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वैएल ग्होनिम:इजिप्त क्रांति का आंतरिक परिप्रेक्ष्य

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    यह क्रांति 2 .0 है |
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    कोई भी नायक नहीं था | कोई भी नायक नहीं था |
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    क्योंकि सभी लोग नायक थे |
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    सभी ने कुछ न कुछ किया है |
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    हम सभी विकिपीडिया (Wikipedia ) का उपयोग करते हैं |
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    अगर आप विकिपीडिया की अवधारणा के बारे में सोचें
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    जन्हा सभी लोग विषय-वस्तु पर सहयोग करते हैं |
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    और इस तरह एक दिन
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    आपने संसार का सबसे बड़ा विश्वकोश बना दिया है |
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    सिर्फ एक विचार से जो कि एक पागलपन जैसा लगा था ,
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    उससे आपके पास संसार का सबसे बड़ा विश्वकोश है |
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    और इजिप्त(Egypt ) की क्रांति में
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    क्रांति 2 .0 में
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    सभी ने कुछ न कुछ सहयोग प्रदान किया था --
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    छोटा या बड़ा, उनके सहयोग से
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    हमें
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    मानव इतिहास की प्रेरणादायक कहानियों में से
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    एक कहानी मिली है
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    जो कि हर क्रांति में याद की जाएगी |
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    सारे इजिप्त वासियों का पूर्ण रूप से
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    परिवर्तन देखना सच में प्रेरणादायक था |
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    यदि आप इजिप्त कि स्थिति देखें
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    तो यह 30 वर्षों से बहोत ही बुरी स्थिति में था
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    और इसका पतन हो रहा था |
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    सब कुछ बुरा हो रहा था |
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    सब कुछ गलत हो रहा था |
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    हमारी गिनती सबसे आगे होती थी जब भी गरीबी
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    भ्रष्टाचार की बात होती थी ,
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    अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की कमी,
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    राजनीतिक सक्रियता की कमी
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    ये सब हमारे महान शासन
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    की उपलब्धियां थी |
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    फिर भी कुछ नहीं हो रहा था |
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    यह इस लिए नहीं कि लोग खुश थे
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    या लोग निराश नहीं थे |
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    वास्तव में लोग बहुत ज्यादा निराश थे |
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    मेरे अनुसार सबके चुप रहने का कारण
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    डर की मनोवैज्ञानिक बाधा थी |
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    सभी डरे हुए थे |
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    सभी नही | कुछ बहादुर इजिप्त वासी भी थे
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    मैं उन्हें बहादुर होने के लिए धन्यववाद देता हूँ --
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    वे लोग विरोध प्रदर्शन करने जाते थे ,
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    उन्हें मारा गया और गिरफ्तार किया गया |
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    किन्तु वास्तव में अधिकांश लोग डरे हुए थे |
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    वास्तव में लोग मुश्किल
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    में नहीं पड़ना चाहते थे |
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    एक तानाशाह डर बनाये बिना नहीं रह सकता |
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    वे लोगों को डरा कर रखना चाहते थे |
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    और डर की मनोवैज्ञानिक बाधा
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    बहुत वर्षों तक रही,
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    और फिर इन्टरनेट आया,
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    टेक्नोलोजी, BlackBerry, SMS
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    यह हम सब को जोड़ने में सहायक है |
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    युट्यूब (YouTube), ट्विट्टर (Twitter ), फेसबुक(Facebook )
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    हमारी बहुत मदद कर रहे थे |
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    क्योंकि इनके माध्यम से हमें आभास हुआ कि हम अकेले नहीं हैं |
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    यंहा बहुत सारे लोग हैं जो कि निराश हैं |
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    यंहा बहुत सारे लोग हैं जो कि निराश हैं |
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    यंहा बहुत सारे लोग हैं जिनका एक ही सपना है |
