नृत्य से कर्करोग पर विजय
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0:01 - 0:11(संगीत व नृत्य)
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0:43 - 0:46[संस्कृत]
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0:50 - 0:52यह माता देवी की स्तुति है|
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0:52 - 0:55इसे बचपन में ही बच्चे सिखते है|
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0:58 - 1:00मैंने इसे चार साल की आयु में सिखी.
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1:00 - 1:03माँ की गोद मे बैठकर|
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1:05 - 1:08उसने मुझे नृत्य से परिचित किया|
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1:08 - 1:10इसके बाद शुरू हुआ
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1:10 - 1:13मेरे शास्त्रीय संगीत का प्रवास
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1:13 - 1:16अब चार दशक बीत चुके हैं|
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1:17 - 1:19नृत्य की बेहतरीन शिक्षा मैने हासील की|
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1:19 - 1:21पुरे विश्व में मेरे नृत्य प्रदर्शन हुये|
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1:21 - 1:24बच्चो से वयोस्को तक समान रुप से सिखाये|
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1:24 - 1:26क्लासिकल नृत्य प्रसार मे मेरा योगदान है|
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1:26 - 1:28नृत्य निर्देशन किया|कलाकौशल्य, उपलब्धी
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1:28 - 1:30और पुरस्कारों का एक वस्त्र बुना|
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1:30 - 1:33२००७ मैं अपने शिखर पर थी|
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1:34 - 1:37राष्ट्र का चौथा सर्वोत्तम पुरस्कार
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1:37 - 1:39याने पद्मश्री मुझे मिला|
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1:39 - 1:41मेरे कला क्षेत्र के योगदान स्वरूप|
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1:41 - 1:43(तालियाँ)
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1:43 - 1:46लेकीन यह सुनने के लिये
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1:47 - 1:50मै बिलकुल तैयार नही थी|
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1:50 - 1:53२००८ में पहले ही दिन,
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1:53 - 1:56मैंने सुना वह शब्द "कार्सिनोमा"
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1:56 - 1:59जी हाँ स्तन कर्करोग|
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1:59 - 2:02हताश होकर मैं डॉक्टर के
कार्यालय में बैठी थी| -
2:02 - 2:05मैंने सुना:
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2:07 - 2:09"कैंसर " ",स्टेज ", "ग्रेड"
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2:09 - 2:12तब तक मैं कैंसर एक
राशी का नाम मानती थी| -
2:12 - 2:14जोकि मेरा एक दोस्त थी उस राशी की|
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2:14 - 2:16मेरे लिए स्टेज शब्द का मतलब नृत्यमंच था|
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2:16 - 2:19ग्रेड का मतलब था
शालेय विषयो मे प्रावीण्यता| -
2:19 - 2:22उस दिन मैंने जाना,
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2:24 - 2:26मेरे पास एक अनचाहा आगंतुक है
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2:26 - 2:29मेरा नया जोड़ीदार,
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2:29 - 2:32मैं नर्तिका होने के नाते|
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2:32 - 2:34नवरस जानती थी|
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2:34 - 2:37राग. शौर्य,
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2:37 - 2:39घृणा, हास्य
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2:39 - 2:41भय
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2:41 - 2:43मैं सोचती थी कि मैं जानती हूँ डर क्या है|
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2:43 - 2:45लेकिन डर का अहसास उस दिन मुझे हुआ|
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2:45 - 2:48मैं उसके उग्र रूप से भयभीत हु|
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2:49 - 2:52मैं सारा नियंत्रण खो बैठी|
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2:52 - 2:54मैं बहुत रोई उस दिन|
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2:54 - 2:56जयंत मेरे पति से पूछा,
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2:56 - 2:59"क्या यह मेरे जिन्दगी का आखरी पड़ाव है| "
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2:59 - 3:02क्या यह मेरे नृत्य का अंत है? "
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3:02 - 3:05धीरज और विश्वास से उसने कहा
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3:05 - 3:08"नही यह केवल एक कालखंड है| "
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3:08 - 3:11उपचार के दौरान एक अंतराल,
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3:11 - 3:13"आप जो भी कर रहे हैं
वह करने के लिए आप वापस आ जाएंगे" -
3:13 - 3:16मुझे तब एहसास हुआ,
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3:17 - 3:19सोचती थी मेरा जीवन पर पूर्ण नियंत्रण है|
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3:19 - 3:22केवल तीन चीजों का
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3:22 - 3:25मेरा विचार, मेरा दिमाग -
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3:25 - 3:28वे छवियां जो इन विचारों को बनाई गईं -
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3:28 - 3:30और उस से प्राप्त की गई कार्रवाई.
