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(चहकते पक्षी)
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आप जो सुन रहे हैं
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वह दक्षिण यूरोप के
एक देशीय जंगल की आवाज़़ है।
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हम सभी को स्थिरता, शांती का
अनुभव होना कोई संयोग नहीं है।
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हम सभी इसी प्रकार के
इकोसिस्टम में पनपे हैं,
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जहाँ पक्षियों और कीटों की आवाज़ें
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खाने, दवाइयों और उन सभी
संसाधनों की ओर इशारा है
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जो हमें अपने जीवन के लिए चाहिए।
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इस ग्रह पर जीवन अभी भी
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इकोसिस्टम और उनकी जैव
विविधता पर निर्भर करता है।
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मेरे दिमाग पर इस जैव
विविधता की धुन सवार है,
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इस अनंत ताने-बाने का जादू
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जहाँ जीवित रहने के लिए हर
प्रजाति दूसरों पर निर्भर करती है।
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अपने करियर के अधिकतर समय
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मैंने अपना ध्यान केवल कीटों
और मिट्टी के अंदर की फफूंद
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के बीच के मनोहर संबंध पर केंद्रित किया।
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मेरी प्रबल चाह थी कि मैं इस
ताने-बाने के पैमाने को समझूँ
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और यह समझूँ कि यह कैसे हमें
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हमारे ग्रह के तेज़ी से
बढ़ते तापमान के रूप में
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मानवता के सामने की सबसे बड़ी
चुनौती में मदद कर सकता है।
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समस्या स्पष्ट है।
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हमें पता है कि हमें अपना
उत्सर्जन कम करना होगा
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और पहले से मौजूद कार्बन को
वातावरण से बाहर निकालना होगा,
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नुकसान पहुँचाना बंद करना
और मरम्मत शुरू करनी होगी।
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और यहीं जंगल हमारी मदद कर सकते हैं।
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सभी ग्रहों की तरह,
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पेड़ वातावरण से कार्बन को ग्रहण करते हैं
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और उसका उपयोग अपने बढ़ने में करते हैं।
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और इसमें से कुछ कार्बन
मिट्टी में समा जाता है
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जहाँ वह कई सौ या यहाँ तक
हजारों सालों तक भी रह सकता है।
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यदि हम दुनिया भर में
जंगलों का सफ़ाया रोक सकें,
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तो सीधे-सीधे वार्षिक उत्सर्जन
कम करने में मदद मिल सकती है।
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और यदि हम तराजू का पलड़ा
दूसरी ओर झुकाना शुरू कर पाएँ
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तो हम मरम्मत की प्रक्रिया में भी
मदद कर सकते हैं।
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मगर यदि लोग इस प्रकार के समाधान में
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अपना बहुमूल्य समय और
ऊर्जा वाकई में लगाएँगे,
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तो हमें इस मौके के पैमाने को समझना होगा
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और यह समझना होगा कि व्यक्तिगत रूप से
हम कितना प्रभाव डाल सकते हैं।
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लेकिन किसी इतने बड़े
पैमाने की चीज़ को समझना
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मेरे और मेरे सहकर्मियों के
लिए एक बिल्कुल नई चुनौती थी।
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इसके लिए, हमें दुनिया भर के विशेषज्ञों का
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ज्ञान चाहिए था।
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इसलिए हमने एक नेटवर्क बनाना शुरू किया।
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जितने अधिक से अधिक लोगों से
हमने संपर्क साधा,
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उतना अधिक डेटा हमें मिलने लगा,
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और तस्वीर और अधिक साफ़ होने लगी।
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12 लाख जंगलों के डाटा के साथ,
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दुनिया भर के जंगलों की संरचना का
पूर्वानुमान लगाने के लिए
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हम मशीन लर्निंग के नए मॉडल बना पाए।
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पहली बार,
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हम यह पता लगा पाए कि हमारी पृथ्वी पर
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केवल तीन खरब पेड़ों का वास है,
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मानव सभ्यता के शुरू होने के
पहले की गिनती से करीब आधा।
