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औब्रे दे ग्रेय कह्ते हैं कि हम बुढापे से बच सकते हैं

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    १८ मिनट की समय सीमा बहुत निर्दयी है,
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    इस लिये मै सिधे मुद्दे पर आता हूँ.
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    जैसे ही मै इसे काम करा सकूँ.
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    आइये चलें. मैं ५ अलग चीज़ों के बारे में बात करूंगा.
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    मैं बताऊंगा कि उम्र को हराना क्यों जरूरी हैं.
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    मैं बताऊंगा कि क्यों हमें सावधान होना होगा,
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    और इसके बारे में और अधिक बातें करनी चाहिये.
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    निसंदेह मैं सम्भावनाऒं के बारे में भी बोलूँगा.
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    मैं बताऊंगा कि क्यॊं हम इतने भाग्य्वादी कयों हैं
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    जहां तक उम्र के बारे मे कुछ करने का प्रश्न है.
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    और फिर शायद मैं वार्ता का दूसरा भाग
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    ये बताने मे लगाऊं कि कैसे हम शायद भाग्यवाद को गलत साबित कर सकें,
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    वास्तव में इसके बारे में कुछ कर के.
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    इसे मैं दो भागों में करूंगा.
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    पहले मैं इस बारे में बात करूंगा
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    कि कैसे जीवन काल में छोटी सी व्रिधी से शुरू कर के --
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    जिसे मैं उन लॊगॊं के संदर्भ में ३० साल की अवधी मानता हूं
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    जो शुरुआत में पहले से ही अधेडावस्था में हॊं --
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    ऐसी स्थीति में पहूंचा जा सकता है जिसे वास्तव में बुढापे को पराजित करना समझा जा सकता है.
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    मूलत:, इसका मतलब उस रिशत॓ को समाप्त करना है जो
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    आपकी उम्र और अगले साल आपकी संभावित मर्त्यु के बीच है --
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    या बीमार होने के.
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    और आखिर में मैं बात करूंगा
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    कि कैसे उस माध्यमिक कदम तक पहूंचा जा सकता है,
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    ३० साल उम्र में वृधि के.
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    तो मैं इस बात से शुरु करूंगा कि हमें यह क्यों करना चाहिय॑.
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    अब मैं एक सवाल पूछना चाहत्ता हूं.
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    श्रोताओं में कोई हैं जो मलरिया के ह्क मे हैं तो अपने हाथ खडे करें.
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    यह तो आसान था. ठीक है.
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    अच्छा हाथ उठाएं श्रोताओं में से कोई
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    जो यह नहीं जानते कि मलेरिआ एक अच्छी चीज़ है या बुरी?
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    अच्छा. तो हम सब ये सोचते हैं कि मलेरिया एक बुरी चीज़ है.
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    यह तो बहुत अच्छी खबर है, क्योंकि मैंने सोचा था कि जवाब यही होना चाहिए.
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    अब जो मैं आपको बताना चाह्ता हूं
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    कि हमारे द्वारा मलेरिया को बुरे समझे जाने का मुख्य कारण
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    मलेरिया की वो विशेषता के कारण है जो बूढे होने से मिलती जुलती है.
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    और वह विशेषता यह है.
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    अंतर मात्र ये है कि उम्र का बढ्ना मलेरिया से कहीं ज्यादा लोगों की जान लेता है.
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    मैं श्रोताओं के बीच, खास तौर से ब्रिटेन में,
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    लोमडी के शिकार से तुलना के बारे में बात करना पसंद करता हूं.
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    जिसे एक लंबे संघर्ष के बाद प्रतिबंधित किया गया था,
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    सरकार के द्वारा, कुछ ही महीने पहले.
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    मैं जानता हूं दर्शकों मे सहानुभूति है,
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    लेकिन, जैसा कि हमें पता है, बहुत से लोग इस तर्क से सहमत नहीं हैं.
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    और मुझे लगता है यह काफ़ि अच्छी तुलना है.
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    काफ़ी लोगों नें कहा, "ऐसा है,
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    शहरी लोग कौन होते हैं हम ग्रामीण लोगों को बताने बाले कि अपने समय के साथ क्या करें.
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    यह हमारी जीवन शैली का एक परंपरागत हिस्सा है,
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    और हमें यह करते रहने देना चाहिये.
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    यह वातावर्ण के लिये अच्छा है; यह लोमडियों की संख्या को अधिक बढ्ने से रोकता है."
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    लेकिन अंत में चली तो सरकार की ही,
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    क्योंकि अधिकांश ब्रिटिश जनता,
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    और निसंदेह सांसदों का बहुमत,
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    इस निष्कर्ष पर पहूंचा कि यह ऐसी चीज़ है
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    जो सभ्य समाज में सहन नहीं करी जा सकती.
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    और मैं समझता हूं कि इन्सान का बूढा होना
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    इन सभी विशेशताओं के काफी समान है.
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    इसमें से कौनसी बात लोग नहीं समझ पाते ?
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    निसंदेह यह केवल जीवन के बारे में नहीं है --
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    (ठ्हाके)
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    यह स्वस्थ जीवन के बारे में है --
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    कमज़ोर, दयनीय और आश्रित होने में कोई आनंद नहीं है,
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    चाहे मरने में आनंद हो या न हो.
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    इसका वर्णन मैं ऐसे करना चाहूंगा.
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    यह एक वैश्विक भ्रम है.
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    ये वैसे ही अविश्वसनीय तर्क हैं
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    जैसे लोग बूढे होने के संदर्भ में देते हैं.
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    मैं यह नहीं कह रहा कि
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    यह तर्क पूरी तरह से बेकार हैं.
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    इन में कुछ अच्छे तर्क भी हैं.
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    जिनके बारे में हमें सोचना चाहिए, प्रायोजन करना चाहिए
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    जिससे कुछ भी बेकार न जाए, और
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    जब हम बूढे होने का इलाज ढूंढ लें तो कम से कम उथल पुथल हो.
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    लेकिन ये उस समय पागलपन लगता है, जब आप
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    अनुपात की भावना का ध्यान रखते हैं.
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    यह तर्क, ये वह चीज़ें हैं
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    जिनके बारे में चिंतित होना जायज़ है.
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    लेकिन सवाल यह है, क्या ये इतने खतरनाक हैं --
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    बूढे होने के बारे में कुछ करने के जोखिम --
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    कि इससे विपरीत करने के नुक्सान को नज़रअंदाज़ किया जा सके,
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    यानि, बूढे होने को एसे ही छोड दिया जाए?
