यह कारण हो सकता है आपकी उदासी या चिंता का
-
0:01 - 0:03काफी समय तक,
-
0:03 - 0:06दो रहस्य मुझपर
मंडरा रहे थे। -
0:07 - 0:09मैं उन्हें समझ नहीं पा रहा था
-
0:09 - 0:12और सच बोलूं तो, मैं उनके बारे में
पता लगाने से डरता था। -
0:12 - 0:16पहला रहस्य था कि
मैं ४० साल का हूँ, -
0:16 - 0:19और मेरे पुरे जीवनकाल में,
लगातार कहीं सालो से, -
0:19 - 0:22गंभीर डिप्रेशन और तनाव बड़ा है,
-
0:22 - 0:25यूनाइटेड स्टेट्स में, ब्रिटेन में,
-
0:25 - 0:27और पूरी पश्चिमी दुनिया में।
-
0:27 - 0:30मैं उसका कारण समझना चाहता था।
-
0:31 - 0:33यह हमारे साथ क्यों हो रहा है?
-
0:33 - 0:36क्यों हर साल गुजरने पर,
-
0:36 - 0:39और ज्यादा लोगो को अपना
दिन काटने में तकलीफ हो रही है? -
0:40 - 0:43और मुझे यह समझना था,
क्यूंकि इसमें मेरा निजी रहस्य भी था। -
0:43 - 0:45जब मैं किशोर अवस्था में था,
-
0:45 - 0:46मैं अपने डॉक्टर के पास गया
-
0:46 - 0:51और उन्हें अपनी भावना समझाई,
जैसे दर्द का रिसाव हो रहा था मुझसे। -
0:51 - 0:53वो मेरे बस में नहीं था,
-
0:53 - 0:55मुझे उसका कारण समझ नहीं आ रहा था,
-
0:55 - 0:57मुझे उससे शर्मिंदगी महसूस होती थी।
-
0:57 - 0:59मेरे डॉक्टर ने एक कहानी बताई
-
0:59 - 1:01जिसका इरादा अब मुझे नेक लगता है,
-
1:01 - 1:02पर कुछ ज्यादा ही आसान कर दी गयी थी।
-
1:02 - 1:04पूरी तरह से गलत नहीं।
-
1:04 - 1:06मेरे डॉक्टर बोले, "मुझे पता है
लोग ऐसे क्यों हो जाते है। -
1:06 - 1:11कुछ लोगों के दिमाग में खुद ब खुद
रासायनिक असंतुलन हो जाता है -- -
1:11 - 1:12तुम उनमें से एक हो।
-
1:12 - 1:14हमें बस तुम्हें कुछ दवा देनी होगी,
-
1:14 - 1:16जो तुम्हारा रासायन
संतुलन में ले आएगा।" -
1:17 - 1:19मैंने दवा लेनी चालू की,
नाम पक्सिल या सेरोक्सत था, -
1:19 - 1:22वो ही चीज़ का हर देश में
अलग नाम होता है। -
1:22 - 1:24मुझे अच्छा लगा,
मुझे असली बढ़ावा मिला। -
1:25 - 1:26पर ज्यादा समय बाद नहीं,
-
1:26 - 1:28दर्द की अनुभूति फिर से होने लगी।
-
1:28 - 1:30इसलिए मेरी दवा की
मात्रा बढ़ा बड़ा दी गयी -
1:30 - 1:33१३ साल तक, मैंने
अधिकतम मात्रा ली -
1:33 - 1:35जो क़ानूनी तौर पर ले सकते है।
-
1:35 - 1:39पर उन १३ सालो में काफी बार,
और लगभग हमेशा आखिर में, -
1:39 - 1:40मैं काफी दर्द में था।
-
1:40 - 1:43मैंने खुदसे पूछा,
"यह क्या चल रहा है? -
1:43 - 1:45क्यूंकि तुम वो सब कर रहे हो
-
1:45 - 1:48जो उस कहानी के अनुसार कहा गया है
जो सभ्यता पर हावी है -- -
1:48 - 1:50क्यों फिर यह अनुभव?"
