< Return to Video

क्ले शर्की: सोपा में गडबड क्या है

  • 0:00 - 0:02
    मैं यहाँ से शुरु करूँगा।
  • 0:02 - 0:04
    ये हाथ से बनाया गया एक चिन्ह है
  • 0:04 - 0:06
    जो एक छोटी सी बेकरी मे लगा था
  • 0:06 - 0:09
    कुछ साल पहले ब्रुकलिन में मेरे पडोस के इलाके में।
  • 0:09 - 0:11
    इस बेकरी में एक छोटी से मशीन लगी थी
  • 0:11 - 0:13
    जो कि शुगर-प्लेट पर छपाई कर सकती थी।
  • 0:13 - 0:15
    और बच्चे अपनी अपनी ड्राइंग लाते थे,
  • 0:15 - 0:18
    और दुकान में एक शुगर-प्लेट पर छपवा कर
  • 0:18 - 0:20
    अपने बर्थ-डे केक के ऊपर लगाते थे।
  • 0:20 - 0:23
    मगर दुर्भाग्यवश, एक चीज़ जो बच्चे ख़ूब बनाते हैं,
  • 0:23 - 0:25
    वो है कार्टून चरित्रों की ड्राइंग।
  • 0:25 - 0:27
    उन्हें मज़ा आता है लिटल मर्मेड बना कर,
  • 0:27 - 0:30
    स्मर्फ़ बना कर, मिकी माउस बना कर।
  • 0:30 - 0:32
    मगर असल में ये ग़ैर-कानूनी है
  • 0:32 - 0:35
    कि मिकी माउस का चित्र जो एक बच्चे ने बनाया है,
  • 0:35 - 0:38
    एक शुगर-प्लेट पर छापा जाये।
  • 0:38 - 0:40
    और ये कॉपी-राइट का हनन है।
  • 0:40 - 0:42
    और ऐसे कॉपी-राइट को
  • 0:42 - 0:44
    बच्चों के केक से बचाना
  • 0:44 - 0:46
    इतना उलझा हुआ काम था
  • 0:46 - 0:48
    कि कॉलेज बेकरी ने कहा,
  • 0:48 - 0:50
    "ऐसा है, हम ये काम ही बंद कर रहे हैं।
  • 0:50 - 0:52
    अगर आप शौकिया कलाकार हैं,
  • 0:52 - 0:54
    तो आप हमारी मशीन का इस्तेमाल नही कर सकते।
  • 0:54 - 0:56
    अगर आपको अपने बर्थ-डे केक पर छपाई चाहिये,
  • 0:56 - 1:00
    तो आपको हमारे पास पहले से उपलब्ध चित्रों में से एक लेना होगा --
  • 1:00 - 1:02
    केवल पेशेवर कलाकारों द्वारा बनाये गये चित्रों से।"
  • 1:02 - 1:05
    तो कांग्रेस में इस वक्त दो विधेयक पेश हो चुके हैं।
  • 1:05 - 1:07
    एक है सोपा (SOPA) और दूसरा है पिपा (PIPA)।
  • 1:07 - 1:09
    सोपा (SOPA) का अर्थ है स्टॉप ऑनलाइन पायरेसी एक्ट।
  • 1:09 - 1:11
    ये सेनेट से आया है।
  • 1:11 - 1:14
    पिपा (PIPA) लघु रूप है PROTECTIP का
  • 1:14 - 1:16
    जो कि स्वयं लघुरूप है
  • 1:16 - 1:18
    प्रिवेंटिंग रियल ऑनलाइन थ्रेट्स
  • 1:18 - 1:20
    टू इकॉनामिक क्रिएटिविटी
  • 1:20 - 1:22
    एन्ड थेफ़्ट ऑफ़ इन्टेलेक्चुअल प्रोपर्टी --
  • 1:22 - 1:24
    इन चीज़ों को नाम देने वाले कांग्रेस के नुमाइंदों के पास
  • 1:24 - 1:26
    बहुत ढेर सारा फ़ालतू समय होता है।
  • 1:26 - 1:28
    और सोपा और पिपा नाम की बलायें
  • 1:28 - 1:30
    आख़िरकार करना ये चाहती हैं।
  • 1:30 - 1:32
    वो इतना महँगा बना देना चाहती हैं
  • 1:32 - 1:35
    कॉपी-राइट के दायरे में रह कर काम करने को,
  • 1:35 - 1:38
    कि लोग उन काम-धंधों को छोड ही दें
  • 1:38 - 1:41
    जिनमें शौकिया रचना करने वाले शामिल होते हैं।
  • 1:41 - 1:44