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    क्या ये इतने बुरे हैं कि इनसे बेहतर है
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    १००,००० लोगों को हर रोज़ बेवजह अकस्मात मर्त्युद्ण्ड दिया जाए.
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    यदि आपके पास इससे बडा कोई तर्क नहीं है,
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    तो मैं कहता हूं कि मेरा समय बर्बाद न करें.
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    (ठहाके)
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    हां एक तर्क है
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    जो कुछ लोगों के विचार में सचमुच प्रबल है, और वह ये है.
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    लोग जनसंख्या व्रिधी के बारे में चिंता करते हैं; वे कहते हैं,
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    "अगर हम बूढे होने का इलाज निकाल लेते हैं, तो शायद ही कोई मरेगा,
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    या कम से कम मरने वालॊं की संख्या बहुत कम होगी,
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    सिर्फ़ यमराज से पंगा लेने पर.
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    और इसकी वजह से हम ज्यादा बच्चे पैदा नहीं कर पाएंगे,
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    और ज्यादातर लोगों के लिये बच्चे बहुत मायने रखते हैं."
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    और यह सच है.
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    और मालूम है, बहुत से लोग जान कर भी इस सवाल का गलत जवाब देते हैं,
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    कुछ इस तरह से.
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    मैं इन जवाबों से सहमत नहीं हूं. मेरे ख्याल से ये बुनियादी तौर से काम नहीं करते.
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    मैं समझता हूं, हमें इस संबंध में दुविधा का सामना करना पडेगा.
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    हमें यह तय करना हॊगा कि हमें जन्म दर कम चाहिये,
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    या मर्त्यु दर ज्यादा.
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    उच्च मर्त्यु दर, निसंदेह, केवल इन उपचारों को नकार के
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    बहुत से बच्चे पैदा को स्वीकारने से ही हो जाएगा.
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    और, मैं कहता हूं यह ठीक है --
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    मानवता के भविष्य को यह निर्णय लेने का हक है.™
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    लेकिन भविष्य की ओर से हमारे द्वारा यह तय करना ठीक नहीं है.
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    अगर हम संकोच करेंगे या डोलेंगे,
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    और दरअसल इन उपचारों का विकास नहीं करेंगे,
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    तो हम लोगों की एक बडी संख्या कॊ सज़ा दे रहे हैं --
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    जो इन इलाज के तरीकों से फ़ायदा उठाने के लिये जवान और स्वस्थ होते
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    लेकिन नहीं होंगे,
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    क्योंकि हमने इन्हें संभावित तेज़ी से विकसित नहीं किया --
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    हम इन लोगों को अनिश्चित तौर से लम्बे जीवनकाल से वंचित रख रहे हैं,
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    और मैं समझता हूं कि यह अनुचित है.
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    अधिक जनसंख्या के सवाल का यह मेरा ज़वाब है.
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    अच्छा. तो अगली चीज़ है,
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    कि हमें इस पर थोडा और सक्रीय क्यों होना चाहिए?
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    और बुनियादी ज़वाब यह है कि
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    बुढापे के हित में लोगों का भ्रम इतना मूर्खतापूर्ण नहीं है जितना दिखता है.
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    यह असल में बूढे होने का सामना करने का एक समझदारीपूर्ण तरीका है.
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    उम्र का बढ्ना भयानाक किन्तु निश्चित है, इस लिए,
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    हमें इसे अपने दिमाग से निकालने का कोई तरीका ढूंढना है,
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    और एसा करने के लिए हमें जो भी करना पडे वह सही है.
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    जैसे, उदाहरण के लिए, ये हास्यासपद तर्क देना
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    कि क्यों उम्र का बढ्ना असल में अच्छी बात है.
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    लेकिन यह तभी काम कर सकता है जब हमारे पास ये दोनों भाग हों.
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    और जैसे ही अपरिहार्यता वाला भाग कुछ साफ़ होता है,
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    और हम बढ्ती उम्र के बारे में कुछ करने की स्थिती में हो सकते हैं,
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    यह समस्या का एक हिस्सा बन जाता है.
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    बुढापे के हित में लोगों का भ्रम ही है जो हमें इन चीज़ों के बारे में आन्दोलन करने से रोकता है.
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    और इसलिए हमें इस के बारे में काफ़ी चर्चा करनी है --
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    मैं तो यहां तक कहूंगा इसका प्रचार करना है --
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    जिस से हम लोगों का ध्यान आकर्शित कर सकें, और उन्हें यह आभास दिला सकें
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    कि वे इस मामले में भ्रम में हैं.
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    तो इसके बारे में मैं इतना ही कहूंगा.
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    अब मैं बात करूगा व्यवहार्यता की
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    और हमारे यह सोचने का कि उम्र का बढ्ना निश्चित है का बुनियादी कारण
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    अभी मेरे द्वारा दिये जाने वाली उम्र के बढ्ने की परिभाशा मे संक्षिप्त है.
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    एक बहुत ही सरल परिभाशा.
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    उम्र का बढना जीवित होने का एक अतिरिक्त असर है,
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    कहा जाए तो चयापचय, या हमारे शरीर के विभिन्न अंगों का अपना अपना काम करना.
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    यह केवल शब्दॊं का खेल नहीं है;
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    यह एक उचित कथन है.
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    उम्र का बढ्ना एक ऐसी प्रक्रिया है जो गाडियों जैसी निर्जीव वस्तुओं के साथ होता है,
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    और यह हमारे साथ भी होता है,
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    बावज़ूद इसके कि हमारे शरीर के पास बहुत से चतुर तंत्र हैं जिन से वह स्वयं की मरम्म्त कर सकता है,
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    क्योंकि ये तंत्र परीपूर्ण नहीं हैं.
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    तो बुनियादी तौर पे चयापचय, जिसकी परिभाशा है
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    हर चीज़ जो हमें दिन प्रतिदिन जीवित रखती है,
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    के कुछ अतिरिक्त असर होते हैं.
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    ये असर एकत्रित होते रहते हैं और अंततः बीमारी पैदा करते हैं.
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    यह अच्छी परिभाशा है. तो हम इन शब्दों में कह सकते हैं:
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    हम कह सकते हैं, ये घटनाओं की श्रृंखला है.
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    और प्रायः दो मत हैं,
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    अधिकतर लॊगॊं के, उम्र के बढ्ने को टालने को लेकर.
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    ये हैं जिन्हें मैं ग्रेंटोलॊजी दृष्टिकोण और जेरिऎट्रिक्स या जराचिकित्सा दृष्टिकोण कहूंगा.
