हम आर्थिक संकटों के लिए व्यक्तियों को क्यों दोश देते हैं?
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0:01 - 0:05वह एक ठंडा, सूर्यवत मार्च का दिन था।
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0:05 - 0:07मैं रीगा में सड़क के किनारे चल रही थी।
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0:08 - 0:12मुझे याद है कि सर्दी
धीरे-धीरे जा रही थी। -
0:12 - 0:14अभी भी इधर उधर कुछ बर्फ थी,
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0:14 - 0:17लेकिन फुटपाथ साफ और सूखा था।
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0:17 - 0:19यदि आप रीगा में रहते हैं,
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0:19 - 0:22आपको पता होगी वो राहत की भावना
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0:22 - 0:25जो वसंत अपने आने के
संकेत के तौर पर लाती है, -
0:25 - 0:29और आपको सड़कों पर बर्फ और कीचड़ के
उस घिनौने मिश्रण से नहीं गुज़रना पड़ता। -
0:29 - 0:33तो मैं वहाँ हूँ,
अपनी सैर का आनंद ले रही हूँ, -
0:33 - 0:38जब अचानक मैं
फुटपाथ पर एक स्टैंसिल देखती हूँ, -
0:39 - 0:40एक भित्ति चित्र:
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0:41 - 0:45इन गहरे धूसर ईंटों पर चित्रित सफेद अक्षर।
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0:45 - 0:46वह कहती है,
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0:47 - 0:51" आपकी ज़िम्मेदारी कहां है ?"
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0:53 - 0:55उस प्रश्न ने मुझे
मार्ग में रोक दिय। -
0:55 - 0:59और जब मैं उसके अर्थ पर
गौर करते हुए वहां खड़ी हूँ, -
0:59 - 1:02तब मैं ध्यान देती हूँ कि मैं
रीगा नगरपालिका के -
1:02 - 1:05सामाजिक कल्याण विभाग के बाहर खड़ी हूँ।
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1:05 - 1:10अतः एसा प्रतीत होता है कि
इस भित्तिचित्र का लेखक, जो भी हो, -
1:10 - 1:13यह सवाल सामाजिक सहायता के लिए
आवेदन करने के लिए आने वाले -
1:13 - 1:15लोगों से पूछ रहा है।
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1:16 - 1:22उस सर्दी, मैं लातविया के वित्तीय
संकट के परिणाम पर अनुसंधान कर रही थी। -
1:22 - 1:26जब वैश्विक वित्तीय संकट २००८ में आया था
तब लातविया को, -
1:26 - 1:30एक छोटी, खुली अर्थव्यवसथा के भांति,
कड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ा था। -
1:30 - 1:33बही खातों को संतुलित करने के लिए,
लातवियाई सरकार ने -
1:33 - 1:35आंतरिक अवमूल्यन की रणनीति को चुना था।
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1:35 - 1:37अब, संक्षेप में, इसका मतलब
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1:37 - 1:40सार्वजनिक बजट खर्च को
ज़बरदस्त रूप से कम करना था, -
1:40 - 1:43इसलिए, सार्वजनिक क्षेत्र के श्रमिकों के
वेतन मे कमी, -
1:43 - 1:44सिविल सेवा का घटना,
