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नृत्य से कर्करोग पर विजय

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    (संगीत व नृत्य)
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    [संस्कृत]
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    यह माता देवी की स्तुति है|
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    इसे बचपन में ही बच्चे सिखते है|
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    मैंने इसे चार साल की आयु में सिखी.
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    माँ की गोद मे बैठकर|
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    उसने मुझे नृत्य से परिचित किया|
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    इसके बाद शुरू हुआ
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    मेरे शास्त्रीय संगीत का प्रवास
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    अब चार दशक बीत चुके हैं|
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    नृत्य की बेहतरीन शिक्षा मैने हासील की|
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    पुरे विश्व में मेरे नृत्य प्रदर्शन हुये|
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    बच्चो से वयोस्को तक समान रुप से सिखाये|
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    क्लासिकल नृत्य प्रसार मे मेरा योगदान है|
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    नृत्य निर्देशन किया|कलाकौशल्य, उपलब्धी
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    और पुरस्कारों का एक वस्त्र बुना|
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    २००७ मैं अपने शिखर पर थी|
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    राष्ट्र का चौथा सर्वोत्तम पुरस्कार
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    याने पद्मश्री मुझे मिला|
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    मेरे कला क्षेत्र के योगदान स्वरूप|
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    (तालियाँ)
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    लेकीन यह सुनने के लिये
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    मै बिलकुल तैयार नही थी|
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    २००८ में पहले ही दिन,
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    मैंने सुना वह शब्द "कार्सिनोमा"
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    जी हाँ स्तन कर्करोग|
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    हताश होकर मैं डॉक्टर के
    कार्यालय में बैठी थी|
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    मैंने सुना:
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    "कैंसर " ",स्टेज ", "ग्रेड"
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    तब तक मैं कैंसर एक
    राशी का नाम मानती थी|
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    जोकि मेरा एक दोस्त थी उस राशी की|
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    मेरे लिए स्टेज शब्द का मतलब नृत्यमंच था|
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    ग्रेड का मतलब था
    शालेय विषयो मे प्रावीण्यता|
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    उस दिन मैंने जाना,
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    मेरे पास एक अनचाहा आगंतुक है
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    मेरा नया जोड़ीदार,
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    मैं नर्तिका होने के नाते|
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    नवरस जानती थी|
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    राग. शौर्य,
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    घृणा, हास्य
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    भय
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    मैं सोचती थी कि मैं जानती हूँ डर क्या है|
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    लेकिन डर का अहसास उस दिन मुझे हुआ|
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    मैं उसके उग्र रूप से भयभीत हु|
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    मैं सारा नियंत्रण खो बैठी|
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    मैं बहुत रोई उस दिन|
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    जयंत मेरे पति से पूछा,
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    "क्या यह मेरे जिन्दगी का आखरी पड़ाव है| "
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    क्या यह मेरे नृत्य का अंत है? "
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    धीरज और विश्वास से उसने कहा
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    "नही यह केवल एक कालखंड है| "
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    उपचार के दौरान एक अंतराल,
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    "आप जो भी कर रहे हैं
    वह करने के लिए आप वापस आ जाएंगे"
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    मुझे तब एहसास हुआ,
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    सोचती थी मेरा जीवन पर पूर्ण नियंत्रण है|
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    केवल तीन चीजों का
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    मेरा विचार, मेरा दिमाग -
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    वे छवियां जो इन विचारों को बनाई गईं -
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    और उस से प्राप्त की गई कार्रवाई.
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    तो यहां मैं मजे से थी|
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    भावनाओं के भंवर में
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    निराशा विमनस्क अवस्था में
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    परिस्थिति से जकड़ी|
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    मैं रास्ता खोजती थी, स्वास्थ, समाधान का,
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    यहाँ से मुझे निकलना था|
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    जाना था जहाँ मैं जाना चाहती थी|
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    खोज रही थी ....... ऐसा कुछ मिले|
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    जो मुझे इस दुरावस्था से बाहर निकाल सके.
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    मैने आसू पोछे. रोना बंद किया|
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    मैने दुनिया को बताया.....
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    " कर्करोग मेरे जीवन की किताब का
    केवल एक पन्ना है|
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    जिसका प्रभाव मैं
    बाकी जीवन में नही पड़ने दुंगी"
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    मैने दुनिया को अवगत किया,
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    मै लड़ती रहूंगी विजय प्राप्तीतक
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    कर्करोग को नही हावी होने दूंगी|
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    मुझे यहाँ से जाकर
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    इस आज की अवस्था पर आना था.
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    मुझे इसके मार्ग की तलाश थी|
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    चाहती थी धीरज देनेवाला एक आश्वासक मिले,
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    एक आधार,
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    एक कार्य प्रणाली जो मूझे मदद करे
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    जिसके द्वारा मै विजय हासील कर सकू|
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    मुझे साक्षात्कार हुआ,
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    यह शक्ति है मेरे नृत्य मे है
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    मेरा नृत्य जो
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    जीने का श्वास है|
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    यह आसान नही था|
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    बिलकुल भी नही. आप भरोसा करें|
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    कैसे आप खुशाल रहे|
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    जब आप अपने सुंदर केश खो दे|
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    वो भी केवल तीन दिन में,