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    जराचिकित्सक की बारी बाद में आएगी,
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    जब बीमारी जाहिर हो रही होगी,
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    और जराचिकित्सक वक्त के बढ्ते हुए कदमों को रोकने का प्रयास करेगा,
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    और अतिरिक्त प्रभावों को
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    इतनी जल्दी बीमारी पैदा करने से रोकने का.
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    निसंदेह, यह एक अल्प-कालीन रणनीति है, एक हारी हुई लडाई,
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    क्योंकि बीमारी पैदा करने वाले कारण
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    वक्त के साथ अधिक होते जा रहे हैं.
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    ऊपरी तौर पर ग्रेंटोलोज़ि का रास्ता अधिक आशाजनाक लगता है,
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    क्योंकि, जैसा आप जानते हैं, बचाव उपचार से बेहतर है.
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    दुर्भाग्यतापूर्ण बात यह है कि हम चयापचय को बहुत अच्छी तरह समझते नहीं हैं.
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    बल्कि जीवों की कार्यशौली के बारे में हमारी समझ काफ़ी कमज़ोर है -
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    कोशिकाओं के बारे में भी हम अभी बहुत अच्छे नहीं हैं.
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    उदाहरण के तौर पे हमनें
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    आर एन ए हस्तक्षेप जैसी चीज़ों के बारे में कुछ साल पहले ही जाना है,
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    और ये तो कोशिकाऒं के काम काज का बुनियादी भाग है.
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    अंतत:, ग्रेन्टोलोजी एक अच्छा रास्ता है,
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    पर वह सामयिक नहीं है
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    जब हम हस्तक्षेप के बारे में बात करते हैं.
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    तो हमें इसके बारे में क्या करना चाहिए?
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    मेरा मतलब है, यह तर्क अच्छा है, और
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    काफ़ी पक्का है, है ना?
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    किन्तु ऐसा नहीं है.
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    इससे पहले कि मैं आपको बताऊं कि यह क्यों नहीं है, मै कुछ बात करूंगा
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    उस बारे मे जिसको मैं दूसरा कदम कह रहा हूं.
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    कल्पना करिये, जैसे कि--
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    आज, केवल उदाहरण के लिये --
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    हमें ३०साल अतिरिक्त सेहतमंद जीवन प्रदान करने की क्षमता मिल जाती है
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    उन लोगॊं कॊ जॊ पहले ही अ्धेडावस्था में हैं, मसलन ५५ साल के.
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    मैं उसे मजबूत मानव कायाकल्प कहुंगा. ठीक है.
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    इसका असली मतलब क्या होगा
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    आज विभिन्न आयु वाले लोग कितनी देर तक --
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    या यों कहें, विभिन्न आयु के उस समय जब ये उपचार उपलब्ध हो जाती हैं
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    वास्तव में जियेंगे?
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    इस सवाल का जवाब देने के लिए -- आप भले ही सोचें कि ये आसान है,
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    किन्तु ये आसान नहीं है..
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    हम यह नहीं कह सकते, "अगर वे इन उपचारॊं का लाभ उठाने लायक उम्र में है,
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    तो वे ३० साल अधिक जियेंगे."
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    यह गलत जवाब है.
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    और इसके गलत जवाब होने का कारण प्रगति है.
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    दॊ तरह की तकनीकि प्रगति हैं
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    इस मायने में.
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    बुनियादी, बडी सफ़लताएं,
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    और इन सफ़लताऒं का वृद्धिशील शोधन.
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    और इन में काफ़ी अंतर है
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    समय काल के अनुमान लगाए जाने कॊ लेकर.
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    बुनियादी सफ़लताएं:
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    अनुमान लगाना बहुत मुशकिल है कि कितना समय लगेगा
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    बुनियादि सफ़लता पाने में.
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    हमनें यह बहुत समय पहले तय कर लिया था कि उडने में मज़ा आयेगा,
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    और हमें १९०३ तक का समय लगा पता लगाने के लिए कि यह कैसे किया जाए.
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    लेकिन उसके बाद यह काफ़ी संतुलित और सामान्य हो गया.
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    मैं समझता हूं कि यह उस घटनाक्रम का जायज़ ब्य़ॊरा है
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    जो संचालित उडान की प्रगति में हुआ.
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    यह भी सोचा जा सकता है कि इन में हर एक
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    पिछले चरण के आविश्कारक की कल्पना के परे है.
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    वृद्धिशील विकास का नतीजा इस तरह का है
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    जो वृद्धिशील नहिं रहा.
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    आप इस तरह की चिज़ किसी बुनियादी सफ़लता के बाद देख सकते हैं.
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    आप इन्हें कई तरह की तकनीकों में देख सकते हैं.
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    क्म्पयूटर के मामले में भी आप को सामान्तर समय रेखा देखने को मिलेगी,
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    अपितु कुछ देर बाद.
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    आप चिकित्सा संभाल को देख सकते हैं. मेरा मतलब है स्वच्छता, टीके, एंटीबायोटिक --
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    यानि कि, उसी तरह का समय सीमा
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    इस लिये मै सोचता हूं, असल में दूसरा कदम, जिसे मैंने अभी अभी कदम बॊला था,
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    कदम नहीं है.
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    वॊ लॊग जिन की उम्र इतनी कम है
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    कि वे इन चिकित्साऒं से लाभ उठा सकें
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    जो यह थॊडा सा जीवन काल को बढा सकते हैं,
  • 9:27 - 9:31
    यद्य्पि जब ये चिकित्साएं आएं तो वे अधेडावस्था में पहुंच चुके हों,
  • 9:31 - 9:33
    एक तरह से बीच की स्थीति में होंगे.
  • 9:33 - 9:37
    वे आम तौर पे उन्न्त उपचार पाने तक बच जाएंगे
  • 9:37 - 9:39
    जो उन्हें ३०या५० साल और दे देगा.
  • 9:39 - 9:42
    यानि कि वे इस खेल में आगे रहेंगे.
  • 9:42 - 9:45
    चिकित्सा में इस गति से तेजी से सुधार हो जाएगा
  • 9:45 - 9:49
    जिस गति से चिकित्सा में शेष खामियां उभर रही हैं.
