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अपने जिज्ञासा को वैज्ञानिक तरीके से चिंगारी कैसे दे

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    एक दोस्त ने मुझे कुछ हफ्ते पहले
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    एक बुरी खबर देने के लिए कॉल किया।
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    उसने अपना मोबाइल फ़ोन टॉयलेट में गिरा दिया।
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    कोई है यह पर जो ऐसा पहले कर चुका है?
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    ( ठहाके )
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    यह एक बुरी स्थिति थी।
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    चलिए इस स्थिति की गहरायी में जाये बिना ,
    कि ये कैसे हुआ
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    या फिर उसने फ़ोन बहार कैसे निकला,
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    मान लेते है की ये एक बुरी स्थिति थी।
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    और वो घबरा गई ,
    क्यूकी हम सबकी तरह,
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    उसका फ़ोन उसकी ज़िन्दगी का सबसे महत्वपूर्ण
    और इस्तेमाल किया जाने वाला सामान था।
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    और वही दूसरी तरफ,
    उसे फ़ोन ठीक करने का कोई अंदाजा नहीं था,
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    फ़ोन बहुत ही रहस्मय पिटारा है।
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    तो आप सोचिये आप क्या करते?
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    आप का फ़ोन कैसे काम करता है,
    आप इस बारे में कितना जानते है?
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    आप क्या टेस्ट या फिक्स
    करने कि इच्छा रखते है?
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    अधिकांश लोगो का जवाब होगा, कुछ नहीं।
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    असल में, एक सर्वे के मुताबिक
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    इस देश के लगभग 80 प्रतिशत
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    स्मार्टफोन यूजर ने बैटरी भी
    कभी खुद से नहीं बदली,
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    और 25 प्रतिशत तो ये भी नहीं जानते
    कि ऐसा किया भी जा सकता है।
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    तो अब मै एक वैज्ञानिक हूँ,
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    तो इसलिए ये खिलौने।
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    लघु तम आकार के इलेक्ट्रोनिक उपकरण
    बनाने में मुझे माहिरात हासिल है
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    जिससे मै उनकी मौलिक क्वांटम मैकेनिकल
    गुण को समझने कि कोशिश करती हूँ।
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    पर मै भी अपने फ़ोन को फिक्स करने कि
    शुरुवात कैसे करनी है ये नहीं बता पाउगी
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    अगर मेरा फ़ोन टूट जाता है।
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    फ़ोन तो बस एक उदारहण है उन सभी उपकरणों
    में से जिनका हम इस्तेमाल करते है
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    पर ना हम उसे टेस्ट कर पाते है, ना भाग ले
    पाते है और ना पूरी तरह समझ पाते है।
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    कार, इलेक्ट्रॉनिक्स, यहाँ तक खिलौने भी
    आजकल बहुत कॉम्प्लिकेटेड और एडवांस है
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    कि हमें उन्हें खोलने और ठीक
    करने में डर लगता है।
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    तो यह रही समस्या:
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    हम और हमारे द्वारा इस्तेमाल की जाने
    वाली तकनीक के बीच सामंजस्य नहीं है।
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    जिन उपकरणों पर हम सबसे ज्यादा निर्भर
    करते है पर उनके बारे मे जानते तक नहीं,
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    यह हमें मजबूर और खाली कर देता है।
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    असल में यह चकित करने वाला नहीं होगा
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    अगर में हम पाए की अब हम तकनीक से ज्यादा
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    और मृत्यु से कम डरते है।
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    ( हंसी )
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    पर मुझे लगता है हम अपने उपकरणों से
    दोबारा जुड़ सकते है,
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    और उनका फिर आदमीकरण कर सकते है,
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    हाथ द्वारा प्रयोग पर ज्यादा ध्यान देकर।
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    क्यूँ? क्युकी प्रयोग एक प्रकिया है
    परिकल्पना की परीक्षा की,
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    तथ्य का प्रदर्शन करने की।
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    यह एक तरीका है अपने अनुभूति को
    इस्तेमाल करने की,
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    हमारे हाथ,
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    इस दुनिया को जोड़ने की,
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    और यह खोजने की यह कैसे काम करता है।
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    और ये वो सम्बन्ध है जो हम भूल रहे है।
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    तो मै आपलोगो को एक
    उदहारण देती हूँ।
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    मैंने हाल ही में एक प्रयोग किया
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    की एक टचस्क्रीन कैसे काम करता है।
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    ये दो धातु की प्लेट्स हैं,
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    और मै किसी एक प्लेट को
    बैटरी के जरिये चार्ज कर सकती हूँ।
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    ठीक है।
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    मै इस वाल्टमीटर से इनके चार्ज
    के अंतर को माप सकती हूँ।
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    अब देखते हैं की ये काम कर रहा है।
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    तो जब मै अपने हाथ इन
    प्लेट्स के पास हिलाती हूँ,
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    आप वोल्टेज में बदलाव देख सकते हैं
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    बिलकुल जैसे टचस्क्रीन मेरे
    हाथ लगाने पर करता है।
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    पर मेरे हाथ में ऐसा क्या है?
