जब माता या पिता की तबीयत ठीक न हो |स्टेफ़ानिया बुओनी | TEDxNapoli
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0:07 - 0:09"नाबालिग देखभालकर्ता"
होने का क्या अर्थ होता है? -
0:10 - 0:12जब कोई अपना बीमार हो जाता है
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0:13 - 0:17तो सारा ध्यान उसकी,
और उसकी ज़रूरतों में लग जाता है। -
0:17 - 0:20पर अगर वह कोई और नहीं
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0:20 - 0:23बल्कि आपके अपने माता या पिता हों,
तो क्या होता है? -
0:25 - 0:30आपको कैसा लगेगा अगर
आप जब बच्चे हों या नाबालिग हों -
0:30 - 0:33और आपके माता-पिता बीमार हो जाएं?
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0:33 - 0:36जब मैं किशोरी थी, मुझे तो पता भी नहीं था
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0:36 - 0:38कि मैं एक "नाबालिग देखभालकर्ता" थी।
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0:38 - 0:41सब बच्चों की तरह मैं स्कूल जाती,
अपने दोस्तों के साथ मस्ती करती। -
0:42 - 0:45पर इन तस्वीरों के पीछे ऐसा क्या है
जो हमें दिखाई नहीं दे रहा है? -
0:47 - 0:49आपको उस छिपे हुए हिमशैल
के बारे में बताने से पहले -
0:51 - 0:55मैं ज़रा अतीत में ले जाना चाहती हूँ,
आपको शुरू से बताना चाहती हूँ। -
0:55 - 0:59अगर मैं आपसे पूछूं कि क्या बदला है
और क्या वैसा ही रहा है, -
1:00 - 1:03शायद आप मुझे कहेंगे मेरी उम्र के अलावा
मुझे अब भी कुत्तों से प्यार है -
1:04 - 1:06और मैंने अपने बालों का स्टाइल बदल लिया है।
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1:06 - 1:09पर उन तस्वीरों में ऐसा क्या है
जो नज़र नहीं आ रहा है? -
1:09 - 1:13जिस बच्ची को आप बीच में देख रहे हैं
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1:13 - 1:15वह कैसे आज की यह युवती बन गई,
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1:15 - 1:18बायीं ओर खड़ी नाबालिग मैं
की उम्र से गुज़रती हुई? -
1:19 - 1:22अचानक मेरे परिवार को
एक सुनामी ने झकझोर दिया। -
1:22 - 1:26ऐसी सुनामी जो बढ़ती जा रही है,
जब तक हमें तबाह नहीं कर देती। -
1:27 - 1:29वह सुनामी जिसका नाम है
स्वास्थ्य की समस्या। -
1:30 - 1:33और जब ऐसी सुनामी आपके माता या पिता
या दोनों को झकझोरती है -
1:33 - 1:35और आप तब बच्चे या नाबालिग ही हों
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1:35 - 1:37आप उन पर निर्भर हों,
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1:37 - 1:38तो बहुत मुश्किल हो जाता है।
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1:41 - 1:44और अगर मैं कहूँ कि वह स्वास्थ्य समस्या
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1:44 - 1:46"मानसिक स्वास्थ्य" की समस्या है, तो?
