लोगों के हाथ में कानून की ताकत कैसे दें
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0:01 - 0:03मैं आपको किसी के बारे में बताना चाहता हूँ।
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0:03 - 0:05मैं उसे रवि नंदा का नाम दूँगा।
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0:05 - 0:08उसकी रक्षा के लिए
मैं उसका नाम बदल रहा हूँ। -
0:09 - 0:12रवि भारत के पश्चिम तट पर,
-
0:14 - 0:16गुजरात के गडरिए समुदाय से है
जहाँ से मेरा परिवार है। -
0:18 - 0:23जब वह १० साल का था,
उसके पूरे समुदाय को वहाँ से जाना पड़ा -
0:23 - 0:26क्योंकि एक बहुराष्ट्रीय निगम ने
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0:26 - 0:29उस ज़मीन पर एक विनिर्माण सुविधा का
निर्माण कर दिया जहाँ वे रहते थे। -
0:30 - 0:36फिर, २० साल बाद,
उसी कंपनी ने एक सीमेंट फैक्ट्री बना दी -
0:36 - 0:39उस जगह से १०० फुट दूर जहाँ वे अब रहते हैं।
-
0:40 - 0:44भारत में कागज़ात पर
बड़े दृढ़ पर्यावरण नियम हैं, -
0:44 - 0:47पर इस कंपनी ने उनमें से
अधिकतर का उल्लंघन किया है। -
0:48 - 0:51उस फैक्ट्री की धूल रवि की मूँछों
-
0:51 - 0:53और उसके सारे कपड़ों को ढक कर रखती है।
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0:53 - 0:57मैं तो बस उसके घर दो दिन रहा था
और हफ्ता भर खाँसता रहा। -
0:58 - 1:03रवि का कहना है कि अगर लोग या जानवर
उसके गाँव में उगा कुछ भी खा लें -
1:03 - 1:05या पानी भी पी लें,
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1:05 - 1:06वे बीमार हो जाते हैं।
-
1:08 - 1:12वह कहता है कि बच्चे
अब गायों और भैंसों के लिए -
1:12 - 1:15अदूषित चरागाहों की खोज में
बहुत दूर तक जाते हैं। -
1:16 - 1:20वह कहता है कि इनमें से बहुत सारे बच्चे
तो स्कूल छोड़ चुके हैं, -
1:20 - 1:22जिसमें उसके तीन बच्चे भी शामिल हैं।
-
1:23 - 1:26रवि कई सालों से कंपनी को
दरखास्त दे रहा है। -
1:27 - 1:31वह कहता है, "मैंने इतने पत्र लिखे हैं
कि मेरा परिवार उनसे मेरी चिता जला सकता है। -
1:31 - 1:33उन्हें लकड़ी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।"
-
1:33 - 1:34(हंसी)
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1:35 - 1:40उसका कहना है कि कंपनी ने
उसके हर पत्र को नज़रअंदाज़ किया, -
1:40 - 1:42और इसलिए २०१३ में,
-
1:42 - 1:46रवि नंदा ने विरोध का
अपना आखिरी दाँव लगाने का निर्णय लिया -
1:46 - 1:48जो उसे लगा कि आखिरी बचा था।
-
1:48 - 1:54वह आत्म-दाह करने के निर्णय से
हाथ में पेट्रोल की बाल्टी लिए -
1:54 - 1:56फैक्ट्री के गेट तक गया।
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1:59 - 2:02एक रवि ही हताश नहीं है।
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2:03 - 2:05संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि संसार में,
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2:05 - 2:10चार अरब लोगों के पास न्याय की
आधारभूत सुविधा तक पहुंच नहीं है। -
2:11 - 2:15इन लोगों की सुरक्षा, इनकी आजीविका,
इनकी मर्यादा को गंभीर खतरा है। -
2:17 - 2:22किताबों में अवश्य ऐसे कानून होंगे
जो इन्हें बचा सकें -
2:22 - 2:25पर अक्सर इन्होंने उन कानूनों के बारे में
सुना ही नहीं होता। -
2:25 - 2:28और इन कानूनों को लागू करने वाली प्रणालियाँ
-
2:28 - 2:32भ्रष्ट या खंडित, या दोनों ही होती हैं।
-
2:33 - 2:39हम अन्याय की एक वैश्विक
महामारी के साथ जी रहे हैं, -
2:39 - 2:41पर हम उसे नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।
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2:43 - 2:46इस समय, सियरा लियोन में,
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2:46 - 2:48कंबोडिया में, ईथियोपिया में,
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2:48 - 2:50किसानों को फुसलाकर
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2:50 - 2:55५०-साल के पट्टा समझौतों पर
अंगूठे के निशान लगवाए जा रहे हैं, -
2:55 - 2:59उनकी सारी ज़मीन
कौड़ियों के भाव ली जा रही है, -
2:59 - 3:01बिना उन्हें शर्तें समझाए।
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3:03 - 3:05सरकारों को लगता है कि यह ठीक है।
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3:06 - 3:09इस समय, अमरीका में,
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3:09 - 3:12भारत में, स्लोवेनिया में,
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3:12 - 3:15रवि जैसे लोग उन फैक्ट्रियों
और खानों की छाँव में -
3:15 - 3:18अपने बच्चे बड़े कर रहे हैं
-
3:18 - 3:20जो उनके पानी और हवा को
ज़हरीला बना रहे हैं। -
3:21 - 3:24पर्यावरण संबंधी कानून हैं
जो इन लोगों की रक्षा कर सकते हैं, -
3:24 - 3:26पर अधिकतर ने वे देखे ही नहीं हैं,
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3:26 - 3:28उन्हें लागू करना तो दूर की बात है।
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3:29 - 3:32और संसार को लगता है कि यह सब ठीक है।
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3:33 - 3:35इसे कैसे बदलेंगे?
