अपने जिज्ञासा को वैज्ञानिक तरीके से चिंगारी कैसे दे
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0:01 - 0:04एक दोस्त ने मुझे कुछ हफ्ते पहले
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0:04 - 0:06एक बुरी खबर देने के लिए कॉल किया।
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0:06 - 0:08उसने अपना मोबाइल फ़ोन टॉयलेट में गिरा दिया।
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0:09 - 0:11कोई है यह पर जो ऐसा पहले कर चुका है?
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0:11 - 0:13( ठहाके )
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0:13 - 0:14यह एक बुरी स्थिति थी।
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0:14 - 0:18चलिए इस स्थिति की गहरायी में जाये बिना ,
कि ये कैसे हुआ -
0:18 - 0:20या फिर उसने फ़ोन बहार कैसे निकला,
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0:20 - 0:22मान लेते है की ये एक बुरी स्थिति थी।
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0:22 - 0:25और वो घबरा गई ,
क्यूकी हम सबकी तरह, -
0:25 - 0:29उसका फ़ोन उसकी ज़िन्दगी का सबसे महत्वपूर्ण
और इस्तेमाल किया जाने वाला सामान था। -
0:29 - 0:32और वही दूसरी तरफ,
उसे फ़ोन ठीक करने का कोई अंदाजा नहीं था, -
0:32 - 0:36फ़ोन बहुत ही रहस्मय पिटारा है।
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0:36 - 0:39तो आप सोचिये आप क्या करते?
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0:40 - 0:43आप का फ़ोन कैसे काम करता है,
आप इस बारे में कितना जानते है? -
0:43 - 0:46आप क्या टेस्ट या फिक्स
करने कि इच्छा रखते है? -
0:46 - 0:50अधिकांश लोगो का जवाब होगा, कुछ नहीं।
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0:50 - 0:52असल में, एक सर्वे के मुताबिक
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0:52 - 0:55इस देश के लगभग 80 प्रतिशत
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0:55 - 0:58स्मार्टफोन यूजर ने बैटरी भी
कभी खुद से नहीं बदली, -
0:58 - 1:01और 25 प्रतिशत तो ये भी नहीं जानते
कि ऐसा किया भी जा सकता है। -
1:02 - 1:05तो अब मै एक वैज्ञानिक हूँ,
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1:05 - 1:06तो इसलिए ये खिलौने।
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1:07 - 1:12लघु तम आकार के इलेक्ट्रोनिक उपकरण
बनाने में मुझे माहिरात हासिल है -
1:12 - 1:16जिससे मै उनकी मौलिक क्वांटम मैकेनिकल
गुण को समझने कि कोशिश करती हूँ। -
1:16 - 1:22पर मै भी अपने फ़ोन को फिक्स करने कि
शुरुवात कैसे करनी है ये नहीं बता पाउगी -
1:22 - 1:23अगर मेरा फ़ोन टूट जाता है।
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1:23 - 1:27फ़ोन तो बस एक उदारहण है उन सभी उपकरणों
में से जिनका हम इस्तेमाल करते है -
1:27 - 1:31पर ना हम उसे टेस्ट कर पाते है, ना भाग ले
पाते है और ना पूरी तरह समझ पाते है। -
1:31 - 1:36कार, इलेक्ट्रॉनिक्स, यहाँ तक खिलौने भी
आजकल बहुत कॉम्प्लिकेटेड और एडवांस है -
1:36 - 1:39कि हमें उन्हें खोलने और ठीक
करने में डर लगता है। -
1:40 - 1:43तो यह रही समस्या:
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1:43 - 1:47हम और हमारे द्वारा इस्तेमाल की जाने
वाली तकनीक के बीच सामंजस्य नहीं है। -
1:49 - 1:53जिन उपकरणों पर हम सबसे ज्यादा निर्भर
करते है पर उनके बारे मे जानते तक नहीं, -
1:53 - 1:55यह हमें मजबूर और खाली कर देता है।
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1:56 - 2:00असल में यह चकित करने वाला नहीं होगा
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2:00 - 2:03अगर में हम पाए की अब हम तकनीक से ज्यादा
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2:03 - 2:06और मृत्यु से कम डरते है।
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2:06 - 2:09( हंसी )
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2:09 - 2:14पर मुझे लगता है हम अपने उपकरणों से
दोबारा जुड़ सकते है, -
2:14 - 2:16और उनका फिर आदमीकरण कर सकते है,
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2:16 - 2:19हाथ द्वारा प्रयोग पर ज्यादा ध्यान देकर।
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2:20 - 2:25क्यूँ? क्युकी प्रयोग एक प्रकिया है
परिकल्पना की परीक्षा की, -
2:25 - 2:26तथ्य का प्रदर्शन करने की।
