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लोगों के हाथ में कानून की ताकत कैसे दें

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    मैं आपको किसी के बारे में बताना चाहता हूँ।
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    मैं उसे रवि नंदा का नाम दूँगा।
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    उसकी रक्षा के लिए
    मैं उसका नाम बदल रहा हूँ।
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    रवि भारत के पश्चिम तट पर,
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    गुजरात के गडरिए समुदाय से है
    जहाँ से मेरा परिवार है।
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    जब वह १० साल का था,
    उसके पूरे समुदाय को वहाँ से जाना पड़ा
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    क्योंकि एक बहुराष्ट्रीय निगम ने
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    उस ज़मीन पर एक विनिर्माण सुविधा का
    निर्माण कर दिया जहाँ वे रहते थे।
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    फिर, २० साल बाद,
    उसी कंपनी ने एक सीमेंट फैक्ट्री बना दी
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    उस जगह से १०० फुट दूर जहाँ वे अब रहते हैं।
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    भारत में कागज़ात पर
    बड़े दृढ़ पर्यावरण नियम हैं,
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    पर इस कंपनी ने उनमें से
    अधिकतर का उल्लंघन किया है।
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    उस फैक्ट्री की धूल रवि की मूँछों
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    और उसके सारे कपड़ों को ढक कर रखती है।
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    मैं तो बस उसके घर दो दिन रहा था
    और हफ्ता भर खाँसता रहा।
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    रवि का कहना है कि अगर लोग या जानवर
    उसके गाँव में उगा कुछ भी खा लें
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    या पानी भी पी लें,
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    वे बीमार हो जाते हैं।
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    वह कहता है कि बच्चे
    अब गायों और भैंसों के लिए
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    अदूषित चरागाहों की खोज में
    बहुत दूर तक जाते हैं।
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    वह कहता है कि इनमें से बहुत सारे बच्चे
    तो स्कूल छोड़ चुके हैं,
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    जिसमें उसके तीन बच्चे भी शामिल हैं।
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    रवि कई सालों से कंपनी को
    दरखास्त दे रहा है।
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    वह कहता है, "मैंने इतने पत्र लिखे हैं
    कि मेरा परिवार उनसे मेरी चिता जला सकता है।
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    उन्हें लकड़ी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।"
  • 1:33 - 1:34
    (हंसी)
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    उसका कहना है कि कंपनी ने
    उसके हर पत्र को नज़रअंदाज़ किया,
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    और इसलिए २०१३ में,
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    रवि नंदा ने विरोध का
    अपना आखिरी दाँव लगाने का निर्णय लिया
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    जो उसे लगा कि आखिरी बचा था।
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    वह आत्म-दाह करने के निर्णय से
    हाथ में पेट्रोल की बाल्टी लिए
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    फैक्ट्री के गेट तक गया।
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    एक रवि ही हताश नहीं है।
  • 2:03 - 2:05
    संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि संसार में,
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    चार अरब लोगों के पास न्याय की
    आधारभूत सुविधा तक पहुंच नहीं है।
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    इन लोगों की सुरक्षा, इनकी आजीविका,
    इनकी मर्यादा को गंभीर खतरा है।
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    किताबों में अवश्य ऐसे कानून होंगे
    जो इन्हें बचा सकें
  • 2:22 - 2:25
    पर अक्सर इन्होंने उन कानूनों के बारे में
    सुना ही नहीं होता।
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    और इन कानूनों को लागू करने वाली प्रणालियाँ
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    भ्रष्ट या खंडित, या दोनों ही होती हैं।
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    हम अन्याय की एक वैश्विक
    महामारी के साथ जी रहे हैं,
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    पर हम उसे नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।
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    इस समय, सियरा लियोन में,
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    कंबोडिया में, ईथियोपिया में,
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    किसानों को फुसलाकर
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    ५०-साल के पट्टा समझौतों पर
    अंगूठे के निशान लगवाए जा रहे हैं,
  • 2:55 - 2:59
    उनकी सारी ज़मीन
    कौड़ियों के भाव ली जा रही है,
  • 2:59 - 3:01
    बिना उन्हें शर्तें समझाए।
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    सरकारों को लगता है कि यह ठीक है।
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    इस समय, अमरीका में,
  • 3:09 - 3:12
    भारत में, स्लोवेनिया में,
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    रवि जैसे लोग उन फैक्ट्रियों
    और खानों की छाँव में
  • 3:15 - 3:18
    अपने बच्चे बड़े कर रहे हैं
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    जो उनके पानी और हवा को
    ज़हरीला बना रहे हैं।
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    पर्यावरण संबंधी कानून हैं
    जो इन लोगों की रक्षा कर सकते हैं,
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    पर अधिकतर ने वे देखे ही नहीं हैं,
  • 3:26 - 3:28
    उन्हें लागू करना तो दूर की बात है।
  • 3:29 - 3:32
    और संसार को लगता है कि यह सब ठीक है।
  • 3:33 - 3:35
    इसे कैसे बदलेंगे?
