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अंतरलैंगिक होने के मायने --

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    मैं शुरुआत में ही एक बात
    कबूल करना चाहूंगी.
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    मुझे नहीं पता आप सब 16 साल की उम्र में
    क्या कर रहे थे.
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    पर मैं, हैरी पॉटर की बड़ी फैन,
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    इंतज़ार कर रही थी अपने आमंत्रण पत्र का,
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    जो कि मुझे उस काल्पनिक दुनिया के
    जादुई कॉलेज से आने वाला था.
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    शायद मैं कक्षा 6 में दाखिला लेती .
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    मैं स्टार वार्स के काल्पनिक मंदिर के
    आमंत्रण की भी प्रतीक्षा में थी.
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    या शायद, रूपांतरण में सक्षम,एक्स-मेन समूह
    से जुड़ने के न्योते की प्रतीक्षा में.
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    मैं ऐसी भोली बच्ची थी.
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    जब मैं 16 वर्ष की थी,
    तब मेरी इच्छा पूरी हो गयी.
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    मुझे किसी डॉक्टर के पास ले जाया गया
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    और बताया गया कि मैं ऐसे समूह
    का हिस्सा हूँ
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    जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं.
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    मैं एक अंतरलैंगिक हूँ.
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    यही मेरी खासियत है.
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    आप में से कई लोगों ने
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    शायद पहली बार ये नाम सुना होगा.
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    अंतरलैंगिक होना एक शारीरिक विसंगति है.
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    ये उन लोगों को कहा जाता है जिनका शरीर
    लिंग-भेद के नियमों का
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    पालन नहीं करता.
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    यानी आपका लिंग, आपके हॉर्मोन, आपका डीएनए
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    पुरुष एवं स्त्री की परिभाषाओं
    से परे होते हैं.
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    या यूँ कहें कि
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    हमारी प्रजाति के बारे में जो
    धारणाएं हैं --
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    जो हमें स्कूल में सिखाया जाता है
    कि लिंग सिर्फ दो प्रकार के होते हैं,
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    पुरुष एवं स्त्री --
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    यह धारणा सही नहीं है.
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    दुनिया की कई अन्य चीज़ों की तरह,
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    यह भी काफी जटिल है.
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    जो लोग पुरुष या स्त्री की परिभाषा
    में सही नहीं बैठते,
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    ऐसे लोग हमेशा से ही
    मानव इतिहास का हिस्सा रहे हैं.
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    "हैरी पॉटर" के जादूगरों की तरह
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    हम भी अदृश्य रहे हैं.
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    कई तो यह जानते ही नहीं
    कि वे अंतरलैंगिक हैं.
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    "एक्स-मेन" की तरह,
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    हम में से कुछ लोगों के गुण
    जन्म के समय ही दिख जाते हैं,
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    और कुछ के तब, जब वे युवावस्था में
    कदम रखते हैं.
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    जब पता चलता है कि वे अंतरलैंगिक हैं,
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    तो कुछ लोगों को लगता है कि
    दुनिया में ऐसे वे ही अकेले हैं.
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    जहां तक मेरी बात है, मेरे अंदर
    XY गुणसूत्र हैं,
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    यानी मेरा डीएनए एक पुरुष का है.
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    जन्म के समय मेरे पास पुरुष इन्द्रियाँ थी,
    स्त्री इन्द्रियाँ नहीं.
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    इस मंच पर खड़े रहना
    मेरे लिए एक बुरे सपने सा होता
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    मात्र 5 साल पहले तक.
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    बिलकुल असंभव.
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    मैं भले ही खुद को आप से
    अलग प्रस्तुत करूं,
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    पर असलियत में, मैं आप जैसी ही हूँ.
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    माना जाता है कि अंतरलैंगिक
    हमारी जनसँख्या का 1.7% हिस्सा हैं.
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    शायद कुछ देशों में यह अनुपात और अधिक है,
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    पर आप अंदाज़ा लगा सकते हैं.