    अब, ऐसा करने के लिये उनका सुझाव ये है कि
  • 1:44 - 1:46
    उन वेबसाइटों को पहचान लिया जाये
  • 1:46 - 1:48
    जो कॉपी-राइट हनन कर रहे हैं --
  • 1:48 - 1:50
    हालांकि ये साइट कैसे कॉपी-राइट हनन कर रहे हैं,
  • 1:50 - 1:52
    विधेयक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे बैठा है --
  • 1:52 - 1:55
    और फ़िर वो इन साइटों को डोमेन नेम सिस्टम से बर्खास्त कर देना चाहते हैं।
  • 1:55 - 1:57
    वो इन्हें डोमेन नेम सिस्टम से निष्काशित कर देना चाहते हैं।
  • 1:57 - 1:59
    देखिये ये डोमेन नेम सिस्टम ही है
  • 1:59 - 2:02
    जो कि इंसानों को समझ आने वाले नामों को, जैसे कि गूगल डॉट कॉम,
  • 2:02 - 2:04
    उन नामों में बदलता है
  • 2:04 - 2:06
    जिन्हें कम्प्यूटर समझता है --
  • 2:06 - 2:11
    जैसे कि ७४.१२५.२२६.२१२
  • 2:11 - 2:14
    असल ख़राबी इस सेंसरशिप के मॉडल में,
  • 2:14 - 2:16
    जो कि इन साइटों को ढूँढेगा,
  • 2:16 - 2:18
    फ़िर उन्हें डोमेन नेम सिस्टम से हटाने की कोशिश करेगा,
  • 2:18 - 2:20
    ये है कि ये काम नहीं करेगा।
  • 2:20 - 2:23
    और आपको लग रहा होगा कि ये कानून के लिये ख़ासी बडी दिक्कत होगी
  • 2:23 - 2:25
    मगर कांग्रेस इस बात से ज़रा भी परेशान नही लगती है।
  • 2:25 - 2:27
    ये सिस्टम धवस्त इसलिये हो जायेगा क्योंकि
  • 2:27 - 2:31
    आप अब भी अपने ब्राउज़र में ७४.१२५.२२६.२१२ टाइप कर के
  • 2:31 - 2:33
    या उसका क्लिक-करने लायक लिंक बना कर
  • 2:33 - 2:36
    अब भी गूगल तक पहुँच पायेंगे।
  • 2:36 - 2:38
    तो जो सुरक्षात्मक घेरा
  • 2:38 - 2:40
    इस समस्या के आसपास खडा किया गया है,
  • 2:40 - 2:44
    वही इस एक्ट का सबसे बडा खतरा है।
  • 2:44 - 2:47
    कैसे कांग्रेस ने ऐसा विधेयक लिख डाला
  • 2:47 - 2:50
    जो कि अपने मुकरर्र लक्ष्यों को कभी पूरा नहीं करेगा,
  • 2:50 - 2:52
    मगर एक हज़ार नुकसानदायक साइड-एफ़ेक्ट बना डालेगा,
  • 2:52 - 2:54
    ये समझने के लिये आपको कहानी में गहरे पैठना होगा।
  • 2:54 - 2:56
    और कहानी कुछ ऐसी है:
  • 2:56 - 2:58
    सोपा और पिपा, ऐसे विधेयक हैं
  • 2:58 - 3:01
    जिनका ड्राफ़्ट मुख्यतः उन मीडिया कंपनियों ने लिखा
  • 3:01 - 3:03
    जो कि बीसवीं सदी में शुरु हुई थीं।
  • 3:03 - 3:05
    बीसवीं सदी मीडिया कंपनियों के लिये स्वर्णिम समय था
  • 3:05 - 3:08
    क्योंकि मीडिया कंटेट की बहुत ही ज्यादा कमी थी।
  • 3:08 - 3:10
    अगर आप कोई टी.वी. शो बना रहे हैं,
  • 3:10 - 3:14
    तो उसे बाकी सारे टी.वी शो से बेहतर नहीं होना होगा;
  • 3:14 - 3:16
    उसे केवल बेहतर होना होगा
  • 3:16 - 3:18
    बाकी दो शो से,
  • 3:18 - 3:20
    जो उसी समय प्रसारित होते हों --
  • 3:20 - 3:22
    जो कि बहुत ही हल्की शर्त है
  • 3:22 - 3:25
    स्पर्धा के लिहाज से।
  • 3:25 - 3:27
    जिसका मतलब है
