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असुविधा में सुविधा पाएँ

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    मैं पेशेवर उपद्रवी हूँ।
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    (हंसी)
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    एक लेखिका, स्पीकर,
    और शक्की नाइजेरिया वासी होने के नाते
  • 0:10 - 0:13

    मेरा काम संसार की आलोचना करना है,
  • 0:14 - 0:17
    उन तुच्छ प्रणालियों व लोगों की आलोचना
    जो बेहतर काम करना नहीं चाहते...
  • 0:17 - 0:18
    (हंसी)
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    मुझे लगता है मेरा उद्देश्य
    यह बिल्ली बनना है।
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    (हंसी)
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    मैं वह इन्सान हूँ
    जो दूसरों को देख रही हूँ,
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    जैसे कि, "मैं चाहती हूँ, तुम इसे ठीक करो।"
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    ऐसी हूँ मैं।
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    मैं चाहती हूँ हम इस दुनिया से जाएँ
    तो इसे पहले से बेहतर बनाकर।
  • 0:35 - 0:38
    और मैं यह परिवर्तन लाने के लिए
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    स्पष्टता से बोलना चाहती हूँ,
  • 0:39 - 0:42
    सबसे पहले बोलकर और डॉमिनो बनकर।
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    डॉमिनो की एक कतार को गिरने के लिए,
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    पहले का गिरना ज़रूरी होता है,
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    जिससे अगले डॉमिनो के पास
    गिरने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता।
  • 0:51 - 0:53
    और वह डॉमिनो जो गिरता है,
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    हम आशा कर रहे हैं
  • 0:55 - 0:59
    कि अगला व्यक्ति जो इसे देखेगा
    उसे डॉमिनो बनने की प्रेरणा मिलेगी।
  • 1:00 - 1:03
    मेरे लिए डॉमिनो बनने का अर्थ है,
    स्पष्टता से बात करना
  • 1:03 - 1:06
    और वे सब काम करना
    जो सच में मुश्किल हैं,
  • 1:06 - 1:08
    खासकर जब उनकी ज़रूरत है,
  • 1:08 - 1:10
    इस उम्मीद के साथ कि बाकी लोग शामिल होंगे।
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    और बात यह है:
    मैं वह हूँ जो शब्दों में व्यक्त करती हूँ
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    उसे, जो शायद आप सोच रहे हों
    पर कहने की हिम्मत ना हो।
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    अक्सर लोग सोचते हैं कि हम निडर हैं,
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    जो लोग ऐसा करते हैं, वे निडर हैं।
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    हम निडर नहीं हैं।
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    ऐसा नहीं कि हम सत्ता को सच बताने के
  • 1:26 - 1:29
    परिणामों से या उन बलिदानों से डरते नहीं।
  • 1:30 - 1:32
    बात यह है कि हमें लगता है
    हमें ऐसा करना ही होगा,
  • 1:32 - 1:35
    क्योंकि संसार में बहुत कम लोग हैं
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    जो डॉमिनो बनने को तैयार हैं,
  • 1:36 - 1:39
    बहुत कम लोग वह पहला डॉमिनो बनकर
    गिरने को तैयार हैं।
  • 1:39 - 1:41
    ऐसा नहीं कि हमें ऐसा करने से डर नहीं लगता।
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    आइए, अब डर की बात करते हैं।
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    बचपन से ही जानती थी
    कि बड़े होकर मुझे क्या बनना है।
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    मैं कहती, "मैं डॉक्टर बनूँगी!"
  • 1:47 - 1:48
    सपना था डॉक्टर लव्वी बनने का।
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    मैं डॉक् मेक्स्टफ़िन्स थी
    क्योंकि वह एक चलन था।
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    (हंसी)
  • 1:52 - 1:55
    और मुझे याद है जब कॉलेज गई,
  • 1:55 - 1:58
    मेरा पहला साल, मुझे प्रिमेड में
  • 1:58 - 2:00
    अपना मुख्य विषय रसायनशास्र १०१ लेना था।
  • 2:01 - 2:04
    मैं अपने शैक्षणिक कैरियर में
    पहली और अंतिम बार फेल हुई।
  • 2:04 - 2:06
    (हंसी)
  • 2:06 - 2:08
    तो मैं अपने सलाहकर्ता के पास गई, और कहा,
  • 2:09 - 2:11
    "अच्छा, हम प्रिमेड छोड़ देते हैं,
  • 2:11 - 2:13
    क्योंकि मुझसे यह
    डॉक्टर वाला काम नहीं होगा,
  • 2:13 - 2:15
    क्योंकि मुझे तो अस्पताल पसंद भी नहीं।
  • 2:15 - 2:16
    तो..."
