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दफ़्तर में एक अच्छे सहकर्मी बनने के 3 तरीके

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    2013 में, मैं सैन फ्रांसिस्को के एक
    अंतरराष्ट्रीय इंजीनियरिंग कंपनी में
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    काम करती थी।
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    वह नौकरी मेरा सपना था।
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    मेरा हर कौशल वहाँ पर काम आता:
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    कहानियाँ बताना, सामाजिक प्रभाव,
    व्यव्हार में बदलाव।
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    मैं विपणन और संस्कृति की मुखिया थी,
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    और मैंने देश के सबसे बड़े
    हेल्थकेयर सिस्टम के साथ भी काम किया,
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    जिसमें तकनीक और सांस्कृतिक बदलाव का उपयोग
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    उनकी ऊर्जा और पानी के इस्तेमाल को कम करने
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    और सामाजिक प्रभाव को
    बेहतर बनाने के लिए किया।
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    मैं दुनिया में वाक़ई बदलाव ला रही थी।
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    और यह मेरी ज़िंदगी का
    सबसे बेकार पेशेवर अनुभव था।
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    मैं और आगे काम नहीं कर सकती थी।
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    बहुत बुरा महसूस होता था।
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    हालाँकि बड़े मसले भी थे,
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    कुछ प्रकार के व्यवहार के कारण
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    मेरी काम करने की क्षमता घटती गई।
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    मेरा नेतृत्व से आत्मविश्वास खोने लगा,
    मेरी नवाचार करने की क्षमता भी घटती गई।
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    उदहारण के लिए,
    कंपनी में मेरा पहला प्रदर्शन।
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    मैं कमरे में सबके सामने
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    कम्पनी के लिए सबसे अच्छी कार्यनीति पे
    प्रदर्शन देने गई।
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    वही जिसके लिए मुझे नौकरी पे रखा था।
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    मैंने कमरे अपने सहकर्मियों को देखा।
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    वे अपने मोबाइल फोन उठाने लगे
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    और अपने लैपटॉप की तरफ़ देखने लगे।
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    वे ध्यान भी नहीं दे रहे थे।
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    और जैसे ही मैंने शुरुआत की,
    वे अपने में कुछ बोलने लगे
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    और लोग मेरे होते हुए भी बातें कर रहे थे,
    बार बार।
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    मेरे कुछ सुझावों को तो बिलकुल नकारा गया,
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    पर वही किसी और ने जब कहा तो उसको सुना गया।
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    मैं उस कमरे में एकलौती औरत थी।
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    काश कोई मेरा साथ निभा रहा होता।
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    रोज़ रोज़ ऐसे ही बर्ताव देखना,
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    वे आपको थका सा देते हैं।
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    जल्द ही, मैं पूरी तरह से ही थक गई थी।
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    मेरे सबसे मुश्किल वक़्त में
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    मैंने दफ़्तर में
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    सूक्ष्म आक्रमकता --
    रोज़मर्रा ज़िंदगी में अपमान,
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    नकारात्मक मौखिक और
    अशाब्दिक संचार,
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    चाहे जान-बूझकर किया हो या नहीं,
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    वे आपकी काम करने की
    क्षमता को घटा देते हैं।
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    सुना सुना सा लगा।
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    मुझे एहसास हुआ कि मैं असफल नहीं हो रही थी।
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    मेरे आस पास का माहोल मुझे असफल बना रहा था।
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    और मैं अकेली नहीं थी।
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    ऐसे व्यवहार रोज़ ही दफ़्तर में
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    कम औदे में रहने वाले लोगों पर
    प्रभाव डालते हैं।
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    और उसका प्रभाव
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    हमारे सहकर्मियों पर, हमारी कंपनियों पर
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    और हमारी नवाचार की क्षमता पर पड़ता है।
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    तकनीकी उद्योग में हमें समाधान
    जल्दी चाहिए होते हैं।
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    पर विविधता और समावेश सुधारने के लिए
    कोई जादुई छड़ी नहीं है
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    बदलाव एक समय में एक व्यक्ति से,
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    एक समय में एक बर्ताव से,
    एक समय में एक शब्द से होता।
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    हम विविधता और समावेश को देखकर
    अकसर गलतियाँ करते हैं,
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    हम उन लोगों को और उनके काम को
    अपने से अलग मानते हैं,
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    जबकि यह कुछ ऐसी चीज़ें हैं
    जिसके लिए हमें साथ काम करना होगा।
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    और उस काम की शुरुआत
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    हमें सफलता और अधिकारों के बारे में
    जो पहले से पता है उसे भूलकर होगी।
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    हमें पूरी ज़िंदगी बताया जाता है
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    कि अगर हम मेहनत करें,
    तो उसका फल हमें मिलेगा,
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    वह मिलेगा जिसके हम लायक हैं,
    हमारे सपने सच होंगे।
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    पर वह सबके लिए सच नहीं है।
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    कुछ लोगों को 10 गुना मेहनत करनी पड़ती है