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    क्या आप नही निराश होंगे ?
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    जब केमोथेरपी आपके शरीर को ध्वस्त कर दे.
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    आप असमर्थ रहे एक कदम भी
    सीढ़ी पर न चढ सके|
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    मैं जो लगातार तीन घंटे नृत्य करती थी|
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    कैसे नही
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    मैं अवसाद, दुर्दशा की शिकार बनती ?
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    क्या मैं रोती रहू आसू बहाती रहू?
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    भय. रोना उचित नही मैं खुद को समझाती रही|
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    यह रास्ता मेरे लिये नही है|
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    मैं नृत्यशाला में खिचती गयी|
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    शरीर, मन आत्मा से,
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    मै सिखने लगी फिरसे
    चार साल की आयु में
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    जहाँ से मैने शुरुवात की थी|
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    मैने अभ्यास किया, तालीम की, पुर्नरचना की|
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    यह तकलीफ देने वाला
    दर्द देने वाला अहसास था|
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    बहुत ही प्रयासभरा ,दुष्कर
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    मैने अवधान केंद्रित किया|
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    नृत्य मुद्रा पर, नृत्य प्रतिमा पर.
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    काव्य, रूपक पर.
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    नृत्य के तत्वज्ञान पर.
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    मैं बाहर निकलने लगी,
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    धीरे धीरे उस दुरावास्था से मैं बाहर आयी|
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    लेकीन मुझे फिर भी तलाश थी.
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    अगले पडाव की, मैं रास्ता खोज रही थी
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    जो मिला मुझे एक रुपकसे|
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    जो मेरी मा ने मुझे सिखाया था|
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    रूपक था महिषासुर मर्दिनी,
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    दुर्गामाता
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    दुर्गा, देवो की जननी, एक निर्भयदेवी,
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    एक हिंदू देवता,
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    दुर्गा, तेजस्वी, सुंदर,
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    अठरा हातोवाली मा.
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    युद्ध सज्ज,
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    शेरपर विराजमान,
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    युद्धभूमीपर महिषासुर, का
    वध करने के लिये सज्ज
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    दुर्गा, संक्षिप्त रूप है|
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    सर्जनशील स्त्रीउर्जेचे,
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    स्त्री शक्तिका आविष्कार
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    दुर्गा, एक निर्भयता का प्रतिक है|
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    जिसका रूप मै साकारती थी नृत्य मे
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    उसके गुणविशेष.खुबिया
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    जिसका मैने स्वीकार किया था खुदमे
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    उसकी प्रतिमाने मुझमे शक्ती प्रदान की|
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    मेरी लगन नृत्यपर
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    तीक्ष्ण प्रकाश किरणों जैसे
    केंद्रित हो गयी.
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    उसका असार इतना था की
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    एक हि सप्ताह मे मै नृत्य करने लगी|
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    केमो थेरेपी. रेडीएशन के
    दरम्यान भी मै नृत्य करती रही|
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    मेरे चिकित्सक नाराज रहते थे|
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    केमी के दो उपचार का समय
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    और मेरे नृत्य का समय का समायोजन करने
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    मै उनके पीछे पड जाती|
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    क्या किया मैने
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    मै कर्करोग के भय से मुक्त होती गयी|
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    भयमुक्त होकर नृत्य में मैने सूर पाया|
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    सचमुच. कर्करोग एक पन्ना था
    मेरे जीवन किताब का|
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    यह मेरी कथा मेरी विजयगाथा है|
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    दुरावस्थासे बाहर आनेकी
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    कथा है ,मात देने की बाधाओं, चुनौती पर
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    आप भी ऐसे दौर से गुजरे होंगे|
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    मेरी कथा है विचारोकी ताकद की|
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    मेरी कथा है शक्ती की चुनाव करने की|
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    अवधान की|
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    आप मी भी यह शक्ती है
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    यह शक्ती आपको आपके लक्ष्य प्रती जगती है|
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    इतनी प्रभाशाली है यह शक्ती की|
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    कर्करोग भी हर जाता हे|
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    यह कथा है रूपक शक्ती की,
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    प्रतिमाशक्ती की,
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    दुर्गाकी.
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    एक निर्भय दुर्गा,
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    जिसे कहा जाता है सिंहनंदिनी
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    सिंह विराजमान.
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    ऐसेही मै विराजमान थी|
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    मेरे अंतर्मन पर,
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    अंदरकी प्रतिकारशक्ती शक्तीपर,
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    जो बन गया है एक शस्त्र एक उपचार|
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    जो अभी भी चल रहा है|
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    इस संघर्ष काल में,
    मेरी शरीर की कोशियोको
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    सबक मिला अनुशासीत हुई|
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    मेरी इच्छा है मेरी पहचान
    कर्करोग से मुक्त व्यक्ती न होकर
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    कर्करोग को पराजित करने वाली योद्धा हो|
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    मै आपको एक नृत्य आविष्कार दिखाती हु.
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    "सिंहनंदिनी."
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    (तालियाँ)
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    (संगीत)
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    (तालियाँ)
Title:
नृत्य से कर्करोग पर विजय
Speaker:
आनंदा शंकर जयंत
Description:

मशहूर नृत्यांगना पद्मश्री आनंदा शंकर जयंत सन २००८ मे कर्करोग का शिकार बनी|. अपनी नृत्यकला से कैसे उन्होने कर्करोग पर विजय पाया|. इसकी प्रेरणादायी कहानी वह बताती है|.

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
15:46
Arvind Patil approved Hindi subtitles for Fighting cancer with dance
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