साहस से बनती हैं निडर लड़कियां
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0:01 - 0:05बचपन मे मैं गिनेस बूक ऑफ़ वर्ल्ड
रिकार्ड्स की बडी शौक़ीन थी -
0:05 - 0:09और मैं चाहती थी की मै खुद एक
वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाऊँI -
0:09 - 0:11बस एक छोटी सी समस्या थी:
-
0:12 - 0:14मुझमे कोई हुनर नहीं थाI
-
0:15 - 0:18तब मैने तय किया की मुझे उस चीज़
मे रिकॉर्ड बनानी है -
0:18 - 0:21जिसमे कोई हुनर या कौशल की ज़रुरत ना होI
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0:22 - 0:25तब मैंने निश्चय किया की
मैं वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाऊंगी -
0:25 - 0:26'रेंगने' में I
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0:28 - 0:31(लोगों की हंसी)
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0:31 - 0:34रेंगने का रिकॉर्ड उस समय किसी ने
साडे १२ मिलों की बनाई थी, -
0:36 - 0:39और इसे पढ़के मुझे यह लगा कि इस रिकॉर्ड को
मैं आसानी से तोड़ पाऊँगी I -
0:39 - 0:41(लोगों की हंसी)
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0:42 - 0:44मेरे साथ मेरी सहेली
ऐनी भी जुड़ गई, -
0:44 - 0:48और हमने सोच लिया कि इस काम के लिए
हमें प्रशीक्षण की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगीI -
0:48 - 0:51(लोगों की हंसी)
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0:51 - 0:53जब हमारे रिकॉर्ड बनाने का दिन आया,
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0:53 - 0:57हमने अपने कपड़ो पे फर्नीचर के गद्दे बांधकर
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0:57 - 0:58रिकॉर्ड बनाने के लिए तैयार हो गए,
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0:59 - 1:02मगर शुरू करते ही, हम मुसीबत में फस गए,
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1:02 - 1:04क्योंकि जो कपडे हमने पहने हुए थे,
जीन्स के, -
1:04 - 1:05वह हमारे त्वचा को मसलने लगी,
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1:06 - 1:08जिस वजह से घुटनों में खरोंच आ गईI
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1:09 - 1:10कुछ ही घंटों के बाद,
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1:11 - 1:12बारिश होने लगीI
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1:14 - 1:16फिर, ऐनी ने मुझे अलविदा कह दियाI
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1:17 - 1:19और उसके बाद अँधेरा होने लगाI
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1:21 - 1:23तब तक मेरे घुटनों से खून निकलने लगा था,
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1:24 - 1:26ठंड, दर्द और नीरसता के वजह से,
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1:26 - 1:28मैं दृष्टिभ्रम हो रही थीI
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1:28 - 1:32मेरी दुविधा आपको भीषण तब लगेगी
जब आप यह जानेंगे कि, -
1:33 - 1:37मैदान का एक दायरा खत्म करने
के लिए मुझे दस मिनट लगेI -
1:38 - 1:41आखरी दायरा खत्म होते होते तीस मिनट लग गएI
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1:42 - 1:46और बारह घंटे होने के बाद
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1:46 - 1:48मैंने रेंगना रोक दिया,
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1:48 - 1:51मैं सादे आठ मील रेंग चुकी थी
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1:52 - 1:56पर चुनौती थी साडे १२ मिलों की I
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1:56 - 2:00सालों तक इस अनुभव को मैंने असफलता
की नज़र से देखा -
2:00 - 2:03पर आज मेरा नजरिया बदल गया हैं I
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2:03 - 2:05जब मैं वर्ल्ड रिकॉर्ड की
प्रयास में लगी थी, -
2:05 - 2:07एक साथ तीन चीज़े करने की
प्रयास में लगी हुई थीI -
2:07 - 2:09अपने सुविधा क्षेत्र से बाहर निकली थी,
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2:09 - 2:12मैं अपने आप को सख्त बना रही थी
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2:12 - 2:14मैं अपने आप पर,
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2:14 - 2:16और मेरे फैसलों पर भरोसा करने लगी थी I
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2:16 - 2:18तब मुझे एहसास नहीं हुआ था,
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2:18 - 2:21कि वह असफलता के गुण नहीं हैं