  • 3:27 - 3:29
    कि यदि आप बिलकुल औसत कंटेंट भी बना रहे हैं,
  • 3:29 - 3:32
    तो फ़्री में अमरीका की एक-तिहाई पब्लिक आपकी बात सुनने को मजबूर है -
  • 3:32 - 3:35
    कई लाख लोग एक साथ आपको सुन रहे हैं
  • 3:35 - 3:37
    तब भी जब कि आपका बनाया
  • 3:37 - 3:39
    कुछ ख़ास नहीं है।
  • 3:39 - 3:41
    ये ऐसा है जैसे आपको नोट छापने का लाइसेंस मिल जाये,
  • 3:41 - 3:43
    और साथ ही फ़्री इंक भी।
  • 3:43 - 3:46
    मगर टेक्नालाजी आगे बढ गयी, जैसा कि वो हमेशा करती है।
  • 3:46 - 3:49
    और धीरे धीरे, बीसवीं शताब्दी के अंत तक,
  • 3:49 - 3:51
    कंटेट की वो कमी खत्म सी होने लगी --
  • 3:51 - 3:53
    और मेरा मतलब डिजिटल टेक्नालाजी से नहीं है,
  • 3:53 - 3:55
    साधारण एनालाग टेक्नालाजी भी ज़रिया बनी।
  • 3:55 - 3:57
    कैसेट टेप, विडियो कैसेट रेकार्डर,
  • 3:57 - 3:59
    यहाँ तक कि ज़ेराक्स मशीन भी
  • 3:59 - 4:01
    नये अवसर पैदा करने लगी
  • 4:01 - 4:03
    ऐसे क्रियाकलापों के लिये,
  • 4:03 - 4:05
    जिन्होनें इन मीडिया कंपनियों की हवा निकाल दी।
  • 4:05 - 4:07
    क्योंकि अचानक इन्हें पता लगा कि
  • 4:07 - 4:09
    कि हम लोग सिर्फ़ चुपचाप बैठ कर देखने वाले लोग नहीं हैं।
  • 4:09 - 4:12
    हम सिर्फ़ कनस्यूम करना ही नहीं चाहते।
  • 4:12 - 4:14
    हमें कन्स्यूम करने में मज़ा आता है,
  • 4:14 - 4:17
    मगर जब भी ऐसे नये अविष्कार हम तक पहुँचे,
  • 4:17 - 4:19
    हमने कुछ रचने की भी कोशिश की
  • 4:19 - 4:21
    और अपनी रचना को शेयर करने, बाँटने का प्रयास किया।
  • 4:21 - 4:23
    और इस बात ने मीडिया कंपनियों को घबराहट में डाल दिया --
  • 4:23 - 4:25
    हर बार उनकी हालत पतली ही हुई।
  • 4:25 - 4:27
    जैक वलेन्टी ने, जो कि मुख्य प्रचारक थे
  • 4:27 - 4:29
    मोशन पिक्चर एसोसिएशन ऑफ़ अमेरिका के,
  • 4:29 - 4:33
    एक बार घृणा योग्य विडियो कैसेट रिकार्डर की तुलना
  • 4:33 - 4:35
    जैक द रिपर से की थी
  • 4:35 - 4:37
    और गरीब, ह्ताश, बेचारे हॉलीवुड की
  • 4:37 - 4:40
    उस कमज़ोर औरत से जो घर पर अकेले शिकार होने को बैठी है।
  • 4:40 - 4:42
    इस स्तर पर चीख-पुकार मचायी गयी थी।
  • 4:42 - 4:44
    और इसलिये मीडिया इंडस्ट्री ने
  • 4:44 - 4:46
    गिडगिडा कर, ज़ोर डाल कर, ये माँग रखी
  • 4:46 - 4:48
    कि काँग्रेस कुछ करे।
  • 4:48 - 4:50
    और काँग्रेस ने किया भी।
  • 4:50 - 4:52
    ९० के दशक के पूर्वार्ध तक, काँग्रेस ने ऐसा कानून बनाया
  • 4:52 - 4:55
    जिसने सब कुछ बदल दिया।
  • 4:55 - 4:57
    और उस कानून का नाम था 'द ऑडियो होम रेकार्डिंग एक्ट'
  • 4:57 - 4:59
    सन १९९२ का।
  • 4:59 - 5:02
    १९९२ का द ऑडियो होम रिकार्डिंग एक्ट ये कहता है कि,
  • 5:02 - 5:04
    देखिये, अगर लोग रेडियो प्रसारण को रिकार्ड कर रहे हैं,
  • 5:04 - 5:07
