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वास्तव में कितने ब्रह्माण्ड हैं ?

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    (संगीत)
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    जब कभी मैं लम्बी हवाई यात्रा पर होता हूँ,
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    तब बाहर पहाड़ों और रेगिस्तान को देखकर
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    यह सोचने लगता हूँ कि हमारी पृथ्वी कितनी विशाल है |
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    फिर मुझे ख्याल आया कि, एक चीज़ ऐसी भी है जिसे हम प्रतिदिन देखते हैं
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    जो कि अपने भीतर दस लाख पृथ्वियों को समाहित कर सकती है |
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    सूर्य बहुत ही वृहत लगता है परन्तु,
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    विशाल संरचनाओं के समक्ष, वह एक सुई की नोक के समान है,
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    जैसे कि आकाशगंगा तारासमूह में ४०० अरब तारों का समूह
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    जिसे हम रात्रि में स्वच्छ आकाश में धुंधले, सफ़ेद कोहरे के रूप में फैले हुए देख सकते हैं |
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    और ये और घना होता जाता है |
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    अभी तक दूरदर्शी से लगभग १०० अरब तारासमूह का पता लगाया जा सका है,
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    तो अगर प्रत्येक तारे का आकार रेत के एक कण के बराबर माने,
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    तो एक आकाशगंगा में इतने तारे होंगे जो कि
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    एक ३० X ३० फुट एवं ३० फुट गहरे समुद्रतट को रेत से भर देंगे |
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    एवं समस्त पृथ्वी पर इतने समुद्रतट ही नहीं हैं
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    जो पुरे ब्रम्हांड के तारासमूह को प्रदर्शित कर सकें |
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    ऐसे समुद्रतट का विस्तार वास्तव में सैकडों लाखों मीलों तक होगा |
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    ये तो बहुत सारे तारे हो जायेंगे |
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    किन्तु स्टेफ़न हव्किन्स एवं अन्य भौतिक शास्त्रियों का मानना है कि
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    सत्य इससे भी ज्यादा विस्तृत अकल्पनीय होगा |
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    मतलब ये है कि, पहले तो,हमारे दूरदर्शियों की सीमा में १०० खरब तारासमूह
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    संपूर्ण का बहुत सूक्ष्म खंड है |
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    अन्तरिक्ष स्वयं में त्वरण शील गति से
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    विस्तार् शील है | अधिकांश तारासमूह
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    हमसे इतनो तेज़ी से पृथक हो रही है
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    कि उनकी रौशनी हम तक शायद कभी न पहुँचे |
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    फिर भी यहाँ पृथ्वी पर हमारा भौतिक सत्य
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    उन दूरस्थ, अदृश्य तारासमूहों से गहराई से जुड़ा हुआ है |
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    इन्हें हम अपने ब्रह्माण्ड का हिस्सा भी मान सकते हैं |
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    ये सभी मिलकर एक विशाल भवन बनाते हैं,
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    उन्हीं भौतिक नियमों का पालन करते हुए एवं उसी तरह के परमाणुओं, इलेक्ट्रान,
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    प्रोटोन, क्वार्, न्यूट्रान से जिनसे हम और आप बने हैं |
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    हाँलाकि,भौतिकशास्त्र की हाल ही के सिद्धांतों
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    जिनमे से एक स्ट्रिंग सिद्धांत है,
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    के अनुसार अनगिनत और भी ब्रह्माण्ड हो सकते हैं,
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    भिन्न - भिन्न कणों से निर्मित,
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    भिन्न प्रकृति के साथ, भिन्न नियमों का पालन करने वाले |
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    इन में से अधिकांश ब्रह्माण्ड शायद कभी भी जीवन की उत्पत्ति में सहायक न हो
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    एवं द्रुतगति से एक नैनो सेकेंड में अस्तित्व में आये और जाएँ,
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    तब भी, संयुक्त रूप से
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    ये मिलकर समस्त ब्रह्मांडों का एक वृहत विविध ब्रह्माण्ड बनाते हैं
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    जो की ११ विस्तार वाली, हमारी कल्पना से परे अचंभित करने वाली आकृति बनाते हैं |
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    और स्ट्रिंग सिद्धांत के अग्रणी प्रारूप के अनुसार
