ब्रीन ब्राउन: अतिसंवेदनशीलता की ताकत
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0:00 - 0:02तो, मैं इससे शुरूआत करूँगी :
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0:02 - 0:04एक दो साल पहले, एक ईवैंट प्लानर ने मुझे फोन किया
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0:04 - 0:06क्योंकि मैं एक भाषण कार्यक्रम करने जा रही थी
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0:06 - 0:08तो उसने फोन किया, और कहा,
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0:08 - 0:10"मैं वाकई बहुत परेशानी में हूँ कि
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0:10 - 0:12तुम्हारे बारे में विज्ञापन के पर्चे में क्या लिखुँ ।"
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0:12 - 0:14और मैंने सोचा, "भई, परेशानी क्या है? "
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0:14 - 0:16तो उसने कहा, "भई मैंने तुम्हें भाषण देते हुए देखा है,
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0:16 - 0:19और मेरे ख्याल से मैं तुम्हें एक खोजकर्ता का नाम देने वाली हूँ
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0:19 - 0:21पर मुझे डर है कि अगर मैंने तुम्हें एक खोजकर्ता का नाम दिया तो कोई नहीं आएगा,
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0:21 - 0:23कयोंकि वे सोचेंगे कि तुम नीरस हो और किसी काम की नहीं हो ।"
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0:23 - 0:25(हंसी)
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0:25 - 0:27चलो ठीक है ।
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0:27 - 0:29फिर उसने कहा, "पर मुझे एक बात तुम्हारे भाषण में अच्छी लगी
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0:29 - 0:31कि तुम कहानी जैसी बातें करती हो
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0:31 - 0:34तो मेरे ख्याल में मैं ऐसा करती हूँ कि तुम्हें बस कहानी सुनाने वाली कहूँगी।"
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0:34 - 0:37और ज़ाहिर है कि मेरे पढ़ाकू, असुरक्षित मन ने
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0:37 - 0:39सोचा कि, "क्या ? क्या कहोगी तुम मुझे ? "
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0:39 - 0:42तो वो बोली, " मैं तुम्हें कहानी सुनाने वाली कहूँगी।"
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0:42 - 0:45तो मैंने सोचा, " हां भई परी मां क्यों नहीं ?"
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0:45 - 0:48(हंसी)
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0:48 - 0:51मैंने कहा, "मुझे इस बारे में एक घड़ी सोचने दो ज़रा।"
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0:51 - 0:54मैंने पूरी हिम्मत से अपने अंदर की आवाज़ सुनने की कोशिश की ।
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0:54 - 0:57और मैंने सोचा, मैं एक कहानी सुनाने वाली ही हूँ ।
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0:57 - 0:59मैं एक क्वालीटेटिव खोजकर्ता हूँ ।
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0:59 - 1:01मैं कहानियाँ इक्कठा करती हूँ, यही मेरा काम है।
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1:01 - 1:04और शायद कहानियाँ बस ऐसे आंकड़े भर हैं जिनकी आत्मा होती है।
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1:04 - 1:06और शायद मैं बस एक कहानी सुनाने वाली ही हूँ।
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1:06 - 1:08तो मैंने कहा, "क्या ख्याल है ?
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1:08 - 1:11तुम ऐसा क्यों नहीं कहतीं कि मैं एक खोजकर्ता-कहानी सुनाने वाली हूँ।"
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1:11 - 1:14तो वो हंसने लगी, " हा हा ऐसी कोई चीज़ नहीं होती।"
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1:14 - 1:16(हंसी)
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1:16 - 1:18तो, मैं एक खोजकर्ता-कहानी सुनाने वाली हूँ,
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1:18 - 1:20और मैं आज आपसे बात करूँगी --
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1:20 - 1:22हम समझ बढ़ाने के बारे में बात करेंगे --
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1:22 - 1:24और इसलिए मैं आपसे बात करना चाहती हूँ और कुछ कहानियाँ सुनाना चाहती हूँ
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1:24 - 1:27अपनी खोज के एक हिस्से के बारे में
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1:27 - 1:30जिसने बुनियादी तौर पर मेरी समझ को बढ़ा दिया
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1:30 - 1:33और वाकई मेरे जीने और प्रेम करने के तरीके को बदल दिया
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1:33 - 1:35और काम करने और बच्चों को पालने के तरीके को भी।
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1:35 - 1:37और यहाँ से मेरी कहानी शुरू होती है।
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1:37 - 1:40जब मैं एक कम उम्र खोजकर्ता थी, आचार्य की शिक्षा पा रही थी,
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1:40 - 1:42मेरे पहले वर्ष में मेरे एक खोज के प्रोफैसर थे
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1:42 - 1:44जिन्होंने हमसे कहा,
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1:44 - 1:46"ऐसा है,
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1:46 - 1:49कि जिसे आप माप नहीं सकते, वो चीज़ है ही नहीं।"
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1:49 - 1:52मैंने सोचा कि वो बस मुझसे बना रहे हैं।
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1:52 - 1:55मैंने सोचा, "अच्छा?" और उन्होंने जताया "बिलकुल।"
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1:55 - 1:57तो अब आपको समझना होगा
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1:57 - 1:59कि मेरे पास समाज सेवा में स्नातक, और समाज सेवा में स्नातकोत्तर की डिग्री है,
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1:59 - 2:01और मुझे समाज सेवा में आचार्य की उपाधि मिलने वाली थी,
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2:01 - 2:03तो मेरा सारा विद्यार्थी जीवन
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2:03 - 2:05ऐसे लोगों के बीच गुज़रा
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2:05 - 2:07जिनका ऐसा मानना था कि
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2:07 - 2:10ज़िंदगी उल्टी पुल्टी है, इससे प्यार करो।
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2:10 - 2:12और मेरा ऐसा मानना था, कि ज़िंदगी उल्टी पुल्टी है,
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2:12 - 2:15इसे संवारो, करीने से तहाओ
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2:15 - 2:17और इसे करीने से एक सन्दूक में बंद कर दो
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2:17 - 2:19(हंसी)
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2:19 - 2:22और बस समझ लीजिए कि मुझे मेरा रास्ता मिल गया था,
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2:22 - 2:25एक ऐसा काम मिल जाना जो मेरे मतलब का था--
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2:25 - 2:28वाकई, समाज सेवा में सबसे बड़ी कहावतों में से एक है