    और फ़िर दोस्तों के लिये खिचडी-कैसेट बना रहे हैं,
  • 5:07 - 5:10
    तो ये अपराध नहीं है। इसमें कोई गलत बात नहीं है।
  • 5:10 - 5:12
    टेप करना, रीमिक्स करना,
  • 5:12 - 5:15
    और दोस्तों में बाँटना गलत नहीं है।
  • 5:15 - 5:17
    यदि आप कई सारी उम्दा क्वालिटी की कॉपी बना कर बेच रहे हैं,
  • 5:17 - 5:19
    तो ये बिल्कुल भी सही नहीं है।
  • 5:19 - 5:21
    मगर ये छोटा मोटा टेप करना वगैरह
  • 5:21 - 5:23
    ठीक है, इसे चलने दो।
  • 5:23 - 5:26
    और उन्हें लगा कि उन्होनें मसले को हल कर दिया है,
  • 5:26 - 5:28
    क्योंकि उन्होंने साफ़ लकीर बना दी थी
  • 5:28 - 5:30
    कानूनन गलत और कानूनन सही कॉपी करने के बीच।
  • 5:30 - 5:33
    मगर मीडिया कंपनियों को ये नहीं चाहिये था।
  • 5:33 - 5:35
    वो ये चाहते थे कि काँग्रेस
  • 5:35 - 5:38
    किसी भी तरह की कॉपी करने पर पूर्ण रोक लगा दे।
  • 5:38 - 5:41
    तो जब १९९२ का ऑडियो होम रेकार्डिंग एक्ट पास हुआ,
  • 5:41 - 5:45
    मीडया कंपनियों ने ये विचार ही छोड दिया कि
  • 5:45 - 5:47
    कॉपी करना किसी स्थिति में कानूनन सही माना जा सकता है
  • 5:47 - 5:49
    क्योंकि ये साफ़ था
  • 5:49 - 5:51
    कि यदि काँग्रेस इस नज़रिये से सोचेगी तो
  • 5:51 - 5:55
    शायद नागरिकों को और भी अधिकार मिले
  • 5:55 - 5:57
    अपने मीडिया परिवेश में रचनात्मक भागीदारी करने के।
  • 5:57 - 5:59
    तो उन्होनें दूसरी ही योजना बनाई।
  • 5:59 - 6:01
    उन्हें इस योजना को बनाने में थोडा समय ज़रूर लगा।
  • 6:01 - 6:03
    ये योजना पूर्ण रूप से सामने आयी
  • 6:03 - 6:05
    सन १९९८ में --
  • 6:05 - 6:08
    डिजिटल मिलेनियम कॉपीराइट एक्ट के रूप में। (डी.एम.सी.ए.)
  • 6:08 - 6:10
    ये अत्यधिक जटिल कानून था, हजारों हिस्सों में बँटा हुआ।
  • 6:10 - 6:13
    मगर डी.एम.सी.ए का मुख्यतः ज़ोर ये था कि
  • 6:13 - 6:15
    ये कानूनन सही है कि आपको बेचा जाय
  • 6:15 - 6:17
    ऐसा डिजिटल कंटेट जिसे कॉपी नहीं किया जा सकता --
  • 6:17 - 6:20
    बस इतनी सी गल्ती हुई कि ऐसा कोई डिजिटल कंटेट नहीं हो सकता जो कॉपी न हो सके।
  • 6:20 - 6:22
    ये ऐसा था जैसा कि एड फ़ेल्टन ने कहा था,
  • 6:22 - 6:24
    "ऐसा पानी बेचना जो
  • 6:24 - 6:26
    गीला न हो।"
  • 6:26 - 6:29
    बिट्स तो कॉपी लायक होते ही हैं। यही तो कम्प्यूटर करते हैं।
  • 6:29 - 6:32
    ये तो उनके सामन्य काम करने के तरीका का निहित अंग है।
  • 6:32 - 6:34
    तो ऐसी काबलियत के नाटक के लिये
  • 6:34 - 6:36
    कि असल में कॉपी नहीं होने वाले बिट्स बिक सकते हैं,
  • 6:36 - 6:38
    डी.एम.सी.ए ने ये भी कानूनी रूप से सही करार दिया
  • 6:38 - 6:41
    कि आप पर ऐसे सिस्टम थोपे जायें
  • 6:41 - 6:44
    जो आपके यंत्रों की कॉपी करने के काबलियत खत्म कर दें।
  • 6:44 - 6:46
    हर डीवीडी प्लेयर और गेम प्लेयर
  • 6:46 - 6:49
