हिटलर सत्ता में कैसे आया? - एलेक्स गेंड्लर और अंथोनी हैज़र्ड
-
0:07 - 0:08अडोल्फ़ हिटलर नामक यह व्यक्ति,
-
0:08 - 0:13एक तानाशाह जिसने मानव इतिहास का
सबसे बड़े जातिसंहार आयोजित किया था, -
0:13 - 0:17कैसे एक प्रजातांत्रिक देश का
शासक बन बैठा? -
0:17 - 0:20इस कहानी की शुरुआत होती है
पहले विश्वयुद्ध के अंत पर | -
0:20 - 0:23१९१८ में
एलाइड देशों की सफलता के चलते -
0:23 - 0:26जर्मनी को यह एहसास हो गया था
कि अब युद्ध में उसकी विजय नामुमकिन है -
0:26 - 0:30और उसने संधि समझौते पर दस्तख़त करना
स्वीकार कर लिया| -
0:30 - 0:32उसकी साम्राज्यवादी सरकार के गिरते ही
-
0:32 - 0:36देश में राजनैतिक अशांति
और कर्मचारी हड़तालों का बोलबाला हो गया | -
0:36 - 0:38देश में साम्यवादी विद्रोह
फैलने के डर से -
0:38 - 0:42प्रमुख राजनैतिक पार्टियों ने
बगावतों को दबाने के लिए हाथ मिला लिए -
0:42 - 0:45और लोकतांत्रिक वाइमार रिपब्लिक
की स्थापना की | -
0:45 - 0:47इस नई सरकार के सर्वप्रथम कार्यों
में से एक था -
0:47 - 0:52एलाइड राष्ट्रों द्वारा लागू
शांति संधि को अमल में लाना | -
0:52 - 0:54अपने क्षेत्र के दसवें हिस्से
से भी अधिक को त्यागने -
0:54 - 0:56व अपनी सेना को विघटित करने के अलावा
-
0:56 - 0:59जर्मनी को युद्ध की पूरी जिम्मेदारी
स्वीकार करने -
0:59 - 1:02और उसका हर्जाना भरने के लिए
बाध्य होना पड़ा, -
1:02 - 1:06जिससे उसकी पहले से ही कमज़ोर
हो चुकी अर्थव्यवस्था और भी दुर्बल हो गई | -
1:06 - 1:11कई राष्ट्रवादियों और सेवानिवृत्त सैनिकों
के लिए यह अपमान की बात बन गई | -
1:11 - 1:14उन्हें यह गहरा भ्रम था कि जर्मनी
युद्ध जीत सकता था -
1:14 - 1:19यदि नेताओं और विरोधियों ने
उसकी सेना को धोखा न दिया होता | -
1:19 - 1:22हिटलर के लिए यह ख़याल एक जूनून बन गया,
-
1:22 - 1:25और अपने कट्टरपन और
मन में पागलपन की हद तक समाए भ्रम के चलते -
1:25 - 1:28उसने सारा दोष यहूदियों के सर मढ़ दिया |
-
1:28 - 1:32एक समाज, जिसमें कई यहूदी-विरोधी मौजूद थे,
हिटलर के शब्दों को एकमतता मिली | -
1:32 - 1:35इस समय तक हज़ारों-लाखों
की तादाद में यहूदी -
1:35 - 1:38जर्मन समाज का हिस्सा बन चुके थे,
-
1:38 - 1:43लेकिन कई जर्मन लोग अभी भी उन्हें
परदेसी और पराया मानते थे | -
1:43 - 1:46पहले विश्वयुद्ध के बाद, यहूदियों की सफलता
ने उनके खिलाफ -
1:46 - 1:51राज्य-च्युति और युद्ध मुनाफाखोरी जैसे
बेबुनियाद आरोपों को जन्म दिया | -
1:51 - 1:54इस बात पर जितना ज़ोर दिया जाए उतना कम है
कि षडयंत्र के इन आरोपों -
1:54 - 1:56का आधार था भय,
-
1:56 - 1:57क्रोध,
-
1:57 - 1:58और कट्टरपन,
-
1:58 - 2:00तथ्य नहीं |
-
2:00 - 2:03इसके बावजूद, हिटलर को सफलता मिली |
-
2:03 - 2:06जब वह एक छोटी राष्ट्रवादी राजनैतिक पार्टी
में शामिल हुआ, -
2:06 - 2:10तो अपने चालाक और हेर-फेर से भरे भाषणों
के बल पर वह पार्टी की अगुवाई करने लगा -
2:10 - 2:13और बढ़ती संख्या में लोग उसकी बातों की ओर
आकर्षित होने लगे | -
2:13 - 2:16यहूदी-विरोधी विचारों को लोगों के आक्रोश
के साथ जोड़ कर -
2:16 - 2:20नाज़ी पार्टी ने साम्यवाद और पूंजीवाद
