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कुछ दिनों पूर्व फेसबुक ने गर्व से घोषणा की कि उन्होंने विभिन्न विडियो पर आठ अरब दृश्य प्राप्त किये।
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यह एक बहुत प्रभावशाली बात है, जब तक आपको पता चले कि वर्ष २०१५ के पहले चतुर्थांश में
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१००० सबसे अधिक देखे गए विडियो में से ७२५ चुराए गए थे, जिन्होंने कुछ १७ अरब दृश्य एकत्रित किये।
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विभिन्न वेबसाइट व कंटेंट योजक यूट्यूब से विडियो चुराते हैं ताकि वे फेसबुक पर उन्हें लोकप्रिय बना सकें।
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बल्कि ये विडियो लोकप्रिय बनते हैं क्योंकि फेसबुक छलावा कर रहा है।
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वे अपने अल्गोरिथम ऐसे बनाते हैं जिससे उनके प्लेयर पर डाले गए विडियो यूट्यूब लिंक्स
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पर वरीय हों क्योंकि उपयोगकर्ताओं को फेसबुक पर जब तक हो सके रखना चाहिए, ताकि
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फेसबुक उन्हें जितने हो सकें उतने विज्ञापन दिखा सके।
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यही, आखिरकार, उनका व्यापर मॉडल है।
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पर दृश्यों के मामले में वो छलावा भी करता है।
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एक दृश्य तीन क्षणों के बाद गिना जाता है, भले ही विडियो मूक रखा गया हो
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इसका अर्थ है की ऑटो-प्ले के कारण यदि आप अपने टाइमलाइन में धीरे से स्क्रॉल करेंगे,
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तो आपको एक दर्शक के प्रकार से मन जाएगा। इसका अर्थ है की प्रबंध भद्दे हैं।
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यूट्यूब के दृश्यों की तुलना में फेसबुक के दृश्यों की संख्या बहुत जल्दी गिरते हैं, क्योंकि अधिकतम
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आँकड़े सही नहीं हैं, इसलिए फेसबुक नाटक करता रहता है।
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जहाँ यह मजबूरन लोकप्रियता विचित्र है, वास्तविक समस्या तथाकथित "फ्रीबूटिंग" है,
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यानि विडियो को चुराना।
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क्योंकि फेसबुक अपने निजी प्व्यूअर को पसंद करता है, चुराए गए
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विडियो वस्ताविम विडियो से अत्यधिक लोगों के पहुँचते हैं।
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आजकल यह बहुत अधिक आवृत्ति से हो रहा है।
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सबसे नवीनतम उदाहरण ने दो दिनों में ३२ लाख दृश्य व १४० साँझा एकत्रिक किये।
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जबकि हमारा खुद का पोस्ट बस कुछ १०० लोगों तक पहुँचा व १००० बार साँझा किया गया।
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दुसरे निर्माताओं के साथ और भी बुरा हुआ।
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Smarteverday के विडियो लगातार चोरी होते हैं, जिसके कारण उन्हें १.७ करोड़ बार देखा जाता है।
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पर इसे भी कम बताने वाले उदाहरणों में से एक है Tyrese Gibson, एक गीतकार, जो लोकप्रिय विडियो
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चुराता है, जैसे यह वाला, जिससे उसे प्रति दिन उसके फेसबुक पेज पर ८.६ करोड़ दृश्य मिलते हैं।
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वह अपने संगीत को खरीदने के लिए एक लिंक भी डालता है।
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इसमें वह अकेला नहीं है,
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बहुत से लोगों ने अपना अस्थित्व ऑनलाइन बनाया है, दुसरे लोगों की मेहनत चुराते हैं।
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एह स्वतन्त्र निर्माताओं के लिए बहुत बुरा है।
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लोकप्रिय विश्वास से हटकर, चुरायी गई मेहनत निर्माताओं को कोई अनावृत्ति नहीं प्राप्त करवाता।
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केवल चोरों और फेसबुक को इससे लाभ होता है।
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अच्छा कंटेंट बनाने में रचनात्मकता, समय, व निष्ठा लगती है।
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हमारी स्थिति में, एक अकेले विडियो को बनाते हुए वस्तुतः सौ से अधिक घंटे लगते हैं।
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हम लाखों सदस्यों के बाद भी विज्ञापनों पर निर्भर हैं।