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3:30 - 3:33तो यहां मैं मजे से थी|
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3:33 - 3:35भावनाओं के भंवर में
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3:35 - 3:37निराशा विमनस्क अवस्था में
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3:37 - 3:39परिस्थिति से जकड़ी|
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3:39 - 3:42मैं रास्ता खोजती थी, स्वास्थ, समाधान का,
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3:42 - 3:45यहाँ से मुझे निकलना था|
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3:46 - 3:48जाना था जहाँ मैं जाना चाहती थी|
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3:48 - 3:50खोज रही थी ....... ऐसा कुछ मिले|
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3:50 - 3:53जो मुझे इस दुरावस्था से बाहर निकाल सके.
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3:53 - 3:56मैने आसू पोछे. रोना बंद किया|
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3:56 - 3:58मैने दुनिया को बताया.....
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3:58 - 4:01" कर्करोग मेरे जीवन की किताब का
केवल एक पन्ना है| -
4:01 - 4:04जिसका प्रभाव मैं
बाकी जीवन में नही पड़ने दुंगी" -
4:04 - 4:07मैने दुनिया को अवगत किया,
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4:08 - 4:10मै लड़ती रहूंगी विजय प्राप्तीतक
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4:10 - 4:12कर्करोग को नही हावी होने दूंगी|
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4:12 - 4:14मुझे यहाँ से जाकर
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4:14 - 4:16इस आज की अवस्था पर आना था.
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4:16 - 4:18मुझे इसके मार्ग की तलाश थी|
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4:18 - 4:20चाहती थी धीरज देनेवाला एक आश्वासक मिले,
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4:20 - 4:22एक आधार,
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4:22 - 4:24एक कार्य प्रणाली जो मूझे मदद करे
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4:24 - 4:26जिसके द्वारा मै विजय हासील कर सकू|
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4:26 - 4:29मुझे साक्षात्कार हुआ,
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4:29 - 4:32यह शक्ति है मेरे नृत्य मे है
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4:33 - 4:35मेरा नृत्य जो
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4:35 - 4:37जीने का श्वास है|
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4:38 - 4:40यह आसान नही था|
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4:40 - 4:43बिलकुल भी नही. आप भरोसा करें|
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4:43 - 4:45कैसे आप खुशाल रहे|
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4:45 - 4:47जब आप अपने सुंदर केश खो दे|
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4:47 - 4:50वो भी केवल तीन दिन में,
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4:50 - 4:53क्या आप नही निराश होंगे ?
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4:53 - 4:56जब केमोथेरपी आपके शरीर को ध्वस्त कर दे.
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4:56 - 4:59आप असमर्थ रहे एक कदम भी
सीढ़ी पर न चढ सके| -
4:59 - 5:02मैं जो लगातार तीन घंटे नृत्य करती थी|
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5:04 - 5:06कैसे नही
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5:06 - 5:09मैं अवसाद, दुर्दशा की शिकार बनती ?
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5:09 - 5:12क्या मैं रोती रहू आसू बहाती रहू?
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5:12 - 5:14भय. रोना उचित नही मैं खुद को समझाती रही|
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5:14 - 5:17यह रास्ता मेरे लिये नही है|
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5:17 - 5:20मैं नृत्यशाला में खिचती गयी|
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5:20 - 5:23शरीर, मन आत्मा से,
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5:23 - 5:25मै सिखने लगी फिरसे
चार साल की आयु में -
5:25 - 5:27जहाँ से मैने शुरुवात की थी|
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5:27 - 5:30मैने अभ्यास किया, तालीम की, पुर्नरचना की|
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5:30 - 5:33यह तकलीफ देने वाला
दर्द देने वाला अहसास था| -
5:33 - 5:35बहुत ही प्रयासभरा ,दुष्कर
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5:36 - 5:39मैने अवधान केंद्रित किया|
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5:39 - 5:41नृत्य मुद्रा पर, नृत्य प्रतिमा पर.
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5:41 - 5:43काव्य, रूपक पर.
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5:43 - 5:45नृत्य के तत्वज्ञान पर.
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5:45 - 5:47मैं बाहर निकलने लगी,
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5:47 - 5:50धीरे धीरे उस दुरावास्था से मैं बाहर आयी|
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5:51 - 5:53लेकीन मुझे फिर भी तलाश थी.
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5:53 - 5:56अगले पडाव की, मैं रास्ता खोज रही थी
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5:56 - 5:58जो मिला मुझे एक रुपकसे|
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5:58 - 6:01जो मेरी मा ने मुझे सिखाया था|
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6:01 - 6:04रूपक था महिषासुर मर्दिनी,
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6:04 - 6:06दुर्गामाता
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6:06 - 6:09दुर्गा, देवो की जननी, एक निर्भयदेवी,
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6:09 - 6:12एक हिंदू देवता,
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6:12 - 6:15दुर्गा, तेजस्वी, सुंदर,
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6:16 - 6:18अठरा हातोवाली मा.
