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जब माता या पिता की तबीयत ठीक न हो |स्टेफ़ानिया बुओनी | TEDxNapoli

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    "नाबालिग देखभालकर्ता"
    होने का क्या अर्थ होता है?
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    जब कोई अपना बीमार हो जाता है
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    तो सारा ध्यान उसकी,
    और उसकी ज़रूरतों में लग जाता है।
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    पर अगर वह कोई और नहीं
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    बल्कि आपके अपने माता या पिता हों,
    तो क्या होता है?
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    आपको कैसा लगेगा अगर
    आप जब बच्चे हों या नाबालिग हों
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    और आपके माता-पिता बीमार हो जाएं?
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    जब मैं किशोरी थी, मुझे तो पता भी नहीं था
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    कि मैं एक "नाबालिग देखभालकर्ता" थी।
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    सब बच्चों की तरह मैं स्कूल जाती,
    अपने दोस्तों के साथ मस्ती करती।
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    पर इन तस्वीरों के पीछे ऐसा क्या है
    जो हमें दिखाई नहीं दे रहा है?
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    आपको उस छिपे हुए हिमशैल
    के बारे में बताने से पहले
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    मैं ज़रा अतीत में ले जाना चाहती हूँ,
    आपको शुरू से बताना चाहती हूँ।
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    अगर मैं आपसे पूछूं कि क्या बदला है
    और क्या वैसा ही रहा है,
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    शायद आप मुझे कहेंगे मेरी उम्र के अलावा
    मुझे अब भी कुत्तों से प्यार है
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    और मैंने अपने बालों का स्टाइल बदल लिया है।
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    पर उन तस्वीरों में ऐसा क्या है
    जो नज़र नहीं आ रहा है?
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    जिस बच्ची को आप बीच में देख रहे हैं
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    वह कैसे आज की यह युवती बन गई,
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    बायीं ओर खड़ी नाबालिग मैं
    की उम्र से गुज़रती हुई?
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    अचानक मेरे परिवार को
    एक सुनामी ने झकझोर दिया।
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    ऐसी सुनामी जो बढ़ती जा रही है,
    जब तक हमें तबाह नहीं कर देती।
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    वह सुनामी जिसका नाम है
    स्वास्थ्य की समस्या।
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    और जब ऐसी सुनामी आपके माता या पिता
    या दोनों को झकझोरती है
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    और आप तब बच्चे या नाबालिग ही हों
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    आप उन पर निर्भर हों,
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    तो बहुत मुश्किल हो जाता है।
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    और अगर मैं कहूँ कि वह स्वास्थ्य समस्या
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    "मानसिक स्वास्थ्य" की समस्या है, तो?
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    एक बेटे या बेटी के लिए वह बोझ
    बहुत असहनीय हो सकता है
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    और अपरोध बोध, डर, गुस्से,
    उदासी से भरा हो सकता है,
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    प्यार और नफ़रत की वैकल्पिक भावनाओं
    का चक्रवात सा होता है,
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    हमेशा वह अत्यंत सावधानी बर्तने की भावना,
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    ज़िम्मेदारियों का बोझ,
    ध्यान लगाने में मुश्किल होना
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    और घर के काम काज भी करना,
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    जैसे किराने का सामान लाना,
    छोटे भाई-बहनों की देखभाल करना
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    या डॉक्टरों से बात करना
    व चिकित्सा का प्रबंध करना।
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    या दूसरों की धौंस सहना,
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    अपने माता-पिता के अजीब व्यवहार की वजह से।
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    पर इसके साथ ही,
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    आपको असली आपातकालीन समस्याओं
    का सामना भी करना पड़ सकता है
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    जिनके बारे में किसी ने आपको बताया नहीं।
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    जैसे ऐसी स्थिति संभालना
    जब आपके माता या पिता
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    को उन चीज़ों का आभास हो
    जिनका अस्तित्व ही नहीं : पागलपन।
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    या पागलपन और अवसाद के दौरों से जूझना
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    और आपको उसके बारे में
    किसी ने तैयार नहीं किया हो।
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    या आत्महत्या की कोशिश करते देखना
    या उन्हें ऐसा करने से रोकना।
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    और तो और,
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    अपना आम जीवन भी जीना,
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    हर रोज़ स्कूल जाना, पढ़ना...
