औब्रे दे ग्रेय कह्ते हैं कि हम बुढापे से बच सकते हैं
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0:00 - 0:02१८ मिनट की समय सीमा बहुत निर्दयी है,
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0:02 - 0:04इस लिये मै सिधे मुद्दे पर आता हूँ.
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0:04 - 0:06जैसे ही मै इसे काम करा सकूँ.
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0:06 - 0:08आइये चलें. मैं ५ अलग चीज़ों के बारे में बात करूंगा.
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0:08 - 0:11मैं बताऊंगा कि उम्र को हराना क्यों जरूरी हैं.
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0:11 - 0:13मैं बताऊंगा कि क्यों हमें सावधान होना होगा,
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0:13 - 0:15और इसके बारे में और अधिक बातें करनी चाहिये.
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0:15 - 0:17निसंदेह मैं सम्भावनाऒं के बारे में भी बोलूँगा.
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0:17 - 0:19मैं बताऊंगा कि क्यॊं हम इतने भाग्य्वादी कयों हैं
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0:19 - 0:21जहां तक उम्र के बारे मे कुछ करने का प्रश्न है.
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0:21 - 0:23और फिर शायद मैं वार्ता का दूसरा भाग
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0:23 - 0:28ये बताने मे लगाऊं कि कैसे हम शायद भाग्यवाद को गलत साबित कर सकें,
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0:28 - 0:30वास्तव में इसके बारे में कुछ कर के.
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0:30 - 0:32इसे मैं दो भागों में करूंगा.
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0:32 - 0:34पहले मैं इस बारे में बात करूंगा
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0:34 - 0:37कि कैसे जीवन काल में छोटी सी व्रिधी से शुरू कर के --
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0:37 - 0:40जिसे मैं उन लॊगॊं के संदर्भ में ३० साल की अवधी मानता हूं
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0:40 - 0:42जो शुरुआत में पहले से ही अधेडावस्था में हॊं --
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0:42 - 0:45ऐसी स्थीति में पहूंचा जा सकता है जिसे वास्तव में बुढापे को पराजित करना समझा जा सकता है.
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0:45 - 0:49मूलत:, इसका मतलब उस रिशत॓ को समाप्त करना है जो
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0:49 - 0:51आपकी उम्र और अगले साल आपकी संभावित मर्त्यु के बीच है --
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0:51 - 0:53या बीमार होने के.
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0:53 - 0:55और आखिर में मैं बात करूंगा
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0:55 - 0:57कि कैसे उस माध्यमिक कदम तक पहूंचा जा सकता है,
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0:57 - 1:00३० साल उम्र में वृधि के.
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1:00 - 1:03तो मैं इस बात से शुरु करूंगा कि हमें यह क्यों करना चाहिय॑.
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1:03 - 1:05अब मैं एक सवाल पूछना चाहत्ता हूं.
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1:05 - 1:08श्रोताओं में कोई हैं जो मलरिया के ह्क मे हैं तो अपने हाथ खडे करें.
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1:08 - 1:09यह तो आसान था. ठीक है.
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1:09 - 1:11अच्छा हाथ उठाएं श्रोताओं में से कोई
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1:11 - 1:14जो यह नहीं जानते कि मलेरिआ एक अच्छी चीज़ है या बुरी?
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1:14 - 1:16अच्छा. तो हम सब ये सोचते हैं कि मलेरिया एक बुरी चीज़ है.
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1:16 - 1:18यह तो बहुत अच्छी खबर है, क्योंकि मैंने सोचा था कि जवाब यही होना चाहिए.
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1:18 - 1:20अब जो मैं आपको बताना चाह्ता हूं
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1:20 - 1:23कि हमारे द्वारा मलेरिया को बुरे समझे जाने का मुख्य कारण
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1:23 - 1:27मलेरिया की वो विशेषता के कारण है जो बूढे होने से मिलती जुलती है.
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1:27 - 1:30और वह विशेषता यह है.
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1:30 - 1:35अंतर मात्र ये है कि उम्र का बढ्ना मलेरिया से कहीं ज्यादा लोगों की जान लेता है.
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1:35 - 1:37मैं श्रोताओं के बीच, खास तौर से ब्रिटेन में,
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1:37 - 1:39लोमडी के शिकार से तुलना के बारे में बात करना पसंद करता हूं.
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1:39 - 1:42जिसे एक लंबे संघर्ष के बाद प्रतिबंधित किया गया था,
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1:42 - 1:45सरकार के द्वारा, कुछ ही महीने पहले.
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1:45 - 1:47मैं जानता हूं दर्शकों मे सहानुभूति है,
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1:47 - 1:50लेकिन, जैसा कि हमें पता है, बहुत से लोग इस तर्क से सहमत नहीं हैं.
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1:50 - 1:53और मुझे लगता है यह काफ़ि अच्छी तुलना है.
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1:53 - 1:55काफ़ी लोगों नें कहा, "ऐसा है,
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1:55 - 2:00शहरी लोग कौन होते हैं हम ग्रामीण लोगों को बताने बाले कि अपने समय के साथ क्या करें.
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2:00 - 2:02यह हमारी जीवन शैली का एक परंपरागत हिस्सा है,
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2:02 - 2:04और हमें यह करते रहने देना चाहिये.
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2:04 - 2:07यह वातावर्ण के लिये अच्छा है; यह लोमडियों की संख्या को अधिक बढ्ने से रोकता है."
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2:07 - 2:09लेकिन अंत में चली तो सरकार की ही,
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2:09 - 2:10क्योंकि अधिकांश ब्रिटिश जनता,
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2:10 - 2:12और निसंदेह सांसदों का बहुमत,
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2:12 - 2:14इस निष्कर्ष पर पहूंचा कि यह ऐसी चीज़ है
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2:14 - 2:16जो सभ्य समाज में सहन नहीं करी जा सकती.
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2:16 - 2:17और मैं समझता हूं कि इन्सान का बूढा होना
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2:17 - 2:19इन सभी विशेशताओं के काफी समान है.
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2:20 - 2:22इसमें से कौनसी बात लोग नहीं समझ पाते ?
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2:22 - 2:24निसंदेह यह केवल जीवन के बारे में नहीं है --
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2:24 - 2:25(ठ्हाके)
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2:25 - 2:28यह स्वस्थ जीवन के बारे में है --
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2:28 - 2:31कमज़ोर, दयनीय और आश्रित होने में कोई आनंद नहीं है,
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2:31 - 2:33चाहे मरने में आनंद हो या न हो.
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2:33 - 2:35इसका वर्णन मैं ऐसे करना चाहूंगा.
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2:35 - 2:37यह एक वैश्विक भ्रम है.
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2:37 - 2:39ये वैसे ही अविश्वसनीय तर्क हैं
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2:39 - 2:41जैसे लोग बूढे होने के संदर्भ में देते हैं.