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6:18 - 6:20युद्ध सज्ज,
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6:20 - 6:23शेरपर विराजमान,
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6:23 - 6:26युद्धभूमीपर महिषासुर, का
वध करने के लिये सज्ज -
6:27 - 6:29दुर्गा, संक्षिप्त रूप है|
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6:29 - 6:31सर्जनशील स्त्रीउर्जेचे,
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6:31 - 6:33स्त्री शक्तिका आविष्कार
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6:33 - 6:35दुर्गा, एक निर्भयता का प्रतिक है|
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6:35 - 6:37जिसका रूप मै साकारती थी नृत्य मे
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6:37 - 6:39उसके गुणविशेष.खुबिया
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6:39 - 6:41जिसका मैने स्वीकार किया था खुदमे
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6:41 - 6:44उसकी प्रतिमाने मुझमे शक्ती प्रदान की|
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6:44 - 6:47मेरी लगन नृत्यपर
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6:47 - 6:50तीक्ष्ण प्रकाश किरणों जैसे
केंद्रित हो गयी. -
6:50 - 6:52उसका असार इतना था की
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6:52 - 6:55एक हि सप्ताह मे मै नृत्य करने लगी|
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6:55 - 6:58केमो थेरेपी. रेडीएशन के
दरम्यान भी मै नृत्य करती रही| -
6:58 - 7:01मेरे चिकित्सक नाराज रहते थे|
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7:01 - 7:03केमी के दो उपचार का समय
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7:03 - 7:05और मेरे नृत्य का समय का समायोजन करने
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7:05 - 7:08मै उनके पीछे पड जाती|
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7:10 - 7:12क्या किया मैने
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7:12 - 7:14मै कर्करोग के भय से मुक्त होती गयी|
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7:14 - 7:17भयमुक्त होकर नृत्य में मैने सूर पाया|
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7:18 - 7:21सचमुच. कर्करोग एक पन्ना था
मेरे जीवन किताब का| -
7:23 - 7:25यह मेरी कथा मेरी विजयगाथा है|
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7:25 - 7:27दुरावस्थासे बाहर आनेकी
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7:27 - 7:29कथा है ,मात देने की बाधाओं, चुनौती पर
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7:29 - 7:31आप भी ऐसे दौर से गुजरे होंगे|
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7:31 - 7:34मेरी कथा है विचारोकी ताकद की|
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7:34 - 7:37मेरी कथा है शक्ती की चुनाव करने की|
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7:37 - 7:39अवधान की|
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7:39 - 7:42आप मी भी यह शक्ती है
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7:42 - 7:45यह शक्ती आपको आपके लक्ष्य प्रती जगती है|
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7:45 - 7:47इतनी प्रभाशाली है यह शक्ती की|
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7:47 - 7:50कर्करोग भी हर जाता हे|
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7:50 - 7:52यह कथा है रूपक शक्ती की,
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7:52 - 7:54प्रतिमाशक्ती की,
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7:54 - 7:56दुर्गाकी.
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7:56 - 7:59एक निर्भय दुर्गा,
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7:59 - 8:01जिसे कहा जाता है सिंहनंदिनी
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8:01 - 8:03सिंह विराजमान.
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8:05 - 8:07ऐसेही मै विराजमान थी|
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8:07 - 8:09मेरे अंतर्मन पर,
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8:09 - 8:11अंदरकी प्रतिकारशक्ती शक्तीपर,
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8:11 - 8:14जो बन गया है एक शस्त्र एक उपचार|
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8:14 - 8:16जो अभी भी चल रहा है|
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8:16 - 8:18इस संघर्ष काल में,
मेरी शरीर की कोशियोको -
8:18 - 8:21सबक मिला अनुशासीत हुई|
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8:23 - 8:26मेरी इच्छा है मेरी पहचान
कर्करोग से मुक्त व्यक्ती न होकर -
8:26 - 8:28कर्करोग को पराजित करने वाली योद्धा हो|
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8:28 - 8:30मै आपको एक नृत्य आविष्कार दिखाती हु.
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8:30 - 8:33"सिंहनंदिनी."
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8:33 - 8:36(तालियाँ)
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8:36 - 8:45(संगीत)
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15:09 - 15:44(तालियाँ)
- Title:
- नृत्य से कर्करोग पर विजय
- Speaker:
- आनंदा शंकर जयंत
- Description:
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मशहूर नृत्यांगना पद्मश्री आनंदा शंकर जयंत सन २००८ मे कर्करोग का शिकार बनी|. अपनी नृत्यकला से कैसे उन्होने कर्करोग पर विजय पाया|. इसकी प्रेरणादायी कहानी वह बताती है|.
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 15:46
Arvind Patil approved Hindi subtitles for Fighting cancer with dance | ||
Arvind Patil accepted Hindi subtitles for Fighting cancer with dance | ||
Arvind Patil edited Hindi subtitles for Fighting cancer with dance | ||
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Abhinav Garule rejected Hindi subtitles for Fighting cancer with dance | ||
Abhinav Garule edited Hindi subtitles for Fighting cancer with dance | ||
Arvind Patil accepted Hindi subtitles for Fighting cancer with dance | ||
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