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वह सॉफ्टवेयर जिसने मनुष्य को चँद्रमा तक पहुँचाया - मैट पोर्टर तथा मार्गरेट हैमिलटन

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    20 जुलाई 1969 को लगभग श्याम के 4 बजे
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    मानवजाति चँद्रमा पर कदम रखने से
    कुछ ही क्षण दूर थी।
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    पर अन्तरिक्ष यात्रियों के
    आखरी अवतरण शुरू करने पहले ही
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    एक आपातकालीन चेतावनी की बत्ती जल उठी।
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    कुछ ऐसा था जो कम्प्यूटर पर
    अधिभार कर रहा था
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    और भूमि पर अवतरण को
    बीच में ही रोक देने वाला था।
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    वहाँ धरती पर
    मार्गरेट हैमिलटन की साँस अटकी थी।
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    उन्होंने उड़ान के लिए पहला सॉफ्टवेयर
    बनाने वाले दल का नेतृत्व किया था,
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    इसलिए वह जानती थीं
    कि यहाँ कोई चूक नहीं हो सकती।
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    परन्तु इस आखिर से दूसरी
    आपातकाल स्थिति की प्रकृति
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    जल्द ही यह सिद्ध कर देने वाली थी
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    कि उनका सॉफ्टवेयर
    बिलकुल योजना अनुसार काम कर रहा था।
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    33 वर्ष पहले पेओली, इंडियाना में जन्मी
    हैमिलटन हमेशा से ही जिज्ञासु थीं।
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    मैसैच्यूसैट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़
    टेक्नोलॉजी में
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    अनुसंधान क्षेत्र में
    कार्य आरम्भ करने से पहले
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    स्नातक विद्यालय के शुल्क का भार
    उठाने के लिए उन्होंने महाविद्यालय में
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    गणित और दर्शनशास्र की पढ़ाई की।
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    यहाँ अराजकता सिद्धांत के
    नए क्षेत्र में अनुसन्धान में सहायक
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    एक सॉफ्टवेयर को बनाते हुए
    उनका परिचय उनके पहले कम्प्यूटर से हुआ।
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    उसके बाद MIT की लिंकन प्रयोगशाला में
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    हैमिलटन ने अमेरिका की पहली
    वायु रक्षा प्रणाली के लिए
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    दुश्मन के विमान को
    ढूँढने का सॉफ्टवेयर बनाया।
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    परन्तु जब उन्हें पता चला
    कि जाने माने इंजीनियर चार्ल्स ड्रेपर
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    मनुष्य को चाँद तक पहुँचाने के लिए
    मदद की खोज में थे
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    तब वह तुरन्त उनके दल में शामिल हो गयीं।
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    NASA ने ड्रेपर और उनके
    400 से भी ज़्यादा इंजीनियरों के दल को
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    पहले सघन डिजिटल उड़ान कम्प्यूटर,
    अपोलो गाइडेंस कम्प्यूटर (AGC),
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    के आविष्कार का काम सौंपा।
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    अन्तरिक्ष यात्रियों से जानकारी ले कर
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    यह यंत्र अन्तरिक्ष यान का मार्गदर्शन
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    और नियन्त्रण करने के लिए
    जिम्मेदार होना था।
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    एक ऐसे समय में जब अविश्वसनीय कम्प्यूटर
    पूरे कमरे जितने बड़े होते थे
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    AGC को बिना कोई गलती किए
    संचालित होना था
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    और एक घन-फुट तक की जगह में आ जाना था।
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    ड्रेपर ने प्रयोगशाला को
    दो दलों में विभाजित किया,
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    एक हार्डवेयर बनाने के लिए
    और एक सॉफ्टवेयर बनाने के लिए।
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    हैमिलटन ने उस दल का नेतृत्व किया
    जिसने आदेश और चँन्द्र सम्बन्धी मापांक
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    दोनों का उड़ान सॉफ्टवेयर बनाया।
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    यह कार्य, जिसको उन्होंने
    सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का नाम दिया,
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    बहुत ही ज़्यादा बड़ा दाँव था।
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    इन्सानी ज़िन्दगियाँ दाँव पर थीं,
    इसलिए हर प्रोग्राम को बिलकुल सटीक होना था।
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    मार्गारेट का सॉफ्टवेयर
    जल्दी से अप्रत्याशित त्रुटियों को भॉंपने
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    और उन्हें तुरन्त ठीक करने में
    सक्षम होना चाहिए था।
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    परन्तु इस तरह का
    अनुकूलनीय प्रोग्राम बनाना मुश्किल था,
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    क्योंकि शुरुआती सॉफ्टवेयर केवल पहले से
    निर्धारित क्रम में ही काम पूरे कर सकता था।
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    इस समस्या को सुलझाने के लिए,
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    मार्गरेट ने अपने प्रोग्राम को
    "अतुल्यकालिक" बनाया,
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    अर्थात्, सॉफ्टवेयर के ज़्यादा ज़रूरी कार्य
    कम ज़रूरी कार्यों को बाधित कर सकते थे।
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    उनका दल हर कार्य की