    अब मुझे और प्रयोग करने की जरुरत है।
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    तो अब मै कह सकती हूँ,
    आप एक लकड़ी का टुकड़ा लें
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    उससे आप किसी एक प्लेट को छुएं
    और देखिए कुछ खास नहीं हुआ,
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    पर एक धातु ला टुकड़ा लें
    और किसी प्लेट को छुएं,
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    तब वोल्टेज तेज़ी से बढ़ता है।
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    तो अब मै और प्रयोग कर सकती हूँ
    असामनता देखने के लिए
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    लकड़ी और धातु में,
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    और मै पाउगी की लड़की कंडक्टर नहीं है
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    पर धातु है मेरे हाथों की तरह।
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    इस तरह से मैंने अपनी समझ बनाई।
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    जैसे, अब मै टचस्क्रीन दस्ताने
    पहन के नहीं चला सकती,
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    क्यूकी दस्ताने कंडक्टर नहीं है।
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    पर मैंने कुछ और टेक्नोलॉजी
    के पीछे के रहस्यों को सुलझाया
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    और अपनी एजेंसी बनाई,
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    मेरे अपने इनपुट और इंटरेक्शन,
    मेरे उपकरणों के साथ।
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    पर प्रयोग चीज़ो को टुकड़ो-टुकड़ो
    में करने से एक कदम आगे है।
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    यह परिक्षण और हाथ-द्वारा
    की गयी गहन सोच है।
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    इससे फर्क नहीं पड़ता की परिक्षण मैं
    टचस्क्रीन समझने के लिए कर रही हूँ
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    या विभिन्न धातुओं की
    कंडक्टिविटी जानने के लिए,
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    या फिर मै हाथों का इस्तेमाल कर रही हूँ
    ये जानने के लिए की कितनी मोटाई
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    की सामग्री को तोड़ने के लिए।
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    इन सभी में, मैं कंट्रोल और समझ
    प्राप्त कर रही हूँ
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    उन सभी चीज़ो का जिन्हे
    मै इस्तेमाल करती हूँ।
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    और इन सबके पीछे अनुसन्धान है।
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    यहाँ, मै हाथों का इस्तेमाल कर रही हूँ,
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    जो अच्छे जीवन को बढ़ावा देती है।
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    मैं भी प्रायोगिक प्रशिक्षण अपना रही हूँ।
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    यह पाया गया है की यह हमारे समझने और
    याद रखने की छमता को बढ़ता है।
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    और हमारे दिमाग के दूसरे
    हिस्सों को भी जागृत करता है।
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    तो प्रशिक्षण द्वारा मिला प्रायोगिक सोच
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    हमारे समझ को जोड़ता है,
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    और हमारे जीवन शक्ति की भावना को भी,
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    इस भौतिक दुनिया से और इसमें
    इस्लेमाल की जाने वाली चीज़ो से।
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    इंटरनेट पर चीज़े देखना
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    यह परिणाम नहीं दे पाती।
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    अब मेरे लिए प्रयोग पर जोर के पीछे
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    व्यक्तिगत कारण भी है।
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    मैं प्रयोग करते हुए नहीं बड़ी हुई।