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    मेरे आज यहाँ होने की वजह है
    कि हमारे कंधों पर एक और बोझ आ जाता है
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    कि आप अक्सर उस बारे में
    किसी और से बात नहीं कर सकते।
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    अगर आप कहें कि आपके माता या पिता
    को कोई शारीरिक समस्या है,
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    कैंसर या कोई और बीमारी है,
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    तो कोई उन्हें उसका दोषी नहीं ठहराएगा,
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    न ही उन्हें बुरे माता-पिता समझेगा
    या कमज़ोर मानेगा।
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    आपके बारे में कोई यह नहीं सोचेगा
    कि आपमें आनुवांशिक रूप से कोई कमी है
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    और आपकी तो किस्मत में लिखा है
    कि वह बीमारी आपको भी होगी।
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    पर अगर आप कहें कि आपकी माताजी
    या पिताजी को अवसाद
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    द्विध्रुवी विकार या स्किज़ोफ़्रीनिया है
    या अभी तक कोई निदान नहीं हो पाया है,
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    या आप उनके व्यवहार का वर्णन करते हैं
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    और कहते हैं :
    "माँ या पिताजी को कुछ तकलीफ़ है",
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    बाहर की दुनिया के लोग
    बिल्कुल अलग तरह से प्रतिक्रिया करेंगे।
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    आज तक भी, दुनियाभर में,
    शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को
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    समान नज़र से नहीं देखा जाता है।
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    आज तक मानसिक स्वास्थ्य को हम सबके लिए
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    अच्छा नहीं माना जाता है।
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    और इससे समझने में देरी हो जाती है
    कि हमारे अंदर
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    और हमारे अपनों के अंदर क्या हो रहा है,
    मदद मांगने और पाने में भी देर हो जाती है,
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    और अक्सर इलाज हो ही नहीं पाता।
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    और एक बेटी या बेटा होने के नाते
    तो आपके ऊपर बोझ और बढ़ जाता है।
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    जो वातावरण आप अपने आस-पास महसूस करते हैं,
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    घर के अंदर और बाहर बात करने की दिक्कत,
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    उस लांछन, उस पक्षपात,
    उस शर्मिंदगी की वजह से
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    हो सकता है आप अंदर ही अंदर घुटते रहें
    और किसी से कुछ न कहें।
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    पर अकेलापन और चुप्पी एक नाबालिग के लिए
    बहुत बड़ा बोझ हो सकते हैं।
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    मैंने इन हालात को कैसे सहन किया?
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    उन तस्वीरों के परे क्या है
    जो दिखाई नहीं दे रहा?
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    उस मुस्कान के पीछे?
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    एक ढाल सी बनने लगी, अपने आप ही,
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    जिसके पीछे मैं छिप जाया करती,
    बर्फ़ से बनी ढाल
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    जो मुझे डर, गुस्से
    और दर्द को अंदर छिपाने देती
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    और मुझे परेशान होने और मेरे
    आसपास के लोगों को परेशान करने से बचाती,
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    और मैं वह सब करती रही
    जो मेरे साथी कर रहे थे
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    पर साथ ही साथ उसकी वजह से
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    मेरे और उनके बीच की दूरी बहुत बढ़ गई।
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    क्योंकि मैं बाकियों के मुकाबले
    अधिक बड़ी हो गई।
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    उसी समय एक मदद की पुकार भी थी,
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    मदद की पुकार जो निकल ही नहीं पाती
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    और जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता,
    यहाँ तक कि स्कूल में भी नहीं।
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    उस ढाल में पहली दरार कब पड़नी शुरू हुई?
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    रोशनी की वह पहली किरण कब दिखाई देने लगी?
