श्वास वायु से बनी कला
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0:01 - 0:04अगर मैं आपसे वायु के बारे में
सोचने को कहूँ, -
0:05 - 0:06तो आप किसकी कल्पना करेंगे?
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0:09 - 0:12ज़्यादातर लोग या तो खाली जगह के
बारे में सोचते हैं, -
0:12 - 0:14या साफ़ नीले आसमान के बारे में,
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0:15 - 0:17या कभी कभी तेज़ हवा में झूमते पेड़।
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0:18 - 0:22और फिर मुझे ब्लैक बोर्ड पर मेरी हाई स्कूल
की केमिस्ट्री(रासायनिक विज्ञान) की -
0:22 - 0:23अध्यापिका याद आतीं हैं,
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0:23 - 0:26बुलबुले बनाती हुई,
उन्हें एक दूसरे से जुड़ा हुआ बनाकर, -
0:26 - 0:31ये दर्शाते हुए की वे किस तरह आपस में
कांपते हुए, टकराते रहतें हैं -
0:32 - 0:36पर वास्तव में हम वायु के विषय में
कभी इतनी गहराई से नहीं सोचते। -
0:37 - 0:38हम अक्सर उस पर तब ध्यान देतें हैं
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0:38 - 0:42जब उसकी दशा में कुछ हलचल हो,
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0:43 - 0:47जैसे एक दुर्गन्ध,
या कुछ प्रत्यक्ष जैसे धुआँ या धुंद। -
0:48 - 0:50लेकिन वायु हमेशा हमारे आस पास होती है।
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0:51 - 0:54इस वक़्त भी हम सब उसके स्पर्श में हैं।
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0:54 - 0:55वो हमारे भीतर भी है।
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0:57 - 1:02हमारी वायु हमारे करीब है,
और हमारे लिए आवश्यक है। -
1:03 - 1:06इसके बावजूद, हम उसे इतनी आसानी
से नज़रंदाज़ कर देतें हैं। -
1:08 - 1:10तो आखिर वायु है क्या?
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1:10 - 1:14वह पृथ्वी पर मौजूद
सभी अदृश्य गैसों का एक मेल है, -
1:14 - 1:16जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल से
पृथ्वी के समीप है। -
1:17 - 1:21और हालाँकि मैं दृश्यात्मक कलाकार हूँ,
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1:21 - 1:24वायु का अदृश्य होना मुझे रोचक लगता है।
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1:25 - 1:27मुझे दिलचस्पी है की हम कैसे
वायु की कल्पना करतें हैं, -
1:27 - 1:29किस तरह उसे अनुभव करतें हैं
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1:29 - 1:33और कैसे हम सब उसके होने की
एक सहज समझ रखतें हैं, -
1:33 - 1:34श्वास के द्वारा।
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1:37 - 1:42पृथ्वी पर मौजूद सभी जीव वायु में
बदलाव लातें हैं, -
1:42 - 1:44और इस पल भी हम ऐसा कर रहें हैं।
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1:45 - 1:48क्यों न हम सब अभी ही एक साथ
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1:48 - 1:50एक गहरी लंबी साँस लें ।
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1:50 - 1:53क्या आप तैयार हैं? श्वास अंदर।
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1:55 - 1:57और श्वास बाहर।
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1:59 - 2:01जो श्वास अभी ही आप सबने छोड़ी है,
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2:01 - 2:05उससे यहाँ की वायु में सौ गुणा
कार्बन डाइआक्साइड बढ़ गयी। -
2:06 - 2:12अतः लगभग पाँच लीटर वायु ,
प्रति श्वास, 17 श्वास प्रति मिनट -
2:13 - 2:18जहाँ एक वर्ष में 525,600 मिनट होतें हैं।
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2:18 - 2:24इससे हमें मिलती है 450 लाख लीटर वायु,
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2:24 - 2:28जिसमें कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा
100 गुणा बढ़ चुकी है , -
2:28 - 2:29वह भी सिर्फ आप के लिए।
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2:30 - 2:34यह आकलन ओलंपिक खेलों में प्रयोग किये
जाने वाले 18 तरण तालों के बराबर है। -
2:36 - 2:38मेरे लिए वायु बहुवचन है।
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2:38 - 2:42वह एक ही साथ
हमारी श्वास जितनी लघु -
2:42 - 2:43और हमारी पृथ्वी जितनी विशाल भी है।
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2:45 - 2:48हाँ , इसकी कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है।
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2:49 - 2:52शायद यह नामुमकिन हो , और शायद
इस बात से कोई फ़र्क भी न पड़े। -
