असुविधा में सुविधा पाएँ
-
0:01 - 0:02मैं पेशेवर उपद्रवी हूँ।
-
0:02 - 0:04(हंसी)
-
0:04 - 0:09एक लेखिका, स्पीकर,
और शक्की नाइजेरिया वासी होने के नाते -
0:10 - 0:13
मेरा काम संसार की आलोचना करना है, -
0:14 - 0:17उन तुच्छ प्रणालियों व लोगों की आलोचना
जो बेहतर काम करना नहीं चाहते... -
0:17 - 0:18(हंसी)
-
0:18 - 0:22मुझे लगता है मेरा उद्देश्य
यह बिल्ली बनना है। -
0:22 - 0:24(हंसी)
-
0:24 - 0:27मैं वह इन्सान हूँ
जो दूसरों को देख रही हूँ, -
0:27 - 0:29जैसे कि, "मैं चाहती हूँ, तुम इसे ठीक करो।"
-
0:29 - 0:30ऐसी हूँ मैं।
-
0:31 - 0:35मैं चाहती हूँ हम इस दुनिया से जाएँ
तो इसे पहले से बेहतर बनाकर। -
0:35 - 0:38और मैं यह परिवर्तन लाने के लिए
-
0:38 - 0:39स्पष्टता से बोलना चाहती हूँ,
-
0:39 - 0:42सबसे पहले बोलकर और डॉमिनो बनकर।
-
0:43 - 0:45डॉमिनो की एक कतार को गिरने के लिए,
-
0:45 - 0:48पहले का गिरना ज़रूरी होता है,
-
0:48 - 0:51जिससे अगले डॉमिनो के पास
गिरने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता। -
0:51 - 0:53और वह डॉमिनो जो गिरता है,
-
0:53 - 0:55हम आशा कर रहे हैं
-
0:55 - 0:59कि अगला व्यक्ति जो इसे देखेगा
उसे डॉमिनो बनने की प्रेरणा मिलेगी। -
1:00 - 1:03मेरे लिए डॉमिनो बनने का अर्थ है,
स्पष्टता से बात करना -
1:03 - 1:06और वे सब काम करना
जो सच में मुश्किल हैं, -
1:06 - 1:08खासकर जब उनकी ज़रूरत है,
-
1:08 - 1:10इस उम्मीद के साथ कि बाकी लोग शामिल होंगे।
-
1:11 - 1:14और बात यह है:
मैं वह हूँ जो शब्दों में व्यक्त करती हूँ -
1:14 - 1:17उसे, जो शायद आप सोच रहे हों
पर कहने की हिम्मत ना हो। -
1:17 - 1:20अक्सर लोग सोचते हैं कि हम निडर हैं,
-
1:20 - 1:21जो लोग ऐसा करते हैं, वे निडर हैं।
-
1:21 - 1:23हम निडर नहीं हैं।
-
1:23 - 1:26ऐसा नहीं कि हम सत्ता को सच बताने के
-
1:26 - 1:29परिणामों से या उन बलिदानों से डरते नहीं।
-
1:30 - 1:32बात यह है कि हमें लगता है
हमें ऐसा करना ही होगा, -
1:32 - 1:35क्योंकि संसार में बहुत कम लोग हैं
-
1:35 - 1:36जो डॉमिनो बनने को तैयार हैं,
-
1:36 - 1:39बहुत कम लोग वह पहला डॉमिनो बनकर
गिरने को तैयार हैं। -
1:39 - 1:41ऐसा नहीं कि हमें ऐसा करने से डर नहीं लगता।
-
1:41 - 1:42आइए, अब डर की बात करते हैं।
-
1:42 - 1:45बचपन से ही जानती थी
कि बड़े होकर मुझे क्या बनना है। -
1:45 - 1:47मैं कहती, "मैं डॉक्टर बनूँगी!"