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    मुझे अभी तक याद है वह
    हमारे परिवार के मनोचिकित्सक
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    जो परिवार से बाहर पहले इंसान थे
    जिनपर मैं भरोसा कर सकती थी
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    जिनके साथ सारी बातें दिल खोलकर कर सकी
    और उन्होंने मुझे धीरे-धीरे
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    अपने आसपास के भरोसेमंद लोगों को पहचानने,
    अपना नेटवर्क बढ़ाने में मदद की
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    जो मेरी मदद कर सकते थे।
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    पर मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात हुई
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    कि मैंने इंटरनेट फ़ोरम पर दूसरे देशों के
    बेटियों और बेटों की कहानियाँ पढ़ी
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    जिसकी वजह थी मेरे माता-पिता का
    भाषा के लिए प्रेम जो मुझे विरासत में मिला।
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    मानसिक तौर पर बीमार माता-पिता
    के बच्चों की कहानियाँ
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    सब अलग होती हैं, एक से बढ़कर एक होती हैं।
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    पर एक बात जिससे मुझे हैरानी होती है
    जो हम सबमें है।
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    कि हम अक्सर यह मानते हैं
    कि हम अकेले ही ऐसे हैं।
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    पर सांख्यिकी के अनुसार, ऐसा असंभव है!
    हम जैसे तो दुनिया में करोड़ों हैं।
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    फिर भी हम खुद को यह समझा लेते हैं
    कि हम जो अनुभव कर रहे हैं
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    वैसा किसी ने कभी नहीं किया होगा।
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    जानते हैं ऐसा क्यों होता है?
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    क्योंकि हम बच्चों की
    कहानियों की बात नहीं करते।
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    ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और कनाडा के बेटों,
    बेटियों और कार्यकर्ताओं की कहानियों से
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    न केवल मैं उन भावनाओं को एक नाम दे पाई
    जो मैं महसूस कर रही थी
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    और समझ पाई कि मेरे अनुभव की वजह से
    वह एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया थी,
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    पर मैं यह भी समझ गई
    कि उन हालात से जूझने के लिए ही
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    मुझमें कुछ सकारात्मक गुण उत्पन्न हुए थे।
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    तो मैंने अपनी पहली
    अंतरमहाद्विपीय उड़ान भरी, अकेले,
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    और वैंकूवर, कनाडा में स्पीकर बनकर
    अपनी पहली कान्फ़्रेंस के लिए चली आई,
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    उन बेटों और बेटियों से मिलने,
    उनसे बात करने।
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    यह मेरे लिए एक सकारात्मक,
    शक्तिशाली चिंतन का पल रहा है
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    क्योंकि उनमें मैं वह कहानी देख पाई
    जो मैं जी रही थी,
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    पर जिसे अभी लिखना बाकी था।
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    उनमें मुझे वह दर्द दिखाई दिया,
    पर साथ ही मुक्ति की शक्ति भी मिली
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    ताकि उस दर्द से परिवर्तन के बीज बना सकूँ।
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    मैंने साहस, सहानुभूति, लचीलेपन
    के वह सकारात्मक गुण देखे
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    यथा स्थिति को चुनौति देने की वह उत्सुकता
    जो मैंने अपने अंदर नहीं पहचाने थे,
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    जबकि वे उनके अंदर से प्रतिबिम्बित होकर
    मुझे अपने अंदर भी दिखाई दिए।
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    उनसे वह मुलाकात एक बहुमूल्य तोहफ़ा रहा है,
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    जो मुझे आज तक ऊर्जा देता रहता है।
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    और वह एक ऐसा तोहफ़ा है जो
    मैं इटली में, यूरोप में लेकर आना चाहती हूँ
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    ताकि दूसरे "भूले बिसरे बच्चों"
    की मदद कर सकूँ
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    उनके कंधों से थोड़ा सा यह बोझ हटा सकूँ।
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    मेरी इच्छा है कि कोई भी बच्चा,
    चाहे नाबालिग हो या वयस्क
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    कभी अकेला न महसूस करे
    जब उसके माता या पिता या दोनों
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    किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित हो जाएँ।
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    यह एक बहुत बड़ी कामना है मेरी,
    जिसके लिए सबकी मदद चाहिए
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    क्योंकि नहीं तो, मैं ख़ुद को अपने कंधों पर
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    दुनिया का बोझ ढोने से कैसे रोक पाऊँगी?