-
1:50 - 1:53इसलिए यह २ पहेली के तय
तक जाने के लिए, -
1:53 - 1:55एक किताब के लिए जो मैंने लिखी
-
1:55 - 1:57मैं पूरी दुनिया की
यात्रा पर निकला, -
1:57 - 1:59मैंने ४०,००० मील की यात्रा की।
-
1:59 - 2:01मैं इस दुनिया के मुख्य विशेषज्ञों
के साथ बैठना चाहता -
2:01 - 2:03डिप्रेशन और तनाव के कारण जानने
-
2:03 - 2:05और उससे जरुरी, उनके उपाय जानने,
-
2:05 - 2:08और जो लोग इस डिप्रेशन और तनाव
से बाहर निकले हैं -
2:08 - 2:10उनके हर वो तरीके जानने।
-
2:10 - 2:11और मैंने बहुत कुछ सीखा
-
2:11 - 2:14उन अद्भुत लोगों से
जिन्हें मैं अपनी यात्रा में मिला। -
2:14 - 2:17पर मुझे लगता है जो मैंने सीखा
उसका मूलतत्व था, -
2:17 - 2:20अब तक, हमारे पास वैज्ञानिक सबूत है
-
2:20 - 2:24डिप्रेशन और तनाव के
९ विभिन्न कारणों के। -
2:24 - 2:27उनमें से २ तो हमारे जीव विज्ञान में है।
-
2:27 - 2:29जीन आपको इस समस्या के प्रति
और संवेदनशील बना सकती है, -
2:29 - 2:31हालांकि वो आपका भाग्य नहीं लिखती।
-
2:31 - 2:35और जब आप डिप्रेस होते हैं
मस्तिष्क परिवर्तन असलियत में हो सकता है। -
2:35 - 2:37जो बहार निकलना मुश्किल कर सकता है।
-
2:37 - 2:39पर ज्यादातर कारण जो साबित हुए है
-
2:39 - 2:41डिप्रेशन और तनाव के
-
2:41 - 2:43वे जीव विज्ञान में नहीं है।
-
2:44 - 2:46वो हमारे रहने के तरीके में हैं।
-
2:46 - 2:48और एक बार आप वो समझ जाएं,
-
2:48 - 2:51वो विभिन्न प्रकार के
उपाय प्रस्तुत करते हैं -
2:51 - 2:52जिनका प्रस्ताव लोगों को देना चाहिए
-
2:52 - 2:55दवा के विकल्प के साथ।
-
2:55 - 2:57जैसे कि,
-
2:57 - 3:01अगर आप अकेले हैं तो
डिप्रेशन की सम्भावना ज्यादा है। -
3:01 - 3:04अगर आपके काम में आपका
नियंत्रण नहीं है, -
3:04 - 3:06आपको जो बोला गया है वो ही करना है,
-
3:06 - 3:08डिप्रेशन की सम्भावना ज्यादा हो जाती है।
-
3:08 - 3:10अगर आप प्राकृतिक दुनिया में
शायद ही कभी निकलते हैं, -
3:10 - 3:12आपके डिप्रेस होने ही सम्भावना बढ़ जाती है।
-
3:12 - 3:15और एक चीज़ डिप्रेशन और तनाव के
बहुत सारे कारणों को जोड़ती है -
3:15 - 3:16जो मैंने सीखी।
-
3:16 - 3:18सब नहीं, पर बहुत सारे।
-
3:18 - 3:20यहाँ सबको पता है
-
3:20 - 3:23सबकी स्वभाविक शारीरिक
जरूरते है, हैं ना? -
3:23 - 3:24जाहिर है।
-
3:24 - 3:27हमें खाना चाहिए, पानी चाहिए,
-
3:27 - 3:29छत, शुद्ध हवा चाहिए।
-
3:29 - 3:31अगर मैं वो चीज़े तुमसे ले लूँ,
-
3:31 - 3:33तुम बहुत जल्द बड़ी मुश्किल में आ जाओगे।
-
3:33 - 3:35पर साथ ही,
-
3:35 - 3:38हर इंसान की
मनोवैज्ञानिक जरूरते भी हैं। -
3:38 - 3:40महसूस होना चाहिए कि आप कहीं के सदस्य हो।
-
3:40 - 3:43आपकी ज़िन्दगी का कोई
मतलब और मकसत है। -
3:43 - 3:46कि लोग आपकी कदर करते हैं।
-
3:46 - 3:48आपका एक भविष्य है
जिसका कोई अर्थ है। -
3:48 - 3:51और यह संस्कृति जो हमने बनाई है
वो बहुत चीज़ो में अच्छी है। -
3:52 - 3:54और बहुत चीज़े पहले से
सुधरी हैं -- -
3:54 - 3:55मैं खुश हूँ मैं ज़िंदा हूँ।
-
3:55 - 3:57पर हम दिन पर दिन कम अच्छे हो रहे
-
3:57 - 4:01इन गहरी दबी हुई मनोवैज्ञानिक
जरूरतों को पूरा करने में। -
4:02 - 4:04और सिर्फ यह ही एक चीज़ नहीं
जो हो रही है, -
4:04 - 4:08पर मुझे लगता है यह एक महत्वपूर्ण
कारण है कि यह समस्या बढ़ रही है। -
4:09 - 4:12और मुझे यह समझने में बहुत कठिनाई हुई।
-
4:12 - 4:15मुझे काफ़ी जुज़ना पड़ा इस सोच के साथ
-
4:15 - 4:19कि डिप्रेशन सिर्फ एक दिमागी
समस्या नहीं -
4:19 - 4:20बल्कि बहुत कारणों वाली है
-
4:21 - 4:23जिसमें काफी हमारे रहने के तरीके में है।
-
4:23 - 4:25और मेरे लिए सच में सब
सूलज़ने लगा जब -
4:25 - 4:28एक दिन, मैं साउथ अफ्रीका के
एक मनोचिकित्सक का इंटरव्यू लेने गया -
4:28 - 4:30नाम था डॉ. डेरेक समरफील्ड।
-
4:30 - 4:31बहुत अच्छे व्यक्ति थे।
-
4:31 - 4:35डॉ. समरफील्ड २००१ में
कंबोडिया में थे, -
4:35 - 4:38जब पहली बार रासायनिक
हताशारोधी लाया गया -
4:38 - 4:40उस देश के लोगों के लिए।
-
4:40 - 4:43स्थानीय डॉक्टर्स, कंबोडिया के लोगों
ने इसके बारे में नहीं सुना था, -
4:43 - 4:45वो पूछ रहे थे, "क्या है ये?"