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1:48 - 1:52एक बेटे या बेटी के लिए वह बोझ
बहुत असहनीय हो सकता है -
1:52 - 1:57और अपरोध बोध, डर, गुस्से,
उदासी से भरा हो सकता है, -
1:57 - 2:00प्यार और नफ़रत की वैकल्पिक भावनाओं
का चक्रवात सा होता है, -
2:00 - 2:04हमेशा वह अत्यंत सावधानी बर्तने की भावना,
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2:05 - 2:10ज़िम्मेदारियों का बोझ,
ध्यान लगाने में मुश्किल होना -
2:11 - 2:14और घर के काम काज भी करना,
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2:14 - 2:17जैसे किराने का सामान लाना,
छोटे भाई-बहनों की देखभाल करना -
2:17 - 2:19या डॉक्टरों से बात करना
व चिकित्सा का प्रबंध करना। -
2:20 - 2:22या दूसरों की धौंस सहना,
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2:22 - 2:26अपने माता-पिता के अजीब व्यवहार की वजह से।
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2:27 - 2:30पर इसके साथ ही,
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2:30 - 2:33आपको असली आपातकालीन समस्याओं
का सामना भी करना पड़ सकता है -
2:33 - 2:35जिनके बारे में किसी ने आपको बताया नहीं।
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2:35 - 2:39जैसे ऐसी स्थिति संभालना
जब आपके माता या पिता -
2:39 - 2:42को उन चीज़ों का आभास हो
जिनका अस्तित्व ही नहीं : पागलपन। -
2:43 - 2:48या पागलपन और अवसाद के दौरों से जूझना
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2:48 - 2:50और आपको उसके बारे में
किसी ने तैयार नहीं किया हो। -
2:50 - 2:55या आत्महत्या की कोशिश करते देखना
या उन्हें ऐसा करने से रोकना। -
2:56 - 2:57और तो और,
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2:57 - 3:01अपना आम जीवन भी जीना,
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3:01 - 3:03हर रोज़ स्कूल जाना, पढ़ना...
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3:03 - 3:07मेरे आज यहाँ होने की वजह है
कि हमारे कंधों पर एक और बोझ आ जाता है -
3:07 - 3:10कि आप अक्सर उस बारे में
किसी और से बात नहीं कर सकते। -
3:12 - 3:16अगर आप कहें कि आपके माता या पिता
को कोई शारीरिक समस्या है, -
3:16 - 3:19कैंसर या कोई और बीमारी है,
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3:19 - 3:22तो कोई उन्हें उसका दोषी नहीं ठहराएगा,
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3:22 - 3:25न ही उन्हें बुरे माता-पिता समझेगा
या कमज़ोर मानेगा। -
3:26 - 3:29आपके बारे में कोई यह नहीं सोचेगा
कि आपमें आनुवांशिक रूप से कोई कमी है -
3:29 - 3:32और आपकी तो किस्मत में लिखा है
कि वह बीमारी आपको भी होगी। -
3:33 - 3:37पर अगर आप कहें कि आपकी माताजी
या पिताजी को अवसाद -
3:38 - 3:41द्विध्रुवी विकार या स्किज़ोफ़्रीनिया है
या अभी तक कोई निदान नहीं हो पाया है, -
3:41 - 3:43या आप उनके व्यवहार का वर्णन करते हैं
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3:43 - 3:46और कहते हैं :
"माँ या पिताजी को कुछ तकलीफ़ है", -
3:46 - 3:49बाहर की दुनिया के लोग
बिल्कुल अलग तरह से प्रतिक्रिया करेंगे। -
3:50 - 3:54आज तक भी, दुनियाभर में,
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को -
3:54 - 3:56समान नज़र से नहीं देखा जाता है।
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3:57 - 4:00आज तक मानसिक स्वास्थ्य को हम सबके लिए
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4:00 - 4:02अच्छा नहीं माना जाता है।
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4:02 - 4:05और इससे समझने में देरी हो जाती है
कि हमारे अंदर -
4:05 - 4:09और हमारे अपनों के अंदर क्या हो रहा है,
मदद मांगने और पाने में भी देर हो जाती है, -
4:09 - 4:11और अक्सर इलाज हो ही नहीं पाता।
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4:12 - 4:16और एक बेटी या बेटा होने के नाते
तो आपके ऊपर बोझ और बढ़ जाता है। -
4:18 - 4:20जो वातावरण आप अपने आस-पास महसूस करते हैं,
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4:20 - 4:23घर के अंदर और बाहर बात करने की दिक्कत,
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4:23 - 4:26उस लांछन, उस पक्षपात,
उस शर्मिंदगी की वजह से -
4:26 - 4:29हो सकता है आप अंदर ही अंदर घुटते रहें
और किसी से कुछ न कहें। -
4:29 - 4:34पर अकेलापन और चुप्पी एक नाबालिग के लिए
बहुत बड़ा बोझ हो सकते हैं। -
4:34 - 4:37मैंने इन हालात को कैसे सहन किया?
