िर वो इन साइटों को डोमेन नेम सिस्टम से बर्खास्त कर देना चाहते हैं।
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1:55 - 1:57वो इन्हें डोमेन नेम सिस्टम से निष्काशित कर देना चाहते हैं।
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1:57 - 1:59देखिये ये डोमेन नेम सिस्टम ही है
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1:59 - 2:02जो कि इंसानों को समझ आने वाले नामों को, जैसे कि गूगल डॉट कॉम,
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2:02 - 2:04उन नामों में बदलता है
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2:04 - 2:06जिन्हें कम्प्यूटर समझता है --
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2:06 - 2:11जैसे कि ७४.१२५.२२६.२१२
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2:11 - 2:14असल ख़राबी इस सेंसरशिप के मॉडल में,
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2:14 - 2:16जो कि इन साइटों को ढूँढेगा,
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2:16 - 2:18फ़िर उन्हें डोमेन नेम सिस्टम से हटाने की कोशिश करेगा,
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2:18 - 2:20ये है कि ये काम नहीं करेगा।
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2:20 - 2:23और आपको लग रहा होगा कि ये कानून के लिये ख़ासी बडी दिक्कत होगी
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2:23 - 2:25मगर कांग्रेस इस बात से ज़रा भी परेशान नही लगती है।
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2:25 - 2:27ये सिस्टम धवस्त इसलिये हो जायेगा क्योंकि
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2:27 - 2:31आप अब भी अपने ब्राउज़र में ७४.१२५.२२६.२१२ टाइप कर के
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2:31 - 2:33या उसका क्लिक-करने लायक लिंक बना कर
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2:33 - 2:36अब भी गूगल तक पहुँच पायेंगे।
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2:36 - 2:38तो जो सुरक्षात्मक घेरा
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2:38 - 2:40इस समस्या के आसपास खडा किया गया है,
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2:40 - 2:44वही इस एक्ट का सबसे बडा खतरा है।
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2:44 - 2:47कैसे कांग्रेस ने ऐसा विधेयक लिख डाला
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2:47 - 2:50जो कि अपने मुकरर्र लक्ष्यों को कभी पूरा नहीं करेगा,
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2:50 - 2:52मगर एक हज़ार नुकसानदायक साइड-एफ़ेक्ट बना डालेगा,
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2:52 - 2:54ये समझने के लिये आपको कहानी में गहरे पैठना होगा।
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2:54 - 2:56और कहानी कुछ ऐसी है:
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2:56 - 2:58सोपा और पिपा, ऐसे विधेयक हैं
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2:58 - 3:01जिनका ड्राफ़्ट मुख्यतः उन मीडिया कंपनियों ने लिखा
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3:01 - 3:03जो कि बीसवीं सदी में शुरु हुई थीं।
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3:03 - 3:05बीसवीं सदी मीडिया कंपनियों के लिये स्वर्णिम समय था
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3:05 - 3:08क्योंकि मीडिया कंटेट की बहुत ही ज्यादा कमी थी।
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3:08 - 3:10अगर आप कोई टी.वी. शो बना रहे हैं,
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3:10 - 3:14तो उसे बाकी सारे टी.वी शो से बेहतर नहीं होना होगा;
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3:14 - 3:16उसे केवल बेहतर होना होगा
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3:16 - 3:18बाकी दो शो से,
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3:18 - 3:20जो उसी समय प्रसारित होते हों --
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3:20 - 3:22जो कि बहुत ही हल्की शर्त है
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3:22 - 3:25स्पर्धा के लिहाज से।
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3:25 - 3:27जिसका मतलब है
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3:27 - 3:29कि यदि आप बिलकुल औसत कंटेंट भी बना रहे हैं,
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3:29 - 3:32तो फ़्री में अमरीका की एक-तिहाई पब्लिक आपकी बात सुनने को मजबूर है -
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3:32 - 3:35कई लाख लोग एक साथ आपको सुन रहे हैं
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3:35 - 3:37तब भी जब कि आपका बनाया
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3:37 - 3:39कुछ ख़ास नहीं है।