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    यंहा बहुत सारे लोग हैं जो कि आजादी चाहते हैं |
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    वे शायद दुनिया में सबसे अच्छा जीवन जी रहे हैं |
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    उनके जीवन में ख़ुशी है | वे अपने बंगलों में रह रहे हैं |
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    वो खुश हैं , उन्हें कोई समस्या नहीं है |
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    फिर भी वो इजिप्त वासियों के दर्द को अनुभव करते हैं |
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    हम में से बहुत से लोग खुश नहीं हैं |
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    जब हम इजिप्त के एक आदमी को देखते हैं ,
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    जो कि गरीबी में जी रहा है ,
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    जबकि दुसरे लोग
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    अरबों इजिप्तियन पाउंड
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    देश की संपत्ति से चुरा रहे हैं |
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    इन्टरनेट की बहूत मुख्य भूमिका रही है ,
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    इसकी मदद से लोगों ने अपनी मन की बात कही
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    लोग एक सांथ आये और एक सांथ सोचना प्रारम्भ किया |
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    यह एक शैक्षिक अभियान था |
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    खालीद सईद को जून 2010
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    को मार दिया गया |
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    मुझे अभी भी तस्वीर याद है |
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    मुझे अभी भी उस तस्वीर का हर एक विवरण याद है |
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    वह तस्वीर भयानक थी |
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    उस पर अत्याचार किया गया था,
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    उसे बेरहमी से मार दिया गया था |
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    पर उसके बाद प्रशासन का क्या जवाब था ?
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    हैश के ढेर में उसका दम घुट गया था |
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    या था उनका जवाब |
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    वह एक अपराधी है |
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    वह इन सब बुरी चीजों को लेकर भाग गया था |
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    किन्तु लोगों को यह अप्रासंगिक लगा |
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    लोगों ने इस पर विश्वास नहीं किया |
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    इन्टरनेट के कारण सच सामने आ गया
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    और सब को सच्चाई का पता चल गया |
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    और सभी सोचने लगे कि "यह आदमी हमारा भाई भी हो सकता है "
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    वह मध्यमवर्गीय परिवार से था |
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    उसकी तस्वीर हम सभी को याद थी |
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    फेसबुक पर एक पेज बनाया गया
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    एक गुमनाम संचालक
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    लोगों को उस पेज में शामिल होने के लिए सन्देश भेजने लगा |
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    और वहाँ कोई योजना नहीं थी.
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    हम क्या करने जा रहे थे? "मुझे नहीं पता"
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    कुछ ही दिनों में हजारो लाखो लोग वंहा थे --
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    नाराज इजिप्त वासी
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    जो कि गृह मत्रालय से मांग कर रहे थे कि
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    "बहोत हो गया
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    जिसने उस व्यक्ति की हत्या की है
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    उन्हें पकड़ो और उन्हें सजा दो |"
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    पर उन्होंने यह फरियाद नहीं सुनी |
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    यह एक अद्भुत कहानी थी --
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    कैसे सभी में स्वामित्व की भावना आ गई |
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    वह पेज अब सभी का था |
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    लोगों ने विचारों का योगदान प्रारंभ कर दिया |
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    सबसे हास्यास्पद सुझाव यह था कि
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    दोस्तों , चलो शांति से खड़े रहते हैं |
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    लोगों को बुलाते हैं और घर से बहार निकलते हैं
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    समुद्र को देखते हुए खड़े हो जाते हैं ,
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    काले कपडे पहनते हैं, और एक घंटे तक शांति से खड़े रहते हैं,
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    कुछ भी नहीं करेंगे और फिर घर
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    वापस चले जायेंगे |
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    कुछ लोगों के लिए यह ऐसा था ," वाह, शांति से खड़े रहना
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    और अगली बार हिलते हुए खड़े होंगे "|
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    लोग उस विचार का मजाक उड़ा रहे थे |