-
1:47 - 1:48सपना था डॉक्टर लव्वी बनने का।
-
1:49 - 1:51मैं डॉक् मेक्स्टफ़िन्स थी
क्योंकि वह एक चलन था। -
1:51 - 1:52(हंसी)
-
1:52 - 1:55और मुझे याद है जब कॉलेज गई,
-
1:55 - 1:58मेरा पहला साल, मुझे प्रिमेड में
-
1:58 - 2:00अपना मुख्य विषय रसायनशास्र १०१ लेना था।
-
2:01 - 2:04मैं अपने शैक्षणिक कैरियर में
पहली और अंतिम बार फेल हुई। -
2:04 - 2:06(हंसी)
-
2:06 - 2:08तो मैं अपने सलाहकर्ता के पास गई, और कहा,
-
2:09 - 2:11"अच्छा, हम प्रिमेड छोड़ देते हैं,
-
2:11 - 2:13क्योंकि मुझसे यह
डॉक्टर वाला काम नहीं होगा, -
2:13 - 2:15क्योंकि मुझे तो अस्पताल पसंद भी नहीं।
-
2:15 - 2:16तो..."
-
2:16 - 2:17(हंसी)
-
2:17 - 2:19"हम इसे समाप्त समझते हैं।"
-
2:20 - 2:22और उसी सेमेस्टर
मैंने ब्लॉगिंग करना शुरू किया। -
2:22 - 2:24वह २००३ की बात है।
-
2:24 - 2:26तो जहाँ एक सपना टूट रहा था,
दूसरे की शुरूआत हो रही थी। -
2:27 - 2:30और फिर यह प्यारी सी हॉबी
मेरा काम बन गई -
2:30 - 2:33जब २०१० में मेरी मार्केटिंग वाली
नौकरी चली गई। -
2:33 - 2:36पर फिर भी, "मैं लेखक हूँ" कहने में
मुझे दो साल ज़्यादा लग गए। -
2:36 - 2:42जब मैंने लिखना शुरू किया,
उसके नौ साल बाद कहा, "मैं लेखक हूँ," -
2:42 - 2:44क्योंकि मुझे डर था
-
2:44 - 2:46बिना सेवानिवृत्ति योजना के क्या होगा,
-
2:47 - 2:49बिना अपने जूतों के कैसे जिऊँगी?
-
2:49 - 2:50मेरे लिए वह ज़रूरी है।"
-
2:50 - 2:51(हंसी)
-
2:51 - 2:54तो मुझे इतना समय लगा यह मानने में
-
2:54 - 2:56कि मेरा उद्देश्य यही था।
-
2:56 - 2:58और फिर मुझे एहसास हुआ,
-
2:58 - 3:00हमें उन उद्देश्यों को कहने
और पूरा कर पाने से रोकने में -
3:00 - 3:04डर की बहुत अधिक शक्ति होती है।
-
3:05 - 3:06और मैंने कहा, "पता है क्या?
-
3:07 - 3:09डर को अपने जीवन पर राज नहीं करने दूँगी।
-
3:09 - 3:13डर के आदेश पर मैं काम नहीं करूँगी।"
-
3:13 - 3:16और फिर ये सब ज़बरदस्त बातें होने लगीं,
-
3:16 - 3:17और डॉमिनो गिरने लगे।
-
3:18 - 3:21तो जब मुझे एहसास हुआ
मैंने कहा, "ठीक है, २०१५ में, -
3:21 - 3:22मैं ३० की हो गई,
-
3:22 - 3:24यह है मेरा साल
जब मुझे 'करना ही होगा।' -
3:24 - 3:27मुझे जिससे से भी डर लगता है
उसी को सक्रियता से करूँगी।" -
3:28 - 3:30तो, मेरी मकर राशी है।
-
3:30 - 3:32मुझे वास्तविकता में जीना अच्छा लगता है।
-
3:33 - 3:36मैंने अपने जीवन की पहली छुट्टी
अकेले बिताने का निर्णय लिया, -
3:36 - 3:39और वह भी विदेश में,
डामिनिकन गणराज्य में। -
3:40 - 3:42तो अपने जन्मदिन पर मैंने क्या किया?