-
1:44 - 1:47बेरोज़गारी लाभ और
अन्य सामाजिक सहायतों में कटौती, -
1:47 - 1:49टैक्स मे बढ़त।
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1:50 - 1:52मेरी माँ, उनके पूरे जीवन से,
इतिहास की शिक्षिका के रूप में -
1:52 - 1:54काम कर रहीं हैं।
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1:54 - 1:58उनके लिए कठिनता का मतलब था
उनके वेतन को अचानक से -
1:58 - 2:01३० प्रतिशत तक घटता देखना।
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2:01 - 2:03और इस स्तिथि में कई थे, या बदतर।
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2:04 - 2:06और संकट की लागत
साधारण लातवियाई लोगों के -
2:06 - 2:09कंधों पर डाल दी गई थी।
-
2:10 - 2:13संकट और कठोर नियमों के कारण,
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2:13 - 2:17लातवियाई अर्थव्यवस्था दो साल की अवधि में
२५ प्रतिशत तक सिकुड़ गई थी। -
2:17 - 2:22केवल यूनान ने एक तुल्नीय पैमाने पर
आर्थिक संकुचन का नुकसान उठाया था। -
2:24 - 2:28फिर भी, जब यूनानी
सड़कों पर महीनों निरंतर विरोध, -
2:28 - 2:34अक्सर एथेंस में हिंसक विरोध,
कर रहे थे, रीगा में सब शांत था। -
2:36 - 2:39प्रसिद्ध अर्थशास्त्री
"द न्यूयाॅर्क टाइम्स" के काॅलम में -
2:39 - 2:43लातविया के इस अनोखे
तपस्या शासन के -
2:43 - 2:47प्रयोग को लेकर लड़ रहे थे, और वे
अविश्वास में देख रहे थे -
2:47 - 2:49कि कैसे लातवी समाज
इस शासन को निभा रहा था। -
2:50 - 2:52मैं उस समय लंदंन में पढ़ रही थी,
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2:52 - 2:55मुझे याद है कि वहां
ऑक्यूपाई आंदोलन चल रहा था -
2:55 - 2:57और वह कैसे शहर से शहर तक फैल रहा था,
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2:57 - 3:00मैड्रिड से न्यूयाॅर्क,न्यूयाॅर्क से लंदन,
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3:00 - 3:02एक प्रतिशत के विरुद्ध
निन्यानवे प्रतिशत। -
3:02 - 3:03आपको कहानी पता है।
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3:04 - 3:06लेकिन, जब मैं रीगा पहुंची,
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3:06 - 3:09वहाँ पर ऑक्यूपाई की कोई गूँज नहीं थी।
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3:09 - 3:12लतावियाई बस उसे निभा रहे थे।
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3:13 - 3:17जैसे कि स्थानीय कहावत है,
"दे स्वाॅलोड द टोड"। -
3:17 - 3:21मेरी डाॅक्टोरल अनुसंधान के लिए
मैं अध्ययन करना चाहती थी कि -
3:21 - 3:26लातविया में सोवियत काल के बाद
कैसे राज्य-नागरिक संबंध बदल रहे थे, -
3:26 - 3:28और मैंने
बेरोज़गारी कार्यालय को -
3:28 - 3:31मेरे अनुसंधान स्थल के रूप में चुना था।
-
3:31 - 3:34और जैसे ही मैं वहां पहुंची
२०११ की उस शरद ऋितु में, -
3:34 - 3:36मुझे एहसास हुआ कि
"मैं वास्तव में -
3:36 - 3:40प्रत्यक्ष रूप से देख रही हूं कि कैसे