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3:36 - 3:41कानून तो वह भाषा है जिसके द्वारा
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3:41 - 3:44हम न्याय के बारे में अपने सपनों को
-
3:44 - 3:47उन जीवित संस्थाओं के रूप में
साकार करते हैं जो हमें बाँधें रखती हैं। -
3:48 - 3:52कानून तो केवल अंतर है
रसूखदार लोगों के द्वारा शासित समाज -
3:52 - 3:55और ऐसे समाज के बीच, जो सबका मान रखता है,
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3:55 - 3:57चाहे कमज़ोर या शक्तिवान।
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3:57 - 4:00इसीलिए २० साल पूर्व,
मैंने अपनी दादी माँ से कहा कि -
4:00 - 4:02मैं लॉ स्कूल जाना चाहता हूँ।
-
4:02 - 4:05दादी माँ एक पल भी ना रुकी।
एक क्षण भी नहीं खोया। -
4:05 - 4:08वह बोलीं, "वकील झूठा होता है।"
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4:09 - 4:12(हंसी)
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4:12 - 4:14उनका कहा निरुत्साहित लगा।
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4:14 - 4:17(हंसी)
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4:17 - 4:19पर दादी माँ एक तरह से सही हैं।
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4:19 - 4:22कानून और वकीलों के बारे में
कुछ तो गड़बड़ हो गई है। -
4:23 - 4:27पहले तो, हम वकील लोग महंगे होते हैं,
-
4:27 - 4:30और हमारा ध्यान औपचारिक
कोर्ट चैनलों पर होता है -
4:30 - 4:34जो लोगों की अधिकतर समस्याओं के लिए
अव्यवहारिक हैं। -
4:34 - 4:40उससे बदतर, हमारे पेशे ने कानून को
जटिलता का चोगा पहना दिया है। -
4:41 - 4:44कानून तो एक पुलिस अफसर की उस पोशाक जैसा है
जो दंगे के समय पहनते हैं। -
4:44 - 4:47यह डरावना और अभेद्य है,
-
4:47 - 4:50और यह कहना मुश्किल है
कि इसके भीतर कुछ मानवीय है भी। -
4:51 - 4:55अगर हम सभी के लिए न्याय को
एक वास्तविकता बनाना चाहते हैं, -
4:55 - 4:59हमें कानून को एक धमकी या मात्र कल्पना से
-
4:59 - 5:05कुछ ऐसे में बदलना होगा जिसे हर कोई
समझ सके, प्रयोग कर सके और बदल सके। -
5:06 - 5:10उस लड़ाई में वकील तो बेशक महत्वपूर्ण हैं,
-
5:10 - 5:13पर हम यह सिर्फ वकीलों के
हाथ में तो नहीं छोड़ सकते। -
5:13 - 5:15उदाहरण के तौर पर, स्वास्थ्य कल्याण में,
-
5:15 - 5:19हम मरीज़ों की सेवा के लिए
केवल डॉक्टरों पर तो निर्भर नहीं रहते। -
5:19 - 5:23हमारे पास नर्सें, दाइयाँ
और कम्युनिटी हैल्थ वर्कर हैं। -
5:24 - 5:27ऐसा ही न्याय के लिए भी होना चाहिए।
-
5:28 - 5:30कम्यूनिटी लीगल वर्कर,
-
5:30 - 5:32कई बार हम उन्हें
कम्यूनिटी पैरालीगल भी कहते हैं, -
5:32 - 5:34या बेयरफुट वकील,
-
5:34 - 5:36एक कड़ी का काम कर सकते हैं।
-
5:36 - 5:39ये पैरालीगल उन्हीं समुदायों से होते हैं
जहाँ वे काम करते हैं। -
5:40 - 5:41ये कानून का रहस्य खोलते हैं,
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5:41 - 5:44उसे साधारण शब्दों में व्यक्त करते हैं,