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    और अब हम आते हैं आज की बात पर।
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    2017 में दूसरे इतालवी बेटों और बेटियों,
    गायो, कार्लो और मार्को के साथ मिलकर
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    हमने अपनी पहली
    इतालवी गैर लाभकारी संस्था बनाई
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    बेटों और बेटियों द्वारा
    उन्ही के लिए बनाई गई
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    ताकि बच्चों और नाबालिगों को
    बोलने का मौका दिया जाए,
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    संस्थाओं में हमारे अधिकारों का
    समर्थन किया जाए
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    और उसका नाम है कोमिप,
    मानसिक बीमारी से ग्रसित माँ-बाप के बच्चे,
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    बेटियाँ और बेटे।
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    हमने एक परियोजना शुरू की
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    जो एक मिनी गाइड की तरह है
    जिसे मैंने लिखा है
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    और जिसकी मुझे ज़रूरत थी
    जब मैं 15 साल की थी
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    और जिसका शीर्षक है
    "जब माता या पिता बीमार हों
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    मानसिक बीमारी से पीड़ित माता-पिता के
    बच्चों के लिए मिनी गाइड"।
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    यह जनसाधारण की परियोजना है,
    जिसे क्राउडफंडिंग से शुरू किया गया,
  • 8:45 - 8:48
    मेरे कुछ साथियों ने मेरी मदद की,
    उनमें से कुछ यहाँ थिएटर में मौजूद हैं.
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    जो मेरे जैसी इच्छा रखते थे
  • 8:51 - 8:54
    और जिन्होंने हमें शुरू करने
    और उड़ने का साहस दिया।
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    इस परियोजना का उद्देश्य है कि इटली के
    हर स्कूल और सार्वजनिक पुस्तकालय,
  • 8:59 - 9:04
    पारिवारिक परामर्श केंद्र
    और मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों में
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    इस मिनी गाइड
    की एक कॉपी दान की जाए
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    ताकि किसी बच्चे या किशोर
    या उनके परिवारों को कभी
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    अकेलेपन का सामना न करना पड़े।
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    ख़ासकर जिन बच्चों के माता-पिता
    अपनी बीमारी के बारे में
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    अवगत नहीं हैं और न ही
    अपने विकार का इलाज करवा रहे हैं।
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    हमें ऐसे बच्चों के बारे में भी सोचना है।
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    काफ़ी देर तक मैं भी एक ऐसी बच्ची रही हूँ।
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    पहले, जब मैंने इस परियोजना
    की योजना बनानी शुरू की
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    मैंने ख़ुद से कहा, "मैं यह कभी नहीं
    कर पाऊँगी, मैं यह कैसे करूंगी?"