  • 3:36 - 3:41
    कानून तो वह भाषा है जिसके द्वारा
  • 3:41 - 3:44
    हम न्याय के बारे में अपने सपनों को
  • 3:44 - 3:47
    उन जीवित संस्थाओं के रूप में
    साकार करते हैं जो हमें बाँधें रखती हैं।
  • 3:48 - 3:52
    कानून तो केवल अंतर है
    रसूखदार लोगों के द्वारा शासित समाज
  • 3:52 - 3:55
    और ऐसे समाज के बीच, जो सबका मान रखता है,
  • 3:55 - 3:57
    चाहे कमज़ोर या शक्तिवान।
  • 3:57 - 4:00
    इसीलिए २० साल पूर्व,
    मैंने अपनी दादी माँ से कहा कि
  • 4:00 - 4:02
    मैं लॉ स्कूल जाना चाहता हूँ।
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    दादी माँ एक पल भी ना रुकी।
    एक क्षण भी नहीं खोया।
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    वह बोलीं, "वकील झूठा होता है।"
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    (हंसी)
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    उनका कहा निरुत्साहित लगा।
  • 4:14 - 4:17
    (हंसी)
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    पर दादी माँ एक तरह से सही हैं।
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    कानून और वकीलों के बारे में
    कुछ तो गड़बड़ हो गई है।
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    पहले तो, हम वकील लोग महंगे होते हैं,
  • 4:27 - 4:30
    और हमारा ध्यान औपचारिक
    कोर्ट चैनलों पर होता है
  • 4:30 - 4:34
    जो लोगों की अधिकतर समस्याओं के लिए
    अव्यवहारिक हैं।
  • 4:34 - 4:40
    उससे बदतर, हमारे पेशे ने कानून को
    जटिलता का चोगा पहना दिया है।
  • 4:41 - 4:44
    कानून तो एक पुलिस अफसर की उस पोशाक जैसा है
    जो दंगे के समय पहनते हैं।
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    यह डरावना और अभेद्य है,
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    और यह कहना मुश्किल है
    कि इसके भीतर कुछ मानवीय है भी।
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    अगर हम सभी के लिए न्याय को
    एक वास्तविकता बनाना चाहते हैं,
  • 4:55 - 4:59
    हमें कानून को एक धमकी या मात्र कल्पना से
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    कुछ ऐसे में बदलना होगा जिसे हर कोई
    समझ सके, प्रयोग कर सके और बदल सके।
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    उस लड़ाई में वकील तो बेशक महत्वपूर्ण हैं,
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    पर हम यह सिर्फ वकीलों के
    हाथ में तो नहीं छोड़ सकते।
  • 5:13 - 5:15
    उदाहरण के तौर पर, स्वास्थ्य कल्याण में,
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    हम मरीज़ों की सेवा के लिए
    केवल डॉक्टरों पर तो निर्भर नहीं रहते।
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    हमारे पास नर्सें, दाइयाँ
    और कम्युनिटी हैल्थ वर्कर हैं।
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    ऐसा ही न्याय के लिए भी होना चाहिए।
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    कम्यूनिटी लीगल वर्कर,
  • 5:30 - 5:32
    कई बार हम उन्हें
    कम्यूनिटी पैरालीगल भी कहते हैं,
  • 5:32 - 5:34
    या बेयरफुट वकील,
  • 5:34 - 5:36
    एक कड़ी का काम कर सकते हैं।
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    ये पैरालीगल उन्हीं समुदायों से होते हैं
    जहाँ वे काम करते हैं।
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    ये कानून का रहस्य खोलते हैं,
  • 5:41 - 5:44
    उसे साधारण शब्दों में व्यक्त करते हैं,
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    और फिर समाधान ढूँढने में
    लोगों की मदद करते हैं।
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    वे केवल अदालतों पर ध्यान नहीं देते।
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    वे सब जगह देखते हैंः