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5:44 - 5:46और फिर समाधान ढूँढने में
लोगों की मदद करते हैं। -
5:47 - 5:49वे केवल अदालतों पर ध्यान नहीं देते।
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5:49 - 5:51वे सब जगह देखते हैंः
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5:51 - 5:55मंत्रालय विभागों, स्थानीय सरकार,
लोकपाल का दफ्तर। -
5:56 - 5:59कई बार वकील अपने मुवक्किलों से कहते हैं,
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5:59 - 6:00"मैं संभाल लूंगा। मैं हूँ ना।"
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6:01 - 6:03पैरालीगल अलग संदेश देते हैं,
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6:03 - 6:06"मैं आपके लिए सुलझा दूँगा" नहीं,
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6:06 - 6:08बल्कि, "हम मिलकर सुलझाएँगे,
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6:08 - 6:11और इस प्रक्रिया में
हम दोनों तरक्की करेंगे।" -
6:12 - 6:16कम्यूनिटी पैरालीगल्स ने
कानून से मेरे संबंध की भी रक्षा की है। -
6:16 - 6:19लॉ स्कूल में एक साल के बाद,
मैं तो बस छोड़ने ही वाला था। -
6:19 - 6:22मैं सोच रहा था कि शायद मुझे
दादी माँ का कहना मान लेना चाहिए था। -
6:22 - 6:25यह तब की बात है जब २००३ में
-
6:25 - 6:28मैंने सियरा लियोन में पैरालीगल्स के साथ
काम करना शुरू किया था, -
6:28 - 6:31तब मुझे कानून पर फिर से विश्वास होने लगा,
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6:31 - 6:34और तब से मैं बस उसी धुन में हूँ।
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6:35 - 6:37रवि की बात पर वापिस आता हूँ।
-
6:38 - 6:42२०१३, वह फैक्ट्री के गेट पर पहुँचा
-
6:42 - 6:45हाथ में पेट्रोल की बाल्टी लिए,
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6:45 - 6:48पर इससे पहले कि वह कुछ कर पाता,
उसे गिरफ्तार कर लिया गया। -
6:49 - 6:50वह अधिक समय तक जेल में नहीं रहा,
-
6:50 - 6:53पर वह बुरी तरह परास्त महसूस कर रहा था।
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6:54 - 6:57फिर, दो साल बाद, वह किसी से मिला।
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6:57 - 6:59मैं उसे कुश बुलाऊँगा।
-
6:59 - 7:02कुश कम्यूनिटी पैरालीगल्स के दल का सदस्य है
-
7:02 - 7:05जो गुजरात के तट पर पर्यावरण न्याय
के लिए काम करता है। -
7:06 - 7:10कुश ने रवि को समझाया
कि कानून उसके साथ है। -
7:11 - 7:14कुश ने कुछ ऐसा गुजराती में अनुवाद किया
जो रवि ने पहले कभी नहीं देखा था। -
7:14 - 7:16जिसे कहते हैं, "सहमति से कार्य करना।"
-
7:17 - 7:18यह राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाता है,
-
7:18 - 7:20और इसके द्वारा फैक्ट्री तभी काम कर सकती है
-
7:20 - 7:24अगर वह कुछ विशिष्ट शर्तों को पूरा करे।
-
7:25 - 7:29तो, दोनों ने मिलकर कानूनी आवश्यकताओं की
वास्तविकता से तुलना की, -
7:29 - 7:30उन्होंने सबूत इकट्ठे किए,
-
7:30 - 7:32और एक अर्जी का प्रारूप तैयार किया...
