वैएल ग्होनिम:इजिप्त क्रांति का आंतरिक परिप्रेक्ष्य
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0:00 - 0:03यह क्रांति 2 .0 है |
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0:03 - 0:06कोई भी नायक नहीं था | कोई भी नायक नहीं था |
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0:06 - 0:09क्योंकि सभी लोग नायक थे |
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0:10 - 0:13सभी ने कुछ न कुछ किया है |
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0:13 - 0:15हम सभी विकिपीडिया (Wikipedia ) का उपयोग करते हैं |
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0:15 - 0:17अगर आप विकिपीडिया की अवधारणा के बारे में सोचें
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0:17 - 0:20जन्हा सभी लोग विषय-वस्तु पर सहयोग करते हैं |
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0:20 - 0:22और इस तरह एक दिन
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0:22 - 0:26आपने संसार का सबसे बड़ा विश्वकोश बना दिया है |
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0:26 - 0:28सिर्फ एक विचार से जो कि एक पागलपन जैसा लगा था ,
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0:28 - 0:31उससे आपके पास संसार का सबसे बड़ा विश्वकोश है |
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0:31 - 0:33और इजिप्त(Egypt ) की क्रांति में
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0:33 - 0:35क्रांति 2 .0 में
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0:35 - 0:37सभी ने कुछ न कुछ सहयोग प्रदान किया था --
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0:37 - 0:40छोटा या बड़ा, उनके सहयोग से
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0:40 - 0:42हमें
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0:42 - 0:45मानव इतिहास की प्रेरणादायक कहानियों में से
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0:45 - 0:47एक कहानी मिली है
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0:47 - 0:49जो कि हर क्रांति में याद की जाएगी |
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0:49 - 0:51सारे इजिप्त वासियों का पूर्ण रूप से
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0:51 - 0:54परिवर्तन देखना सच में प्रेरणादायक था |
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0:54 - 0:56यदि आप इजिप्त कि स्थिति देखें
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0:56 - 0:59तो यह 30 वर्षों से बहोत ही बुरी स्थिति में था
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0:59 - 1:01और इसका पतन हो रहा था |
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1:01 - 1:03सब कुछ बुरा हो रहा था |
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1:03 - 1:06सब कुछ गलत हो रहा था |
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1:06 - 1:09हमारी गिनती सबसे आगे होती थी जब भी गरीबी
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1:09 - 1:11भ्रष्टाचार की बात होती थी ,
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1:11 - 1:13अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की कमी,
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1:13 - 1:15राजनीतिक सक्रियता की कमी
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1:15 - 1:17ये सब हमारे महान शासन
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1:17 - 1:20की उपलब्धियां थी |
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1:21 - 1:23फिर भी कुछ नहीं हो रहा था |
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1:23 - 1:25यह इस लिए नहीं कि लोग खुश थे
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1:25 - 1:28या लोग निराश नहीं थे |
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1:28 - 1:30वास्तव में लोग बहुत ज्यादा निराश थे |
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1:30 - 1:33मेरे अनुसार सबके चुप रहने का कारण
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1:33 - 1:37डर की मनोवैज्ञानिक बाधा थी |
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1:37 - 1:39सभी डरे हुए थे |
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1:39 - 1:41सभी नही | कुछ बहादुर इजिप्त वासी भी थे
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1:41 - 1:44मैं उन्हें बहादुर होने के लिए धन्यववाद देता हूँ --
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1:44 - 1:47वे लोग विरोध प्रदर्शन करने जाते थे ,
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1:47 - 1:50उन्हें मारा गया और गिरफ्तार किया गया |
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1:50 - 1:53किन्तु वास्तव में अधिकांश लोग डरे हुए थे |
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1:53 - 1:55वास्तव में लोग मुश्किल
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1:55 - 1:57में नहीं पड़ना चाहते थे |
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1:57 - 2:00एक तानाशाह डर बनाये बिना नहीं रह सकता |
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2:00 - 2:03वे लोगों को डरा कर रखना चाहते थे |
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2:03 - 2:06और डर की मनोवैज्ञानिक बाधा