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2:41 - 2:43मैं यह नहीं कह रहा कि
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2:43 - 2:45यह तर्क पूरी तरह से बेकार हैं.
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2:45 - 2:47इन में कुछ अच्छे तर्क भी हैं.
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2:47 - 2:50जिनके बारे में हमें सोचना चाहिए, प्रायोजन करना चाहिए
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2:50 - 2:52जिससे कुछ भी बेकार न जाए, और
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2:52 - 2:55जब हम बूढे होने का इलाज ढूंढ लें तो कम से कम उथल पुथल हो.
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2:55 - 2:58लेकिन ये उस समय पागलपन लगता है, जब आप
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2:58 - 3:00अनुपात की भावना का ध्यान रखते हैं.
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3:00 - 3:04यह तर्क, ये वह चीज़ें हैं
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3:04 - 3:06जिनके बारे में चिंतित होना जायज़ है.
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3:06 - 3:09लेकिन सवाल यह है, क्या ये इतने खतरनाक हैं --
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3:09 - 3:11बूढे होने के बारे में कुछ करने के जोखिम --
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3:11 - 3:15कि इससे विपरीत करने के नुक्सान को नज़रअंदाज़ किया जा सके,
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3:15 - 3:17यानि, बूढे होने को एसे ही छोड दिया जाए?
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3:17 - 3:19क्या ये इतने बुरे हैं कि इनसे बेहतर है
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3:19 - 3:25१००,००० लोगों को हर रोज़ बेवजह अकस्मात मर्त्युद्ण्ड दिया जाए.
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3:25 - 3:27यदि आपके पास इससे बडा कोई तर्क नहीं है,
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3:27 - 3:30तो मैं कहता हूं कि मेरा समय बर्बाद न करें.
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3:30 - 3:31(ठहाके)
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3:31 - 3:32हां एक तर्क है
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3:32 - 3:34जो कुछ लोगों के विचार में सचमुच प्रबल है, और वह ये है.
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3:34 - 3:36लोग जनसंख्या व्रिधी के बारे में चिंता करते हैं; वे कहते हैं,
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3:36 - 3:38"अगर हम बूढे होने का इलाज निकाल लेते हैं, तो शायद ही कोई मरेगा,
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3:38 - 3:41या कम से कम मरने वालॊं की संख्या बहुत कम होगी,
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3:41 - 3:43सिर्फ़ यमराज से पंगा लेने पर.
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3:43 - 3:45और इसकी वजह से हम ज्यादा बच्चे पैदा नहीं कर पाएंगे,
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3:45 - 3:47और ज्यादातर लोगों के लिये बच्चे बहुत मायने रखते हैं."
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3:47 - 3:49और यह सच है.
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3:49 - 3:52और मालूम है, बहुत से लोग जान कर भी इस सवाल का गलत जवाब देते हैं,
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3:52 - 3:53कुछ इस तरह से.
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3:53 - 3:56मैं इन जवाबों से सहमत नहीं हूं. मेरे ख्याल से ये बुनियादी तौर से काम नहीं करते.
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3:56 - 3:59मैं समझता हूं, हमें इस संबंध में दुविधा का सामना करना पडेगा.
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3:59 - 4:03हमें यह तय करना हॊगा कि हमें जन्म दर कम चाहिये,
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4:03 - 4:05या मर्त्यु दर ज्यादा.
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4:05 - 4:08उच्च मर्त्यु दर, निसंदेह, केवल इन उपचारों को नकार के
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4:08 - 4:12बहुत से बच्चे पैदा को स्वीकारने से ही हो जाएगा.
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4:12 - 4:14और, मैं कहता हूं यह ठीक है --
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4:14 - 4:17मानवता के भविष्य को यह निर्णय लेने का हक है.™
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4:17 - 4:21लेकिन भविष्य की ओर से हमारे द्वारा यह तय करना ठीक नहीं है.
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4:21 - 4:23अगर हम संकोच करेंगे या डोलेंगे,
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4:23 - 4:26और दरअसल इन उपचारों का विकास नहीं करेंगे,
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4:26 - 4:30तो हम लोगों की एक बडी संख्या कॊ सज़ा दे रहे हैं --
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4:30 - 4:32जो इन इलाज के तरीकों से फ़ायदा उठाने के लिये जवान और स्वस्थ होते
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4:32 - 4:34लेकिन नहीं होंगे,
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4:34 - 4:36क्योंकि हमने इन्हें संभावित तेज़ी से विकसित नहीं किया --
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4:36 - 4:38हम इन लोगों को अनिश्चित तौर से लम्बे जीवनकाल से वंचित रख रहे हैं,
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4:38 - 4:40और मैं समझता हूं कि यह अनुचित है.
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4:40 - 4:43अधिक जनसंख्या के सवाल का यह मेरा ज़वाब है.
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4:43 - 4:45अच्छा. तो अगली चीज़ है,
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4:45 - 4:47कि हमें इस पर थोडा और सक्रीय क्यों होना चाहिए?
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4:47 - 4:49और बुनियादी ज़वाब यह है कि
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4:49 - 4:52बुढापे के हित में लोगों का भ्रम इतना मूर्खतापूर्ण नहीं है जितना दिखता है.
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4:52 - 4:56यह असल में बूढे होने का सामना करने का एक समझदारीपूर्ण तरीका है.
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4:56 - 5:00उम्र का बढ्ना भयानाक किन्तु निश्चित है, इस लिए,
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5:00 - 5:02हमें इसे अपने दिमाग से निकालने का कोई तरीका ढूंढना है,
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5:02 - 5:06और एसा करने के लिए हमें जो भी करना पडे वह सही है.
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5:06 - 5:09जैसे, उदाहरण के लिए, ये हास्यासपद तर्क देना
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5:09 - 5:11कि क्यों उम्र का बढ्ना असल में अच्छी बात है.
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5:11 - 5:15लेकिन यह तभी काम कर सकता है जब हमारे पास ये दोनों भाग हों.
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5:15 - 5:18और जैसे ही अपरिहार्यता वाला भाग कुछ साफ़ होता है,
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5:18 - 5:20और हम बढ्ती उम्र के बारे में कुछ करने की स्थिती में हो सकते हैं,
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5:20 - 5:22यह समस्या का एक हिस्सा बन जाता है.
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5:22 - 5:26बुढापे के हित में लोगों का भ्रम ही है जो हमें इन चीज़ों के बारे में आन्दोलन करने से रोकता है.
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5:26 - 5:30और इसलिए हमें इस के बारे में काफ़ी चर्चा करनी है --
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5:30 - 5:32मैं तो यहां तक कहूंगा इसका प्रचार करना है --
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5:32 - 5:35जिस से हम लोगों का ध्यान आकर्शित कर सकें, और उन्हें यह आभास दिला सकें
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5:35 - 5:37कि वे इस मामले में भ्रम में हैं.
