वधिरों के लिए शिक्षा एवं रोज़गार। रुमा रोका
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0:07 - 0:09कुछ भी समझ नहीं पाए आप, है न ?
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0:09 - 0:11[हँसी]
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0:11 - 0:14वर्तमान भारत में 18 करोड़ श्रवण दिव्यांग है
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0:14 - 0:17जो इस कष्ट में जीते है
साल दर-साल, दिन-प्रति-दिन, -
0:17 - 0:20उस दुनिया को समझने की कोशिश
में, जिसे वे सुन नहीं सकते। -
0:20 - 0:23जागरूकता की भारी कमी और
सामाजिक कलंक -
0:23 - 0:26उस नवजात के होने की,
जो दिव्यांग है -
0:26 - 0:28अभिभावक मारे-मारे फिरते हैं
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0:28 - 0:31के किस प्रकार शिशु का
पालन-पोषण करें -
0:31 - 0:34और उन्हें बताया जाता है
यद्यपि वे सुन नहीं सकते -
0:34 - 0:36उनके ध्वनि-अंग ख़राब
नहीं है। -
0:36 - 0:38उनके स्वर-रज्जु बेक़ार नहीं हैं।
-
0:38 - 0:41और उन्हें अंततः सिखाया जा सकता है
किस प्रकार बोलना सीखें। -
0:41 - 0:46एक यात्रा आरम्भ होती है और
वर्षों बीत जाते हैं, सिखाने की कोशिश में, -
0:46 - 0:50इन नन्हें बालकों को, सुस्पष्ट उच्चारण
उन अश्रवणीय शब्दों का। -
0:51 - 0:54यहाँ तक की परिवार में भी
यह नन्हा बालक चाहता है -
0:54 - 0:56अपने अभिभावक से संवाद करना
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0:56 - 1:00उसे भी हिस्सा बनना है
पारिवारिक वार्तालाप का। -
1:00 - 1:04पर वह असहाय समझ नहीं पाता
क्यूँ कोई भी उसकी नहीं सुन रहा? -
1:05 - 1:07अतः वह खुद को अकेला
पाता है और चूक जाता है -
1:07 - 1:10इस निर्णायक योग्यता को पाने में
जो एक जरुरत है हमारी, बढ़ने पर। -
1:10 - 1:14वह रोज स्कूल जाता है
इस आशा के साथ की अब परिस्थितियां बदलेगी -
1:14 - 1:17किन्तु वह देखता है, अपने अध्यापकों के
मुख खुलते और बंद होते -
1:17 - 1:20और विचित्र चीज़ें लिखते,
तख़्ती पर। -
1:20 - 1:23बिना समझे,
क्यूंकि वे सुन नहीं सकते, -
1:23 - 1:27उसे अपने कॉपी पर छापते है
और परीक्षा-काल में उलट देते है -
1:27 - 1:31और किसी प्रकार रटकर और कुछ अनुग्रह पर
ये स्कूल की पढाई ख़त्म करते हैं, १०वीं तक। -
1:32 - 1:34इनके रोजगार पाने की संभावना क्या होगी?
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1:34 - 1:38इस बच्चे को देखिये,
कोई वास्तविक ज्ञान नहीं, -
1:38 - 1:41दृश्य शब्द, तीस से चालीस
शब्दों की शब्दावली -
1:41 - 1:46वह भावनात्मक रूप से असुरक्षित है, और शायद
पूरी दुनिया से ख़फा भी, -
1:46 - 1:49जिसने, वे महसूस करते है,
उसे जान-बुझ कर लाचार बनाया। -
1:50 - 1:53वे कहाँ और कैसे काम करें?
तुच्छ काम, कौशलविहीन कार्य, -
1:54 - 1:56प्रायः अपमानजनक स्थितियों में।
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1:56 - 2:02यहाँ से मेरे जन्म-यात्रा २००४ से
शुरु हुई। कोई नहीं है, जैसा केली ने बताया, -
2:02 - 2:04मेरे परिवार में कोई दिव्यांग नहीं है।
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2:04 - 2:07सिर्फ एक विचित्र खिंचाव
और, कोई तर्कसंगत सोच नहीं। -
2:07 - 2:10मैं इनकी दुनिया में कूद पड़ी
और सांकेतिक भाषा सीखा। -
2:10 - 2:14उस वक्त, यह एक चुनौती थी।
कोई नहीं चाहता था, शायद ही कोई जानता था, -
2:14 - 2:17"यह क्या है जो तुम सीखना चाहती हो, रुमा?