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2:28 - 2:31काम की बेआरामी में समा जाओ
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2:31 - 2:34और मेरा ये हाल था, बेआरामी का दरवाज़ा खटखटाओ
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2:34 - 2:36और इसे हटा कर सारे नंबर पाओ
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2:36 - 2:39ये मेरा मंत्र था।
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2:39 - 2:41तो इससे मैं बड़ी उत्साहित थी।
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2:41 - 2:44तो इसलिए मैंने सोचा, बस, यही मेरा काम है,
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2:44 - 2:47क्योंकि मेरी दिलचस्पी कुछ उल्टे पुल्टे विषयों में है।
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2:47 - 2:49पर मैं चाहती हूँ कि मैं उन्हें सीधा सादा बना सकूँ
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2:49 - 2:51मैं उन्हें समझना चाहती हूँ।
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2:51 - 2:53मैं उन चीज़ों का राज़ जानना चाहती हूँ
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2:53 - 2:55जो मेरे विचार में महत्वपूर्ण हैं
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2:55 - 2:57और उस राज़ को सबके सामने ले आना चाहती हूँ
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2:57 - 3:00तो मेंने जहाँ से शुरुआत की वो था संपर्क।
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3:00 - 3:03क्योंकि 10 सालों तक समाज सेवा करने के बाद,
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3:03 - 3:05आप समझ जाते हैं
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3:05 - 3:08कि संपर्क की वजह से ही हम यहाँ हैं ।
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3:08 - 3:11ये हमारे जीवन को उद्देश्य और अर्थ प्रदान करता है।
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3:11 - 3:13इस सबका मतलब यही है।
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3:13 - 3:15इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप उन लोगों से बात करें
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3:15 - 3:18जो सामाजिक न्याय और मानसिक स्वास्थ और उत्पीड़न तथा उपेक्षा के क्षेत्र में काम करते हैं,
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3:18 - 3:20जिसका हमें पता है वो यही संपर्क ही है,
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3:20 - 3:23जुड़ा हुआ होना महसूस करने कि योग्यता, है --
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3:23 - 3:26न्यूरोबायोलाजिकल स्तर पर हम ऐसे ही जुड़े हैं --
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3:26 - 3:28यही कारण है कि हम यहाँ हैं ।
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3:28 - 3:31तो मैंने सोचा कि चलो मैं संपर्क से ही शुरू करती हूँ ।
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3:31 - 3:34आपको तो वो हालात मालूम ही हैं
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3:34 - 3:36जब आपकी बॉस आपके काम को परखती है,
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3:36 - 3:39और वो आपको उन 37 चीजों के बारे में बताती है जो आप वाकई बहुत अच्छी करते हैं,
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3:39 - 3:41और एक चीज़ -- सुधरने का मौका ?
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3:41 - 3:43(हंसी)
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3:43 - 3:46और आप एक ही बात सोच रहे होते हैं कि सुधार, कहे का
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3:47 - 3:50ज़ाहिर है कि मेरा काम भी ऐसे ही चल रहा था,
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3:50 - 3:53क्योंकि, जब हम लोगों से प्रेम के बारे में पूछते हैं,
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3:53 - 3:55तो वो हमें दिल टूटने के बारे में बताते हैं।
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3:55 - 3:57जब आप लोगों से किसी रिश्ते के बारे में पूछते हैं,
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3:57 - 4:00तो वो आपको अपने सबसे दुखदायी अनुभव बताते हैं
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4:00 - 4:02उन्हें शामिल नहीं किए जाने के बारे में।
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4:02 - 4:04और जब आप लोगों से संपर्क के बारे में पूछते हैं,
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4:04 - 4:07तो जो कहानियाँ उन्होने मुझे बतायीं वो संपर्क टूटने के बारे में थीं।
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4:07 - 4:10तो संक्षेप में -- असल में तकरीबन इस खोज को करते हुए छ्ह हफ्ते हुए थे --
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4:10 - 4:13मैं इस बिना नाम की चीज़ से टकरा गयी
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4:13 - 4:16जिसने संपर्क को बिलकुल तार तार कर दिया
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4:16 - 4:19इस तरह से कि जैसा मैंने ना कभी समझा था ना देखा था।
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4:19 - 4:21इस वजह से मैंने यह खोज बंद कर दी
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4:21 - 4:24और सोचा, कि मुझे ये पता लगाना है कि ये है क्या।
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4:24 - 4:27और ये चीज़ शर्म निकली।
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4:27 - 4:29और शर्म को बहुत आसानी से
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4:29 - 4:31संपर्क टूटने के डर के रूप में समझ सकते हैं।
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4:31 - 4:33क्या मुझमें कुछ ऐसा है
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4:33 - 4:36कि अगर दूसरे लोग इसे जान जाएंगे या देख लेंगे,
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4:36 - 4:39तो मैं संपर्क के काबिल नहीं रहूँगा ।
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4:39 - 4:41मैं आपको इस बारे में ये बता सकती हूँ :
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4:41 - 4:43ये पूरे संसार में मौजूद है; ये हम सब में है।
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4:43 - 4:45सिर्फ उन्ही लोगों को शर्म महसूस नहीं होती
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4:45 - 4:47जिनमे इंसानी हमदर्दी या संपर्क के लिए कोई क्षमता नहीं होती।
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4:47 - 4:49कोई इसके बारे में बात नहीं करना चाहता,
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4:49 - 4:52और जितना कम आप इसके बारे में बात करते हैं उतनी ज़्यादा ये आप में बढ़ती है।
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4:54 - 4:56इस शर्म का आधार क्या है,
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4:56 - 4:58ये कि "मैं उतनी अच्छी नहीं हूँ जितना होना चाहिए," --
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4:58 - 5:00इस एहसास को हम सब जानते हैं:
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5:00 - 5:02"मैं उतनी ब्लैंक नहीं हूँ, उतनी पतली नहीं हूँ,
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5:02 - 5:04उतनी अमीर नहीं हूँ, उतनी सुंदर नहीं हूँ, उतनी समझदार नहीं हूँ,