  • 2:16 - 2:17
    (हंसी)
  • 2:17 - 2:19
    "हम इसे समाप्त समझते हैं।"
  • 2:20 - 2:22
    और उसी सेमेस्टर
    मैंने ब्लॉगिंग करना शुरू किया।
  • 2:22 - 2:24
    वह २००३ की बात है।
  • 2:24 - 2:26
    तो जहाँ एक सपना टूट रहा था,
    दूसरे की शुरूआत हो रही थी।
  • 2:27 - 2:30
    और फिर यह प्यारी सी हॉबी
    मेरा काम बन गई
  • 2:30 - 2:33
    जब २०१० में मेरी मार्केटिंग वाली
    नौकरी चली गई।
  • 2:33 - 2:36
    पर फिर भी, "मैं लेखक हूँ" कहने में
    मुझे दो साल ज़्यादा लग गए।
  • 2:36 - 2:42
    जब मैंने लिखना शुरू किया,
    उसके नौ साल बाद कहा, "मैं लेखक हूँ,"
  • 2:42 - 2:44
    क्योंकि मुझे डर था
  • 2:44 - 2:46
    बिना सेवानिवृत्ति योजना के क्या होगा,
  • 2:47 - 2:49
    बिना अपने जूतों के कैसे जिऊँगी?
  • 2:49 - 2:50
    मेरे लिए वह ज़रूरी है।"
  • 2:50 - 2:51
    (हंसी)
  • 2:51 - 2:54
    तो मुझे इतना समय लगा यह मानने में
  • 2:54 - 2:56
    कि मेरा उद्देश्य यही था।
  • 2:56 - 2:58
    और फिर मुझे एहसास हुआ,
  • 2:58 - 3:00
    हमें उन उद्देश्यों को कहने
    और पूरा कर पाने से रोकने में
  • 3:00 - 3:04
    डर की बहुत अधिक शक्ति होती है।
  • 3:05 - 3:06
    और मैंने कहा, "पता है क्या?
  • 3:07 - 3:09
    डर को अपने जीवन पर राज नहीं करने दूँगी।
  • 3:09 - 3:13
    डर के आदेश पर मैं काम नहीं करूँगी।"
  • 3:13 - 3:16
    और फिर ये सब ज़बरदस्त बातें होने लगीं,
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    और डॉमिनो गिरने लगे।
  • 3:18 - 3:21
    तो जब मुझे एहसास हुआ
    मैंने कहा, "ठीक है, २०१५ में,
  • 3:21 - 3:22
    मैं ३० की हो गई,
  • 3:22 - 3:24
    यह है मेरा साल
    जब मुझे 'करना ही होगा।'
  • 3:24 - 3:27
    मुझे जिससे से भी डर लगता है
    उसी को सक्रियता से करूँगी।"
  • 3:28 - 3:30
    तो, मेरी मकर राशी है।
  • 3:30 - 3:32
    मुझे वास्तविकता में जीना अच्छा लगता है।
  • 3:33 - 3:36
    मैंने अपने जीवन की पहली छुट्टी
    अकेले बिताने का निर्णय लिया,
  • 3:36 - 3:39
    और वह भी विदेश में,
    डामिनिकन गणराज्य में।
  • 3:40 - 3:42
    तो अपने जन्मदिन पर मैंने क्या किया?
  • 3:42 - 3:45
    पुंटा काना के जंगलों में
    ज़िपलाइनिंग करने गई।
  • 3:45 - 3:48
    और पता नहीं क्यों,
    पर मैंने काम पर पहनने वाले कपड़े पहने थे।
  • 3:48 - 3:49
    अब यह मत पूछना क्यों।
  • 3:49 - 3:52
    (हंसी)
  • 3:52 - 3:53
    और मैने बहुत अच्छा समय बिताया।
  • 3:53 - 3:56
    और मुझे पानी के अंदर डूबे रहना पसंद नहीं।
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    बल्कि ठोस ज़मीन पर रहना पसंद है।
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    तो मैं मेक्सिको जाकर
    पानी के नीचे डॉल्फ़िनों के साथ तैरी।
  • 4:03 - 4:06
    और फिर उस साल वह मस्त चीज़ मैंने की
  • 4:06 - 4:08
    जो सबसे कठिन थी
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    मैंने अपनी किताब लिख डाली,
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    "आई एम जजिंग यू: द डू-बेटर मैनूअल,"
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    और मुझे मानना पड़ा...