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विज्ञापनों व हमारे उदार Patreons के बिना हम विडियो नहीं बना पाते।
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एक छोटे निर्माता के लिए एक लोकप्रिय विडियो उसके लिए व्यवसाय व शौक में अंतर बता सकता है।
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यूट्यूब पर ऐसी चोरियाँ बड़ी समस्या नहीं हैं क्योंकि उनके पास प्रमुख सुरक्षा सुविधाएँ हैं जो उन्हें कंटेंट की चोरी से बचाती हैं।
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हालाँकि यह कंटेंट ID सिस्टम पूर्णता से दूर है, मुख्यतः आलोचकों व गमेर्स के लिए।
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और दूसरी ओर फेसबुक ढोंग करता है की सब कुछ ठीक है व लगातार सफलताओं की घोषणा करता रहता है।
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परंतु सब कुछ ठीक नहीं है। चलिए पिछले साल में कॉपीराइट को अपनाने की प्रक्रिया पर नज़र डालते हैं :
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१. किसी प्रशंसक के द्वारा कोई ईमेल या ट्वीट पाईये जो आपके किसी विडियो का प्रत्यक्ष लिंक भेजे
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फेसबुक पर आपके खुद के वीडियो ढूंढना संभव नहीं है, आपका अपने चुराए विडियो ढूंढ पाना आपके भाग्य पर निर्भर करता है।
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२. गूगल पर "Facebook Copyright Infringement" के लिए खोज कीजिये, क्योंकि इस प्रकार यह वाकई अधिक तेज़ है
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३. एक लम्बे कष्टप्रद फॉर्म को भरिये
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४. आपके चुराए गए विडियो पर दृश्य बढ़ते हुए देखिये
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५. अन्तोगत्वा फेसबुक विडियो को हटाता है
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तब तक, जितने भी दृश्य उसे कभी मिल पाते, उसमें से ९९% उसे मिल गए होंगे।
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विडियो के चोर को नकारात्मक परिणाम नहीं झेलने पड़ेंगे।
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सफल निर्माताओं को इससे लगातार निपटना पड़ता है।
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पैसे खोने के ऊपर से खुद पर हुआ ऐसा बर्ताव उल्लंघन जैसा प्रतीत होता है।
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एक नवीनतम कथन में फेसबुक ने कहा कि वे बदलना चाहते हैं
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परन्तु यदि किसी चुराए गए विडियो को हटाने में इतनी देर लगे तो उनपर विश्वास करना कठिन है।
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और फेसबुक उससे कमाए गए लाभ भी नहीं बाँटता।
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और अब, फेसबुक कोई ऐसा साथी नहीं है जिसके साथ निर्माता कार्य करना चाहेंगे।
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उन्होंने अपने विडियो राज्य को चुराए गए विडियो व वास्तविक कंटेंट निर्माताओं को की गई उपेक्षा से बनाया है।
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यह किसी अरबों डॉलर लायक निगम के लिए बिलकुल अस्वीकार्य है।
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फेसबुक पहले से ही विभिन्न मुद्रीकरण मॉडल्स की कसौटी कर रहा है जो विडियो डालने वालों को विज्ञापन राजस्व का एक हिस्स देंगी।
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जो अभी की स्थिति के लिए परेशानी की बात है।
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भी यह मीडिया कंपनियों के साथ किया जा रहा है, पर निर्माता होने के नाते, हमें नहीं लगता कि फसबुक जैसी विशाल व्यवस्था हमारी राय ले रही है।
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आप दर्शक होने के नाते क्या सहायता कर सकते हैं?
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अदि आप फेसबुक पर चुराए कंटेंट को देखें, तो उसपर वास्तविक कंटेंट का लिंक बताते हुए टिप्पणी कीजिए।
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वास्तविक निर्माता को सचेत करें, क्योंकि केवल वे ही कॉपीराइट रपट लिखवा सकते है।
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इस विडियो या Smartereveryday के विडियो को साँझा कीजिये।
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हम सबको एक ही चीज़ चाहिए, कि निशुल्क इंटरनेट रचनात्मकता, समुदाय, व अद्भुत चीज़ों के लिए रहे।
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हम आशा करते हैं की फेसबुक कभी एक साथी बनेगा, नाकि कोई बाधा।
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अधिक संक्षेप में जानकारी के लिए हम आपको हैंक ग्रीन द्वारा लिखे गए इस लेख को पढ़ने का सुझाव देते हैं।
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