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आदमी: केवल फाइजर।
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यदि वे मुझे जॉनसन एंड जॉनसन देने की कोशिश करते हैं, तो मैं उनसे कहूंगा कि इसके बदले मुझे सीओवीआईडी दे दें।
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कथावाचक: ऐसा लगता है कि
इंटरनेट ठीक-ठीक जानता है कि
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कौन से टीके सबसे अच्छे
और सबसे खराब हैं।
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एम: मॉडर्ना?
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औसत दर्जे का,
औसत जैसा।
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हम औसत काम नहीं करते।
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मीरा फ्रिक: इंसानों को
तुलना करना पसंद है।
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इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि हम इसे
कोविड-19 टीकों के साथ भी कर रहे हैं।
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समस्या यह है कि आप टीकों की तुलना
इतनी आसानी से नहीं कर सकते।
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और महामारी में ऐसा करना
हानिकारक भी हो सकता है।
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एन: हम इन नंबरों -
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प्रभावकारिता दरों -
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को देखते हैं क्योंकि वे मापते हैं कि
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टीका लगने के बाद आपको कोविड-19
होने की कितनी संभावना है।
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एमएफ: समस्या यह है कि ये
संख्याएँ समान नहीं बनाई गई थीं।
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इसके बजाय, वे इस बात से निर्धारित होते हैं
कि प्रभावकारिता परीक्षण कब और कहाँ हुए।
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कार्लोस गुज़मैन: मुझे लगता है कि
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संदर्भ से हटकर टीके की प्रभावकारिता की सरल
तुलना से बहुत गलत निष्कर्ष निकल सकते हैं।
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अध्ययन आबादी में प्रमुख अंतर हैं,
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उदाहरण के लिए, उम्र, लिंग, आनुवंशिक
पर्यावरणीय कारक, पहले से मौजूद स्थितियाँ।
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एन: तो प्रभावकारिता परीक्षण
कैसे काम करते हैं?
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प्रतिभागियों को दो समूहों में
विभाजित किया गया है।
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एक समूह को टीका मिलता है;
दूसरा, एक प्लेसिबो।
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फिर वे हमेशा की तरह
अपना जीवन जीने लगते हैं।
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एक निश्चित अवधि के बाद,
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शोधकर्ता गिनती करते हैं कि उनमें से
कितने लोग कोविड-19 से संक्रमित हुए।
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यदि बीमार पड़ने वाले सभी
प्रतिभागी प्लेसिबो समूह से आते हैं,
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और शून्य टीका समूह से आते हैं,
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तो टीका 100% प्रभावी होगा।
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और यदि दोनों समूहों के बिल्कुल
समान संख्या में लोग बीमार पड़ते हैं,
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तो टीके की प्रभावकारिता शून्य होगी
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क्योंकि संक्रमित होने का जोखिम
टीके से नहीं बदलता है।
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लेकिन परीक्षण के दौरान प्रतिभागियों
को बीमारी होने की संभावना
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उनके वातावरण में समग्र
संक्रमण दर से मेल खाती है।
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सीजी: वायरस वैरिएंट की उपस्थिति या
अनुपस्थिति के संदर्भ में भी अंतर हैं
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जो मूल SARS‑CoV‑2 वायरस के प्रकार
प्रोटीन द्वारा उत्तेजित एंटीबॉडी द्वारा
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अधिक या कम कुशलता
से बेअसर होते हैं
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जो वर्तमान टीकों में
शामिल किया गया था।
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एमएफ: इसलिए जब हम सोचते हैं कि हम
जानते हैं कि कौन सा टीका सबसे अच्छा है,
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तो हमारी राय वास्तव में परिस्थितिजन्य
कारकों से प्रभावित होती है।
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एन: आइए एक उदाहरण देखें।
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मॉडर्ना और फाइजर के परीक्षण
ज्यादातर अमेरिका में किए गए थे
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और यूके या दक्षिण अफ्रीका जैसे अधिक
संक्रामक वेरिएंट के आने से पहले किए गए थे।
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दूसरी ओर, एस्ट्राज़ेनेका या
जॉनसन एंड जॉनसन परीक्षण
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या तो बाद में किए गए या
उन देशों में किए गए
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जहां अधिक संक्रामक वेरिएंट उभरे
और संक्रमण में प्रमुख हो गए।
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एमएफ: इसलिए वास्तविक दुनिया
की सेटिंग में प्रभावकारिता दरें
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कभी भी बिल्कुल समान नहीं होंगी,
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और वे समय के साथ बदल सकते हैं।
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सीजी: उदाहरण के लिए, हाल ही में
हमारे पास कतर से रिपोर्ट आई है,
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जहां 50% और 45% संक्रमण दक्षिण अफ़्रीकी
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और ब्रिटिश संस्करण के कारण होता है।
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इस अध्ययन से हमें पता चला कि बायोएनटेक/
फाइजर वैक्सीन की प्रभावकारिता ब्रिटिश
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और दक्षिण अफ़्रीकी संस्करण के कारण होने वाले
संक्रमण के लिए 89% और 75% तक गिर जाती है।
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एमएफ: लेकिन हो सकता है कि पिछले कुछ समय