संकट का प्रभाव फीका पड़ रहा है, -
3:40 - 3:44और इस्से सबसे ज़्यादा प्रभावित लोग,
जो अपनी नौकरी खो चुके हैं, -
3:44 - 3:46कैसे इस पर प्रतिक्रिया कर रहे हैं।"
-
3:47 - 3:51इसलिए मैंने
उन लोगों का इंटरव्यू लेना शुरू कर दिया -
3:51 - 3:53जिनसे मैं बेरोज़गार कार्यालय में मिली।
-
3:54 - 3:56वे सभी लोग
नौकरी चाहने वालों के रूप में पंजीकृत थे -
3:56 - 3:59और राज्य से मदद की उम्मीद लगाए बैठे थे।
-
3:59 - 4:03और जैसा कि मैं जल्द ही समझ रही थी,
यह मदद एक विशेष प्रकार की थी। -
4:03 - 4:05उसमें कुछ नकद लाभ था,
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4:05 - 4:09लेकिन ज़्यादातर राज्य सहायता
विभिन्न सामाजिक योजनाओं के रूप में थीं, -
4:09 - 4:14और जिनमें सबसे बड़ी योजनाओं में से एक थी
"प्रतियोगितात्मकता-बढ़ाती गतिविधियाएं"। -
4:15 - 4:17वह, संक्षेप में,
सेमिनारों की एक श्रंखला थी -
4:17 - 4:21जिसमें भाग लेने के लिए
सभी बेरोज़गारों को प्रोत्साहित किया गया था। -
4:21 - 4:24तो मैंने उन लोगों के साथ
इन सेमिनार में भाग लेना शुरू कर दिया। -
4:24 - 4:27और कई विरोधाभासों ने मुझे प्रभावित किया।
-
4:27 - 4:28तो कल्पना करें:
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4:29 - 4:31संकट अभी भी जारी है,
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4:32 - 4:34लातवियाई अर्थव्यवस्था सिकुड़ रही है,
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4:34 - 4:37शायद ही कोई काम पर रख रहा है,
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4:37 - 4:38और हम वहां हैं,
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4:38 - 4:41इस छोटी सी, उज्जवल कक्षा में,
-
4:41 - 4:42१५ लोगों का एक समूह,
-
4:43 - 4:46हमारी व्यक्तिगत
शक्तियों और कमज़ोरियों की -
4:46 - 4:48सूची पर काम कर रहे हैं,
हमारे आंतरिक राक्षस, -
4:48 - 4:51जिनके बारे में
हमें बताया गया है कि -
4:51 - 4:53वे हमें रोकते हैं
श्रम बाज़ार में अधिक सफल होने से। -
4:54 - 4:57जब सबसे बड़ा स्थानीय बैंक
खैरात होता है -
4:57 - 4:58तो उसके खैरात होने की लागत
-
4:58 - 5:01जनसंख्या के कंधों पर
स्थानांतरित हो जाती है, -
5:01 - 5:03हम एक घेरे में बैठे हैं
-
5:04 - 5:08और सीख रहे हैं कि
जब तनाव हो तो गहरी सांस कैसे लेते हैं। -
5:09 - 5:12(गहरी सांस)
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5:13 - 5:16जैसे-जैसे गिरवी घर ज़प्त हो रहे हैं
-
5:16 - 5:19और हज़ारों की तादाद में
लोग उत्प्रवास कर रहे हैं -
5:19 - 5:22हमें बड़े सपने देखने
और उनका पालन करने को कहा जा रहा है। -
5:24 - 5:25एक समाज शास्त्री के रूप में,
-
5:25 - 5:29मुझे पता है कि
सामाजिक नीतियां राज्य और नागरिक के बीच -
5:29 - 5:31संचार का एक महत्वपूर्ण रूप हैं।
-
5:32 - 5:34इस योजना का संदेश था,
-
5:34 - 5:36एक प्रशिक्षक के
शब्दों में बयां करूं तो, -
5:36 - 5:37"बस कर दो"।
-
5:37 - 5:39बेशक, वह नाइके का ज़िक्र कर रही थीं।