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5:37 - 5:39तो इसके बारे में मैं इतना ही कहूंगा.
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5:39 - 5:42अब मैं बात करूगा व्यवहार्यता की
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5:42 - 5:46और हमारे यह सोचने का कि उम्र का बढ्ना निश्चित है का बुनियादी कारण
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5:46 - 5:49अभी मेरे द्वारा दिये जाने वाली उम्र के बढ्ने की परिभाशा मे संक्षिप्त है.
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5:49 - 5:50एक बहुत ही सरल परिभाशा.
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5:50 - 5:53उम्र का बढना जीवित होने का एक अतिरिक्त असर है,
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5:53 - 5:55कहा जाए तो चयापचय, या हमारे शरीर के विभिन्न अंगों का अपना अपना काम करना.
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5:55 - 5:58यह केवल शब्दॊं का खेल नहीं है;
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5:58 - 5:59यह एक उचित कथन है.
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5:59 - 6:03उम्र का बढ्ना एक ऐसी प्रक्रिया है जो गाडियों जैसी निर्जीव वस्तुओं के साथ होता है,
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6:03 - 6:05और यह हमारे साथ भी होता है,
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6:05 - 6:08बावज़ूद इसके कि हमारे शरीर के पास बहुत से चतुर तंत्र हैं जिन से वह स्वयं की मरम्म्त कर सकता है,
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6:08 - 6:10क्योंकि ये तंत्र परीपूर्ण नहीं हैं.
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6:10 - 6:12तो बुनियादी तौर पे चयापचय, जिसकी परिभाशा है
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6:12 - 6:15हर चीज़ जो हमें दिन प्रतिदिन जीवित रखती है,
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6:15 - 6:17के कुछ अतिरिक्त असर होते हैं.
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6:17 - 6:19ये असर एकत्रित होते रहते हैं और अंततः बीमारी पैदा करते हैं.
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6:19 - 6:21यह अच्छी परिभाशा है. तो हम इन शब्दों में कह सकते हैं:
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6:21 - 6:23हम कह सकते हैं, ये घटनाओं की श्रृंखला है.
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6:23 - 6:25और प्रायः दो मत हैं,
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6:25 - 6:28अधिकतर लॊगॊं के, उम्र के बढ्ने को टालने को लेकर.
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6:28 - 6:32ये हैं जिन्हें मैं ग्रेंटोलॊजी दृष्टिकोण और जेरिऎट्रिक्स या जराचिकित्सा दृष्टिकोण कहूंगा.
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6:32 - 6:34जराचिकित्सक की बारी बाद में आएगी,
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6:34 - 6:36जब बीमारी जाहिर हो रही होगी,
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6:36 - 6:39और जराचिकित्सक वक्त के बढ्ते हुए कदमों को रोकने का प्रयास करेगा,
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6:39 - 6:42और अतिरिक्त प्रभावों को
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6:42 - 6:44इतनी जल्दी बीमारी पैदा करने से रोकने का.
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6:44 - 6:47निसंदेह, यह एक अल्प-कालीन रणनीति है, एक हारी हुई लडाई,
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6:47 - 6:50क्योंकि बीमारी पैदा करने वाले कारण
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6:50 - 6:52वक्त के साथ अधिक होते जा रहे हैं.
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6:52 - 6:56ऊपरी तौर पर ग्रेंटोलोज़ि का रास्ता अधिक आशाजनाक लगता है,
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6:56 - 6:59क्योंकि, जैसा आप जानते हैं, बचाव उपचार से बेहतर है.
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6:59 - 7:02दुर्भाग्यतापूर्ण बात यह है कि हम चयापचय को बहुत अच्छी तरह समझते नहीं हैं.
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7:02 - 7:05बल्कि जीवों की कार्यशौली के बारे में हमारी समझ काफ़ी कमज़ोर है -
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7:05 - 7:07कोशिकाओं के बारे में भी हम अभी बहुत अच्छे नहीं हैं.
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7:07 - 7:09उदाहरण के तौर पे हमनें
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7:09 - 7:12आर एन ए हस्तक्षेप जैसी चीज़ों के बारे में कुछ साल पहले ही जाना है,
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7:12 - 7:14और ये तो कोशिकाऒं के काम काज का बुनियादी भाग है.
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7:14 - 7:17अंतत:, ग्रेन्टोलोजी एक अच्छा रास्ता है,
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7:17 - 7:19पर वह सामयिक नहीं है
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7:19 - 7:21जब हम हस्तक्षेप के बारे में बात करते हैं.
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7:21 - 7:24तो हमें इसके बारे में क्या करना चाहिए?
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7:24 - 7:26मेरा मतलब है, यह तर्क अच्छा है, और
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7:26 - 7:28काफ़ी पक्का है, है ना?
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7:28 - 7:30किन्तु ऐसा नहीं है.
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7:30 - 7:33इससे पहले कि मैं आपको बताऊं कि यह क्यों नहीं है, मै कुछ बात करूंगा
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7:33 - 7:35उस बारे मे जिसको मैं दूसरा कदम कह रहा हूं.
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7:35 - 7:39कल्पना करिये, जैसे कि--
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7:39 - 7:41आज, केवल उदाहरण के लिये --
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7:41 - 7:45हमें ३०साल अतिरिक्त सेहतमंद जीवन प्रदान करने की क्षमता मिल जाती है
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7:45 - 7:48उन लोगॊं कॊ जॊ पहले ही अ्धेडावस्था में हैं, मसलन ५५ साल के.
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7:48 - 7:51मैं उसे मजबूत मानव कायाकल्प कहुंगा. ठीक है.
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7:51 - 7:52इसका असली मतलब क्या होगा
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7:52 - 7:55आज विभिन्न आयु वाले लोग कितनी देर तक --
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7:55 - 7:58या यों कहें, विभिन्न आयु के उस समय जब ये उपचार उपलब्ध हो जाती हैं
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7:59 - 8:00वास्तव में जियेंगे?
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8:01 - 8:03इस सवाल का जवाब देने के लिए -- आप भले ही सोचें कि ये आसान है,
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8:03 - 8:04किन्तु ये आसान नहीं है..
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8:04 - 8:07हम यह नहीं कह सकते, "अगर वे इन उपचारॊं का लाभ उठाने लायक उम्र में है,
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8:07 - 8:08तो वे ३० साल अधिक जियेंगे."
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8:08 - 8:10यह गलत जवाब है.
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8:10 - 8:12और इसके गलत जवाब होने का कारण प्रगति है.
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8:12 - 8:14दॊ तरह की तकनीकि प्रगति हैं
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8:14 - 8:15इस मायने में.