    और टीवी, और कम्प्यूटर जो आप घर ले जाते रहे --
  • 6:49 - 6:52
    आप चाहे जो सोच कर उसे खरीद रहे थे --
  • 6:52 - 6:55
    कंटेट इंडस्ट्री द्वारा तोडा जा सकता था,
  • 6:55 - 6:58
    अगर वो चाहते कि इसी शर्त पर आपको कंटेंट बेचेंगे।
  • 6:58 - 7:01
    और ये सुनिश्चित करने के लिये कि आपको ये पता न लगे,
  • 7:01 - 7:04
    या फ़िर आप उस यंत्र की साधारण
  • 7:04 - 7:06
    कम्प्यूटर नुमा गतिविधियों को इस्तेमाल न कर पायें,
  • 7:06 - 7:08
    उन्होंने ये गैर-कानूनी करवा दिया
  • 7:08 - 7:10
    कि आप रीसेट कर सके
  • 7:10 - 7:12
    उनके कंटेंट को कापी होने लायक बनाने के लिये।
  • 7:12 - 7:14
    डी.एम.सी.ए. वो काला क्षण है
  • 7:14 - 7:16
    जब कि मीडिया इंडस्ट्री ने
  • 7:16 - 7:18
    उस कानूनी सिस्टम को ताक पर रख दिया
  • 7:18 - 7:21
    जो कानूनी और गैर-कानूनी कॉपी में फ़र्क करता था,
  • 7:21 - 7:24
    और पूरी तरह से कॉपी रोकने का प्रयास किया,
  • 7:24 - 7:26
    तकनीक के इस्तेमाल से भी।
  • 7:26 - 7:29
    डी.एम.सी.ए के कई जटिल असर होते आये हैं, और हो रहे हैं,
  • 7:29 - 7:32
    और इस संदर्भ में उसका असर है - शेयरिंग पर कसी गयी लगाम,
  • 7:32 - 7:34
    मगर वो ज्यादातर नाकामयाब ही हुये हैं।
  • 7:34 - 7:36
    और उनकी इस असफ़लता का मुख्य कारण रहा है ये कि
  • 7:36 - 7:39
    इंटरनेट ज्यादा फ़ैला है, और ज्यादा शक्तिशाली बन कर उभरा है,
  • 7:39 - 7:42
    किसी की भी सोच के मुकाबले।
  • 7:42 - 7:44
    टेप मिक्स करना, फ़ैन मग्ज़ीन वगैरह निकानला
  • 7:44 - 7:46
    कुछ भी नहीं है उस के मुकाबले जो आज घटित हो रहा है
  • 7:46 - 7:48
    इंटरनेट पर।
  • 7:48 - 7:50
    हम आज ऐसे विश्व के बाशिंदे हैं
  • 7:50 - 7:52
    जहाँ ज्यादातर अमरीकी
  • 7:52 - 7:54
    जो १२ वर्ष से बडे हैं,
  • 7:54 - 7:56
    एक दूसरे से ऑन्लाइन चीजें शेयर करते हैं।
  • 7:56 - 7:58
    हम लेख शेयर करते हैं, तस्वीरें साझा करते हैं,
  • 7:58 - 8:00
    ऑडियो, विडियो सब साझा करते हैं।
  • 8:00 - 8:02
    हमारी शेयर की गयी चीजों में से कुछ हमारी खुद की बनायी होती हैं।
  • 8:02 - 8:04
    कुछ ऐसी सामग्री होती है जो हमें मिली होती है।
  • 8:04 - 8:06
    और कुछ ऐसी सामग्री भी जो
  • 8:06 - 8:08
    हमने उस कंटेट से बनायी होती है जो हमें मिला,
  • 8:08 - 8:11
    और ये सब मीडिया इंडस्ट्री के होश उडाने के लिये काफ़ी है।
  • 8:11 - 8:13
    तो पिपा और सोपा इस युद्ध
  • 8:13 - 8:15
    की दूसरी कडी है।
  • 8:15 - 8:17
    मगर जहाँ डी.एम.सी.ए. अंदर घुस कर काम करता था --
  • 8:17 - 8:20
    कि हम आपके कम्प्यूटर में घुसे हैं,
  • 8:20 - 8:23
    आपके टीवी का हिस्सा हैं, आपके गेम मशीन में मौजूद हैं,
  • 8:23 - 8:25
    और उसे वो करने से रोक रहे हैं
  • 8:25 - 8:27
    जिसके वादे पर हमने उन्हें खरीदा था --
  • 8:27 - 8:29