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2:21 - 2:24बल्कि बहादुरी के लक्षण थेI
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2:25 - 2:28सन १९८९ में जब मैं २६ साल की थी,
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2:28 - 2:30मैं सॅन फ्रांसिस्को शहर की
फायर फाइटर बन गई -
2:31 - 2:35१५०० मर्दों के विभाग में
मैं १५ वी महिला थी I -
2:35 - 2:39(तालियाँ)
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2:41 - 2:43और जब मैं वहाँ पहुंची,
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2:43 - 2:46सब शंकित थे कि हम इस काम के लिए
काबिल थे या नहीं I -
2:46 - 2:51पाँच फुट दस इंच की थी, अड़सठ किलो की थी,
कॉलेज टीम की खिवैया थी, -
2:51 - 2:56और एक समय बारह घंटों तक
घुटनो की खरोच भी झेली थीI -
2:56 - 2:57(लोगों की हंसी)
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2:57 - 3:00इन सब के बावजूद मेरी ताकत का
इम्तिहान लिया गया I -
3:00 - 3:02एक दिन जब कही आग लगने की खबर आई I
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3:02 - 3:04जब हमारी फायर ब्रिगेड टोली घटना
स्थल पर पहुंची, -
3:04 - 3:08गली का एक मकान आग से
धुआंदार हो गया था I -
3:08 - 3:11मैं और मेरे टीम के साथी स्किप साथ जुड़ गए,
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3:11 - 3:13स्किप, पाइप के नौक पीछे और मैं उसके पीछे
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3:13 - 3:15आग की स्तिथि सहज के कुछ करीब थी,
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3:15 - 3:19धुआंदार और गरम,
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3:19 - 3:20पर अचानक,
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3:20 - 3:22एक विस्फोट हुआ,
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3:22 - 3:24जिसके वजह से स्किप और मैं
पीछे की ओर उड़ गए, -
3:24 - 3:27मेरा ऑक्सीजन मास्क चेहरे से हट गया,
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3:27 - 3:29और एक क्षण के लिए उलझन का माहौल छा गया I
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3:29 - 3:32अपने आप को संभालते हुए मैं खड़ी हो गई,
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3:32 - 3:34मैंने पाइप की नौक पकड़ ली,
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3:34 - 3:37और वह काम किया जो एक फायर फाइटर करता हैं:
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3:37 - 3:38निडर, मैं आगे बढ़ी,
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3:38 - 3:40पाइप से पानी का बहाव
शुरू किया, -
3:40 - 3:43और मैं अकेली उस आग का सामना करने लगी I
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3:43 - 3:45विस्फोट का कारण पानी का कोई हीटर था,
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3:45 - 3:48किसीको चोट ना लगने के कारण,
मामला गंभीर नहीं हुआ, -
3:48 - 3:51उसके बाद स्किप मेरी तरफ आये
और उन्होंने कहा, -
3:51 - 3:53"शाबाश कैरोलाइन",
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3:53 - 3:54और वह भी अचरज होकर
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3:55 - 3:58(लोगों की हंसी)
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3:58 - 4:01पर मैं उलझन में पड गई. आग बुझाना जब
मेरे लिए मुश्किल का काम नहीं लगा तो -
4:01 - 4:06स्किप मेरी तरफ ऐसे आश्चर्यचकित होकर
क्यों देख रहे थे? -
4:06 - 4:08और तब मुझे एहसास हुआ,
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4:08 - 4:11स्किप थे तो एक अच्छे आदमी और
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4:11 - 4:14एक बेहतरीन फायरमैन पर,
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4:14 - 4:17उनका यह मानना था कि महिलाये पुरुषों से
कम ताकतवर ही नहीं -
4:17 - 4:21बल्कि पुरुषों से कम बहादुर भी हैंI
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4:21 - 4:24और ऐसी सोच सिर्फ उनकी ही नहीं थीI
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4:24 - 4:26दोस्त, जान पहचानवाले, अजनबी,
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4:26 - 4:28आदमी या औरत, मेरे वृत्तिगत
जीवन के दौरान -
4:28 - 4:29सबने मुझसे हर बार यही सवाल किया
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4:29 - 4:33"कैरोलाइन, वह आग वह खतरा"
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4:33 - 4:35"क्या तुम्हे डर नहीं लगता?"