2:52 - 2:55अपनी दृश्यात्मक कला की तकनीकों से,
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2:55 - 2:58मैं वायु को बनाने की कोशिश करती हूँ ,
न कि उसे चित्रित करने के, -
2:58 - 3:02पर उसे स्पर्शनीय बनाने की।
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3:03 - 3:08मैं कोशिश करती हूँ की हमारी सौन्दर्यात्मक
समझ को बढ़ाया जाए कि चीज़ें कैसी दिखती हैं -
3:08 - 3:12ताकि हम यह समझ सकें की
वायु हमारी त्वचा पर और हमारे फेफड़ों में -
3:12 - 3:13कैसी महसूस होती है
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3:13 - 3:16और उसका हमारी आवाज़ पर क्या असर पड़ता है ।
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3:18 - 3:23मैं वायु के वज़न, उसके गाढ़ेपन और गंध को
समझने की कोशिश करती हूँ, पर अधिकतर -
3:23 - 3:26मैं वायु से जुडी हम सब की कहानियों के
बारे में कईं बार सोचती हूँ। -
3:30 - 3:34यह मेरी एक रचना है, जो मैंने 2014
में बनाई थी। -
3:35 - 3:38इसे "विभिन्न तरह की वायु:
एक पौधे की डायरी" कहा जाता है, -
3:38 - 3:42जहाँ मैं पृथ्वी के विकास के अलग
अलग युगों की वायु को तर वा ताजा करती हूँ -
3:42 - 3:45और दर्शकों को उसका अनुभव लेने
का मौका देती हूँ। -
3:45 - 3:49यह बहुत ही आश्चर्यजनक था,
और साथ ही काफ़ी अलग। -
3:50 - 3:52मैं एक वैज्ञानकि नहीं हूँ,
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3:52 - 3:55पर वातावरण को समझने वाले
वैज्ञानिक वायु से जुड़े निशानों को -
3:55 - 3:58भूविज्ञान के नज़रिये से देखतें हैं,
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3:58 - 4:00कुछ वैसे ही जैसे चट्टानों
का ऑक्सीकरण होता है -
4:00 - 4:03और फिर उस जानकारी से वे,
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4:03 - 4:07कुछ मायनों में, अलग अलग समय पर
वायु की बनावट को लेकर -
4:07 - 4:08एक विधि बना लेतें हैं।
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4:09 - 4:11फिर मैं, एक कलाकार,
उसी विधि को लेकर -
4:11 - 4:14उसकी संघटक गैसों को लेकर उसे
पुनः बनाती हूँ। -
4:16 - 4:20मुझे समय के उन पलों में
विशेष दिलचस्पी रही है -
4:20 - 4:24जो जीवों के वायु पर प्रभाव का उदहारण हो,
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4:24 - 4:27और वे भी जिनमें वायु के कारण जीव
के विकास की दिशा निर्धारित हुई, -
4:29 - 4:31जैसे कार्बोनिफेरस हवा।
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4:32 - 4:35यह 30 से 35 करोड़ साल पहले से
पृथ्वी पर मौजूद है। -
4:36 - 4:39वह एक ऐसा युग था जिसे विशालकाय जीवों
का युग माना गया है। -
4:39 - 4:42तो जीवन के इतिहास में पहली बार,
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4:42 - 4:43लिग्निन पदार्थ विक्सित हुआ।
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4:43 - 4:46ये वो ठोस परत है जिससे पेड़ बनतें हैं।
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4:46 - 4:49अतः इस समय तक पेड़ अपने तने का
निर्माण खुद ही कर रहें हैं, -
4:49 - 4:51और फिर वे बड़े, अत्यधिक बड़े होकर,
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4:51 - 4:53पृथ्वी पर फैल जाते हैं,
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4:53 - 4:56प्राण वायु का इतना उत्पादन करते हुए,
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4:56 - 5:00कि प्राण वायु का स्तर
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5:00 - 5:01आज के मुताबिक दुगुना है।
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5:02 - 5:05और यह स्वच्छ प्राण वायु तरह तरह
के कीड़ों का सहारा देती है -- -
5:05 - 5:11विशाल मकड़ियाँ , ड्रैगन-फलाय, जिनके पंखों
का विस्तार लगभग 65 सेंटीमीटर का है। -
5:12 - 5:16श्वास के लिए , ये हवा बेहद साफ़
और ताज़ा है। -
5:16 - 5:18हालांकि इसमें कुछ स्वाद नहीं है,
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5:18 - 5:22पर ये आपके शरीर में बेहद
सूक्ष्म तरह से ऊर्जा बढ़ा देती है। -
5:22 - 5:24ये खुमारी दूर करने के लिए बेहतरीन है।
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5:24 - 5:27(हंसी )
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5:27 - 5:29और फिर है "एयर ऑफ़ द ग्रेट डायिंग"--
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5:29 - 5:33करीब 2525 लाख साल पहले की,
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5:33 - 5:35डायनासोर के विक्सित होने से ठीक पहले।
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5:35 - 5:39भूविज्ञान के नज़रिये से यह एक