-
4:45 - 4:46और डॉ. ने समझाया।
-
4:46 - 4:48उन् लोगों ने फिर बोला,
-
4:48 - 4:50"हमें यह नहीं चाहिए,
हमारे पास हताशारोधी है." -
4:50 - 4:52"इसका क्या मतलब है?" डॉ. ने पूछा
-
4:52 - 4:55उन्हें लगा ये कोई हर्बल चिकित्सा
की बात कर रहे हैं। -
4:55 - 4:59जैसे सत. जॉन का पौधा,
गिंकगो बिलोबा, ऐसा कुछ। -
5:00 - 5:02उसकी जगह, उन्होंने एक कहानी बताई।
-
5:03 - 5:06उनके समुदाय में एक किसान था
जो चावल की खेती करता था। -
5:06 - 5:08एक दिन वो बारूदी सुरंग पर खड़ा हो गया
-
5:08 - 5:10यूनाइटेड स्टेट्स के साथ
युद्ध का शेष, -
5:10 - 5:12विस्फोट में उसका पैर चला गया
-
5:12 - 5:13उसको बनावटी पैर दिया गया,
-
5:13 - 5:16कुछ समय बाद वो चावल की खेती
में काम करने गया। -
5:16 - 5:19पर पानी के अंदर काम करना
बहुत पीड़ाकारी था -
5:19 - 5:20जब पैर नकली हो तो,
-
5:20 - 5:22मुझे लगता है वो काफी दर्दनाक था
-
5:22 - 5:25जहाँ विस्फोट हुआ वहां जाके
फिरसे काम करना। -
5:25 - 5:27वो किसान पुरे दिन रोने लगा,
-
5:27 - 5:29बिस्तर से उठने से मना कर देता,
-
5:29 - 5:32उसके सारे लक्षण
क्लासिक डिप्रेशन के थे। -
5:32 - 5:33कंबोडिया के डॉक्टर ने कहा,
-
5:33 - 5:36"तब हमने उससे
हताशारोधी दी।" -
5:36 - 5:38डॉ. समरफील्ड ने पूछा
"क्या था वो?" -
5:38 - 5:41उन्होंने समझाया कि
वे उसके पास जाके बैठे। -
5:42 - 5:43उसकी बात सुनी।
-
5:44 - 5:47उनको समझ आया की यह दर्द का मतलब बनता है --
-
5:47 - 5:50उसके लिए उसके डिप्रेशन में
यह देखना मुश्किल था, -
5:50 - 5:54पर असलियत में, उसकी ज़िन्दगी में
यह कारण बिलकुल स्पष्ट थे। -
5:54 - 5:57एक डॉक्टर ने लोगो से बात करते हुए
यह हिसाब लगाया, -
5:57 - 5:59"अगर हम इसके लिए एक गाय ला दें,
-
5:59 - 6:01तो यह एक ग्वाला बन सकता है,
-
6:01 - 6:04वह इस दशा में नहीं रहेगा
जो उसे इतना सत्ता रही है, -
6:04 - 6:07उसे चावल की खेती
नहीं करनी पड़ेगी।" -
6:07 - 6:08तो उन्होंने एक गाय ला दी।
-
6:08 - 6:10कुछ हफ्तों में,उसका रोना बंद हो गया,
-
6:10 - 6:12एक महिने के अंदर, उसका डिप्रेशन चला गया।
-
6:12 - 6:14उन्होंने डॉ. समरफील्ड से कहा,
-
6:14 - 6:17"तो आपने देखा, डॉक्टर,
वह गाय, हताशारोधी थी, -
6:17 - 6:18यह ही आपका कहना था ना?"
-
6:18 - 6:19(हंसी)
-
6:19 - 6:22(तालियाँ)
-
6:22 - 6:25अगरआपको डिप्रेशन के बारे में
ये ही बोला गया है जो मुझे, -
6:25 - 6:27और यहाँ बैठे अधिकतर लोगों को,
-
6:27 - 6:29तो यह एक बुरा मज़ाक लग रहा होगा।
-
6:29 - 6:31"मैं डॉक्टर के पास
हताशारोधी लेने गया, -
6:31 - 6:32उसने मुझे गाय दे दी।"
-
6:32 - 6:35पर जो बात वो कम्बोडियन डॉक्टर्स
को सहज में पता थी, -
6:35 - 6:38इस एक, अवैज्ञानिक कथा
पर आधारित, -
6:38 - 6:41वह दुनिया की मुख्य
चिकित्सा संस्था भी, -
6:41 - 6:43वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन,
-
6:43 - 6:45हमें सालो से बोलने का प्रयास कर रही है,
-
6:45 - 6:48श्रेष्ठ वैज्ञानिक प्रमाण पर आधारित।
-
6:49 - 6:51अगर तुम निराश हो,
-
6:51 - 6:52अगर तुम्हें तनाव है,
-
6:53 - 6:56तुम कमज़ोर या पागल नहीं हो,
-
6:56 - 7:00तुम टूटे टुकड़ो का,
कोई यंत्र नहीं हो। -
7:01 - 7:03तुम एक इंसान हो जिसकी जरूरते अधूरी हैं।
-
7:04 - 7:07और यह सोचना इतना ही जरुरी है
कि वो कम्बोडियन डॉक्टर्स -
7:07 - 7:10और वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन
क्या नहीं बोल रहे। -
7:10 - 7:11उन्होनें किसान को ये नहीं बोला,
-
7:11 - 7:14"दोस्त, तुम्हें खुद को
नियंत्रण में लाना होगा। -
7:14 - 7:17तुम्हे खुदसे इस मुसीबत को
समझके इसका हल निकालना होगा।" -
7:18 - 7:20उल्टा, उन्होनें बोला की,
-
7:20 - 7:23"हम संघठन में,
मिलझुल कर -
7:23 - 7:28इस समस्या का
हल निकालेंगे।" -
7:29 - 7:33ये ही हर निराश इंसान को चाहिए,
-
7:33 - 7:36और हर निराश इंसान
इसके योग्य है। -
7:36 - 7:39इसलिए यूनाइटेड स्टेट्स के
एक प्रमुख डॉक्टर ने, -
7:39 - 7:41विश्व स्वास्थ्य दिवस में,
अपने आधिकारिक वक्तव्य -
7:41 - 7:43पर, २०१७ में,
-
7:43 - 7:46बोलै की हमे रासायनिक असंतुलन
के बारे में कम और हमारे -
7:46 - 7:49रहने के तरीको के असंतुलन के बारे में
ज्यादा बात करनी चाहिए। -
7:49 - 7:51दवा कुछ लोगों को राहत देती है --
-
7:51 - 7:53उसने मुझे कुछ समय तक राहत दी --
-
7:53 - 7:57पर क्यूंकि यह समस्या जीव विज्ञानं
से भी ज्यादा भित्तर जाती है, -
7:58 - 8:01सुझाव भी उतनी गहराई में जाने चाहिए।
-
8:01 - 8:03पर मैंने जब यह पहली बार समझा,
-
8:03 - 8:05मुझे याद है मैंने सोचा की,
-
8:05 - 8:07"ठीक है, मुझे वैज्ञानिक सबूत
दिख रहे हैं, -
8:07 - 8:09मैंने बहुत सारी खोज पढ़ी है,
-
8:09 - 8:12मैंने विशेषज्ञों का इंटरव्यू
लिया है जिन्होनें यह समझाया, -
8:12 - 8:14पर मैं सोचता रहा, "हम
यह कैसे कर सकते हैं?" -
8:14 - 8:16जो चीज़े हमें निराश कर रही हैं
-
8:16 - 8:19वो ज्यादातर और उलझी हुई होती है
उस कंबोडिया के -
8:19 - 8:20किसान की अपेक्षा।
-
8:20 - 8:23इस समझ की शुरुआत भी कहाँ से करें?