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4:35 - 4:39सच में, मैंने यह सवाल कभी भी कोई
पुरुष फायरमैन से पूछते हुए नहीं सुना। -
4:39 - 4:41और मुझे अजीब सा लगने लगा
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4:41 - 4:46लोग यह क्यों समझते हैं कि औरतों में
बहादुरी नहीं होती? -
4:46 - 4:48उस सवाल का जवाब मुझे तब मिला,
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4:48 - 4:49जब मेरी सहेली ने अपना दुखड़ा रोया
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4:49 - 4:52कि उसकी बेटी एक महान डरपोक हैं I
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4:52 - 4:54तब मेरे नज़र में यह आया कि
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4:54 - 4:56उसकी बेटी सच में चिंतित थी,
-
4:56 - 5:00पर उससे ज़्यादा चिंतित उसके माँ और बाप थे I
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5:00 - 5:03जब भी वह बच्ची बाहर जाती थी तब उसके
माँ बाप उसे यही कहा करते कि -
5:03 - 5:08"संभलके जाना" या "यहाँ मत जाओ"
या"यह मत करो" I -
5:09 - 5:12मेरे दोस्त बुरे माँ बाप नहीं थे I
-
5:12 - 5:14वह सिर्फ वही कर रहे थे जो अधिक
माँ बाप किया करते हैं, -
5:14 - 5:19अपने बेटों से ज़्यादा वह अपने बेटियों को
सावधान किया करते हैं I -
5:19 - 5:24खेल के मैदान में लगाए गए एक फायर के खम्बे
पर अध्ययन किया गया| -
5:24 - 5:29इसमें देखा गया की खम्बे से
फिसलते वक़्त लड़कियों को -
5:29 - 5:32उनके माता पिता खम्बे के जोखिम के बारे में
सावधान करते थे, -
5:32 - 5:36उसके बावजूद भी अगर लड़की
उस खम्बे के साथ खेलना चाहे तो, -
5:36 - 5:39माता या पिता उसकी सहायता के लिए दौड़ते हैI
-
5:39 - 5:41पर लड़के?
-
5:41 - 5:44खम्बे के साथ खेलने के लिए उनको
बढ़ावा दिया जाता हैI -
5:44 - 5:47उनमे घबराहट होने के बावजूद भी,
-
5:47 - 5:53माता पिता खुद लड़कों को सिखाते हैं कि
खम्बे के साथ खेल कैसे जाता हैंI -
5:53 - 5:58यह करने से हम लड़कों और लड़कियों
को क्या संदेसा दे रहे हैं? -
5:58 - 6:02कि लड़कियां नाज़ुक हैं और उनको हर काम
में सहायता की ज़रुरत हैं, -
6:02 - 6:07और लड़के कोई भी मुश्किल काम आसानी
से करने में माहिर हैं? -
6:07 - 6:09लड़कियों को भयभीत होनी चाहिए?
-
6:09 - 6:13और लड़के निडर?