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    हम कभी कॉफ़ी की लाइन में
    आपके सामने लगे होते हैं;
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    कभी ट्रैन में आपके बगल में बैठे होते हैं;
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    कभी डेटिंग अप्प्स में आपको
    लेफ्ट या राइट स्वाइप कर रहे होते हैं --
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    (दर्शकों में हंसी)
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    तो आपने कभी हमारे बारे में
    सुना क्यों नहीं?
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    यदि हम बाकी लोगों की तरह ही हैं,
    तो आप हमें क्यों नहीं देख सकते?
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    दुनिया हमारे साथ कैसा बर्ताव करती है?
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    हम सोचते हैं की चिकित्सा
    और कानून जैसे क्षेत्र
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    निष्पक्ष हैं, पवित्र हैं --
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    पूर्वाग्रह से मुक्त.
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    कानून को अंधा माना जाता है,
    जो सबको बराबरी से तौलता है.
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    डॉक्टरों की प्रसिद्द शपथ कहती है,
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    "संवेदना, सहानुभूति एवं दया-भाव
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    किसी भी दवा या मलहम पर भारी पड़ सकते हैं."
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    वास्तव में ये दो विधायें जो हमारे जीवन को
    इतना प्रभावित करती हैं,
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    कई पूर्वाग्रहों से भरी हुई हैं.
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    वे इन सब से अछूती नहीं है,
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    वैसे ही जैसे कि हम उन पूर्वाग्रहों के
    प्रभावों से अछूते नहीं हैं.
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    इसके परिणाम हानिकारक हो सकते हैं.
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    अंतरलैंगिक शिशु जो कि अस्पष्ट लिंग
    इन्द्रियों के साथ जन्म लेते हैं,
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    उनका यूँ ही ऑपरेशन कर दिया जाता हैं,
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    बिना ज़रुरत के, बिना सहमति के.
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    और इस बदलाव को वापस नहीं किया जा सकता.
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    यह सब इसलिए, ताकि उनका शरीर
    "सामान्य" हो जाए.
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    इतना सब, उस नवजात के
    पहले शब्द निकलने से पहले,
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    उसकी लैंगिक पहचान बनने से पहले.
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    कई लोगों को उनके अंतरलैंगिक
    गुणों के बारे में नहीं बताया जाता,
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    और जिन्हें बता दिया जाता हैं, उन्हें
    किसी से कहने को सख्ती से मना किया जाता है.
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    गोपनीयता रखने को मजबूर किया जाता है,
    और इस चीज़ को शर्म की नज़र से देखा जाता है.
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    कानून की किताबों में,
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    अंतरलैंगिकों को कोई पहचान नहीं दी जाती,
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    और न ही कोई कानूनी सुरक्षा.
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    कोई भी छोटी या बड़ी चीज़
    हमारे पक्ष में नहीं होती -
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    चाहे वह फॉर्म भरते समय
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    "स्त्री" या "पुरुष" का चयन हो,
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    या मुसीबत आने पर कानूनी सुरक्षा.
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    लैंगिक समानता पर आधारित नियम भी
    हमें पहचान अथवा मदद नहीं दिलाते.
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    अंतरलैंगिक लोग अपनी लैंगिक पहचान को
    बदल भी नहीं सकते
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    जो उन्हें जन्म के समय दी गयी थी.
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    एकमात्र समाधान है - खुद को किन्नर बताना.
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    दशकों की मेहनत के बाद,
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    अब जाकर इन समस्याओं का
    समाधान खोजा जा रहा है.
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    तो, आप जैसे सामान्य लोगों के लिए
    यह सब क्यों मायने रखेगा?
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    आप, जिनके लैंगिक गुण सामान्य हैं?
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    शायद आप लोगों ने
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    अपने निजी बाथरूम में कभी
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    यह सोचा होगा ....
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    "क्या मेरी योनि सही आकर की है?"
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    "मेरे अंडकोष असामान्य हैं?"
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    "क्या मेरा लिंग बहुत छोटा है?"
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    "क्या मेरी योनि देखने में सामान्य है?"
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    अधिकतर लोगों को यही चिंता होती है -
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    "क्या मेरा लिंग सामान्य है?"