  • 9:49 - 9:51
    यह बहुत महत्वपुर्ण मुद्दा है जो मैं समझाना चाहता हूं.♫
  • 9:51 - 9:53
    क्यॊंकि अधिकतर लोग जब यह सुनते हैं
  • 9:53 - 9:58
    कि मैं यह भविश्यवाणी करता हूं कि आज जीवित बहुत से लॊग १,००० साल या अधिक जियेंगे,
  • 9:58 - 10:02
    वॊ सोचते हैं मैं कह रहा हुं कि हम अगले कुछ दशकॊं में उपचारों का आविश्कार करने जा रहे हैं
  • 10:02 - 10:05
    जो उम्र के बढ्ने को पूरी तरह से समाप्त कर देंगे
  • 10:05 - 10:08
    और ये उपचार हमें १,००० साल या अधिक जीवित रहने देंगे.
  • 10:08 - 10:10
    मैं यह बिलकुल भी नहीं कह रहा हुं.
  • 10:10 - 10:12
    मैं कह रहा हूं कि इन उपचारॊं में सुधार की दर
  • 10:12 - 10:13
    पर्याप्त होगी.
  • 10:13 - 10:16
    ये कभी भी परिपूर्ण नहीं हॊंगी, लेकिन हम उन चीज़ॊं को ठीक कर पाएंगे
  • 10:16 - 10:19
    जिन से २०० साल के लॊग मरते हैं, इससे पहले कोई २०० साल के हों.
  • 10:19 - 10:21
    और इसी तरह से ३००, ४०० और अधिक .
  • 10:21 - 10:24
    मैंने इसे यह छोटा सा नाम दिया है,
  • 10:24 - 10:25
    "दीर्घायु escape velocity."
  • 10:26 - 10:28
    (ठहाके)
  • 10:28 - 10:31
    लगता है बात समझ में आती है इससे.
  • 10:31 - 10:36
    तो यह पथ रेखाएं दर्शाती हैं कि हमारी अपेक्षा में लोग कैसे जियेंगे,
  • 10:36 - 10:38
    शेष जिवन प्र्त्याशा के संदर्भ में,
  • 10:38 - 10:40
    जैसा कि उन के स्वस्थ से नापा जा सकता है,
  • 10:40 - 10:43
    दी गयी आयु के लिये जब ये उपचार आये जो उनकी थी.
  • 10:43 - 10:45
    अगर आप पहले से १०० साल, या ८० साल के भी हैं --
  • 10:45 - 10:47
    एक औसत ८० वर्षीय व्यक्ति,
  • 10:47 - 10:49
    तो शायद हम इन उपचारो से आप के लिए कुछ अधिक ना कर पाएं,
  • 10:49 - 10:51
    क्योंकि आप मौत के दरवाज़े के बहुत करीब हैं
  • 10:51 - 10:55
    और यह प्रयॊग के तौर पे किये गए शुरुआती उपचार आप के लिए काफी नहीं होंगे.
  • 10:55 - 10:56
    आप उन्हें सह नहीं पाऎंगे.
  • 10:56 - 10:58
    लेकिन यदि आप केवल ५० साल के हैं, तो संभावना है
  • 10:58 - 11:01
    कि आप को लुड्कने से बचाया जा सके --
  • 11:01 - 11:02
    (ठहाके)
  • 11:02 - 11:05
    बाहर निकाला जा सके.
  • 11:05 - 11:08
    और सही मायने में जैविक तौर से जवान बनने लगें,
  • 11:08 - 11:10
    शारीरिक और मानसिक तौर से जवान,
  • 11:10 - 11:12
    और उम्र संबंधी कारणॊं से मरने के आपके खतरे के मायने में.
  • 11:12 - 11:14
    अवश्य, अगर आप उससे कुछ छॊटे हैं,
  • 11:14 - 11:16
    तो आप कभी भी सचमुच
  • 11:16 - 11:19
    उम्र संबंधी कारणों से मरने लायक कमज़ॊर अवस्था में भी नहीं होंगे.
  • 11:19 - 11:24
    तो मैं इस सच्चे निष्कर्ष पर पहुंचा हूं, कि पहला १५० साल का व्यक्ति -
  • 11:24 - 11:26
    हम नहीं जानते कि वह इन्सान आज कितने साल का है,
  • 11:26 - 11:28
    क्योंकि हमें नहीं पता कि कितना समय लगेगा
  • 11:28 - 11:30
    इन पहली पीढ़ी के उपचार पाने में.
  • 11:30 - 11:32
    लेकिन चाहे वह उम्र कितनी भी हो,
  • 11:32 - 11:36
    मैं यह दावा कर रहा हूं कि १,००० साल तक जीवित रहने वाला पहला व्यक्ति -
  • 11:36 - 11:39
    वैष्विक आपदाओं को ध्यान में रखते हुए -
  • 11:39 - 11:43
    वास्त्व में पहले १५० साल के व्यक्ति से शायद केवल १० वर्ष कम आयु का है.
  • 11:43 - 11:45
    और यह सोचने लायक है.
  • 11:45 - 11:48
    अच्छा तो अंत में मैं बाकी की वार्ता
  • 11:48 - 11:51
    मेरे अंतिम साढे सात मिनट, पहले कदम पर बिताऊंगा;
  • 11:51 - 11:56
    यानि कि, वास्तव में हम जीवन में यह मामूली सी व्र्धी कैसे पा सकते हैं
  • 11:56 - 11:59
    जो हमें मनचाही गति प्राप्त करने देगा?
  • 11:59 - 12:03
    और यह करने के लिये, मुझे कुछ देर चूहों के बारे में बात करने की आव्श्य्क्ता है.
  • 12:03 - 12:06
    मेरे पास मजबूत मानव कायाकल्प से मिलता जुलता मानक है.
  • 12:06 - 12:09
    मैं उसे मजबूत चूहा कायाकल्प बुला रहा हूं, जो ज्यादा कल्पनाशील नहीं है.
  • 12:09 - 12:11
    और वह ये है.
  • 12:11 - 12:13
    मैं कहता हूं कि हम एक लंबे जीवन वाले चूहे का प्रकार लेंगे,
  • 12:13 - 12:16
    जिसका मूलतः अर्थ है चूहे जॊ औसतन तीन साल तक जीते हैं.
  • 12:16 - 12:19
    जब तक वो दॊ साल के हों हम उनको कुछ ना करें.
  • 12:19 - 12:21
    और फ़िर हम उन के साथ काफ़ी कुछ करें,
  • 12:21 - 12:23
    और इन उपचारों के साथ, हम उन्हें जीवित रखें,
  • 12:23 - 12:25
    औसतन, उनके पांचवे जन्म दिन तक.
  • 12:25 - 12:27
    तो, अन्य शब्दों में. हम दो वर्ष बढा दें --
  • 12:27 - 12:29
    हम उनके बाकि जीवन काल को तीन गुना कर दें,
  • 12:29 - 12:31
    उस समय से शुरू कर के जब से हमनें उपचार शुरू करा.
