पक्षी गाना कैसे सीखते हैं ? - पार्थ सिंह
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0:10 - 0:14यह ब्राउन थ्रेशर द्वारा
गाया गया एक गाना था | -
0:14 - 0:15पर यह सिर्फ उन हज़ारो,
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0:15 - 0:18या जितने भी ज्यादा यह जानता है
उनमे से एक था. -
0:18 - 0:21केवल यही एक पक्षीय दक्ष संगीतज्ञ नही है
थ्रश नामका पक्षी. -
0:21 - 0:22उनमे से एक था|
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0:22 - 0:24एकसाथ दो स्वरमानो मे गा सकती है|
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0:26 - 0:31एक मॉकिंगबर्ड अपने
आसपास की आवाज़ों की बराबरी कर सकती है - -
0:31 - 0:32जिसमे कार अलार्म भी शामिल है|
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0:32 - 0:35और ऑस्ट्रेलियाई दिखाऊ लायरबर्ड के पास,
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0:35 - 0:42एक अद्वितीय , सजीले नाच
और गाने की परंपरा होती है| -
0:42 - 0:46यह सांगबर्ड्स की ४००० प्रजातियों मे से
कुछेक ही है. -
0:46 - 0:50कई चिड़ियाएं छोटे , सरल आवाज़े निकालती हैं.
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0:50 - 0:53पर सांगबर्ड्स के पास
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0:53 - 0:55एक जटिल स्वररूप का खज़ाना भी होता है,
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0:55 - 0:57जो उन्हे मदद करता है साथी ढूंढने मे,
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0:57 - 0:58अपना इलाका बचाने मे,
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0:58 - 1:01और अपने सामाजिक बंधनो को मजबूत करने मे|
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1:01 - 1:05हर सांगबर्ड प्रजाति की आवाज़ों का
अपना विशिष्ट स्वरूप होता है, -
1:05 - 1:08जिसमे क्षेत्रीय बोलियां भी शामिल हैं|
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1:08 - 1:13अनुभवी श्रोता हर चिड़िया को
उसके अपने व्यक्तिगत आवाज़. -
1:13 - 1:15और गाने से पहचान सकता है|
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1:15 - 1:16तो पहली बात यह है कि,
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1:16 - 1:18चिड़ियाएं यह गाने गाना सीखती कैसे हैं ?
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1:18 - 1:22वे अपनी स्वयं की प्रजाति की ही
आवाज़ों की नकल करना कैसे जानती हैं ? -
1:22 - 1:25क्या उन्हें जन्मजात ही
गाने का ज्ञान होता है ? -
1:25 - 1:28पक्षियों के गाने के विषय मे
ज्यादातर जो बाते वैज्ञानिक जानते हैं| -
1:28 - 1:31वे अफ़्रीकी ज़ेबरा फिंच चिड़ियाओं
का अवलोकन कर प्राप्त हुई हैं| -
1:31 - 1:34एक शिशु ज़ेबरा फिंच चिड़िया,
गाना प्रारुपिकतया अपने पिता से -
1:34 - 1:36या दूसरे वयस्क नरो को देखकर सीखता है|
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1:36 - 1:41अपने घोसले मे अनुभवहीन बैठे होते हुए
के समय से ही वो यह सब सीखने लगता है| -
1:41 - 1:43पहले एक संवेदिक सीखने का काल होता है|
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1:43 - 1:45जब शिशु फिंच अपने आसपास गाये जाने वाले
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1:45 - 1:48गानों को सुनता है और याद कर लेता है|
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1:48 - 1:51फिर सञ्चालन द्वारा सीखने के काल मे वह,
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1:51 - 1:53इन गानों को गाने का अभ्यास करने लगता है,
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1:53 - 1:55और तब तक अभ्यास करता है
जब तक वह गाना -
1:55 - 1:57उसके याद किये हुए गाने के समान
नही हो जाता| -
1:57 - 1:59इस तरह पक्षी सीखते हैं,
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1:59 - 2:00अध्यापक को बार-बार सुनकर
और अभ्यास कर -
2:00 - 2:02यह उपयोगी होता है - एक बिंदु तक.