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6:13 - 6:16जब बच्चे छोटे होते हैं तब,
-
6:16 - 6:18लड़को और लड़कियों की ताकत एक
समान होती हैI -
6:18 - 6:21लड़कियां अधिकतर तारुण्यागम तक शक्तिशाली
-
6:21 - 6:22और ज़्यादा समझदार होती हैI
-
6:22 - 6:24पर हम बड़े, इसी वहम में रहते हैं कि
-
6:24 - 6:27लड़कियां बहुत ही नाज़ुक हैं,
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6:27 - 6:29बिना मदद के वह कुछ कर नहीं सकती और
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6:29 - 6:31उनसे ज़्यादा कुछ हो नहीं पाताI
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6:31 - 6:34बचपन में इसी सोच को
हमारे दिमाग में भरा जाता हैं, -
6:34 - 6:37और बड़े होने के बाद भी इसी सोच को
सच मानने लगते हैं I -
6:37 - 6:40पुरुष एवं महिला, दोनों इस खयालात को
सच मानते हैं, -
6:40 - 6:42और तो और
-
6:42 - 6:45हम अपने बच्चों को और वह
उनके बच्चों को यही सिखाते हैं, -
6:45 - 6:47और यह चलता रहता हैI
-
6:47 - 6:49तो लीजिये मुझे मेरा जवाब मिल गया
-
6:49 - 6:52औरतों से खासकर फायर फाइटर औरतों से भी
-
6:52 - 6:54यही अपेक्षा रहती हैं कि वह भयभीत रहे I
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6:54 - 6:58सिर्फ इसीलिए कई महिलाये भयभीत रहती हैं
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6:58 - 7:01कुछ लोग मेरी बात मानने के लिए
तैयार नहीं होंगे अगर मैं यह कहूँ कि -
7:01 - 7:04मैं डरने के खिलाफ नहीं हूँI
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7:04 - 7:08क्योंकि डर एक महत्त्वपूर्ण भावना हैं
जो हमें सुरक्षित रखती हैं, -
7:08 - 7:11पर इस भावना को इतना भी
आवश्यक ना बनाये जिससे -
7:11 - 7:14लड़किया कोई भी नया काम करते वक़्त
-
7:14 - 7:17अपने कदम झिझक झिझककर रखे I
-
7:18 - 7:22कई साल मैं एक पैराग्लाइडर पायलट भी
रह चुकी हूँ -
7:22 - 7:24(तालियाँ)
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7:24 - 7:26एक पैराग्लाइडर पंख वाले हवाई
छत्री की तरह होती हैं -
7:26 - 7:30और उड़ती भी बहुत खूब हैं
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7:30 - 7:33पर लोगों के लिए एक पैराग्लाइडर पायलट
तार लगे हुए -
7:33 - 7:34चादर की तरह नज़र आते हैं|
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7:34 - 7:36(लोगों की हंसी)
-
7:36 - 7:38और पहाड़ों के ऊपर इस चादर में हवा भरते
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7:38 - 7:40मैंने बहुत समय बिताएI
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7:40 - 7:42पहाड़ के ऊपर से भाग कर हवा में उड़ना
-
7:43 - 7:44और आप यही सोच रहे हैं कि
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7:44 - 7:49'कैरोलाइन, इस मामले में
थोड़ा तो डरना ज़रूरी हैं' -
7:49 - 7:51और आप सही हैंI
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7:51 - 7:53सच मानिए मैं भी डरी,
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7:53 - 7:54पर उस पर्वत के ऊपर,
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7:54 - 7:57हवा का इंतज़ार करते वक़्त
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7:57 - 7:59मुझमे कई उमंग उमड़ आते थे:
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7:59 - 8:01ज़िंदादिली, विश्वासI
-
8:02 - 8:04मैं एक अच्छी पायलट हूँ
यह मुझे पता था -
8:04 - 8:07और यह भी पता था की परिस्तिथि
अच्छे न होते तो मैं वहा नहीं होती I -
8:07 - 8:10ज़मीन से हज़ारों फ़ीट ऊपर हवा में
उड़ने का मज़ा कुछ और ही था -
8:10 - 8:13और हाँ डर भी था
-
8:13 - 8:15पर उस डर को मैं
एक बार ग़ौर से परिशीलन करती, -
8:15 - 8:18उसके महत्वपूर्णता को निर्धारित करती
-
8:18 - 8:20और उसे ऐसी जगह पंहुचा देती,
-
8:20 - 8:22जो ठीक मेरे
-
8:22 - 8:25ज़िंदादिली, अपेक्षा और विश्वास
-
8:26 - 8:27के पीछे होती थी, एक कदम
भी आगे नहीं -
8:27 - 8:29मैं डर के खिलाफ नहीं हूँ
-
8:29 - 8:35मैं सिर्फ बहादुरी के राह
पर चलना चाहती हूँ -
8:35 - 8:38मैं यह नहीं कह रही हूँ कि हर लड़की
को फायर फाइटर -
8:38 - 8:40या पैराग्लाइडर बनना चाहिए I
-
8:40 - 8:46मैं यह कह रही हूँ की हम अपनी लड़कियों
को बुज़दिल और मजबूर बना रहे हैं -
8:46 - 8:49उन्हें कठिन शारीरिक कार्यों
के लिए बढ़ावा नहीं दे रहे हैं I -
8:49 - 8:52यही डर और मजबूरी हमारे साथ बढ़ने लगती हैं
-
8:52 - 8:54और हमेशा के लिए हमारे
साथ रह जाती हैं -
8:54 - 8:58इन सब का प्रभाव हमारे हर कदम
पर पड़ने लगती हैं: -
8:58 - 9:00जी खोलकर बोलने में हमारी झिझक,
-
9:00 - 9:03हमारे अपनेपन को छुपा के रखना
ताकि लोग हमें पसंद करे, -
9:03 - 9:07और खुद के निर्णय लेने में संकोचI
-
9:07 - 9:10तो फिर हम महिलाये बहादुर कैसे बने?