  • 9:27 - 9:30
    फिर धीरे-धीरे मैंने
    आसपास के लोगों से मदद मांगी
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    पेशेवर हाइकर गाइडों से भी
    कि वे लोगों को हाइक करवाते हुए
  • 9:33 - 9:36
    मेरी कहानी दस मिनट में सुनाएँ
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    और समाज से ऐसे लोग ढूंढें
  • 9:39 - 9:41
    जिन्होंने ऐसा अनुभव न किया हो
  • 9:41 - 9:45
    जो हमारे लिए परिवर्तन के डाकिए बनना चाहें
  • 9:45 - 9:47
    और अपने शहर के पुस्तकालय के लिए
    हमारे कॉमिप से
  • 9:48 - 9:50
    मिनी गाइड की कॉपी ले जाएँ।
  • 9:50 - 9:53
    और अब हम बहुत से क्षेत्रों
    तक पहुंच चुके हैं,
  • 9:53 - 9:55
    आओस्टा घाटी से सिसिली और सार्डीनिया तक।
  • 9:55 - 9:58
    हम रुकने वाले नहीं,
    हम उन सब तक पहुंचना चाहते हैं।
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    हमारी एक और इच्छा है कि हम संस्थाओं
    में एक जागरूकता उत्पन्न करें
  • 10:02 - 10:04
    ताकि वे हमारे लिए और काम करें,
    साथ ही समाज के लिए,
  • 10:04 - 10:08
    और मानसिक स्वास्थ्य में अधिक निवेश करें।
  • 10:08 - 10:10
    हम एक और इच्छा पूरी कर रहे हैं
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    और वह है स्कूलों में जाना,
    छात्रों से बात करना, बच्चों से बात करना।
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    केवल देखभाल करने वाले ही नहीं,
    बेटियाँ, बेटे ही नहीं, पर वे सब।
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    एक तरह का टूल बक्सा रखना
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    ताकि भानवनाओं से निपट सकें,
    सकारात्मक और नकारात्मक दोनों,
  • 10:24 - 10:27
    इससे पहले कि हालात और बिगड़ें
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    जीवन की चुनौतियों से जूझने के लिए
    हमारे पास सारा सामान हो।
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    ताकि जीवन बचा सकें।
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    हमारे सामने की राह बहुत कठिन है।
  • 10:36 - 10:40
    पर मैं एक बात यकीनन जानती हूँ
  • 10:41 - 10:44
    कि मानसिक बीमारी से पीड़ित माँ-बाप
    के बच्चों में एक
  • 10:44 - 10:47
    सकारात्मक गुण तो होता है
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    और वह है यथा स्थिति में
    परिवर्तन लाने की उत्सुकता।
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    इसीलिए मैं जानती हूँ कि उस लड़की की
  • 10:52 - 10:56
    इच्छा ज़रूर पूरी होगी,
    आपकी मदद से भी।
  • 10:56 - 10:59
    अगर इस कहानी ने आपके मन को छुआ,
    आपको प्रभावित किया,
  • 10:59 - 11:02
    तो इसके बारे में बताएं, अपने दोस्तों,
    अपने सहकर्मियों को सुनाएँ।
  • 11:02 - 11:05
    आइए मिलकर उस छोटे से दरवाज़े को खोलें
    जो हमारे लिए नहीं खुल पाया था।
  • 11:05 - 11:08
    रोशनी को आने दें!
  • 11:08 - 11:09
    धन्यवाद।
  • 11:09 - 11:12
    (तालियाँ)
Title:
जब माता या पिता की तबीयत ठीक न हो |स्टेफ़ानिया बुओनी | TEDxNapoli
Description:

एक "नाबालिग देखभालकर्ता" होने का क्या अर्थ होता है? आप पर क्या बीतती है जब आपके माता-पिता को कोई बीमारी हो जाती है और आप अभी बच्चे या नाबालिग होते हैं? और अगर वह बीमारी ..."मानसिक बीमारी" हो तो?
सक्रीय परिवर्तनकर्ता, "कॉमिप - मानसिक रूप से बीमार माता-पिता के बच्चे", की अध्यक्ष और सह-संस्थापक, इटली की वह पहली गैर लाभकारी संस्था जिसे मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों के बेटों और बेटियों "भूले-बिसरे बच्चों" ने बनाया है।
2018 में सेसवोल अम्ब्रिया-टर्नी की सामाजिक प्रकाशन सेवा के आभार से, स्टेफ़ानिया बुओनी ने अपनी पुस्तक "जब माता या पिता बीमार हों - मानसिक रोग से पीड़ित माता-पिता की बेटियों और बेटों के लिए गाइड", वह पुस्तक जिसकी ज़रूरत उन्हें तब थी जब वह 15 की थीं और जिसे वह क्राउडफंडिंग के ज़रिए पुनः प्रकाशित और वितरित कर रही हैं।
उसी साल में, कॉमिप के साथ उन्होंने उसी नाम की एक और परियोजना शुरू की - जो अब भी जारी है - इतालवी स्कूलों में नाबालिग देखभालकर्ताओं के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना।

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Video Language:
Italian
Team:
closed TED
Project:
TEDxTalks
Duration:
11:21

Hindi subtitles

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