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    मुझे नहीं पता था एक वैज्ञानिक क्या करता है।
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    मेरी बहिन के पास विज्ञान का प्रायोगिक सेट था
    जिसे मैं जानना चाहती थी
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    पर उसने मुझे वो कभी छूने नहीं दिया।
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    मैं दिमागी तौर पे दुनिया से
    जुड़ नहीं कर पाती थी
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    और मुझे नहीं पता था क्यों।
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    असल में, जब मैं नौ साल की थी ,
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    मेरे दादी मुझे खुदगर्ज़ कहती थीं,
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    जिसपे मुझे ध्यान देना था।
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    मेरा मतलब है की हमें लगता है की
    इस दुनिया में बस हम मौजूद है।
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    और उस समय मुझे यह बहुत ख़राब लगता था,
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    क्यूकी किसकी दादी उसे ऐसा बोलती है?
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    ( हंसी )
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    पर अब मुझे लगता है वो सच था।
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    और कुछ साल पहले,
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    जब मैं कॉलेज में थी और
    मौलिक भौतिकी पढ़ रही थी,
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    मुझे एक रहस्योघाटन हुआ,
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    की ये दुनिया,
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    कम से कम इस भौतिक दुनिया
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    को जांचा और समझा जा सकता है,
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    और तब मैं एक अलग समझ विकसित करने लगी
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    की ये दुनिया कैसे काम करती है
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    और मेरी इसमें मेरी जगह कहाँ है।
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    और फिर बाद में,
    जब मैं खुद के प्रयोग करने लगी
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    और अनुसन्धान द्वारा समझने लगी,
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    मेरे और इस दुनिया के बीच के
    रिश्ते समझ आने लगे।
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    अब मैं ये जानती हूँ की सभी
    पेशेवर वैज्ञानिक नहीं है,
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    पर मुझे लगता है सबको हाथ द्वारा
    प्रयोग करने चाहिए।
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    और मुझे लगता है हम --
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    मैं आपको एक और उदहारण देती हूँ।
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    मैं हाल में ही कुछ माध्यमिक स्कूल के
    बच्चों के साथ काम कर रही थी,
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    चुंबकत्व के बारे में सीखने में मदद कर रही थी,
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    मैंने उन्हें एक Magna Doodle दिया
    उसे अलग अलग करने के लिए
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    अगर आपको याद है ये चीज़?
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    तो शुरुवात में कोई इसे छूना नहीं चाहता था।
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    उन्हें हमेशा से बतया गया है
    की कैसे चीज़े नहीं तोड़नी है,
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    वो निष्क्रिय उपयोग के आदि बन गए है।
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    पर फिर मैंने उनसे सवाल पूछने शुरू किये।
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    की ये कैसे काम करता है?
    इसका कौन सा भाग चुम्बक है?
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    क्या तुम एक परिकल्पना बनाकर
    उसे टेस्ट कर सकते हो?