-
9:10 - 9:12बात यह हैं कि,
-
9:12 - 9:14बहादुरी सीखी जा सकती हैं,
-
9:14 - 9:16और सीखने के साथ साथ हमें
-
9:16 - 9:18बहादुरी को एक प्रथा बनानी चाहिएI
-
9:18 - 9:20तो पहले,
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9:20 - 9:21हम सबको एक गहरी सांस लेनी चाहिए
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9:21 - 9:23और हमारी लड़कियों को बढ़ावा देना चाहिए
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9:23 - 9:26स्केटिंग करने के लिए, पेड़ पर चढ़ने के लिए
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9:26 - 9:29या खेल के मैदान में बेझिझक खेलने के लिए
-
9:29 - 9:32मेरी माँ ने भी मेरे साथ वही किया था
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9:32 - 9:33उनको तब यह बात मालूम नहीं था
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9:33 - 9:36पर शोधकर्ताओं के अनुसार
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9:36 - 9:38यह जोखिम भरी परिस्तिथि कहलाता हैं
-
9:38 - 9:42और अध्ययन यह दिखता हैं की अगर बच्चों के
खेल में कुछ हद तक कठोरता हो -
9:42 - 9:45तो वह खुद खतरों का अंदाजा
लगाना सीख लेते हैं -
9:45 - 9:47प्रतिफल का इंतज़ार करना सीखते हैं,
-
9:47 - 9:49लौटाव सिखाती हैं
-
9:49 - 9:51आत्मविश्वास से कदम रखना सीखते हैं I
-
9:51 - 9:53दूसरी तरह से कहा जाए तो,
-
9:53 - 9:56जब बच्चे निडर होकर बाहर जाने लगते हैं,
-
9:56 - 10:00तब ज़िन्दगी के कुछ अनमोल
सीख उन्हें मिलती हैंI -
10:01 - 10:05साथ साथ हमें अपनी लड़कियों में
खौफ भरना नहीं चाहिएI -
10:05 - 10:08अगली बार अपनी बच्ची से यह मत कहियेगा कि,
-
10:08 - 10:10"संभलके, गिर मत जाना, चोट लग गई तो?"