  • 4:13 - 4:14
    (तालियाँ)
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    वह सारी लिखने वाले बात , हैं ना?
  • 4:16 - 4:17
    हाँ।
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    पर उस साल जो काम मैंने अपने विरूद्ध किया
  • 4:20 - 4:22
    जिससे मैं सच में डर गई...
  • 4:23 - 4:24
    मैं आसमान से कूदी।
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    हम जहाज़ से गिरने वाले हैं।
  • 4:27 - 4:31
    मैं बोली, "मैंने जीवन में
    कुछ बेवकूफ़ काम किए। यह उनमें से एक है।"
  • 4:31 - 4:32
    (हंसी)
  • 4:32 - 4:34
    और फिर हम पृथ्वी की ओर गिर रहे थे
  • 4:34 - 4:37
    और मेरी सांस ही रुक गई
    जब मैंने पृथ्वी को देखा, और मैंने कहा,
  • 4:37 - 4:40
    "मैं तो जानबूझकर
    एक बिल्कुल ठीक जहाज़ से गिर पड़ी।"
  • 4:40 - 4:41
    (हंसी)
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    "मेरी समस्या क्या है?"
  • 4:42 - 4:44
    पर फिर मैंने नीचे की सुंदरता की ओर देखा,
  • 4:44 - 4:47
    और मैं कह उठी, "मैं इससे बेहतर
    कुछ नहीं कर सकती थी।
  • 4:47 - 4:49
    यह एक बहुत अच्छा निर्णय था।"
  • 4:49 - 4:52
    और मैं उस समय के बारे में सोचती हूँ
    जब मुझे सच बोलना होता है,
  • 4:52 - 4:55
    मुझे लगता है जैसे
    मैं जहाज़ से गिर रही हूँ।
  • 4:55 - 4:58
    वह उस पल जैसा लगता है
    जब मैं जहाज़ के छोर पर खड़ी थी,
  • 4:58 - 5:00
    और खुद से कहा,
    "तुम्हें यह नहीं करने चाहिए।"
  • 5:00 - 5:03
    पर फिर भी मैं करती हूँ,
    क्योंकि मुझे एहसास होता है कि करना है।
  • 5:04 - 5:05
    उस जहाज़ के छोर पर बैठे हुए
  • 5:05 - 5:08
    और उस जहाज़ पर रुके रहने से
    मुझे सुकून सा मिल रहा था।
  • 5:08 - 5:11
    और मुझे लगता है कि हर दिन
    जब मैं उन संस्थाओं और अपने से बड़े लोगों
  • 5:11 - 5:13
    और न्याय की उन शक्तियों के
  • 5:13 - 5:16
    खिलाफ़ सच बोलती हूँ
    जो मुझसे अधिक शक्तिशाली हैं,
  • 5:16 - 5:18
    मुझे लगता है कि मैं जहाज़ से गिर रही हूँ।
  • 5:18 - 5:21
    पर मुझे एहसास है सुविधा का मूल्य
    ज़रूरत से ज़्यादा लगाया गया है।
  • 5:21 - 5:23
    क्योंकि ख़ामोश रहना सुविधाजनक है।
  • 5:23 - 5:26
    स्थिति को वैसे ही बनाए रखना
    आरामदायक है।
  • 5:26 - 5:29
    और सुविधा ने तो बस
    यथास्थिति ही बनाए रखा है।
  • 5:29 - 5:31
    तो हमें ज़रूरत पड़ने पर
    इन कठिन सत्यों को बोलकर
  • 5:31 - 5:34
    असुविधा से सुविधा महसूस करनी होगी।
  • 5:35 - 5:36
    और मैं...