-
5:40 - 5:43तथा प्रतीकात्मक रूप से राज्य
बेरोज़गार लोगों को संदेश भेज रहा था कि -
5:43 - 5:47आपको अधिक सक्रीय होने की आवश्यकता है,
आपको अधिक महनत करने की आवश्यकता है, -
5:48 - 5:51आपको खुद पर काम करने की ज़रूरत है,
आपको अपने आंतरिक राक्षसों को -
5:51 - 5:54दूर करने की आवश्यकता है,
आपको और अधिक आश्वस्त होने की आवश्यकता है- -
5:54 - 5:57किसी तरह बेरोज़गारी
उनकी अपनी व्यक्तिगत विफलता थी। -
5:57 - 6:00उस संकट के दुख का इलाज
-
6:00 - 6:03उसी तरह किया गया
जिस तरह व्यक्तिगत तनाव का किया जाता है, -
6:03 - 6:06गहरी और सचेत श्वास के माध्यम से।
-
6:10 - 6:12इस तरह की सामाजिक योजनाएं,
-
6:12 - 6:14जो व्यक्तिगत ज़िम्मेदारियों पर
जोर दालती हैं, -
6:14 - 6:17विश्व में तेजी से फैल रहीं हैं।
-
6:17 - 6:20वह हिस्सा हैं,
समाजशास्त्री लूईक वकाँट जिसे कहते हैं, -
6:20 - 6:23"नियोलिबरल सेंटॉर स्टेट" की उन्नति का।
-
6:24 - 6:26अब, सेंटाॅर, जैसा कि
आप लोगों को याद आ रहा होगा, -
6:26 - 6:29प्राचीन यूनानी संस्कृति में
एक पौराणिक प्राणी है, -
6:29 - 6:30आधा इंसान आधा जानवर।
-
6:30 - 6:34उसका उपरी हिस्सा
मानव का होता है और निचला घोड़े का। -
6:35 - 6:37तथा सेंटाॅर राज्य
एक एसा राज्य है -
6:37 - 6:40जो अपना मानवीय चहरा
उनकी ओर मोड़ता है -
6:40 - 6:42जो सामाजिक सीढ़ी के शीर्ष पर हैं,
-
6:42 - 6:46जबकि जो नीचे हैं वह रौंदे जाते हैं।
-
6:47 - 6:50तथा शीर्ष आय कमाने वाले
और बड़े व्यवसाय -
6:50 - 6:53टैक्स कटौती और अन्य सहायक नीतियों
का आनंद ले सकते हैं, -
6:53 - 6:56जबकि जो बेरोज़गार हैं, गरीब हैं,
-
6:56 - 6:59उन्हें राज्य की मदद के लिए
खुद को साबित करना पड़ता है, -
6:59 - 7:01जो नैतिक रूप से अनुशासित हैं
-
7:01 - 7:04उन्हें गैर ज़िम्मेदारी या निष्क्रिय या आलसी
-
7:04 - 7:07या अक्सर अपराधिकरण के
रूप में कलंकित किया जाता है। -
7:07 - 7:10लातविया में,
नब्बे के दशक के बाद से, -
7:10 - 7:13एसा ही सेंटार राज्य दृड़ता से था।
-
7:13 - 7:17उदाहरण के लिए,
फ्लैट आयकर जो हमारे पास इस साल तक थी, -
7:17 - 7:20सबसे ज़्यादा
कमाने वालों को फायदा पहुंचा रही थी, -
7:20 - 7:23जबकि एक चौथाई आबादी
गरीबी में रह रही थी। -
7:24 - 7:27और संकट और कठोर नियमों ने
इस प्रकार की सामाजिक आसमानताओं को -
7:27 - 7:29बदतर बना दिया है।
-
7:29 - 7:33तो जब बैंकों की पूंजी और
धनवान की रक्षा हो रही थी, -
7:33 - 7:35वह लोग जिन्होंने सबसे ज़्यादा खोया था,
-
7:35 - 7:39उन्हें व्यक्तिगत ज़िम्मेदारियों
का पाठ पढ़ाया जा रहा था। -
7:40 - 7:44तो जब मैं सेमिनार में
लोगों से बात कर रही थी, -
7:44 - 7:48मैं उनसे नाराज़ होने की उम्मीद कर रही थी।
मैं उनसे -
7:48 - 7:51व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी के नाते, इन पाठों का
विरोध करने की उम्मीद कर रही थी। -
7:51 - 7:56आखिरकार, संकट उनकी गलती नहीं थी,
फिर भी वे इसका खामियाजा भुगत रहे थे। -