यह कोई भाषा है?" -
2:17 - 2:22फिर भी, सांकेतिक भाषा सीखकर
मेरी ज़िंदगी इस समुदाय के लिए खुल गयी -
2:22 - 2:25जो बाहर से शांत दिखती है,
पर भरी पड़ी है -
2:25 - 2:28जुनून और जिज्ञासा से
_ -
2:28 - 2:31फिर मैंने उनकी कहानियों सुनी
वे क्या बनना चाहते है। -
2:31 - 2:39एक साल बाद, २००५ में,
५००० डॉलर की छोटी पूंजी से, -
2:39 - 2:42जो एक बीमा योजना के पूरे होने पर मिली,
मैंने इस केंद्र की शुरुआत की, -
2:42 - 2:46एक छोटे से दो कमरे के मकान में,
सिर्फ ६ छात्रों के साथ -
2:46 - 2:49और मैं उन्हें अंग्रेजी सिखाती,
सांकेतिक भाषा में। -
2:49 - 2:53चुनौतियाँ, प्राथमिकताएं
उस वक्त की थी, -
2:53 - 2:56किस प्रकार इन,
सिर्फ हाई स्कूल उत्तीर्ण, बच्चों को -
2:56 - 2:58कंपनियों में वास्तविक रोज़गार
के लिए लगाया जाये? -
2:58 - 3:03गरिमापूर्ण नौकरी, नौकरी जो
साबित करें बधिर मूर्ख नहीं हैं? -
3:04 - 3:08अतः, चुनौतियाँ अपार थी।
उनका वर्षों का ठहराव, -
3:08 - 3:11वर्षों की विरक्ति और अंधकार।
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3:11 - 3:14इनकी आवश्यक्ता थी खुद पर विस्वास करने की।
अभिभावकों को, आश्वस्त करने की -
3:14 - 3:17उनके बच्चें बधिर हैं पर मूर्ख नहीं।
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3:17 - 3:19और वे पूरी तरह से सक्षम है
अपने दो पैरों पर खड़े होने में। -
3:19 - 3:21पर सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण,
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3:21 - 3:24क्या कोई कंपनी ऐसे व्यक्ति को
कार्य के लिए चुनेगी जो मूक है, -
3:24 - 3:27सुन नहीं सकते, और काफी हद तक
न लिख सकते है और न पढ़? -
3:27 - 3:31मैं अपने कुछ व्यावसायिक दोस्तों
के साथ बैठी, -
3:31 - 3:35और अपनी कहानी उन्हें बताया
मेरे लिए बधिर होने के क्या मायने है -
3:35 - 3:39और जाना कंपनियों में कुछ ऐसे
निश्चित स्थान है -
3:39 - 3:43जहाँ ये कार्य कर सकते हैं, और
कपनियों में उनका योगदान महत्वपूर्ण होगा। -
3:43 - 3:46और फिर अल्प साधनों से
हमने सबसे प्रथम शुरुआत की -
3:46 - 3:49व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम
बधिरों के लिए, देश में। -
3:49 - 3:54प्रशिक्षकों को ढूंढना एक समस्या थी।
अतः मैंने इन्हें प्रशिक्षण दिया, -
3:54 - 3:57अपने छात्रों को, ताकि ये
बधिरों के शिक्षक बनें। -
3:57 - 4:01और यह कार्य उन्होंने अपने हाथों में ली
पूरी जिम्मेदारी और गर्व के साथ। -
4:01 - 4:07तथापि, नियोक्ता संशय में थे।
इनकी शिक्षा, योग्यता, १०वीं पास। -
4:07 - 4:09"नहीं, नहीं, नहीं, रुमा,
हम उन्हें काम नहीं दे सकते।" -
4:09 - 4:10वो एक बड़ी समस्या थी।
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4:10 - 4:12"और यदि हम उन्हें काम देते भी हैं,
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4:12 - 4:15हम उनसे संवाद कैसे स्थापित करेंगे?
वे न तो पढ़-लिख सकते। -
4:15 - 4:16और न ही सुन-बोल सकते है।"
-
4:16 - 4:20मैंने उनसे कहा, "कृपया क्या हम एक-एक
करके कदम बढ़ा सकते है? -
4:20 - 4:23क्या हम अपना ध्यान, वो किस कार्य
में सक्षम है,पर केंद्रित कर सकते है? -
4:23 - 4:26उसकी, देख कर समझने की,
क्षमता अद्भुत है। और... -
4:26 - 4:30और यदि यह प्रयोग सफल होता है,
या नहीं होता है, अंततः हमें पता तो लगेगा।" -
4:30 - 4:34यहाँ मैं एक कहानी आपसे साझा करना
चाहती हूँ, विशु कपूर की। -
4:35 - 4:39वह हमारे पास २००९ में आया,
हर भाषा से अनभिज्ञ। -
4:39 - 4:41सांकेतिक भाषा तक नहीं आती थी उसे।
-
4:41 - 4:45सिर्फ आँखों की मदद से
चींजो को देखता-समझता था। -
4:45 - 4:47उनकी माता हताश थी
और उन्होंने कहा, -
4:47 - 4:50"रुमा, क्या मैं इसे कृपया दो घंटे
के लिए आपके केंद्र में रख सकती हूँ? -