-
7:32 - 7:37अदालत के लिए नहीं,
बल्कि दो प्रशासनिक संस्थाओं के लिए, -
7:37 - 7:40प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
और जिला प्रशासन। -
7:41 - 7:46उन अर्जियों ने प्रवर्त्तन के कारकों को
सक्रिय बनाया। -
7:47 - 7:51एक प्रदूषण अधिकारी
साइट निरीक्षण के लिए आया, -
7:51 - 7:55और उसके बाद, कंपनी ने
वायु फिल्ट्रेशन प्रणाली चालू की -
7:55 - 7:57जो उसे शुरू से करनी चाहिए थी।
-
7:58 - 8:01उसने उन १०० ट्रकों को भी ढकना शुरू किया
-
8:01 - 8:04जो हर दिन प्लांट से आते-जाते थे।
-
8:05 - 8:09उन दो उपायों से
वायु प्रदूषण काफी हद तक कम हुआ। -
8:10 - 8:12मामला अभी खत्म नहीं हुआ है,
-
8:12 - 8:16पर कानून सीखकर उसका प्रयोग करने से
रवि की उम्मीद जाग उठी। -
8:18 - 8:25कई जगहों पर कुश जैसे लोग
रवि जैसे लोगों का साथ दे रहे हैं। -
8:26 - 8:28आज, मैं नमती नामक समूह
के साथ काम कर रहा हूँ। -
8:28 - 8:31नमती कानूनी सशक्तिकरण को समर्पित
-
8:31 - 8:34एक वैश्विक नेटवर्क को समायोजित
करने में मदद करता है। -
8:34 - 8:36कुल मिलाकर, १२० देशों में हम कुछ
-
8:36 - 8:38एक हज़ार संगठनों से अधिक हैं।
-
8:38 - 8:42सामूहिक तौर पर, हम कई हज़ारों कम्यूनिटी
पैरालिगलों को परिनियोजित करते हैं। -
8:43 - 8:45आपको एक और उदाहरण देता हूँ।
-
8:47 - 8:48यह खदीजा हमसा है।
-
8:49 - 8:56यह कीनिया के पचास लाख लोगों में से एक है
जिसे राष्ट्रीय पहचान पत्र पाने के लिए -
8:56 - 8:58भेदभावपूर्ण परीक्षण प्रक्रिया का सामना
करना पड़ रहा है। -
8:59 - 9:03यह अमरीका के जिम क्रो साउथ जैसा है।
-
9:03 - 9:05अगर आप किसी खास कबीले से हो,
-
9:05 - 9:07जो अधिकतर मुस्लिम हैं,
-
9:07 - 9:09आपको एक अलग पंक्ति में भेज दिया जाता है।
-
9:10 - 9:13बिना पहचान पत्र के,
आप नौकरी के लिए अर्जी नहीं दे सकते। -
9:13 - 9:14आप बैंक से श्रृण नहीं ले सकते।
-
9:14 - 9:16आप विश्वविद्यालय में दाखिल नहीं हो सकते।
-
9:17 - 9:19आपको समाज से बाहर निकाल दिया जाता है।
-
9:20 - 9:24खदीजा लगभग आठ साल
पहचान पत्र लेने की कोशिश में असफल रही। -
9:25 - 9:29फिर उसे उसके समुदाय में काम कर रहा
एक पैरालीगल मिला, -
9:29 - 9:30जिसका नाम हस्सन कासिम था।
-
9:31 - 9:34हस्सन ने खदीजा को समझाया
कि परीक्षण कैसे किया जाता है, -
9:34 - 9:37उसने उसकी आवश्यक दस्तावेज़
इकट्ठे करने में मदद की, -
9:37 - 9:39परीक्षण समिति के समक्ष जाने में
उसकी तैयारी करवाई। -
9:39 - 9:42आखिरकार, हस्सन की मदद से
उसे पहचान पत्र मिल गया। -
9:43 - 9:45पहचान पत्र मिलते ही सबसे पहले
-
9:45 - 9:49उसने अपने बच्चों के लिए जन्म प्रमाण पत्र
लेने की अर्जी दी, -
9:49 - 9:51जो उन्हें स्कूल जाने के लिए चाहिए।
-
9:54 - 9:57अमरीका में अन्य समस्याओं के साथ,
-
9:57 - 10:01आवास संकट है।
-
10:02 - 10:03कई शहरों में,
-
10:03 - 10:07आवास अदालतों में ९० प्रतिशत
मकानमालिकों के पास वकील हैं, -
