[Script Info] Title: [Events] Format: Layer, Start, End, Style, Name, MarginL, MarginR, MarginV, Effect, Text Dialogue: 0,0:00:00.00,0:00:13.00,Default,,0000,0000,0000,,(संगीत) Dialogue: 0,0:00:18.00,0:00:20.00,Default,,0000,0000,0000,,जब कभी मैं लम्बी हवाई यात्रा पर होता हूँ, Dialogue: 0,0:00:20.00,0:00:23.00,Default,,0000,0000,0000,,तब बाहर पहाड़ों और रेगिस्तान को देखकर Dialogue: 0,0:00:23.00,0:00:26.00,Default,,0000,0000,0000,,यह सोचने लगता हूँ कि हमारी पृथ्वी कितनी विशाल है | Dialogue: 0,0:00:26.58,0:00:29.00,Default,,0000,0000,0000,,फिर मुझे ख्याल आया कि, एक चीज़ ऐसी भी है जिसे हम प्रतिदिन देखते हैं Dialogue: 0,0:00:29.00,0:00:32.69,Default,,0000,0000,0000,,जो कि अपने भीतर दस लाख पृथ्वियों को समाहित कर सकती है | Dialogue: 0,0:00:32.82,0:00:35.00,Default,,0000,0000,0000,,सूर्य बहुत ही वृहत लगता है परन्तु, Dialogue: 0,0:00:35.00,0:00:39.08,Default,,0000,0000,0000,,विशाल संरचनाओं के समक्ष, वह एक सुई की नोक के समान है, Dialogue: 0,0:00:39.08,0:00:43.00,Default,,0000,0000,0000,,जैसे कि आकाशगंगा तारासमूह में ४०० अरब तारों का समूह Dialogue: 0,0:00:43.00,0:00:47.00,Default,,0000,0000,0000,,जिसे हम रात्रि में स्वच्छ आकाश में धुंधले, सफ़ेद कोहरे के रूप में फैले हुए देख सकते हैं | Dialogue: 0,0:00:48.12,0:00:49.02,Default,,0000,0000,0000,,और ये और घना होता जाता है | Dialogue: 0,0:00:49.02,0:00:52.98,Default,,0000,0000,0000,,अभी तक दूरदर्शी से लगभग १०० अरब तारासमूह का पता लगाया जा सका है, Dialogue: 0,0:00:53.72,0:00:58.00,Default,,0000,0000,0000,,तो अगर प्रत्येक तारे का आकार रेत के एक कण के बराबर माने, Dialogue: 0,0:00:58.00,0:01:01.00,Default,,0000,0000,0000,,तो एक आकाशगंगा में इतने तारे होंगे जो कि Dialogue: 0,0:01:01.00,0:01:05.00,Default,,0000,0000,0000,,एक ३० X ३० फुट एवं ३० फुट गहरे समुद्रतट को रेत से भर देंगे | Dialogue: 0,0:01:05.88,0:01:08.62,Default,,0000,0000,0000,,एवं समस्त पृथ्वी पर इतने समुद्रतट ही नहीं हैं Dialogue: 0,0:01:08.62,0:01:11.00,Default,,0000,0000,0000,,जो पुरे ब्रम्हांड के तारासमूह को प्रदर्शित कर सकें | Dialogue: 0,0:01:11.00,0:01:15.00,Default,,0000,0000,0000,,ऐसे समुद्रतट का विस्तार वास्तव में सैकडों लाखों मीलों तक होगा | Dialogue: 0,0:01:15.60,0:01:19.00,Default,,0000,0000,0000,,ये तो बहुत सारे तारे हो जायेंगे | Dialogue: 0,0:01:19.86,0:01:22.00,Default,,0000,0000,0000,,किन्तु स्टेफ़न हव्किन्स एवं अन्य भौतिक शास्त्रियों का मानना है कि Dialogue: 0,0:01:22.00,0:01:25.00,Default,,0000,0000,0000,,सत्य इससे भी ज्यादा विस्तृत अकल्पनीय होगा | Dialogue: 0,0:01:26.14,0:01:29.00,Default,,0000,0000,0000,,मतलब ये है कि, पहले तो,हमारे दूरदर्शियों की सीमा में १०० खरब तारासमूह Dialogue: 0,0:01:29.00,0:01:32.00,Default,,0000,0000,0000,,संपूर्ण का बहुत सूक्ष्म खंड है | Dialogue: 0,0:01:32.00,0:01:35.00,Default,,0000,0000,0000,,अन्तरिक्ष स्वयं में त्वरण शील गति से Dialogue: 0,0:01:35.00,0:01:38.00,Default,,0000,0000,0000,,विस्तार् शील है | अधिकांश तारासमूह Dialogue: 0,0:01:38.00,0:01:41.00,Default,,0000,0000,0000,,हमसे इतनो तेज़ी से पृथक हो रही है Dialogue: 0,0:01:41.00,0:01:43.00,Default,,0000,0000,0000,,कि