  • 12:31 - 12:34
    प्र्शन यह है कि, इसका समय संद्र्भ के लिए क्या अभिप्राय है
  • 12:34 - 12:37
    जब तक कि हम मनुषयों के मानक तक पहुंच सकें जिसके बारे में मैंने बात की थी?
  • 12:37 - 12:39
    जिसे कि, जैसा मैंने समझाया,
  • 12:39 - 12:43
    मजबूत मानव कायाकल्प या मनचाही गति बराबरी से कहा जा सकता है.
  • 12:43 - 12:46
    दूसरा, इसका आम धारणा के लिये क्या अभिप्राय है इस बारे में
  • 12:46 - 12:48
    कि हमें इन चीज़ॊं तक पहुंचने में कितनी देर लगेगी,
  • 12:48 - 12:50
    चूहे मिलने से शुरू कर के?
  • 12:50 - 12:52
    और तीसरे, सवाल यह है, यह क्या करेगा
  • 12:52 - 12:53
    लॊगॊं की इसके लिये चाह के लिये?
  • 12:54 - 12:56
    और मुभे यह लगता है कि पहला सवाल
  • 12:56 - 12:57
    केवल जीव विग्यान का है
  • 12:57 - 12:59
    और इसका जवाब देना बहुत मुशकिल है.
  • 12:59 - 13:01
    इन्सान को सॊचना पड़ता है,
  • 13:01 - 13:04
    और मेरे कई मित्र कहेंगे कि हमें इस प्रकार सोचना नहीं चाहिए,
  • 13:04 - 13:08
    कि हमें अधिक जानकारी प्राप्त करने तक सब्र करना चाहिए.
  • 13:08 - 13:09
    मैं कहता हूं यह बकवास है.
  • 13:09 - 13:12
    मैं कहता हूं कि अगर हम इस पर चुप रहें तो यह गैर जिम्मेदाराना होगा.
  • 13:12 - 13:15
    हमें इस समय के संदर्भ के बारे मे बेहतरीन अनुमान लगाना चाहिए,
  • 13:15 - 13:18
    लोगों को अनुपात की भावना देने के लिये
  • 13:18 - 13:20
    जिससे वे अपनी प्राथमिकताऒं का आंकलन कर सकें.
  • 13:20 - 13:23
    तो मैं कहता हूं कि हमारे पास ५०/५० मौका है
  • 13:23 - 13:25
    इस पडाव पर पहुंचने का,
  • 13:25 - 13:28
    मजबूत मानव कायाकल्प, १५ साल के अन्दर उस समय से
  • 13:28 - 13:30
    जब हम मजबूत चूहा कायाकल्प तक पहुंच जाएं.
  • 13:30 - 13:33
    १५ साल चूहे के बाद.
  • 13:33 - 13:36
    लोगों का दृषिटकॊण शायद उससे कुछ बेहतर होगा.
  • 13:36 - 13:38
    लोग विग्य़ान की मुश्किलों का पूरी तरह से आंकलन नहीं कर पाते.
  • 13:38 - 13:40
    तो वो सोचते हैं वो पांच साल दूर है.
  • 13:40 - 13:42
    वे गलत होंगे, लेकिन असल में उसका ज्यादा फ़रक नहीं पड़ेगा.
  • 13:42 - 13:45
    आखिरकार, निसंदेह, मैं सोचता हूं यह कहना जायज़ होगा
  • 13:45 - 13:49
    कि लोग उम्र के बढ़्ने के बारे में दोहरे विचार क्यों रखते हैं का बड़ा कारण है
  • 13:49 - 13:51
    वैश्विक भ्रम जिसके बारे में मैंने पहले बात करी थी, मुकाबला करने की रणनीति.
  • 13:51 - 13:53
    वो यहां इतिहास बन जाएगी,
  • 13:53 - 13:56
    क्योंकि अब यह विशवास करना मुमकिन नहीं होगा कि उम्र का बढ़्ना इन्सानों के लिए अपरिहार्य है,
  • 13:56 - 13:59
    चूंकि चूहों मे उसे कुशलता से टाला गया है.
  • 13:59 - 14:03
    तो हम लोगों के स्वभाव में एक मज़बूत बदलाव देख सकते हैं,
  • 14:03 - 14:05
    निसंदेह इसके काफ़ी बडे़ परिणाम हो सकते हैं.
  • 14:06 - 14:08
    तो आपको यह बताने के लिए कि हम उन चूहॊं तक कैसे पहुंचेंगे,
  • 14:09 - 14:11
    मै अपने द्वारा दिए गए उम्र के बढ़्ने के विवर्ण की कुछ व्याख्या करूंगा.
  • 14:11 - 14:13
    मैं "नुक़्सान" श़ब्द का प्रयोग करूंगा
  • 14:13 - 14:17
    उन माध्यमिक चीज़ॊं को जाहिर करने के लिए जो चयापचय के कारण होती हैं,
  • 14:17 - 14:19
    और अंततः विकृति पैदा करती हैं.
  • 14:19 - 14:21
    क्यॊंकि इसमें ज़रूरी बात यह है कि
  • 14:21 - 14:23
    चाहे नुक्सान अंत में विकृति को जन्म देता है,
  • 14:23 - 14:28
    यह नुक्सान खुद अपनेआप लगातार जिंदगी भर चलता रहता है, पैदा होते ही शुरू होकर.
  • 14:28 - 14:31
    पर यह चयपचय का हिस्सा नहीं है.
  • 14:31 - 14:32
    और यह बात बहुत काम आ सकती है.
  • 14:32 - 14:35
    क्योंकि इस तरह से हम मूल चित्रों को दुबारा बना सकते हैं.
  • 14:35 - 14:38
    हम कह सकते हैं, मूलतः, कि ग्रेंटालाजी और जेरियाट्रिक्स में अंतर यह है
  • 14:38 - 14:40
    कि ग्रेंटालाजी उस गति को कम करने की कोशिश करता है
  • 14:40 - 14:42
    जिस गति से चयपचय इस नुक्सान को करता है.
  • 14:42 - 14:44
    और मैं समझाता हूं कि यह नुक्सान दरअसल क्या है
  • 14:44 - 14:46
    स्पष्ट जैविक तौर पे, एक मिनट में.
  • 14:47 - 14:49
    और जेरियाट्रिक्स वक्त के प्रवाह को रोकने की कोशिश करता है
  • 14:49 - 14:51
    इस नुक्सान को विकृति बनने से रोक कर.