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3:39 - 3:41ये ऐसा है जैसे आपको नोट छापने का लाइसेंस मिल जाये,
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3:41 - 3:43और साथ ही फ़्री इंक भी।
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3:43 - 3:46मगर टेक्नालाजी आगे बढ गयी, जैसा कि वो हमेशा करती है।
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3:46 - 3:49और धीरे धीरे, बीसवीं शताब्दी के अंत तक,
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3:49 - 3:51कंटेट की वो कमी खत्म सी होने लगी --
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3:51 - 3:53और मेरा मतलब डिजिटल टेक्नालाजी से नहीं है,
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3:53 - 3:55साधारण एनालाग टेक्नालाजी भी ज़रिया बनी।
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3:55 - 3:57कैसेट टेप, विडियो कैसेट रेकार्डर,
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3:57 - 3:59यहाँ तक कि ज़ेराक्स मशीन भी
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3:59 - 4:01नये अवसर पैदा करने लगी
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4:01 - 4:03ऐसे क्रियाकलापों के लिये,
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4:03 - 4:05जिन्होनें इन मीडिया कंपनियों की हवा निकाल दी।
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4:05 - 4:07क्योंकि अचानक इन्हें पता लगा कि
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4:07 - 4:09कि हम लोग सिर्फ़ चुपचाप बैठ कर देखने वाले लोग नहीं हैं।
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4:09 - 4:12हम सिर्फ़ कनस्यूम करना ही नहीं चाहते।
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4:12 - 4:14हमें कन्स्यूम करने में मज़ा आता है,
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4:14 - 4:17मगर जब भी ऐसे नये अविष्कार हम तक पहुँचे,
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4:17 - 4:19हमने कुछ रचने की भी कोशिश की
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4:19 - 4:21और अपनी रचना को शेयर करने, बाँटने का प्रयास किया।
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4:21 - 4:23और इस बात ने मीडिया कंपनियों को घबराहट में डाल दिया --
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4:23 - 4:25हर बार उनकी हालत पतली ही हुई।
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4:25 - 4:27जैक वलेन्टी ने, जो कि मुख्य प्रचारक थे
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4:27 - 4:29मोशन पिक्चर एसोसिएशन ऑफ़ अमेरिका के,
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4:29 - 4:33एक बार घृणा योग्य विडियो कैसेट रिकार्डर की तुलना
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4:33 - 4:35जैक द रिपर से की थी
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4:35 - 4:37और गरीब, ह्ताश, बेचारे हॉलीवुड की
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4:37 - 4:40उस कमज़ोर औरत से जो घर पर अकेले शिकार होने को बैठी है।
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4:40 - 4:42इस स्तर पर चीख-पुकार मचायी गयी थी।
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4:42 - 4:44और इसलिये मीडिया इंडस्ट्री ने
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4:44 - 4:46गिडगिडा कर, ज़ोर डाल कर, ये माँग रखी
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4:46 - 4:48कि काँग्रेस कुछ करे।
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4:48 - 4:50और काँग्रेस ने किया भी।
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4:50 - 4:52९० के दशक के पूर्वार्ध तक, काँग्रेस ने ऐसा कानून बनाया
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4:52 - 4:55जिसने सब कुछ बदल दिया।
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4:55 - 4:57और उस कानून का नाम था 'द ऑडियो होम रेकार्डिंग एक्ट'
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4:57 - 4:59सन १९९२ का।
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4:59 - 5:02१९९२ का द ऑडियो होम रिकार्डिंग एक्ट ये कहता है कि,
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5:02 - 5:04देखिये, अगर लोग रेडियो प्रसारण को रिकार्ड कर रहे हैं,
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5:04 - 5:07और फ़िर दोस्तों के लिये खिचडी-कैसेट बना रहे हैं,
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5:07 - 5:10तो ये अपराध नहीं है। इसमें कोई गलत बात नहीं है।
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5:10 - 5:12टेप करना, रीमिक्स करना,
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5:12 - 5:15और दोस्तों में बाँटना गलत नहीं है।