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    शायद आप में से कई लोगों को
    यह विचार आता होगा
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    लेकिन आप उसे दरकिनार करते हुए,
    जीवन में आगे बढ़ते जाते होंगे.
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    हमारे शरीरों की ये असमानताएं,
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    जैसे आँखों का रंग, हाथ-पैरों का आकार,
  • 6:43 - 6:46
    हमारे जीवन को बहुत कम ही प्रभावित करते हैं
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    या यूँ सोचिये,
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    उदहारण के तौर पर,
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    कि जब आप एक नवजात शिशु थे,
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    क्या होता अगर आपके माता-पिता
    आपकी योनि,
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    लिंग अथवा अंडकोष को देखते,
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    और सोचते,
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    "देखने में तो स्वस्थ लग रहा है,
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    पर सामान्य नहीं है."
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    इससे पहले कि आप समझ सकते कि
    उनका क्या करना है,
  • 7:16 - 7:18
    उन्हें किस तरह से इस्तेमाल करना है.
  • 7:18 - 7:21
    (दर्शकों में हंसी)
  • 7:21 - 7:25
    क्या होता अगर वे खुद की समझ से
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    आपका अलग ही लिंग तय कर देते,
    आपके अंगों के माप के आधार पर ....
  • 7:33 - 7:36
    और फिर इस बारे में आपसे झूठ बोलते रहते,
    जीवन भर?
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    क्या होता अगर इन ऑपरेशन के बाद
    आप नपुंसक या बाँझ हो जाते?
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    अगर इन ऑपरेशन के बाद आपको
    असहनीय पीड़ा होती या निशान पड़ जाते?
  • 7:50 - 7:54
    क्या होता अगर आपको जीवन भर
    दवाइयां लेनी पड़ती
  • 7:54 - 7:58
    ताकि आपके जो अंग हटा दिए गए
    उनकी भरपाई शारीरिक रूप से हो सके?
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    और उन दवाइयों का खर्च आपको
    खुद ही देना पड़ता?
  • 8:02 - 8:07
    और हर बार जब आप सर्दी होने पर
    डॉक्टर के पास जाते,
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    तो आपसे आपके यौन संबंधों
    के बारे में पूछा जाता?
  • 8:11 - 8:12
    आपकी लैंगिक पहचान पूछी जाती?
  • 8:12 - 8:15
    यह पूछा जाता कि आपके आंतरिक अंग
    कैसे दिखते हैं?
  • 8:15 - 8:19
    और फिर बाकी डॉक्टरों और
    मेडिकल छात्रों को बुलाया जाता
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    जो और भी ज़्यादा सवाल पूछते,
  • 8:21 - 8:23
    आपसे पैंट नीचे करने को कहते,
  • 8:23 - 8:27
    या अनावश्यक जांच करवाने को कहते?
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    अंतरलैंगिकों के साथ जो व्यवहार होता है,
    यह उसकी एक झलक मात्र है.
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    दुनियाभर में, मुझ जैसे लोगों के साथ,
    हर रोज़.
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    हमारा समुदाय चिकित्सा या स्वास्थ्य के
    खिलाफ नहीं है.
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    परन्तु हमारे शरीर के साथ क्या होना है,
    यह तय करने का अधिकार हमें ही होना चाहिए.
  • 8:51 - 8:53
    और जीवन का भी.
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    अंतरलैंगिकों के साथ ऐसे व्यवहार की जड़ें,
    अप्रासंगिक हो चुके एक पुराने शोध में हैं,
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    जिसे 50 साल पहले एक ऐसे व्यक्ति ने लिखा था
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    जिसका मानना था कि आप किसी शिशु को
    किसी भी लिंग का मानकर पाल सकते हैं -
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    उनके आंतरिक अंगों को बदल कर,
    उनसे इस बात को छिपा कर ,
  • 9:10 - 9:14
    और उनकी बदली हुई लैंगिक पहचान को
    बार बार जताकर.
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    इसकी जड़ें इस तथ्य में भी हैं कि
    स्वस्थ अंतरलैंगिक अंगों को भी असामान्य
  • 9:22 - 9:24
    या बेकायदा समझा जाता है.
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    ठीक है.