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4:37 - 4:39उन तस्वीरों के परे क्या है
जो दिखाई नहीं दे रहा? -
4:39 - 4:41उस मुस्कान के पीछे?
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4:42 - 4:45एक ढाल सी बनने लगी, अपने आप ही,
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4:45 - 4:49जिसके पीछे मैं छिप जाया करती,
बर्फ़ से बनी ढाल -
4:49 - 4:52जो मुझे डर, गुस्से
और दर्द को अंदर छिपाने देती -
4:52 - 4:55और मुझे परेशान होने और मेरे
आसपास के लोगों को परेशान करने से बचाती, -
4:55 - 4:59और मैं वह सब करती रही
जो मेरे साथी कर रहे थे -
4:59 - 5:00पर साथ ही साथ उसकी वजह से
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5:00 - 5:02मेरे और उनके बीच की दूरी बहुत बढ़ गई।
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5:02 - 5:05क्योंकि मैं बाकियों के मुकाबले
अधिक बड़ी हो गई। -
5:06 - 5:10उसी समय एक मदद की पुकार भी थी,
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5:10 - 5:13मदद की पुकार जो निकल ही नहीं पाती
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5:13 - 5:16और जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता,
यहाँ तक कि स्कूल में भी नहीं। -
5:18 - 5:22उस ढाल में पहली दरार कब पड़नी शुरू हुई?
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5:22 - 5:26रोशनी की वह पहली किरण कब दिखाई देने लगी?
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5:26 - 5:30मुझे अभी तक याद है वह
हमारे परिवार के मनोचिकित्सक -
5:30 - 5:33जो परिवार से बाहर पहले इंसान थे
जिनपर मैं भरोसा कर सकती थी -
5:33 - 5:36जिनके साथ सारी बातें दिल खोलकर कर सकी
और उन्होंने मुझे धीरे-धीरे -
5:36 - 5:39अपने आसपास के भरोसेमंद लोगों को पहचानने,
अपना नेटवर्क बढ़ाने में मदद की -
5:39 - 5:41जो मेरी मदद कर सकते थे।
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5:41 - 5:44पर मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात हुई
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5:44 - 5:50कि मैंने इंटरनेट फ़ोरम पर दूसरे देशों के
बेटियों और बेटों की कहानियाँ पढ़ी -
5:50 - 5:53जिसकी वजह थी मेरे माता-पिता का
भाषा के लिए प्रेम जो मुझे विरासत में मिला। -
5:54 - 5:57मानसिक तौर पर बीमार माता-पिता
के बच्चों की कहानियाँ -
5:57 - 5:59सब अलग होती हैं, एक से बढ़कर एक होती हैं।
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5:59 - 6:02पर एक बात जिससे मुझे हैरानी होती है
जो हम सबमें है। -
6:02 - 6:05कि हम अक्सर यह मानते हैं
कि हम अकेले ही ऐसे हैं। -
6:06 - 6:10पर सांख्यिकी के अनुसार, ऐसा असंभव है!
हम जैसे तो दुनिया में करोड़ों हैं। -
6:10 - 6:14फिर भी हम खुद को यह समझा लेते हैं
कि हम जो अनुभव कर रहे हैं -
6:14 - 6:16वैसा किसी ने कभी नहीं किया होगा।
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6:17 - 6:18जानते हैं ऐसा क्यों होता है?