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2:27 - 2:30यह एक तरीका है अपने अनुभूति को
इस्तेमाल करने की, -
2:30 - 2:32हमारे हाथ,
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2:32 - 2:33इस दुनिया को जोड़ने की,
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2:33 - 2:36और यह खोजने की यह कैसे काम करता है।
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2:36 - 2:39और ये वो सम्बन्ध है जो हम भूल रहे है।
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2:39 - 2:41तो मै आपलोगो को एक
उदहारण देती हूँ। -
2:41 - 2:43मैंने हाल ही में एक प्रयोग किया
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2:43 - 2:46की एक टचस्क्रीन कैसे काम करता है।
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2:46 - 2:47ये दो धातु की प्लेट्स हैं,
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2:47 - 2:52और मै किसी एक प्लेट को
बैटरी के जरिये चार्ज कर सकती हूँ। -
2:56 - 2:57ठीक है।
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2:57 - 3:00मै इस वाल्टमीटर से इनके चार्ज
के अंतर को माप सकती हूँ। -
3:00 - 3:02अब देखते हैं की ये काम कर रहा है।
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3:02 - 3:04तो जब मै अपने हाथ इन
प्लेट्स के पास हिलाती हूँ, -
3:04 - 3:07आप वोल्टेज में बदलाव देख सकते हैं
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3:07 - 3:09बिलकुल जैसे टचस्क्रीन मेरे
हाथ लगाने पर करता है। -
3:10 - 3:14पर मेरे हाथ में ऐसा क्या है?
अब मुझे और प्रयोग करने की जरुरत है। -
3:14 - 3:16तो अब मै कह सकती हूँ,
आप एक लकड़ी का टुकड़ा लें -
3:16 - 3:19उससे आप किसी एक प्लेट को छुएं
और देखिए कुछ खास नहीं हुआ, -
3:19 - 3:22पर एक धातु ला टुकड़ा लें
और किसी प्लेट को छुएं, -
3:22 - 3:24तब वोल्टेज तेज़ी से बढ़ता है।
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3:25 - 3:28तो अब मै और प्रयोग कर सकती हूँ
असामनता देखने के लिए -
3:28 - 3:30लकड़ी और धातु में,
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3:30 - 3:32और मै पाउगी की लड़की कंडक्टर नहीं है
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3:32 - 3:35पर धातु है मेरे हाथों की तरह।
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3:35 - 3:38इस तरह से मैंने अपनी समझ बनाई।
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3:38 - 3:41जैसे, अब मै टचस्क्रीन दस्ताने
पहन के नहीं चला सकती, -
3:41 - 3:42क्यूकी दस्ताने कंडक्टर नहीं है।
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3:43 - 3:48पर मैंने कुछ और टेक्नोलॉजी
के पीछे के रहस्यों को सुलझाया -
3:48 - 3:51और अपनी एजेंसी बनाई,
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3:51 - 3:55मेरे अपने इनपुट और इंटरेक्शन,
मेरे उपकरणों के साथ। -
3:57 - 4:00पर प्रयोग चीज़ो को टुकड़ो-टुकड़ो
में करने से एक कदम आगे है। -
4:00 - 4:04यह परिक्षण और हाथ-द्वारा
की गयी गहन सोच है। -
4:04 - 4:08इससे फर्क नहीं पड़ता की परिक्षण मैं
टचस्क्रीन समझने के लिए कर रही हूँ -
4:08 - 4:11या विभिन्न धातुओं की
कंडक्टिविटी जानने के लिए, -
4:11 - 4:15या फिर मै हाथों का इस्तेमाल कर रही हूँ
ये जानने के लिए की कितनी मोटाई -
4:15 - 4:17की सामग्री को तोड़ने के लिए।
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4:17 - 4:21इन सभी में, मैं कंट्रोल और समझ
प्राप्त कर रही हूँ -
4:21 - 4:23उन सभी चीज़ो का जिन्हे
मै इस्तेमाल करती हूँ। -
4:24 - 4:26और इन सबके पीछे अनुसन्धान है।
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4:26 - 4:28यहाँ, मै हाथों का इस्तेमाल कर रही हूँ,
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4:28 - 4:30जो अच्छे जीवन को बढ़ावा देती है।
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4:30 - 4:33मैं भी प्रायोगिक प्रशिक्षण अपना रही हूँ।
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4:33 - 4:37यह पाया गया है की यह हमारे समझने और
याद रखने की छमता को बढ़ता है। -
4:37 - 4:39और हमारे दिमाग के दूसरे
हिस्सों को भी जागृत करता है। -
4:40 - 4:44तो प्रशिक्षण द्वारा मिला प्रायोगिक सोच
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4:44 - 4:46हमारे समझ को जोड़ता है,
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4:46 - 4:48और हमारे जीवन शक्ति की भावना को भी,