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2:02 - 2:06और अगर वह, इसे बार बार सुनता है तो
अनुकरण निम्नीकृत हो सकता है, -
2:06 - 2:07स्त्रोत भी मायने रखता है|
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2:07 - 2:11अगर गाना किसी ध्वनि- विस्तारक यन्त्र
द्वारा बजाया जाये, तो -
2:11 - 2:12वह इसे जल्दी नही पकड़ पायेगा|
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2:12 - 2:14पर अगर आप उसी के समान एक ध्वनि - विस्तारक
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2:14 - 2:17किसी ज़ेबरा फिंच
के समान दिखने वाले खिलौने के अंदर -
2:17 - 2:19लगा दें, तब उस शिशु की सीखने की क्षमता
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2:19 - 2:19बढ़ जायेगी|
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2:19 - 2:22पर क्या हो अगर शिशु फिंच ने
किसी दूसरे ज़ेबरा फिंच की आवाज़ -
2:22 - 2:24कभी सुनी ही ना हो ?
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2:24 - 2:27आश्चर्यजनक रूप से,
यह तब भी गाना सीख जायेगा| -
2:27 - 2:32विलग हुए फिंच भी गाना गाते हैं
जिन्हे एन्नेट या आइसोलेट गाने कहते हैं| -
2:32 - 2:34कोई निश्चित धुन भी सिखाई जा सकती हैं,
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2:34 - 2:37यह गाने कि सहज प्रवृति
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2:37 - 2:40सांगबर्ड्स के मस्तिष्क मे
यंत्रस्थ होती है| -
2:40 - 2:43एन्नेट गाने, सभ्य गानों से
अलग ध्वनित होते हैं -
2:43 - 2:46पहली बार सीखी गयी --
दूसरी फिंच चिड़ियाओं से| -
2:46 - 2:48अगर विलग हुई ज़ेबरा फिंचे
कोई नई कॉलोनी शुरू करती हैं -
2:48 - 2:51तो वहां के शिशु फिंच
उस आइसोलेट गाने को सीख जाते हैं | -
2:51 - 2:52अपने माता पिता से
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2:52 - 2:55पर वह गाना पीढ़ी दर पीढ़ी बदल रहा होता है |
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2:55 - 2:57और कुछ पुनरावृत्तियों के बाद,
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2:57 - 3:00धुन असल मे अपने मूल रूप के
सदृश होने लगती है -
3:00 - 3:03जंगली ज़ेबरा फिन्चो द्वारा
गाये गए सभ्य गानों के -
3:03 - 3:06यह सीखने की क्रिया कुछ ख़ास है|
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3:06 - 3:08और पक्षियों के मस्तिष्क में यंत्रस्थ है
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3:08 - 3:12और बार बार उन्ही मूल प्रतिरूपो की और
ले जाती है -
3:12 - 3:15इसका अर्थ है कि ज़ेबरा फिन्चो के गाने
की मूल जानकारी -
3:15 - 3:18इनके जीनोम मे ही कहीं पर संगृहीत होगी जो
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3:18 - 3:22करोड़ो वर्षो के विकास के पश्चात अंकित हुई|
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3:22 - 3:24पहली बार मे यह असंभव लगता है
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3:24 - 3:27और बहुधा,हम जेनेटिक कोड्स को जैव रासायनिक
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3:27 - 3:30या किसी शारीरक रूप से उपयोगी
रूप मे ही देखते हैं -
3:30 - 3:33ना कि व्यवहार या कार्यो
जैसी सरल लगने वाली वस्तुओ मे| -
3:33 - 3:35पर दोनों आधारभूत रूप से अलग नही होते|
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3:35 - 3:39हम दोनों को जीनोम के द्वारा
मष्तिष्क की कार्यप्रणाली से जोड़ सकते हैं| -