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हम यह जान पाए कि अलग-अलग
प्रजातियाँ कहाँ-कहाँ फैली हुई हैं
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और इस विशाल तंत्र में
कार्बन कैसे संग्रहित होता है।
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लेकिन यह पद्धती हमें कुछ और
अधिक परिवर्तनकारी भी दिखा पाई।
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इन्हीं मॉडलों का उपयोग कर,
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हमें यह समझ में आने लगा कि
वर्तमान जलवायु के अंतर्गत
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कहाँ-कहाँ पर पेड़ प्राकृतिक
रूप से उग सकते हैं।
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और इसने यह सुझाया कि
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शहरी और खेतीहर इलाकों के बाहर,
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90 करोड़ हेक्टेयर है
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जहाँ पेड़ प्राकृतिक रूप से रह सकते हैं।
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और इतनी जगह पर केवल एक खरब
पेड़ों के लिए स्थान है।
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हमने अंदाज़ लगाया कि अगर दीर्घकाल में
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हम इन इलाकों की सुरक्षा कर सकते हैं,
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तो मिट्टी और वनस्पति को मिलाकर
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वातावरण में मौजूद अत्यधिक
कार्बन का 30% हिस्सा बनता है,
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जो दशकों के मानव उत्सर्जन को
ग्रहण करने से बना।
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अब हमारे पास इन प्रारंभिक
अनुमानों को और सटीक करने के लिए
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काफी मात्रा में जारी शोध है।
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मगर इस क्षमता का पैमाना यह भी सुझाता है
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कि इस इकोसिस्टम द्वारा
प्रदान प्रदान किए जाने वाले
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अन्य लाभों के अतिरिक्त
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ये जलवायु बदलाव के विरुद्ध
हमारी लड़ाई में भी
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एक बहुमूल्य भूमिका अदा कर सकते हैं।
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जब हमारी शोध को विज्ञान पत्रिका में
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प्रकाशित करने के लिए
स्वीकार कर लिया गया,
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तो इसके बाद होने वाले
मीडिया में धमाके के लिए
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कुछ भी ऐसा नहीं था जो हमें तैयार कर पाता।
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एकाएक, ऐसा लग रहा था कि मानो पूरी दुनिया
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पेड़ों की क्षमता के
बारे में बात कर रही है।
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यूएन के इकोसिस्टम पुनर्स्थापित करने के
दशक की छत्रछाया में,
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'वर्ल्ड इकोनामिक फ़ोरम' ने
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डब्ल्यूडब्ल्यूएफ़ और यूनाइटेड नेशनस की
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ऐसी ही कोशिशों के साथ सामंजस्य बिठाते हुए
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एक खरब पेड़ों के अभियान को शुरू किया।
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एकाएक, दुनिया भर से सरकारें और कंपनियाँ
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पृथ्वी के जंगलों के पुनर्स्थापना के प्रति
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अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त कर रहीं थीं।
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और इससे पैदा हुई नौकरियों के कारण
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वैश्विक पुनर्स्थापन अभियान का विचार
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एक सच्चाई बनने लगा।
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मगर इस सभी की उत्तेजना में,
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और वह सकारात्मक प्रभाव जिसे डालने का
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मैंने हमेशा सपना देखा था,
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मैंने अपनी संचार में कुछ बचकानी
और मूर्खतापूर्ण गलतियाँ कीं
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जिसने पूरे संदेश को खतरे में डाल दिया।
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हमारे संदेश की सरलता में ही
उसकी शक्ति निहित थी,
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लेकिन उसकी कीमत चुकानी
पड़ी सूक्ष्म भेदों से,
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जो बहुत महत्वपूर्ण हैं।
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और जैसे-जैसे समाचार शीर्षक सामने आने लगे
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मैं उन्हें बड़ी शिद्दत से
वापस खींच लेना चाहता था
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क्योंकि उनमें से कुछ के कारण
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ऐसा लग रहा था कि
हम पुनर्स्थापन को ही
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जलवायु परिवर्तन के एकाकी समाधान के रूप में
प्रस्तावित कर रहे हैं।