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    मंत्रालय विभागों, स्थानीय सरकार,
    लोकपाल का दफ्तर।
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    कई बार वकील अपने मुवक्किलों से कहते हैं,
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    "मैं संभाल लूंगा। मैं हूँ ना।"
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    पैरालीगल अलग संदेश देते हैं,
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    "मैं आपके लिए सुलझा दूँगा" नहीं,
  • 6:06 - 6:08
    बल्कि, "हम मिलकर सुलझाएँगे,
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    और इस प्रक्रिया में
    हम दोनों तरक्की करेंगे।"
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    कम्यूनिटी पैरालीगल्स ने
    कानून से मेरे संबंध की भी रक्षा की है।
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    लॉ स्कूल में एक साल के बाद,
    मैं तो बस छोड़ने ही वाला था।
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    मैं सोच रहा था कि शायद मुझे
    दादी माँ का कहना मान लेना चाहिए था।
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    यह तब की बात है जब २००३ में
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    मैंने सियरा लियोन में पैरालीगल्स के साथ
    काम करना शुरू किया था,
  • 6:28 - 6:31
    तब मुझे कानून पर फिर से विश्वास होने लगा,
  • 6:31 - 6:34
    और तब से मैं बस उसी धुन में हूँ।
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    रवि की बात पर वापिस आता हूँ।
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    २०१३, वह फैक्ट्री के गेट पर पहुँचा
  • 6:42 - 6:45
    हाथ में पेट्रोल की बाल्टी लिए,
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    पर इससे पहले कि वह कुछ कर पाता,
    उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
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    वह अधिक समय तक जेल में नहीं रहा,
  • 6:50 - 6:53
    पर वह बुरी तरह परास्त महसूस कर रहा था।
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    फिर, दो साल बाद, वह किसी से मिला।
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    मैं उसे कुश बुलाऊँगा।
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    कुश कम्यूनिटी पैरालीगल्स के दल का सदस्य है
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    जो गुजरात के तट पर पर्यावरण न्याय
    के लिए काम करता है।
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    कुश ने रवि को समझाया
    कि कानून उसके साथ है।
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    कुश ने कुछ ऐसा गुजराती में अनुवाद किया
    जो रवि ने पहले कभी नहीं देखा था।
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    जिसे कहते हैं, "सहमति से कार्य करना।"
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    यह राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाता है,
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    और इसके द्वारा फैक्ट्री तभी काम कर सकती है
  • 7:20 - 7:24
    अगर वह कुछ विशिष्ट शर्तों को पूरा करे।
  • 7:25 - 7:29
    तो, दोनों ने मिलकर कानूनी आवश्यकताओं की
    वास्तविकता से तुलना की,
  • 7:29 - 7:30
    उन्होंने सबूत इकट्ठे किए,
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    और एक अर्जी का प्रारूप तैयार किया...
  • 7:32 - 7:37
    अदालत के लिए नहीं,
    बल्कि दो प्रशासनिक संस्थाओं के लिए,
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    प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
    और जिला प्रशासन।
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    उन अर्जियों ने प्रवर्त्तन के कारकों को
    सक्रिय बनाया।