  • 14:51 - 14:53
    और यह एक हारी हुई लडा़ई है क्योंकि
  • 14:53 - 14:55
    नुक्सान जमा होता जाता है.
  • 14:55 - 14:58
    तो एक तीसरा रास्ता है, अगर हम इस तरह से देखें.
  • 14:58 - 15:00
    हम इसे यात्रिकि रास्ता कह सकते हैं.
  • 15:00 - 15:03
    और मैं दावा करता हूं कि यांत्रिकि रास्ता सीमा के अन्दर है.
  • 15:03 - 15:06
    यांत्रिकि रास्ता किसी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करता.
  • 15:06 - 15:08
    वो इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करता, य़ा इस में.
  • 15:08 - 15:11
    और यह अच्छा है क्यॊंकि इसका मतलब है कि यह हारी हुई लडा़ई नहीं है,
  • 15:11 - 15:14
    और यह एसा कुछ है जो कि हमारे द्वारा करे जाने कि सीमा में है,
  • 15:14 - 15:17
    क्योंकि इसमें बेहतरी या विकास शामिल नहीं होते.
  • 15:17 - 15:19
    यांत्रिकि रास्ता सिर्फ़ कहता है,
  • 15:19 - 15:23
    "हमें थोडी़ थोडी़ देर में सभी प्रकार के नुक्सानों की मरम्मत करनी चाहिये --
  • 15:23 - 15:27
    जरूरी नहीं पूरी तरह से, पर काफ़ी हद तक उनकी मरम्मत,
  • 15:27 - 15:30
    जिससे हम नुक्सान का स्तर उस दहलीज़ के नीचे रहे
  • 15:30 - 15:33
    जिसका होना ज़रूरी है, जो इसे रोगजनक बना देता है."
  • 15:33 - 15:35
    हमें पता है कि यह दहलीज़ मौज़ूद है,
  • 15:35 - 15:38
    क्योंकि मध्यम आयु में पहुंचने तक हमें उम्र संबंधी बिमारियां नहीं होती,
  • 15:38 - 15:41
    यद्यपि पैदा होने के समय से ही नुकसान इकट्ठा हो रहा है.
  • 15:41 - 15:45
    मैं क्यों कहता हूं कि हम सीमा के अंदर हैं? वो मूलतः इसलिए.
  • 15:45 - 15:48
    इस स्लाइड का सार नीचे है.
  • 15:48 - 15:51
    अगर हम यह कहने की को्शश करें कि चयपचय के कौनसे भाग उम्र बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण हैं,
  • 15:51 - 15:54
    तो हमे सारी रात यहां रहना पडे़गा, क्योंकि मूलतः पूरा चयपचय
  • 15:54 - 15:56
    किसी न किसी तरह से उम्र बढ़्ने के लिए महत्वपूर्ण है,
  • 15:56 - 15:58
    यह केवल उदाहर्ण के लिए है, यह अधूरा है.
  • 15:59 - 16:01
    दाहिने तरफ़ वाली सूची भी अधूरी है.
  • 16:01 - 16:04
    यह सूची उम्र संबंधी अलग अलग विकृतियों की है,
  • 16:04 - 16:06
    और यह सिर्फ़ एक अधूरी सूची है.
  • 16:06 - 16:09
    लेकिन मैं आप से यह दावा करना चाहूंगा कि ये बीच वाली सूची पूर्ण है,
  • 16:09 - 16:12
    ये उन चीज़ों की सूची है जो नुक्सान होने के काबिल कहे जा सकते हैं,
  • 16:12 - 16:15
    चयपचय के दुष्प्रभाव जो अंत में विकृतियं पैदा करते हैं.
  • 16:15 - 16:17
    या जो विकृतियां पैदा कर सकते हैं.
  • 16:17 - 16:20
    और ये केवल सात हैं.
  • 16:20 - 16:23
    ये चीज़ों की श्रेणियां हैं, पर सिर्फ़ सात हैं.
  • 16:23 - 16:28
    कोषिकाओं का नुक्सान, गुणसूत्रों में उत्परिवर्तन, माइटोकॊंड्रिया में उत्परिवर्त,न आदि.
  • 16:28 - 16:33
    सबसे पहले, मैं तर्क देना चाहूंगा कि ये सूची पूर्ण क्यों है.
  • 16:33 - 16:35
    हां, निश्च्य ही हम जैविक बहस कर सकते हैं.
  • 16:35 - 16:37
    हम कह सकते हैं, ठीक है, हम किन चीज़ों के बने हैं?
  • 16:37 - 16:39
    हम कोशिकाओं और उनके बीच के सामान के बने हैं.
  • 16:39 - 16:42
    नुक्सान किन में जमा हो सकता है?
  • 16:42 - 16:44
    जवाब है, दीर्घायु अणु,
  • 16:44 - 16:47
    क्योंकि अगर लघु आयु वाले अणु को नुक्सान होता है, लेकिन अणु बरबाद हो जाता है --
  • 16:47 - 16:51
    जैसे प्रोटीन प्रोटेओलाइसिस से ध्वस्त हो रहा है -- तो नुक्सान भी खत्म हो जाता है.
  • 16:51 - 16:53
    वह निश्चित ही दीर्घायु अणु होंगे.
  • 16:53 - 16:56
    तो, यह सात चीज़ें ग्रेंटॊलॊजी में काफ़ी समय से चर्चित रही हैं
  • 16:56 - 17:00
    और यह काफ़ी अच्छी खबर है, क्योंकि इसका मतलब है,
  • 17:00 - 17:02
    कि हम इन २० सालों में जीव विज्ञान में काफ़ी प्रगति कर चुके हैं,
  • 17:02 - 17:04
    तो ये बात कि हमनें इस सूची को बढ़ाया नहीं है
  • 17:04 - 17:07
    इस बात का अच्छा सबूत है कि इसे बढ़ाया जाने लायक कुछ नहीं है.
  • 17:08 - 17:10
    बल्कि, इस से भी बेहतर है, हमे असल में पता है कि इन सब को ठीक कैसे करना है
  • 17:10 - 17:13
    चूहों में, सिद्धांत के तौर पे - और सिद्धांत से मेरा मतलब है,
  • 17:13 - 17:16
    कि शायद हम वास्तव में इन उपचारों को एक दशक में लागू कर सकते हैं.
  • 17:16 - 17:20
    इनमें से कुछ, ऊपर वाले, आंशिक तौर पे लागू हो चुके हैं.