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और जो अभियान को चाहिए था
यह उसके बिल्कुल विपरीत था।
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जब इस चश्मे से देखें,
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तो पुनर्स्थापन इससे निजात
पाने का आसान तरीका लगा,
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बस कुछ ही पेड़ लगाकर अपने उत्सर्जन को
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पलटने का हमारा मौका है
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और उत्सर्जन को घटाने के
वास्तविक तथा ज्वलंत
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चुनौतियों को और हमारे वर्तमान इकोसिस्टम की
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सुरक्षा करने को अनदेखा करने को।
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पुनर्स्थापन कोई रामबाण नहीं है।
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कोई भी रामबाण नहीं है।
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यह समाधानों का एक गुलदस्ता है
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जिसकी हमें शिद्दत से ज़रूरत है।
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और पेड़ों को आसान तरीके के
रूप में देखने का दृष्टिकोण
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बहुत ही ललचाने वाला दृष्टिकोण है,
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मगर जलवायु परिवर्तन अभियान
और इकोसिस्टम के लिए
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यह ऐसा वास्तविक खतरा है
जो अभी भी बना हुआ है।
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यह भी पेड़ों की आवाज़ है।
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यह यूकेलिप्टस का एक बागान है
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जो हमने जहाँ से शुरू किया
वहाँ से कुछ मील दूर है।
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ध्यान दें कि कीटों या पक्षियों की
कोई भी आवाज़़ नहीं है।
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जैव विविधता के गाने जा चुके हैं।
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क्योंकि जो आप सुन रहे हैं
वह कोई इकोसिस्टम नहीं है।
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यह पेड़ों की एकाकी
प्रजाति का वृक्षारोपण है
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जिसे पेड़ों के तेज़ी से
बढ़ने के लिए लगाया गया है।
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उस जैव विविधता के साथ-साथ
जो पहले यहाँ होती थी
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स्थानीय समुदाय ने
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वे लाभ भी खो दिए हैं जो
वह इकोसिस्टम देता था,
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जैसे कि साफ़़ पानी, मिट्टी का उपजाऊपन
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और सबसे आवश्यक,
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उन भीषण आगों से सुरक्षा
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जिनसे यह क्षेत्र हर गर्मी के
मौसम में खतरे में रहता है।
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यूएन सुझाता है
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कि दुनिया भर में आधे से अधिक पुन: वनरोपण
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इसी तरह के एकाकी प्रजाति पेड़ों के हैं
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जिन्हें तेज़ी से लकड़ी प्राप्त करने
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या कार्बन सोखने के लिए लगाया गया है।
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बिल्कुल किसी फ़ार्म की तरह
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ये वृक्षारोपण लकड़ी के
लिए बहुमूल्य हो सकते हैं,
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लेकिन ये प्रकृति का कोई
पुनर्स्थापन नहीं हैं।
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और एकाकी वृक्षारोपण उन
कई तरीकों में से एक है
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जिससे हम अपने इकोसिस्टम को
नुकसान पहुँचा सकते हैं,
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जब हम स्थानीय इकोलॉजी
या जो लोग उस पर निर्भर करते हैं
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उनके बारे में विचार किए बिना ही
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अपने उत्सर्जन को पलटने की कोशिश करते हैं।
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इन गलतियों के बाद,
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लेखों की एक दूसरी बाढ़ आ गई
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जो गलत पुनर्स्थापन के
जोखिमों की चेतावनी दे रहे थे।
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और यह आलोचना बहुत पीड़ादायक थी
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क्योंकि यह संपूर्ण रूप से सच थी।
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लेकिन सबसे अधिक,
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मैं इसे लेकर भयभीत था कि
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हम इस अद्भुत मौके को गंवा देंगे
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क्योंकि सकारात्मक प्रभाव के लिए
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पुनर्स्थापन में विशाल क्षमता है।
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लेकिन हर अच्छे विचार की तरह ही,
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वह तभी काम करता है