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5:04 - 5:06मुझे उतना बढ़ावा नहीं दिया जाता।"
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5:06 - 5:08जो चीज़ इसका आधार बनी
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5:08 - 5:11वो थी बहुत दर्दनाक अतिसंवेदनशीलता,
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5:11 - 5:13इसका विचार,
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5:13 - 5:15संपर्क को संभव बनाने के लिए,
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5:15 - 5:18हमें खुद को देखे जाने की इजाज़त देनी होगी,
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5:18 - 5:20वाकई में देखा जाना।
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5:20 - 5:23और आपको मालूम है कि अतिसंवेदनशीलता के बारे में मुझे क्या महसूस होता है। मुझे उससे नफरत है।
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5:23 - 5:25और मैंने ऐसा सोचा, यही मेरा मौका है
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5:25 - 5:28अपने मापदंड से इसे हारने का ।
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5:28 - 5:31मैं तैयार हूँ, और मैं इसका पता लगा के रहूँगी,
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5:31 - 5:34मैं एक साल लगाऊँगी, मैं शर्म को पूरी तरह तबाह कर दूँगी,
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5:34 - 5:36मैं ये समझ लूँगी कि अतिसंवेदनशीलता कैसे काम करती है,
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5:36 - 5:39और मैं इसे अपनी अक्ल से हरा दूँगी।
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5:39 - 5:42तो मैं तैयार थी, और मैं वाकई बहुत उत्साहित थी।
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5:44 - 5:46जैसा कि आप जानते हैं, इसका नतीजा कुछ खास अच्छा नहीं होने वाला।
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5:46 - 5:49(हंसी)
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5:49 - 5:51आप जानते हैं।
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5:51 - 5:53तो मैं आपको शर्म के बारे मैं बहुत कुछ बता सकती हूँ,
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5:53 - 5:55पर मुझे बाकी सबका समय उधार लेना पड़ेगा।
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5:55 - 5:58पर इसका जो निचोड़ है उसे मैं आप सबको बता बता देती हूँ --
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5:58 - 6:01और शायद ये उन सब चीजों में से सबसे महत्वपूर्ण है जो मैंने
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6:01 - 6:04इस खोज में बिताए एक दशक के दौरान सीखी हैं।
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6:04 - 6:06मेरा एक साल
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6:06 - 6:08छ्ह सालों में बादल गया।
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6:08 - 6:10हजारों कहानियाँ,
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6:10 - 6:13सैकड़ों लंबे साक्षात्कार, फोकस ग्रुप्स।
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6:13 - 6:15एक वक़्त ऐसा था कि जब लोग मुझे पत्रिकाओं के पृष्ठ भेजा करते थे
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6:15 - 6:18और मुझे अपनी कहानियाँ भेजा करते थे --
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6:18 - 6:21छ्ह सालों में आंकड़ों के हजारों टुकड़े।
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6:21 - 6:23और मुझे इसका कुछ अंदाज़ा सा हो गया था।
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6:23 - 6:25मुझे कुछ कुछ समझ आ गया था, कि शर्म इसे कहते हैं,
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6:25 - 6:27ये ऐसे काम करती है।
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6:27 - 6:29मैंने एक किताब लिखी,
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6:29 - 6:31मैंने एक सिद्धान्त प्रकाशित किया,
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6:31 - 6:34पर कोई चीज़ थी जो ठीक नहीं थी --
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6:34 - 6:36और वो चीज़ ये थी कि,
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6:36 - 6:38अगर मैं उन लोगों को लूँ जिनका मैंने साक्षात्कार किया
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6:38 - 6:41और उन्हें उन लोगों में विभाजित करूँ
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6:41 - 6:44जिनमें वाकई पात्रता का एक एहसास था --
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6:44 - 6:46उसका नतीजा यही निकलता है,
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6:46 - 6:48पात्रता का एक एहसास --
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6:48 - 6:51उनमें प्रेम और किसी का होने का एक मजबूत एहसास होता है --
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6:51 - 6:53और वो लोग जो इसके लिए संघर्ष करते हैं,
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6:53 - 6:55और वो लोग जो हमेशा सोचते रहते हैं कि क्या वो उतने अच्छे हैं कि नहीं।
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6:55 - 6:57सिर्फ एक ही फर्क था
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6:57 - 6:59जो उन लोगों को अलग करता है
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6:59 - 7:01जिनमें प्रेम और किसी का होने का एक मजबूत एहसास होता है
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7:01 - 7:03उन लोगों से जो इसके लिए वाकई संघर्ष करते हैं।
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7:03 - 7:05और वो फर्क ये था कि वो लोग जिनमें
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7:05 - 7:07प्रेम और किसी का होने का एक मजबूत एहसास था
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7:07 - 7:10यकीन करते थे कि वे प्रेम और किसी का होने के योग्य हैं।
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7:10 - 7:12यही बात है।
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7:12 - 7:14उन्हें यकीन है कि वे इस काबिल हैं।
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7:15 - 7:18और मेरे लिए, मुश्किल हिस्सा
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7:18 - 7:21उस एक चीज़ का जो हमें संपर्क से बाहर रखती है
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7:21 - 7:24है हमारा ये डर कि हम संपर्क के काबिल नहीं हैं,
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7:24 - 7:26ये एक ऐसी चीज़ थी जिससे, व्यक्तिगत रूप से और व्यावसायिक रूप से
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7:26 - 7:29मुझे महसूस हुआ कि मुझे ज़्यादा बेहतर तरीके से इसे समझने कि ज़रूरत है
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7:29 - 7:32तो मैंने क्या किया
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7:32 - 7:34कि मैंने उन सभी साक्षातकारों को लिया
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7:34 - 7:37जिनमें मैंने पात्रता को देखा, जिनमें मैंने लोगों को उस तरह से जीते देखा,
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7:37 - 7:40और बस उन पर नज़र डाली।
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7:40 - 7:42इन लोगों मैं कौन सी बात एक जैसी थी ?