उनकी रौशनी हम तक शायद कभी न पहुँचे | Dialogue: 0,0:01:43.00,0:01:46.00,Default,,0000,0000,0000,,फिर भी यहाँ पृथ्वी पर हमारा भौतिक सत्य Dialogue: 0,0:01:46.00,0:01:49.40,Default,,0000,0000,0000,,उन दूरस्थ, अदृश्य तारासमूहों से गहराई से जुड़ा हुआ है | Dialogue: 0,0:01:49.91,0:01:52.00,Default,,0000,0000,0000,,इन्हें हम अपने ब्रह्माण्ड का हिस्सा भी मान सकते हैं | Dialogue: 0,0:01:52.85,0:01:55.00,Default,,0000,0000,0000,,ये सभी मिलकर एक विशाल भवन बनाते हैं, Dialogue: 0,0:01:55.00,0:01:58.00,Default,,0000,0000,0000,,उन्हीं भौतिक नियमों का पालन करते हुए एवं उसी तरह के परमाणुओं, इलेक्ट्रान, Dialogue: 0,0:01:58.00,0:02:02.00,Default,,0000,0000,0000,,प्रोटोन, क्वार्, न्यूट्रान से जिनसे हम और आप बने हैं | Dialogue: 0,0:02:02.00,0:02:05.00,Default,,0000,0000,0000,,हाँलाकि,भौतिकशास्त्र की हाल ही के सिद्धांतों Dialogue: 0,0:02:05.00,0:02:07.00,Default,,0000,0000,0000,,जिनमे से एक स्ट्रिंग सिद्धांत है, Dialogue: 0,0:02:07.00,0:02:10.00,Default,,0000,0000,0000,,के अनुसार अनगिनत और भी ब्रह्माण्ड हो सकते हैं, Dialogue: 0,0:02:10.00,0:02:12.00,Default,,0000,0000,0000,,भिन्न - भिन्न कणों से निर्मित, Dialogue: 0,0:02:12.00,0:02:14.00,Default,,0000,0000,0000,,भिन्न प्रकृति के साथ, भिन्न नियमों का पालन करने वाले | Dialogue: 0,0:02:14.83,0:02:17.00,Default,,0000,0000,0000,,इन में से अधिकांश ब्रह्माण्ड शायद कभी भी जीवन की उत्पत्ति में सहायक न हो Dialogue: 0,0:02:17.00,0:02:20.00,Default,,0000,0000,0000,,एवं द्रुतगति से एक नैनो सेकेंड में अस्तित्व में आये और जाएँ, Dialogue: 0,0:02:20.00,0:02:22.45,Default,,0000,0000,0000,,तब भी, संयुक्त रूप से Dialogue: 0,0:02:22.45,0:02:26.00,Default,,0000,0000,0000,,ये मिलकर समस्त ब्रह्मांडों का एक वृहत विविध ब्रह्माण्ड बनाते हैं Dialogue: 0,0:02:26.00,0:02:31.00,Default,,0000,0000,0000,,जो की ११ विस्तार वाली, हमारी कल्पना से परे अचंभित करने वाली आकृति बनाते हैं | Dialogue: 0,0:02:31.00,0:02:33.00,Default,,0000,0000,0000,,और स्ट्रिंग सिद्धांत के अग्रणी प्रारूप के अनुसार Dialogue: 0,0:02:33.00,0:02:36.00,Default,,0000,0000,0000,,एक विविध ब्रह्माण्ड १० से ५०० ब्रह्मांडों से मिलकर बना हो सकता है | Dialogue: 0,0:02:37.03,0:02:40.00,Default,,0000,0000,0000,,यानि कि १ और उसके आगे ५०० शून्य, Dialogue: 0,0:02:40.00,0:02:44.00,Default,,0000,0000,0000,,एक इसी वृहत संख्या कि अगर हमारे सुस्पष्ट ब्रह्माण्ड के प्रत्येक परमाणु Dialogue: 0,0:02:44.00,0:02:46.00,Default,,0000,0000,0000,,का स्वयं का ब्रह्माण्ड हो Dialogue: 0,0:02:46.98,0:02:49.00,Default,,0000,0000,0000,,और उन सभी ब्रह्मांडो के सभी परमाणुओं Dialogue: 0,0:02:49.00,0:02:51.00,Default,,0000,0000,0000,,का अपना ब्रह्माण्ड हो, Dialogue: 0,0:02:52.00,0:02:54.00,Default,,0000,0000,0000,,और इसे अगर हम और दो बार दोहरायें, Dialogue: 0,0:02:54.00,0:02:57.00,Default,,0000,0000,0000,,तभी भी हमें संपूर्ण नन्हा सा खंड प्राप्त होगा --- Dialogue: 0,0:02:57.00,0:03:05.98,Default,,0000,0000,0000,,जैसे कि एक करोड़ खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब खरब वां हिस्सा | Dialogue: 0,0:03:07.58,0:03:10.00,Default,,0000,0000,0000,,किन्तु यह संख्या भी बहुत