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8:15 - 8:18बुनियादी, बडी सफ़लताएं,
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8:18 - 8:22और इन सफ़लताऒं का वृद्धिशील शोधन.
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8:22 - 8:24और इन में काफ़ी अंतर है
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8:24 - 8:27समय काल के अनुमान लगाए जाने कॊ लेकर.
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8:27 - 8:28बुनियादी सफ़लताएं:
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8:28 - 8:30अनुमान लगाना बहुत मुशकिल है कि कितना समय लगेगा
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8:30 - 8:31बुनियादि सफ़लता पाने में.
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8:31 - 8:34हमनें यह बहुत समय पहले तय कर लिया था कि उडने में मज़ा आयेगा,
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8:34 - 8:37और हमें १९०३ तक का समय लगा पता लगाने के लिए कि यह कैसे किया जाए.
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8:37 - 8:41लेकिन उसके बाद यह काफ़ी संतुलित और सामान्य हो गया.
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8:41 - 8:44मैं समझता हूं कि यह उस घटनाक्रम का जायज़ ब्य़ॊरा है
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8:44 - 8:48जो संचालित उडान की प्रगति में हुआ.
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8:48 - 8:52यह भी सोचा जा सकता है कि इन में हर एक
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8:52 - 8:55पिछले चरण के आविश्कारक की कल्पना के परे है.
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8:55 - 8:59वृद्धिशील विकास का नतीजा इस तरह का है
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8:59 - 9:01जो वृद्धिशील नहिं रहा.
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9:01 - 9:04आप इस तरह की चिज़ किसी बुनियादी सफ़लता के बाद देख सकते हैं.
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9:04 - 9:06आप इन्हें कई तरह की तकनीकों में देख सकते हैं.
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9:06 - 9:09क्म्पयूटर के मामले में भी आप को सामान्तर समय रेखा देखने को मिलेगी,
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9:09 - 9:10अपितु कुछ देर बाद.
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9:10 - 9:13आप चिकित्सा संभाल को देख सकते हैं. मेरा मतलब है स्वच्छता, टीके, एंटीबायोटिक --
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9:13 - 9:15यानि कि, उसी तरह का समय सीमा
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9:15 - 9:19इस लिये मै सोचता हूं, असल में दूसरा कदम, जिसे मैंने अभी अभी कदम बॊला था,
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9:19 - 9:20कदम नहीं है.
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9:20 - 9:23वॊ लॊग जिन की उम्र इतनी कम है
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9:23 - 9:25कि वे इन चिकित्साऒं से लाभ उठा सकें
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9:25 - 9:27जो यह थॊडा सा जीवन काल को बढा सकते हैं,
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9:27 - 9:31यद्य्पि जब ये चिकित्साएं आएं तो वे अधेडावस्था में पहुंच चुके हों,
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9:31 - 9:33एक तरह से बीच की स्थीति में होंगे.
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9:33 - 9:37वे आम तौर पे उन्न्त उपचार पाने तक बच जाएंगे
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9:37 - 9:39जो उन्हें ३०या५० साल और दे देगा.
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9:39 - 9:42यानि कि वे इस खेल में आगे रहेंगे.
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9:42 - 9:45चिकित्सा में इस गति से तेजी से सुधार हो जाएगा
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9:45 - 9:49जिस गति से चिकित्सा में शेष खामियां उभर रही हैं.
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9:49 - 9:51यह बहुत महत्वपुर्ण मुद्दा है जो मैं समझाना चाहता हूं.♫
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9:51 - 9:53क्यॊंकि अधिकतर लोग जब यह सुनते हैं
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9:53 - 9:58कि मैं यह भविश्यवाणी करता हूं कि आज जीवित बहुत से लॊग १,००० साल या अधिक जियेंगे,
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9:58 - 10:02वॊ सोचते हैं मैं कह रहा हुं कि हम अगले कुछ दशकॊं में उपचारों का आविश्कार करने जा रहे हैं
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10:02 - 10:05जो उम्र के बढ्ने को पूरी तरह से समाप्त कर देंगे
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10:05 - 10:08और ये उपचार हमें १,००० साल या अधिक जीवित रहने देंगे.
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10:08 - 10:10मैं यह बिलकुल भी नहीं कह रहा हुं.
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10:10 - 10:12मैं कह रहा हूं कि इन उपचारॊं में सुधार की दर
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10:12 - 10:13पर्याप्त होगी.
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10:13 - 10:16ये कभी भी परिपूर्ण नहीं हॊंगी, लेकिन हम उन चीज़ॊं को ठीक कर पाएंगे
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10:16 - 10:19जिन से २०० साल के लॊग मरते हैं, इससे पहले कोई २०० साल के हों.
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10:19 - 10:21और इसी तरह से ३००, ४०० और अधिक .
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10:21 - 10:24मैंने इसे यह छोटा सा नाम दिया है,
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10:24 - 10:25"दीर्घायु escape velocity."
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10:26 - 10:28(ठहाके)
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10:28 - 10:31लगता है बात समझ में आती है इससे.
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10:31 - 10:36तो यह पथ रेखाएं दर्शाती हैं कि हमारी अपेक्षा में लोग कैसे जियेंगे,
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10:36 - 10:38शेष जिवन प्र्त्याशा के संदर्भ में,
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10:38 - 10:40जैसा कि उन के स्वस्थ से नापा जा सकता है,
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10:40 - 10:43दी गयी आयु के लिये जब ये उपचार आये जो उनकी थी.
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10:43 - 10:45अगर आप पहले से १०० साल, या ८० साल के भी हैं --
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10:45 - 10:47एक औसत ८० वर्षीय व्यक्ति,
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10:47 - 10:49तो शायद हम इन उपचारो से आप के लिए कुछ अधिक ना कर पाएं,
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10:49 - 10:51क्योंकि आप मौत के दरवाज़े के बहुत करीब हैं
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10:51 - 10:55और यह प्रयॊग के तौर पे किये गए शुरुआती उपचार आप के लिए काफी नहीं होंगे.
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10:55 - 10:56आप उन्हें सह नहीं पाऎंगे.
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10:56 - 10:58लेकिन यदि आप केवल ५० साल के हैं, तो संभावना है
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10:58 - 11:01कि आप को लुड्कने से बचाया जा सके --
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11:01 - 11:02(ठहाके)
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11:02 - 11:05बाहर निकाला जा सके.
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11:05 - 11:08और सही मायने में जैविक तौर से जवान बनने लगें,
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11:08 - 11:10शारीरिक और मानसिक तौर से जवान,
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11:10 - 11:12और उम्र संबंधी कारणॊं से मरने के आपके खतरे के मायने में.