-
8:23 - 8:26पर, वो लम्बी यात्रा मेरी किताब ले लिए,
-
8:26 - 8:28पूरी दुनिया में,
-
8:28 - 8:30मैं लोगों से मिलता रहा
जो हूबहू वो ही कर रहे थे, -
8:30 - 8:33सिडनी से, सं फ्रांसिस्को तक,
-
8:33 - 8:34साओ पाउलो तक।
-
8:34 - 8:36मैं लोगों से मिलता रहा,
जो समझ रहे थे, -
8:36 - 8:38डिप्रेशन और तनाव के
गहरे कारणों को -
8:38 - 8:41और एकजुट होकर, उन्हें सुलझा रहे थे।
-
8:41 - 8:44ज़ाहिर है, मैं सब अद्धभुत लोगों
के बारे में नहीं बता सकता -
8:44 - 8:45जिन्हें मैं मिला और लिखा,
-
8:45 - 8:49या वो ९ कारण डिप्रेशन और तनाव
के जो मैंने सीखे, -
8:49 - 8:51क्यूंकि यहाँ मुझे १० घंटे
नहीं देंगे बोलने के लिए -- -
8:51 - 8:53इसकी शिकायत आप उन्हें कर सकते हैं।
-
8:53 - 8:55पर मैं २ कारणों को केंद्रित करना चाहूंगा
-
8:55 - 8:58और २ हल जो
उसे निकलते हैं, -
8:59 - 9:00पहला यह।
-
9:00 - 9:03हम मानव इतिहास के
सबसे तनहा समाज हैं। -
9:03 - 9:06हाल ही में हुए एक अध्ययन में
अमेरिकन्स से पूछा गया, -
9:06 - 9:09"क्या आपको लगता है
कि आप किसीके करीब नहीं?" -
9:09 - 9:13३९ प्रतिशत लोगों ने
हाँ कहा। -
9:13 - 9:14"किसी के करीब नहीं।"
-
9:14 - 9:17अकेलेपन के अंतर्राष्ट्रीय
प्रमाण में, -
9:17 - 9:19ब्रिटैन और बचा हुआ एउरोपे
अमरीका के ठीक पीछे आता है, -
9:20 - 9:21अगर किसीको आत्मसंतुष्टि हो रही हो,
-
9:21 - 9:22(हंसी)
-
9:22 - 9:24मैंने बहुत समय यह चर्चा की
-
9:24 - 9:27दुनिया के विशेषज्ञों से
अकेलेपन पर, -
9:27 - 9:29एक अध्भुत व्यक्ति
प्रोफेसर जॉन कासियप्पो, -
9:29 - 9:30जो चिकागो में थे,
-
9:30 - 9:33मेरे मन में एक सवाल था
जो उनकी खोज के बारे में -
9:33 - 9:35प्रोफेसर कासियप्पो ने पूछा,
-
9:35 - 9:37"हमारा आस्तित्व क्या है?
-
9:37 - 9:39हम यहाँ क्यों है,जिन्दा क्यों हैं?"
