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Bryan Zanisnik's Big Pivot | Art21 "New York Close Up"

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    [ब्रायन जेनिस्निक] मैं तैयार हूं.
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    [कैमरामैन ] आप तैयार हो ?
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    मेरा मतलब आप चाहें ,जो भी.
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    मैं सूनी कॉलेज में पढ़ा रहा था.
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    न्‍यूयार्क श‍हर के ठीक बाहर.
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    और एक विद्यार्थी जो कभी नहीं आता था.
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    कोई बड़ी बात नहीं.
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    वह मेरी दोपहर की कक्षा में आया,
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    और बोला, "मैं सिर्फ इस फॉर्म पर
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    आपसे हस्‍ताक्षर चाहता हूँ."
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    "मुझे कक्षा छोड़ने की अनुमति के लिए"
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    मैंने कहा, "तुम पूरे सत्र यहां नहीं आए,"
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    "मैं अंतिम दिन तुम्‍हें निकाल नहीं सकता"
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    "तुम मेरी कक्षा में अनुत्‍तीर्ण हो गये हो"
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    वह बोला "फॉर्म पर हस्‍ताक्षर करो."
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    मैंने कहा "यह तुम्‍हारी कक्षा भी नहीं है."
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    "मैं पढ़ा रहा हूँ"
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    "वहां बीस विद्यार्थी यह देख रहे थे."
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    तब व‍ह मेरे मुंह के और पास आ गया.
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    तो किसी क्षण मुझे उठना पड़ा
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    उसने अपने सीने से मुझे मारा,
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    और मुझे दीवार पर पटक दिया. और बोला,
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    "इस कमबख्‍त फॉर्म पर हस्‍ताक्षर करो."
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    तो उसने ऐसा किया और
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    मेरी मेज का सारा सामान ग‍िरा दिया.
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    और बोला, "तुम वास्‍तविक अध्‍यापक नहीं हो."
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    "तुम एक कला अध्‍यापक हो."
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    "तुम सब खि‍झाते हो"
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    "कला खि‍झाती है."
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    मैंने उसे अनुत्‍तीर्ण कर दिया.
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    मैंने विद्यार्थी को अनुत्‍तीर्ण कर दिया.
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    मैं सोचता हूं यह शायद यह कोई कल्‍पना थी.
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    न्‍यूयॉर्क में कलाकार होना.
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    कुछ हद तक मैं महसूस करता हूं क‍ि
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    मैं उस कल्‍पना को जी रहा हूं.
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    मैं प्रतिदिन कार्य करता हूं.
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    अद्भुत लोगों ,अद्भुत संस्‍थानों के साथ
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    काम करता हूं.
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    पर दूसरी ओर अभ्‍यास होने और
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    न्‍यूयॉर्क में होने की वास्‍तविकता
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    सदैव लोगों की अपेक्षा को पूरा नहीं करती.
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    यह वास्‍तव में कलाकार पर निर्भर करता है
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    कि वह काम करे और उस काम का खर्च भी उठाये.
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    आप कलाकार बनने के लिए सब कुछ दे डालते हो
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    और आप आर्थिक रूप से निश्‍चिंत हो जाते हो.
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    मैं ऐसी परियोजनाएं करता हूं जहां
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    मैं हजारों चीजें एकत्रित करता हूं.
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    मैं उन्‍हें व्‍यवस्थित करता हूं और
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    उनकी तस्‍वीरें लेता हूं,
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    उन्‍हे सरकाता हूं,
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    अधि‍ष्‍ठापन बनाता हूं.
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    मुझे जीववाद का यह विचार पसंद है कि
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    एक निर्जीव वस्‍तु में
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    एक आत्‍मा या व्‍यक्तित्‍व है.
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    मैं सोचता हूं क‍ि मैं इन वस्‍तुओं को
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    प्राप्‍त करने में रहस्‍य और
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    साहसिक कारनामे की ओर
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    सचमुच आ‍कर्षित हो गया था.
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    कला जगत में यह बहुत आसान है कि आपको
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    लगता है क‍ि आपसे काम हो गया और
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    वास्‍तव में आपने काम किया ही नहीं
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    मेरा मतलब आपको संस्‍थान से
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    बहुत सहयोग मिलता है,
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    पर उससे बहुत कम आर्थिक लाभ होता है.