बहुत ही छोटी समय सीमा है, -
5:39 - 5:4220 से 200, 000 साल तक।
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5:42 - 5:43बहुत जल्द।
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5:44 - 5:47यह पृथ्वी के इतिहास में विलुप्तता की
सबसे बड़ी घटना है, -
5:47 - 5:49डायनासोर के विलुप्त होने से भी बड़ी।
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5:50 - 5:5485 -95 प्रतिशत जीव जंतु
इस घटना में विलुप्त हुए, -
5:54 - 5:59और इसी के साथ कार्बन डाइऑक्साइड के
स्तर में आकस्मिक बढ़ोतरी है, -
5:59 - 6:01जिसके लिए बहुत से वैज्ञानिक
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6:01 - 6:04साथ साथ फट रहे ज्वालामुखियों
और ग्रीनहाउस प्रभाव -
6:04 - 6:06को ज़िम्मेदार मानते हैं।
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6:09 - 6:13इस समय काल में ऑक्सीजन का स्तर आज
की तुलना में आधे से काम तक गिर जाता है, -
6:13 - 6:14तो लगभग 10 प्रतिशत।
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6:14 - 6:17अतः ये हवा कदापि मनुष्य जीवन
के लिए नहीं थी, -
6:17 - 6:19पर एक सांस ले लेना ठीक रहेगा।
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6:19 - 6:22और असल में सांस लेते हुए, ये
विचित्र रूप से आरामदायक है। -
6:22 - 6:25ये काफी शांतिदायक और गर्म है
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6:25 - 6:29और इसका स्वाद सोडे जैसा है।
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6:29 - 6:32इसमें भी उसी तरह की झुनझुनाहट है,
कुछ सुहानी सी। -
6:33 - 6:35अब इस भूतकाल की हवा के इतने मंथन के बाद,
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6:35 - 6:39स्वभाविक है कि हम भविष्य की हवा
के बारे में सोचने लगे। -
6:40 - 6:43बजाय हवा को लेकर काल्पनिक होने के
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6:43 - 6:46और मेरे मनगढंत रूप से हवा को दर्शाने के,
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6:46 - 6:50मैंने ये मनुष्य-रचित हवा की खोज की।
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6:51 - 6:54इसका मतलब है की यह
प्रकृति में कहीं भी नहीं पायी जाती, -
6:54 - 6:57पर इसका उत्पादन मनुष्यों
द्वारा प्रयोगशाला में ही, -
6:57 - 7:00अलग अलग औद्योगिक ज़रूरतों के लिए होता है।
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7:02 - 7:03तो ये भविष्य की हवा क्यों है?
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7:04 - 7:07खैर, इस हवा का अणु इतना स्थिर है,
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7:08 - 7:12कि टूटे जाने तक, उत्पन्न होने के
300-400 साल बाद भी, -
7:12 - 7:16यह वायु का हिस्सा बना रहता है।
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7:16 - 7:20अतः कुछ 12 से 16 पीढ़ियों तक।
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7:21 - 7:25साथ ही इस भविष्य की हवा में कुछ बेहद
ग्रहणशील गुण है। -
7:26 - 7:27ये अत्यधिक भारी है।
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7:28 - 7:32जिस वायु कि हमें श्वास के लिए आदत है,
ये उससे 8 गुना अधिक भारी है। -
7:33 - 7:36दरअसल यह इतनी भारयुक्त है,
कि इसका श्वास भर लेने के बाद -
7:36 - 7:40जो शब्द कहे गए हो
वे भी कुछ उसी तरह से भारी होते हैं, -
7:40 - 7:43जिस कारण वे ठुड्डी से सरक कर
ज़मीन पर गिर कर , -
7:43 - 7:45दरारों में धंस जातें हैं।
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7:45 - 7:48यह एक ऐसी हवा है जो कई मायनों
में तरल पदार्थ की तरह है। -
7:50 - 7:53इस हवा का एक नैतिक पहलु भी है,
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7:54 - 7:56मनुष्य ने इस हवा का निर्माण किया।
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7:56 - 8:00पर यह आज तक की परखी गैसों में से,
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8:00 - 8:02सबसे प्रबल ग्रीनहाउस गैस भी है।
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8:03 - 8:09इसकी गर्माने की क्षमता कार्बन डाइऑक्साइड
से 24,000 गुणा अधिक है , -
8:09 - 8:12और इसकी उम्र लगभग
12 से 16 पीढ़ियों तक की है। -
8:13 - 8:18यही नैतिक द्वन्द्व
मेरे काम का केंद्र है। -
8:32 - 8:35(धीमे स्वर में) इसमें एक और
आश्चर्यचकित करने वाला गन है। -
8:35 - 8:39यह आपकी आवाज़ की ध्वनि बदल देती है।
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8:39 - 8:42(हंसी)
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8:45 - 8:48तो जब हम सोचने लगे -- ओह !