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11:12 - 11:14अवश्य, अगर आप उससे कुछ छॊटे हैं,
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11:14 - 11:16तो आप कभी भी सचमुच
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11:16 - 11:19उम्र संबंधी कारणों से मरने लायक कमज़ॊर अवस्था में भी नहीं होंगे.
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11:19 - 11:24तो मैं इस सच्चे निष्कर्ष पर पहुंचा हूं, कि पहला १५० साल का व्यक्ति -
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11:24 - 11:26हम नहीं जानते कि वह इन्सान आज कितने साल का है,
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11:26 - 11:28क्योंकि हमें नहीं पता कि कितना समय लगेगा
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11:28 - 11:30इन पहली पीढ़ी के उपचार पाने में.
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11:30 - 11:32लेकिन चाहे वह उम्र कितनी भी हो,
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11:32 - 11:36मैं यह दावा कर रहा हूं कि १,००० साल तक जीवित रहने वाला पहला व्यक्ति -
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11:36 - 11:39वैष्विक आपदाओं को ध्यान में रखते हुए -
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11:39 - 11:43वास्त्व में पहले १५० साल के व्यक्ति से शायद केवल १० वर्ष कम आयु का है.
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11:43 - 11:45और यह सोचने लायक है.
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11:45 - 11:48अच्छा तो अंत में मैं बाकी की वार्ता
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11:48 - 11:51मेरे अंतिम साढे सात मिनट, पहले कदम पर बिताऊंगा;
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11:51 - 11:56यानि कि, वास्तव में हम जीवन में यह मामूली सी व्र्धी कैसे पा सकते हैं
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11:56 - 11:59जो हमें मनचाही गति प्राप्त करने देगा?
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11:59 - 12:03और यह करने के लिये, मुझे कुछ देर चूहों के बारे में बात करने की आव्श्य्क्ता है.
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12:03 - 12:06मेरे पास मजबूत मानव कायाकल्प से मिलता जुलता मानक है.
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12:06 - 12:09मैं उसे मजबूत चूहा कायाकल्प बुला रहा हूं, जो ज्यादा कल्पनाशील नहीं है.
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12:09 - 12:11और वह ये है.
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12:11 - 12:13मैं कहता हूं कि हम एक लंबे जीवन वाले चूहे का प्रकार लेंगे,
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12:13 - 12:16जिसका मूलतः अर्थ है चूहे जॊ औसतन तीन साल तक जीते हैं.
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12:16 - 12:19जब तक वो दॊ साल के हों हम उनको कुछ ना करें.
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12:19 - 12:21और फ़िर हम उन के साथ काफ़ी कुछ करें,
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12:21 - 12:23और इन उपचारों के साथ, हम उन्हें जीवित रखें,
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12:23 - 12:25औसतन, उनके पांचवे जन्म दिन तक.
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12:25 - 12:27तो, अन्य शब्दों में. हम दो वर्ष बढा दें --
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12:27 - 12:29हम उनके बाकि जीवन काल को तीन गुना कर दें,
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12:29 - 12:31उस समय से शुरू कर के जब से हमनें उपचार शुरू करा.
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12:31 - 12:34प्र्शन यह है कि, इसका समय संद्र्भ के लिए क्या अभिप्राय है
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12:34 - 12:37जब तक कि हम मनुषयों के मानक तक पहुंच सकें जिसके बारे में मैंने बात की थी?
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12:37 - 12:39जिसे कि, जैसा मैंने समझाया,
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12:39 - 12:43मजबूत मानव कायाकल्प या मनचाही गति बराबरी से कहा जा सकता है.
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12:43 - 12:46दूसरा, इसका आम धारणा के लिये क्या अभिप्राय है इस बारे में
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12:46 - 12:48कि हमें इन चीज़ॊं तक पहुंचने में कितनी देर लगेगी,
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12:48 - 12:50चूहे मिलने से शुरू कर के?
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12:50 - 12:52और तीसरे, सवाल यह है, यह क्या करेगा
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12:52 - 12:53लॊगॊं की इसके लिये चाह के लिये?
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12:54 - 12:56और मुभे यह लगता है कि पहला सवाल
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12:56 - 12:57केवल जीव विग्यान का है
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12:57 - 12:59और इसका जवाब देना बहुत मुशकिल है.
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12:59 - 13:01इन्सान को सॊचना पड़ता है,
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13:01 - 13:04और मेरे कई मित्र कहेंगे कि हमें इस प्रकार सोचना नहीं चाहिए,
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13:04 - 13:08कि हमें अधिक जानकारी प्राप्त करने तक सब्र करना चाहिए.
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13:08 - 13:09मैं कहता हूं यह बकवास है.
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13:09 - 13:12मैं कहता हूं कि अगर हम इस पर चुप रहें तो यह गैर जिम्मेदाराना होगा.
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13:12 - 13:15हमें इस समय के संदर्भ के बारे मे बेहतरीन अनुमान लगाना चाहिए,
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13:15 - 13:18लोगों को अनुपात की भावना देने के लिये
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13:18 - 13:20जिससे वे अपनी प्राथमिकताऒं का आंकलन कर सकें.
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13:20 - 13:23तो मैं कहता हूं कि हमारे पास ५०/५० मौका है
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13:23 - 13:25इस पडाव पर पहुंचने का,
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13:25 - 13:28मजबूत मानव कायाकल्प, १५ साल के अन्दर उस समय से
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13:28 - 13:30जब हम मजबूत चूहा कायाकल्प तक पहुंच जाएं.
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13:30 - 13:33१५ साल चूहे के बाद.
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13:33 - 13:36लोगों का दृषिटकॊण शायद उससे कुछ बेहतर होगा.
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13:36 - 13:38लोग विग्य़ान की मुश्किलों का पूरी तरह से आंकलन नहीं कर पाते.
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13:38 - 13:40तो वो सोचते हैं वो पांच साल दूर है.
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13:40 - 13:42वे गलत होंगे, लेकिन असल में उसका ज्यादा फ़रक नहीं पड़ेगा.
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13:42 - 13:45आखिरकार, निसंदेह, मैं सोचता हूं यह कहना जायज़ होगा
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13:45 - 13:49कि लोग उम्र के बढ़्ने के बारे में दोहरे विचार क्यों रखते हैं का बड़ा कारण है
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13:49 - 13:51वैश्विक भ्रम जिसके बारे में मैंने पहले बात करी थी, मुकाबला करने की रणनीति.
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13:51 - 13:53वो यहां इतिहास बन जाएगी,
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13:53 - 13:56क्योंकि अब यह विशवास करना मुमकिन नहीं होगा कि उम्र का बढ़्ना इन्सानों के लिए अपरिहार्य है,
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13:56 - 13:59चूंकि चूहों मे उसे कुशलता से टाला गया है.