    पिपा और सोपा तो परमाणु विस्फ़ोट जैसे हैं
  • 8:29 - 8:33
    और ये कह रहे हैं, कि हम दुनिया में हर जगह पहुँच कर
  • 8:33 - 8:35
    कंटेंट को सेंसर करना चाहते हैं।
  • 8:35 - 8:38
    और इसे करने की विधि, जैसे मैने पहले कहा,
  • 8:38 - 8:41
    ये है कि आप हर उस लिंक को हटा देंगे
  • 8:41 - 8:43
    जो उन आई.पी. एड्रेस तक पहुँचेंगे।
  • 8:43 - 8:45
    आप को उन्हें सर्च इंजिन से हटाना होगा,
  • 8:45 - 8:47
    आपको ऑनलाइन डारेक्ट्रियों से हटाना होगा,
  • 8:47 - 8:50
    आपको यूसर लिस्टों से हटाना होगा।
  • 8:50 - 8:54
    और क्योंकि इंटरनेट पर कंटेट के सबसे बडे रचयिता
  • 8:54 - 8:57
    गूगल या याहू नहीं हैं,
  • 8:57 - 8:59
    आप और हम हैं,
  • 8:59 - 9:01
    असल में निगरानी आपकी और हमारी ही होगी।
  • 9:01 - 9:03
    क्योंकि आखिर में,
  • 9:03 - 9:06
    असली खतरा
  • 9:06 - 9:09
    पिपा और सोपा के कानून बनने से
  • 9:09 - 9:12
    हमारी चीजों को शेयर करने की काबलियत को है।
  • 9:12 - 9:15
    तो पिपा और सोपा से खतरा ये है कि
  • 9:15 - 9:18
    ये सदियों पुराने कानूनी सिद्दांत को,
  • 9:18 - 9:20
    कि "जब तक सिद्ध नहीं, अपराधी नहीं"
  • 9:20 - 9:22
    उलट देंगे कि -
  • 9:22 - 9:24
    "जब तक सिद्ध नहीं, अपराधी" में
  • 9:24 - 9:26
    आप शेयर नहीं कर सकते
  • 9:26 - 9:29
    जब तक कि आप ये न दिखा दें
  • 9:29 - 9:31
    कि आप जो शेयर कर रहे हैं,
  • 9:31 - 9:33
    वो इनके हिसाब से ठीक है।
  • 9:33 - 9:36
    अचानक, कानूनी और गैर-कानूनी होने का पूरा दारोमदार
  • 9:36 - 9:38
    हम पर ही गिर जायेगा।
  • 9:38 - 9:40
    और उन सेवाओं पर जो
  • 9:40 - 9:43
    हमें नया नया काम करने की काबलियत देना चाहती हैं।
  • 9:43 - 9:46
    और अगर सिर्फ़ एक पैसा भी
  • 9:46 - 9:48
    एक यूज़र की निगरानी में खर्च हो,
  • 9:48 - 9:50
    तो कोई भी ऐसी सेवा दिवालिया हो जायेगी
  • 9:50 - 9:52
    जिसके सौ मिलियन यूज़र होंगे।
  • 9:52 - 9:54
    और यही इंटरनेट है इन के दिमाग में।
  • 9:54 - 9:57
    सोचिये हर जगह ऐसा ही निशान लगा हो --
  • 9:57 - 10:00
    और यहाँ कॉलेज बेकरी न लिखा हो,
  • 10:00 - 10:02
    यहाँ लिखा हो यू-ट्यूब
  • 10:02 - 10:04
    और फ़ेसबुक और ट्विटर।
  • 10:04 - 10:06
    सोचिये यहाँ लिखा हो टेड,
  • 10:06 - 10:09
    क्योंकि कमेंटों की तो निगरानी हो ही नहीं सकती है
  • 10:09 - 10:12
    किसी भी कीमत पर।
  • 10:12 - 10:15
    सोपा और पिपा का असल असर
  • 10:15 - 10:18
    बताये जा रहे असर से बहुत अलग हो रहेगा।
  • 10:18 - 10:20
    असल खतरा ये है कि
  • 10:20 - 10:23
    साबित करने का काम उलटी पार्टी का हो जायेगा,
  • 10:23 - 10:25
    जहाँ अचानक हम सभी को
  • 10:25 - 10:27
    चोरों की तरह देखा जायेगा,
  • 10:27 - 10:30
    हर क्षण जब भी हम रचना की स्वतंत्रता का इस्तेमाल करेंगे,