अभी भी कुछ बाकि है। -
8:48 - 8:50(हंसी )
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8:50 - 8:52जब हम जलवायु परिवर्तन
के बारे में सोचते हैं, -
8:52 - 8:58हम संभवतः विशाल कीड़ों और
फटते ज्वालमुखियों या हास्यजनक आवाज़ों -
8:58 - 9:00के बारे में नहीं सोचते।
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9:01 - 9:04जो चित्र विशेष रूप से ध्यान में आतें हैं,
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9:04 - 9:09वे पिघलते हिमनदों और हिम-शिलाओं पर
तैरते ध्रुवीय भालुओं के होतें हैं। -
9:09 - 9:12हम पाई चार्टों और
स्तंभ ग्राफों के बारें में, -
9:12 - 9:16और असंख्य नेताओं को वैज्ञानिकों से
बातचीत करते हुए, सोचतें हैं। -
9:18 - 9:22लेकिन शायद अब वक़्त आ चूका है कि
हम जलवायु परिवर्तन के बारे में -
9:22 - 9:26उसी गहरायी से विचार करना शुरू कर दें,
जिस गहरायी से हम वायु का अनुभव करतें हैं। -
9:28 - 9:33हवा की भाँती, जलवायु परिवर्तन
एक साथ अणु के स्तर पर भी है, -
9:33 - 9:36श्वास के भी, और इस गृह के भी।
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9:37 - 9:41यह हमारे करीब है,
और हमारे लिए आवश्यक है, -
9:41 - 9:45साथ ही आकारहीन और दुष्कर भी।
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9:46 - 9:50और फिर भी, वह आसानी से भुला दी जाती है।
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9:52 - 9:56जलवायु-परिवर्तन मानवता का
सामूहिक आत्म-चित्रण है। -
9:56 - 9:58यह हमारे निर्णयों को, व्यक्तिगत,
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9:58 - 10:00सरकारी और औद्योगिक स्तरों पर दर्शाता है।
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10:02 - 10:05और अगर कुछ है जो मैंने वायु को
देखते हुए सीखा है, तो वह यह है कि -
10:05 - 10:08भले ही वह बदलती रहती है, वह कायम रहती है।
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10:09 - 10:12शायद ये उस ज़िन्दगी को समर्थन न दे,
जिसे हम समझते हैं -
10:12 - 10:14पर किसी तरह की ज़िन्दगी
को सहारा देती ही है। -
10:15 - 10:19और हम मनुष्य अगर उस बदलाव
का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, -
10:19 - 10:22तो मुझे लगता है, ये ज़रूरी है कि
हम उस विचार-विमर्श को महसूस करें। -
10:23 - 10:27हालाँकि ये अदृश्य है,
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10:27 - 10:32पर मनुष्य हवा पर एक बेहद
जीवंत छाप छोड़ रहें हैं। -
10:33 - 10:34शुक्रिया।
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10:34 - 10:36(तालियाँ )
- Title:
- श्वास वायु से बनी कला
- Speaker:
- Emily Parsons-Lord
- Description:
-
एमिली पार्सन्स-लॉर्ड पृथ्वी के इतिहास के भिन्न पलों से वायु की पुनः रचना करती हैं -- कार्बोनिफेरस युग की साफ़ ताज़ी हवा से सोडे जैसी "एयर ऑफ़ द ग्रेट डाईंग" से भविष्य की भारयुक्त, विषैली हवा, जिसका निर्माण हम कर रहें हैं। वायु को कला में बदलकर, वे हमें हमारे आसपास की अदृश्य दुनिया को समझने का न्यौता दे रही हैं। इस काल्पनिक वार्ता के द्वारा सांस भरिये पृथ्वी के अतीत और भविष्य में।
- Video Language:
- English
- Team:
closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 10:49
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