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2:06 - 2:09बहुत वर्षों तक रही,
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2:09 - 2:11और फिर इन्टरनेट आया,
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2:11 - 2:14टेक्नोलोजी, BlackBerry, SMS
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2:14 - 2:17यह हम सब को जोड़ने में सहायक है |
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2:17 - 2:21युट्यूब (YouTube), ट्विट्टर (Twitter ), फेसबुक(Facebook )
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2:21 - 2:23हमारी बहुत मदद कर रहे थे |
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2:23 - 2:26क्योंकि इनके माध्यम से हमें आभास हुआ कि हम अकेले नहीं हैं |
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2:26 - 2:28यंहा बहुत सारे लोग हैं जो कि निराश हैं |
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2:28 - 2:30यंहा बहुत सारे लोग हैं जो कि निराश हैं |
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2:30 - 2:33यंहा बहुत सारे लोग हैं जिनका एक ही सपना है |
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2:33 - 2:36यंहा बहुत सारे लोग हैं जो कि आजादी चाहते हैं |
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2:36 - 2:38वे शायद दुनिया में सबसे अच्छा जीवन जी रहे हैं |
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2:38 - 2:41उनके जीवन में ख़ुशी है | वे अपने बंगलों में रह रहे हैं |
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2:41 - 2:43वो खुश हैं , उन्हें कोई समस्या नहीं है |
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2:43 - 2:47फिर भी वो इजिप्त वासियों के दर्द को अनुभव करते हैं |
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2:47 - 2:49हम में से बहुत से लोग खुश नहीं हैं |
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2:49 - 2:51जब हम इजिप्त के एक आदमी को देखते हैं ,
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2:51 - 2:53जो कि गरीबी में जी रहा है ,
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2:53 - 2:55जबकि दुसरे लोग
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2:55 - 2:57अरबों इजिप्तियन पाउंड
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2:57 - 2:59देश की संपत्ति से चुरा रहे हैं |
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2:59 - 3:01इन्टरनेट की बहूत मुख्य भूमिका रही है ,
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3:01 - 3:04इसकी मदद से लोगों ने अपनी मन की बात कही
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3:04 - 3:07लोग एक सांथ आये और एक सांथ सोचना प्रारम्भ किया |
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3:07 - 3:10यह एक शैक्षिक अभियान था |
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3:10 - 3:12खालीद सईद को जून 2010
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3:12 - 3:15को मार दिया गया |
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3:15 - 3:17मुझे अभी भी तस्वीर याद है |
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3:17 - 3:20मुझे अभी भी उस तस्वीर का हर एक विवरण याद है |
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3:20 - 3:23वह तस्वीर भयानक थी |
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3:23 - 3:25उस पर अत्याचार किया गया था,
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3:25 - 3:27उसे बेरहमी से मार दिया गया था |
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3:27 - 3:30पर उसके बाद प्रशासन का क्या जवाब था ?
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3:30 - 3:33हैश के ढेर में उसका दम घुट गया था |
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3:33 - 3:35या था उनका जवाब |
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3:35 - 3:37वह एक अपराधी है |
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3:37 - 3:39वह इन सब बुरी चीजों को लेकर भाग गया था |
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3:39 - 3:41किन्तु लोगों को यह अप्रासंगिक लगा |
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3:41 - 3:43लोगों ने इस पर विश्वास नहीं किया |
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3:43 - 3:46इन्टरनेट के कारण सच सामने आ गया
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3:46 - 3:48और सब को सच्चाई का पता चल गया |
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3:48 - 3:51और सभी सोचने लगे कि "यह आदमी हमारा भाई भी हो सकता है "
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3:51 - 3:53वह मध्यमवर्गीय परिवार से था |
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3:53 - 3:56उसकी तस्वीर हम सभी को याद थी |
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3:56 - 3:58फेसबुक पर एक पेज बनाया गया
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3:58 - 4:00एक गुमनाम संचालक
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4:00 - 4:03लोगों को उस पेज में शामिल होने के लिए सन्देश भेजने लगा |
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4:03 - 4:05और वहाँ कोई योजना नहीं थी.