जब उसे सही ढंग से किया जाए।
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लेकिन जैसे-जैसे बादल छटने लगे,
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हमें यह एहसास हुआ कि यह ऐसे समय पर हुआ
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जब पूरा अभियान सही मायने में
गति पकड़ रहा था।
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पहले से कहीं अधिक लोग वैश्विक
पुनर्स्थापन में रूचि ले रहे थे
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और दुनिया भर से पुनर्स्थापन परियोजनाओं के
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सफलता और विफलता के बारे में
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संदेशों की झड़ी से,
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हमारे पास उन सीखों तक पहुँच थी
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जो हमें इसे सही ढंग से
करने में मदद कर सकती थीं।
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हर नई आलोचना ने
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हमें सीखने और बढ़ने का अद्भुत मौका दिया,
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हर विफल पुनर्स्थापन का
उदाहरण हमारे लिए एक सीख थी कि
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भविष्य की परियोजनाओं में
सुधार कैसे लाया जाए।
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यह सीखें डाटा का एक बिल्कुल नया स्रोत थीं,
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इस अभियान के वास्तविक नायकों से मिला डाटा,
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ज़मीनी स्तर पर स्थित लोगों से
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जो दुनिया भर में इकोसिस्टम का
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संरक्षण और प्रबंधन कर रहे थे।
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उनके इकोसिस्टम को उनसे
बेहतर कोई नहीं जान सकता,
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और उनसे अधिक गलत पुनर्स्थापन के जोखिमों
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के प्रति कोई भी जागरूक नहीं था
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और सही इकोलॉजिकल जानकारी की आवश्यकता
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ताकि बेहतरीन क्षेत्रों पर
ध्यान केंद्रित किया जा सके,
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उन क्षेत्रों में कौन सी
प्रजातियाँ रह सकती हैं,
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और समुदाय को वह प्रजातियाँ
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क्या लाभ दे सकती हैं।
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ऐतिहासिक रूप से, यही वह सवाल हैं
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जिनका जवाब सालों की परीक्षण त्रुटि विधि
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से खोजा गया।
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लेकिन हम इस पर विचार करने लगे
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कि यदि हम ज़मीनी स्तर
से मिले इस गूढ़ ज्ञान
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को हजारों सफलताओं और
विफलताओं के बारे में सीखने के लिए
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दोबारा अपने मशीन लर्निंग
मॉडल्स में डालें तो?
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क्या यह हमें उन रणनीतियों को
पहचानने में मदद कर सकता है
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जो दुनिया भर में काम कर
रही हैं और विफल हो रही हैं?
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और करीब एक साल पहले,
-
इस विचार को एक काम करते
हुए ऑनलाइन इकोसिस्टम
-
के रूप में बनाने और
बढ़ाने में मदद करने के लिए
-
हमने Google के साथ काम करना शुरू किया,
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जहाँ दुनिया भर की परियोजनाएँ साथ मिलकर
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सीख सकती हैं और बढ़ सकती हैं।
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Google की टेक्नोलॉजी और
हमारे मॉडल का मिलान करके
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यह निरंतर बढ़ता हुआ वैज्ञानिकों,
पुनर्स्थापन परियोजनाओं
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और एनजीओ का नेटवर्क
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एक ऐसे प्लेटफ़ॉर्म का निर्माण कर सकता है
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जो पुनर्स्थापन परियोजनाओं
की मदद कर सकता है।
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हम किस पर काम कर रहे थे
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आपको उसकी पहली झलक देने को
लेकर मैं बहुत उत्साहित हूँ।
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यह Restor है, पुनर्स्थापन
परियोजनाओं के लिए
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'ओपन डाटा प्लेटफ़ॉर्म'
-
यह ये दिखाने के लिए निशुल्क इकोलॉजिकल
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अंतर्दृष्टि देता है कि
पेड़, घास या झाड़ियों
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की कौन सी प्रजातियाँ उस
क्षेत्र में रह सकती हैं,
-
परियोजनाओं की निगरानी
-
ताकि हम यह देख सके कि ज़मीनी स्तर पर
-
क्या-क्या गतिविधि हो रही है।
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और सबसे आवश्यक,
-
इकोलॉजी संबंधी जानकारी साझा करने के लिए,
-
ताकि पुनर्स्थापन संस्थाएँ
एक दूसरे से सीख सकें।
-