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5:15 - 5:17यदि आप कई सारी उम्दा क्वालिटी की कॉपी बना कर बेच रहे हैं,
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5:17 - 5:19तो ये बिल्कुल भी सही नहीं है।
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5:19 - 5:21मगर ये छोटा मोटा टेप करना वगैरह
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5:21 - 5:23ठीक है, इसे चलने दो।
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5:23 - 5:26और उन्हें लगा कि उन्होनें मसले को हल कर दिया है,
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5:26 - 5:28क्योंकि उन्होंने साफ़ लकीर बना दी थी
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5:28 - 5:30कानूनन गलत और कानूनन सही कॉपी करने के बीच।
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5:30 - 5:33मगर मीडिया कंपनियों को ये नहीं चाहिये था।
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5:33 - 5:35वो ये चाहते थे कि काँग्रेस
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5:35 - 5:38किसी भी तरह की कॉपी करने पर पूर्ण रोक लगा दे।
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5:38 - 5:41तो जब १९९२ का ऑडियो होम रेकार्डिंग एक्ट पास हुआ,
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5:41 - 5:45मीडया कंपनियों ने ये विचार ही छोड दिया कि
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5:45 - 5:47कॉपी करना किसी स्थिति में कानूनन सही माना जा सकता है
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5:47 - 5:49क्योंकि ये साफ़ था
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5:49 - 5:51कि यदि काँग्रेस इस नज़रिये से सोचेगी तो
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5:51 - 5:55शायद नागरिकों को और भी अधिकार मिले
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5:55 - 5:57अपने मीडिया परिवेश में रचनात्मक भागीदारी करने के।
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5:57 - 5:59तो उन्होनें दूसरी ही योजना बनाई।
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5:59 - 6:01उन्हें इस योजना को बनाने में थोडा समय ज़रूर लगा।
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6:01 - 6:03ये योजना पूर्ण रूप से सामने आयी
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6:03 - 6:05सन १९९८ में --
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6:05 - 6:08डिजिटल मिलेनियम कॉपीराइट एक्ट के रूप में। (डी.एम.सी.ए.)
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6:08 - 6:10ये अत्यधिक जटिल कानून था, हजारों हिस्सों में बँटा हुआ।
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6:10 - 6:13मगर डी.एम.सी.ए का मुख्यतः ज़ोर ये था कि
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6:13 - 6:15ये कानूनन सही है कि आपको बेचा जाय
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6:15 - 6:17ऐसा डिजिटल कंटेट जिसे कॉपी नहीं किया जा सकता --
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6:17 - 6:20बस इतनी सी गल्ती हुई कि ऐसा कोई डिजिटल कंटेट नहीं हो सकता जो कॉपी न हो सके।
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6:20 - 6:22ये ऐसा था जैसा कि एड फ़ेल्टन ने कहा था,
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6:22 - 6:24"ऐसा पानी बेचना जो
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6:24 - 6:26गीला न हो।"
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6:26 - 6:29बिट्स तो कॉपी लायक होते ही हैं। यही तो कम्प्यूटर करते हैं।
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6:29 - 6:32ये तो उनके सामन्य काम करने के तरीका का निहित अंग है।
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6:32 - 6:34तो ऐसी काबलियत के नाटक के लिये
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6:34 - 6:36कि असल में कॉपी नहीं होने वाले बिट्स बिक सकते हैं,
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6:36 - 6:38डी.एम.सी.ए ने ये भी कानूनी रूप से सही करार दिया
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6:38 - 6:41कि आप पर ऐसे सिस्टम थोपे जायें
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6:41 - 6:44जो आपके यंत्रों की कॉपी करने के काबलियत खत्म कर दें।
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6:44 - 6:46हर डीवीडी प्लेयर और गेम प्लेयर
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6:46 - 6:49और टीवी, और कम्प्यूटर जो आप घर ले जाते रहे --
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6:49 - 6:52आप चाहे जो सोच कर उसे खरीद रहे थे --
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6:52 - 6:55कंटेट इंडस्ट्री द्वारा तोडा जा सकता था,