-
3:42 - 3:45पुंटा काना के जंगलों में
ज़िपलाइनिंग करने गई। -
3:45 - 3:48और पता नहीं क्यों,
पर मैंने काम पर पहनने वाले कपड़े पहने थे। -
3:48 - 3:49अब यह मत पूछना क्यों।
-
3:49 - 3:52(हंसी)
-
3:52 - 3:53और मैने बहुत अच्छा समय बिताया।
-
3:53 - 3:56और मुझे पानी के अंदर डूबे रहना पसंद नहीं।
-
3:56 - 3:58बल्कि ठोस ज़मीन पर रहना पसंद है।
-
3:58 - 4:03तो मैं मेक्सिको जाकर
पानी के नीचे डॉल्फ़िनों के साथ तैरी। -
4:03 - 4:06और फिर उस साल वह मस्त चीज़ मैंने की
-
4:06 - 4:08जो सबसे कठिन थी
-
4:08 - 4:10मैंने अपनी किताब लिख डाली,
-
4:10 - 4:12"आई एम जजिंग यू: द डू-बेटर मैनूअल,"
-
4:12 - 4:13और मुझे मानना पड़ा...
-
4:13 - 4:14(तालियाँ)
-
4:14 - 4:16वह सारी लिखने वाले बात , हैं ना?
-
4:16 - 4:17हाँ।
-
4:17 - 4:20पर उस साल जो काम मैंने अपने विरूद्ध किया
-
4:20 - 4:22जिससे मैं सच में डर गई...
-
4:23 - 4:24मैं आसमान से कूदी।
-
4:26 - 4:27हम जहाज़ से गिरने वाले हैं।
-
4:27 - 4:31मैं बोली, "मैंने जीवन में
कुछ बेवकूफ़ काम किए। यह उनमें से एक है।" -
4:31 - 4:32(हंसी)
-
4:32 - 4:34और फिर हम पृथ्वी की ओर गिर रहे थे
-
4:34 - 4:37और मेरी सांस ही रुक गई
जब मैंने पृथ्वी को देखा, और मैंने कहा, -
4:37 - 4:40"मैं तो जानबूझकर
एक बिल्कुल ठीक जहाज़ से गिर पड़ी।" -
4:40 - 4:41(हंसी)
-
4:41 - 4:42"मेरी समस्या क्या है?"
-
4:42 - 4:44पर फिर मैंने नीचे की सुंदरता की ओर देखा,
-
4:44 - 4:47और मैं कह उठी, "मैं इससे बेहतर
कुछ नहीं कर सकती थी। -
4:47 - 4:49यह एक बहुत अच्छा निर्णय था।"
-
4:49 - 4:52और मैं उस समय के बारे में सोचती हूँ
जब मुझे सच बोलना होता है, -
4:52 - 4:55मुझे लगता है जैसे
मैं जहाज़ से गिर रही हूँ। -
4:55 - 4:58वह उस पल जैसा लगता है
जब मैं जहाज़ के छोर पर खड़ी थी, -
4:58 - 5:00और खुद से कहा,
"तुम्हें यह नहीं करने चाहिए।" -
5:00 - 5:03पर फिर भी मैं करती हूँ,
क्योंकि मुझे एहसास होता है कि करना है। -
5:04 - 5:05उस जहाज़ के छोर पर बैठे हुए
-
5:05 - 5:08और उस जहाज़ पर रुके रहने से
मुझे सुकून सा मिल रहा था। -
5:08 - 5:11और मुझे लगता है कि हर दिन
जब मैं उन संस्थाओं और अपने से बड़े लोगों -
5:11 - 5:13और न्याय की उन शक्तियों के
-
5:13 - 5:16खिलाफ़ सच बोलती हूँ
जो मुझसे अधिक शक्तिशाली हैं, -
5:16 - 5:18मुझे लगता है कि मैं जहाज़ से गिर रही हूँ।
-
5:18 - 5:21पर मुझे एहसास है सुविधा का मूल्य
ज़रूरत से ज़्यादा लगाया गया है। -
5:21 - 5:23क्योंकि ख़ामोश रहना सुविधाजनक है।
-
5:23 - 5:26स्थिति को वैसे ही बनाए रखना
आरामदायक है। -
5:26 - 5:29और सुविधा ने तो बस
यथास्थिति ही बनाए रखा है। -
5:29 - 5:31तो हमें ज़रूरत पड़ने पर
इन कठिन सत्यों को बोलकर -
5:31 - 5:34असुविधा से सुविधा महसूस करनी होगी।
-
5:35 - 5:36और मैं...