-
9:39 - 9:41एक मुख्य कारण
-
9:41 - 9:44यह है की हमारे पूर्वज
अफ्रीका के सवाना में -
9:44 - 9:46एक चीज़ में माहिर थे।
-
9:46 - 9:50वे उन जानवर से बड़े नहीं थे
जिनका वो शिकार करते, -
9:50 - 9:53वे उन् जानवर से
तेज़ नहीं थे, -
9:53 - 9:56पर वे एकजुट होने में
काफी अच्छे थे -
9:56 - 9:57हुए सहयोग देने में।
-
9:57 - 10:00यह हमारी जाति की महाशक्ति थी --
-
10:00 - 10:01हम एकजुट होते,
-
10:01 - 10:03जैसे मधुमखियाँ छत्ते में रहने के लिए
विकसित हुई, -
10:04 - 10:06मनुष्य झुण्ड में विकसित हुआ।
-
10:06 - 10:10और हम पहले मनुष्य हैं
-
10:10 - 10:12जो अपना झुण्ड छोड़ रहे हैं।
-
10:12 - 10:15हुए इससे हमें बहुत बूरा लगता है।
-
10:15 - 10:17पर ऐसा होना जरुरी नहीं।
-
10:17 - 10:20मेरी किताब के नायक,
बल्कि मेरी ज़िन्दगी के, -
10:20 - 10:22डॉक्टर सैम एवेरिंगटोन हैं।
-
10:22 - 10:25वह एक सामान्य चिकित्सक हैं
पूर्व लन्दन के गरीब हिस्से में, -
10:25 - 10:26जहाँ मैं बहुत साल रहा।
-
10:26 - 10:28सैम असुविधाजनक स्तिथी में थे,
-
10:28 - 10:30क्यूंकि उनके पास बहुत रोगी थे
-
10:30 - 10:32जो गंभीर डिप्रेशन और
तनाव में थे। -
10:32 - 10:34और मेरी तरह, वो रासायनिक
हताशारोधी के खिलाफ नहीं थे, -
10:34 - 10:37उन्हें लगता था यह कुछ लोगों को
कुछ सुकून देती थी। -
10:37 - 10:38पर उन्हें २ चीज़े दिख रही थी।
-
10:39 - 10:42पहला, उनके मरीज़ काफी समय
निराशा और तनाव में रहते -
10:42 - 10:46स्वाभाविक कारणों से,
जैसे अकेलापन। -
10:46 - 10:49दूसरा, हलाकि दवा कुछ लोगों को
कुछ सुकून दे रही थी, -
10:49 - 10:52बहुत लोगों की समस्या
वो नहीं सुलझा रही थी। -
10:52 - 10:53जो मुख्य समस्या थी।
-
10:54 - 10:57एक दिन, सैम ने एक
अलग तरीका सोचा। -
10:57 - 10:59एक औरत उनके
दवा खाने में आई, -
10:59 - 11:00नाम था लिसा कन्निंघम।
-
11:01 - 11:02मैंने लिसा को बाद में जाना।
-
11:02 - 11:06लिसा अपने घर में बंध रहती
गंभीर डिप्रेशन और तनाव से -
11:07 - 11:08७ साल तक।
-
11:09 - 11:12जब वो सैम के पास आई
उसे बोला गया, "चिंता मत करो, -
11:12 - 11:14हम तुम्हें यह दवा देते रहेंगे,
-
11:14 - 11:16पर हम कुछ और भी
सलाह देंगे। -
11:17 - 11:20तुम इस केंद्र में
हफ्ते में २ बार आओ -
11:20 - 11:23दूसरे निराश और तनाव लोगों
के समूह से मिलने, -
11:23 - 11:26यह बात करने नहीं की तुम कितनी दुखी हो,
-
11:26 - 11:29पर कुछ अर्थपूर्ण कार्य खोजने
जो तुम मिलकर कर सको -
11:29 - 11:32ताकि तुम्हें अकेलापन और यह, न लगे
कि ज़िन्दगी का कोई मकसत नहीं।" -
11:32 - 11:35पहली बार जब यह लोग एकझुट हुए,
-
11:35 - 11:37लिसा को तनाव से
उल्टियां होने लगी, -
11:37 - 11:39उसके लिए यह ले पाना इतना मुश्किल था।
-
11:39 - 11:42पर लोगों ने उसकी पीठ मली,
उन्होंने बात करनी चालू की, -
11:42 - 11:44"हम क्या कर सकते हैं?"
-
11:44 - 11:46यह शेहरी पूर्व लन्दन
के लोग थे, -
11:46 - 11:48इन्हें बागबानी के बारे में नहीं पता था।
-
11:48 - 11:50उन्होंने कहा, "क्यों न हम
बाग़बानी सीखे?" -
11:50 - 11:53डॉक्टर के केंद्र के पीछे
एक जगह थी -
11:53 - 11:54जो सिर्फ गुल्मभुमी थी।
-
11:54 - 11:56"क्यों न इसको बग़ीचा बनाएं?"
-
11:56 - 11:58उन्होंने पुस्तकालय से
पुस्तक लेनी चालू की, -
11:58 - 11:59यू टूब वीडियो देखने लगे।
-
11:59 - 12:02उन्होंने मिटटी में
काम करना चालू किया। -
12:02 - 12:05वे मौसम के बारे में
सिखने लगे। -
12:05 - 12:06बहुत सबूत है कि प्राकृतिक
-
12:06 - 12:08दुनिया से संपर्क में रहना
-
12:08 - 12:10प्रभावशाली हताशारोधी होता है।
-
12:10 - 12:13पर वो उससे भी जरुरी
कुछ करने लगे। -
12:13 - 12:15वो एक कुटुम्भ बनाने लगे।
-
12:15 - 12:17एक समूह बनाने लगे।
-
12:17 - 12:19एक दूसरे का ध्यान रखने लगे।
-
12:19 - 12:21अगर कोई एक नहीं आता,
-
12:21 - 12:24तो दूसरे सारे उसके
पास जाते -- "तुम ठीक हो?" -
12:24 - 12:26उसकी मदद करते समझने में
उसको क्या तकलीफ है। -
12:26 - 12:28जैसे लिसा ने मुझे बताया,
-
12:28 - 12:31"जैसे बगीचा खिलने लगा,
-
12:31 - 12:32हम खिलने लगे।"
-
12:32 - 12:35इस तरीके को सामूहिक सलाह
बोलते है, -
12:35 - 12:36यह पूरे यूरोप में फ़ैल रहा है।
-
12:36 - 12:38और एक छोटा, पर
बढ़ता हुआ सबूत है -
12:38 - 12:41कि यह वास्तव में अर्थपूर्ण