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6:55 - 6:58अगर वो चाहते कि इसी शर्त पर आपको कंटेंट बेचेंगे।
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6:58 - 7:01और ये सुनिश्चित करने के लिये कि आपको ये पता न लगे,
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7:01 - 7:04या फ़िर आप उस यंत्र की साधारण
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7:04 - 7:06कम्प्यूटर नुमा गतिविधियों को इस्तेमाल न कर पायें,
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7:06 - 7:08उन्होंने ये गैर-कानूनी करवा दिया
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7:08 - 7:10कि आप रीसेट कर सके
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7:10 - 7:12उनके कंटेंट को कापी होने लायक बनाने के लिये।
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7:12 - 7:14डी.एम.सी.ए. वो काला क्षण है
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7:14 - 7:16जब कि मीडिया इंडस्ट्री ने
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7:16 - 7:18उस कानूनी सिस्टम को ताक पर रख दिया
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7:18 - 7:21जो कानूनी और गैर-कानूनी कॉपी में फ़र्क करता था,
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7:21 - 7:24और पूरी तरह से कॉपी रोकने का प्रयास किया,
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7:24 - 7:26तकनीक के इस्तेमाल से भी।
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7:26 - 7:29डी.एम.सी.ए के कई जटिल असर होते आये हैं, और हो रहे हैं,
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7:29 - 7:32और इस संदर्भ में उसका असर है - शेयरिंग पर कसी गयी लगाम,
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7:32 - 7:34मगर वो ज्यादातर नाकामयाब ही हुये हैं।
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7:34 - 7:36और उनकी इस असफ़लता का मुख्य कारण रहा है ये कि
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7:36 - 7:39इंटरनेट ज्यादा फ़ैला है, और ज्यादा शक्तिशाली बन कर उभरा है,
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7:39 - 7:42किसी की भी सोच के मुकाबले।
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7:42 - 7:44टेप मिक्स करना, फ़ैन मग्ज़ीन वगैरह निकानला
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7:44 - 7:46कुछ भी नहीं है उस के मुकाबले जो आज घटित हो रहा है
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7:46 - 7:48इंटरनेट पर।
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7:48 - 7:50हम आज ऐसे विश्व के बाशिंदे हैं
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7:50 - 7:52जहाँ ज्यादातर अमरीकी
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7:52 - 7:54जो १२ वर्ष से बडे हैं,
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7:54 - 7:56एक दूसरे से ऑन्लाइन चीजें शेयर करते हैं।
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7:56 - 7:58हम लेख शेयर करते हैं, तस्वीरें साझा करते हैं,
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7:58 - 8:00ऑडियो, विडियो सब साझा करते हैं।
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8:00 - 8:02हमारी शेयर की गयी चीजों में से कुछ हमारी खुद की बनायी होती हैं।
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8:02 - 8:04कुछ ऐसी सामग्री होती है जो हमें मिली होती है।
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8:04 - 8:06और कुछ ऐसी सामग्री भी जो
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8:06 - 8:08हमने उस कंटेट से बनायी होती है जो हमें मिला,
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8:08 - 8:11और ये सब मीडिया इंडस्ट्री के होश उडाने के लिये काफ़ी है।
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8:11 - 8:13तो पिपा और सोपा इस युद्ध
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8:13 - 8:15की दूसरी कडी है।
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8:15 - 8:17मगर जहाँ डी.एम.सी.ए. अंदर घुस कर काम करता था --
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8:17 - 8:20कि हम आपके कम्प्यूटर में घुसे हैं,
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8:20 - 8:23आपके टीवी का हिस्सा हैं, आपके गेम मशीन में मौजूद हैं,
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8:23 - 8:25और उसे वो करने से रोक रहे हैं
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8:25 - 8:27जिसके वादे पर हमने उन्हें खरीदा था --
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8:27 - 8:29पिपा और सोपा तो परमाणु विस्फ़ोट जैसे हैं
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8:29 - 8:33और ये कह रहे हैं, कि हम दुनिया में हर जगह पहुँच कर