10:07 - 10:10जबकि ९० प्रतिशत
किराएदारों के पास नहीं हैं। -
10:10 - 10:13न्यू यॉर्क में, पैरालीगलों का
एक नए समूह... -
10:13 - 10:16जिसका नाम है
एक्सेस टू जस्टिस नैविगेटर्स... -
10:16 - 10:20लोगों को आवासीय कानून समझने
और अपनी वकालत खुद करने में मदद करता है। -
10:21 - 10:22आम तौर पर, न्यू यॉर्क में,
-
10:22 - 10:26दस में से नौ किराएदार
जो आवास अदालत में लाए जाते हैं -
10:26 - 10:28उन्हें घर से निष्कासित कर दिया जाता है।
-
10:28 - 10:30शोधकर्ताओं ने १५० मामले देखे,
-
10:30 - 10:33जिनमें लोगों की पैरालीगल ने मदद की,
-
10:33 - 10:37और उन्होंने पाया कि किसी को भी
घर से निकाला नहीं गया, एक भी नहीं। -
10:38 - 10:41थोड़ा सा कानूनी सशक्तिकरण
बहुत अधिक सफलता ला सकता है। -
10:42 - 10:46मुझे एक वास्तविक आंदोलन की
शुरूआत दिखाई दे रही है, -
10:46 - 10:49परंतु हमें जितनी आवश्यकता है
उससे बहुत दूर हैं। -
10:49 - 10:50अभी तो करीब नहीं।
-
10:51 - 10:53संसार भर के अधिकतर देशों में,
-
10:53 - 10:56हस्सन और कुश जैसे पैरालीगलों को
-
10:56 - 10:58सरकारें एक पैसे का समर्थन नहीं देतीं।
-
10:59 - 11:03अधिकतर सरकारें तो पैरालीगल की
भूमिका को मान्यता भी नहीं देतीं, -
11:03 - 11:05ना ही उन्हें तकलीफ से बचाती हैं।
-
11:06 - 11:08मैं भी आपको ऐसा नहीं दर्शाना चाहता
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11:08 - 11:11कि पैरालीगल और उनके मुवक्किल
हमेशा जीतते हैं। -
11:12 - 11:13बिल्कुल नहीं।
-
11:13 - 11:16रवि के गाँव के पीछे की वह सीमेंट फैक्ट्री,
-
11:16 - 11:19वह रात के समय
फिल्ट्रेशन प्रणाली को बंद कर देती है, -
11:19 - 11:23जब कंपनी के पकड़े जाने के
आसार सबसे कम हों। -
11:23 - 11:25उस फिल्टर को चलाने में खर्चा होता है।
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11:25 - 11:29रात के प्रदूषित आसमान की तस्वीरें
रवि वॉट्सऐप करता है। -
11:29 - 11:31यह उसने मई में कुश को भेजी थी।
-
11:33 - 11:36रवि कहता है कि हवा में साँस लेना
अभी भी मुश्किल है। -
11:36 - 11:39इस साल एक बार तो, रवि ने भूख हड़ताल कर दी।
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11:40 - 11:41कुश हताश था।
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11:41 - 11:44वह बोला, "अगर कानून का
प्रयोग करें, तो हम जीतेंगे।" -
11:44 - 11:47रवि बोला, "मैं कानून में विश्वास करता हूँ।
-
11:47 - 11:49पर इससे हमें कोई फायदा नहीं हो रहा।"
-
11:51 - 11:56चाहे यह भारत हो, कीनिया,
अमरीका या कहीं भी, -
11:56 - 11:59खंडित प्रणाली से न्याय ले पाना
-
11:59 - 12:01रवि के मामले जैसा है।
-
12:01 - 12:05आशा और निराशा का चोली दामन का साथ है।
-
12:06 - 12:10और इसलिए हमें संसार भर में तत्काल
-
12:10 - 12:13बेयरफुट वकीलों के काम का समर्थन
और रक्षा ही नहीं करनी, -
12:13 - 12:16हमें प्रणालियों को ही बदलना होगा।