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6:18 - 6:21क्योंकि हम बच्चों की
कहानियों की बात नहीं करते। -
6:23 - 6:30ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और कनाडा के बेटों,
बेटियों और कार्यकर्ताओं की कहानियों से -
6:31 - 6:34न केवल मैं उन भावनाओं को एक नाम दे पाई
जो मैं महसूस कर रही थी -
6:34 - 6:38और समझ पाई कि मेरे अनुभव की वजह से
वह एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया थी, -
6:38 - 6:41पर मैं यह भी समझ गई
कि उन हालात से जूझने के लिए ही -
6:41 - 6:44मुझमें कुछ सकारात्मक गुण उत्पन्न हुए थे।
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6:45 - 6:49तो मैंने अपनी पहली
अंतरमहाद्विपीय उड़ान भरी, अकेले, -
6:49 - 6:53और वैंकूवर, कनाडा में स्पीकर बनकर
अपनी पहली कान्फ़्रेंस के लिए चली आई, -
6:54 - 6:57उन बेटों और बेटियों से मिलने,
उनसे बात करने। -
6:57 - 7:01यह मेरे लिए एक सकारात्मक,
शक्तिशाली चिंतन का पल रहा है -
7:01 - 7:04क्योंकि उनमें मैं वह कहानी देख पाई
जो मैं जी रही थी, -
7:04 - 7:05पर जिसे अभी लिखना बाकी था।
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7:06 - 7:09उनमें मुझे वह दर्द दिखाई दिया,
पर साथ ही मुक्ति की शक्ति भी मिली -
7:09 - 7:12ताकि उस दर्द से परिवर्तन के बीज बना सकूँ।
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7:12 - 7:17मैंने साहस, सहानुभूति, लचीलेपन
के वह सकारात्मक गुण देखे -
7:17 - 7:20यथा स्थिति को चुनौति देने की वह उत्सुकता
जो मैंने अपने अंदर नहीं पहचाने थे, -
7:20 - 7:23जबकि वे उनके अंदर से प्रतिबिम्बित होकर
मुझे अपने अंदर भी दिखाई दिए। -
7:24 - 7:27उनसे वह मुलाकात एक बहुमूल्य तोहफ़ा रहा है,
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7:27 - 7:29जो मुझे आज तक ऊर्जा देता रहता है।
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7:29 - 7:33और वह एक ऐसा तोहफ़ा है जो
मैं इटली में, यूरोप में लेकर आना चाहती हूँ -
7:33 - 7:37ताकि दूसरे "भूले बिसरे बच्चों"
की मदद कर सकूँ -
7:37 - 7:40उनके कंधों से थोड़ा सा यह बोझ हटा सकूँ।
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7:40 - 7:44मेरी इच्छा है कि कोई भी बच्चा,
चाहे नाबालिग हो या वयस्क -
7:44 - 7:47कभी अकेला न महसूस करे
जब उसके माता या पिता या दोनों -
7:47 - 7:49किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित हो जाएँ।
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7:50 - 7:53यह एक बहुत बड़ी कामना है मेरी,
जिसके लिए सबकी मदद चाहिए -
7:53 - 7:58क्योंकि नहीं तो, मैं ख़ुद को अपने कंधों पर
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7:58 - 8:01दुनिया का बोझ ढोने से कैसे रोक पाऊँगी?
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8:02 - 8:04और अब हम आते हैं आज की बात पर।
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8:04 - 8:082017 में दूसरे इतालवी बेटों और बेटियों,
गायो, कार्लो और मार्को के साथ मिलकर -
8:08 - 8:11हमने अपनी पहली
इतालवी गैर लाभकारी संस्था बनाई -
8:11 - 8:13बेटों और बेटियों द्वारा
उन्ही के लिए बनाई गई -
8:13 - 8:16ताकि बच्चों और नाबालिगों को
बोलने का मौका दिया जाए, -
8:16 - 8:19संस्थाओं में हमारे अधिकारों का
समर्थन किया जाए -
8:19 - 8:22और उसका नाम है कोमिप,
मानसिक बीमारी से ग्रसित माँ-बाप के बच्चे, -
8:22 - 8:24बेटियाँ और बेटे।
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8:24 - 8:28हमने एक परियोजना शुरू की
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8:28 - 8:30जो एक मिनी गाइड की तरह है
जिसे मैंने लिखा है -
8:30 - 8:33और जिसकी मुझे ज़रूरत थी
जब मैं 15 साल की थी -
8:33 - 8:37और जिसका शीर्षक है
"जब माता या पिता बीमार हों -
8:37 - 8:40मानसिक बीमारी से पीड़ित माता-पिता के
बच्चों के लिए मिनी गाइड"। -
8:41 - 8:45यह जनसाधारण की परियोजना है,
जिसे क्राउडफंडिंग से शुरू किया गया, -
8:45 - 8:48मेरे कुछ साथियों ने मेरी मदद की,
उनमें से कुछ यहाँ थिएटर में मौजूद हैं. -
8:48 - 8:51जो मेरे जैसी इच्छा रखते थे
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8:51 - 8:54और जिन्होंने हमें शुरू करने