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8:33 - 8:35कंटेंट को सेंसर करना चाहते हैं।
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8:35 - 8:38और इसे करने की विधि, जैसे मैने पहले कहा,
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8:38 - 8:41ये है कि आप हर उस लिंक को हटा देंगे
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8:41 - 8:43जो उन आई.पी. एड्रेस तक पहुँचेंगे।
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8:43 - 8:45आप को उन्हें सर्च इंजिन से हटाना होगा,
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8:45 - 8:47आपको ऑनलाइन डारेक्ट्रियों से हटाना होगा,
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8:47 - 8:50आपको यूसर लिस्टों से हटाना होगा।
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8:50 - 8:54और क्योंकि इंटरनेट पर कंटेट के सबसे बडे रचयिता
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8:54 - 8:57गूगल या याहू नहीं हैं,
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8:57 - 8:59आप और हम हैं,
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8:59 - 9:01असल में निगरानी आपकी और हमारी ही होगी।
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9:01 - 9:03क्योंकि आखिर में,
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9:03 - 9:06असली खतरा
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9:06 - 9:09पिपा और सोपा के कानून बनने से
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9:09 - 9:12हमारी चीजों को शेयर करने की काबलियत को है।
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9:12 - 9:15तो पिपा और सोपा से खतरा ये है कि
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9:15 - 9:18ये सदियों पुराने कानूनी सिद्दांत को,
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9:18 - 9:20कि "जब तक सिद्ध नहीं, अपराधी नहीं"
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9:20 - 9:22उलट देंगे कि -
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9:22 - 9:24"जब तक सिद्ध नहीं, अपराधी" में
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9:24 - 9:26आप शेयर नहीं कर सकते
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9:26 - 9:29जब तक कि आप ये न दिखा दें
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9:29 - 9:31कि आप जो शेयर कर रहे हैं,
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9:31 - 9:33वो इनके हिसाब से ठीक है।
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9:33 - 9:36अचानक, कानूनी और गैर-कानूनी होने का पूरा दारोमदार
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9:36 - 9:38हम पर ही गिर जायेगा।
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9:38 - 9:40और उन सेवाओं पर जो
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9:40 - 9:43हमें नया नया काम करने की काबलियत देना चाहती हैं।
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9:43 - 9:46और अगर सिर्फ़ एक पैसा भी
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9:46 - 9:48एक यूज़र की निगरानी में खर्च हो,
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9:48 - 9:50तो कोई भी ऐसी सेवा दिवालिया हो जायेगी
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9:50 - 9:52जिसके सौ मिलियन यूज़र होंगे।
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9:52 - 9:54और यही इंटरनेट है इन के दिमाग में।
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9:54 - 9:57सोचिये हर जगह ऐसा ही निशान लगा हो --
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9:57 - 10:00और यहाँ कॉलेज बेकरी न लिखा हो,
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10:00 - 10:02यहाँ लिखा हो यू-ट्यूब
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10:02 - 10:04और फ़ेसबुक और ट्विटर।
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10:04 - 10:06सोचिये यहाँ लिखा हो टेड,
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10:06 - 10:09क्योंकि कमेंटों की तो निगरानी हो ही नहीं सकती है
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10:09 - 10:12किसी भी कीमत पर।
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10:12 - 10:15सोपा और पिपा का असल असर
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10:15 - 10:18बताये जा रहे असर से बहुत अलग हो रहेगा।
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10:18 - 10:20असल खतरा ये है कि
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10:20 - 10:23साबित करने का काम उलटी पार्टी का हो जायेगा,
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10:23 - 10:25जहाँ अचानक हम सभी को
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10:25 - 10:27चोरों की तरह देखा जायेगा,