  • 10:30 - 10:33
    कुछ बनाने या शेयर करने के लिये।
  • 10:33 - 10:36
    और वो लोग जिन्होंने हमें ये काबलियत दी है --
  • 10:36 - 10:39
    दुनिया भर के यू-ट्यूब, फ़ेसबुक, ट्विटर और टेड -
  • 10:39 - 10:41
    उनका मुख्य काम
  • 10:41 - 10:43
    हमार निगरानी करने का हो जायेगा,
  • 10:43 - 10:46
    कि कहीं हमारे द्वारा शेयर की चीज़ से उन पर तो फ़ंदा नहीं कस जायेगा।
  • 10:46 - 10:48
    अब दो काम हैं जो आप कर सकते हैं
  • 10:48 - 10:50
    इसे रोकने के लिये --
  • 10:50 - 10:53
    एक साधारण काम है और एक जटिल काम है,
  • 10:53 - 10:55
    एक आसान काम है और एक कठिन है।
  • 10:55 - 10:57
    साधारण आसान काम ये है:
  • 10:57 - 10:59
    यदि आप अमरीकी हैं,
  • 10:59 - 11:02
    तो अपने विधायक को कॉल कीजिये।
  • 11:02 - 11:05
    जब आप देखेंगे
  • 11:05 - 11:08
    कि कौन लोग हैं जिन्होंने सोपा को बढावा दिया है,
  • 11:08 - 11:10
    और पिपा के लिये प्रचार किया है,
  • 11:10 - 11:13
    आप देखेंगे कि उन्होंने लगातार कई सालों से
  • 11:13 - 11:16
    दसियों लाख डॉलर
  • 11:16 - 11:18
    पाये हैं पारंपरिक मीडिया इंडस्ट्री से।
  • 11:18 - 11:20
    आपके पास दसियों लाख डॉलर नहीं हैं,
  • 11:20 - 11:22
    लेकिन आप अपने नेताओं को कॉल कर के
  • 11:22 - 11:25
    ये याद दिला सकते हैं कि आप के पास वोट है,
  • 11:25 - 11:28
    और आप नहीं चाहते कि आप के साथ चोरों जैसा बर्ताव हो,
  • 11:28 - 11:30
    और आप उन्हें सुझाव दे सकते है कि आप चाहेंगे
  • 11:30 - 11:33
    कि इंटरनेट की कमर न तोडी जाये।
  • 11:33 - 11:35
    और अगर आप अमरीकी नहीं हैं,
  • 11:35 - 11:37
    तो आप उन अमरीकियों से बात कीजिये जिन्हें आप जानते हैं,
  • 11:37 - 11:39
    और उन्हें उत्साहित कीजिये ये करने के लिये।
  • 11:39 - 11:41
    क्योंकि इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाया जा रहा है,
  • 11:41 - 11:43
    मगर ये है नहीं।
  • 11:43 - 11:45
    ये इंडस्ट्री सिर्फ़ इस पर नहीं रुकेगी कि
  • 11:45 - 11:47
    इस ने अमरीका के इंटरनेट पर कब्ज़ा कर लिया।
  • 11:47 - 11:50
    यदि ये सफ़ल हुए, तो दुनियी भर का इंटरनेट कब्जा लेंगी।
  • 11:50 - 11:52
    ये तो था आसान काम।
  • 11:52 - 11:54
    ये था साधारण काम।
  • 11:54 - 11:56
    अब कठिन काम:
  • 11:56 - 11:59
    तैयार हो जाइये, क्योंकि और भी हमले होने वाले हैं।
  • 11:59 - 12:02
    सोपा असल में कोयका (COICA) का नया रूप है,
  • 12:02 - 12:04
    जिसे पिछले साल पेश किया गया था, मगर वो पास नहीं हुआ।
  • 12:04 - 12:06
    और ये सारी कहानी ठहरती है
  • 12:06 - 12:08
    डी.एम.सी.ए. के असफ़ल हो जाने में,
  • 12:08 - 12:10
    टेक्नालाजी का इस्तेमाल कर के शेयरिंग रोक पाने में असफ़ल होने में।
  • 12:10 - 12:13
    और डी.एम.सी.ए. ठहरता है द ऑडियो होम रिकार्डिंग एक्ट पर,