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    उसी मुकाम तक पहुँचने के लिए
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    क्योंकि बहुत से सामजिक अड़चनें भी आती हैं।
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    तुम्हारा लिंग, जाति, जातनियता,
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    तुम्हारा धर्म, विकलांगता,
    तुम्हारा यौन अभिविन्यास,
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    तुम्हारा वर्ग, भूगोल,
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    यह सब तुम्हें सफलता के
    ज़्यादा या कम मौके दे सकते हैं।
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    और वही मैत्री आती है।
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    मौकों में असंतुलन को समझना,
    और उसकी ओर काम करना
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    मैत्री है।
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    मैत्री उस इंसान के बारे में समझना है
    जो हमारे बगल में हो।
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    और उसके बारे में भी जो
    हमारे बगल में खड़ा होना चाहिए।
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    सबसे पहले, बस यह समझना कि
    उनकी स्तिथि क्या है।
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    और फिर, उनका साथ देकर
    सफलता की ओर बढ़ना और बढ़ाना।
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    जब हम काम में विविधता और सम्मिल्लता
    के साथ टीम बनाते हैं,
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    डेटा के मुताबिक इससे हम ज़्यादा अभिनव,
    उत्पादक और लाभदायक बनते हैं।
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    तो एक मित्र कौन है?
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    हम सब।
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    हम सब एक दूसरे के मित्र बन सकते हैं।
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    मेरे एक अमरीकी गोरी औरत होने के नाते,
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    मेरे पास बहुत से विशेषाधिकार हैं।
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    और कुछ नहीं भी।
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    मैं रोज़ उन लोगों के लिए
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    मित्र बन्ने की मेहनत करती हूँ
    जो मुझसे ज़्यादा वंचित हैं।
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    फिर भी मुझे मित्रों की ज़रूरत है।
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    तकनिकी उद्योग में,
    अन्य उद्योगों की तरह,
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    ऐसे बहुत लोग हैं जिनका
    कोई प्रतिनिधित्व नहीं है,
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    या जिनके साथ भेदभाव होता है।
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    औरतें, कुछ अन्य लोग --
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    जैसे जो खुद को
    न औरत और न ही मर्द मानते हो --
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    जो अल्पसंख्यक जातियों के हो,
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    एलजीबीटीक्यूआईए, विकलांग लोग,
    दीर्घानुभावी,
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    जिनकी उमर 35 से ज़्यादा हो।
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    (हँसते हैं)
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    तकनिकी उद्योग में युवा की ओर
    पक्षपात होता है।
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    और अन्य लोग।
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    कोई न कोई हमेशा ऐसा होगा
    जिसके अधिकार आपसे कम होंगे।
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    इस मंच पर, इस कमरे में।
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    आपकी कंपनी या टीम में,
    आपके शहर में।
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    तो, लोग अलग अलग कारणों
    के लिए दोस्त होते हैं।
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    अपना कारण ढूँढो।
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    वह व्यवसाय के लिए हो सकता है,
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    क्योंकि डेटा के अनुसार
    विविध और सम्मिलित टीम
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    ज़्यादा उत्पादक, लाभदायक और
    ज़्यादा अभिनव होती हैं।
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    यह विपक्षता
    और सामजिक न्याय के लिए हो सकता है।
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    क्योंकि हमारा उत्पीड़न और अन्याय का
    बड़ा इतिहास रहा है
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    जिस पर हमें साथ काम करना होगा।
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    या वह अपने बच्चों के लिए हो सकता है,
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    ताकि आपके बच्चे
    समान अधिकारों के साथ बड़े हो।
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    और वे दूसरे के लिए भी वैसे अवसर बनाएँ।
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    अपनी वजह ढूँढिए।
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    मेरे लिए, यह तीनों हैं।
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    किसी और के लिए कुछ करने की वजह ढूँढें,
    जिसे आपकी ज़रूरत हो।
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    तो आप एक मित्र बनके क्या कर सकते हैं?
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    किसी को ठेस न पहुँचाके शुरुआत करो।
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    मित्र होने के नाते हमारा फ़र्ज़ है कि हम
    सूक्ष्म आक्रमकता को समझें और ऐसा न करें।
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    मित्र होने के नाते हमारा फ़र्ज़ है
    सुनना, सीखना,
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    भूलना, और फिर सीखना,
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    और फिर गलतियाँ करके उनसे सीखना।
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    मुझे अपना पूरा ध्यान दें।
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    अपने लैपटॉप बंद रखें,
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    अपने फोन नीचे रखें और ध्यान दें।
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    अगर कोई नया हो या
    कमरे में एकलौता वैसा व्यक्ति हो,
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    या फिर बस बेचैन सा हो,
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    यह चीज़ें उनके प्रदर्शन में
    बहुत मायने रखेंगी।
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    टोकना मत।