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7:42 - 7:44मुझमें ऑफिस की चीजों को लेकर थोड़ा पागलपन है,
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7:44 - 7:47पर इस बारे में फिर कभी बात करेंगे।
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7:47 - 7:50तो मेरे पास एक मनीला फोंल्डर था,, और मेरे पास एक शार्पी थी।
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7:50 - 7:52और मैं ये सोच रही थी, कि मैं इस खोज को क्या नाम दूँगी?
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7:52 - 7:54और वो पहले शब्द जो मेरे दिमाग में आए
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7:54 - 7:56वो थे पूरे दिल से।
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7:56 - 7:59ये थे पूरे दिल वाले लोग, जो योग्य होने कि गहरी भावना के साथ जी रहे थे।
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7:59 - 8:02तो मैंने उस मनीला फोंल्डर के ऊपर लिखा,
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8:02 - 8:04और मैंने आंकड़ों को देखना शुरू किया ।
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8:04 - 8:06असल में मैंने इसे पहले किया
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8:06 - 8:08चार दिन के
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8:08 - 8:11आंकड़ों के एक बहुत गहन विशलेषण में,
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8:11 - 8:14जिसमें मैं वापस लौटी, इन साक्षात्कारों को निकाला, कहानियों को निकाला, घटनाओं को निकाला।
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8:14 - 8:17विषय क्या है? बनावट क्या है?
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8:17 - 8:20मेरे पति बच्चों को लेकर शहर छोड़ कर चले गए
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8:20 - 8:23क्योंकि मैं हमेशा गब्बर बन जाती हूँ,
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8:23 - 8:25जब भी कुछ लिख रही होती हूँ
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8:25 - 8:28और अपने खोजकर्ता के अवतार में होती हूँ
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8:28 - 8:30तो मैंने ये पाया।
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8:32 - 8:34उनमें जो चीज़ एक सी थी
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8:34 - 8:36वो थी करेज (साहस) की भावना ।
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8:36 - 8:39और मैं एक क्षण के लिए आपकी खातिर करेज और बहादुरी में फर्क करना चाहूंगी।
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8:39 - 8:41करेज, करेज की मूल परिभाषा
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8:41 - 8:43जब ये शब्द पहली बार अँग्रेजी भाषा में आया --
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8:43 - 8:46यह लेटिन शब्द कर से है, जिसका अर्थ है दिल --
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8:46 - 8:48और मूल परिभाषा
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8:48 - 8:51थी आप कौन हैं इसकी कहानी अपने पूरे दिल दे सुनना
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8:51 - 8:53तो इन लोगों के पास
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8:53 - 8:55बस था साहस
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8:55 - 8:57त्रुटिपूर्ण होने का ।
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8:58 - 9:00उनके पास जज़्बा था
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9:00 - 9:03पहले अपने आप पर और फिर दूसरों पर दया करने का,
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9:03 - 9:06क्योंकि, जैसा कि ज़ाहिर है, हम दूसरे लोगों के प्रति जज़्बात नहीं जता सकते
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9:06 - 9:09जब तक कि हम खुद से अच्छा बर्ताव नहीं करें।
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9:09 - 9:11और आखरी बात थी कि वे संपर्क में थे,
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9:11 - 9:13और -- ये मुश्किल हिस्सा था --
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9:13 - 9:16सच्चा होने की वजह से,
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9:16 - 9:19वे उस सोच को छोड़ने को तैयार थे कि उन्हें ऐसा होना चाहिए
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9:19 - 9:21वो होने के लिए जो वो थे,
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9:21 - 9:24जो आपको हूबहू करना है
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9:24 - 9:26संपर्क बनाने के लिए।
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9:28 - 9:30एक और चीज़ जो उनमें सामान्य थी
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9:30 - 9:32वो थी
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9:35 - 9:38उनहोंने पूरी तरह अपनी अतिसंवेदनशीलता को अपनाया।
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9:40 - 9:43उनको यकीन था
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9:43 - 9:46कि जिस चीज़ ने उन्हें अतिसंवेदनशील बनाया था
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9:46 - 9:48उसी ने उन्हें खूबसूरत बनाया था।
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9:50 - 9:52उन्होंने अतिसंवेदनशीलता के आरामदायक होने
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9:52 - 9:54के बारे में बात नहीं की,
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9:54 - 9:57ना ही उन्होंने इसके दर्दनाक होने के बारे में बात की --
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9:57 - 9:59जैसा कि मैंने इससे पहले शर्म के संबंध में हुए साक्षात्कारों में सुना था।
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9:59 - 10:02उन्होंने बस इसके ज़रूरी होने के बारे में बात की ।
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10:03 - 10:05उन्होंने इच्छा होने की बात की
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10:05 - 10:08"मैं तुमसे प्यार करता हूँ " कहने की सबसे पहले,