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13:59 - 14:03तो हम लोगों के स्वभाव में एक मज़बूत बदलाव देख सकते हैं,
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14:03 - 14:05निसंदेह इसके काफ़ी बडे़ परिणाम हो सकते हैं.
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14:06 - 14:08तो आपको यह बताने के लिए कि हम उन चूहॊं तक कैसे पहुंचेंगे,
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14:09 - 14:11मै अपने द्वारा दिए गए उम्र के बढ़्ने के विवर्ण की कुछ व्याख्या करूंगा.
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14:11 - 14:13मैं "नुक़्सान" श़ब्द का प्रयोग करूंगा
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14:13 - 14:17उन माध्यमिक चीज़ॊं को जाहिर करने के लिए जो चयापचय के कारण होती हैं,
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14:17 - 14:19और अंततः विकृति पैदा करती हैं.
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14:19 - 14:21क्यॊंकि इसमें ज़रूरी बात यह है कि
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14:21 - 14:23चाहे नुक्सान अंत में विकृति को जन्म देता है,
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14:23 - 14:28यह नुक्सान खुद अपनेआप लगातार जिंदगी भर चलता रहता है, पैदा होते ही शुरू होकर.
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14:28 - 14:31पर यह चयपचय का हिस्सा नहीं है.
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14:31 - 14:32और यह बात बहुत काम आ सकती है.
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14:32 - 14:35क्योंकि इस तरह से हम मूल चित्रों को दुबारा बना सकते हैं.
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14:35 - 14:38हम कह सकते हैं, मूलतः, कि ग्रेंटालाजी और जेरियाट्रिक्स में अंतर यह है
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14:38 - 14:40कि ग्रेंटालाजी उस गति को कम करने की कोशिश करता है
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14:40 - 14:42जिस गति से चयपचय इस नुक्सान को करता है.
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14:42 - 14:44और मैं समझाता हूं कि यह नुक्सान दरअसल क्या है
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14:44 - 14:46स्पष्ट जैविक तौर पे, एक मिनट में.
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14:47 - 14:49और जेरियाट्रिक्स वक्त के प्रवाह को रोकने की कोशिश करता है
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14:49 - 14:51इस नुक्सान को विकृति बनने से रोक कर.
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14:51 - 14:53और यह एक हारी हुई लडा़ई है क्योंकि
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14:53 - 14:55नुक्सान जमा होता जाता है.
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14:55 - 14:58तो एक तीसरा रास्ता है, अगर हम इस तरह से देखें.
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14:58 - 15:00हम इसे यात्रिकि रास्ता कह सकते हैं.
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15:00 - 15:03और मैं दावा करता हूं कि यांत्रिकि रास्ता सीमा के अन्दर है.
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15:03 - 15:06यांत्रिकि रास्ता किसी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करता.
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15:06 - 15:08वो इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करता, य़ा इस में.
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15:08 - 15:11और यह अच्छा है क्यॊंकि इसका मतलब है कि यह हारी हुई लडा़ई नहीं है,
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15:11 - 15:14और यह एसा कुछ है जो कि हमारे द्वारा करे जाने कि सीमा में है,
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15:14 - 15:17क्योंकि इसमें बेहतरी या विकास शामिल नहीं होते.
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15:17 - 15:19यांत्रिकि रास्ता सिर्फ़ कहता है,
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15:19 - 15:23"हमें थोडी़ थोडी़ देर में सभी प्रकार के नुक्सानों की मरम्मत करनी चाहिये --
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15:23 - 15:27जरूरी नहीं पूरी तरह से, पर काफ़ी हद तक उनकी मरम्मत,
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15:27 - 15:30जिससे हम नुक्सान का स्तर उस दहलीज़ के नीचे रहे
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15:30 - 15:33जिसका होना ज़रूरी है, जो इसे रोगजनक बना देता है."
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15:33 - 15:35हमें पता है कि यह दहलीज़ मौज़ूद है,
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15:35 - 15:38क्योंकि मध्यम आयु में पहुंचने तक हमें उम्र संबंधी बिमारियां नहीं होती,
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15:38 - 15:41यद्यपि पैदा होने के समय से ही नुकसान इकट्ठा हो रहा है.
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15:41 - 15:45मैं क्यों कहता हूं कि हम सीमा के अंदर हैं? वो मूलतः इसलिए.
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15:45 - 15:48इस स्लाइड का सार नीचे है.
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15:48 - 15:51अगर हम यह कहने की को्शश करें कि चयपचय के कौनसे भाग उम्र बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण हैं,
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15:51 - 15:54तो हमे सारी रात यहां रहना पडे़गा, क्योंकि मूलतः पूरा चयपचय
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15:54 - 15:56किसी न किसी तरह से उम्र बढ़्ने के लिए महत्वपूर्ण है,
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15:56 - 15:58यह केवल उदाहर्ण के लिए है, यह अधूरा है.
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15:59 - 16:01दाहिने तरफ़ वाली सूची भी अधूरी है.
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16:01 - 16:04यह सूची उम्र संबंधी अलग अलग विकृतियों की है,
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16:04 - 16:06और यह सिर्फ़ एक अधूरी सूची है.
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16:06 - 16:09लेकिन मैं आप से यह दावा करना चाहूंगा कि ये बीच वाली सूची पूर्ण है,
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16:09 - 16:12ये उन चीज़ों की सूची है जो नुक्सान होने के काबिल कहे जा सकते हैं,
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16:12 - 16:15चयपचय के दुष्प्रभाव जो अंत में विकृतियं पैदा करते हैं.
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16:15 - 16:17या जो विकृतियां पैदा कर सकते हैं.
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16:17 - 16:20और ये केवल सात हैं.
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16:20 - 16:23ये चीज़ों की श्रेणियां हैं, पर सिर्फ़ सात हैं.
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16:23 - 16:28कोषिकाओं का नुक्सान, गुणसूत्रों में उत्परिवर्तन, माइटोकॊंड्रिया में उत्परिवर्त,न आदि.
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16:28 - 16:33सबसे पहले, मैं तर्क देना चाहूंगा कि ये सूची पूर्ण क्यों है.
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16:33 - 16:35हां, निश्च्य ही हम जैविक बहस कर सकते हैं.
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16:35 - 16:37हम कह सकते हैं, ठीक है, हम किन चीज़ों के बने हैं?
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16:37 - 16:39हम कोशिकाओं और उनके बीच के सामान के बने हैं.
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16:39 - 16:42नुक्सान किन में जमा हो सकता है?
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16:42 - 16:44जवाब है, दीर्घायु अणु,
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16:44 - 16:47क्योंकि अगर लघु आयु वाले अणु को नुक्सान होता है, लेकिन अणु बरबाद हो जाता है --
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16:47 - 16:51जैसे प्रोटीन प्रोटेओलाइसिस से ध्वस्त हो रहा है -- तो नुक्सान भी खत्म हो जाता है.