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    किन्तु जब सच में लोग सड़कों पर आये --
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    पहली बार अलेक्सांद्रिया में
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    हजारों लोग थे --
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    ऐसा प्रतीत हुआ कि --यह अदभुत था |
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    क्योंकि इसने लोगों को आभासी दुनिया में जोड़ा
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    और वास्तविक दुनिया में एक सांथ लेकर आया,
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    एक ही सपने के सांथ,
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    वही निराशा , वही क्रोध,
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    और वही आजादी की चाह |
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    और वो उसके लिए कार्य कर रहे थे |
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    किन्तु क्या प्रशासन ने इसे समझा? बिलकुल नहीं |
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    वास्तव में वो उन पर हमला कर रहे थे |
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    वो उन्हें प्रताड़ित कर रहे थे ,
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    जबकि वो लोग शांतिपूर्ण थे
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    वो तो विरोध भी नहीं कर रहे थे |
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    और तब तक क्रोध विकसित होता रहा
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    जब तक तुनिसियन क्रांति हुई |
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    फेसबुक पेज एक बार फिर
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    लोगों के द्वारा संचालित होने लगा |
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    एक गुमनाम संचालक
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    लोगों के विचार एकत्रित कर रहा था,
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    लोगों से उन विचारों पर राय ले रहा था
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    और उन लोगों को बता रहा था कि वो लोग क्या कर रहे हैं |
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    लोग घटनाओ की तस्वीर ले रहे थे ;
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    और इजिप्त में मानव अधिकार के हनन की शिकायत कर रहे थे;
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    लोग सुझाव दे रहे थे,
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    वो लोग उन सुझावों पर अपना मत व्यक्त कर रहे थे,
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    और फिर वो उन सुझावों पर अमल कर रहे थे; लोग विडियो बना रहे थे |
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    सब कुछ लोगों के द्वारा लोगों के लिए किया जा रहा था ,
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    और यह इन्टरनेट की ताकत थी |
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    वंहा कोई भी नायक नहीं था |
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    उस पेज पर सभी नायक थे |
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    जैसे आमिर कह रहे थे ,एक तुनिसियन प्रयोग ने
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    हम सभी को प्रेरित किया और हमें एक राह दिखाई |
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    हाँ हम कर सकते हैं | हम कर सकते हैं |
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    हम सभी की एक ही समस्या है
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    हम विरोध करने सडकों पर आ सकते हैं |
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    और जब मैंने 25 को लोगों पर सड़कों पर देखा
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    तब मैं वापस गया और बोला ,
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    25 तारिक से पहले का इजिप्त
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    अब कभी भी 25 तारिक के बाद वो इजिप्त नहीं होगा |
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    क्रांति हो रही है |
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    यह अंत नहीं है ,
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    यह अंत की शुरुवात हो रही है |
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    मुझे 27 की रात को हिरासत में लिया गया था |
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    मैंने जगह और सब कुछ बताया
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    पर उन्होने मुझे हिरासत में ले लिया |
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    मैं अपने अनुभव के बारे में बात नहीं करूँगा, क्योंकि यह मेरे बारे में नहीं है |
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    मैं १२ दिन हिरासत में था
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    आंखों पर पट्टी बंधी थी, हथकड़ी लगी हुई थी |
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    मैंने कुछ भी नहीं सुना | मुझे कुछ भी नहीं पता था |
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    मैं किसी से बात नहीं कर सकता था |
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    और फिर मैं बाहर आया
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    दुसरे दिन मैं तहरीर में था |
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    तहरीर चौक में जो परिवर्तन मैंने देखा,
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    उससे मुझे लगा जैसे १२ साल हो गये हों
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    मैंने यह कभी नहीं सोचा था
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    की मैं इजिप्त वासियों को ऐसे देखूंगा
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    अदभुत इजिप्त वासी |
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    डर अब डर नहीं रहा |