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    मुझे याद है मेरा एक प्रदर्शन था,
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    एक वीथिका के साथ,
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    और मैंने विशाल अधि‍ष्‍ठापन बनाया,
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    मैंने मूर्तियां बनाना प्रारंभ किया,
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    ऊँचे स्‍तंभ, जिनमें वस्‍तुएं जड़ी गयी थी.
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    यदि मैं उनको बेचता तो मैं बस उन्‍हें
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    एक ओर कर देता,
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    और जिसे भी चाहिए उसे भेज देता.
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    मुझे धनादेश दो और तुम ये
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    स्‍तंभ ले जा सकते हो.
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    मैंने उन्‍हें बनाना प्रारंभ किया.
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    संविरचना दल मुझसे आकर मिला
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    और बोला, "हमें एक समस्‍या है."
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    मैंने पूछा, "क्‍या?"
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    वे बोले, "हमें डर है क‍ि आपका स्‍तंभ
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    गिर जावेगा और किसी को मार डालेगा."
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    तो मैंने पूछा, "ठीक है, इसका क्‍या हल है?"
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    वे बोले, "हमें स्‍तंभ का न‍िचला हिस्‍सा
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    कंक्रीट की जमीन से पेंच से जोड़ना होगा."
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    मैंने पूछा, "काम होने पर
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    हम उन पेंचों को निकालेंगे कैसे?"
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    वे बोले, "हम बस उसे नष्‍ट कर देंगे."
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    तो मैंने कहा,"
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    ओह! मेरे स्‍तंभ जिन्‍हें मैं,
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    बेच सकता हूं, वे तो गये काम से!"
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    मुझे उनको नष्‍ट करना पड़ेगा.
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    मैं वाकई जो बना रहा था उससे
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    एक कदम पीछे हटना चाहता था.
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    ताकि वास्‍तव में एक नयी दिशा खोज सकूं.
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    मुझे एक अवकाश चाहिए था.
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    मुझे याद है जब मैंने लोगों से कहा
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    "मैं स्‍वीडन जा रहा हूं."
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    वे बोले, "तुम्‍हारी तो निकल पड़ी"
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    स्‍वीडन सपनों की भूमि है,
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    जहां कोई आर्थिक चिंताएं नहीं हैं.
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    आपको स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की
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    फिक्र करने की आवश्‍यकता नहीं है
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    आप यहां पहुंचते हो.
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    तब आप यहां तीस प्रदर्शनियां लगा सकते हो.
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    जिस समस्‍या का मुझे सामना करना पड़ा,
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    वह यह थी क‍ि मैं स्‍वीडिश भाषा नहीं बोलता.
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    तो जब मैं कहता, "मैं एक कलाकार हूं."
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    "मुझे अपना मुफ्त का पैसा दे दो."
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    वे कहते,
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    "ठीक है ये तीस फॉर्म हैं स्‍वीडिश में,
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    किस्‍मत तुम्‍हारा साथ दे!"
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    मैं स्‍वीडन के इस पहलू से
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    सचमुच आकर्षित हुआ.
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    जहां किसी का व्‍यवसाय उसकी पहचान से इतना
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    कस के बंधा नहीं होता.
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    तो मैंने बहुत सारी क्रियाओं में भाग लिया
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    जो आम तौर पर स्‍वीडिश थीं.
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    जाहिर है लंबी पदयात्रा एक बड़ी बात है
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    पर खासतौर से छत्रक ढूंढना,
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    और छत्रक की पहचान करना सीखना.
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    मुझे याद है एक बार राष्‍ट्रीय उद्यान से
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    नगर की ओर बस में लौटते हुए,
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    बस में चालीस लोग थे.
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    और सभी अपने छत्रक की तुलना कर रहे थे
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    जो उन्‍हें उस दिन मिला.
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    न्‍यूयॉर्क में हर कोई सीधी बात करता है
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    आप बाहर जाते हो, किसी से मिलते हो.
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    वे पूछते हैं, "आप क्‍या करते हो?"
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    और तब सवाल आते हैं,
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    ब‍िना उन्‍हें सीधे पूछे,
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    "आप जो करते हैं उसमें कितने कामयाब हैं?"
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    मानों, "क्‍या आप मेरे जानने लायक हो?"
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    पर स्‍वीडन में आप बाहर जाते हो
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    और लोग पूछते हैं,
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    "आपकी पसंदीदा पेस्‍ट्री कौनसी है?"
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    वह मुझे स्‍वाभाविक लगता है‍.