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10:27 - 10:30हर क्षण जब भी हम रचना की स्वतंत्रता का इस्तेमाल करेंगे,
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10:30 - 10:33कुछ बनाने या शेयर करने के लिये।
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10:33 - 10:36और वो लोग जिन्होंने हमें ये काबलियत दी है --
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10:36 - 10:39दुनिया भर के यू-ट्यूब, फ़ेसबुक, ट्विटर और टेड -
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10:39 - 10:41उनका मुख्य काम
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10:41 - 10:43हमार निगरानी करने का हो जायेगा,
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10:43 - 10:46कि कहीं हमारे द्वारा शेयर की चीज़ से उन पर तो फ़ंदा नहीं कस जायेगा।
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10:46 - 10:48अब दो काम हैं जो आप कर सकते हैं
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10:48 - 10:50इसे रोकने के लिये --
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10:50 - 10:53एक साधारण काम है और एक जटिल काम है,
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10:53 - 10:55एक आसान काम है और एक कठिन है।
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10:55 - 10:57साधारण आसान काम ये है:
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10:57 - 10:59यदि आप अमरीकी हैं,
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10:59 - 11:02तो अपने विधायक को कॉल कीजिये।
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11:02 - 11:05जब आप देखेंगे
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11:05 - 11:08कि कौन लोग हैं जिन्होंने सोपा को बढावा दिया है,
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11:08 - 11:10और पिपा के लिये प्रचार किया है,
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11:10 - 11:13आप देखेंगे कि उन्होंने लगातार कई सालों से
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11:13 - 11:16दसियों लाख डॉलर
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11:16 - 11:18पाये हैं पारंपरिक मीडिया इंडस्ट्री से।
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11:18 - 11:20आपके पास दसियों लाख डॉलर नहीं हैं,
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11:20 - 11:22लेकिन आप अपने नेताओं को कॉल कर के
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11:22 - 11:25ये याद दिला सकते हैं कि आप के पास वोट है,
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11:25 - 11:28और आप नहीं चाहते कि आप के साथ चोरों जैसा बर्ताव हो,
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11:28 - 11:30और आप उन्हें सुझाव दे सकते है कि आप चाहेंगे
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11:30 - 11:33कि इंटरनेट की कमर न तोडी जाये।
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11:33 - 11:35और अगर आप अमरीकी नहीं हैं,
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11:35 - 11:37तो आप उन अमरीकियों से बात कीजिये जिन्हें आप जानते हैं,
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11:37 - 11:39और उन्हें उत्साहित कीजिये ये करने के लिये।
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11:39 - 11:41क्योंकि इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाया जा रहा है,
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11:41 - 11:43मगर ये है नहीं।
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11:43 - 11:45ये इंडस्ट्री सिर्फ़ इस पर नहीं रुकेगी कि
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11:45 - 11:47इस ने अमरीका के इंटरनेट पर कब्ज़ा कर लिया।
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11:47 - 11:50यदि ये सफ़ल हुए, तो दुनियी भर का इंटरनेट कब्जा लेंगी।
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11:50 - 11:52ये तो था आसान काम।
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11:52 - 11:54ये था साधारण काम।
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11:54 - 11:56अब कठिन काम:
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11:56 - 11:59तैयार हो जाइये, क्योंकि और भी हमले होने वाले हैं।
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11:59 - 12:02सोपा असल में कोयका (COICA) का नया रूप है,
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12:02 - 12:04जिसे पिछले साल पेश किया गया था, मगर वो पास नहीं हुआ।
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12:04 - 12:06और ये सारी कहानी ठहरती है
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12:06 - 12:08डी.एम.सी.ए. के असफ़ल हो जाने में,