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10:08 - 10:11इच्छा
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10:11 - 10:13कुछ करने की
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10:13 - 10:16वहॉं जहॉं कोई गारंटी नहीं है,
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10:16 - 10:18इच्छा
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10:18 - 10:20डॉक्टर के बुलाने तक इंतज़ार के दौरान सॉंस लेते रहने की
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10:20 - 10:22अपने मैमोग्राम के बाद ।
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10:23 - 10:26वे उस रिश्ते में निवेश करने को तैयार हैं
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10:26 - 10:29जो हो सकता है कामयाब हो या न हो।
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10:29 - 10:32उन्होंने यह सोचा कि यह बुनियादी है।
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10:32 - 10:35मैं ज़ाती तौर पर यह सोचती थी कि ये धोखा है ।
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10:35 - 10:38मुझे विश्वास नहीं हुआ कि मैंने अपनी वफादारी
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10:38 - 10:40अनुसंधान के प्रति रखी --
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10:40 - 10:42अनुसंधान की परिभाषा
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10:42 - 10:45है नियत्रण करना और अनुमान लगाना, घटनाओं का अध्ययन करना,
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10:45 - 10:47स्पष्ट कारणों के लिए
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10:47 - 10:49नियंत्रण करना और अनुमान लगाना।
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10:49 - 10:51और अब मेरे मिशन
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10:51 - 10:53नियंत्रण करना और अनुमान लगाना
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10:53 - 10:56का नतीजा यह मिला था कि जीने का तरीका है अतिसंवेदनशीलता के साथ
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10:56 - 10:59और नियंत्रण करना और अनुमान लगाना बंद करना ।
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10:59 - 11:02इससे छोटी सी समस्या हो गई --
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11:02 - 11:06(हंसी)
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11:06 - 11:09-- जो बल्कि कुछ ऐसी दिखती थी ।
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11:09 - 11:11(हंसी)
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11:11 - 11:13और इसने किया।
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11:13 - 11:16मैं इसे ब्रेकडाउन कहती थी, और मेरी थैरेपिस्ट इसे आत्मिक जागरण कहती है।
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11:17 - 11:19सुनने में एक आत्मिक जागरण ब्रेकडाउन से बेहतर लगता है,
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11:19 - 11:21पर मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि ये एक ब्रेकडाउन ही था।
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11:21 - 11:23और मुझे अपने आंकड़ो को परे हटाना पड़ा और जाकर अपने दिमाग का इलाज करवाना पड़ा ।
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11:23 - 11:26मैं आपको एक बात बता दूँ : आपको मालूम होता है कि आप कौन हैं
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11:26 - 11:29जब आप अपने दोस्तों से बात करते है और कहते हैं, "मुझे लगता है मुझे इलाज की ज़रूरत है"
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11:29 - 11:32क्या आपकी नज़र में कोई है?"
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11:32 - 11:34क्योंकि मेरे करीब पॉंच दोस्तों की प्रतिक्रिया थी,
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11:34 - 11:36"हे भगवान। मुझे तुम्हारा थैरेपिस्ट नहीं बनना है।"
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11:36 - 11:39(हंसी)
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11:39 - 11:41मुझे लगा, "मतलब क्या है इसका?"
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11:41 - 11:44और उनका कहना था "मैं बस कह रही हूँ, मतलब।
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11:44 - 11:46अपनी राय अपने पास रखना।"
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11:46 - 11:49मैंने कहा, "ठीक है भई।"
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11:51 - 11:53तो मुझे एक थैरेपिस्ट मिल गया ।
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11:53 - 11:56मेरी उसके साथ पहली मुलाकात थी, डायना --
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11:56 - 11:58मैं अपनी सूची साथ लेकर आई थी
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11:58 - 12:01दिल से जीने वालों के तरीके के बारे में, और मैं बैठी।
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12:01 - 12:03और उसने कहा,"आप कैसी हैं?"
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12:03 - 12:06मैंने कहा,"मैं बढ़िया हूं। मैं ठीक हूँ ।"
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12:06 - 12:08उसने कहा, "और क्या चल रहा है?"
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12:08 - 12:11और ये एक ऐसी थेरेपिस्ट है जो थैरेपिस्टों का इलाज करती है,
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12:11 - 12:13क्योंकि हम लोगों को इनके पास जाना पड़ता है,
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12:13 - 12:16क्योंकि उनका बकवास भांपने का यंत्र अच्छा होता है ।
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12:16 - 12:18(हंसी)
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12:18 - 12:20तो मैंने कहा,
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12:20 - 12:22"बात ऐसी है, मैं मुश्किल में हूँ ।"
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12:22 - 12:24तो उसने कहा, "मुश्किल क्या है ?"