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    एक प्रदूषण अधिकारी
    साइट निरीक्षण के लिए आया,
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    और उसके बाद, कंपनी ने
    वायु फिल्ट्रेशन प्रणाली चालू की
  • 7:55 - 7:57
    जो उसे शुरू से करनी चाहिए थी।
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    उसने उन १०० ट्रकों को भी ढकना शुरू किया
  • 8:01 - 8:04
    जो हर दिन प्लांट से आते-जाते थे।
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    उन दो उपायों से
    वायु प्रदूषण काफी हद तक कम हुआ।
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    मामला अभी खत्म नहीं हुआ है,
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    पर कानून सीखकर उसका प्रयोग करने से
    रवि की उम्मीद जाग उठी।
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    कई जगहों पर कुश जैसे लोग
    रवि जैसे लोगों का साथ दे रहे हैं।
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    आज, मैं नमती नामक समूह
    के साथ काम कर रहा हूँ।
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    नमती कानूनी सशक्तिकरण को समर्पित
  • 8:31 - 8:34
    एक वैश्विक नेटवर्क को समायोजित
    करने में मदद करता है।
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    कुल मिलाकर, १२० देशों में हम कुछ
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    एक हज़ार संगठनों से अधिक हैं।
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    सामूहिक तौर पर, हम कई हज़ारों कम्यूनिटी
    पैरालिगलों को परिनियोजित करते हैं।
  • 8:43 - 8:45
    आपको एक और उदाहरण देता हूँ।
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    यह खदीजा हमसा है।
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    यह कीनिया के पचास लाख लोगों में से एक है
    जिसे राष्ट्रीय पहचान पत्र पाने के लिए
  • 8:56 - 8:58
    भेदभावपूर्ण परीक्षण प्रक्रिया का सामना
    करना पड़ रहा है।
  • 8:59 - 9:03
    यह अमरीका के जिम क्रो साउथ जैसा है।
  • 9:03 - 9:05
    अगर आप किसी खास कबीले से हो,
  • 9:05 - 9:07
    जो अधिकतर मुस्लिम हैं,
  • 9:07 - 9:09
    आपको एक अलग पंक्ति में भेज दिया जाता है।
  • 9:10 - 9:13
    बिना पहचान पत्र के,
    आप नौकरी के लिए अर्जी नहीं दे सकते।
  • 9:13 - 9:14
    आप बैंक से श्रृण नहीं ले सकते।
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    आप विश्वविद्यालय में दाखिल नहीं हो सकते।
  • 9:17 - 9:19
    आपको समाज से बाहर निकाल दिया जाता है।
  • 9:20 - 9:24
    खदीजा लगभग आठ साल
    पहचान पत्र लेने की कोशिश में असफल रही।
  • 9:25 - 9:29
    फिर उसे उसके समुदाय में काम कर रहा
    एक पैरालीगल मिला,
  • 9:29 - 9:30
    जिसका नाम हस्सन कासिम था।
  • 9:31 - 9:34
    हस्सन ने खदीजा को समझाया
    कि परीक्षण कैसे किया जाता है,
  • 9:34 - 9:37
    उसने उसकी आवश्यक दस्तावेज़
    इकट्ठे करने में मदद की,
  • 9:37 - 9:39
    परीक्षण समिति के समक्ष जाने में
    उसकी तैयारी करवाई।
  • 9:39 - 9:42
    आखिरकार, हस्सन की मदद से
    उसे पहचान पत्र मिल गया।
  • 9:43 - 9:45
    पहचान पत्र मिलते ही सबसे पहले
  • 9:45 - 9:49
    उसने अपने बच्चों के लिए जन्म प्रमाण पत्र
    लेने की अर्जी दी,
  • 9:49 - 9:51
    जो उन्हें स्कूल जाने के लिए चाहिए।
  • 9:54 - 9:57
    अमरीका में अन्य समस्याओं के साथ,
  • 9:57 - 10:01
    आवास संकट है।
  • 10:02 - 10:03
    कई शहरों में,
  • 10:03 - 10:07
    आवास अदालतों में ९० प्रतिशत
    मकानमालिकों के पास वकील हैं,
  • 10:07 - 10:10
    जबकि ९० प्रतिशत
    किराएदारों के पास नहीं हैं।
  • 10:10 - 10:13
    न्यू यॉर्क में, पैरालीगलों का
    एक नए समूह...
  • 10:13 - 10:16
    जिसका नाम है
    एक्सेस टू जस्टिस नैविगेटर्स...
  • 10:16 - 10:20
    लोगों को आवासीय कानून समझने