सूक्ष्म है Dialogue: 0,0:03:10.00,0:03:13.00,Default,,0000,0000,0000,,अनंत की तुलना में | Dialogue: 0,0:03:14.42,0:03:16.00,Default,,0000,0000,0000,,कुछ भौतिक शास्त्रियों के अनुसार स्पेस टाइम सातत्य वास्तव में Dialogue: 0,0:03:16.00,0:03:19.00,Default,,0000,0000,0000,,अनंत है एवं इसमें अनंत संख्या में Dialogue: 0,0:03:19.43,0:03:22.00,Default,,0000,0000,0000,,तथा कथित विभिन्न गुणों वाले खंड ब्रह्माण्ड निहित हैं | Dialogue: 0,0:03:22.23,0:03:24.00,Default,,0000,0000,0000,,आपका मस्तिष्क कैसा कार्य कर रहा है ? Dialogue: 0,0:03:24.86,0:03:27.00,Default,,0000,0000,0000,,परन्तु प्रमात्रा सिद्धांत एक और सुझाव देता है | Dialogue: 0,0:03:27.00,0:03:29.00,Default,,0000,0000,0000,,मतलब यह कि, सभी आशंकाओं के बाद भी यह सिद्धांत सत्य सिद्ध हुआ है Dialogue: 0,0:03:29.00,0:03:31.00,Default,,0000,0000,0000,,किन्तु व्याख्या करना उलझाने वाला है| Dialogue: 0,0:03:31.00,0:03:34.00,Default,,0000,0000,0000,,और कुछ भौतिक शास्त्री मानते है कि आप इसे तभी सुलझा सकते हैं Dialogue: 0,0:03:34.00,0:03:37.00,Default,,0000,0000,0000,,जब यह कल्पना की जाये कि भारी मात्रा में समान्तर ब्रह्माण्ड Dialogue: 0,0:03:37.00,0:03:39.00,Default,,0000,0000,0000,,प्रतिपल पैदा होते हैं, Dialogue: 0,0:03:39.00,0:03:43.00,Default,,0000,0000,0000,,एवं इनमे से कई ब्रह्माण्ड वास्तव में वैसे ही होंगे जैसे कि हमारी दुनिया है Dialogue: 0,0:03:43.00,0:03:46.00,Default,,0000,0000,0000,,और उनमे हमारे ही जैसे कई हैं | Dialogue: 0,0:03:46.00,0:03:50.00,Default,,0000,0000,0000,,ऐसे ही किसी ब्रह्माण्ड में, हम उपाधि के साथ स्नातक होंगे एवं अपने स्वपन पुरुष या स्वप्न सुंदरी के साथ विवाह करेंगे | Dialogue: 0,0:03:50.00,0:03:53.00,Default,,0000,0000,0000,,दूसरें में, इतना कुछ नहीं | Dialogue: 0,0:03:53.00,0:03:55.00,Default,,0000,0000,0000,,अभी भी कुछ भौतिक शास्त्री हैं जो इसे बेकार कहेंगे | Dialogue: 0,0:03:55.00,0:03:59.00,Default,,0000,0000,0000,,कितने ब्रह्माण्ड हैं इसका एक मात्र सार्थक उत्तर है, Dialogue: 0,0:03:59.00,0:04:02.00,Default,,0000,0000,0000,,मात्र एक ब्रह्माण्ड | Dialogue: 0,0:04:02.54,0:04:05.00,Default,,0000,0000,0000,,और कुछ दार्शनिक एवं रहस्यवादी ये Dialogue: 0,0:04:05.00,0:04:08.00,Default,,0000,0000,0000,,तर्क दे सकते हैं कि हमारा स्वयं का ब्रह्माण्ड एक मरीचिका है | Dialogue: 0,0:04:08.00,0:04:10.00,Default,,0000,0000,0000,,तो, जैसा कि आप देख सकते हैं, Dialogue: 0,0:04:10.00,0:04:13.00,Default,,0000,0000,0000,,अभी तक इस प्रश्न पर कोई सम्मति नहीं बनी है, Dialogue: 0,0:04:13.00,0:04:14.00,Default,,0000,0000,0000,,थोड़ी सी भी नहीं | Dialogue: 0,0:04:14.00,0:04:18.00,Default,,0000,0000,0000,,हमें यही ज्ञात है कि, इसका उत्तर शून्य और अनंत के मध्य कहीं है | Dialogue: 0,0:04:18.77,0:04:21.00,Default,,0000,0000,0000,,खैर, मेरे ख्याल से हमे एक और चीज़ ज्ञात है : Dialogue: 0,0:04:21.00,0:04:24.00,Default,,0000,0000,0000,,यह एक बहुत अच्छा समय है भौतिकी पढ़ने का | Dialogue: 0,0:04:25.20,0:04:27.00,Default,,0000,0000,0000,,हम शायद सबसे बड़े परिप्रेक्ष्य परिवर्तन का Dialogue: 0,0:04:27.00,0:04:31.00,Default,,0000,0000,0000,,अनुभव करेंगे जैसा शायद ही मानव जाति ने देखा हो |