गिरावट ला सकता है -
12:41 - 12:43डिप्रेशन और तनाव में।
-
12:43 - 12:47एक दिन मैं बगीचे में खड़ा था
-
12:47 - 12:50जो लिसा और उसके कभी डिप्रेस
दोस्तों ने बनाया था -- -
12:50 - 12:51बहुत सुन्दर बगीचा था --
-
12:51 - 12:52और यह सोच रहा था,
-
12:52 - 12:56यह बहुत कुछ एक ऑस्ट्रेलियन प्रोफेसर
हघ मक्के से प्रेरित है। -
12:56 - 13:01बहुत बार जब लोगों को
निराशा होती है, हमारे समाज में, -
13:01 - 13:04हम उन्हें क्या बोलते हैं --
-
13:04 - 13:07"तुम्हें बस अपने जैसा रहना है,
वास्तविक रहो।" -
13:08 - 13:11जबकि हमें बोलना
चाहिए कि -
13:11 - 13:12"खुद जैसे मत रहो।
-
13:12 - 13:14जैसे हो वैसे मत रहो।
-
13:14 - 13:16एकजुट होकर रहो।
-
13:17 - 13:18समूह का हिस्सा बनो।"
-
13:18 - 13:22(तालियाँ )
-
13:22 - 13:24इन मुश्किलों का हल
-
13:24 - 13:28इसमें नहीं की अपने साधन
से ज्यादा से ज्यादा निकाले -
13:28 - 13:29एक अकेले व्यक्ति की तरह --
-
13:29 - 13:31वो एक कारण है जो हमें इस संकट में लाया है।
-
13:31 - 13:34वो खुद से बड़ी किसी चीज़
से जुड़ने में है। -
13:34 - 13:36और यह जोड़ता है
एक और कारण से -
13:36 - 13:39जो डिप्रेशन और तनाव
पैदा करते हैं। -
13:39 - 13:41यह सबको पता है
-
13:41 - 13:45जंक फूड ने हमारी डाइट पर कब्जा कर लिया है
और हमें शारीरिक रूप से बीमार कर दिया। -
13:45 - 13:47मैं ऐसा श्रेष्ठता की भावना
के साथ नहीं कहता, -
13:47 - 13:49मैं खुद म्क्दोनाल्ड्स से
यहाँ आया हूँI -
13:49 - 13:53मैंने देखा कि तुम सब स्वस्थ TED नाश्ता
खा रहे हो, मैं सोचा ऐसा कैसे। -
13:53 - 13:58लेकिन जैसे जंक फूड ने हम पर कब्ज़ा कर लिया
और हमें शारीरिक रूप से बीमार कर दिया, -
13:58 - 14:02उसी तरह एक प्रकार के जंक मूल्यों ने
हमारे दिमाग पर कब्जा कर लिया और हमें -
14:02 - 14:04मानसिक रूप से बीमार कर दिया।
-
14:04 - 14:07हज़ारों सालों से,
दार्शनिकों ने कहा है, -
14:07 - 14:12अगर आपको लगता है कि जीवन पैसे
के बारे में है और स्थिति और दिखावा, -
14:12 - 14:13तो आपको बेकार महसूस होगा।
-
14:13 - 14:16यह एक सटीक उद्धरण नहीं है
शोपेनहावर का, -
14:16 - 14:17लेकिन उसने जो कुछ कहा, उसका सार है।
-
14:17 - 14:20अजीब बात है, शायद ही किसीने
वैज्ञानिक रूप से इसकी जांच की थी, -
14:20 - 14:24जब तक मैं एक असाधारण व्यक्ति से
नहीं मिला, नाम था प्रोफेसर टिम कसेर, -
14:24 - 14:26जो इलिनोइस के नॉक्स कॉलेज में हैं,
-
14:26 - 14:29और वो इस पर खोज़ कर रहे हैं
लगभग 30 वर्षों से। -
14:29 - 14:32और उनकी खोज कई
महत्वपूर्ण बातें बताती है। -
14:32 - 14:35पेहला, जितना तुम विश्वास करोगे
-
14:35 - 14:40आप खरीद के प्रदर्शित कर सकते हैं
उदासी से अपना रास्ता, -
14:40 - 14:42एक अच्छे जीवन की ओर ,
-
14:42 - 14:45उतना अधिक आपके उदास और चिंतित
बनने की संभावना है। -
14:45 - 14:46और दूसरी बात,
-
14:46 - 14:51एक समाज के रूप में, हम इन मान्यताओं
से बहुत अधिक प्रेरित हो गए हैं। -
14:51 - 14:52मेरे पूरे जीवनकाल में,
-
14:52 - 14:56विज्ञापन, इंस्टाग्राम और उन जैसी चीज़ो
के वजन के तहत। -
14:57 - 14:58जैसे मैं इस बारे में सोचा,
-
14:58 - 15:04मुझे एहसास हुआ कि हम सभी को बताया गया है
जन्म से, आत्मा के लिए एक प्रकार का जंक। -
15:04 - 15:08हमें प्रशिक्षित किया गया है ख़ुशी
की तलाश गलत स्थानों में करने के लिए, -
15:08 - 15:11और जैसे जंक फ़ूड आपकी
पोषण सम्बन्धी जरूरते पूरी नहीं करता -
15:11 - 15:13और वास्तव में आपको भनायक महसूस कराता है,
-
15:13 - 15:16जंक मूल्य आपकी
मनोवैज्ञानिक जरूरते पूरी नहीं करते, -
15:16 - 15:19और आपको एक अच्छे जीवन से दूर ले जाते हैं।
-
15:19 - 15:22लेकिन जब मैंने पहली बार समय बिताया
प्रोफेसर कासर के साथ -
15:22 - 15:23और मैं यह सब सिख रहा था,
-
15:23 - 15:26मुझे अजीब भावनाओं का मिश्रण महसूस हुआ।
-
15:26 - 15:28क्योंकि एक तरफ,
मुझे यह वाकई चुनौतीपूर्ण लगा। -
15:28 - 15:32मकितनी बार मेरी अपनी ज़िन्दगी में,
जब मैंने नीचे महसूस किया, -
15:32 - 15:37मैंने किसी तरह से इसका उपाय करने की कोशिश
की दिखावा, भव्य बाहरी समाधान से। -
15:37 - 15:40और मैं देख सकता था कि क्यों
यह मेरे लिए काम नहीं किया। -
15:41 - 15:44मैंने यह भी सोचा,
क्या यह स्पष्ट नहीं है? -
15:44 - 15:46क्या यह लगभग तुच्छ नहीं?