4:50 - 4:52मेरे लिए इसे संभालना
बहुत ही कठिन हो जाता है, -
4:52 - 4:54मतलब चौबीसों घंटा इसको देखना
हर दिन।" -
4:55 - 4:58तो मैंने कहा, "हाँ, ठीक है।"
एक क्रैश सर्विस के भांति। -
4:59 - 5:03काफी मेहनत मशक्कत के
डेढ़ साल बाद -
5:03 - 5:07हमने विशु को एक भाषा सिखाई।
जैसे ही उसे संवाद करना आ गया -
5:07 - 5:10और खुद की समझ बढ़ी
तो वह जान गया... -
5:10 - 5:14भले ही वह सुन ना पाए, लेकिन
ढेर सारे दूसरे काम करने लगा। -
5:14 - 5:16उसने पाया की कम्प्यूटर्स पर
काम करना उसे भाता है। -
5:16 - 5:18हमने उसे प्रोत्साहित किया, प्रेरित किया,
-
5:19 - 5:23और उसे अपने आईटी प्रोग्राम में डाला।
वो सभी कसौटी पर खरा उतरा, आपको मालूम हो, -
5:23 - 5:26काफी घबराई हुई थी।
एक मौका आया एक दिन -
5:26 - 5:28एक प्रसिद्ध आईटी कंपनी के
बैक एन्ड में नौकरी की, -
5:28 - 5:32और सिर्फ एक दिशा और अनुभव
पाने के लिए, मैंने कहा, -
5:32 - 5:35"विशु को भी भेजते है
इस जॉब इंटरव्यू में।" -
5:35 - 5:38विशु वहां गया और
सारे तकनीकी इम्तहान में सफल रहा। -
5:39 - 5:42तब भी मैंने कहा,
"अह, मैं आशा करती हूँ वह वहां टिक सके -
5:42 - 5:44कम-से-कम ६ माह भी। "
-
5:44 - 5:46डेढ़ साल गुजर चुके है।
-
5:46 - 5:50विशु आज भी वहां है।
पर वहां वह सिर्फ एक, -
5:50 - 5:53'ओह, यह बेचारा लड़का श्रव्य माहौल
में काम करने के लिए बाध्य', नहीं है। -
5:53 - 5:58वह जीत रहा है ख्यातियाँ,
"माह का श्रेष्ठ कर्मचारी", एक नहीं दो बार। -
5:58 - 6:01[हर्षध्वनि]
-
6:01 - 6:04और मैं, आज, आप सभी को
यह बताना चाहती हूँ, हमें मात्र -
6:04 - 6:08डेढ़ साल एक बधिर को पढ़ाने
और उसे तैयार करने में लगे -
6:08 - 6:10ताकि वह इस दुनिया के साथ
चल सके जिसे हम जानते है। -
6:10 - 6:15६ साल के इस छोटे अंतराल में, आज
मेरे ५०० अद्भुत युवा छात्र -
6:15 - 6:20उद्योग के कुछ शीर्ष संगठनों में
कार्यरत है: -
6:20 - 6:24ग्राफ़िक डिज़ाइन प्रोफाइल्स में,
आईटी संगठनों के बैक एन्ड में, -
6:24 - 6:28हॉस्पिटैलिटी में,
बाधाओं को लांघकर -
6:28 - 6:31सुरक्षा व्यवस्था और बैंक में,
-
6:31 - 6:34और खुदरा विक्री केन्द्रों पर भी,
प्रत्यक्ष ग्राहक सेवा देते हुए। -
6:34 - 6:35(हर्षध्वनि)
-
6:35 - 6:39सामान्य व्यक्तियों से रु-ब-रु होते,
के.एफ.सी. में, कॉफी विक्री केंद्रों पर। -
6:39 - 6:42मैं आप सभी से विदा लेती हूँ
एक छोटी-सी सोच के साथ, -
6:42 - 6:44हाँ, बदलाव संभव है।
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6:44 - 6:48और इसकी शुरुआत हमारे दृष्टिकोण
में एक छोटे बदलाव से होती है। -
6:48 - 6:49आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
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6:49 - 6:54(हर्षध्वनि)
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6:54 - 7:02(करतल ध्वनि)
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7:02 - 7:06यह सराहना है।
यह अंतर्राष्ट्रीय संकेत है सराहना के लिए। -
7:06 - 7:08आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
- Title:
- वधिरों के लिए शिक्षा एवं रोज़गार। रुमा रोका
- Description:
-
नॉएडा डेफ सोसाइटी विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम के द्वारा अर्थपूर्ण रोज़गार प्राप्त करने में वधिरों की मदद करती है और यह सुनिश्चित करती है वे अपने समुदाय से अच्छी तरह जुड़ जाएं। एक नारी के दृढ संकल्प एवं अथक प्रयास से यह कैसे संभव हो सका, इसकी अद्भुत कहानी हमें सुना रही हैं, स्वयं, नॉएडा डेफ सोसाइटी की संस्थापिका, रुमा रोका।
- Video Language:
- English
- Duration:
- 07:10
मयंक कुमार edited Hindi subtitles for Education and jobs for the deaf | Ruma Roka | ||
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