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    यदि आप किसी अवस्था को विसंगति कह रहे हैं,
    तो आप यह भी मानते हैं की उसका इलाज है.
  • 9:31 - 9:36
    यह धारणा, अंतरलैंगिकों को डर और
    लांछन भरी निगाहों से देखना का परिणाम है.
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    परिणाम है समलैंगिकों के प्रति
    असहिष्णुता का, लिंग-भेद का,
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    और अंत में हमारी रूढ़िवादी मानसिकता का.
  • 9:45 - 9:50
    मेरा कहना यह नहीं है की पुरुष और
    स्त्री लिंग नहीं होते.
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    मेरा कहना यह है कि दुनिया की
    कई चीज़ों की तरह,
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    लिंग भी एक जटिल सिद्धांत है.
  • 9:57 - 9:58
    इस दुनिया की जटिलता को,
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    हम चाहें तो खूबसूरती की निगाहों से देखें,
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    या हम उसकी जटिलता को नकारते रहें,
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    लोगों को अपनी संकीर्ण मानसिकता में
    ज़बरदस्ती ढालने का प्रयास करते रहें,
  • 10:12 - 10:14
    जो बिलकुल स्वस्थ है
    उसे ठीक करने का प्रयास करें,
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    और अपनी दृष्टिकोण को सीमित रखें.
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    अंतरलैंगिकों को रोज़मर्रा के जीवन में
    कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
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    उनमें से एक है, समाज में अपनी पहचान बनाना
  • 10:26 - 10:29
    और साथ ही समाज में खुद को सुरक्षित रखना.
  • 10:29 - 10:34
    हम सांसदों से लगातार अपील करते रहते हैं
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    कि वे हमारी सुरक्षा के लिए कदम उठाएं
  • 10:37 - 10:40
    और हमें समाज में पहचान भी दिलाएं,
  • 10:40 - 10:41
    हमारी कहानियां सुनाएं,
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    हमें समाज और सुमदाय का हिस्सा बनायें ...
  • 10:46 - 10:48
    भले ही यह सुरक्षा कि दृष्टि से सही न हो.
  • 10:51 - 10:55
    वे लोग जो मुझे सुन रहे हैं
    और जिनके बच्चे अंतरलैंगिक हैं,
  • 10:55 - 10:56
    दर्शकों में बैठे वह लोग
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    जो शायद कभी किसी अंतरलैंगिक बच्चे के
    माता-पिता बनेंगे,
  • 10:59 - 11:03
    मैं उन्हें कहना चाहती हूँ कि
    मैं अपनी ज़िन्दगी में बहुत खुश हूँ,
  • 11:04 - 11:06
    पर उसमें भी समस्याएं हैं,
  • 11:06 - 11:09
    खासकर मेरे अंतरलैंगिक होने के सम्बन्ध में.
  • 11:10 - 11:11
    समस्याएं सभी के जीवन में होती हैं.
  • 11:12 - 11:14
    हर सिक्के के दो पहलू होते हैं.
  • 11:16 - 11:18
    एक ओर,
  • 11:18 - 11:22
    मुझे डॉक्टरों के द्वारा
    अपमानित किया गया है.
  • 11:23 - 11:28
    मैंने भावी जीवनसाथियों के सामने
    खुद को डरा हुआ पाया है.
  • 11:28 - 11:30
    खुद के कमतर या
    उनके लायक न होने की भावना रही है.
  • 11:32 - 11:35
    मैंने राह चलते महिलाओं को देखा है
  • 11:35 - 11:39
    और कल्पना की है की कितनी तरह से
    वे सब मुझसे ज़्यादा "स्त्री" हैं,
  • 11:39 - 11:40
    मुझसे ज़्यादा मानवीय हैं.
  • 11:42 - 11:46
    खुद से प्रश्न किया है कि क्या
    मेरे लिए दुनिया में कोई जगह भी है?
  • 11:48 - 11:50
    वहीँ दूसरी ओर,
  • 11:50 - 11:56
    मुझे अपने वास्तविक रूप में
    ढेर सारा प्यार भी मिला है,
  • 11:56 - 11:58
    दोस्तों से, प्रेम-संबंधों से.