7:56 - 8:00लेकिन जैसे-जैसे लोग मुझसे
उनकी कहानियाँ शेयर कर रहे थे, -
8:00 - 8:01मैं बार बार
-
8:01 - 8:06ज़िम्मेदारी के
विचार की शक्ति से प्रभावित हो रही थी। -
8:07 - 8:11मैं जिन लोगों से मिली
उनमें से एक थीं ज़ाॅनिते। -
8:11 - 8:15वह २३ साल से रीगा के व्यावसायिक स्कूल में
-
8:15 - 8:19सिलाई और
अन्य शिल्प सिखाने का काम कर रहीं थीं। -
8:19 - 8:21और अब संकट आया,
-
8:21 - 8:24संकूल बंद हो गए
आत्मसंयम के उपायों के रूप में। -
8:24 - 8:29शैक्षिक प्रणाली का पुनर्गठन
जनता के पैसे बचाने का एक तरीका था। -
8:30 - 8:33देश भर में १०,००० शिक्षकों ने नौकरी खोई,
-
8:33 - 8:35और ज़ाॅनिते उनमें से एक थीं।
-
8:35 - 8:38और मुझे पता है
वो क्या कहना चाह रही थी -
8:38 - 8:41जब उसने बताया कि उसकी नौकरी खोने ने
उसे हताश स्तिथि में डाल दिया, -
8:41 - 8:45वह तलाकशुदा है, उसके दो किशोर हैं
जिनकी वह एकमात्र प्रदाता है। -
8:45 - 8:48और फिर भी,
जैसा कि हम बात कर रहे हैं, -
8:48 - 8:53वह मुझसे कहती है कि
संकट वास्तव में एक अवसर है। -
8:53 - 8:56वह कहती है, "मैं इस साल पचास साल की हो गई,
-
8:56 - 8:59मुझे लगता है कि जीवन ने
वास्तव में मुझे -
8:59 - 9:01मौका दिया है,
इर्द-गिर्द देखने का, रुकने का -
9:01 - 9:04क्योंकि इन सभी वर्षों में
मैने निरंतर काम किया है, -
9:04 - 9:05मेरे पास रुकने का समय नहीं था।
-
9:05 - 9:07और अब मैं रुक गई हूं,
-
9:07 - 9:09मुझे मौका दिया गया है
सब कुछ देखने का -
9:09 - 9:14और तय करने का कि
मुझे क्या चाहिए और क्या नहीं। -
9:14 - 9:18यह सब समय, सिलाई,
सिलाई, एक तरह की थकावट।" -
9:19 - 9:22तो ज़ाॅनिते को २३ साल बाद
बेरोज़गार बना दिया गया। -
9:23 - 9:26लेकिन वह विरोध करने का नहीं सोच रहीं।
-
9:26 - 9:30वह निन्यानवे प्रतिशत के एक प्रतिशत के
खिलाफ होने की बात नहीं कर रहीं है। -
9:30 - 9:32वह खुद का विश्लेषण कर रहीं हैं।
-
9:32 - 9:35और वह व्यावहारिक रूप से सोच रहीं थीं
-
9:35 - 9:37उनके शयनकक्ष से
-
9:37 - 9:41स्मारिक गुड़िया बनाकर पर्यटकों को
बेचने का व्यवसाय शुरू करने का। -
9:41 - 9:43मैं बेरोज़गारी कार्यालय में
आयवार्स से भी मिली। -
9:43 - 9:46अयवार्स अपने चालिस के दशक के अंत में थे,
-
9:46 - 9:50उन्होंने सड़क निर्माण देखरेख की
सरकारी एजेन्सी में अपनी नौकरी खो दी थी। -
9:50 - 9:55हमारी एक मीटिंग में आयवार्स
एक किताब लाते हैं जिसे वह पढ़ रहे थे। -
9:55 - 10:01उसका नाम था "वैक्सिनेशन अगेंस्ट स्ट्रैस,
या साइको-एनरजेटिक ऐकिडो"। -
10:02 - 10:04अब आप लोगों में से
कुछ को पता होगा कि -
10:04 - 10:07ऐकिडो मार्शल आर्ट का एक रूप है,
तो, साएको एनरजेटिक ऐकिडो। -
10:09 - 10:12और आयवार्स मुझे बताते हैं कि
बेरोज़गारी के समय -
10:12 - 10:15कई महीनों तक पढ़ने सोचने और
विचार करने के बाद, -
10:15 - 10:18वह समझ गए हैं कि उनकी वर्तमान कठिनाइयां
-
10:18 - 10:21वस्तव में उन्हीं के कार्य का फल है।
-
10:21 - 10:24वह मुझसे कहते हैं,