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4:48 - 4:51इस भौतिक दुनिया से और इसमें
इस्लेमाल की जाने वाली चीज़ो से। -
4:52 - 4:54इंटरनेट पर चीज़े देखना
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4:54 - 4:55यह परिणाम नहीं दे पाती।
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4:58 - 5:00अब मेरे लिए प्रयोग पर जोर के पीछे
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5:00 - 5:02व्यक्तिगत कारण भी है।
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5:02 - 5:04मैं प्रयोग करते हुए नहीं बड़ी हुई।
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5:04 - 5:06मुझे नहीं पता था एक वैज्ञानिक क्या करता है।
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5:06 - 5:09मेरी बहिन के पास विज्ञान का प्रायोगिक सेट था
जिसे मैं जानना चाहती थी -
5:09 - 5:11पर उसने मुझे वो कभी छूने नहीं दिया।
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5:12 - 5:14मैं दिमागी तौर पे दुनिया से
जुड़ नहीं कर पाती थी -
5:14 - 5:16और मुझे नहीं पता था क्यों।
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5:16 - 5:18असल में, जब मैं नौ साल की थी ,
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5:18 - 5:21मेरे दादी मुझे खुदगर्ज़ कहती थीं,
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5:21 - 5:22जिसपे मुझे ध्यान देना था।
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5:22 - 5:26मेरा मतलब है की हमें लगता है की
इस दुनिया में बस हम मौजूद है। -
5:28 - 5:30और उस समय मुझे यह बहुत ख़राब लगता था,
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5:30 - 5:32क्यूकी किसकी दादी उसे ऐसा बोलती है?
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5:32 - 5:35( हंसी )
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5:35 - 5:38पर अब मुझे लगता है वो सच था।
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5:38 - 5:41और कुछ साल पहले,
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5:41 - 5:44जब मैं कॉलेज में थी और
मौलिक भौतिकी पढ़ रही थी, -
5:44 - 5:45मुझे एक रहस्योघाटन हुआ,
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5:45 - 5:46की ये दुनिया,
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5:46 - 5:48कम से कम इस भौतिक दुनिया
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5:48 - 5:51को जांचा और समझा जा सकता है,
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5:51 - 5:53और तब मैं एक अलग समझ विकसित करने लगी
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5:53 - 5:54की ये दुनिया कैसे काम करती है
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5:54 - 5:56और मेरी इसमें मेरी जगह कहाँ है।
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5:56 - 6:00और फिर बाद में,
जब मैं खुद के प्रयोग करने लगी -
6:00 - 6:01और अनुसन्धान द्वारा समझने लगी,
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6:01 - 6:04मेरे और इस दुनिया के बीच के
रिश्ते समझ आने लगे। -
6:05 - 6:10अब मैं ये जानती हूँ की सभी
पेशेवर वैज्ञानिक नहीं है, -
6:10 - 6:14पर मुझे लगता है सबको हाथ द्वारा
प्रयोग करने चाहिए। -
6:15 - 6:17और मुझे लगता है हम --
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6:17 - 6:19मैं आपको एक और उदहारण देती हूँ।
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6:20 - 6:23मैं हाल में ही कुछ माध्यमिक स्कूल के
बच्चों के साथ काम कर रही थी, -
6:23 - 6:25चुंबकत्व के बारे में सीखने में मदद कर रही थी,
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6:25 - 6:29मैंने उन्हें एक Magna Doodle दिया
उसे अलग अलग करने के लिए -
6:29 - 6:32अगर आपको याद है ये चीज़?
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6:35 - 6:39तो शुरुवात में कोई इसे छूना नहीं चाहता था।
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6:39 - 6:42उन्हें हमेशा से बतया गया है
की कैसे चीज़े नहीं तोड़नी है, -
6:42 - 6:45वो निष्क्रिय उपयोग के आदि बन गए है।
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6:45 - 6:47पर फिर मैंने उनसे सवाल पूछने शुरू किये।
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6:47 - 6:49की ये कैसे काम करता है?