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    कम अधिकारों वाले लोगों को टोका जाने की
    संभावना ज़्यादा होती है,
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    एक क्षण रुककर उन्हें सुनिए।
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    उन्हें उसका श्रेय दो।
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    अगर मेरे पास कोई अच्छा विचार हो,
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    तो उसे दोहराओ और मुझे उसका श्रेय भी दो,
    और हम साथ आगे बढ़ेंगे।
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    मेरी वह भाषा सीखो जिससे मैं
    खुद के बारे में बताती हूँ।
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    मेरा नाम ठीक से बोलना सीखो।
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    मेरे सर्वनाम ठीक से जानो - वह, वे, आदि।
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    मेरी भाषा जानो जिससे मैं अपनी जातीयता,
    धर्म या विकलांगता के बारे में बताती हूँ।
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    यह चीज़ें लोगों के लिए बहुत मायने रखती हैं,
    अगर आपको पता न हो, तो पूछो।
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    सुनो और सीखो।
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    एक कर्मचारी ने मुझे बताया कि
    उसके समूह में मैत्री निभाने के बाद,
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    सबने एक दूसरे को टोकने के लिए
    ज़िम्मेदारी लेनी शुरू की और
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    माफ़ी भी मांगने लगे।
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    "मुझे टोकने के लिए माफ़ी करना,
    तुम आगे बोलो।"
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    "हेई, वह कुछ अच्छा सुझाव दे रही है,
    हमें सुनना चाहिए।"
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    दूसरा, कम औदे वाले लोगों की
    छोटे छोटे तरीकों से मदद करो।
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    पहल करो; आप एक बदलाव ला सकते हैं।
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    अगर कमरे में एक ही वैसा व्यक्ति हो,
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    और उनका टोककर या किसी और तरह से
    अपमान हो रहा है,
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    तो कुछ करो, कुछ बोलो।
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    उन लोगों को और बोलने के मौके दो।
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    और यह देखो कि उनका भी प्रतिनिधित्व हो।
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    उनको नौकरी दिलवाने में मदद करो,
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    और उनको वह नौकरी लेने और नए काम
    लेने के लिए प्रोत्साहित करो।
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    और सबसे महत्वपूर्ण --
    मैत्री को और बढ़ावा दो।
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    अगर आप एक विशेषाधिकारी व्यक्ति हैं,
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    आपके लिए दूसरों की मदद करना
    ज़्यादा आसान है।
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    तो उस अधिकार को बदलाव लाने के लिए
    इस्तेमाल करो।
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    तीन, किसी की ज़िंदगी में बदलाव लाओ।
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    तो, किसी के व्यवसाय के दौरान उनका साथ दो।
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    उनकी मदद करो, उन्हें आगे बढ़ने के मौके दो।
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    स्टेम प्रोग्राम के लिए अपना हाथ बटाएँ,
    जो युवा की मदद करेगा।
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    अपनी टीम ऐसी बनाओ कि
    वह विविध और सम्मिलित हो।
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    और इसमें बदलाव लाने की तरफ़
    प्रतिबद्धता रखें।
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    खुद को और अपनी टीम को
    बदलाव के लिए ज़िम्मेदार बनाएँ।
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    और आखिर में,
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    अपनी पूरी कंपनी में
    बदलाव लाने की कोशिश करें।
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    जब कंपनी में ही मैत्री सिखाई जाती है,
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    विविधता और समावेश बढ़ता है।
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    हम और आप एक दूसरे के मित्र बन सकते हैं,
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    दफ़्तर में या उसके बाहर।
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    तो, मुझे हाल ही में एहसास हुआ
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    कि मुझे अब भी उस चीज़ का डर है
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    तब से जब से अपने व्यवसाय में
    मैं एकदम अकेला महसूस करती थी,
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    जब मेरा कोई साथ देने वाला नहीं था।
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    मेरे जैसे लाखों लोग हैं
    जो अब भी वैसा महसूस करते हैं।
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    और एक दूसरे का साथ देने में
    इतनी मेहनत नहीं लगती।
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    और जब हम एक दूसरे का साथ देते हैं,
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    हम साथ में आगे बढ़ते हैं।
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    और जब वह होता है, तब हम बेहतर टीम,
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    बेहतर उत्पादन, और बेहतर कंपनी बनाते हैं।
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    मैत्री प्रभावशाली है।
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    करके देखो।
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    धन्यवाद।
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    (तालियाँ)
Title:
दफ़्तर में एक अच्छे सहकर्मी बनने के 3 तरीके
Speaker:
मेलिंडा एप्लर
Description:

हमें हमेशा से सिखाया गया है कि मेहनत और लगन से ही सफलता प्राप्त होती है, पर यह ज़रूरी नहीं है। लिंग, जाति, धर्म, विकलांगता, यौन अभिविन्यास, और अन्य कुछ ऐसे पहलूओं में से हैं जो हमारी सफलता पर प्रभाव दाल सकते हैं, लेखक और अधिवक्ता मेलिंडा एप्लर कहती हैं, और यह हमारे ऊपर है कि हम उनकी सहायता करें जिनके साथ भेदभाव प्रचलित है। इस वाद-योग्य टॉक में, एप्लर कम औदे, या कम प्रतिनिधित्व वाले लोगों की सहायता करने के तीन तरीके बताती हैं।
"विविधता और समावेश सुधारने के लिए कोई जादुई छड़ी नहीं है," वे कहती हैं।
"बदलाव एक समय में एक व्यक्ति से, एक समय में एक बर्ताव से, एक समय में एक शब्द से होता।"

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
09:37

Hindi subtitles

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