-
5:36 - 5:39(तालियाँ)
-
5:39 - 5:43और मेरे लिए, हालांकि, मुझे एहसास है
कि मुझे ये सत्य बोलने होंगे, -
5:43 - 5:45क्योंकि ईमानदारी का
मेरे लिए बहुत महत्व है। -
5:45 - 5:48मैं अपनी सत्यनिष्ठा को
जान से ज़्यादा चाहती हूँ। -
5:48 - 5:50न्याय... मुझे नहीं लगता
कि न्याय एक विकल्प होना चाहिए। -
5:50 - 5:52हमें हमेशा न्याय मिलना चाहिए।
-
5:52 - 5:55और, मैं शे मक्खन को
मूल मंत्र समझती हूँ, और... -
5:55 - 5:56(हंसी)
-
5:56 - 6:00और मेरा विचार है कि संसार बेहतर होता
अगर हम सभी नमी से युक्त हों। -
6:00 - 6:03पर उसके अलावा, इन मूल मंत्रों के साथ,
-
6:03 - 6:05मुझे सच बोलना होगा।
-
6:05 - 6:06मेरे लिए इसमें कोई विकल्प नहीं है।
-
6:06 - 6:09पर मुझ जैसे लोगों के लिए,
पेशेवर उपद्रवियों को ही -
6:09 - 6:12डॉमिनो बनना पड़े, यह ज़रूरी तो नहीं।
-
6:12 - 6:14जो हमेशा जहाज़ों से बाहर गिरें
-
6:14 - 6:16या सबसे पहली गोली खाने को तैयार हों।
-
6:16 - 6:18लोग इन गंभीर परिणामों से इतने डरते हैं,
-
6:18 - 6:21कि उन्हें यह भी एहसास नहीं होता
कि अक्सर जब हम कहीं जाते हैं -
6:21 - 6:24वहाँ हम ही तो कुछ अत्यंत
शक्तिशाली लोगों में से होते हैं... -
6:24 - 6:27हम शायद दूसरे दर्जे पर हों,
या तीसरे दर्जे पर हों। -
6:27 - 6:30और मुझे पूर्ण विश्वास है
कि उन स्थितियों में हमारा काम होता है -
6:30 - 6:32जो चल रहा है उसमें विघ्न डालें।
-
6:32 - 6:34और फिर अगर हम शक्तिशाली ना भी हों,
-
6:34 - 6:36अगर हम जैसे दो मिल जाएँ,
-
6:37 - 6:38तो शक्तिशाली बन जाएँगे।
-
6:38 - 6:40यह तो वैसा है कि मीटिंग में
उस महिला का साथ देना -
6:40 - 6:43जानते हैं ना, वह महिला
जो अपनी बात कह नहीं पा रही, -
6:43 - 6:46या यह सुनिश्चित करना कि दूसरे की बात
-
6:46 - 6:48सुनी जाए, चाहे अपनी व्यथा कह नहीं पा रही।
-
6:48 - 6:51हमारा काम है यह सुनिश्चित करना
कि वे ऐसा कर पाएँ। -
6:51 - 6:54सभी का कल्याण करना,
यही तो समुदाय का काम है। -
6:54 - 6:56अगर हम यह बात स्पष्ट कर दें,
हम उसे समझेंगे, -
6:56 - 6:57कि कब हमें मदद की ज़रूरत होगी,
-
6:58 - 7:00हमें अपने आस-पास देखने में
इतनी कठिनाई नहीं होगी -
7:00 - 7:02अगर हम सुनिश्चित कर सकें
कि हम किसी की मदद करेंगे। -
7:02 - 7:04और ऐसे भी मौके होते हैं जब मुझे लगता है
-
7:04 - 7:08मैंने सबके सामने काफी कुछ सहन किया है,
-
7:08 - 7:11जैसे जब मुझे एक सम्मेलन में
बोलने के लिए कहा गया, -
7:11 - 7:14और वे चाहते थे
मैं वहाँ जाने के लिए पैसे दूँ। -
7:14 - 7:16और फिर मैंने कुछ शोध किया
-
7:16 - 7:19और पता चला कि गोरे पुरुष वक्ताओं को
मुआवज़ा मिला -
7:19 - 7:21और उनकी यात्रा का भुगतान भी दिया गया।
-
7:21 - 7:24गोरी महिला वक्ताओं की
यात्रा का भुगतान दिया गया। -
7:24 - 7:28साँवली महिला वक्ताओं से
वहाँ बोलने के लिए पैसे लिए जा रहे थे। -
7:28 - 7:30और मैंने सोचा, "मैं क्या करूँ?"