इसका कौन सा भाग चुम्बक है? -
6:49 - 6:51क्या तुम एक परिकल्पना बनाकर
उसे टेस्ट कर सकते हो? -
6:52 - 6:54पर फिर भी वो उसे तोडना नहीं चाहते थे।
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6:54 - 6:56वो उसे अपने साथ घर ले जाना चाहते थे।
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6:56 - 7:01जब तक की एक बच्चे ने उसे तोडा
और उसके अंदर अनोखी चीज़े देखीं। -
7:01 - 7:04तो ये कुछ ऐसा है जिसे हम
यहाँ साथ में कर सकते है। -
7:04 - 7:05इसे अलग अलग करना बहुत आसान है।
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7:09 - 7:14तो देखिये, इसके अंदर एक चुम्बक है
और इसे मैं काटके खोल सकती हूँ। -
7:18 - 7:20इसे फिर से काटिये।
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7:20 - 7:23ठीक है, जब मैं ऐसा करती हूँ --
मुझे नहीं पता की आप य देख पा रहे है, -
7:23 - 7:27पर यह ये एक तरह का -- ये रहा,
एक गीली सफ़ेद चीज़। -
7:27 - 7:29अब आप इसे मेरे उँगलियों पर देख सकते है।
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7:29 - 7:33जब मैं इसपे पेन खींचती हूँ,
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7:35 - 7:39तो आप देख सकते है इसके
रेशे इसपे चिपक गए है। -
7:39 - 7:41तो बच्चों ने ये देखा,
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7:41 - 7:43और इस वक़्त उन्हें लगा
ये बहुत मज़ेदार है। -
7:43 - 7:45वो उत्साहित हो गए।
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7:45 - 7:48उन सबने इसे खोलना और
अलग-अलग करना शुरू कर दिया -
7:48 - 7:51और उन चीज़ो को बोलना शुरू किया
जो उन्हें मिल रहा था। -
7:51 - 7:54कैसे ये चुंबकीय रेशे
इस चुंबकीय पेन से जुड़े थे -
7:54 - 7:56और ऐसे ये लिखता है।
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7:56 - 7:59या, कैसे वो गीली सफ़ेद चीज़, चीज़ो को
तितर-बितर करता था की लिखा जा सके -
8:00 - 8:02और जब वो सब कमरे से निकल रहे थे,
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8:02 - 8:04उनमे से दो मेरी तरफ मुड़े और बोले ,
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8:04 - 8:05" हमें ये बहुत पसंद आया।
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8:06 - 8:09मैं और ये सप्ताह के अंत में
घर जा रहे, और प्रयोग करने "। -
8:09 - 8:12( हंसी )
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8:15 - 8:17हाँ मुझे पता है, उनके माता-पिता
चिंतित होंगे इस बारे में, -
8:17 - 8:20पर ये एक अच्छी चीज़ है!
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8:20 - 8:23प्रयोग करना अच्छा है, और असल में
मैंने इसे बहुत ही संतुष्टिदायक पाया, -
8:23 - 8:28और मैं उम्मीद करती हूँ उनके के लिए ये
जीवन समृद्ध करने वाला रहा होगा। -
8:28 - 8:31क्यूकी एक बुनियादी चुम्बक
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8:31 - 8:34एक ऐसी चीज़ है जिससे हम
घर पर प्रयोग कर सकते हैं। -
8:34 - 8:38वो सरल और कठिन दोनों हैं
एक ही समय पे। -
8:38 - 8:39उदहारण के लिए, आप खुद से पूछ सकते हैं ,
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8:39 - 8:43कैसे एक पदार्थ आकर्षित और
अनाकर्षित दोनों कर सकता हैं? -
8:43 - 8:46अगर मैं एक चुम्बक लू, तो क्या इससे मैं
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8:46 - 8:49दूसरे चुम्बक को घुमा सकती हूँ,
उदहारणस्वरुप? -
8:49 - 8:53या, आप एक रूपये के नोट को ले सकते हैं,
-
8:53 - 8:55और इस चुम्बक के सेट को ले सकते हैं,
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8:55 - 8:59और आप देख सकते हैं रूपये का नोट
चुम्बक द्वारा ऊपर उठा लिया गया। -
8:59 - 9:03इसमें चुंबकीय स्याही हैं,
जो जालसाजी को रोकता हैं। -
9:03 - 9:07या, यह पर कुछ अनाज के टुकड़े हैं।
ठीक हैं? -
9:07 - 9:10और ये भी चुंबकीय हैं।
सही हैं? -
9:10 - 9:12इसमें लोहा हैं।
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9:12 - 9:13( हंसी )
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9:14 - 9:16और ये आपके लिए अच्छा हो सकता हैं,सही हैं?