    और अपनी वकालत खुद करने में मदद करता है।
  • 10:21 - 10:22
    आम तौर पर, न्यू यॉर्क में,
  • 10:22 - 10:26
    दस में से नौ किराएदार
    जो आवास अदालत में लाए जाते हैं
  • 10:26 - 10:28
    उन्हें घर से निष्कासित कर दिया जाता है।
  • 10:28 - 10:30
    शोधकर्ताओं ने १५० मामले देखे,
  • 10:30 - 10:33
    जिनमें लोगों की पैरालीगल ने मदद की,
  • 10:33 - 10:37
    और उन्होंने पाया कि किसी को भी
    घर से निकाला नहीं गया, एक भी नहीं।
  • 10:38 - 10:41
    थोड़ा सा कानूनी सशक्तिकरण
    बहुत अधिक सफलता ला सकता है।
  • 10:42 - 10:46
    मुझे एक वास्तविक आंदोलन की
    शुरूआत दिखाई दे रही है,
  • 10:46 - 10:49
    परंतु हमें जितनी आवश्यकता है
    उससे बहुत दूर हैं।
  • 10:49 - 10:50
    अभी तो करीब नहीं।
  • 10:51 - 10:53
    संसार भर के अधिकतर देशों में,
  • 10:53 - 10:56
    हस्सन और कुश जैसे पैरालीगलों को
  • 10:56 - 10:58
    सरकारें एक पैसे का समर्थन नहीं देतीं।
  • 10:59 - 11:03
    अधिकतर सरकारें तो पैरालीगल की
    भूमिका को मान्यता भी नहीं देतीं,
  • 11:03 - 11:05
    ना ही उन्हें तकलीफ से बचाती हैं।
  • 11:06 - 11:08
    मैं भी आपको ऐसा नहीं दर्शाना चाहता
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    कि पैरालीगल और उनके मुवक्किल
    हमेशा जीतते हैं।
  • 11:12 - 11:13
    बिल्कुल नहीं।
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    रवि के गाँव के पीछे की वह सीमेंट फैक्ट्री,
  • 11:16 - 11:19
    वह रात के समय
    फिल्ट्रेशन प्रणाली को बंद कर देती है,
  • 11:19 - 11:23
    जब कंपनी के पकड़े जाने के
    आसार सबसे कम हों।
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    उस फिल्टर को चलाने में खर्चा होता है।
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    रात के प्रदूषित आसमान की तस्वीरें
    रवि वॉट्सऐप करता है।
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    यह उसने मई में कुश को भेजी थी।
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    रवि कहता है कि हवा में साँस लेना
    अभी भी मुश्किल है।
  • 11:36 - 11:39
    इस साल एक बार तो, रवि ने भूख हड़ताल कर दी।
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    कुश हताश था।
  • 11:41 - 11:44
    वह बोला, "अगर कानून का
    प्रयोग करें, तो हम जीतेंगे।"
  • 11:44 - 11:47
    रवि बोला, "मैं कानून में विश्वास करता हूँ।
  • 11:47 - 11:49
    पर इससे हमें कोई फायदा नहीं हो रहा।"
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    चाहे यह भारत हो, कीनिया,
    अमरीका या कहीं भी,
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    खंडित प्रणाली से न्याय ले पाना
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    रवि के मामले जैसा है।
  • 12:01 - 12:05
    आशा और निराशा का चोली दामन का साथ है।
  • 12:06 - 12:10
    और इसलिए हमें संसार भर में तत्काल
  • 12:10 - 12:13
    बेयरफुट वकीलों के काम का समर्थन
    और रक्षा ही नहीं करनी,
  • 12:13 - 12:16
    हमें प्रणालियों को ही बदलना होगा।
  • 12:18 - 12:20
    हर मामला जो एक पैरालीगल लेता है
  • 12:20 - 12:25
    वह एक कहानी है कि प्रणाली
    वास्तव में कैसे काम कर रही है।
  • 12:26 - 12:28
    जब आप उन कहानियों को जोड़ें,
  • 12:28 - 12:31
    उनसे आपको प्रणाली का
    एक विस्तृत विवरण मिल जाता है।
  • 12:31 - 12:34
    लोग कानून और नीतियों में
    सुधार की माँग के लिए
  • 12:34 - 12:36
    उस जानकारी का उपयोग कर सकते हैं।
  • 12:37 - 12:41
    भारत में, पैरालीगल और उनके मुवक्किलों ने
    अपने मुकदमों के अनुभव के आधार पर
  • 12:41 - 12:45
    खनिजों से संबंधित
    बेहतर नियमों का प्रस्ताव दिया है।
  • 12:46 - 12:51
    कीनिया में, पैरालीगल और उनके मुवक्किलों
    ने हज़ारों मुकदमों के आँकड़ों का प्रयोग