    एक अद्वितीय प्राथमिकता निर्धारित करता था
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    जिससे हर कार्य सही क्रम में
    और सही समय पर घटित हो
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    अप्रत्याशित घटनाओं के बावजूद।
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    इस आविष्कार के बाद
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    मार्गरेट को एहसास हुआ कि उनका सॉफ्टवेयर
    अन्तरिक्ष यात्रियों को
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    अतुल्यकालिक वातावरण में
    काम करने में भी सहायक हो सकता था।
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    उन्होंने प्राथमिकता प्रदर्शनों की रचना की
    जो अन्तरिक्ष यात्री को आपात स्थितियों की
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    चेतावनी देने हेतु
    नियमित निर्धारित कार्य बाधित कर सकते थे।
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    उसके बाद अन्तरिक्ष यात्री
    योजना नियंत्रण केंद्र से संवाद कर
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    सबसे बेहतर उपाय निर्धारित कर सकता था।
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    इससे पहली बार उड़ान का सॉफ्टवेयर
    एक पायलट से
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    सीधे तथा अतुल्यकालिक रूप में
    संवाद कर सकता था।
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    यही वह असफलता से बचाने वाले प्रोग्राम थे
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    जिन्होंने चँद्रमा पर उतरने से ठीक पहले
    चेतावनियों की बत्तियाँ जला दीं।
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    बज़ ऑल्ड्रिन को जल्द ही
    अपनी गलती का एहसास हुआ -
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    उन्होंने अनजाने में
    मिलन राडार स्विच दबा दिया था।
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    यह राडार उनकी घर वापसी की यात्रा में
    आवश्यक होना था,
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    परन्तु यहाँ वह उनके महत्वपूर्ण
    कम्प्यूटेशनल संसाधनों का प्रयोग कर रहा था।
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    भाग्यवश, अपोलो गाइडेंस कम्प्यूटर
    इसे सँभालने के लिए पूर्णतः लैस था।
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    इस अधिभार के दौरान, सॉफ्टवेयर के
    पुनर्प्रारंभ करने वाले प्रोग्रामों ने
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    केवल सर्वोच्च प्राथमिकता वाले
    कार्यों को ही पूरा होने दिया--
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    जिसमें विमान को उतारने के लिए
    ज़रूरी प्रोग्राम भी शामिल थे।
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    प्राथमिकता प्रदर्शनों ने
    अन्तरिक्ष यात्रियों को
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    उतरने और न उतरने के विकल्प दिए।
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    नियंत्रण केंद्र ने समय के
    कुछ ही क्षण रहते आदेश दे दिया।
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    अपोलो 11 का उतरना, अन्तरिक्ष यात्रियों,
    नियंत्रण केंद्र, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर,
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    सबके एक साथ प्रणालियों की एक
    एकीकृत प्रणाली की तरह कार्य करने जैसा था।
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    हैमिलटन का योगदान उन इंजीनियरों और
    वैज्ञानिकों के कार्य के लिए अनिवार्य था
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    जो राष्ट्रपति जॉन फि. केनेडी के चँद्रमा तक
    पहुँचने के लक्ष्य से प्रेरित थे।
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    और उनका जीवन बचाने वाला यह कार्य
    अपोलो 11 के भी कहीं आगे तक गया--
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    अपोलो के किसी भी
    कर्मी दल सहित जाने वाले मिशन में
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    इस उड़ान सॉफ्टवेयर में
    कभी कोई दोष नहीं पाया गया।
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    अपोलो पर उनके काम के बाद,
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    हैमिलटन ने एक कम्पनी बनाई जो अपनी अद्वितीय
    सार्वत्रिक प्रणाली भाषा का प्रयोग कर
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    प्रणालियों और सॉफ्टवेयर का
    अविष्कार करती है।
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    2003 में NASA ने उनकी उपलब्धियों को
    किसी भी व्यक्ति को दिए गए
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    सबसे बड़े वित्तीय पुरस्कार से नवाज़ा।
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    और उनके सॉफ्टवेयर के
    अन्तरिक्ष यात्रियों को
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    पहली बार चँन्द्रमा पर मार्गदर्शन करने के
    47 वर्षों बाद
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    हैमिलटन को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में
    हमारी सोच में बदलाव लाने के लिए
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    राष्ट्रपति पद के स्वतन्त्रता पदक से
    पुरुस्कृत किया गया।
Title:
वह सॉफ्टवेयर जिसने मनुष्य को चँद्रमा तक पहुँचाया - मैट पोर्टर तथा मार्गरेट हैमिलटन
Speaker:
मैट पोर्टर तथा मार्गरेट हैमिलटन
Description:

पूरा पाठ पढ़ें: https://ed.ted.com/lessons/the-software-that-sent-humans-to-the-moon-matt-porter-and-margaret-hamilton

अपोलो 11 का उतरना, अन्तरिक्ष यात्रियों, नियंत्रण केंद्र, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, सबके एक साथ एक सहज एकीकृत प्रणाली की तरह कार्य करने जैसा था। और यह कुछ भी एक इंजीनियर के योगदान के बिना हासिल न हो पाता: मार्गरेट हैमिलटन। यह प्रथम अन्वेषक कौन थीं? मैट पोर्टर तथा मार्गरेट हैमिलटन विस्तृत करते हैं कि कैसे एक नारी व उनके दल ने उस सॉफ्टवेयर की रचना की जिसने मनुष्य को चँद्रमा तक पहुँचाया।

पाठ मैट पोर्टर तथा मार्गरेट हैमिलटन द्वारा, TOTEM स्टूडियो द्वारा निर्देशित।

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TED-Ed
Duration:
04:49

Hindi subtitles

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