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12:18 - 12:20हर मामला जो एक पैरालीगल लेता है
-
12:20 - 12:25वह एक कहानी है कि प्रणाली
वास्तव में कैसे काम कर रही है। -
12:26 - 12:28जब आप उन कहानियों को जोड़ें,
-
12:28 - 12:31उनसे आपको प्रणाली का
एक विस्तृत विवरण मिल जाता है। -
12:31 - 12:34लोग कानून और नीतियों में
सुधार की माँग के लिए -
12:34 - 12:36उस जानकारी का उपयोग कर सकते हैं।
-
12:37 - 12:41भारत में, पैरालीगल और उनके मुवक्किलों ने
अपने मुकदमों के अनुभव के आधार पर -
12:41 - 12:45खनिजों से संबंधित
बेहतर नियमों का प्रस्ताव दिया है। -
12:46 - 12:51कीनिया में, पैरालीगल और उनके मुवक्किलों
ने हज़ारों मुकदमों के आँकड़ों का प्रयोग -
12:51 - 12:54परिक्षण के असंवैधानिक होने पर
तर्क करने के लिए किया है। -
12:56 - 12:58सुधार करने के लिए यह एक अलग तरीका है।
-
12:58 - 13:02यह कोई कंसलटेंट नहीं है
जो जहाज़ से मयांमार आया -
13:02 - 13:05और मेसेडोनिया के किसी टेम्पलेट को
काटकर चिपकाएगा, -
13:05 - 13:08और यह कोई भड़कीली ट्वीट भी नहीं है।
-
13:09 - 13:13यह तो आम आदमी के अनुभव से
सुधारों में विस्तार करने के बारे में है -
13:13 - 13:16ताकि नियम और प्रणाली सही काम कर सकें।
-
13:17 - 13:24लोगों और कानून के बीच
संबंध में यह परिवर्तन लाना -
13:24 - 13:25ही सही बात है।
-
13:27 - 13:30हमारे समय की अन्य बड़ी चुनौतियों से
-
13:30 - 13:33निपटने के लिए बहुत ज़रूरी है।
-
13:35 - 13:40हम पर्यावरण के विनाश को टाल नहीं सकते
-
13:40 - 13:43अगर हवा और पानी के साथ क्या होता है
-
13:43 - 13:47उसमें प्रदूषण से प्रभावित लोगों की
बात सुनी नहीं जाती, -
13:47 - 13:51और हम निर्धनता को कम नहीं कर सकते,
ना ही अवसर बढ़ा सकते हैं -
13:52 - 13:55अगर निर्धन लोग अपने
आधारभूत अधिकारों का प्रयोग न करें। -
13:56 - 13:59और मेरा मानना है कि अगर
हमारी प्रणाली में धांधली होती रही -
13:59 - 14:04तो हम कभी उस निराशा को दूर नहीं कर पाएँगे
-
14:05 - 14:07जिसका सत्तावादी राजनेता
शिकार करते रहते हैं। -
14:09 - 14:14यहाँ आने से पहले मैंने रवि से बात की
उसकी कहानी बताने की इजाज़त लेने के लिए। -
14:15 - 14:18मैंने उससे पूछा अगर
वह कोई संदेश देना चाहता है। -
14:20 - 14:22उसने कहा, "जागरुत थव।"
-
14:23 - 14:24जागो।
-
14:26 - 14:28"डरुन ना जोय।"
-
14:28 - 14:30डरो मत।
-
14:31 - 14:32"कगरिया ति लरो।"
-
14:32 - 14:34कागज़ से लड़ो।
-
14:34 - 14:37मुझे लगता है उससे उसका मतलब है
बंदूकों से नहीं कानून से लड़ो। -
14:38 - 14:43"आज नहीं, कदाचित् एक वरस मा नहीं,
पाँच वरस मा नहीं, पन न्याय मलो।" -
14:43 - 14:47शायद आज नहीं, इस साल नहीं,
शायद पाँच सालों में नहीं, -
14:47 - 14:49पर न्याय मिलेगा।
-
14:52 - 14:58अगर यह आदमी जिसके सारे समुदाय को
हर दिन ज़हर पीना पड़ रहा है, -
14:58 - 15:01जो अपनी जान लेने को तैयार था...