  • 12:13 - 12:15
    जिसने इस इंडस्ट्री के शहंशाहों की हवा निकाल दी थी।
  • 12:15 - 12:17
    क्योंकि ये जटिल है कि
  • 12:17 - 12:20
    पहले कहा जाये कि कोई कानून तोड रहा है
  • 12:20 - 12:22
    और फ़िर सबूत इकट्ठे करना और सिद्ध करना,
  • 12:22 - 12:25
    ये काफ़ी असुविधा भरा है।
  • 12:25 - 12:27
    "काश इस सिद्द करने के झमेले में न पडना पडे"
  • 12:27 - 12:29
    कंटेंट कंपनियाँ ये सोचती हैं।
  • 12:29 - 12:32
    और वो इस झमेले में पडना ही नहीं चाहती कि
  • 12:32 - 12:34
    ये सोचना पडे कि क्या फ़र्फ़ है
  • 12:34 - 12:36
    कानूनी और गैर-कानूनी में।
  • 12:36 - 12:38
    वो तो बस सीधा सरल उपाय चाहती हैं कि शेयरिंग बंद हो जाये।
  • 12:38 - 12:41
    पिपा और सोपा कोई नयी बात या अलग सा आयडिया नहीं हैं,
  • 12:41 - 12:43
    न ही ये आज शुरु हुआ कोई खेल है।
  • 12:43 - 12:46
    ये तो उसी पुराने पेंच का अगला घुमाव है,
  • 12:46 - 12:48
    जो पिछले बीस साल से षडयंत्र कर रहा है।
  • 12:48 - 12:50
    और अगर हमने इसे हरा दिया, जैसा मैं आशा करता हूँ,
  • 12:50 - 12:52
    और हमले आयेंगे।
  • 12:52 - 12:57
    क्योंकि जब तक हम काँग्रेस को विश्वास नहीं दिला देते
  • 12:57 - 13:00
    कि कॉपीराइट हनन से निपटने का सही उपाय वो है जो कि
  • 13:00 - 13:04
    नैप्स्टर या यूट्यूब ने इस्तेमाल किया,
  • 13:04 - 13:07
    जहाँ एक सुनवाई होती है सारे सबूतों के साथ,
  • 13:07 - 13:10
    सारे तथ्यों पर विचार कर के, और उपायों पर विमर्ष कर के,
  • 13:10 - 13:12
    जैसा कि प्रजातांत्रिक समाजों में होता है।
  • 13:12 - 13:14
    ये ही सही तरीका है इस से निपटने का।
  • 13:14 - 13:16
    और इस बीच,
  • 13:16 - 13:18
    कठिन काम ये है कि कमर कस लीजिये।
  • 13:18 - 13:20
    क्योंकि यही पिपा और सोपा का असली संदेश है।
  • 13:20 - 13:22
    टाइम वार्नर ने बुलावा भेज दिया है
  • 13:22 - 13:24
    और वो हमें वापस सिर्फ़ कन्स्यूमर बनाना चाहते हैं-
  • 13:24 - 13:26
    काउच पोटेटो (couch potato)
  • 13:26 - 13:28
    हम न रचें, न हम शेयर करें --
  • 13:28 - 13:30
    और हमें ज़ोर से कहना चाहिये, "नहीं।"
  • 13:30 - 13:32
    धन्यवाद।
  • 13:32 - 13:38
    (तालियाँ)
Title:
क्ले शर्की: सोपा में गडबड क्या है
Speaker:
Clay Shirky
Description:

पिपा या सोपा जैसे विधेयक हमारी-आपकी शेयरिंग से ओत-प्रोत दुनिया पर क्या असर डालेंगे? टेड के दफ़्तरों में, क्ले शर्की बाकायदा एक घोषणा पत्र जारी करते है - एक पुकार हम सब की आज़ादी की रक्षा के लिये - निष्क्रिय रूप से क्नस्यूम करते जाने के बजाय रचने, विमर्श करने और लिंक और शेयर करने की आज़ादी की रक्षा के लिये।

more » « less
Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
13:39
Swapnil Dixit added a translation

Hindi subtitles

Revisions