  • 12:51 - 12:54
    परिक्षण के असंवैधानिक होने पर
    तर्क करने के लिए किया है।
  • 12:56 - 12:58
    सुधार करने के लिए यह एक अलग तरीका है।
  • 12:58 - 13:02
    यह कोई कंसलटेंट नहीं है
    जो जहाज़ से मयांमार आया
  • 13:02 - 13:05
    और मेसेडोनिया के किसी टेम्पलेट को
    काटकर चिपकाएगा,
  • 13:05 - 13:08
    और यह कोई भड़कीली ट्वीट भी नहीं है।
  • 13:09 - 13:13
    यह तो आम आदमी के अनुभव से
    सुधारों में विस्तार करने के बारे में है
  • 13:13 - 13:16
    ताकि नियम और प्रणाली सही काम कर सकें।
  • 13:17 - 13:24
    लोगों और कानून के बीच
    संबंध में यह परिवर्तन लाना
  • 13:24 - 13:25
    ही सही बात है।
  • 13:27 - 13:30
    हमारे समय की अन्य बड़ी चुनौतियों से
  • 13:30 - 13:33
    निपटने के लिए बहुत ज़रूरी है।
  • 13:35 - 13:40
    हम पर्यावरण के विनाश को टाल नहीं सकते
  • 13:40 - 13:43
    अगर हवा और पानी के साथ क्या होता है
  • 13:43 - 13:47
    उसमें प्रदूषण से प्रभावित लोगों की
    बात सुनी नहीं जाती,
  • 13:47 - 13:51
    और हम निर्धनता को कम नहीं कर सकते,
    ना ही अवसर बढ़ा सकते हैं
  • 13:52 - 13:55
    अगर निर्धन लोग अपने
    आधारभूत अधिकारों का प्रयोग न करें।
  • 13:56 - 13:59
    और मेरा मानना है कि अगर
    हमारी प्रणाली में धांधली होती रही
  • 13:59 - 14:04
    तो हम कभी उस निराशा को दूर नहीं कर पाएँगे
  • 14:05 - 14:07
    जिसका सत्तावादी राजनेता
    शिकार करते रहते हैं।
  • 14:09 - 14:14
    यहाँ आने से पहले मैंने रवि से बात की
    उसकी कहानी बताने की इजाज़त लेने के लिए।
  • 14:15 - 14:18
    मैंने उससे पूछा अगर
    वह कोई संदेश देना चाहता है।
  • 14:20 - 14:22
    उसने कहा, "जागरुत थव।"
  • 14:23 - 14:24
    जागो।
  • 14:26 - 14:28
    "डरुन ना जोय।"
  • 14:28 - 14:30
    डरो मत।
  • 14:31 - 14:32
    "कगरिया ति लरो।"
  • 14:32 - 14:34
    कागज़ से लड़ो।
  • 14:34 - 14:37
    मुझे लगता है उससे उसका मतलब है
    बंदूकों से नहीं कानून से लड़ो।
  • 14:38 - 14:43
    "आज नहीं, कदाचित् एक वरस मा नहीं,
    पाँच वरस मा नहीं, पन न्याय मलो।"
  • 14:43 - 14:47
    शायद आज नहीं, इस साल नहीं,
    शायद पाँच सालों में नहीं,
  • 14:47 - 14:49
    पर न्याय मिलेगा।
  • 14:52 - 14:58
    अगर यह आदमी जिसके सारे समुदाय को
    हर दिन ज़हर पीना पड़ रहा है,
  • 14:58 - 15:01
    जो अपनी जान लेने को तैयार था...
  • 15:01 - 15:04
    अगर यह न्याय माँगने से पीछे नहीं हट रहा,
  • 15:04 - 15:06
    तो संसार भी पीछे नहीं हट सकता।
  • 15:07 - 15:11
    आखिरकार, जिसे रवि कहता है
    "कागज़ से लड़ना" का अर्थ है
  • 15:11 - 15:15
    लोकतंत्र का एक गहरा रूप बनाना
  • 15:15 - 15:16
    जिसमें हम लोग,
  • 15:16 - 15:19
    हर कुछ सालों के बाद
    बस मतदान ही नहीं करेंगे,
  • 15:19 - 15:25
    हम उन नियमों और संस्थाओं में भागीदार होंगे
    जो हमें बाँधे रखते हैं,
  • 15:25 - 15:29
    जिसमें हर कोई,
    सबसे कम शक्तिशाली भी,
  • 15:29 - 15:32
    कानून को जानता, उसका प्रयोग करता
    और उसमें परिवर्तन कर सकता है।
  • 15:33 - 15:37
    ऐसा कर पाने, वह लड़ाई जीत पाने के लिए
  • 15:37 - 15:38
    हम सब की ज़रूरत है।
  • 15:38 - 15:40
    आपका धन्यवाद। धन्यवाद।
  • 15:40 - 15:47
    (तालियाँ)
  • 15:49 - 15:51
    केलो कुबुः शुक्रिया, विवेक।
  • 15:51 - 15:54
    तो मैं कुछ मान्यताएँ लेकर चलूंगी
  • 15:54 - 15:58
    कि कमरे में बैठे लोग सतत विकास लक्ष्यों
    के बारे में जानते हैं
  • 15:58 - 16:01
    और जानते हैं कि प्रक्रिया कैसे चलती है,
  • 16:01 - 16:03
    पर मैं कुछ बात करना चाहती हूँ
  • 16:03 - 16:08
    उद्देश्य 16 के बारे मेंः
    शांति, न्याय और मज़बूत संस्थाएँ।
  • 16:09 - 16:12
    विवेक मारूः हाँ।
    किसी को सहस्राब्दि विकास लक्ष्य याद हैं?