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12:08 - 12:10टेक्नालाजी का इस्तेमाल कर के शेयरिंग रोक पाने में असफ़ल होने में।
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12:10 - 12:13और डी.एम.सी.ए. ठहरता है द ऑडियो होम रिकार्डिंग एक्ट पर,
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12:13 - 12:15जिसने इस इंडस्ट्री के शहंशाहों की हवा निकाल दी थी।
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12:15 - 12:17क्योंकि ये जटिल है कि
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12:17 - 12:20पहले कहा जाये कि कोई कानून तोड रहा है
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12:20 - 12:22और फ़िर सबूत इकट्ठे करना और सिद्ध करना,
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12:22 - 12:25ये काफ़ी असुविधा भरा है।
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12:25 - 12:27"काश इस सिद्द करने के झमेले में न पडना पडे"
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12:27 - 12:29कंटेंट कंपनियाँ ये सोचती हैं।
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12:29 - 12:32और वो इस झमेले में पडना ही नहीं चाहती कि
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12:32 - 12:34ये सोचना पडे कि क्या फ़र्फ़ है
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12:34 - 12:36कानूनी और गैर-कानूनी में।
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12:36 - 12:38वो तो बस सीधा सरल उपाय चाहती हैं कि शेयरिंग बंद हो जाये।
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12:38 - 12:41पिपा और सोपा कोई नयी बात या अलग सा आयडिया नहीं हैं,
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12:41 - 12:43न ही ये आज शुरु हुआ कोई खेल है।
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12:43 - 12:46ये तो उसी पुराने पेंच का अगला घुमाव है,
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12:46 - 12:48जो पिछले बीस साल से षडयंत्र कर रहा है।
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12:48 - 12:50और अगर हमने इसे हरा दिया, जैसा मैं आशा करता हूँ,
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12:50 - 12:52और हमले आयेंगे।
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12:52 - 12:57क्योंकि जब तक हम काँग्रेस को विश्वास नहीं दिला देते
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12:57 - 13:00कि कॉपीराइट हनन से निपटने का सही उपाय वो है जो कि
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13:00 - 13:04नैप्स्टर या यूट्यूब ने इस्तेमाल किया,
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13:04 - 13:07जहाँ एक सुनवाई होती है सारे सबूतों के साथ,
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13:07 - 13:10सारे तथ्यों पर विचार कर के, और उपायों पर विमर्ष कर के,
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13:10 - 13:12जैसा कि प्रजातांत्रिक समाजों में होता है।
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13:12 - 13:14ये ही सही तरीका है इस से निपटने का।
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13:14 - 13:16और इस बीच,
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13:16 - 13:18कठिन काम ये है कि कमर कस लीजिये।
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13:18 - 13:20क्योंकि यही पिपा और सोपा का असली संदेश है।
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13:20 - 13:22टाइम वार्नर ने बुलावा भेज दिया है
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13:22 - 13:24और वो हमें वापस सिर्फ़ कन्स्यूमर बनाना चाहते हैं-
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13:24 - 13:26काउच पोटेटो (couch potato)
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13:26 - 13:28हम न रचें, न हम शेयर करें --
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13:28 - 13:30और हमें ज़ोर से कहना चाहिये, "नहीं।"
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13:30 - 13:32धन्यवाद।
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13:32 - 13:38(तालियाँ)
- Title:
- क्ले शर्की: सोपा में गडबड क्या है
- Speaker:
- Clay Shirky
- Description:
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पिपा या सोपा जैसे विधेयक हमारी-आपकी शेयरिंग से ओत-प्रोत दुनिया पर क्या असर डालेंगे? टेड के दफ़्तरों में, क्ले शर्की बाकायदा एक घोषणा पत्र जारी करते है - एक पुकार हम सब की आज़ादी की रक्षा के लिये - निष्क्रिय रूप से क्नस्यूम करते जाने के बजाय रचने, विमर्श करने और लिंक और शेयर करने की आज़ादी की रक्षा के लिये।
- Video Language:
- English
- Team:
closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 13:39