"मैंने इसे खुद बनाया है। -
10:24 - 10:28मैं एक ऐसी मनोवैज्ञानिक अवस्था में था
जो मेरे लिए अच्छी नहीं थी। -
10:28 - 10:31अगर कोई व्यक्ति पैसा या
नौकरी खोने से डरता है, -
10:31 - 10:34वह अधिक तनावग्रस्त, अशांत
और भयभीत होने लगता है। -
10:34 - 10:36ऐसे लोगों को यही मिलता है।"
-
10:37 - 10:38जब मैंने उनसे समझाने को कहा,
-
10:38 - 10:41तो वह अपने विचारों की तुलना
कविताओं की भांति -
10:41 - 10:44सभी दिशाओं में भागने वाले
जंगली घोड़ों से करते हैं और कहते हैं, -
10:44 - 10:46"आपको आपके विचारों का चरवाहा होना चाहिए।
-
10:46 - 10:49चीजों को इस आर्थिक दुनिया में
क्रम में लाने के लिए, -
10:49 - 10:51"आपको आपके विचारों का चरवाहा होना चाहिए।
-
10:51 - 10:54क्योंकि आपके विचारों के
माध्यम से ही सब कुछ क्रम में आता है। " -
10:54 - 10:57वह कहते हैं, "हाल ही में मैं
स्पष्ट रूप से समझ गया हूं कि -
10:57 - 11:01मेरे आस-पास की दुनिया, मेरा कया होगा
और मेरे जीवन में प्रवेश करने वाले लोग, -
11:01 - 11:03यह सब प्रत्यक्ष रूप से
मुझ पर निर्भर करता है।" -
11:03 - 11:08तो लातविया जब
इस चरम आर्थिक परीक्षा से गुज़र रही थी -
11:08 - 11:11आयवार्स कहते हैं कि यह
उनके सोचने का तरीका है जिसे बदलना होगा। -
11:11 - 11:16जिस्से वह इस समय गुज़र रहे हैं
उसका वह खुद को दिशी ठहरा रहे हैं। -
11:17 - 11:22तथा ज़िम्मेदारी लेना
एक अच्छी बात है, है ना? -
11:22 - 11:24यह सोवियत के बाद के समाज में
-
11:24 - 11:27विशेष रूप से सार्थक है
और नैतिक रूप से प्रभारित किया गया है, -
11:27 - 11:29जहां राज्य पर निर्भरता
सोवियत काल की -
11:29 - 11:32दुर्भाग्यपूर्ण विरासत के
रुप में देखी जाती थी। -
11:32 - 11:35लेकिन जब मैंने ज़ाॅनिते और अयवार्स
और दूसरों को सुना, -
11:35 - 11:37मैंने यह सोचा कि
यह सवाल, कि, -
11:37 - 11:40"आपकी ज़िम्मेदारी कहां है",
-
11:40 - 11:42कितना क्रूर है, कितना दंडनीय है।
-
11:42 - 11:45क्योंकि यह एक तरह से उन लोगों को,
जो संकट से सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए थे, -
11:45 - 11:48दोशी ठहरा रहा था
और शांत कर रहा था। -
11:48 - 11:51तो जब यूनानी सड़कों पर थे,
लातविय "स्वाॅलोड द टोड" -
11:51 - 11:54और कई दसियों हजार उत्सर्जित हुए,
-
11:54 - 11:58जो ज़िम्मिदारी लेने का एक और तरीका है।
-
12:00 - 12:06तो भाषा, व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी की भाषा,
सामूहिक इनकार का रूप बन गई। -
12:06 - 12:09जब तक हमारे पास सामाजिक नीतियां हैं
जो बेरोज़गारी के साथ -
12:09 - 12:11व्यक्तिगत विफलता के रूप में पेश आतीं हैं
-
12:11 - 12:14लिकिन हमारे पास उन योजनाओं के लिए,
जो लोगों को -
12:14 - 12:17वास्तविक कौशल प्रदान करतीं हैं
या कार्यस्थल बनातीं हैं, -
12:17 - 12:18पर्याप्त धन नहीं है तो हम
-
12:18 - 12:20नीति निर्माताओं की
ज़िम्मेदारी से बेखबर हैं। -
12:20 - 12:22जब तक हम
गरीबों को निष्क्रीय -