  • 16:12 - 16:17
    ये २००० में संयुक्त राष्ट्र और संसार में
    सरकारों के द्वारा अपनाए गए थे
  • 16:17 - 16:19
    और ये आवश्यक थे,
    प्रशंसनीय बातें थीं।
  • 16:19 - 16:23
    बाल मृत्यु दर को दो तिहाई से कम करना,
    भूख को आधा कर देना,
  • 16:23 - 16:24
    महत्वपूर्ण बातें।
  • 16:24 - 16:27
    पर न्याय या निष्पक्षता
    या जवाबदेही या भ्रष्टाचार
  • 16:27 - 16:30
    का कोई जिक्र नहीं था,
  • 16:30 - 16:32
    पर इन १५ सालों में हमने तरक्की की है
  • 16:32 - 16:34
    जब वे उद्देश्य प्रभावशाली थे,
  • 16:34 - 16:37
    पर न्याय की माँग में हम बहुत पीछे हैं,
  • 16:37 - 16:41
    और हम वहाँ नहीं पहुंच सकते
    जब तक न्याय को इसमें शामिल ना करें।
  • 16:41 - 16:45
    तो, जब विकास के अगले ढांचे पर बहस छिड़ी,
  • 16:45 - 16:48
    २०३० के सतत विकास उद्देश्य,
  • 16:48 - 16:50
    संसार भर से हमारा समुदाय एकजुट हो गया
  • 16:50 - 16:54
    इस बात को लेकर कि न्याय
    और सामाजिक सशक्तिकरण को
  • 16:54 - 16:56
    इस नए ढांचे में शामिल किया जाना चाहिए।
  • 16:56 - 16:58
    और इसका बहुत प्रतिरोध भी हुआ।
  • 16:58 - 17:02
    ये चीज़ें अधिक राजनीतिक हैं,
    अन्य के मुकाबले में अधिक विवादास्पद हैं,
  • 17:02 - 17:05
    इसलिए हम पिछली रात तक नहीं जानते थे
    कि यह सफल भी होगा या नहीं।
  • 17:05 - 17:07
    हम सफल हो ही गए।
  • 17:07 - 17:11
    १७ उद्देश्यों में से १६वाँ सभी के लिए
    न्याय तक पहुँच को लेकर है,
  • 17:11 - 17:12
    जो कि एक बहुत बड़ी बात है।
  • 17:13 - 17:16
    बहुत बड़ी बात है, हाँ।
    आइए न्याय की प्रशंसा करें।
  • 17:16 - 17:18
    (तालियाँ)
  • 17:18 - 17:20
    पर घोटाला तो यह है।
  • 17:20 - 17:22
    जिस दिन उद्देश्य स्वीकार किए गए,
  • 17:22 - 17:26
    उनमें से अधिकतर के साथ
    बहुत सारी प्रतिबद्धताएँ थींः
  • 17:26 - 17:29
    गेट्स फाउंडेशन और ब्रिटिश सरकार की ओर से
    पोषण के लिए एक अरब डॉलर;
  • 17:30 - 17:34
    सार्वजनिक और निजी वित्तपोषण में
    25 अरब महिलाओं और बच्चों के लिए।
  • 17:35 - 17:38
    न्याय तक पहुँच को लेकर
    हमारे पास कागज़ पर शब्द थे,
  • 17:38 - 17:40
    पर किसी ने एक पैसा भी देने का
    वचन नहीं दिया,
  • 17:40 - 17:44
    और इसलिए हमारे सामने
    यही अवसर और चुनौति है।
  • 17:44 - 17:47
    संसार अच्छे से पहचान गया है
  • 17:47 - 17:50
    कि बिना न्याय के विकास संभव नहीं,
  • 17:50 - 17:54
    कि लोग अपना जीवन सुधार नहीं सकते
    अगर वे अपने अधिकार प्रयोग में ना लाएँ,
  • 17:54 - 17:57
    और अब हमें यह करना है
    कि उस बयानबाज़ी,
  • 17:57 - 18:00
    उस नियम को वास्तविकता में बदलें।
  • 18:01 - 18:05
    (तालियाँ)
  • 18:05 - 18:09
    केकुः हम कैसे मदद कर सकते हैं?
    इस कमरे में बैठे लोग क्या कर सकते हैं?