  • 5:36 - 5:39
    (तालियाँ)
  • 5:39 - 5:43
    और मेरे लिए, हालांकि, मुझे एहसास है
    कि मुझे ये सत्य बोलने होंगे,
  • 5:43 - 5:45
    क्योंकि ईमानदारी का
    मेरे लिए बहुत महत्व है।
  • 5:45 - 5:48
    मैं अपनी सत्यनिष्ठा को
    जान से ज़्यादा चाहती हूँ।
  • 5:48 - 5:50
    न्याय... मुझे नहीं लगता
    कि न्याय एक विकल्प होना चाहिए।
  • 5:50 - 5:52
    हमें हमेशा न्याय मिलना चाहिए।
  • 5:52 - 5:55
    और, मैं शे मक्खन को
    मूल मंत्र समझती हूँ, और...
  • 5:55 - 5:56
    (हंसी)
  • 5:56 - 6:00
    और मेरा विचार है कि संसार बेहतर होता
    अगर हम सभी नमी से युक्त हों।
  • 6:00 - 6:03
    पर उसके अलावा, इन मूल मंत्रों के साथ,
  • 6:03 - 6:05
    मुझे सच बोलना होगा।
  • 6:05 - 6:06
    मेरे लिए इसमें कोई विकल्प नहीं है।
  • 6:06 - 6:09
    पर मुझ जैसे लोगों के लिए,
    पेशेवर उपद्रवियों को ही
  • 6:09 - 6:12
    डॉमिनो बनना पड़े, यह ज़रूरी तो नहीं।
  • 6:12 - 6:14
    जो हमेशा जहाज़ों से बाहर गिरें
  • 6:14 - 6:16
    या सबसे पहली गोली खाने को तैयार हों।
  • 6:16 - 6:18
    लोग इन गंभीर परिणामों से इतने डरते हैं,
  • 6:18 - 6:21
    कि उन्हें यह भी एहसास नहीं होता
    कि अक्सर जब हम कहीं जाते हैं
  • 6:21 - 6:24
    वहाँ हम ही तो कुछ अत्यंत
    शक्तिशाली लोगों में से होते हैं...
  • 6:24 - 6:27
    हम शायद दूसरे दर्जे पर हों,
    या तीसरे दर्जे पर हों।
  • 6:27 - 6:30
    और मुझे पूर्ण विश्वास है
    कि उन स्थितियों में हमारा काम होता है
  • 6:30 - 6:32
    जो चल रहा है उसमें विघ्न डालें।
  • 6:32 - 6:34
    और फिर अगर हम शक्तिशाली ना भी हों,
  • 6:34 - 6:36
    अगर हम जैसे दो मिल जाएँ,
  • 6:37 - 6:38
    तो शक्तिशाली बन जाएँगे।
  • 6:38 - 6:40
    यह तो वैसा है कि मीटिंग में
    उस महिला का साथ देना
  • 6:40 - 6:43
    जानते हैं ना, वह महिला
    जो अपनी बात कह नहीं पा रही,
  • 6:43 - 6:46
    या यह सुनिश्चित करना कि दूसरे की बात
  • 6:46 - 6:48
    सुनी जाए, चाहे अपनी व्यथा कह नहीं पा रही।
  • 6:48 - 6:51
    हमारा काम है यह सुनिश्चित करना
    कि वे ऐसा कर पाएँ।
  • 6:51 - 6:54
    सभी का कल्याण करना,
    यही तो समुदाय का काम है।
  • 6:54 - 6:56
    अगर हम यह बात स्पष्ट कर दें,
    हम उसे समझेंगे,
  • 6:56 - 6:57
    कि कब हमें मदद की ज़रूरत होगी,
  • 6:58 - 7:00
    हमें अपने आस-पास देखने में
    इतनी कठिनाई नहीं होगी
  • 7:00 - 7:02
    अगर हम सुनिश्चित कर सकें
    कि हम किसी की मदद करेंगे।
  • 7:02 - 7:04
    और ऐसे भी मौके होते हैं जब मुझे लगता है
  • 7:04 - 7:08
    मैंने सबके सामने काफी कुछ सहन किया है,
  • 7:08 - 7:11
    जैसे जब मुझे एक सम्मेलन में
    बोलने के लिए कहा गया,
  • 7:11 - 7:14
    और वे चाहते थे
    मैं वहाँ जाने के लिए पैसे दूँ।
  • 7:14 - 7:16
    और फिर मैंने कुछ शोध किया
  • 7:16 - 7:19
    और पता चला कि गोरे पुरुष वक्ताओं को
    मुआवज़ा मिला
  • 7:19 - 7:21
    और उनकी यात्रा का भुगतान भी दिया गया।
  • 7:21 - 7:24
    गोरी महिला वक्ताओं की
    यात्रा का भुगतान दिया गया।
  • 7:24 - 7:28
    साँवली महिला वक्ताओं से
    वहाँ बोलने के लिए पैसे लिए जा रहे थे।
  • 7:28 - 7:30
    और मैंने सोचा, "मैं क्या करूँ?"