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    पर फिर भी वो उसे तोडना नहीं चाहते थे।
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    वो उसे अपने साथ घर ले जाना चाहते थे।
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    जब तक की एक बच्चे ने उसे तोडा
    और उसके अंदर अनोखी चीज़े देखीं।
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    तो ये कुछ ऐसा है जिसे हम
    यहाँ साथ में कर सकते है।
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    इसे अलग अलग करना बहुत आसान है।
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    तो देखिये, इसके अंदर एक चुम्बक है
    और इसे मैं काटके खोल सकती हूँ।
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    इसे फिर से काटिये।
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    ठीक है, जब मैं ऐसा करती हूँ --
    मुझे नहीं पता की आप य देख पा रहे है,
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    पर यह ये एक तरह का -- ये रहा,
    एक गीली सफ़ेद चीज़।
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    अब आप इसे मेरे उँगलियों पर देख सकते है।
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    जब मैं इसपे पेन खींचती हूँ,
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    तो आप देख सकते है इसके
    रेशे इसपे चिपक गए है।
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    तो बच्चों ने ये देखा,
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    और इस वक़्त उन्हें लगा
    ये बहुत मज़ेदार है।
  • 7:43 - 7:45
    वो उत्साहित हो गए।
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    उन सबने इसे खोलना और
    अलग-अलग करना शुरू कर दिया
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    और उन चीज़ो को बोलना शुरू किया
    जो उन्हें मिल रहा था।
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    कैसे ये चुंबकीय रेशे
    इस चुंबकीय पेन से जुड़े थे
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    और ऐसे ये लिखता है।
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    या, कैसे वो गीली सफ़ेद चीज़, चीज़ो को
    तितर-बितर करता था की लिखा जा सके
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    और जब वो सब कमरे से निकल रहे थे,
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    उनमे से दो मेरी तरफ मुड़े और बोले ,
  • 8:04 - 8:05
    " हमें ये बहुत पसंद आया।
  • 8:06 - 8:09
    मैं और ये सप्ताह के अंत में
    घर जा रहे, और प्रयोग करने "।
  • 8:09 - 8:12
    ( हंसी )
  • 8:15 - 8:17
    हाँ मुझे पता है, उनके माता-पिता
    चिंतित होंगे इस बारे में,
  • 8:17 - 8:20
    पर ये एक अच्छी चीज़ है!
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    प्रयोग करना अच्छा है, और असल में
    मैंने इसे बहुत ही संतुष्टिदायक पाया,
  • 8:23 - 8:28
    और मैं उम्मीद करती हूँ उनके के लिए ये
    जीवन समृद्ध करने वाला रहा होगा।
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    क्यूकी एक बुनियादी चुम्बक
  • 8:31 - 8:34
    एक ऐसी चीज़ है जिससे हम
    घर पर प्रयोग कर सकते हैं।
  • 8:34 - 8:38
    वो सरल और कठिन दोनों हैं
    एक ही समय पे।
  • 8:38 - 8:39
    उदहारण के लिए, आप खुद से पूछ सकते हैं ,
  • 8:39 - 8:43
    कैसे एक पदार्थ आकर्षित और
    अनाकर्षित दोनों कर सकता हैं?
  • 8:43 - 8:46
    अगर मैं एक चुम्बक लू, तो क्या इससे मैं
  • 8:46 - 8:49
    दूसरे चुम्बक को घुमा सकती हूँ,
    उदहारणस्वरुप?
  • 8:49 - 8:53
    या, आप एक रूपये के नोट को ले सकते हैं,
  • 8:53 - 8:55
    और इस चुम्बक के सेट को ले सकते हैं,
  • 8:55 - 8:59
    और आप देख सकते हैं रूपये का नोट
    चुम्बक द्वारा ऊपर उठा लिया गया।
  • 8:59 - 9:03
    इसमें चुंबकीय स्याही हैं,
    जो जालसाजी को रोकता हैं।
  • 9:03 - 9:07
    या, यह पर कुछ अनाज के टुकड़े हैं।
    ठीक हैं?
  • 9:07 - 9:10
    और ये भी चुंबकीय हैं।
    सही हैं?
  • 9:10 - 9:12
    इसमें लोहा हैं।
  • 9:12 - 9:13
    ( हंसी )
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    और ये आपके लिए अच्छा हो सकता हैं,सही हैं?
