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एम आर यूनिवर्सिटी
अर्थशास्त्र सीखिये, अपने विश्व को समझिए
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♪ [संगीत] ♪
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अर्थशास्त्र के सिद्धान्त
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जब फ़ेड कुछ ज़्यादा कर जाता है
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[एलेक्स] अर्थव्यवस्था जटिल होती है
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और यह अनिश्चित नियमों के अनुसार
संचालित होती है।
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इससे मौद्रिक नीति मुश्किल हो जाती है
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और कभी-कभी फ़ेड के कार्यों ने
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चीज़ें बेहतर के बजाय खराब की हैं।
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आइए भयंकर आर्थिक महामंदी पर नज़र डालें।
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पहले के वीडियो में,
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हमने दिखाया था कि कैसे बढ़ी हुई शक्ति,
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बंधक प्रतिभूतिकरण, और अति आत्मविश्वास ने
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भयंकर महामंदी में योगदान दिया।
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इस वीडियो में, हम यह देखेंगे कि
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मंदी से पहले के फ़ेड के कार्यों को कैसे -
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उन्होंने आवास बुलबुले को
कैसे बढ़ावा दिया होगा,
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जिससे आखिर में मंदी और खराब हो गयी।
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1990 के उत्तरार्ध में,
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अमरीकी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही थी
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कम बेरोज़गारी और कम मुद्रास्फ़ीति के साथ।
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2001 में मंदी कमज़ोर दिखाई दे रही थी,
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लेकिन यह परेशानी की बात थी कि
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बेरोज़गारी की दर ऊंची बनी हुई थी
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जबकि मंदी आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गई थी।
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शायद 1990 के दशक को वापस लाने के लिये
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और बेरोज़गारी को कम करने के प्रयास में,
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फ़ेड ने कुल मांग बढ़ाने की कोशिश की
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जबकि मंदी समाप्त हो गई थी।
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विशेष रूप से,
फ़ेड ने संघीय निधि दर को बहुत कम रखा।
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कम संघीय निधि दर
क्रेडिट को सस्ता बनाती है
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और सस्ता क्रेडिट संपत्ति बुलबुले के लिये
ईंधन का काम कर सकता है।
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एक बुलबुला तब बनता है जब संपत्तियों की
कीमतें इतनी अधिक और तेजी से बढ़ती हैं
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जो बुनियादी सिद्धांतों द्वारा
समझाया नहीं जा सकता है।
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विश्लेषण के बजाय, तर्कहीन अधिकता,
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कीमतों को ऊंचा और ऊंचा ले जाती है।
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ब्याज दरों को कम रखने के बाद,
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2000 के दशक के मध्य में फ़ेड की नीति ने
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लोगों को और अधिक
घर खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया।
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आवास निर्माण में वृद्धि हुई
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और इससे बहुत सारी नौकरियां उत्पन्न हुईं।
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लेकिन जब आवास की कीमतों में वृद्धि हुई,
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वर्ष प्रति वर्ष,
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इसने खरीदारों और उधारदाताओं को
अतिविश्वास से भर दिया।
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फ़ेडरल ने 2005 के मध्य तक
संघीय निधि दर को बहुत कम रखा।
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आवास की कीमतें 2006 में चरम तक बढ़ीं,
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दर में वृद्धि होने के कुछ ही समय बाद।
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और 2007 में आवास की कीमतें
नीचे आनी शुरु हो गई।
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जब आवास की कीमतों में गिरावट शुरू हुई,
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तो घर के मालिकों ने खुद को गरीब महसूस किया
और वह कम खर्च करने लगे।
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आवास निर्माण धीमा हो कर रुक गया।
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कुल मांग गिर गई।
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फ़ेड ने शायद बहुत लंबे समय तक
ब्याज दरें बहुत कम रखीं,
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लेकिन उन्होंने इस प्रभाव को भी
कम करके आंका कि
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आवास क्षेत्र में गिरावट का असर
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पूरी अर्थव्यवस्था पर होगा।
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वास्तव में, उस समय कुछ लोगों ने
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समझ लिया था कि
शैडो बैंकिंग प्रणाली कितनी बड़ी थी,
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या बंधक-समर्थित प्रतिभूतियों के माध्यम से
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वह आवास क्षेत्र के लिए यह कितना बंधा था।
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हमें यह भी पहचानना चाहिए कि बुलबुले --
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इनका पता बाद में आसानी से चलता है
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बजाय उस समय के।
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हर बुलबुला इस कहानी के साथ आता है कि
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इस बार वह अलग क्यों है।
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समस्या कभी-कभी समय होता है -
हर समय वास्तव में अलग होते हैं।
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यहां तक कि यदि फ़ेड जान भी जाये कि
आवास की कीमतें बहुत अधिक हो गई हैं,
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और यहां तक कि अगर वे