और उड़ने का साहस दिया। -
8:54 - 8:59इस परियोजना का उद्देश्य है कि इटली के
हर स्कूल और सार्वजनिक पुस्तकालय, -
8:59 - 9:04पारिवारिक परामर्श केंद्र
और मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों में -
9:04 - 9:05इस मिनी गाइड
की एक कॉपी दान की जाए -
9:05 - 9:08ताकि किसी बच्चे या किशोर
या उनके परिवारों को कभी -
9:08 - 9:09अकेलेपन का सामना न करना पड़े।
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9:09 - 9:12ख़ासकर जिन बच्चों के माता-पिता
अपनी बीमारी के बारे में -
9:12 - 9:15अवगत नहीं हैं और न ही
अपने विकार का इलाज करवा रहे हैं। -
9:15 - 9:18हमें ऐसे बच्चों के बारे में भी सोचना है।
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9:18 - 9:20काफ़ी देर तक मैं भी एक ऐसी बच्ची रही हूँ।
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9:21 - 9:23पहले, जब मैंने इस परियोजना
की योजना बनानी शुरू की -
9:23 - 9:27मैंने ख़ुद से कहा, "मैं यह कभी नहीं
कर पाऊँगी, मैं यह कैसे करूंगी?" -
9:27 - 9:30फिर धीरे-धीरे मैंने
आसपास के लोगों से मदद मांगी -
9:30 - 9:33पेशेवर हाइकर गाइडों से भी
कि वे लोगों को हाइक करवाते हुए -
9:33 - 9:36मेरी कहानी दस मिनट में सुनाएँ
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9:37 - 9:39और समाज से ऐसे लोग ढूंढें
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9:39 - 9:41जिन्होंने ऐसा अनुभव न किया हो
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9:41 - 9:45जो हमारे लिए परिवर्तन के डाकिए बनना चाहें
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9:45 - 9:47और अपने शहर के पुस्तकालय के लिए
हमारे कॉमिप से -
9:48 - 9:50मिनी गाइड की कॉपी ले जाएँ।
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9:50 - 9:53और अब हम बहुत से क्षेत्रों
तक पहुंच चुके हैं, -
9:53 - 9:55आओस्टा घाटी से सिसिली और सार्डीनिया तक।
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9:55 - 9:58हम रुकने वाले नहीं,
हम उन सब तक पहुंचना चाहते हैं। -
9:58 - 10:02हमारी एक और इच्छा है कि हम संस्थाओं
में एक जागरूकता उत्पन्न करें -
10:02 - 10:04ताकि वे हमारे लिए और काम करें,
साथ ही समाज के लिए, -
10:04 - 10:08और मानसिक स्वास्थ्य में अधिक निवेश करें।
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10:08 - 10:10हम एक और इच्छा पूरी कर रहे हैं
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10:11 - 10:15और वह है स्कूलों में जाना,
छात्रों से बात करना, बच्चों से बात करना। -
10:15 - 10:18केवल देखभाल करने वाले ही नहीं,
बेटियाँ, बेटे ही नहीं, पर वे सब। -
10:18 - 10:21एक तरह का टूल बक्सा रखना
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10:21 - 10:24ताकि भानवनाओं से निपट सकें,
सकारात्मक और नकारात्मक दोनों, -
10:24 - 10:27इससे पहले कि हालात और बिगड़ें
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10:27 - 10:30जीवन की चुनौतियों से जूझने के लिए
हमारे पास सारा सामान हो। -
10:30 - 10:31ताकि जीवन बचा सकें।
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10:32 - 10:36हमारे सामने की राह बहुत कठिन है।
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10:36 - 10:40पर मैं एक बात यकीनन जानती हूँ
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10:41 - 10:44कि मानसिक बीमारी से पीड़ित माँ-बाप
के बच्चों में एक -
10:44 - 10:47सकारात्मक गुण तो होता है
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10:47 - 10:49और वह है यथा स्थिति में
परिवर्तन लाने की उत्सुकता। -
10:50 - 10:52इसीलिए मैं जानती हूँ कि उस लड़की की
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10:52 - 10:56इच्छा ज़रूर पूरी होगी,
आपकी मदद से भी। -
10:56 - 10:59अगर इस कहानी ने आपके मन को छुआ,
आपको प्रभावित किया, -
10:59 - 11:02तो इसके बारे में बताएं, अपने दोस्तों,
अपने सहकर्मियों को सुनाएँ। -
11:02 - 11:05आइए मिलकर उस छोटे से दरवाज़े को खोलें
जो हमारे लिए नहीं खुल पाया था। -
11:05 - 11:08रोशनी को आने दें!