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    पर हमारी संस्‍कृति में आज
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    यदि आप हर सप्‍ताह इंस्‍टाग्राम पर,
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    पोस्‍ट नहीं कर रहे हो कि‍
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    आप क्‍या कर रहे हो, कहां जा रहे हो
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    आप स्‍टूडियो में क्‍या कर रहे हो, तो
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    लोग, विशेष रूप से, न्‍यूयॉर्क में कहते हैं
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    "अरे वह अब कलाकार नहीं रहा"
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    पर मैं मानता हूं कि इसको संभालने का,
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    सबसे अच्‍छा तरीका है अपने भीतर झांकना.
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    क्‍या हम अपने जीवन को जितना होना चाहिए
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    उससे अधिक कष्‍टमय बना रहे हैं?
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    मुझे लगता है कि‍ यहां पर प्रश्‍न
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    यह है क‍ि यदि कुछ बहुत सरलता से म‍िल जाए
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    या बहुत आनंददायी हो
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    तो क्‍या यह एक काम की सफलता है?
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    मैंने एक नया काम प्रारंभ किया है.
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    मैं एक च‍ित्रकार प्रकिया का
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    उपयोग कर रहा हूं.
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    मैं सचमुच अपने काम में आनंद
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    और मुझे क्‍या प्रसन्‍न करता है
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    के बारे में सोच रहा हूं.
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    इसमें एक स्थिरता है.
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    मैं एक प्रकार से एक स्‍थान पर बैठा हुआ हूं
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    और अपने हाथ से एक क्रिया को दोहरा रहा हूं.
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    मुझे लगता है कि मैं इसे ज‍ितना
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    एक शारीरिक स्‍थिरता बता रहा हूं,
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    वहां एक तनावमुक्‍त
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    मानसिक स्‍थिरता भी हो सकती है.
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    यह नया काम जो मैं कर रहा हूं,
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    हो सकता है लोग इसे पसंद न करें.
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    हो सकता है लोग कहें
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    "अरे ब्रायन अब पहले जैसा
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    तनावग्रस्‍त नहीं रहा."
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    "वह स्‍वयं को यातना नहीं दे रहा."
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    "वह पूरे देश में पांच हजार
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    सबवे टाईल्‍स नहीं घसीट रहा है."
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    हो सकता है क‍ि उम्र के साथ मुझमें
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    थोड़ा अधिक भरोसा आ गया है.
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    कुछ बनाने का, जो बनाना मुझे सचमुच पसंद है
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    और तब हो सकता है उसे म‍िलने वाली
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    प्रतिक्र‍िया से मैं अधिक चिंतित न होऊं.
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    मैं सोचता हूं कि मैं एक ऐसे बिंदू पर
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    प‍हुंच गया हूं , जहां
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    यदि मेरे पास अवसर न भी हों
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    तब भी मैं उस कला की रचना करूंगा
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    और मैं वन में रहने वाले
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    सिरफिरे व्‍यक्ति सा बन जाऊंगा.
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    मैं लोगों को अपनी मिल्कियत से
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    हटने को कहूंगा.
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    और वे कहेंगे, "ओह वह एक कलाकार था."
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    उसने एक बार आर्ट21 क‍िया था.
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    अब वह उस झोपड़ी में रहने वाला एक साधु है.
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    मैं इस अनुभव से बारंबार
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    गुजरना चाहूंगा, जहां मैं किसी से मिलूं
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    और वे कहें, "मध्‍यग्रीष्‍म आ रहा है."
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    "बड़ा स्‍वीडिश अवकाश!"
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    मैं कहूंगा, "ओह! मुझे पता है."
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    वे कहेंगे, "पागलों की पार्टी!"
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    हम वन में जाते हैं.
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    नग्‍न होकर चारों ओर दौड़ते हैं.
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    मद्यपान और नृत्‍य करते हैं.
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    लोग हाथी का भेस धरकर नाचते हैं.
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    मैंने कहा, "वॉव."
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    वह कहता है, "मेरे यहां ऐसा एक समारोह है
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    इस सप्‍ताहांत."
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    मैं कहता हूं, "मैं भी खाली हूं."
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    "मैं जाना चाहता हूं."
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    आपको ऐसा समारोह ढूंढना होगा
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    जहां से न्‍यौता मिले,
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    यद‍ि आपको बुलाते हैं, तो आपका दिन शुभ हो!
Title:
Bryan Zanisnik's Big Pivot | Art21 "New York Close Up"
Description:

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Video Language:
English
Team:
Art21
Project:
"New York Close Up" series
Duration:
07:17

Hindi subtitles

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