-
15:01 - 15:04अगर यह न्याय माँगने से पीछे नहीं हट रहा,
-
15:04 - 15:06तो संसार भी पीछे नहीं हट सकता।
-
15:07 - 15:11आखिरकार, जिसे रवि कहता है
"कागज़ से लड़ना" का अर्थ है -
15:11 - 15:15लोकतंत्र का एक गहरा रूप बनाना
-
15:15 - 15:16जिसमें हम लोग,
-
15:16 - 15:19हर कुछ सालों के बाद
बस मतदान ही नहीं करेंगे, -
15:19 - 15:25हम उन नियमों और संस्थाओं में भागीदार होंगे
जो हमें बाँधे रखते हैं, -
15:25 - 15:29जिसमें हर कोई,
सबसे कम शक्तिशाली भी, -
15:29 - 15:32कानून को जानता, उसका प्रयोग करता
और उसमें परिवर्तन कर सकता है। -
15:33 - 15:37ऐसा कर पाने, वह लड़ाई जीत पाने के लिए
-
15:37 - 15:38हम सब की ज़रूरत है।
-
15:38 - 15:40आपका धन्यवाद। धन्यवाद।
-
15:40 - 15:47(तालियाँ)
-
15:49 - 15:51केलो कुबुः शुक्रिया, विवेक।
-
15:51 - 15:54तो मैं कुछ मान्यताएँ लेकर चलूंगी
-
15:54 - 15:58कि कमरे में बैठे लोग सतत विकास लक्ष्यों
के बारे में जानते हैं -
15:58 - 16:01और जानते हैं कि प्रक्रिया कैसे चलती है,
-
16:01 - 16:03पर मैं कुछ बात करना चाहती हूँ
-
16:03 - 16:08उद्देश्य 16 के बारे मेंः
शांति, न्याय और मज़बूत संस्थाएँ। -
16:09 - 16:12विवेक मारूः हाँ।
किसी को सहस्राब्दि विकास लक्ष्य याद हैं? -
16:12 - 16:17ये २००० में संयुक्त राष्ट्र और संसार में
सरकारों के द्वारा अपनाए गए थे -
16:17 - 16:19और ये आवश्यक थे,
प्रशंसनीय बातें थीं। -
16:19 - 16:23बाल मृत्यु दर को दो तिहाई से कम करना,
भूख को आधा कर देना, -
16:23 - 16:24महत्वपूर्ण बातें।
-
16:24 - 16:27पर न्याय या निष्पक्षता
या जवाबदेही या भ्रष्टाचार -
16:27 - 16:30का कोई जिक्र नहीं था,
-
16:30 - 16:32पर इन १५ सालों में हमने तरक्की की है
-
16:32 - 16:34जब वे उद्देश्य प्रभावशाली थे,
-
16:34 - 16:37पर न्याय की माँग में हम बहुत पीछे हैं,
-
16:37 - 16:41और हम वहाँ नहीं पहुंच सकते
जब तक न्याय को इसमें शामिल ना करें। -
16:41 - 16:45तो, जब विकास के अगले ढांचे पर बहस छिड़ी,
-
16:45 - 16:48२०३० के सतत विकास उद्देश्य,
-
16:48 - 16:50संसार भर से हमारा समुदाय एकजुट हो गया
-
16:50 - 16:54इस बात को लेकर कि न्याय
और सामाजिक सशक्तिकरण को -
16:54 - 16:56इस नए ढांचे में शामिल किया जाना चाहिए।
-
16:56 - 16:58और इसका बहुत प्रतिरोध भी हुआ।
-
16:58 - 17:02ये चीज़ें अधिक राजनीतिक हैं,
अन्य के मुकाबले में अधिक विवादास्पद हैं, -
17:02 - 17:05इसलिए हम पिछली रात तक नहीं जानते थे
कि यह सफल भी होगा या नहीं। -
17:05 - 17:07हम सफल हो ही गए।
-
17:07 - 17:11१७ उद्देश्यों में से १६वाँ सभी के लिए
न्याय तक पहुँच को लेकर है, -
17:11 - 17:12जो कि एक बहुत बड़ी बात है।
-
17:13 - 17:16बहुत बड़ी बात है, हाँ।
आइए न्याय की प्रशंसा करें। -
17:16 - 17:18(तालियाँ)
-
17:18 - 17:20पर घोटाला तो यह है।
-
17:20 - 17:22जिस दिन उद्देश्य स्वीकार किए गए,
-
17:22 - 17:26उनमें से अधिकतर के साथ
बहुत सारी प्रतिबद्धताएँ थींः -
17:26 - 17:29गेट्स फाउंडेशन और ब्रिटिश सरकार की ओर से
पोषण के लिए एक अरब डॉलर; -
17:30 - 17:34सार्वजनिक और निजी वित्तपोषण में
25 अरब महिलाओं और बच्चों के लिए। -
17:35 - 17:38न्याय तक पहुँच को लेकर
हमारे पास कागज़ पर शब्द थे, -
17:38 - 17:40पर किसी ने एक पैसा भी देने का
वचन नहीं दिया, -
17:40 - 17:44और इसलिए हमारे सामने
यही अवसर और चुनौति है। -
17:44 - 17:47संसार अच्छे से पहचान गया है
-
17:47 - 17:50कि बिना न्याय के विकास संभव नहीं,
-
17:50 - 17:54कि लोग अपना जीवन सुधार नहीं सकते
अगर वे अपने अधिकार प्रयोग में ना लाएँ, -
17:54 - 17:57और अब हमें यह करना है
कि उस बयानबाज़ी, -
17:57 - 18:00उस नियम को वास्तविकता में बदलें।
-
18:01 - 18:05(तालियाँ)
-
18:05 - 18:09केकुः हम कैसे मदद कर सकते हैं?