और ताकि फंडर समर्थन करने के लिए
परियोजनाएँ ढूंढ सकें
-
और उन पर नज़र रख सकें।
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Restor पुनर्स्थापन के
लिए डिजिटल इकोसिस्टम है।
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जितना अधिक डाटा समुदाय अपलोड करेगा,
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अनुमान उतने ही सटीक होते जाएंगे
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और हम सभी निर्णय जानकारी से
लैस होकर ले पाएँगे।
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सब जगह के लोगों के हाथों में
हजारों परियोजनाओं कि सीखों को देना।
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और केवल पेड़ लगाने से यह
इकोसिस्टम कहीं बड़ा है।
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पेड़ इकोसिस्टम पुनर्स्थापन के
प्रतीक मात्र है।
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Restor धरती की सुरक्षा के लिए है
ताकि पेड़ स्वस्थ हो सकें,
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मिट्टी में सुधार के लिए
ताकि वनस्पति वापस आ सके,
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और हजारों अन्य तरीकों के लिए जिन का उपयोग
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घास के मैदानों, दलदलों
और अन्य सभी इकोसिस्टम को
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बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है,
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जो पृथ्वी पर जीवन के लिए
उतने ही महत्वपूर्ण हैं।
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चाहे आप कार्बन की
विशाल संभावनाओं वाली किसी
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आर्द्रभूमि का समर्थन करना चाहते हैं
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या यह पता लगाना चाहते हैं कि
आपके बगीचे में
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पौधों की कौन सी प्रजातियाँ उग पाएँगी
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और कितना मिट्टी कार्बन
वह एकत्रित कर सकते हैं
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इस टूल के साथ,
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हमें आशा है कि हर किसी को हर जगह
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पुनर्स्थापन अभियान के साथ
जुड़ने का मौका मिलेगा।
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पुनर्स्थापन शब्द को किसी चीज़ को
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उसके मूल स्वरूप में लौटाने की
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क्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है,
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लेकिन यह उसे उसके मूल मालिकों को
लौटाने की क्रिया भी है।
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प्रकृति का पुनर्स्थापन
स्थानीय जैव विविधता के लिए
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और उन समुदायों के लिए है
जो इस पर निर्भर हैं।
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जैसे-जैसे नेटवर्क बढ़ेगा
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साझे प्रयास से सभी का लाभ होगा।
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और यह लाभ जलवायु परिवर्तन के जोखिम
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से कहीं आगे जाते हैं।
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यदि जलवायु परिवर्तन अभी-के-अभी रुक भी जाए
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लेकिन पृथ्वी की जैव विविधता का
संरक्षण और उसका पुनर्निर्माण
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फिर भी एक शीर्ष प्राथमिकता रहेगी
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क्योंकि वही पृथ्वी पर
सारे जीवन को मज़बूती देती है।
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यह हमें सभी वैश्विक जोखिमों में
मदद कर सकता है
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जिस में शामिल हैं
भीषण मौसम की घटनाएँ, सूखे
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भुखमरी और वैश्विक महामारियाँ।
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लेकिन वैश्विक पुनर्स्थापन आसान नहीं होगा
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और इसका निदान केवल टेक्नोलॉजी
समाधानों से नहीं होगा।
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यह टूल हमें जानकारी दे सकते हैं,
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लेकिन आखिर में यह ऐसी चुनौती है
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जिसका निदान केवल हम कर सकते हैं, हम सभी।
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ठीक एक दूसरे पर आश्रित प्रजातियों की तरह
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जो प्राकृतिक इकोसिस्टम बनाती हैं।
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हम मनुष्य एक दूसरे पर
बहुत करीब से निर्भर हैं।
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हमें सतत उत्पादों का उपयोग करने के लिए
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सीमा हीन कनेक्शनों का विशाल नेटवर्क
-
किसान और जमीनी स्तर के
परियोजना मुखिया चाहिए होंगे।
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इस अभियान को जारी रखने के लिए
वैज्ञानिक, सरकार,
-
एनजीओ, व्यापार, आप, मैं,
सभी-के-सभी आवश्यक हैं।
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हमें पूरी मानवता की आवश्यकता है।
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धन्यवाद।