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संधारणीय विकास के आयामों को समझना।
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एजेंडा 2030 और उसके 17 लक्ष्यों का समर्थन करके
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विश्व समुदाय ने पुन:
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संधारणीय विकास के प्रति अपने
समर्पण को दोहराया है
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संधारणीय व समावेशी आर्थिक विकास
,
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सामाजिक समावेशन, और पर्यावरण संरक्षण
सुनिश्चित करने के लिए
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और इसे साझेदारी और शांति से करने के लिए।
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एजेंडा 2030 विश्वव्यापी, परिवर्तनकारी
और अधिकारो पर आधारित है।
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यह संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, देशों और अन्य
सभी विकास कार्यकर्ताओं
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के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्य योजना है,
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ये एजेंडा हमें रचनात्मक ढंग से सोचने
के लिए प्रेरित करता है
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आज के संधारणीय विकास की
चुनौतियों के बारे में
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ताकि हम सही साझेदारी विकसित कर सकें
और सही कदम उठाएं।
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यह एजेंडा के केन्द्र में पांच महत्वपूर्ण
घटक हैं:
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जनता, समृद्धि, शांति, साझेदारी, पृथ्वी।
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ये 17 संधारणीय विकास लक्ष्यों
से जुड़े हैं
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और ये सभी देशों में लागू हैं।
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एजेंडा 2030 और एसडीजी सिर्फ़ एक
जांचसूची की चीजें नहीं हैं।
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ये समस्याओं को समझने और उनसे निपटने के
एक समग्र दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करते हैं
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और सही समय पर सही सवाल पूछने के लिए
हमारा मार्गदर्शन करते है।
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इसे पाने के लिए हमें कई चुनौतियों पर
विचार करने की आवश्यकता है
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यह पता लगाने के लिए कि वे किस तरह आपस में निर्भर हैं
और एक दूसरे पर क्या प्रभाव डालते हैं।
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इन परस्पर निर्भरता को दुँड़ने से
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हमें समस्याओं के मूल कारण को
संबोधित कर सकते है
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और दीर्घकालिक समाधान तैयार कर सकते है।
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यह कैसे काम करता है?
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सतत विकास आमतौर पर देखा जाता है
तीन मुख्य तत्वों के माध्यम से:
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आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश,
और पर्यावरण संरक्षण।
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लेकिन यह याद रखना ज़रूरी है कि ये
सिर्फ श्रेणियां या बॉक्स नहीं हैं।
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वे आपस में जुड़े हुए हैं
और इनके कई पहलू एक समान हैं।
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उदाहरण के लिए, तपेदिक
एक स्वास्थ्य चुनौती है,
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इसकी वजह केवल
अस्वस्थ जीवन शैली नहीं है
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यह अन्य कारकों से भी
प्रभावित हो सकता है
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जैसे गरीबी या वायु गुणवत्ता।
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इस नज़रिए को
आगे बढ़ाने के लिए,
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दो गम्भीर आयाम है
जो एजेंडा 2030 को चलाने में मदद करेंगे।
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सदस्य राज्यों द्वारा अपनाया गया:
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साझेदारी और शांति।
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साझेदारी सभी भागीदारों के एक साथ
काम करने की क्षमताओं को मजबूत करती है।
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शांति, न्याय और सुदृढ़ संस्थाएँ
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यह तीन मुख्य क्षेत्रों में
सुधार के लिए आवश्यक हैं।
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सच्ची संधारणीयता इन सबका केंद्रबिंदु है,
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और यह आवश्यक होगा कि हम हर एसडीजी को
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इन पांच आयामों के नजरिये से देखें।
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बेशक, हम एक ही चुनौती के
हर संभव नज़रिए पर
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विचार नहीं कर सकते।
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इसलिए साझेदारी बनाने के लिए
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ज्ञान और विशेषज्ञता आपस में बाँटना
महत्वपूर्ण है
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यह सीखने के लिए कि हम जुड़कर
चुनौतियों का सामना कैसे कर सकते हैं।
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इसके लिए सह-निर्माण पर केंद्रित नए तरीक़े
अपनाकर
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एक साथ काम करने की आवश्यकता है।
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चुनौतियों का ढंग से सामना करने के लिए
राष्ट्रीय स्वत्व बुनियादी चीज़ है।
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कई संगठनों और कार्यकर्ताओं की
महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
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उनकी संलिप्तता दीर्घकालिक संलग्नता
सुनिश्चित करती है
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और सुनिश्चित करती है कि कोई भी
पीछे न रह जाए।
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एजेंडा 2030 की विश्वव्यापी प्रकृति
हमें विश्व को एक ही समझने को कहती है।
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हर देश, हर समुदाय की कई समस्याएं हैं
जिनका हल चाहिए,
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और हम सभी के सामने आने वाली
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इन चुनौतियों से निपटना हर किसी की
साझी जिम्मेदारी है।
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आगे बढ़ने के लिए, हमें एजेंडा 2030 के लिए
सही योग्यता का विकास करना होगा।
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हमें आजीवन शिक्षा में निवेश करना होगा
ताकि हम बदलाव की वकालत कर सकें,
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इसे लागू करने के कार्य को बढ़ावा दे सकें,
और प्रगति को आँक सकें,
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और नए साझेदारों की पहचान करके उन्हें सशक्त
बना सकें ताकि वे एजेंडा 2030 का समर्थन करें ।
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हम सभी को अपने जीते जी एक बेहतर विश्व
देखने का मार्ग
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प्रशस्त करने की आवश्यकता है,
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क्योंकि यदि हम सही प्रश्न करेंगें और
सही उत्तर ढूँढेगे,
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और यदि हम अपना उत्तरदायित्व
गंभीरता से लेंगे,
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तभी हम वास्तव में इस परिवर्तनकारी एजेंडा
को पा सकते हैं,
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किसी के पीछे छूटे बिना।