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    वह वास्तव में अब शक्ति था |
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    लोग बहुत सशक्त थे |
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    यह बहुत आश्चर्यजनक था कि लोग सशक्त कैसे हुए
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    और अब अपने अधिकारों की मांग रहे थे |
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    पूरी तरह से विपरीत |
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    अतिवाद अब सहनशीलता बन गया था |
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    25 से पहले किसने ऐसा सोचा होगा,
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    कि जब हजारों ईसाई प्रार्थना करने जा रहे थे
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    तब हजारों मुस्लिम उनकी रक्षा कर रहे थे ,
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    और जब हजारों मुस्लिम नमाज के लिए जा रहे थे
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    तब हजारों ईसाई उनकी रक्षा कर रहे थे |
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    यह बहुत आश्चर्यजनक था |
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    सारे रूढीवादी आरोप जो
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    प्रशासन हम पर लगा रहा था और
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    उनका प्रसार मुख्य संचार माध्यम से कर रहा था,
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    वो सब गलत साबित हुए |
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    पूरी क्रांति ने हमें दिखा दिया
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    कि प्रशासन कितना कुरूप था
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    और इजिप्त के नर ,नारी
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    कितने महान और अदभुत हैं ,
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    कितने सादे और आश्चर्यजनक होते हैं ये लोग
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    जब भी ये कोई स्वप्न देखते हैं |
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    जब मैंने यह देखा
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    तब मैंने वापस जाकर फेसबुक पर लिखा
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    और वह मेरा व्यक्तिगत विश्वास था,
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    क्या हो रहा था उसकी परवाह किये बिना ,
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    बिना किसी जानकारी के
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    मैंने कहा "हम जीतने वाले हैं |
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    हम जीतने वाले हैं क्योंकि हमें राजनीती समझ नहीं आती है |
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    हम जीतने वाले हैं क्योंकि हम उनकी तरह गलत चाल नहीं चलते हैं |
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    हम जीतने वाले हैं क्योंकि इसमे हमारा कोई निजी स्वार्थ नहीं है |
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    हम जीतने वाले हैं क्योंकि जो आंसू हमारी आँखों से आते हैं
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    वास्तव में वो हमारे दिल से आते हैं |
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    हम जीतने वाले हैं क्योंकि हमारे पास एक सपना है |
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    हम जीतने वाले हैं क्योंकि हम अपने सपने को सच करने के लिए तैयार खड़े हैं |"
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    और वही हुआ | हम जीत गए |
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    और यह किसी और कारण नहीं था,
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    पर इसलिए क्योंकि हमें आपने सपने पर विश्वास था |
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    विजय इस बात की नहीं थी कि
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    राजनीतिक दृष्टि से यंहा क्या होने वाला है |
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    यह विजय इजिप्त वासियों के
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    प्रतिष्ठा की जीत है |
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    एक टैक्सी चालक ने मुझसे कहा
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    मैं आजादी महशुस कर रहा हूँ |
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    मुझे मेरी प्रतिष्ठा मिल गई है जो
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    मैंने इतने वर्षो में खो दी थी |
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    मेरे लिए यह जीत है ,
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    और किसी चीज की मुझे परवाह नहीं है |
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    मेरे अंतिम शब्द एक ध्हेय वाक्य है जिस पर मुझे विश्वास है ,
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    जिसे इजिप्त वासियों ने सत्य साबित किया है ,
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    वह यह है कि जनता की शक्ति,
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    शक्ति पर आसीन लोगों से बहुत ज्यादा होती है |
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    धन्यवाद |
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    (तालियाँ)
Title:
वैएल ग्होनिम:इजिप्त क्रांति का आंतरिक परिप्रेक्ष्य
Speaker:
Wael Ghonim
Description:

वैएल ग्होनिम गूगल प्रबंधक हैं जिन्होंने इजिप्त में लोकतांत्रिक क्रांति प्रारंभ करने में सहयोग किया था | इन्होने निर्दयी प्रशासन द्वारा पीडित लोगों की याद में एक फेसबुक पेज बनाया था | TEDxCairo में वे पिछले दो माह में इजिप्त में हुए घटनाओं के बारे में बताते हैं जब प्रतिदिन इजिप्त वासियों ने यह दिखाया कि "जनता की शक्ती ,शक्ति पर आसीन लोगों से बहूत ज्यादा होती है " |

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
09:47
Rajneesh Pandey added a translation

Hindi subtitles

Revisions