-
15:46 - 15:47अगर मैं यहाँ सबको बोलूं,
-
15:47 - 15:49कोई भी झूठ नहीं बोलेगा
अपनी मृत्युशय्या पर -
15:49 - 15:52और सभी जूतों के बारे में सोचें जो आपने
खरीदे और सभी रीट्वीट जो मिले, -
15:52 - 15:54आप उन क्षणों के बारे में सोचेंगे
-
15:54 - 15:56प्यार, अर्थ
और आपके जीवन के सम्बन्धो के। -
15:56 - 15:58यह तो बिलकुल आम बात लगती है।
-
15:58 - 16:01लेकिन मैं बात करता रहा
प्रोफ़ेसर से और कहता रहा, -
16:01 - 16:03“मुझे यह विचित्र दोहरापन
क्यों लग रहा है ? " -
16:03 - 16:07और उन्होंने कहा, "किसी स्तर पर,
हम सभी इन बातों को जानते हैं। -
16:07 - 16:09लेकिन इस संस्कृति में,
हम उनके द्वारा नहीं जीते। " -
16:09 - 16:11हम इतनी अच्छी तरह जानते हैं
वे आम बन गए हैं, -
16:11 - 16:13पर हम उनके द्वारा नहीं जीते।
-
16:13 - 16:16मैं पूछता रहा कि क्यों, हम क्यों
जानते हैं कुछ इतना गहरा, -
16:16 - 16:17लेकिन इसके द्वारा नहीं जीते?
-
16:17 - 16:21और थोड़ी देर बाद,
प्रोफेसर कासर ने मुझसे कहा, -
16:21 - 16:23“क्योंकि हम एक मशीन में रहते हैं
-
16:23 - 16:27जो ऐसा तैयार किया गया है कि हम अनदेखा
करें कि जीवन में क्या महत्वपूर्ण है। ” -
16:27 - 16:29मुझे इसके बारे में बहुत सोचना पड़ा
-
16:29 - 16:30“क्योंकि हम एक मशीन में रहते हैं
-
16:30 - 16:34जो ऐसा तैयार किया गया है कि हम अनदेखा
करते हैं जीवन में क्या महत्वपूर्ण है। ” -
16:34 - 16:38और प्रोफ़ेसर कासेर यह पता लगाना चाहते थे
अगर हम उस मशीन को बाधित कर सकते हैं। -
16:38 - 16:40उन्होंने इसमें बहुत खोज की,
-
16:40 - 16:42मैं आपको एक उदाहरण बताता हूँ,
-
16:42 - 16:45और मैं सभी से आग्रह करता हूं अपने दोस्तों
और परिवार के साथ यह कोशिश करने। -
16:45 - 16:48नाथन डुंगन नामक एक व्यक्ति को,
किशोरों और वयस्कों का एक समूह मिला -
16:48 - 16:53सत्रों की एक श्रृंखला के लिए एक साथ आना
एक समय की अवधि में, मिलने के लिए। -
16:53 - 16:54और इस समूह के मकसद का एक हिस्सा था
-
16:54 - 16:58लोगों को अपनी ज़िन्दगी के
एक पल के बारे में सोचने के लिए -
16:58 - 17:01जहाँ उन्हें सच में
अर्थ और उद्देश्य मिला। -
17:01 - 17:03अलग लोगों के लिए,
अलग चीज़े थी। -
17:03 - 17:06कुछ लोगों के लिए, वह गाना बजाने में,
लिखने में, किसी की मदद करने में था -- -
17:06 - 17:09मुझे यकीन है हर कोई यहाँ
कुछ ऐसा सोच सकता है, है न? -
17:09 - 17:12और इस समूह के मकसद का
एक हिस्सा था लोगों से पूछना, -
17:12 - 17:15“ठीक है, आप कैसे अपने जीवन को
और समर्पित कर सकते हैं -
17:15 - 17:18इन पलों को हासिल करने
जिसमें अर्थ और उद्देश्य हो, -
17:18 - 17:21और कम, मुझे नहीं पता,
बकवास खरीदने में जिसकी ज़रूरत नहीं, -
17:21 - 17:23लोगों को दिखाने और सोशल मीडिया
में डालने ताकि लोग कहें, -
17:23 - 17:25"मुझे जलन हो रही है।"
-
17:25 - 17:27और उन्होंने जो पाया, वह था
-
17:27 - 17:28बस इन बैठकों से,
-
17:28 - 17:31यह एक प्रकार का शराबी बेनामी था
उपभोक्तावाद के लिए, है ना? -
17:31 - 17:34लोगों को ये बैठकें करवाना,
इन मूल्यों को स्पष्ट करना, -
17:34 - 17:37उन अनुसार कृत्य करने का दृढ़ संकल्प
और एक दूसरे के साथ जांच करना, -
17:37 - 17:40लोगों के मूल्यों में उल्लेखनीय बदलाव लाया।
-
17:40 - 17:44यह उन्हें इस तूफान से दूर ले गया जो
अवसाद पैदा करने वाले संदेश -
17:44 - 17:47जो प्रशिक्षण दे रहे थे खुशी की तलाश
गलत स्थानों पर करने, -
17:47 - 17:51और अधिक सार्थक
और पौष्टिक मूल्य की ओर -
17:51 - 17:53जो हमें अवसाद से बहार निकालता।
-
17:53 - 17:57लेकिन सभी समाधानों के साथ जो मैंने देखा
और जिनके बारे में लिखा है, -
17:57 - 17:59और कई जिनके बारे में यहाँ
बात नहीं कर सकता, -
17:59 - 18:01मैं सोचता रहा,
-
18:01 - 18:05तुम्हें पता है: मुझे इतनी देर क्यों लगी
इन अंतर्दृष्टि को देखने के लिए -
18:05 - 18:07क्योंकि जब आप उन्हें लोगों को समझाते हैं -
-
18:07 - 18:09उनमें से कुछ अधिक जटिल होते हैं,
लेकिन सभी नहीं - -
18:09 - 18:12जब आप लोगों को यह समझाते हैं,
यह बहुत मुश्किल नहीं है, है ना? -
18:12 - 18:14कुछ स्तर पर, हम ये बातें
जानते हैं। -
18:14 - 18:17हमें इसे समझना इतना कठिन क्यों लगता है?