इस कमरे में बैठे लोग क्या कर सकते हैं? -
18:09 - 18:12वीएमः बढ़िया सवाल। पूछने के लिए धन्यवाद।
-
18:12 - 18:13मैं कहूँगा तीन बातें।
-
18:13 - 18:15पहला निवेश करें।
-
18:15 - 18:18अगर आपके पास १० डॉलर हैं,
या सौ डॉलर, या दस लाख डॉलर, -
18:18 - 18:21उसमें से कुछ आधारिक लीगल
सशक्तिकरण में लगाने का सोचें। -
18:22 - 18:23इसका अपना महत्व है,
-
18:23 - 18:26और यह महत्वपूर्ण है
उस सबके लिए जिसकी हम परवाह करते हैं। -
18:26 - 18:28नम्बर दो,
-
18:28 - 18:33अपने राजनीतिज्ञों और सरकारों पर दबाव डालें
कि इसे सार्वजनिक प्राथमिकता दें। -
18:34 - 18:36बिल्कुल स्वास्थ्य या शिक्षा की तरह,
न्याय तक पहुँच -
18:36 - 18:40उन चीज़ों में से एक होनी चाहिए
जो सरकार को अपने लोगों को देनी ही है, -
18:40 - 18:42और हम मंज़िल से बहुत दूर हैं,
-
18:42 - 18:44अमीर देशों में और निर्धन देशों में भी।
-
18:44 - 18:48नम्बर तीन हैः
स्वयं एक पैरालीगल बनें। -
18:49 - 18:51जहाँ आप रहते हैं
वहाँ कोई समस्या या अन्याय ढूँढें। -
18:51 - 18:53अगर देखें, तो ढूंढना
ज़्यादा मुश्किल नहीं होगा। -
18:53 - 18:55क्या वह नदी दूषित हो रही है,
-
18:55 - 18:57जो आपके शहर के बीच से होकर बहती है?
-
18:57 - 19:00क्या वहाँ श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी से
कम मजदूरी मिल रही है? -
19:00 - 19:02या कौन बिना सुरक्षा चीज़ों के
काम कर रहा है? -
19:02 - 19:04उन्हें जानिए जो लोग
सबसे अधिक प्रभावित हैं, -
19:04 - 19:06जानिए कि नियम क्या कहते हैं,
-
19:06 - 19:09देखिए अगर आप उन नियमों का प्रयोग करके
समाधान निकाल पाएँ। -
19:10 - 19:13अगर सफलता नहीं मिलती, देखिए अगर
आप मिलकर उन नियमों में सुधार कर सकते हैं। -
19:13 - 19:19क्योंकि अगर हम सब कानून जान जाएँगे,
उसे प्रयोग करना और बनाना सीख लेंगे, -
19:20 - 19:23तो हम लोकतंत्र का एक गहरा रूप बना पाएँगे
-
19:23 - 19:25जिसकी मेरे विचार से
संसार को बहुत ज़रूरत है। -
19:27 - 19:28(तालियाँ)
-
19:28 - 19:30केकुः बहुत-बहुत धन्यवाद, विवेक।
वीएमः धन्यवाद।
- Title:
- लोगों के हाथ में कानून की ताकत कैसे दें
- Speaker:
- विवेक मारू
- Description:
-
क्या कर सकते हैं आप जब समय पर न्याय ना मिले? या न्याय मिले ही नहीं? विवेक मारू लोगों और कानून के बीच के संबंध को बदलने में लगे हैं, कानून को एक कल्पना या धमकी से कुछ ऐसे में बदलने में जिसे सब समझ सकें, प्रयोग कर सकें और बदल सकें। केवल वकीलों पर निर्भर ना रहते हुए, मारू ने कम्यूनिटी पैरालीगल्स या बेयरफुट वकीलों का एक वैश्विक नेटवर्क शुरू किया, जो अपनी कम्युनिटी में ही काम करते हैं और कानून को आसान शब्दों में व्यक्त करके लोगों को समाधान ढूँढने में मदद करते हैं। जानिए कैसे कानून इस्तेमाल करने का यह परिवर्तनात्मक दृष्टिकोण समाज द्वारा बहिष्कृत लोगों को अपने अधिकारों को पाने में मदद कर रहा है। मारू कहते हैं, "थोड़ा सा लीगल सशक्तिकरण सफलता की राह पर ले जा सकता है।"
- Video Language:
- English
- Team:
closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 19:43
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