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कंक्रीट पानी के बाद पृथ्वी पर दूसरा सबसे
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अधिक उपयोग किया जाने वाला
पदार्थ है, और इस कारण से
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इसका पर्यावरण पर
महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
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यदि यह एक देश होता, तो यह चीन
और संयुक्त राज्य अमेरिका के
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बाद उत्सर्जन के लिए तीसरे स्थान पर होता।
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लेकिन वास्तव में, कंक्रीट एक आंतरिक रूप से
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कम प्रभाव वाली सामग्री है
जिसमें लोहे और स्टील जैसी
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अन्य सामग्रियों की तुलना
में प्रति टन CO2 और ऊर्जा का
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बहुत कम उत्सर्जन होता है,
यहां तक कि ईंट जैसी चीजें से भी।
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लेकिन क्योंकि हम इसका भारी मात्रा में
समग्र उपयोग करते हैं, इसलिए
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यह मानव निर्मित CO2 उत्सर्जन
में लगभग 8% का योगदान देता है।
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कंक्रीट एक आवश्यक सामग्री है।
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हमें इसकी जरूरत लोगों के घर बनाने में,
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सड़क, पुल और बांध बनाने में होती है।
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तो हम इसके बिना काम नहीं चला सकते
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लेकिन हम इसके कार्बन प्रभाव
को काफी कम कर सकते हैं।
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कंक्रीट को सीमेंट द्वारा
एक साथ रखा जाता है।
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और आज हम जिस सीमेंट का उपयोग करते हैं, उसे
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पोर्टलैंड सीमेंट कहा जाता है,
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इसे 1,450 डिग्री सेल्सियस
के तापमान पर चूना पत्थर
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और मिट्टी के संयोजन से
गर्म करके बनाया जाता है।
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लेकिन वास्तव में,
अधिकांश CO2 उत्सर्जन
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गर्म करने से नहीं,
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बल्कि चूना पत्थर,
यानि कैल्शियम कार्बोनेट के,
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कैल्शियम ऑक्साइड
और कार्बन डाइऑक्साइड या CO2 में
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टूटने से होता है।
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अब हम इस सामग्री से
बिलकुल रहित तो नहीं हो सकते
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क्योंकि जकड़ बनाने में
और कुछ भी इतना कुशल नहीं है।
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लेकिन हम इसका एक बड़ा अनुपात
कम कार्बन प्रभाव वाली
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अन्य सामग्रियों से बदल सकते हैं।
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कई सहकर्मी समाधान की तलाश में हैं।
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और यहां स्विट्जरलैंड में,
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हमने पाया है कि जब चिकनी मिट्टी को
चूने में बदला जाता है
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तब वह बहुत प्रतिक्रियाशील
सामग्री का उत्पादन करती है,
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यानि लगभग 800 डिग्री सेल्सियस
पर गर्म करा जाता है
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जो कि सीमेंट के उत्पादन की जरूरत,
1,450 से काफी कम है।
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लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण
बात यह है कि चूना पत्थर के
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अपघटन से कोई CO2 उत्सर्जन नहीं होता है।
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हम इस चूने में बदली गयी चिकनी मिट्टी को लेते हैं
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और हम थोड़ा चूना पत्थर डालते हैं,
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लेकिन इस बार गर्म नहीं करते,
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इसलिए कोई CO2 उत्सर्जन नहीं होता है,
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और कुछ सीमेंट डालते हैं,
और चूना पत्थर,
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चूने में बदली गयी चिकनी मिट्टी,
और सीमेंट के इस संयोजन को हम LC3 कहते हैं।
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अब इस LC3 में पोर्टलैंड सीमेंट के
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समान गुण हैं।
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इसे समान उपकरण और प्रक्रियाओं
के साथ उत्पादित किया
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जा सकता है और समान तरीके
से उपयोग किया जा सकता है,
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लेकिन इसमें CO2 उत्सर्जन
40% तक कम होता है।
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और यह इस घर में प्रदर्शित
किया गया था जिसे हमने
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भारत में झांसी के पास बनाया था,
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जहाँ हम 15 टन से अधिक CO2 बचाया,
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जो कि मौजूदा सामग्रियों
की तुलना में 30 से 40% थी।
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तो क्यों हर कोई पहले से ही
LC3 का उपयोग क्यों नहीं कर रहा है?
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सीमेंट एक स्थानीय सामग्री है।
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पोर्टलैंड सीमेंट इतना व्यापक
इसलिए है कि यह पृथ्वी पर
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सबसे प्रचुर मात्रा में उत्पन्न होने वाली
सामग्री से बनाया जाता है
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और भारत में, संयुक्त राज्य अमेरिका में,
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इथियोपिया में, लगभग कहीं भी
उत्पादित किया जा सकता है।
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और हमें LC3 बनाने की सामग्रियों का
सबसे अच्छा संयोजन ढूंढने लिए
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स्थानीय स्तर पर लोगों के
साथ मिलकर काम करना पड़ता है।
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हम पहले ही भारत और क्यूबा में
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पूर्ण पैमाने पर परीक्षण कर चुके हैं,
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कोलम्बिया में इस तकनीक पर आधारित
एक उत्पाद का कुछ महीने पहले
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व्यावसायीकरण किया गया था और
आइवरी कोस्ट में पूर्ण पैमाने पर
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एक संयंत्र को चिकनी मिट्टी को चूने में
बदलने के काम पर लगाया जा रहा है।
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और दुनिया की कई बड़ी
सीमेंट कंपनियां जल्द ही
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अपने कुछ संयंत्रों में
इसे आरंभ करना चाहती हैं।
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तो पोर्टलैंड सीमेंट को
एक अलग सामग्री के साथ
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बदलने की संभावना,
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लेकिन जो समान गुणों के साथ,
समान प्रक्रिया से उत्पादित,
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और समान तरह से उपयोग किया जा सके,
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लेकिन उसका बहुत हल्का
कार्बन प्रभाव होना चाहिए
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यह जलवायु परिवर्तन का
सामना करने के लिए महत्वपूर्ण है
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क्योंकि यह तेजी से और बहुत बड़े पैमाने पर
किया जा सकता है,
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हर साल 400 मिलियन टन से
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अधिक CO2 को खत्म करने की
संभावना के साथ।
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इसलिए हम कंक्रीट के बिना
काम नहीं चला सकते,
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लेकिन हम इसके उत्सर्जन की
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बड़ी मात्रा के बिना चला सकते हैं।
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शुक्रिया।