-
7:30 - 7:33और मैं जानती थी कि अगर इस बारे में
सबके सामने कुछ कहा, -
7:33 - 7:35मुझे वित्तीय हानि हो सकती है।
-
7:35 - 7:38पर फिर मैं यह भी समझ गई
कि मेरे चुप रहने से किसी का फायदा नहीं। -
7:39 - 7:42तो मैंने डर-डर कर सबके सामने वह कह दिया,
-
7:42 - 7:44और अन्य महिलाओं ने भी आगे आना शुरू किया,
-
7:44 - 7:47"मैंने भी इस तरह की
वेतन की असमानता का सामना किया है।" -
7:47 - 7:50और शुरूआत हो गई
भेदभावपूर्ण वेतन भुगतान की -
7:50 - 7:53जिसकी इस सम्मेलन में चर्चा हो रही थी।
-
7:53 - 7:55मुझे लगा कि जैसे मैं डॉमिनो थी
-
7:55 - 7:58जिस समय मैंने एक मशहूर हस्ती का
विक्षुब्ध संस्मरण पढ़ा -
7:58 - 7:59और उसके बारे में लेख लिख डाला।
-
8:00 - 8:03मैं जानती थी वह मुझसे अधिक रसूखदार था
और मेरा कैरियर प्रभावित कर सकता था, -
8:03 - 8:05पर मैंन सोचा, "मुझे यह करना होगा,
-
8:05 - 8:08मुझे इस जहाज़ के छोर पर बैठना होगा,
शायद दो घंटे भी।" -
8:08 - 8:11और मैंने किया। और "पब्लिश" दबा दिया,
और मैं भाग गई। -
8:11 - 8:12(हंसी)
-
8:12 - 8:14और वापिस आई तो पोस्ट वायरल हो चुकी थी
-
8:14 - 8:18और लोग कह रहे थे, "हे भगवान,
मुझे खुशी है किसी ने तो कर दिखाया।" -
8:18 - 8:19और उससे वार्तलाप शुरू हो गया
-
8:19 - 8:22मानसिक स्वास्थ्य
और स्व-देखभाल के बारे में, -
8:22 - 8:24और मैंने कहा, "ठीक है। अच्छा है।
-
8:24 - 8:27मैं जो यह कर रही हूँ
मुझे लगता है इससे कुछ तो हो रहा है।" -
8:27 - 8:31और फिर कितने ही लोग डॉमिनो बने हैं
-
8:31 - 8:36जब वे बताते हैं कैसे उन्हें रसूखदार लोगों
द्वारा उत्पीड़ित किया गया। -
8:36 - 8:40और फलस्वरूप लाखों महिलाएँ
"मैं भी"कहने में शामिल हुईं। -
8:40 - 8:43तो, यह आंदोलन चालू करने के लिए
टाराना बर्क को धन्यवाद। -
8:43 - 8:50(तालियाँ)
-
8:50 - 8:55लोग और प्रणालियाँ हमारी ख़ामोशी के
बल पर ही हमें यथास्थिति में रख पाते हैं। -
8:56 - 9:02अब, कभी-कभार डॉमिनो बनने का अर्थ होता है
सच में अपनी असलियत दिखा पाना। -
9:02 - 9:05तो, तीन साल की उम्र से
मैं थोड़ी शक्की थी। -
9:05 - 9:06(हंसी)
-
9:06 - 9:08यह मेरे तीसरे जन्मदिन की तस्वीर है।
-
9:09 - 9:11पर मैं उम्र भर ऐसी ही लड़की रही हूँ,
-
9:11 - 9:13और मुझे लगता है
वह भी एक डॉमिनो था, -
9:13 - 9:16क्योंकि यह संसार चाहता है
कि हम अपने प्रतिनिधी बनकर रहें -
9:16 - 9:18इसलिए अपनी असली झलक दिखाना
-
9:18 - 9:20तो एक क्रांतिकारी कार्य हो सकता है।
-
9:20 - 9:23और जो संसार चाहता है हम काना-फूसी करें,
-
9:23 - 9:24मैंने चिल्लाने का निर्णय लिया।
-
9:25 - 9:30(तालियाँ)
-
9:30 - 9:32जब समय आता है इन कठिन बातों को कहने का,
-
9:32 - 9:34मैं खुद से तीन सवाल पूछती हूँ।
-
9:34 - 9:36पहला: क्या तुम सच में ऐसा चाहती थीं?