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9:16 - 9:18ठीक हैं, यहाँ पर कुछ और है।
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9:18 - 9:20यहाँ पर रखी चीज़ चुंबकीय नहीं हैं।
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9:20 - 9:23मैं इसे चुम्बक से नहीं उठा सकती।
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9:23 - 9:24पर अब मैं इसे ठंडा करने जा रही हूँ।
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9:24 - 9:27वही चीज़ हैं यहाँ पे, ठंडी,
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9:27 - 9:28और जब मैं इसे ठंडा कर देती हूँ,
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9:33 - 9:35और चुम्बक के ऊपर रख देती हूँ,
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9:37 - 9:39तो --
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9:39 - 9:40( तालियां )
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9:40 - 9:41ये अद्भुत हैं।
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9:46 - 9:48ये चुंबकीय नहीं हैं,
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9:48 - 9:51पर किसी तरह ये चुम्बक से
संपर्क स्थापित कर रहा हैं। -
9:51 - 9:55तो साफ हैं इसे समझने के लिए और
कई प्रयोगों की आवश्यकता होगी। -
9:55 - 9:58असल में, मैंने अपना बहुत सारा समय
इसे अध्ययन करने में गुज़ारा हैं। -
9:58 - 10:00इसे सुपर-कंडक्टर कहते हैं।
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10:00 - 10:04अब, सुपर-कंडक्टर्स बहुत जटिल हो सकते हैं।
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10:04 - 10:08पर सरल प्रयोग भी इस दुनिया से
हमारे जुड़ाव को बेहतर बना सकते हैं। -
10:08 - 10:13तो अब अगर मैं आपसे कहु की फ़्लैश-मेमोरी
चुम्बक के घूमने से काम करती हैं, -
10:13 - 10:16तो आप इसकी कल्पना कर सकते हैं।
अपने देखा हैं। -
10:16 - 10:18या, अगर मैं कहुँ MRI मशीन
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10:18 - 10:22चुंबकत्व का प्रयोग करती हैं आपके शरीर के
चुंबकीय पदार्थों को घुमाने में, -
10:22 - 10:24तो आपने ऐसा होते हुए देखा हैं।
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10:24 - 10:31आपने टेक्नोलॉजी से जुड़ के इन
उपकरणों के आधार को जाना हैं। -
10:34 - 10:40अब, मैं ये जानती हूँ की आपने जीवन में
और चीज़ों को लाना मुश्किल हो सकता हैं, -
10:40 - 10:42खासकर प्रयोग।
-
10:42 - 10:45पर मैं ये सोचती हूँ कि
ये चुनौती इसके लायक हैं। -
10:45 - 10:49सोचिये कि कोई चीज़ कैसे काम करती हैं,
फिर उसके साथ खेलिए उसे टेस्ट करने के लिए। -
10:49 - 10:53किसी चीज़ को टटोलिये और खुदसे उसके
भौतिक सिद्धांतो को सिद्ध कीजिये। -
10:54 - 10:57इंसान को टेक्नोलॉजी में वापस लाईये।
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10:58 - 11:01आप आश्चर्यचकित होंगे अपने द्वारा
बनाये गए सम्बन्धो पर। -
11:01 - 11:03धन्यवाद्।
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11:03 - 11:05( तालियां )
- Title:
- अपने जिज्ञासा को वैज्ञानिक तरीके से चिंगारी कैसे दे
- Speaker:
- नाड्या मेसोन
- Description:
-
जिज्ञासु हैं चीज़े कैसे काम करती हैं? घरपे हाथ द्वारा प्रयोग कीजिये, भौतिक विज्ञानी
नाड्या मेसोन कहती हैं। वो कहती हैं अपने आस-पास कि दुनिया को समझिये,
अपनी वैज्ञानिक जिज्ञासा को जागकर - और मंच पर अपने प्रयोगो को प्रदर्शित करती हैं,
चुम्बक, रूपये का नोट और सूखी बर्फ आदि से। - Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 11:18
Arvind Patil approved Hindi subtitles for How to spark your curiosity, scientifically | ||
Arvind Patil edited Hindi subtitles for How to spark your curiosity, scientifically | ||
Arvind Patil edited Hindi subtitles for How to spark your curiosity, scientifically | ||
Amishu Singh accepted Hindi subtitles for How to spark your curiosity, scientifically | ||
Jyoti Singh edited Hindi subtitles for How to spark your curiosity, scientifically | ||
Jyoti Singh edited Hindi subtitles for How to spark your curiosity, scientifically | ||
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