दोनों की भर्त्सना की -
2:20 - 2:25और उन्हें जर्मनी को तबाह करने की
अंतर्राष्ट्रीय यहूदी साजिश बताया | -
2:25 - 2:28शुरुआत में नाज़ी पार्टी लोकप्रिय नहीं थी |
-
2:28 - 2:31सरकार गिराने के एक असफल प्रयास के बाद
-
2:31 - 2:33पार्टी को अवैध घोषित कर दिया गया,
-
2:33 - 2:36और हिटलर को राजद्रोह के जुर्म में
जेल भेज दिया गया | -
2:36 - 2:38लेकिन एक साल बाद जेल से रिहा होने पर,
-
2:38 - 2:41उसने तुरंत नए सिरे से
आंदोलन शुरू कर दिया | -
2:41 - 2:45और फिर, १९२९ में, विश्वव्यापी मंदी
(द ग्रेट डिप्रेशन) का दौर आरंभ हुआ | -
2:45 - 2:49इसके चलते अमरीकी बैंकों ने जर्मनी को दी गई
ऋण-राशि वापस मांगनी शुरू कर दी, -
2:49 - 2:54और पहले से ही जूझ रही जर्मनी की
अर्थव्यवस्था रातों-रात ढह गई | -
2:54 - 2:56हिटलर ने लोगों के आक्रोश का फायदा उठाया,
-
2:56 - 2:58उन्हें एक आसान बलि का बकरा दे दिया
-
2:58 - 3:02और जर्मनी को उसका भूतपूर्व गौरव
और प्रतिष्ठा लौटाने का वायदा किया | -
3:02 - 3:06मुख्य पार्टियां इस संकट-स्तिथि का सामना
करने में नाकामयाब सिद्ध हुईं, -
3:06 - 3:11जबकि वामपंथी विरोधी पक्ष
आपसी मतभेदों और झगड़ों में उलझे रहे | -
3:11 - 3:15और इस कारण इस असंतुष्ट जनता का कुछ हिस्सा
नाज़ी पार्टी के साथ जुड़ गया, -
3:15 - 3:23जिससे केवल दो सालों में उसका संसदीय वोट
३% से भी कम से बढ़ कर १८% हो गया | -
3:23 - 3:25१९३२ में हिटलर ने राष्ट्रपति पद
के लिए चुनाव लड़ा, -
3:25 - 3:30लेकिन कई पदकों से सम्मानित युद्धकालीन
सूरमा जनरल फॉन हिंडनबर्ग से हार गया | -
3:30 - 3:36लेकिन ३६% वोट प्राप्त कर हिटलर ने यह दिखा
दिया कि जनता किस हद तक उसके पक्ष में थी | -
3:36 - 3:39अगले साल, सलाहकारों
और प्रमुख उद्योगपतियों ने -
3:39 - 3:43हिंडनबर्ग को हिटलर को
चांसलर नियुक्त करने के लिए मना लिया, -
3:43 - 3:47इस उम्मीद पर कि उसकी लोकप्रियता
का प्रयोग वे अपने फायदे के लिए कर पाएंगे | -
3:47 - 3:50हालांकि एक चांसलर केवल संसद का
प्रशासनिक अध्यक्ष मात्र था, -
3:50 - 3:54हिटलर में अपने अधिकारों और सत्ता को
धीरे-धीरे बढ़ाना शुरू कर दिया | -
3:54 - 3:57जहां उसके समर्थक
संसदीय गुट बना कर -
3:57 - 3:59सडकों पर विरोधकर्ताओं से भिड़ने लगे,
-
3:59 - 4:03वहीं हिटलर ने लोगों के मन में साम्यवादी
विद्रोह का डर पैदा करना शुरू कर दिया -
4:03 - 4:07और यह तर्क किया कि केवल वही समाज में
कानून और सुव्यवस्था ला सकता था | -
4:07 - 4:09फिर १९३३ में,
-
4:09 - 4:14एक नौजवान कार्यकर्ता को संसद भवन में आग
लगाने के आरोप में जेल में डाल दिया गया | -
4:14 - 4:17हिटलर ने इस घटना को बहाना बना कर
सरकार को -
4:17 - 4:19उसे असाधारण अधिकार
देने के लिए राज़ी कर लिया | -
4:19 - 4:23कुछ महीनों के भीतर ही, प्रेस की स्वतंत्रता
को समाप्त कर दिया गया, -
4:23 - 4:25अन्य पार्टियों को भंग कर दिया गया,
-
4:25 - 4:29और यहूदी-विरोधी कानून लागू कर दिए गए |
-
4:29 - 4:33हिटलर के कई पूर्वी कट्टरपंथी समर्थकों
को गिरफ़्तार कर प्राणदंड दे दिया गया; -
4:33 - 4:35इनमें संभावित प्रतिद्वंदी भी शामिल थे |
-
4:35 - 4:39और अगस्त १९३४ में जब