-
9:37 - 9:39दूसरा: तुम इसका समर्थन कर सकती हो?
-
9:39 - 9:41तीसरा: क्या तुमने प्यार से ऐसा कहा?
-
9:41 - 9:44अगर इन तीनों सवालों का जवाब हाँ में है,
-
9:44 - 9:45मैं कह देती हूँ और परिणाम देखती हूँ।
-
9:48 - 9:49वह ज़रूरी है।
-
9:49 - 9:50खुद के साथ वह पक्का करने से
-
9:50 - 9:53हमेशा मुझे जवाब मिलता है,
"हाँ, तुम्हें यह करना चाहिए।" -
9:55 - 9:57सच बोलना...
विचारवान सच बोलना... -
9:57 - 9:59कोई क्रांतिकारी कार्य नहीं होना चाहिए।
-
10:00 - 10:04सत्ता के सामने सच बोलना
बलिदान नहीं होना चाहिए, परंतु है। -
10:04 - 10:08मुझे लगता है अगर हममें से अधिकतर ऐसा करते
तो अधिकतर का भला हो सकता, -
10:08 - 10:10हम अभी से बेहतर स्थिति में होते।
-
10:11 - 10:13अधिक कल्याण की बात की तो
-
10:13 - 10:17मुझे लगता है हमें खुद को
प्रतिबद्ध करना होगा ताकि सामान्य आधार पर -
10:17 - 10:18सत्य बोलकर पुल बना सकें,
-
10:18 - 10:22और सत्य की कसौटी पर
जो पुल नहीं बने वे टूट जाएँगे। -
10:22 - 10:23तो, यह हमारा काम है,
-
10:24 - 10:27हमारा दायित्व है, हमारा कर्त्तव्य है
-
10:27 - 10:29कि सत्ता तक सच पहुंचाएँ, डॉमिनो बनें,
-
10:30 - 10:32केवल तब नहीं जब कठिन हो...
-
10:32 - 10:34पर खासकर तब, जब कठिन हो।
-
10:34 - 10:35धन्यवाद।
-
10:35 - 10:41(तालियाँ)
- Title:
- असुविधा में सुविधा पाएँ
- Speaker:
- लव्वी अजेयी
- Description:
-
लव्वी अजेयी अपने मन की बात कहने से या भीड़ में विरोध की पहली आवाज़ बनने से डरती नहीं, और ना ही आपको डरना चाहिए। "आपकी ख़ामोशी से किसी का भला नहीं होता," लेखिका, कार्यकर्ता और स्वयं-घोषित पेशेवर उपद्रवी का कहना है। इस उज्ज्वल, उत्साही भाषण में, अजेयी अपने आप से तीन प्रश्न पूछने के लिए कहती हैं जब आप बोलने या शांत रहने के बीच में निर्णय ना ले पा रहे होंः--- और हम सभी को असुविधाजनक होने में थोड़ी सुविधा महसूस करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
- Video Language:
- English
- Team:
closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 10:54
![]() |
Abhinav Garule approved Hindi subtitles for Get comfortable with being uncomfortable | |
![]() |
Abhinav Garule accepted Hindi subtitles for Get comfortable with being uncomfortable | |
![]() |
Monika Saraf edited Hindi subtitles for Get comfortable with being uncomfortable | |
![]() |
Monika Saraf edited Hindi subtitles for Get comfortable with being uncomfortable | |
![]() |
Monika Saraf edited Hindi subtitles for Get comfortable with being uncomfortable | |
![]() |
Monika Saraf edited Hindi subtitles for Get comfortable with being uncomfortable | |
![]() |
Monika Saraf edited Hindi subtitles for Get comfortable with being uncomfortable | |
![]() |
Monika Saraf edited Hindi subtitles for Get comfortable with being uncomfortable |