-
18:17 - 18:19मुझे लगता है इसके कई कारण हैं।
-
18:19 - 18:24लेकिन मुझे लगता है कि एक कारण है
कि हमें अपनी समझ बदलनी होगी -
18:24 - 18:27कि अवसाद और चिंता
वास्तव में क्या हैं। -
18:28 - 18:30बहुत वास्तविक
जैविक योगदान हैं -
18:30 - 18:32अवसाद और चिंता के।
-
18:32 - 18:36लेकिन अगर हम जीव विज्ञान को
पूरी तस्वीर बना देते हैं, -
18:36 - 18:37जो मैंने लम्बे समय तक किया
-
18:37 - 18:41जैसा, मैं बहस करूँगा, हमारी संस्कृति
ने किया लगभग मेरी पूरी ज़िन्दगी, -
18:41 - 18:45हम लोगों से संक्षेप में कह रहे हैं,
और यह किसी का इरादा नहीं है, -
18:45 - 18:48लेकिन हम अस्पष्ट तरीके से
लोगो को कह रहे हैं, -
18:48 - 18:50"आपके दर्द का कोई मतलब नहीं है।
-
18:51 - 18:52यह सिर्फ एक खराबी है।
-
18:52 - 18:54यह एक कंप्यूटर प्रोग्राम में एक गड़बड़
की तरह है, -
18:54 - 18:57यह आपके सिर में बस एक वायरिंग समस्या है। "
-
18:58 - 19:01पर मैं अपनी ज़िन्दगी में
तब ही बदलाव ला सका -
19:01 - 19:05जब मुझे एहसास हुआ कि
अवसाद कोई खराबी नहीं है। -
19:07 - 19:08एक संकेत है।
-
19:09 - 19:11आपका अवसाद एक संकेत है।
-
19:11 - 19:13वो आपको कुछ बता रहा है।
-
19:13 - 19:18(तालियां)
-
19:18 - 19:20हमें कुछ कारणों से ऐसा महसूस होता है,
-
19:20 - 19:23और उन्हें देखना कठिन हो सकता है
अवसाद के घेरे में - -
19:23 - 19:25मैं वास्तव में अच्छे से समझता हूं
व्यक्तिगत अनुभव से। -
19:25 - 19:29लेकिन सही मदद से,
हम इन समस्याओं को समझ सकते हैं -
19:29 - 19:31और हम इन समस्याओं को एक साथ
सुलझा सकते हैं। -
19:31 - 19:33लेकिन ऐसा करने के लिए,
-
19:33 - 19:34सबसे पेहला कदम
-
19:34 - 19:37है कि इन संकेतों का अपमान करना
बंद करना होगा -
19:37 - 19:41यह कहकर कि वे कमजोरी की निशानी हैं,
या पागलपन या विशुद्ध रूप से जैविक, -
19:41 - 19:43कुछ लोगों को छोड़कर।
-
19:43 - 19:47हमें शुरू करने की जरूरत है
इन संकेतों को सुनने की, -
19:47 - 19:50क्योंकि वे हमें बता रहे हैं
कुछ ऐसा जो हमें सच में सुनना चाहिए। -
19:51 - 19:56जब हम सही मायने में है
इन संकेतों को सुनेंगे, -
19:56 - 20:00और इन संकेतों का मान
सम्मान करेंगे, -
20:00 - 20:02हम देखना शुरू करेंगे
-
20:02 - 20:06मुक्ति देने वाला, पोषण करने वाला,
गहरा समाधान। -
20:07 - 20:11हमारे चारों तरफ जो गायें इंतजार कर रही हैं
-
20:12 - 20:13धन्यवाद।
-
20:13 - 20:16(तालियां)
- Title:
- यह कारण हो सकता है आपकी उदासी या चिंता का
- Speaker:
- जोहन हरि
- Description:
-
एक चलती-फिरती, चर्चित बात में, पत्रकार जोहान हरि ने दुनिया भर के विशेषज्ञों से अवसाद और चिंता के कारणों के साथ-साथ कुछ रोमांचक उभरते समाधानों पर ताजा जानकारी साझा की। "अगर आप उदास या चिंतित हैं, तो आप कमजोर नहीं हैं और आप पागल नहीं हैं - आप एक इंसान हैं जो अधूरी जरूरतों के साथ हैं," हरि कहते हैं।
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 20:31
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