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12:24 - 12:27तो मैंने कहा, "मेरी अतिसंवेदनशीलता के बारे में एक समस्या है।
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12:27 - 12:30और मैं जानती हूँ कि अतिसंवेदनशीलता मूल में है
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12:30 - 12:32शर्म और डर के
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12:32 - 12:34और योग्य बनने के हमारे संघर्ष के,
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12:34 - 12:37पर ऐसा लगता है कि ये जन्मभूमि है
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12:37 - 12:40आनंद की, सृजनात्मक्ता की,
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12:40 - 12:42किसी का होने के एहसास की, प्रेम की ।
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12:42 - 12:44और मेरे ख्याल में मैं मुश्किल में हूँ,
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12:44 - 12:47और मुझे कुछ मदद चाहिए। "
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12:47 - 12:49और मैंने कहा, "पर एक बात है,
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12:49 - 12:51परिवार के बारे में बात नहीं होगी,
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12:51 - 12:53बचपन के बारे में कोई बकवास नहीं होगी।"
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12:53 - 12:55(हंसी)
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12:55 - 12:58"मुझे बस कुछ रणनीतियों की ज़रूरत है। "
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12:58 - 13:02(हंसी)
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13:02 - 13:05(तालियाँ)
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13:05 - 13:07शुक्रिया।
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13:09 - 13:12तो उसने ऐसे किया ।
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13:12 - 13:14(हंसी)
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13:14 - 13:17और फिर मैंने कहा, "बुरा हाल है, है ना?"
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13:17 - 13:20तो उसने कहा, "ये न तो अच्छा है, न बुरा।"
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13:20 - 13:22(हंसी)
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13:22 - 13:24"ये जो है बस वही है ।"
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13:24 - 13:27और मैंने सोचा, "हे भगवान, बेड़ा गर्क होने वाला है ।"
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13:27 - 13:30(हंसी)
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13:30 - 13:32और बेड़ा गर्क हुआ, और नहीं भी हुआ ।
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13:32 - 13:35इसमें तकरीबन एक साल लगा ।
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13:35 - 13:37और आप तो जानते हैं कि ऐसे लोग होते हैं
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13:37 - 13:40कि, जब उन्हें पता चलता है कि अतिसंवेदनशीलता और कोमलता महत्वपूर्ण हैं,
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13:40 - 13:43वे हथियार डाल देते हैं और इसे मान लेते हैं ।
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13:43 - 13:45पहली बात: मैं ऐसी नहीं हूँ,
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13:45 - 13:48और दूसरी बात: मैं ऐसे लोगों से दोस्ती भी नहीं रखती ।
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13:48 - 13:51(हंसी)
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13:51 - 13:54मेरे लिए, ये साल भर चलने वाले दंगे जैसा था।
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13:54 - 13:56ये एक कुश्ती जैसा था ।
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13:56 - 13:58अतिसंवेदनशीलता ने ज़ोर लगाया, मैंने भी ज़ोर लगाया।
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13:58 - 14:01मैं हार गई,
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14:01 - 14:03पर शायद मैंने अपनी ज़िंदगी वापस जीत ली।
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14:03 - 14:05और फिर मैं अपनी खोज में वापस चली गई
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14:05 - 14:07और मैंने अगले एक दो साल
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14:07 - 14:10वाकई में ये समझने में बिता दिए कि वे, पूरे दिल से वाले लोग,
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14:10 - 14:12किन चीज़ों को चुन रहे थे,
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14:12 - 14:14और हम क्या कर रहे हैं
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14:14 - 14:16अतिसंवेदनशीलता के साथ ।
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14:16 - 14:18हम इसके साथ संघर्ष क्यों करते हैं ?
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14:18 - 14:21क्या मैं अतिसंवेदनशीलता के साथ अपने संघर्ष में अकेली हूँ ?
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14:21 - 14:23नहीं ।
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14:23 - 14:25तो मुझे ये पता चला ।
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14:26 - 14:29हम अतिसंवेदनशीलता को सुन्न कर देते हैं --
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14:29 - 14:31जब हम फोन का इंतज़ार कर रहे होते हैं ।
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14:31 - 14:33ये बहुत मज़े की बात थी, मैंने ट्विटर और फेसबुक पर कुछ लिखा
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14:33 - 14:35क्या लिखा, "आप अतिसंवेदनशीलता को कैसे परिभाषित करोगे ?"
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14:35 - 14:37कौन सी चीज़ आपको अतिसंवेदनशील बनाती है ?"