-
10:10 - 10:12"यह मत करना, इसमें खतरा हैं"
-
10:12 - 10:16और कभी भी अपनी बेटियों से
यह मत कहियेगा कि -
10:16 - 10:19उसे ज़्यादा परिश्रम करना नहीं चाहिए,
-
10:19 - 10:21वह इतनी भी समझदार नहीं हैं,
-
10:21 - 10:24और उसे डर डर के जीना चाहिए I
-
10:24 - 10:26और तो और
-
10:26 - 10:30हम महिलाओं को खुद बहादुरी की
सीख लेनी चाहिए I -
10:30 - 10:34अगर हम नहीं सीखेंगे तो हमारी
बेटियों को कैसे सिखाएंगे? -
10:34 - 10:36तो यह रही एक और बात
-
10:36 - 10:39डर और ज़िंदादिली
-
10:39 - 10:42दोनों का एहसास एक जैसा हो सकता हैं
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10:42 - 10:44वह कांपते हाथ, दिल की तेज़ धड़कन
-
10:44 - 10:46वह बेचैनी,
-
10:46 - 10:48पर इतना ज़रूर कहूँगी कि,
-
10:48 - 10:50पिछली बार वह शायद ज़िंदादिली थी
-
10:50 - 10:53जिसको आप डर समझ बैठे थे,
-
10:53 - 10:56और उसी वजह से आपने एक मौका खो दिया I
-
10:56 - 10:58इसीलिए कोशिश जारी रखे I
-
10:58 - 11:01लड़कियों को हर कदम निडर होकर रखना चाहिए
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11:01 - 11:07आज कल हम बड़े भी खेल कूद में या पेड़ चढ़ने
में दिलचस्पी नहीं रखते, -
11:07 - 11:10संकोच छोड़िये और लग जाइये वह
करने में जो आपका मन करे -
11:10 - 11:12घर हो या दफ्तर
-
11:12 - 11:15या यही पे अगर आपको कोई पसंद आये
-
11:15 - 11:18तो शर्माइये मत, उठिये और जाके उससे कहिये
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11:18 - 11:22अगर आपकी बेटी को आप साइकिल
चलाना सीखा रहे हैं, -
11:22 - 11:25और चोटी के ऊपर से नीचे आते वक़्त
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11:25 - 11:28उसके ज़ेहन में डर भर गया हो तो
-
11:28 - 11:31उसका हौसला बढ़ाइएI
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11:31 - 11:35क्योंकि उस चोटी के ऊपर से वह साइकिल
चला पायेगी या नहीं, -
11:35 - 11:40इसका हिसाब वह खुद अपने दिलेरी से लगा लेगी
-
11:40 - 11:44क्योंकि बात उस चोटी की नहीं हैं I
-
11:44 - 11:46बात उसकी ज़िन्दगी की हैं
-
11:46 - 11:48और उसके पास वह ताकत हैं जिससे
-
11:48 - 11:50ज़िन्दगी में आने वाले
हर मुश्किल और चुनौती का -
11:50 - 11:54सामना कर सकती हैं,
-
11:54 - 11:58बिना हमारी मदद के
-
11:58 - 12:01और यह बात सिर्फ यहाँ की
लड़कियों के लिए ही नहीं -
12:01 - 12:02बल्कि दुनिया भर की लड़कियों के
-
12:02 - 12:06भविष्य के लिए हैंI
-
12:06 - 12:08वैसे,
-
12:08 - 12:11रेंगने का वर्ल्ड रिकॉर्ड आज
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12:11 - 12:14(हंसी)
-
12:14 - 12:18३५.१८ मिलों की हैं,
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12:19 - 12:22मैं यही चाहती हूँ कि कोई लड़की इसे तोड़ेI
-
12:22 - 12:28(तालियाँ)
- Title:
- साहस से बनती हैं निडर लड़कियां
- Speaker:
- कैरोलाइन पॉल
- Description:
-
निडर लड़कियां स्केटबोर्ड चलाती हैं, पेड़ पे चढ़ती हैं, गिरकर घुटनों पर खरोंच आने पर भी रूकती नहीं| आगे बढ़ती ही रहती हैं| अपने बेटियों को साहसी और निडर बनाने के लिए कुछ सलाह देंगी कैरोलाइन पॉल जो खुद एक फायर फाइटर और पैराग्लाइडर रह चुकी हैं और अनेक साहसी कार्यों में भाग ले चुकी हैं|
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 12:41
Abhinav Garule edited Hindi subtitles for To raise brave girls, encourage adventure | ||
Abhinav Garule approved Hindi subtitles for To raise brave girls, encourage adventure | ||
Abhinav Garule accepted Hindi subtitles for To raise brave girls, encourage adventure | ||
Abhinav Garule edited Hindi subtitles for To raise brave girls, encourage adventure | ||
Rashmi Ramachandra edited Hindi subtitles for To raise brave girls, encourage adventure | ||
Rashmi Ramachandra edited Hindi subtitles for To raise brave girls, encourage adventure | ||
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