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16:51 - 16:53वह निश्चित ही दीर्घायु अणु होंगे.
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16:53 - 16:56तो, यह सात चीज़ें ग्रेंटॊलॊजी में काफ़ी समय से चर्चित रही हैं
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16:56 - 17:00और यह काफ़ी अच्छी खबर है, क्योंकि इसका मतलब है,
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17:00 - 17:02कि हम इन २० सालों में जीव विज्ञान में काफ़ी प्रगति कर चुके हैं,
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17:02 - 17:04तो ये बात कि हमनें इस सूची को बढ़ाया नहीं है
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17:04 - 17:07इस बात का अच्छा सबूत है कि इसे बढ़ाया जाने लायक कुछ नहीं है.
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17:08 - 17:10बल्कि, इस से भी बेहतर है, हमे असल में पता है कि इन सब को ठीक कैसे करना है
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17:10 - 17:13चूहों में, सिद्धांत के तौर पे - और सिद्धांत से मेरा मतलब है,
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17:13 - 17:16कि शायद हम वास्तव में इन उपचारों को एक दशक में लागू कर सकते हैं.
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17:16 - 17:20इनमें से कुछ, ऊपर वाले, आंशिक तौर पे लागू हो चुके हैं.
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17:20 - 17:23मेरे पास सब के बारे मे बताने का वक्त नहीं है, लेकिन
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17:23 - 17:27मेरा निषकर्श यह है कि, अगर हमें इसके लिए उपयुक्त धन मिल जाए,
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17:27 - 17:31तो शायद हम १० साल में ही मजबूत जन कायाकल्प का विकास कर सकते हैं,
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17:31 - 17:34लेकिन हमें इसके बारे में गंभीर होना पड़ेगा.
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17:34 - 17:35हमें कोशिश करनी शुरू कर देनी चाहिए.
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17:36 - 17:39नि:संदेह, दर्शकों में कुछ जीवशास्त्री हैं,
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17:39 - 17:42और मैं आपके कुछ संभावित सवालों का जवाब देना चाहूंगा.
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17:42 - 17:44आप इस वार्ता से असंतुष्ट हुए हो सकते हैं,
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17:44 - 17:46लेकिन मौलिक तौर पे आप को जाकर इस चीज़ को पढ़ना है.
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17:46 - 17:48मैने इसपर काफ़ी कुछ लिखा है;
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17:48 - 17:51मैं उन प्रयोगिक कार्यों का हवाला देता हूं, जिन पर मेरा आशावाद आधारित है,
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17:51 - 17:53और इन में काफ़ी विस्तृत ब्यौरा है.
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17:53 - 17:55ये ब्यौरा ही मुझ में आत्मविश्वास जगाता है
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17:55 - 17:57इन आक्र्मक समय संदर्भों का जिनकी मैं भविष्य वाणी कर रहा हूं.
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17:57 - 17:59तो अगर आप सोचते हैं कि मैं गलत हूं,
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17:59 - 18:02तो बेहतर हो आप जाकर पता लगाएं कि आप ऎसा क्यॊं सोचते हैं.
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18:03 - 18:06नि:सेदेह, मुख्य बात यह है कि आपको उन लोगों पर विश्ववास नहीं करना चाहिए
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18:06 - 18:08जो अपने आप को ग्रेन्टोलोजिस्ट कह्ते हैं क्योंकि,
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18:08 - 18:12जैसा कि किसी भी क्षेत्र में पहले की सोच से घोर प्रस्थान में होता है,
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18:12 - 18:16आप मुख्र्य धारा में लोगों से अपेक्षा करते हैं कि वो अवरोध करेंगे
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18:16 - 18:18और इसे गंभीरता से नहीं लेंगे.
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18:18 - 18:20तो, पता है, आप को वास्त्व में अपनी तैयारी करनी पड़ती है,
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18:20 - 18:21यह समझने के लिए कि क्या यह सच है.
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18:21 - 18:23और हम कुछ चीज़ों के साथ समापन करेंगे.
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18:23 - 18:26एक, पता है, अगले सत्र में आप एक शक्स को सुनेंगे
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18:26 - 18:30जिसने कुछ समय पहले कहा था कि वह मानव जीनोम को कुछ ही समय में अनुक्रम कर सकता है,
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18:30 - 18:32और सब ने कहा, "ज़ाहिर है यह मुमकिन नहीं है."
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18:32 - 18:33और आप को पता है क्या हुआ.
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18:33 - 18:37तो, पता है, एसा होता है.
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18:37 - 18:39हमारे पास अलग अलग रणनितियां हैं - मतूशेलह माउस पुरुस्कार है,
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18:39 - 18:42जो मूलतः कुछ नया करने के लिए प्रोत्साहन है,
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18:42 - 18:45और वो करने के लिए जो आप सोचते हैं काम करेगा,
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18:45 - 18:47और अगर आप जीत जाते हैं तो आपको उसके लिए पैसे मिलते हैं.
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18:48 - 18:51एक प्रस्ताव है वास्तव में एक संस्थान तैयार करने का.
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18:51 - 18:53यही है जिसमें थोडा़ पैसा लगेगा.
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18:53 - 18:56पर, मेरा मतलब है, देखिए -- इराक युद्द में इतना खर्च करने में कितना समय लगता है?
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18:56 - 18:57ज़्यादा समय नहीं. ठीक है.
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18:57 - 18:58ठहाके
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18:58 - 19:01और यह परोपकारी होना चाहिए, क्योंकि मुनाफ़ा जीवन शास्त्र से ध्यान बंटाता है,
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19:01 - 19:05पर इसे सफ़ल होने की ९० प्रतिशत संभावना है, मेरे ख्याल से.
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19:05 - 19:08और मैं सोचता हूं हमें पता है कि यह कैसे करना है. और मैं यहीं रुकता हूं.
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19:08 - 19:09धन्यवाद.
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19:09 - 19:14तालियां
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19:14 - 19:17क्रिस एन्डरसन: अच्छा, मुझे पता नहीं कि कोई सवाल होंगे कि नहीं
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19:17 - 19:19पर मैने सोचा मैं लोगों को मौका दूं.
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19:19 - 19:23दर्शक: आपने बढ़ती उम्र और उसे हराने की बात की,
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19:23 - 19:27पर ऎसा क्यॊं है कि आप अपने आप को एक वृद्ध व्यक्ति की तरह जता रहे हैं?
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19:27 - 19:31ठहाके
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19:31 - 19:34ए जी: क्योंकि मैं वृद्ध हूं. मैं दर असल १५८ साल का हूं.