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11:08 - 11:09धन्यवाद।
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11:09 - 11:12(तालियाँ)
- Title:
- जब माता या पिता की तबीयत ठीक न हो |स्टेफ़ानिया बुओनी | TEDxNapoli
- Description:
-
एक "नाबालिग देखभालकर्ता" होने का क्या अर्थ होता है? आप पर क्या बीतती है जब आपके माता-पिता को कोई बीमारी हो जाती है और आप अभी बच्चे या नाबालिग होते हैं? और अगर वह बीमारी ..."मानसिक बीमारी" हो तो?
सक्रीय परिवर्तनकर्ता, "कॉमिप - मानसिक रूप से बीमार माता-पिता के बच्चे", की अध्यक्ष और सह-संस्थापक, इटली की वह पहली गैर लाभकारी संस्था जिसे मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों के बेटों और बेटियों "भूले-बिसरे बच्चों" ने बनाया है।
2018 में सेसवोल अम्ब्रिया-टर्नी की सामाजिक प्रकाशन सेवा के आभार से, स्टेफ़ानिया बुओनी ने अपनी पुस्तक "जब माता या पिता बीमार हों - मानसिक रोग से पीड़ित माता-पिता की बेटियों और बेटों के लिए गाइड", वह पुस्तक जिसकी ज़रूरत उन्हें तब थी जब वह 15 की थीं और जिसे वह क्राउडफंडिंग के ज़रिए पुनः प्रकाशित और वितरित कर रही हैं।
उसी साल में, कॉमिप के साथ उन्होंने उसी नाम की एक और परियोजना शुरू की - जो अब भी जारी है - इतालवी स्कूलों में नाबालिग देखभालकर्ताओं के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना। - Video Language:
- Italian
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDxTalks
- Duration:
- 11:21
Abhinav Garule approved Hindi subtitles for Quando Mamma O Papà Hanno Qualcosa Che Non Va | Stefania Buoni | TEDxNapoli | ||
Abhinav Garule accepted Hindi subtitles for Quando Mamma O Papà Hanno Qualcosa Che Non Va | Stefania Buoni | TEDxNapoli | ||
Monika Saraf edited Hindi subtitles for Quando Mamma O Papà Hanno Qualcosa Che Non Va | Stefania Buoni | TEDxNapoli | ||
Monika Saraf edited Hindi subtitles for Quando Mamma O Papà Hanno Qualcosa Che Non Va | Stefania Buoni | TEDxNapoli | ||
Monika Saraf edited Hindi subtitles for Quando Mamma O Papà Hanno Qualcosa Che Non Va | Stefania Buoni | TEDxNapoli | ||
Monika Saraf edited Hindi subtitles for Quando Mamma O Papà Hanno Qualcosa Che Non Va | Stefania Buoni | TEDxNapoli | ||
Monika Saraf edited Hindi subtitles for Quando Mamma O Papà Hanno Qualcosa Che Non Va | Stefania Buoni | TEDxNapoli | ||
Monika Saraf edited Hindi subtitles for Quando Mamma O Papà Hanno Qualcosa Che Non Va | Stefania Buoni | TEDxNapoli |