  • 18:09 - 18:12
    वीएमः बढ़िया सवाल। पूछने के लिए धन्यवाद।
  • 18:12 - 18:13
    मैं कहूँगा तीन बातें।
  • 18:13 - 18:15
    पहला निवेश करें।
  • 18:15 - 18:18
    अगर आपके पास १० डॉलर हैं,
    या सौ डॉलर, या दस लाख डॉलर,
  • 18:18 - 18:21
    उसमें से कुछ आधारिक लीगल
    सशक्तिकरण में लगाने का सोचें।
  • 18:22 - 18:23
    इसका अपना महत्व है,
  • 18:23 - 18:26
    और यह महत्वपूर्ण है
    उस सबके लिए जिसकी हम परवाह करते हैं।
  • 18:26 - 18:28
    नम्बर दो,
  • 18:28 - 18:33
    अपने राजनीतिज्ञों और सरकारों पर दबाव डालें
    कि इसे सार्वजनिक प्राथमिकता दें।
  • 18:34 - 18:36
    बिल्कुल स्वास्थ्य या शिक्षा की तरह,
    न्याय तक पहुँच
  • 18:36 - 18:40
    उन चीज़ों में से एक होनी चाहिए
    जो सरकार को अपने लोगों को देनी ही है,
  • 18:40 - 18:42
    और हम मंज़िल से बहुत दूर हैं,
  • 18:42 - 18:44
    अमीर देशों में और निर्धन देशों में भी।
  • 18:44 - 18:48
    नम्बर तीन हैः
    स्वयं एक पैरालीगल बनें।
  • 18:49 - 18:51
    जहाँ आप रहते हैं
    वहाँ कोई समस्या या अन्याय ढूँढें।
  • 18:51 - 18:53
    अगर देखें, तो ढूंढना
    ज़्यादा मुश्किल नहीं होगा।
  • 18:53 - 18:55
    क्या वह नदी दूषित हो रही है,
  • 18:55 - 18:57
    जो आपके शहर के बीच से होकर बहती है?
  • 18:57 - 19:00
    क्या वहाँ श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी से
    कम मजदूरी मिल रही है?
  • 19:00 - 19:02
    या कौन बिना सुरक्षा चीज़ों के
    काम कर रहा है?
  • 19:02 - 19:04
    उन्हें जानिए जो लोग
    सबसे अधिक प्रभावित हैं,
  • 19:04 - 19:06
    जानिए कि नियम क्या कहते हैं,
  • 19:06 - 19:09
    देखिए अगर आप उन नियमों का प्रयोग करके
    समाधान निकाल पाएँ।
  • 19:10 - 19:13
    अगर सफलता नहीं मिलती, देखिए अगर
    आप मिलकर उन नियमों में सुधार कर सकते हैं।
  • 19:13 - 19:19
    क्योंकि अगर हम सब कानून जान जाएँगे,
    उसे प्रयोग करना और बनाना सीख लेंगे,
  • 19:20 - 19:23
    तो हम लोकतंत्र का एक गहरा रूप बना पाएँगे
  • 19:23 - 19:25
    जिसकी मेरे विचार से
    संसार को बहुत ज़रूरत है।
  • 19:27 - 19:28
    (तालियाँ)
  • 19:28 - 19:30
    केकुः बहुत-बहुत धन्यवाद, विवेक।
    वीएमः धन्यवाद।
Title:
लोगों के हाथ में कानून की ताकत कैसे दें
Speaker:
विवेक मारू
Description:

क्या कर सकते हैं आप जब समय पर न्याय ना मिले? या न्याय मिले ही नहीं? विवेक मारू लोगों और कानून के बीच के संबंध को बदलने में लगे हैं, कानून को एक कल्पना या धमकी से कुछ ऐसे में बदलने में जिसे सब समझ सकें, प्रयोग कर सकें और बदल सकें। केवल वकीलों पर निर्भर ना रहते हुए, मारू ने कम्यूनिटी पैरालीगल्स या बेयरफुट वकीलों का एक वैश्विक नेटवर्क शुरू किया, जो अपनी कम्युनिटी में ही काम करते हैं और कानून को आसान शब्दों में व्यक्त करके लोगों को समाधान ढूँढने में मदद करते हैं। जानिए कैसे कानून इस्तेमाल करने का यह परिवर्तनात्मक दृष्टिकोण समाज द्वारा बहिष्कृत लोगों को अपने अधिकारों को पाने में मदद कर रहा है। मारू कहते हैं, "थोड़ा सा लीगल सशक्तिकरण सफलता की राह पर ले जा सकता है।"

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
19:43

Hindi subtitles

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