12:22 - 12:26या आलसी के रूप में कलंकित करते हैं
लेकिन उन्हें गरीबी से बाहर निकलने के लिए, -
12:26 - 12:28उप्रवास के अलावा,
कोई वास्तविक साधन नहीं देते, -
12:28 - 12:32हम गरीबी के सही कारणों को नकार रहे हैं।
-
12:32 - 12:38और इस बीच, हम सभी पीड़ित हैं,
क्योंकि सामाजिक वैज्ञानिकों ने -
12:38 - 12:41विस्तृत सांख्यिकीय
आंकणों के साथ दिखाया है कि -
12:41 - 12:44उन समाजों में
जहां उच्च स्तर की आर्थिक असमानता है, -
12:44 - 12:46वहां ज़्यादा लोग, दोनों,
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य -
12:46 - 12:49समस्याओं का कष्ट उठा रहे हैं।
-
12:49 - 12:52इसलिए सामाजिक असमानता
जाहिर तौर पर बुरी है, -
12:52 - 12:54न केवल कम से कम
संसाधनों वाले लोगों के लिए, -
12:54 - 12:56बल्कि हम सब के लिए
क्योंकि -
12:56 - 13:01उच्च असमानता वाले समाज में रहना
मतलब कम सामाजिक विश्वास -
13:01 - 13:02और उच्च चिंता के साथ रहना।
-
13:03 - 13:06और वहां हम हैं, हम सभी
स्वयं-सहायता पुस्तकें पढ़ रहे हैं, -
13:06 - 13:08हम अपनी आदतों को
काटने की कोशिश कर रहे हैं, -
13:08 - 13:10हम अपने दिमाग को
फिरसे जमाने की कोशिश कर रहे हैं, -
13:10 - 13:11हम ध्यान कर रहे हैं।
-
13:11 - 13:14और यह, ज़ाहिर है,
एक तरह से मदद करता है। -
13:14 - 13:17स्व-सहायता पुस्तकें हमें अधिक
उत्साहित महसूस करने में मदद करतीं हैं। -
13:17 - 13:20ध्यान हमें दूसरों से आध्यात्मिक रूप में
-
13:20 - 13:23अधिक जुड़ा हुआ
महसूस करने में मदद करता है। -
13:23 - 13:29मुझे लगता है हमें दूसरों से
सामाजिक रूप में जुड़नें की जागरुकता चाहिए, -
13:29 - 13:32क्योंकि सामाजिक असमानता
हम सभी को ठेस पहुंचाती है। -
13:33 - 13:37इसलिए हमें चाहिए दयालू सामाजिक नीतियां
-
13:37 - 13:40जिनका उद्देश्य नैतिक शिक्षा का कम
-
13:40 - 13:42और सामाजिक न्याय और
-
13:42 - 13:44समानता की पदोन्नति पर अधिक है।
-
13:44 - 13:46धन्यवाद।
-
13:46 - 13:49(तालियां)
- Title:
- हम आर्थिक संकटों के लिए व्यक्तियों को क्यों दोश देते हैं?
- Speaker:
- लिएन ओज़ोलीना
- Description:
-
२००८ में वैश्विक वित्तीय संकट ने लातविया का विनाश कर दिया था।जैसे ही बेरोज़गारी बड़ी, सरकार ने लोक निधि खतंम कर दी और टैक्स बड़ा दिये, धनवान और बड़े व्यवसायों को राहत प्रदान करी--यह सब बिना जनता के संघर्ष के किया गया। समाजशास्त्री लिएन ओज़ोलीना ने परीक्षण कीया कि कैसे लातवियाई अधिकारियों ने अपने लोगों को देश की असफल अर्थव्यवस्था की ज़िम्मेदारियों के लिए मनाया, और दुनिया भर में असमानता को बनाए रखने वाली समान सामाजिक नीतियों के उदय पर प्रकाश डाला।
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 14:02
Arvind Patil approved Hindi subtitles for Why do we blame individuals for economic crises? | ||
Arvind Patil edited Hindi subtitles for Why do we blame individuals for economic crises? | ||
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