  • 17:20 - 17:23
    मेरे पास सब के बारे मे बताने का वक्त नहीं है, लेकिन
  • 17:23 - 17:27
    मेरा निषकर्श यह है कि, अगर हमें इसके लिए उपयुक्त धन मिल जाए,
  • 17:27 - 17:31
    तो शायद हम १० साल में ही मजबूत जन कायाकल्प का विकास कर सकते हैं,
  • 17:31 - 17:34
    लेकिन हमें इसके बारे में गंभीर होना पड़ेगा.
  • 17:34 - 17:35
    हमें कोशिश करनी शुरू कर देनी चाहिए.
  • 17:36 - 17:39
    नि:संदेह, दर्शकों में कुछ जीवशास्त्री हैं,
  • 17:39 - 17:42
    और मैं आपके कुछ संभावित सवालों का जवाब देना चाहूंगा.
  • 17:42 - 17:44
    आप इस वार्ता से असंतुष्ट हुए हो सकते हैं,
  • 17:44 - 17:46
    लेकिन मौलिक तौर पे आप को जाकर इस चीज़ को पढ़ना है.
  • 17:46 - 17:48
    मैने इसपर काफ़ी कुछ लिखा है;
  • 17:48 - 17:51
    मैं उन प्रयोगिक कार्यों का हवाला देता हूं, जिन पर मेरा आशावाद आधारित है,
  • 17:51 - 17:53
    और इन में काफ़ी विस्तृत ब्यौरा है.
  • 17:53 - 17:55
    ये ब्यौरा ही मुझ में आत्मविश्वास जगाता है
  • 17:55 - 17:57
    इन आक्र्मक समय संदर्भों का जिनकी मैं भविष्य वाणी कर रहा हूं.
  • 17:57 - 17:59
    तो अगर आप सोचते हैं कि मैं गलत हूं,
  • 17:59 - 18:02
    तो बेहतर हो आप जाकर पता लगाएं कि आप ऎसा क्यॊं सोचते हैं.
  • 18:03 - 18:06
    नि:सेदेह, मुख्य बात यह है कि आपको उन लोगों पर विश्ववास नहीं करना चाहिए
  • 18:06 - 18:08
    जो अपने आप को ग्रेन्टोलोजिस्ट कह्ते हैं क्योंकि,
  • 18:08 - 18:12
    जैसा कि किसी भी क्षेत्र में पहले की सोच से घोर प्रस्थान में होता है,
  • 18:12 - 18:16
    आप मुख्र्य धारा में लोगों से अपेक्षा करते हैं कि वो अवरोध करेंगे
  • 18:16 - 18:18
    और इसे गंभीरता से नहीं लेंगे.
  • 18:18 - 18:20
    तो, पता है, आप को वास्त्व में अपनी तैयारी करनी पड़ती है,
  • 18:20 - 18:21
    यह समझने के लिए कि क्या यह सच है.
  • 18:21 - 18:23
    और हम कुछ चीज़ों के साथ समापन करेंगे.
  • 18:23 - 18:26
    एक, पता है, अगले सत्र में आप एक शक्स को सुनेंगे
  • 18:26 - 18:30
    जिसने कुछ समय पहले कहा था कि वह मानव जीनोम को कुछ ही समय में अनुक्रम कर सकता है,
  • 18:30 - 18:32
    और सब ने कहा, "ज़ाहिर है यह मुमकिन नहीं है."
  • 18:32 - 18:33
    और आप को पता है क्या हुआ.
  • 18:33 - 18:37
    तो, पता है, एसा होता है.
  • 18:37 - 18:39
    हमारे पास अलग अलग रणनितियां हैं - मतूशेलह माउस पुरुस्कार है,
  • 18:39 - 18:42
    जो मूलतः कुछ नया करने के लिए प्रोत्साहन है,
  • 18:42 - 18:45
    और वो करने के लिए जो आप सोचते हैं काम करेगा,
  • 18:45 - 18:47
    और अगर आप जीत जाते हैं तो आपको उसके लिए पैसे मिलते हैं.
  • 18:48 - 18:51
    एक प्रस्ताव है वास्तव में एक संस्थान तैयार करने का.
  • 18:51 - 18:53
    यही है जिसमें थोडा़ पैसा लगेगा.
  • 18:53 - 18:56
    पर, मेरा मतलब है, देखिए -- इराक युद्द में इतना खर्च करने में कितना समय लगता है?
  • 18:56 - 18:57
    ज़्यादा समय नहीं. ठीक है.
  • 18:57 - 18:58
    ठहाके
  • 18:58 - 19:01
    और यह परोपकारी होना चाहिए, क्योंकि मुनाफ़ा जीवन शास्त्र से ध्यान बंटाता है,
  • 19:01 - 19:05
    पर इसे सफ़ल होने की ९० प्रतिशत संभावना है, मेरे ख्याल से.
  • 19:05 - 19:08
    और मैं सोचता हूं हमें पता है कि यह कैसे करना है. और मैं यहीं रुकता हूं.
  • 19:08 - 19:09
    धन्यवाद.
  • 19:09 - 19:14
    तालियां
  • 19:14 - 19:17
    क्रिस एन्डरसन: अच्छा, मुझे पता नहीं कि कोई सवाल होंगे कि नहीं
  • 19:17 - 19:19
    पर मैने सोचा मैं लोगों को मौका दूं.
  • 19:19 - 19:23
    दर्शक: आपने बढ़ती उम्र और उसे हराने की बात की,
  • 19:23 - 19:27
    पर ऎसा क्यॊं है कि आप अपने आप को एक वृद्ध व्यक्ति की तरह जता रहे हैं?
  • 19:27 - 19:31
    ठहाके
  • 19:31 - 19:34
    ए जी: क्योंकि मैं वृद्ध हूं. मैं दर असल १५८ साल का हूं.
  • 19:34 - 19:35
    ठहाके
  • 19:35 - 19:38
    तालियां
  • 19:38 - 19:42
    दर्शक: नस्लें इस ग्रह पर प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ विकसित हुई हैं
  • 19:42 - 19:46
    बिमारियों से लड़ने के लिए जिससे लोग प्रज्न्न हेतु जीवित रह सकें.
  • 19:46 - 19:51
    लेकिन, जहां तक मैं जानता हूं, सभी नस्लें अस्ली में मरने के लिए ही विकसित हुई हैं,
  • 19:51 - 19:56
    तो जब कोषाणुं विभाजित होते हैं, तो तेलोमेरेज़ छोटे होते हैं, और अंततः नस्लें मर जाती हैं.