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4:05 - 4:07हम क्या करने जा रहे थे? "मुझे नहीं पता"
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4:07 - 4:10कुछ ही दिनों में हजारो लाखो लोग वंहा थे --
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4:10 - 4:12नाराज इजिप्त वासी
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4:12 - 4:15जो कि गृह मत्रालय से मांग कर रहे थे कि
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4:15 - 4:17"बहोत हो गया
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4:17 - 4:20जिसने उस व्यक्ति की हत्या की है
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4:20 - 4:22उन्हें पकड़ो और उन्हें सजा दो |"
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4:22 - 4:24पर उन्होंने यह फरियाद नहीं सुनी |
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4:24 - 4:26यह एक अद्भुत कहानी थी --
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4:26 - 4:29कैसे सभी में स्वामित्व की भावना आ गई |
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4:29 - 4:31वह पेज अब सभी का था |
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4:31 - 4:33लोगों ने विचारों का योगदान प्रारंभ कर दिया |
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4:33 - 4:36सबसे हास्यास्पद सुझाव यह था कि
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4:36 - 4:38दोस्तों , चलो शांति से खड़े रहते हैं |
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4:38 - 4:41लोगों को बुलाते हैं और घर से बहार निकलते हैं
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4:41 - 4:44समुद्र को देखते हुए खड़े हो जाते हैं ,
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4:44 - 4:47काले कपडे पहनते हैं, और एक घंटे तक शांति से खड़े रहते हैं,
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4:47 - 4:49कुछ भी नहीं करेंगे और फिर घर
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4:49 - 4:51वापस चले जायेंगे |
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4:51 - 4:54कुछ लोगों के लिए यह ऐसा था ," वाह, शांति से खड़े रहना
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4:54 - 4:56और अगली बार हिलते हुए खड़े होंगे "|
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4:56 - 4:59लोग उस विचार का मजाक उड़ा रहे थे |
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4:59 - 5:01किन्तु जब सच में लोग सड़कों पर आये --
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5:01 - 5:03पहली बार अलेक्सांद्रिया में
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5:03 - 5:05हजारों लोग थे --
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5:05 - 5:08ऐसा प्रतीत हुआ कि --यह अदभुत था |
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5:08 - 5:10क्योंकि इसने लोगों को आभासी दुनिया में जोड़ा
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5:10 - 5:12और वास्तविक दुनिया में एक सांथ लेकर आया,
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5:12 - 5:15एक ही सपने के सांथ,
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5:15 - 5:17वही निराशा , वही क्रोध,
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5:17 - 5:19और वही आजादी की चाह |
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5:19 - 5:21और वो उसके लिए कार्य कर रहे थे |
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5:21 - 5:23किन्तु क्या प्रशासन ने इसे समझा? बिलकुल नहीं |
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5:23 - 5:25वास्तव में वो उन पर हमला कर रहे थे |
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5:25 - 5:27वो उन्हें प्रताड़ित कर रहे थे ,
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5:27 - 5:29जबकि वो लोग शांतिपूर्ण थे
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5:29 - 5:31वो तो विरोध भी नहीं कर रहे थे |
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5:31 - 5:34और तब तक क्रोध विकसित होता रहा
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5:34 - 5:37जब तक तुनिसियन क्रांति हुई |
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5:37 - 5:39फेसबुक पेज एक बार फिर
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5:39 - 5:41लोगों के द्वारा संचालित होने लगा |
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5:41 - 5:44एक गुमनाम संचालक
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5:44 - 5:46लोगों के विचार एकत्रित कर रहा था,
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5:46 - 5:48लोगों से उन विचारों पर राय ले रहा था
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5:48 - 5:50और उन लोगों को बता रहा था कि वो लोग क्या कर रहे हैं |
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5:50 - 5:52लोग घटनाओ की तस्वीर ले रहे थे ;
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5:52 - 5:55और इजिप्त में मानव अधिकार के हनन की शिकायत कर रहे थे;
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5:55 - 5:57लोग सुझाव दे रहे थे,