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19:34 - 19:35ठहाके
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19:35 - 19:38तालियां
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19:38 - 19:42दर्शक: नस्लें इस ग्रह पर प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ विकसित हुई हैं
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19:42 - 19:46बिमारियों से लड़ने के लिए जिससे लोग प्रज्न्न हेतु जीवित रह सकें.
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19:46 - 19:51लेकिन, जहां तक मैं जानता हूं, सभी नस्लें अस्ली में मरने के लिए ही विकसित हुई हैं,
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19:51 - 19:56तो जब कोषाणुं विभाजित होते हैं, तो तेलोमेरेज़ छोटे होते हैं, और अंततः नस्लें मर जाती हैं.
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19:56 - 20:01तो क्यों - विकास नें - लगता है अमरता के खिलाफ़ चुनाव किया है,
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20:01 - 20:05जब कि यह इतनी फ़ायदेमंद है, या विकास अभी अधूरा है?
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20:05 - 20:07ए जी: उत्तम. एसा सवाल पूछने के लिये शुक्रिया
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20:07 - 20:09जिसका ज़वाब मैं गैर-विवादास्पद रूप में दे सकता हूं.
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20:09 - 20:12मैं आपके सवाल का असली मुख्य धारा वाला जवाब देने जा रहा हूं,
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20:12 - 20:14जिस से मैं भी सहमत हूं.
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20:14 - 20:17जॊ कि यह है कि, नहीं, उम्र का बढ़ना चुनाव का हिस्सा नहीं है;
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20:17 - 20:19विकास केवल विकासीय उपेक्षा का परिणाम है.
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20:20 - 20:25अन्य शब्दो में, हमारी उम्र बढ़ती है क्योंकि उसका न बढ़ने में मेहनत लगती है;
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20:25 - 20:27आप को अधिक आनुवंशिक राहें चाहिए होती हैं, आप के आनुवंश में अधिक परिषकार
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20:27 - 20:29अगर उम्र को और धीरे बढ़ना हो तो,
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20:29 - 20:32और यह सच रहता है जितनी देर तक आप यह चाहें.
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20:32 - 20:37तो, उस मामले में विकास से कोई फ़र्क नहीं पड़ता,
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20:37 - 20:39परवाह नहीं करता चाहे आनुवंश व्यक्तियों द्वारा पारित हों,
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20:39 - 20:41जो लंबे समय तक जीवित रहें, या उत्पत्ति द्वारा,
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20:42 - 20:44इसमें कुछ मात्रा में समता है,
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20:44 - 20:47इसलिए अलग नस्लों के अलग जीवनकाल होते हैं,
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20:47 - 20:49और इसलिए कोई अमर नस्लें नहीं हैं.
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20:50 - 20:52सी ए: आनुवंश परवा नहीं करते पर हम करते हैं?
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20:52 - 20:53ए जी: सही.
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20:54 - 20:59दर्शक: मैंने कहीं पढा़ था कि पिछ्ले २० सालों में,
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20:59 - 21:04धरती पे किसी का भी औसत जीवनकाल १० साल बढ़ गया है.
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21:04 - 21:07अगर मैं इसका व्याख्यान करूं, तो मैं सोचता हूं
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21:07 - 21:11कि अगर मैं अपनी मोटरसाइकल पे टक्कर ना मारूं, तो मैं १२० साल तक जीवित रहूंगा.
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21:12 - 21:17इसका मतलब है कि मैं आपके उन लोगों में से हूं जो १००० साल के हो सकते हैं?
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21:17 - 21:18ए जी: अगर आप अपना वजन थोडा़ कम कर लेते हैं तो.
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21:19 - 21:22ठहाके
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21:22 - 21:25आपके अंक कुछ गलत हैं.
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21:25 - 21:28मानक आंकडे़ कहते हैं कि जीवनकाल
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21:28 - 21:31हर दश्क में एक से दो साल तक बढ़ रहे हैं.
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21:31 - 21:34तो, यह वैसा नहीं है जैसा आप सोचें - आप उम्मीद करें.
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21:35 - 21:37पर मेरा इरादा जल्द से जल्द इसे बढा़ कर एक साल प्रति साल करना है.
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21:38 - 21:41दर्शक: मुझे बताया गया था कि दिमाग के कई कोषाणु जो हमारे पास व्यस्क्ता में होते हैं
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21:41 - 21:42वो वास्तव में मानव भ्रूण में होते हैं,
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21:43 - 21:45और दिमाग के कोषाणु ८० साल तक चलते हैं.
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21:45 - 21:47अगर यह सच है तो,
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21:47 - 21:50क्या जीवन शास्त्र में इसके कायाकल्प की दुनिया में निहितार्थ हैं?
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21:50 - 21:53अगर मेरे शरीर में कोषाणु हैं जो पूरे ८० साल जीते हैं,
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21:53 - 21:55बनिस्प्त साधारण तौर पे, पता है, कुछ महीने?
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21:55 - 21:57ए जी: इसके तकनीकि निहितार्थ ज़रूर हैं.
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21:57 - 22:00बुनियादि तौर पे हमें कोषाणु बदलने हैं
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22:01 - 22:04दिमाग के उन कुछ हिस्सों में जो इन्हे जायज़ दर से खोते हैं,
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22:04 - 22:07खास तौर से न्युरान, लेकिन हम उन्हें इस से तेज़ बदली नहीं करना चाह्ते
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22:07 - 22:09या बहुत ज्यादा तेज़ तो नहीं,
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22:09 - 22:13क्योंकि इन्हे बहुत तेज़ बदलने से संज्ञानात्मक कार्य पर दुष्प्र्भाव पडेगा.
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22:13 - 22:16पहले मैंने जो कोई बूढ़े न होने वाली नस्ल न होने की बात करी थी
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22:16 - 22:18वो कुछ ज्यादा ही सरलीकरण था.
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22:18 - 22:22कुछ नस्लों की उम्र नहीं बढ़्ती - जैसे कि हाइड्रा -
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22:22 - 22:24पर वे ऎसा करते हैं क्योंकि उनमें नरवस सिस्ट्म नहीं होता -
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22:24 - 22:26और कोई ऊतक नहीं होती जो अपने कार्य के लिये आश्रित हो
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22:26 - 22:28लंबे समय तक जीवित रहने वाले कोषाणुओं पर.
- Title:
- औब्रे दे ग्रेय कह्ते हैं कि हम बुढापे से बच सकते हैं
- Speaker:
- Aubrey de Grey
- Description:
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कैंब्रिज शोधकर्ता औब्रे दे ग्रेय का यह तर्क है कि बुढापा एक बिमारी मात्र है - और वह भी साधक. इन्सान मूल रूप से सात तरह से बूढे होते हैं, और सभी सातों से बचा जा सकता है.
- Video Language:
- English
- Team:
closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 22:28