  • 19:56 - 20:01
    तो क्यों - विकास नें - लगता है अमरता के खिलाफ़ चुनाव किया है,
  • 20:01 - 20:05
    जब कि यह इतनी फ़ायदेमंद है, या विकास अभी अधूरा है?
  • 20:05 - 20:07
    ए जी: उत्तम. एसा सवाल पूछने के लिये शुक्रिया
  • 20:07 - 20:09
    जिसका ज़वाब मैं गैर-विवादास्पद रूप में दे सकता हूं.
  • 20:09 - 20:12
    मैं आपके सवाल का असली मुख्य धारा वाला जवाब देने जा रहा हूं,
  • 20:12 - 20:14
    जिस से मैं भी सहमत हूं.
  • 20:14 - 20:17
    जॊ कि यह है कि, नहीं, उम्र का बढ़ना चुनाव का हिस्सा नहीं है;
  • 20:17 - 20:19
    विकास केवल विकासीय उपेक्षा का परिणाम है.
  • 20:20 - 20:25
    अन्य शब्दो में, हमारी उम्र बढ़ती है क्योंकि उसका न बढ़ने में मेहनत लगती है;
  • 20:25 - 20:27
    आप को अधिक आनुवंशिक राहें चाहिए होती हैं, आप के आनुवंश में अधिक परिषकार
  • 20:27 - 20:29
    अगर उम्र को और धीरे बढ़ना हो तो,
  • 20:29 - 20:32
    और यह सच रहता है जितनी देर तक आप यह चाहें.
  • 20:32 - 20:37
    तो, उस मामले में विकास से कोई फ़र्क नहीं पड़ता,
  • 20:37 - 20:39
    परवाह नहीं करता चाहे आनुवंश व्यक्तियों द्वारा पारित हों,
  • 20:39 - 20:41
    जो लंबे समय तक जीवित रहें, या उत्पत्ति द्वारा,
  • 20:42 - 20:44
    इसमें कुछ मात्रा में समता है,
  • 20:44 - 20:47
    इसलिए अलग नस्लों के अलग जीवनकाल होते हैं,
  • 20:47 - 20:49
    और इसलिए कोई अमर नस्लें नहीं हैं.
  • 20:50 - 20:52
    सी ए: आनुवंश परवा नहीं करते पर हम करते हैं?
  • 20:52 - 20:53
    ए जी: सही.
  • 20:54 - 20:59
    दर्शक: मैंने कहीं पढा़ था कि पिछ्ले २० सालों में,
  • 20:59 - 21:04
    धरती पे किसी का भी औसत जीवनकाल १० साल बढ़ गया है.
  • 21:04 - 21:07
    अगर मैं इसका व्याख्यान करूं, तो मैं सोचता हूं
  • 21:07 - 21:11
    कि अगर मैं अपनी मोटरसाइकल पे टक्कर ना मारूं, तो मैं १२० साल तक जीवित रहूंगा.
  • 21:12 - 21:17
    इसका मतलब है कि मैं आपके उन लोगों में से हूं जो १००० साल के हो सकते हैं?
  • 21:17 - 21:18
    ए जी: अगर आप अपना वजन थोडा़ कम कर लेते हैं तो.
  • 21:19 - 21:22
    ठहाके
  • 21:22 - 21:25
    आपके अंक कुछ गलत हैं.
  • 21:25 - 21:28
    मानक आंकडे़ कहते हैं कि जीवनकाल
  • 21:28 - 21:31
    हर दश्क में एक से दो साल तक बढ़ रहे हैं.
  • 21:31 - 21:34
    तो, यह वैसा नहीं है जैसा आप सोचें - आप उम्मीद करें.
  • 21:35 - 21:37
    पर मेरा इरादा जल्द से जल्द इसे बढा़ कर एक साल प्रति साल करना है.
  • 21:38 - 21:41
    दर्शक: मुझे बताया गया था कि दिमाग के कई कोषाणु जो हमारे पास व्यस्क्ता में होते हैं
  • 21:41 - 21:42
    वो वास्तव में मानव भ्रूण में होते हैं,
  • 21:43 - 21:45
    और दिमाग के कोषाणु ८० साल तक चलते हैं.
  • 21:45 - 21:47
    अगर यह सच है तो,
  • 21:47 - 21:50
    क्या जीवन शास्त्र में इसके कायाकल्प की दुनिया में निहितार्थ हैं?
  • 21:50 - 21:53
    अगर मेरे शरीर में कोषाणु हैं जो पूरे ८० साल जीते हैं,
  • 21:53 - 21:55
    बनिस्प्त साधारण तौर पे, पता है, कुछ महीने?
  • 21:55 - 21:57
    ए जी: इसके तकनीकि निहितार्थ ज़रूर हैं.
  • 21:57 - 22:00
    बुनियादि तौर पे हमें कोषाणु बदलने हैं
  • 22:01 - 22:04
    दिमाग के उन कुछ हिस्सों में जो इन्हे जायज़ दर से खोते हैं,
  • 22:04 - 22:07
    खास तौर से न्युरान, लेकिन हम उन्हें इस से तेज़ बदली नहीं करना चाह्ते
  • 22:07 - 22:09
    या बहुत ज्यादा तेज़ तो नहीं,
  • 22:09 - 22:13
    क्योंकि इन्हे बहुत तेज़ बदलने से संज्ञानात्मक कार्य पर दुष्प्र्भाव पडेगा.
  • 22:13 - 22:16
    पहले मैंने जो कोई बूढ़े न होने वाली नस्ल न होने की बात करी थी
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    वो कुछ ज्यादा ही सरलीकरण था.
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    कुछ नस्लों की उम्र नहीं बढ़्ती - जैसे कि हाइड्रा -
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    पर वे ऎसा करते हैं क्योंकि उनमें नरवस सिस्ट्म नहीं होता -
  • 22:24 - 22:26
    और कोई ऊतक नहीं होती जो अपने कार्य के लिये आश्रित हो
  • 22:26 - 22:28
    लंबे समय तक जीवित रहने वाले कोषाणुओं पर.
Title:
औब्रे दे ग्रेय कह्ते हैं कि हम बुढापे से बच सकते हैं
Speaker:
Aubrey de Grey
Description:

कैंब्रिज शोधकर्ता औब्रे दे ग्रेय का यह तर्क है कि बुढापा एक बिमारी मात्र है - और वह भी साधक. इन्सान मूल रूप से सात तरह से बूढे होते हैं, और सभी सातों से बचा जा सकता है.

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
22:28
Rohit Agarwal added a translation

Hindi subtitles

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