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5:57 - 5:59वो लोग उन सुझावों पर अपना मत व्यक्त कर रहे थे,
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5:59 - 6:02और फिर वो उन सुझावों पर अमल कर रहे थे; लोग विडियो बना रहे थे |
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6:02 - 6:04सब कुछ लोगों के द्वारा लोगों के लिए किया जा रहा था ,
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6:04 - 6:06और यह इन्टरनेट की ताकत थी |
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6:06 - 6:08वंहा कोई भी नायक नहीं था |
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6:08 - 6:11उस पेज पर सभी नायक थे |
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6:11 - 6:13जैसे आमिर कह रहे थे ,एक तुनिसियन प्रयोग ने
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6:13 - 6:15हम सभी को प्रेरित किया और हमें एक राह दिखाई |
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6:15 - 6:17हाँ हम कर सकते हैं | हम कर सकते हैं |
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6:17 - 6:19हम सभी की एक ही समस्या है
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6:19 - 6:21हम विरोध करने सडकों पर आ सकते हैं |
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6:21 - 6:23और जब मैंने 25 को लोगों पर सड़कों पर देखा
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6:23 - 6:25तब मैं वापस गया और बोला ,
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6:25 - 6:2725 तारिक से पहले का इजिप्त
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6:27 - 6:29अब कभी भी 25 तारिक के बाद वो इजिप्त नहीं होगा |
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6:29 - 6:31क्रांति हो रही है |
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6:31 - 6:33यह अंत नहीं है ,
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6:33 - 6:36यह अंत की शुरुवात हो रही है |
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6:37 - 6:41मुझे 27 की रात को हिरासत में लिया गया था |
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6:41 - 6:44मैंने जगह और सब कुछ बताया
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6:44 - 6:46पर उन्होने मुझे हिरासत में ले लिया |
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6:46 - 6:49मैं अपने अनुभव के बारे में बात नहीं करूँगा, क्योंकि यह मेरे बारे में नहीं है |
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6:49 - 6:51मैं १२ दिन हिरासत में था
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6:51 - 6:54आंखों पर पट्टी बंधी थी, हथकड़ी लगी हुई थी |
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6:54 - 6:57मैंने कुछ भी नहीं सुना | मुझे कुछ भी नहीं पता था |
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6:57 - 6:59मैं किसी से बात नहीं कर सकता था |
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6:59 - 7:01और फिर मैं बाहर आया
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7:01 - 7:03दुसरे दिन मैं तहरीर में था |
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7:03 - 7:06तहरीर चौक में जो परिवर्तन मैंने देखा,
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7:06 - 7:09उससे मुझे लगा जैसे १२ साल हो गये हों
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7:09 - 7:11मैंने यह कभी नहीं सोचा था
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7:11 - 7:13की मैं इजिप्त वासियों को ऐसे देखूंगा
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7:13 - 7:15अदभुत इजिप्त वासी |
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7:15 - 7:17डर अब डर नहीं रहा |
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7:17 - 7:19वह वास्तव में अब शक्ति था |
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7:19 - 7:21लोग बहुत सशक्त थे |
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7:21 - 7:23यह बहुत आश्चर्यजनक था कि लोग सशक्त कैसे हुए
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7:23 - 7:25और अब अपने अधिकारों की मांग रहे थे |
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7:25 - 7:27पूरी तरह से विपरीत |
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7:27 - 7:30अतिवाद अब सहनशीलता बन गया था |
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7:30 - 7:3225 से पहले किसने ऐसा सोचा होगा,
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7:32 - 7:35कि जब हजारों ईसाई प्रार्थना करने जा रहे थे
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7:35 - 7:38तब हजारों मुस्लिम उनकी रक्षा कर रहे थे ,
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7:38 - 7:40और जब हजारों मुस्लिम नमाज के लिए जा रहे थे
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7:40 - 7:42तब हजारों ईसाई उनकी रक्षा कर रहे थे |
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7:42 - 7:44यह बहुत आश्चर्यजनक था |
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7:44 - 7:46सारे रूढीवादी आरोप जो