राष्ट्रपति हिंडनबर्ग की मृत्यु हुई, -
4:39 - 4:42तब यह साफ़ था कि अब कोई
नए चुनाव नहीं होंगे | -
4:42 - 4:45दुःखद बात यह है कि हिटलर के
शुरूआती लक्ष्यों की पूर्ती के लिए -
4:45 - 4:48इस बड़े पैमाने पर
दमन ज़रूरी नहीं था | -
4:48 - 4:51उसके भाषण लोगों के भयों और आक्रोश
का लाभ उठाते थे -
4:51 - 4:55ताकि वह अपने और नाज़ी पार्टी के लिए
उनका समर्थन प्राप्त कर सके | -
4:55 - 4:57इस दौरान, उद्योगपति और बुद्धिजीवी,
-
4:57 - 5:00जो खुद को जनता की राय के पक्ष में
दिखाना चाहते थे, -
5:00 - 5:01हिटलर का समर्थन करने लगे |
-
5:01 - 5:03वे खुद को और एक-दूसरे को आश्वासन देने लगे
-
5:03 - 5:06कि हिटलर का अत्यधिक शब्दाडम्बर
केवल दिखावे के लिए था | -
5:06 - 5:10कई दशकों के बाद भी, हिटलर का अभ्युदय
एक चेतावनी है इस बात की -
5:10 - 5:13कि एक अप्रसन्न और क्रोधित जनता के आगे
और एक ऐसे नेता के आगे, -
5:13 - 5:16जो उनके इस क्रोध और भय
का लाभ उठाना चाहता है, -
5:16 - 5:20लोकतांत्रिक संस्थाएं
कितनी दुर्बल हो सकती हैं |
- Title:
- हिटलर सत्ता में कैसे आया? - एलेक्स गेंड्लर और अंथोनी हैज़र्ड
- Description:
-
पूरा पाठ देखने के लिए यहां जाएं: http://ed.ted.com/lessons/how-did-hitler-rise-to-power-alex-gendler-and-anthony-hazard
तीसरे जर्मन राज्य (द थर्ड राइश) के पतन के इतने दशकों बाद, आज यह समझना नामुमकिन लगता है कि अडोल्फ़ हिटलर नामक यह व्यक्ति, जिसने मानव इतिहास के सबसे बड़े जातिसंहारों में से एक का आयोजन किया था, कैसे एक प्रजातंत्र का शासक बन बैठा | यह कैसे हुआ, और क्या यह फिर हो सकता है? एलेक्स गेंड्लर और अंथोनी हैज़र्ड इतिहास के पन्नों में गोता लगाते हैं और उन परिस्थितियों पर नज़र डालते हैं जिनके चलते हिटलर जर्मनी का शासक (फ्युरर) बन गया |
पाठ के निर्माता: एलेक्स गेंड्लर और अंथोनी हैज़र्ड; एनीमेशन: अंकल जिंजर
- Video Language:
- English
- Team:
closed TED
- Project:
- TED-Ed
- Duration:
- 05:37
![]() |
Omprakash Bisen edited Hindi subtitles for How did Hitler rise to power? - Alex Gendler and Anthony Hazard | |
![]() |
Omprakash Bisen approved Hindi subtitles for How did Hitler rise to power? - Alex Gendler and Anthony Hazard | |
![]() |
Omprakash Bisen accepted Hindi subtitles for How did Hitler rise to power? - Alex Gendler and Anthony Hazard | |
![]() |
Omprakash Bisen edited Hindi subtitles for How did Hitler rise to power? - Alex Gendler and Anthony Hazard | |
![]() |
Bhumika Chawla-D'Souza edited Hindi subtitles for How did Hitler rise to power? - Alex Gendler and Anthony Hazard | |
![]() |
Bhumika Chawla-D'Souza edited Hindi subtitles for How did Hitler rise to power? - Alex Gendler and Anthony Hazard | |
![]() |
Bhumika Chawla-D'Souza edited Hindi subtitles for How did Hitler rise to power? - Alex Gendler and Anthony Hazard | |
![]() |
Bhumika Chawla-D'Souza edited Hindi subtitles for How did Hitler rise to power? - Alex Gendler and Anthony Hazard |