  • 12:00 - 12:06
    समाज के एक बड़े तबके के प्रति
    सहानुभूति एवं संवेदना का पाठ भी मिला है.
  • 12:07 - 12:10
    मैंने सीखा है कि अपने शरीर से
    प्रेम करना चाहिए
  • 12:10 - 12:12
    और दूसरों को उनकी काया से
    आंकना नहीं करना चाहिए.
  • 12:14 - 12:17
    मुझे नयी आशा और मानसिक शक्ति मिली है
  • 12:17 - 12:22
    जो शायद इस असामान्य जीवन के बिना
    नहीं मिल सकती थी.
  • 12:25 - 12:31
    बच्चों की भलाई के बारे में सोचना
    ज़रूर प्रशंसनीय एवं अनुपम है,
  • 12:31 - 12:35
    परन्तु सत्य यह भी है कि प्रेम, स्वीकृति
  • 12:35 - 12:38
    और सामाजिक लज्जा से संरक्षण
  • 12:38 - 12:43
    उनकी ज़्यादा भलाई करेंगे, बनिस्बत इसके कि
    आप सामान्य शरीर को भी जबरन चीज़ ठीक करें.
  • 12:45 - 12:49
    इसलिए हमें अंतरलैंगिक बच्चों
    को संरक्षण देना चाहिए
  • 12:49 - 12:51
    और उन्हें दुनिया के सामने लाना चाहिए.
  • 12:52 - 12:57
    जब तक समाज "सामान्य" को
    परिभाषित करता रहेगा
  • 12:57 - 12:59
    ...तब तक
  • 12:59 - 13:04
    सभी को किसी न किसी ढंग से
    "असामान्य" होने का डर सताता रहेगा.
  • 13:07 - 13:12
    विविधता छुपाई जाती रहेगी,
  • 13:12 - 13:13
    लाज का गुबार बनता जायेगा.
  • 13:17 - 13:20
    अंतरलैंगिक होने से मुझे वो
    ख़ास शक्तियां तो नहीं मिलीं
  • 13:20 - 13:23
    जिनके बारे में मैं
    किशोरावस्था में सोचती थी ...
  • 13:23 - 13:28
    बस यह सामर्थ्य मिला कि मैं देख सकूं कि
    ये त्रुटिपूर्ण लैंगिक परिभाषाएं
  • 13:30 - 13:32
    किस प्रकार से नुकसानदायक हैं.
    मेरा मानना है
  • 13:32 - 13:37
    कि जब अंतरलैंगिकों को समानता मिलेगी ,
  • 13:37 - 13:39
    पहचान मिलेगी,
  • 13:39 - 13:41
    स्वीकृति मिलेगी,
  • 13:41 - 13:43
    प्रेम मिलेगा,
  • 13:43 - 13:45
    तभी ये शब्द असली मायने रखेंगे.
  • 13:45 - 13:46
    धन्यवाद.
  • 13:46 - 13:49
    (तालियां)
Title:
अंतरलैंगिक होने के मायने --
Speaker:
सुसैना तेमको
Description:

अंतरलैंगिक, अर्थात वे लोग जो स्त्री या पुरुष की प्रचलित परिभाषा से परे होते हैं. ऐसे लोगों पर "सामान्य" होने का दबाव बना रहता है. अपने अनुभवों को बांटते हुए सुसैना बताती हैं कि कैसे उन्हें लज्जा, पक्षपात और मानसिक यातनाओं का सामना करना पड़ता है, कैसे स्त्री अथवा पुरुष की प्रचलित परिभाषा के दायरे में रहना उनकी जीवन में कठिनाइयां एवं दुःख लाता है. वे आव्हान करती हैं कि हमें लिंग की संकीर्ण परिभाषा से ऊपर उठकर, इसकी जटिलता को समझना तथा स्वीकारना चाहिए.

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
14:04
Arvind Patil approved Hindi subtitles for What it means to be intersex
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Arvind Patil edited Hindi subtitles for What it means to be intersex
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Anshul Bhargava edited Hindi subtitles for What it means to be intersex
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