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14:37 - 14:40और डेढ़ घंटे के भीतर, मुझे 150 जवाब मिले।
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14:40 - 14:42क्योंकि मैं जानना चाहती थी
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14:42 - 14:44क्या चल रहा है ।
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14:45 - 14:47अपने पति से मदद मॉंगने पर मजबूर होना,
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14:47 - 14:50क्योंकि मेरा दिमाग खराब है, और हमारी नई नई शादी हुई है;
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14:50 - 14:53अपने पति से संभोग की शुरूआत करना;
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14:53 - 14:55अपने पति से संभोग की शुरूआत करना;
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14:55 - 14:58मना कर दिया जाना; किसी को घूमने चलने के लिए पूछना;
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14:58 - 15:00डॉक्टर के फोन का इंतज़ार करना;
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15:00 - 15:03नौकरी से निकाल दिया जाना, लोगों को नौकरी से निकालना --
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15:03 - 15:05यही वो दुनिया है जिसमें हम रहते हैं ।
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15:05 - 15:08हम एक अतिसंवेदनशील दुनिया में रहते हैं ।
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15:08 - 15:10और जिन तरीकों से हम इसका मुकाबला करते हैं उनमें से एक है
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15:10 - 15:12कि हम अतिसंवेदनशीलता को सुन्न कर देते हैं
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15:12 - 15:14और मेरे विचार में इसका प्रमाण है --
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15:14 - 15:16और यह इकलौता कारण नहीं है कि यह प्रमाण मौजूद है,
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15:16 - 15:18पर मेरे विचार में यह एक बहुत बड़ा कारण है --
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15:18 - 15:22हम अमेरीका के इतिहास में सबसे ज़्यादा कर्ज़ में डूबी,
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15:22 - 15:25मोटे लोगों की,
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15:25 - 15:28नशे के आदि और दवाईयॉं लेने वाले लोगों की
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15:28 - 15:30वयस्क पीढ़ी हैं।
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15:33 - 15:36समस्या ये है -- और मैंने यह अनुसंधान से सीखा है --
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15:36 - 15:39कि आप भावनाओं को चुन चुन कर सुन्न नहीं कर सकते ।
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15:40 - 15:43आप यह नहीं कह सकते, कि ये ख़राब चीज़ें हैं ।
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15:43 - 15:45ये अतिसंवेदनशीलता है, ये दुख है, ये शर्म है,
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15:45 - 15:47ये डर है, ये निराशा है,
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15:47 - 15:49मैं इन्हें महसूस नहीं करना चाहता ।
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15:49 - 15:52मैं एक दो बीयर पीता हूँ और एक आलू का परांठा खा लेता हूँ ।
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15:52 - 15:54(हंसी)
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15:54 - 15:56मैं इन्हें महसूस नहीं करना चाहता ।
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15:56 - 15:58और मैं जानती हूँ कि इसे हंसी को जानना कहते हैं।
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15:58 - 16:01मैं रोज़ी रोटी के लिए आपकी ज़िंदगियों में सेंध लगाती हूँ ।
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16:01 - 16:03हे भगवान।
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16:03 - 16:05(हंसी)
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16:05 - 16:08आप इन बुरे एहसासों को सुन्न नहीं कर सकते
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16:08 - 16:10प्रभावों को, हमारी भावनाओं को सुन्न किए बिना।
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16:10 - 16:12आप चुन चुन कर सुन्न नहीं कर सकते।
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16:12 - 16:15तो जब हम इन्हें सुन्न कर देते हैं,
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16:15 - 16:17हम आनंद को सुन्न कर देते हैं ।
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16:17 - 16:19हम आभार को सुन्न कर देते हैं,
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16:19 - 16:21हम खुशी को सुन्न कर देते हैं,
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16:21 - 16:24और फिर हमारी हालत खराब हो जाती है,
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16:24 - 16:26और हम उद्देश्य और अर्थ की खोज करने लगते हैं,
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16:26 - 16:28और फिर हमें अतिसंवेदनशीलता का एहसास होता है,
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16:28 - 16:31तो फिर हम एक दो बीयर पीते हैं और एक आलू का परांठा खा लेते हैं।
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16:31 - 16:34और यह एक खतरनाक चक्र बन जाता है ।
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16:36 - 16:39एक और चीज़ है जिसके बारे में मेरे हिसाब से सोचा जाना चाहिए
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16:39 - 16:41वो ये कि हम क्यों और कैसे सुन्न हो जाते हैं ।
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16:41 - 16:44और ज़रूरी नहीं है कि यह नशे की लत ही हो।
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16:44 - 16:46और दूसरी चीज़ें जो हम करते हैं
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16:46 - 16:49कि हम हर अनिश्चित चीज़ को निश्चित बना देते हैं।
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16:50 - 16:53धर्म आस्था और अनदेखी चीज़ों में विश्वास न रह कर
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16:53 - 16:55निश्चितता बन गया है ।
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16:55 - 16:58मैं सही हूँ, तुम ग़लत हो, चुप रहो।
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16:58 - 17:00बस।
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17:00 - 17:02बस निश्चित।
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17:02 - 17:04जितना अधिक हम डरते हैं, उतने अधिक हम संवेदनशील होते हैं,
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17:04 - 17:06उतना ही अधिक हम डरते हैं ।
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17:06 - 17:08आजकल राजनीति भी कुछ ऐसी ही लगती है ।
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17:08 - 17:10अब वार्तालाप नहीं होता ।
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17:10 - 17:12कोई बातचीत नहीं होती ।
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17:12 - 17:14बस इल्ज़ाम है ।
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17:14 - 17:17आप जानते हैं इल्ज़ाम की व्याख्या अनुसंधान में कैसे की जाती है ?