  • 7:30 - 7:33
    और मैं जानती थी कि अगर इस बारे में
    सबके सामने कुछ कहा,
  • 7:33 - 7:35
    मुझे वित्तीय हानि हो सकती है।
  • 7:35 - 7:38
    पर फिर मैं यह भी समझ गई
    कि मेरे चुप रहने से किसी का फायदा नहीं।
  • 7:39 - 7:42
    तो मैंने डर-डर कर सबके सामने वह कह दिया,
  • 7:42 - 7:44
    और अन्य महिलाओं ने भी आगे आना शुरू किया,
  • 7:44 - 7:47
    "मैंने भी इस तरह की
    वेतन की असमानता का सामना किया है।"
  • 7:47 - 7:50
    और शुरूआत हो गई
    भेदभावपूर्ण वेतन भुगतान की
  • 7:50 - 7:53
    जिसकी इस सम्मेलन में चर्चा हो रही थी।
  • 7:53 - 7:55
    मुझे लगा कि जैसे मैं डॉमिनो थी
  • 7:55 - 7:58
    जिस समय मैंने एक मशहूर हस्ती का
    विक्षुब्ध संस्मरण पढ़ा
  • 7:58 - 7:59
    और उसके बारे में लेख लिख डाला।
  • 8:00 - 8:03
    मैं जानती थी वह मुझसे अधिक रसूखदार था
    और मेरा कैरियर प्रभावित कर सकता था,
  • 8:03 - 8:05
    पर मैंन सोचा, "मुझे यह करना होगा,
  • 8:05 - 8:08
    मुझे इस जहाज़ के छोर पर बैठना होगा,
    शायद दो घंटे भी।"
  • 8:08 - 8:11
    और मैंने किया। और "पब्लिश" दबा दिया,
    और मैं भाग गई।
  • 8:11 - 8:12
    (हंसी)
  • 8:12 - 8:14
    और वापिस आई तो पोस्ट वायरल हो चुकी थी
  • 8:14 - 8:18
    और लोग कह रहे थे, "हे भगवान,
    मुझे खुशी है किसी ने तो कर दिखाया।"
  • 8:18 - 8:19
    और उससे वार्तलाप शुरू हो गया
  • 8:19 - 8:22
    मानसिक स्वास्थ्य
    और स्व-देखभाल के बारे में,
  • 8:22 - 8:24
    और मैंने कहा, "ठीक है। अच्छा है।
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    मैं जो यह कर रही हूँ
    मुझे लगता है इससे कुछ तो हो रहा है।"
  • 8:27 - 8:31
    और फिर कितने ही लोग डॉमिनो बने हैं
  • 8:31 - 8:36
    जब वे बताते हैं कैसे उन्हें रसूखदार लोगों
    द्वारा उत्पीड़ित किया गया।
  • 8:36 - 8:40
    और फलस्वरूप लाखों महिलाएँ
    "मैं भी"कहने में शामिल हुईं।
  • 8:40 - 8:43
    तो, यह आंदोलन चालू करने के लिए
    टाराना बर्क को धन्यवाद।
  • 8:43 - 8:50
    (तालियाँ)
  • 8:50 - 8:55
    लोग और प्रणालियाँ हमारी ख़ामोशी के
    बल पर ही हमें यथास्थिति में रख पाते हैं।
  • 8:56 - 9:02
    अब, कभी-कभार डॉमिनो बनने का अर्थ होता है
    सच में अपनी असलियत दिखा पाना।
  • 9:02 - 9:05
    तो, तीन साल की उम्र से
    मैं थोड़ी शक्की थी।
  • 9:05 - 9:06
    (हंसी)
  • 9:06 - 9:08
    यह मेरे तीसरे जन्मदिन की तस्वीर है।
  • 9:09 - 9:11
    पर मैं उम्र भर ऐसी ही लड़की रही हूँ,
  • 9:11 - 9:13
    और मुझे लगता है
    वह भी एक डॉमिनो था,
  • 9:13 - 9:16
    क्योंकि यह संसार चाहता है
    कि हम अपने प्रतिनिधी बनकर रहें
  • 9:16 - 9:18
    इसलिए अपनी असली झलक दिखाना
  • 9:18 - 9:20
    तो एक क्रांतिकारी कार्य हो सकता है।
  • 9:20 - 9:23
    और जो संसार चाहता है हम काना-फूसी करें,
  • 9:23 - 9:24
    मैंने चिल्लाने का निर्णय लिया।
  • 9:25 - 9:30
    (तालियाँ)
  • 9:30 - 9:32
    जब समय आता है इन कठिन बातों को कहने का,
  • 9:32 - 9:34
    मैं खुद से तीन सवाल पूछती हूँ।
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    पहला: क्या तुम सच में ऐसा चाहती थीं?