से प्रभावशीलता पर बहुत अधिक ध्यान दिया गया हो।
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एन: प्रभावशीलता आमतौर पर सर्वोत्तम
संभव परिणाम के लिए मीट्रिक है:
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कोई लक्षण नहीं।
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इसके बजाय, हम यह देख सकते हैं कि
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टीके कैसे अस्पताल में भर्ती होने और
कोविड-19 से होने वाली मृत्यु को रोकते हैं,
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क्योंकि ये सभी टीके समान
रूप से अच्छा करते हैं।
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एमएफ: अब एक और पहलू है जो प्रभावित करता
है कि हम टीकों का मूल्यांकन कैसे करते हैं:
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दुष्प्रभाव।
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एन: दुर्लभ रक्त के थक्कों की
रिपोर्ट ने सुर्खियां बटोरीं
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और लोगों को चिंतित कर दिया।
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यूरोपीय संघ ने एस्ट्राजेनेका और
जॉनसन एंड जॉनसन के साथ
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अपने अनुबंध को नवीनीकृत नहीं
करने का भी फैसला किया।
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यह सब यह आभास दे सकता है कि कुछ
टीके दूसरों की तुलना में खराब हैं।
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एमएफ: लेकिन फिर, यह इतना आसान नहीं है
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क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के संक्रमित
होने का व्यक्तिगत जोखिम
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इस मूल्यांकन को प्रभावित करता है कि
प्रत्येक टीका कितना फायदेमंद है।
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एन: आइए एस्ट्राजेनेका वैक्सीन
के साथ एक उदाहरण देखें
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और प्रति सौ हजार पर 55 मामलों
की मध्यम संक्रमण दर मानें।
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29 वर्ष से कम आयु के 100,000 लोगों में से,
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लगभग दो लोगों में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के
बाद दुर्लभ रक्त का थक्का विकसित होगा,
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लेकिन किसी को भी कोविड-19 संक्रमण के कारण
गहन देखभाल की आवश्यकता नहीं होगी।
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लेकिन 60 वर्ष से अधिक उम्र
के किसी व्यक्ति को
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कोविड-19 के साथ गहन देखभाल में
समाप्त होने की अधिक संभावना है
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और दुर्लभ रक्त का थक्का विकसित
होने की संभावना कम है।
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एमएफ: इसीलिए कुछ सरकारें केवल 60+
आयु वर्ग के लोगों के लिए
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एस्ट्राजेनेका वैक्सीन
की सिफारिश करती हैं।
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लेकिन संक्रमण दर अधिक होने पर
यह आकलन बदल जाता है।
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एन: आइए उसी गणना को देखें
लेकिन उच्च संक्रमण दर के साथ।
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यहां प्रति सौ हजार पर 401 मामले हैं।
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अब टीके के बाद रक्त का
थक्का जमने की तुलना में
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हर किसी को कोविड-19 के साथ गहन
देखभाल में जाने की अधिक संभावना है।
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इस परिदृश्य में, एस्ट्राजेनेका
वैक्सीन लगवाने का लाभ
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सभी आयु समूहों के लिए दुर्लभ रक्त
के थक्कों के जोखिम से अधिक है।
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सीजी: और निश्चित रूप से,
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स्वस्थ व्यक्तियों के लिए टीके
जैसे निवारक हस्तक्षेप के लिए,
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यह महत्वपूर्ण है कि जोखिम-लाभ
संतुलन विभिन्न आबादी,समूहों या यहां तक कि व्यक्तियों
के लिए स्वीकार्य हो।
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एमएफ: तो क्या कुछ टीके दूसरों से भी बदतर हैं?
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यदि हम केवल साइड इफेक्ट्स को देखें,
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तो कुछ थोड़ा बेहतर प्रदर्शन करते हैं,
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कम से कम जो हम अब तक
जानते हैं उसके आधार पर।
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लेकिन यह केवल एक पहलू है
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और हमें केवल इसी पर विचार
नहीं करना चाहिए।
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सीजी: मुझे लगता है कि मुख्य मुद्दा यह है कि
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सबसे अच्छा टीका या
टीकाकरण कार्यक्रम वह है
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जो हमें बीमारी और मृत्यु को
रोकने की अनुमति देता है।
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और निश्चित रूप से, बुरी क्षति पर प्रत्यक्ष
और अप्रत्यक्ष परिणामों -
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नकारात्मक परिणामों -
को कम करने के लिए।
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एमएफ: WHO से आपातकालीन
स्वीकृति प्राप्त कोई भी टीका
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कोविड-19 के गंभीर
मामलों से बचाता है।
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वे मौतों को रोकते हैं और इस महामारी
को समाप्त करने में मदद करते हैं।
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एन: तो जब तक टीके दुर्लभ हैं,
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हमारे पास जो भी उपलब्ध है उसे
लेने का एक बहुत अच्छा तर्क है,
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क्योंकि यदि हम एक विशिष्ट
टीका लेने पर जोर देते हैं,
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तो हम इस पूरी महामारी को
लम्बा खींच सकते हैं,
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और इससे लोगों की जान जा सकती है।
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उपशीर्षक: दिनेश सिंह मटियाली