  • 9:16 - 9:18
    ठीक हैं, यहाँ पर कुछ और है।
  • 9:18 - 9:20
    यहाँ पर रखी चीज़ चुंबकीय नहीं हैं।
  • 9:20 - 9:23
    मैं इसे चुम्बक से नहीं उठा सकती।
  • 9:23 - 9:24
    पर अब मैं इसे ठंडा करने जा रही हूँ।
  • 9:24 - 9:27
    वही चीज़ हैं यहाँ पे, ठंडी,
  • 9:27 - 9:28
    और जब मैं इसे ठंडा कर देती हूँ,
  • 9:33 - 9:35
    और चुम्बक के ऊपर रख देती हूँ,
  • 9:37 - 9:39
    तो --
  • 9:39 - 9:40
    ( तालियां )
  • 9:40 - 9:41
    ये अद्भुत हैं।
  • 9:46 - 9:48
    ये चुंबकीय नहीं हैं,
  • 9:48 - 9:51
    पर किसी तरह ये चुम्बक से
    संपर्क स्थापित कर रहा हैं।
  • 9:51 - 9:55
    तो साफ हैं इसे समझने के लिए और
    कई प्रयोगों की आवश्यकता होगी।
  • 9:55 - 9:58
    असल में, मैंने अपना बहुत सारा समय
    इसे अध्ययन करने में गुज़ारा हैं।
  • 9:58 - 10:00
    इसे सुपर-कंडक्टर कहते हैं।
  • 10:00 - 10:04
    अब, सुपर-कंडक्टर्स बहुत जटिल हो सकते हैं।
  • 10:04 - 10:08
    पर सरल प्रयोग भी इस दुनिया से
    हमारे जुड़ाव को बेहतर बना सकते हैं।
  • 10:08 - 10:13
    तो अब अगर मैं आपसे कहु की फ़्लैश-मेमोरी
    चुम्बक के घूमने से काम करती हैं,
  • 10:13 - 10:16
    तो आप इसकी कल्पना कर सकते हैं।
    अपने देखा हैं।
  • 10:16 - 10:18
    या, अगर मैं कहुँ MRI मशीन
  • 10:18 - 10:22
    चुंबकत्व का प्रयोग करती हैं आपके शरीर के
    चुंबकीय पदार्थों को घुमाने में,
  • 10:22 - 10:24
    तो आपने ऐसा होते हुए देखा हैं।
  • 10:24 - 10:31
    आपने टेक्नोलॉजी से जुड़ के इन
    उपकरणों के आधार को जाना हैं।
  • 10:34 - 10:40
    अब, मैं ये जानती हूँ की आपने जीवन में
    और चीज़ों को लाना मुश्किल हो सकता हैं,
  • 10:40 - 10:42
    खासकर प्रयोग।
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    पर मैं ये सोचती हूँ कि
    ये चुनौती इसके लायक हैं।
  • 10:45 - 10:49
    सोचिये कि कोई चीज़ कैसे काम करती हैं,
    फिर उसके साथ खेलिए उसे टेस्ट करने के लिए।
  • 10:49 - 10:53
    किसी चीज़ को टटोलिये और खुदसे उसके
    भौतिक सिद्धांतो को सिद्ध कीजिये।
  • 10:54 - 10:57
    इंसान को टेक्नोलॉजी में वापस लाईये।
  • 10:58 - 11:01
    आप आश्चर्यचकित होंगे अपने द्वारा
    बनाये गए सम्बन्धो पर।
  • 11:01 - 11:03
    धन्यवाद्।
  • 11:03 - 11:05
    ( तालियां )
Title:
अपने जिज्ञासा को वैज्ञानिक तरीके से चिंगारी कैसे दे
Speaker:
नाड्या मेसोन
Description:

जिज्ञासु हैं चीज़े कैसे काम करती हैं? घरपे हाथ द्वारा प्रयोग कीजिये, भौतिक विज्ञानी
नाड्या मेसोन कहती हैं। वो कहती हैं अपने आस-पास कि दुनिया को समझिये,
अपनी वैज्ञानिक जिज्ञासा को जागकर - और मंच पर अपने प्रयोगो को प्रदर्शित करती हैं,
चुम्बक, रूपये का नोट और सूखी बर्फ आदि से।

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
11:18

Hindi subtitles

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