  • 9:37 - 9:39
    दूसरा: तुम इसका समर्थन कर सकती हो?
  • 9:39 - 9:41
    तीसरा: क्या तुमने प्यार से ऐसा कहा?
  • 9:41 - 9:44
    अगर इन तीनों सवालों का जवाब हाँ में है,
  • 9:44 - 9:45
    मैं कह देती हूँ और परिणाम देखती हूँ।
  • 9:48 - 9:49
    वह ज़रूरी है।
  • 9:49 - 9:50
    खुद के साथ वह पक्का करने से
  • 9:50 - 9:53
    हमेशा मुझे जवाब मिलता है,
    "हाँ, तुम्हें यह करना चाहिए।"
  • 9:55 - 9:57
    सच बोलना...
    विचारवान सच बोलना...
  • 9:57 - 9:59
    कोई क्रांतिकारी कार्य नहीं होना चाहिए।
  • 10:00 - 10:04
    सत्ता के सामने सच बोलना
    बलिदान नहीं होना चाहिए, परंतु है।
  • 10:04 - 10:08
    मुझे लगता है अगर हममें से अधिकतर ऐसा करते
    तो अधिकतर का भला हो सकता,
  • 10:08 - 10:10
    हम अभी से बेहतर स्थिति में होते।
  • 10:11 - 10:13
    अधिक कल्याण की बात की तो
  • 10:13 - 10:17
    मुझे लगता है हमें खुद को
    प्रतिबद्ध करना होगा ताकि सामान्य आधार पर
  • 10:17 - 10:18
    सत्य बोलकर पुल बना सकें,
  • 10:18 - 10:22
    और सत्य की कसौटी पर
    जो पुल नहीं बने वे टूट जाएँगे।
  • 10:22 - 10:23
    तो, यह हमारा काम है,
  • 10:24 - 10:27
    हमारा दायित्व है, हमारा कर्त्तव्य है
  • 10:27 - 10:29
    कि सत्ता तक सच पहुंचाएँ, डॉमिनो बनें,
  • 10:30 - 10:32
    केवल तब नहीं जब कठिन हो...
  • 10:32 - 10:34
    पर खासकर तब, जब कठिन हो।
  • 10:34 - 10:35
    धन्यवाद।
  • 10:35 - 10:41
    (तालियाँ)
Title:
असुविधा में सुविधा पाएँ
Speaker:
लव्वी अजेयी
Description:

लव्वी अजेयी अपने मन की बात कहने से या भीड़ में विरोध की पहली आवाज़ बनने से डरती नहीं, और ना ही आपको डरना चाहिए। "आपकी ख़ामोशी से किसी का भला नहीं होता," लेखिका, कार्यकर्ता और स्वयं-घोषित पेशेवर उपद्रवी का कहना है। इस उज्ज्वल, उत्साही भाषण में, अजेयी अपने आप से तीन प्रश्न पूछने के लिए कहती हैं जब आप बोलने या शांत रहने के बीच में निर्णय ना ले पा रहे होंः--- और हम सभी को असुविधाजनक होने में थोड़ी सुविधा महसूस करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
10:54

Hindi subtitles

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