3:39 - 3:41पर यह जोड़ बहुत ही कोलाहलमय और जटिल है|
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3:41 - 3:44यह साधारणतया, जीन्स को
साधारण क्रिया से नही जोड़ता -
3:44 - 3:46पर इसका वहां पर अस्तित्व होता है|
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3:46 - 3:50जीनोम मे+ मष्तिष्क के विकास के लिए
जरुरी जीन्स होते हैं| -
3:50 - 3:55जैसे कि, वे मॉलिक्यूल्स जो तंत्रिकाओं के
विकास के लिए मार्ग प्रशस्त करते हैं| -
3:55 - 3:57पृथक परिपथो का गठन करते हुए
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3:57 - 4:00पक्षियों के मस्तिष्क मे
जिन्हे "गीत परिपथ" कहा जा सकता है| -
4:00 - 4:03वे तब सक्रिय होते हैं
जब चिड़ियाएं गाती हैं| -
4:03 - 4:05यही परिपथ तब भी प्रतिक्रिया करते हैं
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4:05 - 4:07जब उन चिड़ियाओं की अपनी
जाति की चिड़ियाएं गाती हैं| -
4:07 - 4:10दूसरी प्रजातियों के गीतों से ज्यादा तेज़|
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4:10 - 4:15तो यह सिद्धांत कि पक्षियों के मस्तिष्क
का विकास, जीन्स का असर होता है| -
4:15 - 4:18जिनका सम्बन्ध गाने तथा
गाना सीखने की क्षमता से जुड़ा होता है -
4:18 - 4:22और फिर गानो का अनावरण
उन तंत्रिका परिपथों को आकार देता है| -
4:22 - 4:26ऐसे गाने उत्पन्न करने के लिए
जो उस प्रजाति के विशिष्टः हैं| -
4:26 - 4:31इस तरह के अनुवांशिक व्यवहार
पक्षियों में ही नहीं -
4:31 - 4:33अपितु पशु जगत मे भी
विभिन्न प्रजातियों मे व्याप्त हैं| -
4:33 - 4:35प्रभावशाली उदाहरणो मे आते हैं -
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4:35 - 4:39मोनार्क तितलियों का तथा
सालमॅन मछलियों का लम्बी दुरी का प्रवास -
4:39 - 4:41तो मनुष्यो के लिए इसका क्या अर्थ है ?
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4:41 - 4:44हम भी उसी सहज बोध के साथ पैदा हुए
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4:44 - 4:46जो हमारे जीनोम मे अंकित है
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4:46 - 4:48जो हमारे तंत्रिका परिपथों को
आकार देने में सहायक है, -
4:48 - 4:52और अंततः परिणामित होता है
कुछ ऐसा जो हम जानते हैं ? -
4:52 - 4:53क्या ऐसा कोई ज्ञान है|
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4:53 - 4:57जो अद्वितीय है और अन्तस्थ है
मनुष्यो के लिए एक प्रजाति के तौर पर ?
- Title:
- पक्षी गाना कैसे सीखते हैं ? - पार्थ सिंह
- Description:
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पूरा पाठ देखिये : https://ed.ted.com/lessons/how-do-birds-learn-to-sing-partha-mitra
एक भूरी थ्रेशर हज़ारों गाने जानती है| एक वुड थ्रश, दो स्वरमानो में एक साथ गा सकती है | एक मॉकिंगबर्ड अपने आसपास के आवाज़ों की नकल कर सकती है — कार के अलार्मों समेत |ये गाने वाली चिड़ियाओं की ४००० मे से सिर्फ कुछ प्रजातियां है | ये चिड़ियाएं गाना कैसे सीखती हैं ? वे अपनी स्वयं कि प्रजाति की ही आवाज़ों की नकल करना कैसे जानती हैं ? क्या उनमे जन्मजात ही गाने का कौशल होता है ? पार्थ पी. मित्रा , चिड़ियों के गानों की इस सुन्दर दुनिया पर प्रकाश डालते हैं|
पाठ - पार्थ पी. मित्रा द्वारा , एनीमेशन - TED-Ed द्वारा |
- Video Language:
- English
- Team:
closed TED
- Project:
- TED-Ed
- Duration:
- 05:39
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