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7:46 - 7:49प्रशासन हम पर लगा रहा था और
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7:49 - 7:52उनका प्रसार मुख्य संचार माध्यम से कर रहा था,
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7:52 - 7:54वो सब गलत साबित हुए |
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7:54 - 7:56पूरी क्रांति ने हमें दिखा दिया
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7:56 - 7:59कि प्रशासन कितना कुरूप था
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7:59 - 8:01और इजिप्त के नर ,नारी
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8:01 - 8:04कितने महान और अदभुत हैं ,
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8:04 - 8:06कितने सादे और आश्चर्यजनक होते हैं ये लोग
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8:06 - 8:08जब भी ये कोई स्वप्न देखते हैं |
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8:08 - 8:10जब मैंने यह देखा
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8:10 - 8:13तब मैंने वापस जाकर फेसबुक पर लिखा
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8:13 - 8:15और वह मेरा व्यक्तिगत विश्वास था,
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8:15 - 8:17क्या हो रहा था उसकी परवाह किये बिना ,
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8:17 - 8:19बिना किसी जानकारी के
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8:19 - 8:21मैंने कहा "हम जीतने वाले हैं |
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8:21 - 8:24हम जीतने वाले हैं क्योंकि हमें राजनीती समझ नहीं आती है |
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8:24 - 8:28हम जीतने वाले हैं क्योंकि हम उनकी तरह गलत चाल नहीं चलते हैं |
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8:28 - 8:31हम जीतने वाले हैं क्योंकि इसमे हमारा कोई निजी स्वार्थ नहीं है |
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8:31 - 8:34हम जीतने वाले हैं क्योंकि जो आंसू हमारी आँखों से आते हैं
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8:34 - 8:37वास्तव में वो हमारे दिल से आते हैं |
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8:37 - 8:40हम जीतने वाले हैं क्योंकि हमारे पास एक सपना है |
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8:40 - 8:44हम जीतने वाले हैं क्योंकि हम अपने सपने को सच करने के लिए तैयार खड़े हैं |"
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8:44 - 8:47और वही हुआ | हम जीत गए |
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8:47 - 8:49और यह किसी और कारण नहीं था,
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8:49 - 8:51पर इसलिए क्योंकि हमें आपने सपने पर विश्वास था |
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8:51 - 8:53विजय इस बात की नहीं थी कि
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8:53 - 8:56राजनीतिक दृष्टि से यंहा क्या होने वाला है |
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8:56 - 8:58यह विजय इजिप्त वासियों के
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8:58 - 9:01प्रतिष्ठा की जीत है |
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9:01 - 9:04एक टैक्सी चालक ने मुझसे कहा
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9:04 - 9:07मैं आजादी महशुस कर रहा हूँ |
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9:07 - 9:09मुझे मेरी प्रतिष्ठा मिल गई है जो
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9:09 - 9:11मैंने इतने वर्षो में खो दी थी |
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9:11 - 9:13मेरे लिए यह जीत है ,
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9:13 - 9:15और किसी चीज की मुझे परवाह नहीं है |
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9:15 - 9:18मेरे अंतिम शब्द एक ध्हेय वाक्य है जिस पर मुझे विश्वास है ,
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9:18 - 9:21जिसे इजिप्त वासियों ने सत्य साबित किया है ,
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9:21 - 9:23वह यह है कि जनता की शक्ति,
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9:23 - 9:25शक्ति पर आसीन लोगों से बहुत ज्यादा होती है |
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9:25 - 9:27धन्यवाद |
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9:27 - 9:46(तालियाँ)
- Title:
- वैएल ग्होनिम:इजिप्त क्रांति का आंतरिक परिप्रेक्ष्य
- Speaker:
- Wael Ghonim
- Description:
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वैएल ग्होनिम गूगल प्रबंधक हैं जिन्होंने इजिप्त में लोकतांत्रिक क्रांति प्रारंभ करने में सहयोग किया था | इन्होने निर्दयी प्रशासन द्वारा पीडित लोगों की याद में एक फेसबुक पेज बनाया था | TEDxCairo में वे पिछले दो माह में इजिप्त में हुए घटनाओं के बारे में बताते हैं जब प्रतिदिन इजिप्त वासियों ने यह दिखाया कि "जनता की शक्ती ,शक्ति पर आसीन लोगों से बहूत ज्यादा होती है " |
- Video Language:
- English
- Team:
closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 09:47