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    एक विविध ब्रह्माण्ड १० से ५०० ब्रह्मांडों से मिलकर बना हो सकता है |
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    यानि कि १ और उसके आगे ५०० शून्य,
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    एक इसी वृहत संख्या कि अगर हमारे सुस्पष्ट ब्रह्माण्ड के प्रत्येक परमाणु
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    का स्वयं का ब्रह्माण्ड हो
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    और उन सभी ब्रह्मांडो के सभी परमाणुओं
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    का अपना ब्रह्माण्ड हो,
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    और इसे अगर हम और दो बार दोहरायें,
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    तभी भी हमें संपूर्ण नन्हा सा खंड प्राप्त होगा ---
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    जैसे कि एक करोड़ खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब वां हिस्सा |
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    किन्तु यह संख्या भी बहुत सूक्ष्म है
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    अनंत की तुलना में |
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    कुछ भौतिक शास्त्रियों के अनुसार स्पेस टाइम सातत्य वास्तव में
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    अनंत है एवं इसमें अनंत संख्या में
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    तथा कथित विभिन्न गुणों वाले खंड ब्रह्माण्ड निहित हैं |
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    आपका मस्तिष्क कैसा कार्य कर रहा है ?
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    परन्तु प्रमात्रा सिद्धांत एक और सुझाव देता है |
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    मतलब यह कि, सभी आशंकाओं के बाद भी यह सिद्धांत सत्य सिद्ध हुआ है
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    किन्तु व्याख्या करना उलझाने वाला है|
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    और कुछ भौतिक शास्त्री मानते है कि आप इसे तभी सुलझा सकते हैं
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    जब यह कल्पना की जाये कि भारी मात्रा में समान्तर ब्रह्माण्ड
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    प्रतिपल पैदा होते हैं,
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    एवं इनमे से कई ब्रह्माण्ड वास्तव में वैसे ही होंगे जैसे कि हमारी दुनिया है
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    और उनमे हमारे ही जैसे कई हैं |
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    ऐसे ही किसी ब्रह्माण्ड में, हम उपाधि के साथ स्नातक होंगे एवं अपने स्वपन पुरुष या स्वप्न सुंदरी के साथ विवाह करेंगे |
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    दूसरें में, इतना कुछ नहीं |
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    अभी भी कुछ भौतिक शास्त्री हैं जो इसे बेकार कहेंगे |
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    कितने ब्रह्माण्ड हैं इसका एक मात्र सार्थक उत्तर है,
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    मात्र एक ब्रह्माण्ड |
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    और कुछ दार्शनिक एवं रहस्यवादी ये
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    तर्क दे सकते हैं कि हमारा स्वयं का ब्रह्माण्ड एक मरीचिका है |
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    तो, जैसा कि आप देख सकते हैं,
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    अभी तक इस प्रश्न पर कोई सम्मति नहीं बनी है,
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    थोड़ी सी भी नहीं |
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    हमें यही ज्ञात है कि, इसका उत्तर शून्य और अनंत के मध्य कहीं है |
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    खैर, मेरे ख्याल से हमे एक और चीज़ ज्ञात है :
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    यह एक बहुत अच्छा समय है भौतिकी पढ़ने का |
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    हम शायद सबसे बड़े परिप्रेक्ष्य परिवर्तन का
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    अनुभव करेंगे जैसा शायद ही मानव जाति ने देखा हो |
Title:
वास्तव में कितने ब्रह्माण्ड हैं ?
Speaker:
Chris Anderson
Description:

यह तथ्य कि इसका उत्तर किसी को भी ज्ञात नहीं है इसे और भी रोचक बना देता है | भौतिकी की कहानी एक विशुद्ध वास्तविक, निरंतर विस्तार शील ज्ञान है, उस बिंदु तक जहाँ भौतिक शास्त्रियों की यह अभिधारणा है कि हमारे ब्रह्माण्ड के अलावा भी कई और ब्रह्माण्ड हो सकते हैं | क्रिस एंडरसन इसी रोमांचकारी विचार की विवेक्षा का अन्वेषण कर रहे हैं |

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TED-Ed
Duration:
04:43
Dimitra Papageorgiou approved Hindi subtitles for How many universes are there?
Omprakash Bisen accepted Hindi subtitles for How many universes are there?
Omprakash Bisen edited Hindi subtitles for How many universes are there?
Rajneesh Pandey edited Hindi subtitles for How many universes are there?
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