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17:17 - 17:20दर्द और बेआरामी को खत्म करने का एक तरीका ।
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17:21 - 17:23हम त्रुटिहीन हैं ।
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17:23 - 17:26अगर ऐसा कोई है जो अपनी ज़िंदगी को ऐसा बनाना चाहता है तो वो मैं हूँ,
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17:26 - 17:28पर इससे काम नहीं चलता ।
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17:28 - 17:30क्योंकि हम क्या करते हैं कि हम अपने पिछवाड़े से चर्बी निकालते हैं
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17:30 - 17:32और अपने गालों में डाल लेते हैं।
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17:32 - 17:35(हंसी)
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17:35 - 17:37जिसके बारे में, मुझे उम्मीद है कि एक सौ साल के बाद,
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17:37 - 17:39लोग इस पर नज़र डालेंगे और कहेंगे, "वाह।"
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17:39 - 17:41(हंसी)
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17:41 - 17:43और हम में कोई खराबी नहीं है, और सबसे ख़तरनाक बात,
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17:43 - 17:45हमारे बच्चे।
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17:45 - 17:47मैं आपको बताती हूँ कि हम बच्चों के बारे में क्या सोचते हैं ।
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17:47 - 17:50जब वो इस दुनिया में आते हैं तो पहले से ही संघर्ष के लिए तैयार होते हैं ।
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17:50 - 17:53और जब आप इन त्रुटिहीन छोटे बच्चों को अपने हाथों में उठाते हैं,
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17:53 - 17:55हमारा काम यह कहना नहीं है, "देखो तो इसे, ये बच्ची त्रुटिहीन है ।"
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17:55 - 17:57मेरा काम बस उसे त्रुटिहीन रखना है --
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17:57 - 18:00इसका ख्याल रखना है कि वो पॉंचवी कक्षा तक टैनिस की टीम में शामिल हो जाए और सातवीं तक येल में दाखिल हो जाए।"
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18:00 - 18:02ये हमारा काम नहीं है ।
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18:02 - 18:04हमारा काम है देखना और ये कहना,
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18:04 - 18:07"पता है? तुममें खामियॉं हैं, और तुम्हारी नियती संघर्ष करना है,
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18:07 - 18:09पर तुम प्यार और किसी का बनने के काबिल हो।"
-
18:09 - 18:11ये हमारा काम है।
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18:11 - 18:13मुझे बच्चों की इस प्रकार पाली गई एक पीढ़ी दिखा दीजिए,
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18:13 - 18:16और मुझे लगता है कि हम आज देखी जाने वाली समस्याओं को खत्म कर देंगे।
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18:16 - 18:20हम ऐसा दिखाते हैं कि हम जो करते हैं
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18:20 - 18:23उसका असर लोगों पर नहीं पड़ता ।
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18:23 - 18:25हम ऐसा अपनी निजी ज़िंदगी में करते हैं ।
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18:25 - 18:27हम ऐसा कंपनियों में करते हैं --
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18:27 - 18:29चाहे वो कंपनी को उबारना हो, तेल का रिसाव हो,
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18:29 - 18:31एक याद --
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18:31 - 18:33हम ऐसा जताते हैं कि हम जो कर रहे हैं
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18:33 - 18:36उसका दूसरे लोगों पर कोई बड़ा असर नहीं होता ।
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18:36 - 18:39मैं कंपनियों से कहना चाहूँगी, ये हमारा पहला त्यौहार नहीं है भाई लोग।
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18:40 - 18:42हम बस चाहते हैं कि आप सच्चे और वास्तविक रहें
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18:42 - 18:44और कहें, "हमें अफसोस है ।
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18:44 - 18:47हम इसे ठीक कर देंगे । "
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18:50 - 18:52पर एक और तरीका है, और मैं आपको बता कर जा रही हूँ।
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18:52 - 18:54मुझे ये पता चला है:
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18:54 - 18:56अपने आप को दिखने देना,
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18:56 - 18:58गहनता से दिखने देना
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18:58 - 19:01अतिसंवेदनशीलता से दिखने देना;
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19:01 - 19:03अपने पूरे दिल से प्यार करना,
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19:03 - 19:05चाहे कोई भी गारंटी नहीं हो --
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19:05 - 19:07और यह बहुत मुश्किल है,
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19:07 - 19:10और एक मॉं होने के नाते मैं आपको बता सकती हूँ, यह बहुत दर्दनाक तरीके से मुश्किल है--
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19:12 - 19:15आभार और आनंद महसूस करना
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19:15 - 19:17आतंक के उन क्षणों में,
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19:17 - 19:19जब हम सोच रहे होते हैं, "क्या मैं तुम्हें इतना प्यार कर सकता हूँ ?"
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19:19 - 19:21क्या मैं इसमें इस शिद्दत से विश्वास कर सकता हूँ?
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19:21 - 19:24क्या मैं इस बारे में इतना क्रुद्ध हो सकता हूँ ?"
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19:24 - 19:26सिर्फ अपने को रोक पाना, जो हो सकता है उसे मुसीबत बनाए बगैर,
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19:26 - 19:29ये कह पाना, "मैं बस बहुत आभारी हूँ,
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19:29 - 19:32क्योंकि ऐसा महसूस करने का अर्थ है मैं ज़िंदा हूँ।"
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19:33 - 19:36और अंत में, जो मेरे विचार में शायद सबसे महत्वपूर्ण है,
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19:36 - 19:39है यकीन करना कि हम काफी हैं ।
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19:39 - 19:41क्योंकि जब हम किसी स्थान से काम करते हैं
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19:41 - 19:44हमें विश्वास है कि जो कहता है, "मैं काफी हूँ,"
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19:45 - 19:48फिर हम चीखना बंद कर देते हैं और सुनना शुरू कर देते हैं,
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19:49 - 19:51हम अपने आसपास के लोगों के प्रति और दयालू और सहृदय हो जाते हैं,
-
19:51 - 19:54और हम अपने प्रति और अधिक दयालू और सहृदय हो जाते हैं।
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19:54 - 19:56बस इतना ही मुझे कहना है । शुक्रिया ।
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19:56 - 19:59(तालियाँ)
- Title:
- ब्रीन ब्राउन: अतिसंवेदनशीलता की ताकत
- Speaker:
- Brené Brown
- Description:
-
ब्रीन ब्राउन मानव संपर्क का अध्ययन करतीं हैं -- हमदर्दी जताने, रिश्ता बनाने, प्रेम करने की हमारी काबलीयत। वह टैडएक्सह्यूस्टन में दिए गए एक मर्मस्पर्शी, मज़ाहिया भाषण में अपनी खोज से एक ऐसा गहन ज्ञान बांट रही हैं, जिसने उन्हें खुद को जानने के साथ साथ मानवता को समझने की व्यक्तिगत खोज पर भेजा । एक ऐसा भाषण जिसे सबको सुनाना चाहिए।
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 19:59