कीमतों को रोकना भी चाहें,
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तो फ़ेड के पास सीमित टूल्स होते हैं।
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मौद्रिक नीति --
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यह एक बुलबुला फोड़ने का
बस एक कच्चा तरीका है।
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मौद्रिक नीति कुल मांग को
प्रभावित कर सकती है,
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लेकिन कुल मांग को कम करके,
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फ़ेड पूरी अर्थव्यवस्था को धीमा करता है,
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न सिर्फ़ आवास क्षेत्र।
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यह संपत्ति कीमत बुलबुले का प्रबंधन करने का
बहुत प्रभावी तरीका नहीं है।
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अब फ़ेड के पास बैंकों को
विनियमित करने का अधिकार है,
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और यह सबप्राइम बंधक उधार देने में
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दुरुपयोग रोकने के लिए
उस अधिकार का उपयोग कर सकता था।
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यह उस क्षेत्र पर अधिक लक्षित हमला होता
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जो अत्यधिक तेज़ी दिखा रहा था।
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इसलिए फ़ेड के कार्यों की वजह से
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आवास बुलबुले और महान मंदी में
योगदान हो सकता है,
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लेकिन कार्रवाई करने में नाकाम रहने पर भी
विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
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उदाहरण के लिए,
अधिकांश अर्थशास्त्री यह मानते हैं कि
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1930 के दशक के दौरान फ़ेड की निष्क्रियता --
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उन्होंने महामंदी को और भी बदतर बना दिया।
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उस समय,
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अमरीकी मुद्रा आपूर्ति
लगभग एक तिहाई गिर गई थी-
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यह अमरीकी इतिहास में
कुल मांग में सबसे बड़ी गिरावट थी।
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और फ़ेड यह सब किनारे से देखता रहा,
जबकि उसको
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मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि करने के लिए
बहुत मज़बूत कदम उठाने चाहिये थे।
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अलावा इसके कि
उम्मीद की जाये कि बुद्धिमान नीति निर्माता
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सही समय पर सही निर्णय लेंगे,
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कुछ अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि फ़ेड को
विवेकाधिकार पर निर्भर होने के बजाय
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नियम का पालन करना चाहिए।
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उदाहरण के लिए, मिल्टन फ्राइडमैन ने
एक मुद्रा आपूर्ति नियम का सुझाव दिया,
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एक नियम जो M1 या M2 को
निरंतर दर से बढ़ाता है -
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जैसे 3% सालाना-- सकल घरेलू उत्पाद की
वृद्धि दर से मेल खाने के लिए।
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मुद्रा आपूर्ति नियम सर्वोत्तम काम करते हैं
जब वेग स्थिर रहता है।
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लेकिन जब अर्थव्यवस्था में
बड़े झटके लगते हैं,
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जैसे महामंदी और भयंकर आर्थिक महामंदी,
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आमतौर पर वेग कम हो जाता है।
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जब आपको इन नियमों की अधिक आवश्यकता होती है
तब यह नियम गुमराह भी कर सकते हैं।
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सख्त मुद्रा आपूर्ति नियम के
कुछ नुकसान से बचने के लिए,
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अन्य अर्थशास्त्रियों ने
मुद्रास्फीति को लक्षित करने
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या नॉमिनल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का
सुझाव दिया है।
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एक नॉमिनल जीडीपी नियम,
उदाहरण के लिए, नॉमिनल जीडीपी को -
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एम गुणा वी - की निरंतर दर से बढ़ायेगा।
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उदाहरण के लिए, यदि फ़ेड ने
नॉमिनल जीडीपी नियम का पालन किया होता,
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तो 2008 के मंदी - कुछ हल्की हो सकती थी।
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लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि क्या वह
इस नियम का पालन कर सकता था।
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2008 के उत्तरार्ध में,
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फ़ेड ने केवल चार महीनों में
मौद्रिक आधार को दोगुना कर दिया -
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इतिहास में सबसे बड़ी वृद्धि।
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लेकिन नॉमिनल जीडीपी को बढ़ने देने से
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अर्थव्यवस्था में और भी
पैसा डालने की आवश्यकता होती।
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यह स्पष्ट नहीं है कि फ़ेड ऐसा कर सकता था,
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क्योंकि इस तरह की कार्रवाई
मौद्रिक इतिहास में अभूतपूर्व है।
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और हम वास्तव में नहीं जानते कि
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कैसे अर्थव्यवस्था, या राजनीतिक व्यवस्था,
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उन पर इस तरह की अभूतपूर्व
नीतियों की प्रतिक्रिया कैसी होती।
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कहने का तात्पर्य यह है -
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फ़ेडरल रिज़र्व के पास
कुछ शक्तिशाली टूल्स हैं,
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तो मौद्रिक संस्थानों और नियमों को
डिज़ाइन करना महत्वपूर्ण है
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अगर फ़ेड के पास नुकसान पहुंचाने से अधिक
मदद करने के अधिकार हैं।
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- [वाचक] अब आप अर्थशास्त्र के
गुरू बनने वाले हैं।
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अभ्यास के कुछ प्रश्न करना ना भूलें
ताकि यह वीडियो याद रहे।
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या, अगर आप
अधिक विकास अर्थशास्त्र के लिए तैयार हैं
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